वह रास्ता जो ले गया खुशी की ओर

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Antarvasna, hindi sex story: हम लोग जिस कॉलोनी में रहते हैं वहां पर हमारे पड़ोस में एक बंगाली परिवार रहा करता है हम लोग महाराष्ट्रीयन हैं हम लोगों की उनसे बिल्कुल भी नहीं बनती थी। मेरी मां उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं करती थी उनके घर पर आए दिन झगड़े ही होते रहते थे मां ने कई बार उन्हें इस बारे में कहा भी था लेकिन वह लोग कहां मानने वाले थे। हम लोगों की संस्कृति एक दूसरे से विपरीत थी और शायद यही वजह थी कि हम लोगों के बीच में बिल्कुल भी नहीं बनती थी लेकिन मुझे क्या मालूम था कि एक दिन मुझे उन्हीं के लड़के से प्यार हो जाएगा। उनके लड़के का नाम सुबोध है और उससे मुझे मेरी बातचीत आगे बढ़ने लगी तो हम दोनों के बीच प्यार होने लगा और मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे सुबोध और मैं एक दूसरे के लिए ही बने हैं।

हम दोनों एक दूसरे को ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश करते मैं उस वक्त कॉलेज में ही पढ़ाई कर रही थी हम दोनों चोरी छुपे एक दूसरे से मिला करते थे। सुबोध भी अपने कॉलेज की पढ़ाई कर रहा था लेकिन हम दोनों एक दूसरे से मिल ही लेते थे सुबोध का कॉलेज मेरे कॉलेज से थोड़ा दूर था हम दोनों एक दूसरे से फोन पर भी बहुत बातें किया करते थे। हम लोग एक दिन मॉल में बैठे हुए थे उस दिन हमारे एक रिश्तेदार ने मुझे सुबोध के साथ देख लिया और उसके बाद तो जैसे हम दोनों की प्यार की कहानी का अंत हो गया। सुबोध और मैं एक दूसरे से दूर हो चुके थे मुझे नहीं मालूम था कि हम दोनों एक दूसरे से अलग हो जाएंगे। सुबोध भी अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद विलायत चला गया था हम दोनों के बीच अभी भी बात होती थी लेकिन मेरे परिवार वालों ने मेरे ऊपर कई पाबंदियां लगा दी थी जिस वजह से मैं उससे चोरी छुपे सिर्फ बात ही किया करती थी। समय बीतता चला गया और मेरे लिए लड़कों के रिश्ते भी आने लगे लेकिन मेरे दिल में तो सिर्फ सुबोध ही बसा हुआ था मैंने जब यह बात सुबोध को बताई तो वह मुझे कहने लगा कि मोनिका तुम क्या चाहती हो।

