Antarvasna, hindi sex story मैं बचपन में ही अनाथ हो गया था और अनाथ होने के बाद मैं अपने चाचा चाची के पास ही रहने लगा था संयोग से मेरे चाचा चाची के कोई बच्चे नहीं थे इसलिए उन्होंने मुझे ही अपने बच्चे के रूप में स्वीकार कर लिया था। वह मुझे बड़ा प्यार करते थे चाचा जी की उम्र महज 60 वर्ष थी लेकिन चाचा जी के रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई जिससे कि चाची घर में अकेली हो गई। चाची का सहारा उस वक्त मैं ही था चाचा जी की पेंशन का पैसा घर पर आने लगा था क्यों की उन्होंने मुझे सरकारी तौर पर अपना वारिस घोषित किया था इसलिए मुझे ही अब उनकी जगह नौकरी मिल गई। मैं रेलवे में नौकरी करने लगा था जब मैं पहले दिन नौकरी पर गया तो वहां मेरे सीनियर से मेरी मुलाकात हुई वह बड़े ही अच्छे हैं उनका नाम सुरेश प्रभाकर है।
उसके बाद मैं हर रोज समय पर अपने ऑफिस पहुंच जाया करता था समय का चक्र बड़ी तेजी से घूम रहा था और मुझे काम करते हुए 6 माह बीत चुके थे। इन छह माह में मैं अब पूरी तरीके से काम सीख चुका था और चाची का सहारा भी मैं हीं था इसलिए चाची मुझसे बड़ी उम्मीद लगाए बैठी रहती थी। उन्हें जब भी कोई काम होता तो वह मुझे ही कहती कभी कबार वह मुझ पर गुस्सा भी हो जाया करती थी चाची जी का ब्लड प्रेशर कभी-कबार बढ़ जाता था जिससे कि वह मुझ पर गुस्सा हो जाती थी। मैं कई बार चाची से कहता हूं कि आप बेवजह ही गुस्सा ना हुआ कीजिए उन्हें बड़ी मुश्किल से मैं शांत कराया करता हूं। चाची की उम्र भी अब होने लगी थी वह उम्र के 60 बरस पार कर चुकी थी वह घर पर अकेली ही रहती थी इसलिए मैं चाची को कई बार कहता कि आप अपनी तबियत का ध्यान दिया कीजिए मैं सुबह ही अपने दफ्तर चला जाया करता हूं इसलिए आपको अपनी देखभाल करनी चाहिए। वह अपनी ब्लड प्रेशर की दवाइयां नहीं लेती थी और कई बार वह भूल जाया करती थी जिस वजह से उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी।
मैंने एक दिन चाची से कहा लगता है आपके लिए घर में किसी को रखना पड़ेगा, मैंने एक नौकरानी से बात कर ली थी मैंने घर में एक मेड रख दी जो कि सिर्फ चाची की देखभाल किया करती थी। चाची कई बार उसे डांट दिया करती थी जिस वजह से वह एक दिन मुझे कहने लगी की मैं अब आपके घर से काम छोड़ दूंगी मैं चाची की डाट नहीं खा सकती चाची बेवजह ही कई बार मुझे अनाप-शनाप कह दिया करती है इसलिए मैं काम छोड़ रही हूं। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे मनाया और कहा देखो सुधा तुम कहां जाओगी यहां पर तो कोई ज्यादा काम होता नहीं है तुम्हें सिर्फ चाची की ही देखभाल करनी होती है। सुधा मेरी बात मान गई और कहने लगी ठीक है अंकित भैया मैं काम कर लूंगी लेकिन आपको चाची को समझाना पड़ेगा कि वह बेवजह ही मुझ पर इल्जाम ना लगाया करें। मैंने चाची से कहा कि चाची आप बेवजह सुधा को क्यों कुछ कहती रहती हैं चाची मुझ पर ही भड़क उठे क्योंकि यह उनके उम्र का यह तकाजा था कि वह कभी भी गुस्से में आ जाती थी। मै उनके गुस्से से काफी परेशान रहने लगा था वह बेवजह ही छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाया करती थी मैंने चाची से कहा कि लगता है अब आप बूढ़े होने लगी हैं लेकिन उस दिन उनका मूड ठीक था तो वह मुस्कुराकर कहने लगे मैं अभी से बूढ़ी नहीं हुई हूं अभी तो मैं और कुछ साल जीने वाली हूं। चाची को कई बार चाचा की याद भी आती थी तो वह मुझसे कहती थी कि कई बार मुझे तुम्हारे चाचा की याद आती है। जब चाची मेरे मम्मी पापा के बारे में बात करती तो जैसे वह पुरानी तस्वीरें मेरी आंखों के सामने आ जाया करती थी मैं उन यादों को अपने दिल में आज तक संजोए हुआ था। मेरे माता पिता की मृत्यु के बाद चाचा और चाची ने मुझे कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी उन्होंने मेरी बहुत ही अच्छे से परवरिश की इसलिए मेरा भी चाची के प्रति कोई फर्ज है मैं उनसे मुंह नहीं मोड़ सकता। चाची मुझसे कहने लगी अंकित बेटा तुम अब 28 वर्ष के हो चुके हो और तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए। मैंने चाची से कहा आप हमेशा मेरी शादी के पीछे क्यों पड़ी रहती हैं यदि मैं शादी कर लूंगा तो आपकी देखभाल कौन करेगा वह कहने लगी कि मेरी देखभाल करने के लिए सुधा है।
मैंने उन्हें कहा सुधा का क्या भरोसा कब काम छोड़ कर चली जाए लेकिन मैं आपकी देखभाल हमेशा करना चाहता हूं। चाची कहने लगी बेटा जब तुम्हारी पत्नी आएगी तो तुम मुझे भूल जाओगे चाची का यह मजाकिया अंदाज था लेकिन उनकी बात मेरे दिमाग में बैठ गयी इसीलिए तो मैंने अब तक शादी नहीं की थी। मुझे लगता था कि यदि मैं शादी कर लूंगा तो कहीं चाची की देखभाल में कोई कमी ना रह जाय यही सबसे मुख्य कारण था कि मैंने अभी तक शादी नहीं की थी। चाची की देखभाल अब सुधा ही किया करती थी क्योंकि मैंने चाची को कह दिया था कि आप बेवजह ही झगड़े मत किया कीजिए। शायद चाची मेरी बातों को मान चुकी थी और चाची ने मेरे लिए अब लड़कियां देखना शुरू कर दिया था लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मैं शादी करूं क्योंकि चाची की देखभाल शायद कोई लड़की नहीं कर पाती क्योंकि चाची के गुस्सैल स्वभाव की वजह से सब लोग उनसे दूरी बनाकर रखते थे। एक दिन मेरे मामा जी का मुझे फोन आया और वह कहने लगे अंकित बेटा तुम तो हमारे घर आते ही नहीं हो तुमने तो जैसे हमारे घर का रास्ता आना ही छोड़ दिया है। मैंने अपने मामा जी से कहा नहीं मामा जी ऐसी कोई बात नहीं है मैं जरूर आपसे मिलने के लिए आऊंगा। वह कहने लगे बेटा हम से मिलने तो कभी आ जाया करो मैंने मामा जी से कहा मामा जी मैं आपसे जरूर मिलने के लिए आऊंगा।
मैं कुछ दिनों बाद अपने मामा जी से मिलने के लिए चला गया जब मैं अपने मामा जी से मिलने के लिए गया तो वहां पर सब कुछ पहले जैसा ही था मेरी मामी अभी भी मुझे उतना ही प्यार करती हैं। मामाजी मुझे कहने लगे बेटा तुम हमसे मिलने क्यों नहीं आते हो हमें कई बार तुम्हारी याद सताती है और हम सोचते हैं कि हम तुमसे मिलने के लिए आये लेकिन तुम्हें तो मालूम है कि मेरी नौकरी के चलते मैं कहीं नहीं जा सकता और तुम्हारी मामी की भी तबीयत अब ठीक