लंबे अरसे बाद बहार आई

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Antarvasna, hindi sex story: रोहित से मिलकर दिल में एक खुशी जाग उठती है लेकिन अपने कदमों को पीछे खींचना पड़ता है क्योंकि मैं विधवा हूं मेरी शादी के कुछ समय बाद ही मेरे पति की मृत्यु हो गई और मुझे अपने ससुराल से अपने मायके आना पड़ा। जब मैं अपने मायके आई तो मुझे तरह-तरह की प्रताड़ना सहनी पड़ी और अब तक भी मैं उससे गुजर रही हूं लेकिन मेरे पास अब और कोई भी रास्ता नहीं है सिवाय जीने के इसलिए मैं अपने जीवन को आगे बढ़ाये जा रही हूं। 21 वी सदी में भी यदि इस प्रकार की सोच लोगों की है तो उससे उनकी मानसिकता का पता चलता है। मेरे बारे में हमारे आस पड़ोस के लोग किस तरह की बात करते हैं लेकिन मुझे उसके बावजूद भी उनसे कोई शिकायत नहीं है और मैं हर रोज अपने पति के बारे में सोचती हूं। रोहित हमारे पड़ोस में ही किराए पर रहता है और वह किसी मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता है लेकिन वह बड़ा ही सिंपल और साधारण सा है कई बार वह हमारे घर पर भी आ जाता है।

जब रोहित हमारे घर पर आता है तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है क्योंकि रोहित से बात करना और उसके साथ समय बिताना मुझे अच्छा लगता है। रोहित की बातों से मैं मंत्र मुक्त हो जाया करती थी मेरी मां रोहित को बहुत पसंद करती है और वह हमेशा ही रोहित को कहती की काश तुम्हारे जैसा हमारा कोई लड़का होता। मेरी मां के अंदर भी समाज की पीड़ा ही थी जो वह रोहित से अपने अंदर की बात बयां कर दिया करती थी मां को लगता कि समाज में लड़कों की अहम भूमिकाएं हैं। पहले मां से ऐसा नहीं सोचा करती थी लेकिन जब से मैं अपने घर वापस आई हूं तब से मां की सोच भी बदल चुकी है और वह भी अब जमाने के हिसाब से चलने लगी है लेकिन मेरे पिताजी हमेशा मेरा साथ दिया करते और कहते कि लता बेटा तुम्हें कभी भी चिंता करने की आवश्यकता नहीं है जब तक मैं जीवित हूं तब तक मैं तुम्हारा ध्यान रख सकता हूं। मुझे हमेशा इस बात का दुख होता कि मेरे साथ ही ऐसा क्यों हुआ ना जाने समाज में मेरी जैसी और कितनी महिलाएं होंगी जिनके साथ ऐसा हुआ होगा और उन महिलाओं को ना जाने कितनी प्रकार की प्रताड़ना सहनी पड़ती होगी। मैं अपने जीवन में कुछ करना चाहती थी लेकिन अपने पति की मृत्यु के बाद मैं पूरी तरीके से टूट चुकी थी और मेरे पास अब कोई रास्ता भी नहीं था।

