सुरभि ने अपनी चूत चुदवा ली

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Hindi sex story, antarvasna हाय गाइस कैसे हैं आप सभी ? आप सभी को सुरभि की तरफ से प्यार भरा नमस्कार | मेरा नाम सुरभि राजपूत है और मैं वाराणसी की रहने वाली हूँ | मेरी उम्र 26 साल है और मेरी शादी की बात भी अभी चल रही है लेकिन मैं इतनी सुन्दर और सेक्सी हूँ कि कोई लड़का मुझे अच्छा नहीं लगता या यूँ कहा जाए की लड़के वालो को मैं तो पसंद आ जाती हूँ लेकिन मुझे कोई लड़का पसंद नहीं आता | मेरा रंग गोरा है और मेरी हाईट 5 फुट 4 इंच है | मैं एक स्कूल में टीचर हूँ और मैंने साइंस से एम्.एस.सी किया हुआ है | आप इसे मेरी बदकिसमती कह सकते हैं कि मुझे सरकारी नौकरी करनी थी लेकिन मैंने कई बार एग्जाम दिया है पर लग नहीं पाई | खैर मैं कहानी में आती हूँ | जैसा कि मैंने आप लोगो को बताया कि मैं एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हूँ और मैं दसवी कक्षा तक के बच्चो को पढ़ाती हूँ | मैं एक टीचर तो हूँ लेकिन साथ में मैं एक मनचली लड़की भी हूँ | मुझे सेक्स के बारे में सोचना पसंद तो है ही लेकिन मुझे सेक्स करना उससे भी ज्यादा पसंद है |

पर फिर मेरी बदकिस्मती देखिये कि मुझे आज तक सेक्स करने का मौका नहीं मिला | हालाँकि मैं ब्लू फिल्म देखकर अपनी चूत की प्यास बुझा लेती हूँ पर ऊँगली कब तक साथ देगी आप ही बताओ | एक चूत को आखिर एक लंड ही समझ सकता है | खैर मैं टीचर हूँ तो एक ज्ञान की बात बता ही देती हूँ | आजकल लड़के और लड़की किसी के लिए नहीं मरते क्यूंकि |

"लड़कियों के पास भी ऊँगली है और लड़कों के पास भी हाथ है बस इतनी सी बात है |"

तो दोस्तों अब मैं आपको बताने जा रही हूँ कैसे मुझे चुदाई का स्वाद चखने मिला और मेरी बेजान चूत में एक लंड ने प्यार से जान फूँक दी | ये हादसा तब का है जब हम सारे टीचर्स कुछ नया करने के बारे में सोच रहे थे | बच्चे हमारे स्कूल के बड़े अच्छे थे बस इतना था कि उन्होंने बहार की दुनिया को अच्छे से नहीं देखा था | हम सब सोच रहे थे कि इन्हें किसी कंपनी में ले जाया जाए जिससे इन्हें पता चले वहां काम कैसे होता है पर हमारे एक सीनियर ने बताया पहले बच्चों को दुनिया की खूबसूरती दिखाओ | हम सब तैयार हो गए और सब सोचने लगे एक हफ्ते का टूर बनाते हैं जहाँ हम बच्चों को कैंप पर लेके जाएंगे | हमे पता चला पचमढ़ी एक जगह है जहाँ पहाड़ है और वहां मौसम भी सुहाना रहता है | प्रिंसिपल ने भिऊ हामी भर दी कि हम यहीं चलेंगे | यहाँ बच्चों को हरी भरी वादियाँ और एडवेंचर भी मिल जाएगा | पर ये सब मैनेज करना थोडा सा मुश्किल था क्यूंकि सफ़र थोडा लम्बा था |

इसलिए हमे फैसला लिया कि हम ट्रेन की जगह बस से जाना पड़ेगा | इससे दो फायदे थे कि हमे खाना बनाने और ले जाने की झंझट से छुटकारा मिल जाते और बच्चे भी जब चाहे बस को रुकवा कर घूम फिर सकते थे | सब से ने कहा यही सही तरीका है | पर बस अर्रंगे करने में दिक्कत हो रही थी तो मैंने अपनी एक दोस्त से कहा क्यूंकि उसके पति का ट्रांसपोर्ट का काम है | उसने हमारे लिए बस का इंतज़ाम करवा दिया | सब लोग मुझसे खुश थे और मुझे उस कैंप का कप्तान बना दिया गया | अब सब कुछ मेरे मुताबिक होना था | सबसे पहले मैंने सोचा कि स्कूल के पास इतना फंड नहीं होगा इसलिए मैंने बच्चों से कहा कि कैंप के लिए आप सब को 50 रुपये का शुल्क अदा करना होगा | सब तैयार हो गए और अगले दिन सब अपने अपने घर से पैसे लेकर आ गए | अब पैसे की दिक्कत भी ख़त्म हो चुकी थी | बस अब ये तय करना रह गया था कि हम निकलेंगे किस दिन | इसलिए मैंने सबको आईडिया दिया कि सन्डे को निकलते हैं और हम मंडे तक वहां पहुँच जाएंगे | फ्राइडे को वहां से वापस आएँगे और सन्डे को सबको आराम करने के लिए समय भी मिल जाएगा | सब तैयार हो गए और प्रिंसिपल को तो ये आईडिया बड़ा पसंद आया |