नहीं रहती है। मैंने मामा जी से कहा कोई बात नहीं मामा जी मैं आपसे मिलने के लिए अब आता ही रहूंगा तो ठीक है। मेरे मामा जी कहने लगे हां बेटा तुम जरूर हमसे मिलने के लिए आना और आज तुम यहीं रुकोगे मैंने मामा जी से कहा ठीक है आज मैं आपके पास ही रुक जाता हूं। मैं उस दिन अपने मामा जी के घर पर ही रुक गया। मैं अगले दिन जब अपने घर पर गया तो सुधा घर का झाड़ू पोछा का काम कर रही थी और चाची सोई हुई थी। मैं चाची के पास गया तो चाची कहने लगी मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है मैंने चाची से कहा आपने दवा तो ले ली थी? वह कहने लगी हां बेटा मैंने दवा तो ले ली थी लेकिन उससे भी मुझे आराम नहीं मिला। मैंने चाची से कहा कोई बात नहीं आप आराम कर लीजिए कुछ समय बाद आप ठीक हो जाएंगी वह गहरी नींद में सो चुकी थी। सुधा घर मे का काम कर रही थी लेकिन जैसे ही मेरी नजर उसके बड़े स्तनों से टकराने लगी तो मैं उसे तिरछी नजरों से देखने लगा। मेरे अंदर की उत्तेजना बढने लगी जिससे मेरी जवानी ऊफान मारने लगी थी। मैंने सुधा को अपने पास बुलाया सुधा मेरे पास बैठे गई। सुधा कहने लगी साहब मुझे अभी काम करना है मैंने उससे कहा कोई बात नहीं काम बाद में कर लेना।
मैं उससे पूछने लगा तुम्हारे घर पर कौन-कौन है? वह मुझसे बात करने लगी और कहने लगी मेरे पति एक नंबर का शराबी है मैंने उसे कहा तो क्या तुम्हारे पति तुम्हारी खुशियों का ध्यान नही रखते। वह कहने लगी नही मेरे पति मेरा ध्यान बिल्कुल नहीं रखते। मैंने उसे पैसों का लालच दिया वह मेरे साथ सोने के लिए तैयार हो गई। जब उसने अपने कपड़ों को उतारना शुरू किया तो मैंने उसे कहा मुझे भी तो थोड़ा तुम्हें महसूस करने दो। उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था जैसे ही मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्लाने लगी और काफी देर तक मैं उसकी चूत का मजे लिए जा रहा था। वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लेती और मुझे कहती आप ऐसे ही चोदो ना मुझे मजा आ रहा है उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था और मुझे भी सुख का आनंद होने लगा था। मैंने जब उसकी गांड पर हाथ लगाया तो उसकी गांड काफी बड़ी थी मुझे उसकी गांड देखकर उसकी गांड मारने का मन होने लगा। आखिरकार मैंने उसकी गांड मारने का भी फैसला कर लिया था लेकिन सुधा अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार नहीं थी परंतु मैंने उसे पैसों का लालच दिया तो वह तैयार हो गई।
उसने अपनी गांड को मेरे सामने कर दी मैंने भी अपने लंड को उसकी गांड में डाल दिया। मेरा तेल लगा लंड उसकी गांड में घुसते ही उसके मुंह से चीख निकली और वह बड़ी जोर से चिल्लाने लगी। जिस प्रकार से मैंने उसे धक्के दिए उससे मेरी भी जवानी पूरी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी और मैं बहुत खुश हो गया। जब मेरे वीर्य की पिचकारी उसकी गांड में गिरी तो वह कहने लगी तुमने तो मेरी गांड फाड़ कर रख दी है। उसकी गांड से खून भी निकल रहा था मेरे लिए तो सुधा भोग