रेलगाड़ी में सुहाना मिलन

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको एक कुंवारी लड़की की कहानी सुनाने जा रहा हूँ और उम्मीद करूँगा की आपको खूब पसंद आएगी | यह कहानी मंजू नाम की लड़की की है जिसकी चुदाई मैंने अपने रेलगाडी में की थी और मेरी इससे मुलाकात भी रेलगाड़ी में ही हुई थी | मैं अपने शहर से गॉंव जा रहा था रेलगाड़ी के १ नो. के ऐय .सी वाले डब्बे में बैठा था जहाँ अच्छे खासे परदे भी होते हैं | वहीँ मेरे बाजु वाले सीट पर मंजू भी बैठी थी कुछ दूर के सफर पर हमारी अच्छी खासी दोस्ती भी हो गयी क्यूंकि उस अकेलेपन में तो बस कोई ना कोई बात करके वक्त गुज़ारने को चाहिए होता है | मेरी उससे खूब बन रही थी तभी मैंने कुछ और सूर के सफर में उसकी असली नियत की पहचान की |

कुछ समय बाद जब मंजू शौचालय गयी तो मैंने उसे खुल्ले बैग को खकोडा जिसमें नंगे - नंगे लड़कों की कीताबें देखि और समझ गया की यह मंजू साली तेदे किस्म की लड़की है और मुझे यह भी शक्क हो गया की इसके ऐसे स्वभाव से यह कुंवारी भी नहीं होगी | कुछ देर बाद जब मंजू अपने वस्त्र बदल कर आई तो उसके चुचों के बीच का गलियार साफ़ धिकायी दे रहा था | जिससे मैं भी खूब गरम हो चूका था और रात होने तक मैंने उसके आधे दिख रहे चुचों का खूब मज़ा लिया | रात को खाना हमने एक साथ खाया और उसके बाद हम एक सीट पर बैठकर ही बात कर रहे थे | वहाँ बैठे मैंने एक दो बार उसकी जांघ पर हाथ भी मारा जिसपर उसने कोई विरोध नहीं किया |

मैं पूरा का पूरा छूट चूका था खुलकर अपने हाथ को उसकी जांघ पर लहराने लगा | अब जब वो भी गरम हो गयी तो हमने पर्दा लगा दिया और वहीँ लेटकर एक - दूसरे के साथ चुसम - चुसाई करने लगे | मैंने अब लेटे - लेटे उसके टॉप को उतार दिया उसके मस्ताने चुचों को अपने मुंह भरके पीने लगा | मैंने कुछ देर बाद उसकी पैंट को नही नीचे से खोलकर उतार दिया और उसकी पैंटी के बाजु से उसकी चुत में ऊँगली करने लगा | अब मैंने उसे थोड़ी ही देर बाद पूरी नंगी कर दिया और खुद भी नंगा होकर अपनी ऊँगलीयां उसकी चुत में अंदर देने लगा | मुझे उसकी चुत में ऊँगली करने बाद उसे कुंवारेपन का पता चला क्यूंकि उसे काफी दर्द हो रहा था |

अब मैंने उसकी चुत को अपने लंड के करीब लाने के लिए टांगों को बिलकुल खोल दिया जिसपर वो तडपकर मेरे लंड को अपने हाथ से आगे - पीछे मसलने लगी | मैंने ज्यादा ना सोचते हुए बस अपने लंड को उसकी में अंदर जोर के झटकों से देता चला गया और उसकी अआहह्हः अआहह्हा करके छींकें भी निकलने लगी | उसकी चुत से हल्का - हल्का खून भी निकल रहा था पर मैंने सब - कुछ साफ़ कर उसकी चुदाई पर ही ध्यान रखा | हम थोड़ी ही देर में सातवें आसमान पर पहुँच चुके थे | वो भी बड़ी - बड़ी सिस्कारियां ले रही थी और अपनी चुत के उप्पर से मसल रही थी | हमने वो पूरे सफर जमकर चुदाई और उसने जाने से बदिया वाली चुम्मी भी दि पर वो ही हमारा आखिरी मिलन भी था |
 
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