मैंने सुबोध से कहा मैं चाहती हूं कि मैं तुम्हारे साथ ही अपना जीवन बिताऊँ लेकिन हम दोनों का मिल पाना मुश्किल ही था सुबोध ने मुझे कहा मैं तुम्हें अपनाने के लिए तैयार हूं लेकिन क्या तुम मेरे साथ रह पाओगी। मैंने सुबोध से कहा क्यों नहीं मैं तुम्हारे साथ क्यों नहीं रह पाऊंगी सुबोध मुझे कहने लगा कि देखो मोनिका यह सब इतना आसान नहीं है जितना तुम सोच रही हो तुम्हें क्या लगता है यह सब इतना आसान होने वाला है हम दोनों के परिवार वाले कभी भी हम दोनों के रिश्ते को स्वीकार नहीं करेंगे मैं अपने मम्मी पापा को जानता हूं वह लोग कभी भी तुम्हें स्वीकार नहीं करने वाले और ना ही तुम्हारे माता-पिता मुझे कभी स्वीकार करेंगे। मैंने सुबोध से कहा हमें घर से भाग जाना चाहिए सुबोध कहने लगा यह तो कोई रास्ता नहीं हुआ तुम ही मुझे बताओ क्या यह ठीक रहेगा कि हम दोनों घर से भाग जाए इसमे घर की कितनी बदनामी होगी। मैंने सुबोध से कहा देखो सुबोध मैं तुमसे प्यार करती हूं और तुम्हारे बिना मैं रह नहीं सकती हम लोगों को क्या करना चाहिए सुबोध ने मुझे कहा कि यदि तुम अपने परिवार वालों से बात कर लो तो मैं तुमसे शादी करने के लिए तैयार हूं। मैंने अपने परिवार वालों से बात भी की लेकिन वह किसी भी सूरत में सुबोध से मेरी शादी करवाने के लिए राजी नहीं थे और उन्होंने मुझे साफ तौर पर चेतावनी दे दी थी कि यदि तुमने कभी भी ऐसा सोचा भी तो हम से बुरा कोई नहीं होगा। मैं बहुत ही डर गई थी और सुबोध से मैंने अपना संपर्क खत्म कर लिया हम दोनों एक दूसरे से बहुत दूर हो चुके थे ना ही मैं सुबोध से कभी बात करती थी और ना ही उसका मुझे कभी फोन आता था। मैं मन ही मन सोचने लगी कि सुबोध ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया वह मेरा साथ भी तो दे सकता था लेकिन सुबोध ने मेरा साथ नहीं दिया और उसने मुझे अलग छोड़ दिया यदि वह अपने परिवार वालों से बात करता या फिर मेरे परिवार वालों से बात करता तो शायद हम दोनों एक हो सकते थे लेकिन अब मुझे मेरे पापा मम्मी की मर्जी से शादी करनी पड़ी। कुछ ही समय मे मैंने शादी कर ली थी शादी करने के बाद मैं खुश तो नहीं थी लेकिन फिर भी अपनी जिंदगी मैं काट रही थी और इसी बीच मुझे जब सुबोध का फोन आया तो वह मुझे कहने लगा कि क्या तुम ने शादी कर ली है।

मैंने उसे कहा तुम्हें इस बारे में पता तो चल ही गया होगा कि मैंने शादी कर ली है सुबोध कहने लगा हां मुझे मालूम है कि तुमने शादी कर ली है लेकिन मैं चाहता था कि मैं तुम से शादी करूं उस वक्त मुझे कुछ भी ठीक नहीं लगा इसलिए मैने तुमसे शादी का फैसला अपने दिमाग से ही निकाल दिया था और शायद हम दोनों के लिए यही ठीक था। मैंने सुबोध से कहा देखो सुबोध आज के बाद ना हीं तुम मुझसे कभी बात करोगे और ना ही मैं तुमसे कभी बात करूंगी और यह कहते ही मैंने फोन रख दिया उसके बाद ना तो मैंने कभी सुबोध से बात करने की कोशिश की और ना ही कभी मैंने उससे कोई भी संपर्क रखने की कोशिश की। मैं अपनी शादीशुदा जीवन से भी खुश नहीं थी क्योंकि मेरे पति मुझे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते थे और उनका प्यार मुझे ना तो मिल रहा था और ना ही हम दोनों के बीच कुछ अच्छा चल रहा था थोड़े समय बाद हम दोनों का डिवोर्स हो गया। मैं समझ नहीं पा रही थी कि यह सब क्यों हो रहा है लेकिन मैं अपनी परेशानी में ही इतना उलझ गई थी कि मैं मानसिक रूप से भी परेशान रहने लगी थी और उसके लिए मुझे डॉक्टर का सहारा लेना पड़ा।