विलास का सामान थी। जब भी मेरा मन करता तो मैं सुधा को अपने कमरे में बुला लिया करता और कमरा बंद कर के उसके साथ सेक्स के पूरे मजे लिया करता। सुधा को भी शायद मुझमे अपने पति की छवि दिखने लगी थी क्योंकि उसका पति तो उसके साथ कुछ करता नहीं था। मैं उसकी इच्छा पूरी तरीके से पूरा कर दिया करता जिससे कि वह खुश हो जाया करती थी। अब तो वह हमेशा मेरे लिए तड़पती रहती थी और कहती साहब आप मेरे साथ संभोग कब करोगे।
उसके बाद मैं हर रोज समय पर अपने ऑफिस पहुंच जाया करता था समय का चक्र बड़ी तेजी से घूम रहा था और मुझे काम करते हुए 6 माह बीत चुके थे। इन छह माह में मैं अब पूरी तरीके से काम सीख चुका था और चाची का सहारा भी मैं हीं था इसलिए चाची मुझसे बड़ी उम्मीद लगाए बैठी रहती थी। उन्हें जब भी कोई काम होता तो वह मुझे ही कहती कभी कबार वह मुझ पर गुस्सा भी हो जाया करती थी चाची जी का ब्लड प्रेशर कभी-कबार बढ़ जाता था जिससे कि वह मुझ पर गुस्सा हो जाती थी। मैं कई बार चाची से कहता हूं कि आप बेवजह ही गुस्सा ना हुआ कीजिए उन्हें बड़ी मुश्किल से मैं शांत कराया करता हूं। चाची की उम्र भी अब होने लगी थी वह उम्र के 60 बरस पार कर चुकी थी वह घर पर अकेली ही रहती थी इसलिए मैं चाची को कई बार कहता कि आप अपनी तबियत का ध्यान दिया कीजिए मैं सुबह ही अपने दफ्तर चला जाया करता हूं इसलिए आपको अपनी देखभाल करनी चाहिए। वह अपनी ब्लड प्रेशर की दवाइयां नहीं लेती थी और कई बार वह भूल जाया करती थी जिस वजह से उनकी तबीयत खराब रहने लगी थी।
मैंने एक दिन चाची से कहा लगता है आपके लिए घर में किसी को रखना पड़ेगा, मैंने एक नौकरानी से बात कर ली थी मैंने घर में एक मेड रख दी जो कि सिर्फ चाची की देखभाल किया करती थी। चाची कई बार उसे डांट दिया करती थी जिस वजह से वह एक दिन मुझे कहने लगी की मैं अब आपके घर से काम छोड़ दूंगी मैं चाची की डाट नहीं खा सकती चाची बेवजह ही कई बार मुझे अनाप-शनाप कह दिया करती है इसलिए मैं काम छोड़ रही हूं। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे मनाया और कहा देखो सुधा तुम कहां जाओगी यहां पर तो कोई ज्यादा काम होता नहीं है तुम्हें सिर्फ चाची की ही देखभाल करनी होती है। सुधा मेरी बात मान गई और कहने लगी ठीक है अंकित भैया मैं काम कर लूंगी लेकिन आपको चाची को समझाना पड़ेगा कि वह बेवजह ही मुझ पर इल्जाम ना लगाया करें। मैंने चाची से कहा कि चाची आप बेवजह सुधा को क्यों कुछ कहती रहती हैं चाची मुझ पर ही भड़क उठे क्योंकि यह उनके उम्र का यह तकाजा था कि वह कभी भी गुस्से में आ जाती थी। मै उनके गुस्से से काफी परेशान रहने लगा था वह बेवजह ही छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा हो जाया करती थी मैंने चाची से कहा कि लगता है अब आप बूढ़े होने लगी हैं लेकिन उस दिन उनका मूड ठीक था तो वह मुस्कुराकर कहने लगे मैं अभी से बूढ़ी नहीं हुई हूं अभी तो मैं और कुछ साल जीने वाली हूं। चाची को कई बार चाचा की याद भी आती थी तो वह मुझसे कहती थी कि कई बार मुझे तुम्हारे चाचा की याद आती है। जब