रोज़मर्रा की खास चुदाई की लीला

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं निकंशी कि चुतमारी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसकार आप खूब पसंद करोगे | मैं उसे पहली दफा में ही पसंद कर लिया था जब मैंने उसे पहली बार अपने सामने से गुजरते हुए देखा था | वो हमेशा ही कसे हुए कपड़े पहना करती थी जिससे उसके मस्त गदेदेदार तन का उभार तो साफ़ ही नज़्ज़र आया करता था | मैं हमेशा उसके तनको देखने और चुचों को उसके चलने पर कुदकते हुए देखने के लिए मारा करता था | एक दिन मैंने उससे जाकर उस बात भी कर ली जिसपर पहले तो उसने कुछ नखरे जताए पर धीरे - धीरे किसिस मर्द से बात - चित ना होने के कारण मुझसे ही काम चलने के लिए बात करने लगी | हम कभी नीचे ही यां सामने के खाली घर में मिला करते और खूब बातें करते हुए एश किया करते | एक दन जब मैं उसे कमरे में ले गया तो उसे हलके से दिख रहे पेट को देख मेरा अंदर से जी मचलने लगा और मैं अपने पर काबू ना पाया |

मैं अब उसकी पीट पर अपने हाथ से सांप की तरह लहराते हुए उसके पेट को दूसरे से भींच रहा था | वो भी कसकती हुई अपने दाँतों को दिखाने लगी | मैंने अब उसकी गर्दन को चूम रहा था और कुछ ही देर में जब भी वो मस्त तरीके से गरमाने लगी तो मैंने उसके होठो को चूसना शुरू कर दिया और धीरे - धीरे उसके कपड़ों को खोलने लगा | मैंने जब उसे नंगी कर दिया तो उसके चुचों को मसलकर पीने लगा जिसपर वो पगलाने लगी | मैंने उसकी पैंटी को भी अब उसके मस्ताने तन पर टिकने ना दिया | मैं उसकी नंगी चुत को अपनी हथेली से सहलाते हुए मसलने लगा और अपनी उँगलियाँ उसकी चुत में देने लगा जिसपर वो अपने तन को भींचते हुए इधर उधर घूमते हुए सिसकियाँ भरने लगी | मैंने अब अपने लंड को निकाल लिया और उसकी चुत में अपने लंड को दे मारा |

मैं तेज़ी से उसकी चुत में अपने लंड को अंदर देने लगा जिसपर उसकी तड़प रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी | मैं अपने लंड को उसकी चुत की हवा टाईट करने के छोड़े जा रहा था | हम बहुत ज़ल्दी अपनी चरम सीमा पर भी पहुँच लिए और मैंने कुछ देर के भरी - भारी झटकों के साथ मैंने अपने गाढे मुठ को उसके मुंह पर छोड़ दिया फिर अपने लंड के सुपाडे से अपने मुठ को उसके मुंह पर लगा रहा था जिसे वो अपनी जीभ से मेरे सुपाडे के उप्पर घुमाते हुए चाट रही थी | हम दोनों को अब कुक गुदगुदी हो रही थी और इस मस्तानी चुदाई का आनंद ले रहे थे | उसके बाद मैंने कई देर पड़े ही हुए उसकी गांड के छेद को अपनी जीभ से चाटा जिसपर वो फिर से घूमते हुए अपनी गांड को इधर - उधर लहर रही थी | मैंने आखिरी तक उस पोरे इस तन के साथ इसी तरह खेला और उस दिन के बाद से हमने इस तरह चुदाई के आलम को ही रोज़मर्रा का काम बना लिया |
 
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