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लंड के आगे धुत्कारा मटकीली गांड को

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Administrator
Staff member
नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको अपने कॉलेज के दिनों में से कुछ यादगार पलों को आपके सामने पेश करने की हल्की सी गुस्थाकी चाहता हूँ और उम्मीद है की मेरी इस कहानी को आप खूब ही कहेंगे | दोस्तों मेरे कॉलेज में मुझसे कुछ साल बड़ी एक ओसियन नाम की लड़की पढ़ा करती थी जिसपर मैं अपना लदं का चैन खो बैठा था | ऐसे तो मेरी क्लास में सुन्दर लड़कियों की कमी नहीं थी पर मैं ओसियन के मटके जैस गांड पर अपना दिल दे बैठा था बस किसी भी हालत में उसी की बाहों में अपने पैरों क पसारना चाहता था | अब जब भी किसी अध्यापक के अनुपस्थिति में ओसियन हमारी क्लास को शांत बैठाने के लिए आती तो बस मैं उसे देखते ही रह जाया करता था और मेरे नापाक इरादों और गन्दी नज़र के बारे में उसे भी जडली भनक सी पड़ गयी | एक दिन वो मुझे कॉलेज की छुट्टी के बहार मिली और मुझे रोककर कहने लगी,

ओसियन - आखिर तू चाहता क्या है . . ??

मैं - मैं तो बस तुझे ही चाहता हूँ . . ! !

ओसियन - साले तू मेरे सामने बच्चा है . .जा और किसी और पर मौका मार | तेरे लंड मेरी चुत के लायक नहीं है |
उसकी ऐसी बातों पर मेरा भी दिमाक सनक गया और मैंने कहा,
मैं - साली . . होगी तू मुझसे उम्र में बड़ी पर मेरा लंड तेरी चुत से बेहिसाब बड़ा है और एक बार मेरे लंड को लेगी ना तो सभी ऐरे - गैरों को भूल जाएगी |

बस अब तो जैसे जंग छिड गयी और वो मुझे पीछे के ही झाड में ले गयी और अपना लंड धिकानेने को कहने लगी | जिसपर मैंने जोश - जोश अपनी पैंट को उतार अपने तने हुए लंड को उसके सामने हाज़िर कर दिया और वो देखती ही रह गयी |

ओसियन - साले कमाल का है . . .! ! अहह्हहः हहह्हह्हाहा

उसकी मुंह से अपने आप सिसकियाँ निकलने लगी रो वो मेरे लंड पर झाप्प्ता मरती हुई बस नीचे झुकर मेरे लंड को अपने हाथों से मसलते हुए मुंह में लेने लगी तो मैं चैन की सांस लेने लगा | कुछ देर बाद मैंने भी उसे उप्पर उठाकर उसके होंठों को काफी देर चूसा और कुछ पल में ही हम दोनों एक - दूसरे के सामने नंगे भी हो चले | मैं उसके स्तन को अपनी जीभ से खिल - खिलाते हुए चूस रहा था और साथ ही उसकी मंपस्द जगह पर अपनी ऊँगली फिरा रहा था | मैंने अब एक दम से उसकी टांग को पकड़ा और अपने लंड को उसकी चुत के मुख पर टिका दिया | वो इससे पहले कुछ और सोचती मैंने फटाक से अपने लंड के झटके उसकी चुत में देने शुर कर दिए हिस्पर उसका मुंह फटा का फटा ही रह गया |

मैंने उसे गाली देते हुए खूब देर अपने लंड के आगे ही नचा रहा था और उसकी चींखें निकल रही थी | वो सच मैं मेरे लंड को सहने लायक ना थी रो उसके कुछ देर बाद ही सुकी चुत का पानी भी निकल गया | मैं उसके बाद उसकी नीचे को झुका दिए और उसकी गांड को जी भर के मसलते हुए चूसने लगा | अब मैंने अपने मनपसंद इलाके में अपने लंड को टिकाया और इस बार उसकी गांड में ही अपने लंड के धक्के देने लगा | मेरे ज़ोरदार धक्कों के साथ मेरा लंड उसकी गांड में ती घुस गया पर उसे बहुत दर्द हो रहा था | मैं इसी तरह उस दिन वहीँ झाड में ओसियन की चुदाई करता चाल गया और आखिर में उसे धुत्कार वहीँ निढाल लेटा हुआ छोड़ चला गया | उस दिन के बाद से ओसियन से सारे लंडों को लेना भूल गयी और बस मेरे लंड को लेने के ही गाने लगी |
 
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