चाची मेरे मम्मी पापा के बारे में बात करती तो जैसे वह पुरानी तस्वीरें मेरी आंखों के सामने आ जाया करती थी मैं उन यादों को अपने दिल में आज तक संजोए हुआ था। मेरे माता पिता की मृत्यु के बाद चाचा और चाची ने मुझे कभी कोई कमी महसूस नहीं होने दी उन्होंने मेरी बहुत ही अच्छे से परवरिश की इसलिए मेरा भी चाची के प्रति कोई फर्ज है मैं उनसे मुंह नहीं मोड़ सकता। चाची मुझसे कहने लगी अंकित बेटा तुम अब 28 वर्ष के हो चुके हो और तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए। मैंने चाची से कहा आप हमेशा मेरी शादी के पीछे क्यों पड़ी रहती हैं यदि मैं शादी कर लूंगा तो आपकी देखभाल कौन करेगा वह कहने लगी कि मेरी देखभाल करने के लिए सुधा है।
मैंने उन्हें कहा सुधा का क्या भरोसा कब काम छोड़ कर चली जाए लेकिन मैं आपकी देखभाल हमेशा करना चाहता हूं। चाची कहने लगी बेटा जब तुम्हारी पत्नी आएगी तो तुम मुझे भूल जाओगे चाची का यह मजाकिया अंदाज था लेकिन उनकी बात मेरे दिमाग में बैठ गयी इसीलिए तो मैंने अब तक शादी नहीं की थी। मुझे लगता था कि यदि मैं शादी कर लूंगा तो कहीं चाची की देखभाल में कोई कमी ना रह जाय यही सबसे मुख्य कारण था कि मैंने अभी तक शादी नहीं की थी। चाची की देखभाल अब सुधा ही किया करती थी क्योंकि मैंने चाची को कह दिया था कि आप बेवजह ही झगड़े मत किया कीजिए। शायद चाची मेरी बातों को मान चुकी थी और चाची ने मेरे लिए अब लड़कियां देखना शुरू कर दिया था लेकिन मैं नहीं चाहता था कि मैं शादी करूं क्योंकि चाची की देखभाल शायद कोई लड़की नहीं कर पाती क्योंकि चाची के गुस्सैल स्वभाव की वजह से सब लोग उनसे दूरी बनाकर रखते थे। एक दिन मेरे मामा जी का मुझे फोन आया और वह कहने लगे अंकित बेटा तुम तो हमारे घर आते ही नहीं हो तुमने तो जैसे हमारे घर का रास्ता आना ही छोड़ दिया है। मैंने अपने मामा जी से कहा नहीं मामा जी ऐसी कोई बात नहीं है मैं जरूर आपसे मिलने के लिए आऊंगा। वह कहने लगे बेटा हम से मिलने तो कभी आ जाया करो मैंने मामा जी से कहा मामा जी मैं आपसे जरूर मिलने के लिए आऊंगा।
मैं कुछ दिनों बाद अपने मामा जी से मिलने के लिए चला गया जब मैं अपने मामा जी से मिलने के लिए गया तो वहां पर सब कुछ पहले जैसा ही था मेरी मामी अभी भी मुझे उतना ही प्यार करती हैं। मामाजी मुझे कहने लगे बेटा तुम हमसे मिलने क्यों नहीं आते हो हमें कई बार तुम्हारी याद सताती है और हम सोचते हैं कि हम तुमसे मिलने के लिए आये लेकिन तुम्हें तो मालूम है कि मेरी नौकरी के चलते मैं कहीं नहीं जा सकता और तुम्हारी मामी की भी तबीयत अब ठीक नहीं रहती है। मैंने मामा जी से कहा कोई बात नहीं मामा जी मैं आपसे मिलने के लिए अब आता ही रहूंगा तो ठीक है। मेरे मामा जी कहने लगे हां बेटा तुम जरूर हमसे मिलने के लिए आना और आज तुम यहीं रुकोगे मैंने मामा जी से कहा ठीक है आज मैं आपके पास ही रुक जाता हूं। मैं उस दिन अपने मामा जी के घर पर ही रुक गया। मैं अगले दिन जब अपने घर पर गया तो सुधा घर का झाड़ू पोछा का काम कर रही थी और चाची सोई हुई थी। मैं चाची