मैंने अब सोच लिया था कि मैं अपने जीवन में कुछ ना कुछ तो कर के ही रहूंगी और उसी के लिए मैंने अब अपना कदम आगे बढ़ाना शुरू किया मैंने अपने घर के पास ही एक छोटी सी दुकान किराए पर ले ली और वहां पर मैंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया। शुरूआत में मेरे पास सिर्फ 4 बच्चे ही आया करते थे लेकिन धीरे-धीरे मेरे पास बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी और मेरे पिताजी हमेशा ही मुझे प्रोत्साहित करते रहते। वह कहते कि बेटा तुम जरूर अपने जीवन में अच्छा कर लोगी उनके प्रोत्साहन की बदौलत ही मैं अपने ट्यूशन क्लास को अच्छे से आगे बढ़ा पाई। इसमें मुख्य भूमिका मेरे पिताजी की ही थी यदि वह मुझे हिम्मत ना देते तो शायद मैं कभी ऐसा कदम उठाने के बारे में सोचती भी नहीं लेकिन यह सब पिताजी की ही बदौलत हुआ था। उन्होंने ही मुझे पैसे दिए थे वह चाहते थे कि मैं अपने जीवन में कुछ करूं जिससे कि मैं दूसरों पर निर्भर ना रहूं। एक दिन मुझे रोहित मिले तो वह कहने लगे आपने बहुत ही अच्छा किया जो ट्यूशन क्लास शुरू कर ली, रोहित हमेशा मुझे हिम्मत देते रहते थे। रोहित मुझसे कुछ बरस कम ही रहे होंगे लेकिन उसके बावजूद भी रोहित जब मुझसे बात करते तो मुझे ऐसा लगता जैसे मेरे जीवन में कोई कष्ट है ही नहीं। यह अकेलापन ही था कि जो मुझे अंदर से अब तोड़ने लगा था मैं अंदर ही अंदर और दुखी होने लगी थी मुझे काफी ज्यादा अकेलापन महसूस होने लगा था यह सब सिर्फ मेरे साथ हुई घटना की वजह से हुआ था। कम उम्र में ही विधवा हो जाने का दुख झेल पाना हर किसी महिला के बस की बात नहीं होती लेकिन उसके बावजूद भी मैंने आगे बढ़ने के बारे में सोचा और अपने जीवन को एक नया रूप दिया। अब मैं किसी पर भी निर्भर नहीं थी और अपने तरीके से मैं अपनी जिंदगी जीना चाहती थी परन्तु मुझे उसके बावजूद भी कई लोगों से गलत सुनने को मिल जाता था लेकिन मैंने तब भी हिम्मत नहीं आ हारी और मैं डटी रही।

अब मुझे उसका फल मिलने लगा था और मैं बड़े ही अच्छे तरीके से ट्यूशन पढ़ा रही थी। रोहित एक दिन मेरे पास आये और कहने लगे लता जी मुझे आपसे कुछ बात करनी थी मैं उस वक्त अपने ट्यूशन सेंटर में ही बैठी हुई थी। मैंने रोहित जी से कहा हां रोहित कहिये ना क्या बात करनी थी वह मुझे कहने लगे हमारे ऑफिस के कुछ साथी सोच रहे थे कि हम लोग कुछ दिनों के लिए घूमने के लिए जाएं यदि आपको कोई परेशानी ना हो तो आप मेरे साथ चल सकती हैं। भला मैं रोहित की बातों को कैसे मना कर सकती थी और मैं रोहित के साथ जाने के लिए तैयार हो चुकी थी मुझे रोहित पर पूरा भरोसा था। रोहित ने मुझे कहा कि लता जी आपका बहुत धन्यवाद जो आप मेरे साथ आने के लिए मान गए। हम लोग घूमने के लिए इंदौर जाने वाले थे सारी तैयारियां हो चुकी थी और मैंने अपने घर में भी अपने मम्मी पापा को बता दिया था मेरे मम्मी-पापा रोहित पर बहुत भरोसा करते थे इसलिए उन्होंने मुझे रोहित के साथ जाने दिया। अब हम लोग इंदौर जाने की पूरी तैयारी कर चुके थे मुझे नहीं मालूम था कि मुझे वहां पर भी कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। रोहित के साथ उनके ऑफिस के और लोग भी थे और उनके साथ उनकी पत्नियां भी आई हुई थी रोहित ने जब मुझे अपने ऑफिस वालों से मिलवाया तो उनमें से एक लड़का बोल उठा की क्या यह तुम्हारी गर्लफ्रेंड है।