मैं मानसिक रूप से बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी थी और धीरे-धीरे मैं ठीक होने लगी थी लेकिन अभी मेरे दिमाग से पूरी तरह से मेरी परेशानी गई नहीं थी मैं भी बहुत ज्यादा परेशान थी। उसी वक्त मेरी मुलाकात एक महिला से हुई जो कि कॉल गर्ल की सप्लाई किया करती थी मैंने उनसे पूछा कि यह सब कैसे होता है तो उन्होंने मुझे उसकी सारी जानकारी दी। मैं अपनी खुशियों को इधर उधर ढूंढ रही थी लेकिन अब मेरी खुशियां मुझे मिल चुकी थी क्योंकि मुझे भी कॉल गर्ल ही बनना था। मैं जब पहली बार एक अधेड़ उम्र के व्यक्ति के पास गई तो उस वक्त मुझे अजीब सा महसूस हुआ और लगा कि शायद मैं यह सब नहीं कर पाऊंगी लेकिन ऐसा नहीं था। मैंने जब उन व्यक्ति को कहा कि मैं पहली बार ही आई हूं तो वह कहने लगे कोई बात नहीं तुम आराम से बैठ जाओ। उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रखा और जिस प्रकार उन्होंने मेरी जांघ पर हाथ रखा था उससे मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी। उन्होंने मेरे स्तनों को अपने हाथों से दबाया वह मेरे स्तनो कै अच्छे तरीके से मसलने लगे थे और मेरी योनि से पानी बाहर निकलने लगा था। उन्होंने मुझे कहा तुमने पहले भी कभी किसी के लंड को मुंह में लिया है तो मैंने मैंने कहा मुझे तो लंड को मुंह में लेने में ही मजा आता है। मैंने जब उनके 9 इंच मोटे लंड को मुंह के अंदर समाया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से मैं उनके लंड को मुंह के अंदर बाहर कर रही थी उससे उन्हें बहुत ही मजा आता और वह बडे अच्छे से अपने लंड को मेरे मुंह के अंदर बाहर कर रहे थे। मुझे भी अच्छा लग रहा था वह भी बहुत खुश थे काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा जब मैंने उनके लंड को पूरी तरीके से चिकना बना दिया तो वह मुझे कहने लगे अब मैं तुम्हारी चूत को चाट लेता हूं। उन्हें भी चूत चाटने का बड़ा शौक था और उन्होंने मेरी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो मुझे भी अच्छा लगने लगा और वह भी बहुत खुश नजर आ रहे थे।

काफी देर तक उन्होने मेरी चूत को चाटा और पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा वह मुझे कहने लगे कि तुम्हें अब कैसा लग रहा है। मैंने उन्हें कहा मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा है अब मैं शायद रह नहीं पाऊंगी तो वह कहने लगे कि थोड़ी देर रुक जाओ बस मैं तुम्हारी चूत को आज रंगीन बनाना चाहता हूं। उन्होंने अपने लंड पर तेल की मालिश करते हुए अपने लंड को पूरा चिकना बनाते हुए मेरी योनि पर जैसे ही लंड को लगाया तो धीरे-धीरे उनका मोटा लंड मेरी योनि के अंदर प्रवेश होने लगा और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। वह बड़े ही अच्छे से मेरे दोनों पैरों को खोलकर मुझे धक्के मार रहे थे और मुझे भी बहुत मजा आता काफी देर तक उन्होंने ऐसा ही किया वह मुझे कहने लगे कि तुम्हारी चूत बड़ी ही लाजवाब है। मैंने उन्हें कहा आपका लंड भी कमाल का है आप इस उम्र में भी मेरी इच्छा को पूरा कर पा रहे हैं यह बहुत बड़ी बात है।

मैंने जब उन्हें यह कहा तो उनकी छाती चौड़ी हो गई थी और वह खुशी से झूमने लगे। वह अपनी गति को तेज करने लगे और उन्होंने मेरे दोनों पैरों पर खोलना शुरू कर दिया था मुझे भी अच्छा लग रहा था और उन्हें भी बड़ा मजा आ रहा था। काफी देर तक ऐसा करने के बाद जब उनके लंड से पानी बाहर निकलने लगा तो वह मुझे कहने लगे कि अब मैं ज्यादा देर तक नहीं रह पाऊंगा तो मैंने उन्हें कहा आप मेरी चूत के अंदर ही अपने पानी को गिरा दीजिए। वह कहने लगे मैं तुम्हारे मुंह के अंदर अपने माल को गिराना चाहता हूं। उन्होंने अपने लंड को मेरे मुंह पर लगाया और मैंने उसे चूसना शुरू किया कुछ देर बाद उनका वीर्य बाहर की तरफ को निकलने लगा। मैंने उसे अपने मुंह के अंदर ही सामा लिया मैंने उनके माल को अपने मुंह के अंदर ले लिया वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गए थे। उसके बाद तो जैसे मुझे आदत सी पड़ गई थी और अपनी तनहाइयों को दूर करने के लिए मुझे यही अच्छा रास्ता नजर नहीं आया इसलिए मैंने कॉल गर्ल बनने के बारे में सोच लिया था और मैं नंबर वन कॉल गर्ल बनकर खुशी थी। मैं एक कॉल गर्ल बन चुकी हूं और अपना ध्यान में खुद रखा करती हूं।
 
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