शिष्या से मिली ज़बरदस्त गुरुदक्षिणा

sexstories

Administrator
Staff member
नमस्कार दोस्तों,

मैं आपको अपनी चुलबुली से रानी नाम की लड़की की महा तुफानिदार चुदाई के आलम को बतान एज रहा हूँ इसीलिए अब त्जोदा गौर फरमाइयगा | वो अक्सर ही मेरे घर में मुझे टूशन पढ़ने आया करती थी जिसपर मैं उसे पढाने के बाद उससे खूब देर बात भी किया करता था | उसे चुदाई और यौन - संबंधों के बारे मैं ज़रा सा भी पता नहीं था बस वो तो बिल्कूल चुलबुली सी थी और मेरे सतह काफी हंसी - मजाक भी किया करती थी | हमारी ना कोई दोस्ती थी और ना ही कोई संबंध और हाँ अगर कुछ था तो वो था गुरु और शिष्या का सम्बन्ध जिसमें उसने मुझे आखिर में गुरु - दक्षिणा भी दे ही दी | मैं ऐसे तो उसकी चुलबुली हरकतों पर कभी जवाब नहीं देता पर अब मैं उसके साथ भी मजाक करते हुए उसके चुचों को छू लिया करता |

उसे मेरी इन हरकतों पर इरादों के बारे में तो कुछ पता नहीं चलता पर वो अंदर से बिलकुल खिल उठी थी क्यूंकि मेरे कामुक - स्पर्श उसकी अंदर की जवानी और वासना को पूरी तरह से झंझोर दिया करते थे | एक दिन जब वो मेरे घर पर आये हुई थी पढ़ने को उसी वक्त मेरे घर वाले सभी के सभी नीचे गए हुए थे | अब मैं भी मौके पर चौके मारते हुए उसके साथ हल्की फुल्की मस्ती करने लगा | मैंने कुछ ही पल में पहले अपने हाथ को उसके हाथ पर रखते हुए फेरना चालू कर दिया | उसे कुछ समझ नहीं आया पर वो अंदर से अब गरमाने लगी थी और मैंने उसके होंठों की तरफ बढते हुए उन्हें पीने लगा | कुछ ही देर में उससे जितना भी बना उसने भी मज़े को पूरा लेने के लिया मुझे सहयोग किया जितना वो कर सकी |

उसे पता नहीं था की वो सब कुछ गलत कर रही थी और बस वो आनंद में डूबी हुई आगे बढती जा रही थी इसीलिए मैं उसके कपड़ों को भी खोलने लगा | मैं अब उसके टॉप को उतारकर उसके चुचों मसलकर पिने लगा जिसपर उसने अपनी आखों को हलके - हलके बेहोश होते हुए पूरी तरह से बंद कर लिया | कुछ देर बाद मैंने पैंट को भी खोल उसकी नंगी चुत अपनी उँगलियाँ अंदर देने लगा जिसपर वो पूरी तरह से पगला उठी और जोर से सिसकियाँ भरने लगी | मैंने अब उसकी टांगों के बीच अपने लंड के सुपाडे को चुत पर टिकाते हुए लंड को उसकी चुत में घुसेड दिया जिसपर वो दर्द से डूब गयी और ज़ोरों से चिल्लाने लगी जिसपर अमिन उसके होंठों को चूसते हुए उसे शान्ति देने की कोशिस करने लगा |

उसकी चुत से दोस्तो काफी खून बह चूका था और अब तो वो सच में रो भी रही थी जिसपर मैं अब उसकी हथेली को कसकर थामते हुए फिर से अपने लंड के ज़ोरदार धक्के देने लगा और इस बार उसे दर्द काफी हद्द तक कम हुआ और वो बस हल्की - फुल्की सिस्कारियां ही भर रही थी | मैं इसी बुल्लेट - ट्रेन की रफ़्तार से उसकी चुत में अपने लंड को गुसाडे जा रहा तो अचानक से मैंने अपने लंड के वीर्य को उसकी चुलबुली चुत पर भी छोड़ दिया और वहीँ चूमने लगा |
 
Back
Top