इस बात से रोहित ने अपनी नजरें झुका ली और मुझे भी अच्छा नहीं लगा शायद यह बात मेरे दिल में लग चुकी थी और इसी वजह से मुझे बहुत बुरा लगा। सारे रास्ते भर मैंने रोहित से कोई बात नहीं की लेकिन जब वह मुझसे बात करने लगे तो वह मुझे कहने लगे कि देखिए लता जी इसमें मेरी कोई गलती नहीं है यदि उन लोगों को ऐसा लगा तो उन्होंने मुझसे बोल दिया लेकिन आप ऐसा बिल्कुल भी मत समझियेगा। रोहित बहुत ही अच्छे लड़के हैं मुझे यह बात मालूम है लेकिन यह बात मेंरे दिल में लग चुकी थी और मुझे लगा था कि शायद हर कोई स्वार्थ के लिए ही एक दूसरे के साथ रहना चाहता है। रोहित ने मुझे काफी समझाया परंतु मुझे उसके बावजूद भी बहुत बुरा लगा मेरा मूड बिल्कुल भी ठीक नहीं हो रहा था और इस वजह से मेरे सर में भी दर्द होने लगा। जब मेरे सर में दर्द होने लगा तो रोहित कहने लगे मैं दवाई ले आता हूं रोहित ने तुरंत बस रुकवाई और वह मेरे लिए दवाई लेने के लिए एक केमिस्ट शॉप में चले गए और वहां से उन्होंने दवाई ली। मैंने वह दवाई उसी वक्त ले ली और मुझे अब नींद आने लगी थी। मैं रोहित के कंधों पर सर रखकर सो गई इतने समय बाद मुझे बड़ी अच्छी नींद आई थी और मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। रोहित ने भी अपने हाथों से मेरे हाथ को पकड़ लिया था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कितने समय बाद में अच्छे से सो पा रही हूं। रोहित मेरी तरफ देख रहे थे जब मैं ऊठी तो मैंने रोहित से कहा सॉरी कहा और उससे कहा मैं आपके कंधे पर सर रखकर सो गई थी। रोहित मुझे कहने लगे कोई बात नहीं मैं दोबारा से सो चुकी थी।

हम लोग जब इंदौर पहुंचे तो वहां पर हम लोगों ने काफी अच्छा समय साथ में बिताया लेकिन मेरे दिल में तो रोहित को लेकर अब आग लग चुकी थी। मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से में रोहित के साथ शारीरिक संबंध बने। रोहित और मैं जब रूम में साथ में बैठे हुए थे तो हम दोनों एक दूसरे को देखते और रोहित ने मेरे पास आकर मेरे हाथ को पकड़ लिया। मैं भी अपने आप पर काबू ना कर सकी शायद रोहित के दिल में भी मेरे लिए कुछ चलने लगा था वह आग की चिंगारी मेरा तन बदन भी जलने लगी थी। रोहित ने मेरे होंठो का स्पर्श किया तो मुझे बड़ा अच्छा लगा जैसे ही रोहित ने मेरे होठों को स्पर्श किया तो मैंने अपने बदन को रोहित को सौंप दिया था और अपने शरीर से अपने कपड़े उतारने लगी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए थे मैं रोहित के सामने नंगी लेटी हुई थी। रोहित ने कुछ देर तक मेरे नरम और मुलायम स्तनों का रसपान किया मेरे अंदर बहुत उत्तेजना बढने लगी तो मैंने रोहित से कहा क्या आप मेरी योनि को भी कुछ देर तक चाट सकते हैं।

वह मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटते तो मेरे अंदर बहुत ही ज्यादा उत्तेजना जाग चुकी थी मैंने रोहित के मोटे और कड़क लंड को अपने अंदर समा लिया। मुझे अच्छा लग रहा था मेरी योनि से गीलापन बाहर की तरफ निकल रहा था मेरी योनि के अंदर बाहर रोहित का लंड हो रहा था तो मुझे आनंद आने लगा। मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया इतने लंबे अरसे बाद किसी के साथ में संभोग का आनंद ले पा रही थी तो भला मैं कैसे पीछे रह सकती थी। मैंने भी रोहित का पूरा साथ दिया और अपनी योनि को टाइट कर लिया मैंने अपनी योनि को टाइट कर लिया था जिस प्रकार से रोहित मुझे धक्के मार रहा था। उससे मेरी योनि से लगातार पानी बह रहा था मेरी चूत गीली हो गई मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। रोहित के लंड से वीर्य की तेज धार मेरी योनि के अंदर जा गिरी। मैंने रोहित के होठों को चूम लिया और इतने समय बाद किसी के साथ में अपने जीवन के कुछ अंतरंग पल बिता पाई थी। रोहित से मुझे प्यार हो गया था और मैं उसे अपना सब कुछ देने को तैयार थी।
 
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