के पास गया तो चाची कहने लगी मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है मैंने चाची से कहा आपने दवा तो ले ली थी? वह कहने लगी हां बेटा मैंने दवा तो ले ली थी लेकिन उससे भी मुझे आराम नहीं मिला। मैंने चाची से कहा कोई बात नहीं आप आराम कर लीजिए कुछ समय बाद आप ठीक हो जाएंगी वह गहरी नींद में सो चुकी थी। सुधा घर मे का काम कर रही थी लेकिन जैसे ही मेरी नजर उसके बड़े स्तनों से टकराने लगी तो मैं उसे तिरछी नजरों से देखने लगा। मेरे अंदर की उत्तेजना बढने लगी जिससे मेरी जवानी ऊफान मारने लगी थी। मैंने सुधा को अपने पास बुलाया सुधा मेरे पास बैठे गई। सुधा कहने लगी साहब मुझे अभी काम करना है मैंने उससे कहा कोई बात नहीं काम बाद में कर लेना।
मैं उससे पूछने लगा तुम्हारे घर पर कौन-कौन है? वह मुझसे बात करने लगी और कहने लगी मेरे पति एक नंबर का शराबी है मैंने उसे कहा तो क्या तुम्हारे पति तुम्हारी खुशियों का ध्यान नही रखते। वह कहने लगी नही मेरे पति मेरा ध्यान बिल्कुल नहीं रखते। मैंने उसे पैसों का लालच दिया वह मेरे साथ सोने के लिए तैयार हो गई। जब उसने अपने कपड़ों को उतारना शुरू किया तो मैंने उसे कहा मुझे भी तो थोड़ा तुम्हें महसूस करने दो। उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था जैसे ही मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्लाने लगी और काफी देर तक मैं उसकी चूत का मजे लिए जा रहा था। वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लेती और मुझे कहती आप ऐसे ही चोदो ना मुझे मजा आ रहा है उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था और मुझे भी सुख का आनंद होने लगा था। मैंने जब उसकी गांड पर हाथ लगाया तो उसकी गांड काफी बड़ी थी मुझे उसकी गांड देखकर उसकी गांड मारने का मन होने लगा। आखिरकार मैंने उसकी गांड मारने का भी फैसला कर लिया था लेकिन सुधा अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार नहीं थी परंतु मैंने उसे पैसों का लालच दिया तो वह तैयार हो गई।
उसने अपनी गांड को मेरे सामने कर दी मैंने भी अपने लंड को उसकी गांड में डाल दिया। मेरा तेल लगा लंड उसकी गांड में घुसते ही उसके मुंह से चीख निकली और वह बड़ी जोर से चिल्लाने लगी। जिस प्रकार से मैंने उसे धक्के दिए उससे मेरी भी जवानी पूरी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी और मैं बहुत खुश हो गया। जब मेरे वीर्य की पिचकारी उसकी गांड में गिरी तो वह कहने लगी तुमने तो मेरी गांड फाड़ कर रख दी है। उसकी गांड से खून भी निकल रहा था मेरे लिए तो सुधा भोग विलास का सामान थी। जब भी मेरा मन करता तो मैं सुधा को अपने कमरे में बुला लिया करता और कमरा बंद कर के उसके साथ सेक्स के पूरे मजे लिया करता। सुधा को भी शायद मुझमे अपने पति की छवि दिखने लगी थी क्योंकि उसका पति तो उसके साथ कुछ करता नहीं था। मैं उसकी इच्छा पूरी तरीके से पूरा कर दिया करता जिससे कि वह खुश हो जाया करती थी। अब तो वह हमेशा मेरे लिए तड़पती रहती थी और कहती साहब आप मेरे साथ संभोग कब करोगे।