हमारे प्रिंसिपल बहुत ही अच्छे हैं वो ५५ साल के हैं पर पूरे ठरकी | हर मैडम को गलत निगाहों से देहते थे | किसी के दूध किसी की कमर बस यही सब करता रहता था बुड्ढा | कभी कभी तो मैडम लोगों की बाथरूम में झाकता था गांड देखने के लिए | पर मैं उसे पूरे मज़े देती थी क्यूंकि जैसे ही मुझे पता चलता था कि ये देख रहा है तो मैं जानबूझ कर अपनी गांड पूरी खोल देती थी | मैं मन में सोचती थी ले साले ताड़ मेरी गांड को | अब क्या करूँ मुझे बूढा लंड ही मिल जाए वही काफी है | इतनी प्यास है मेरे अन्दर | पर कुछ भी हो मुझसे वो सबसे ज्यादा ताड़ता था क्यूंकि मेरा बदन ही इस कदर का था | मुझे मन में लग तो रहा था कि कैंप में मेरी चूत के दर्शन करेगा ये मादरचोद | पर मुझे ये भी लग रहा था कि कही ऐसा न हो कि मेरी चूत की मस्त चुदाई भी मिल जाए | बस मुझे यही चाहिए था क्यूंकि मैं तो तैयार ही थी बस मौका तलाश रही थी |

और आपको एक अन्दर की बात भी बता देती हूँ मैं उससे चुदाई करवाती ज़रूर पर उसके ज़रिउये मैं ऑफिस के मालिक तक पहुँचती उससे भी चुद्वाती और उसके बाद स्कूल की प्रिंसिपल बन जाती | अब क्या करे पापी पेट और कमसिन चूत का सवाल है | बस मुझे इतना मौका मिल बस जाता तो अभी तक तो मैं आसमान फाड़ देती | पर कोई बात नहीं आज नहीं तो कल मौका तो मिलना ही था | अब आ गया हमारा सन्डे जिस दिन हम लोगों को कैंप के लिए निकलना था | बस फिर क्या था मैंने सब कुछ पैक कर लिया और सेक्सी सेक्सी ड्रेस और ब्रा पेंटी भी रख लिए मस्त वाले | जिस दिन हम निकले तो बच्चे पीछे साइड बैठे और सारे टीचर्स आगे | मुझे प्रिंसिपल ने अपने बाजू में बैठा लिया और कही वो मेरी जांघ पर हाथ फेरता तो कहीं पीछे से मेरे बूब्स पर अपना रखता | मैंने भी उसका मन रखने के लिया एक हल्का सा हाथ उसके लंड पर लगा दिया |

अरे बाप रे !! इतना करने के बाद साले को मिर्गी का दौरा पड़ गया नीचे गिर गया | इतना उतावलापन भी इंसान के लिए घातक हो सकता है अब मुझे पता चला ये साला ठरकी क्यूँ कहलाता है | बस दोस्तों अब क्या था मुझे पता चल गया था कि साले से अगर चुदाई करवानी है तो ध्यान रखना होगा नहीं तो बात बिगड़ सकती है | पर उस समय मैंने नाटक करना ज्यादा सही समझा क्यूंकि नहीं तो मेरी बेईज्ज़ती हो जाती अगर कोई समझ जाता तो | इसलिए मैंने वह कहना शुरू कर दिया सर क्या हुआ सर आपको ? उठिए सर !! सब मेरे पास आये और बस रुकी और सब कहने लगे क्या हुआ ? मैंने कहा थे अचानक से हिलते हुए मुझपर गिर गए और फिर नीचे गिर गए | फिर रमेश सर आये और उन्होंने बताया अरे सर को मिर्गी के दौरा आते हैं वही आया होगा | हम सब ने और खासकर मैंने राहत की सांस ली | थोड़ी देर बाद प्रिंसिपल उठ गया और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा तो मैंने उसे सहारा दिया और कान में कहा भोसड़ी के मरवा देता तू अभी थोडा संभल के किया कर ये सब | फिर मैंने उसे बैठाया और वो कहने लगा आप की भाषा बदल गयी | मैंने कहा मैं टेंशन में ऐसे ही बोलती हूँ | उसने कहा जो भी है मस्त है मुझे बड़ा पसंद आया तुमाहरा ये व्यहवार | मैंने कहा आगे आगे देखते जाओ बस होता क्या है ? उसके बाद उसने कहा ठीक है मुझे तो बस कैंप पहुँचने तक का इंतज़ार है |

हम सब पचमढ़ी पहुँच गए और वहां पर हमने कैंप लगाने का काम शुरू कर दिया क्यूंकि समय नहीं था और उसके बाद खाना भी बनाना था | जब मैं कैंप लगा रही थी तब वो प्रिंसिपल मेरे पीछे आकर मेरे पीछे अपना खड़ा लंड मेरी गांड पर रगड़ रहा था | अब वहां जंगले जैसा था इसलिए सब एक साथ थे पर सब अपने काम में मस्त थे इसलिए कोइ देख नहीं पा रहा था | पर फिर भी मैंने उससे कहा सुनो थोडा रुक जाओ अभी कर लेना आराम से | पर वो मादरचोद सुनने का नाम ही नहीं ले रहा था | कुछ भी हो पर मुझे मज़ा बड़ा आ रहा था | फिर कैंप लगने के बाद हम सब ने खाना बनाने के लिए आग जलाई और सब सामान लाने लगे | सबने मन बनाया था कि हम गक्कड़ भरता खायेंगे और वही बनाने के लिए सब लग गए और खाना एक घंटे बाद तैयार हो गया | सब ने मस्त खाना खाया और उसके बाद सब आग के पास बैठ गए और अपने अपने किस्से सुनाने लगे इतना करते करते ही रात के 1 बज गए और सबके सोने का समय हो गया |

अब सब अपने अपने टेंट में सो गए पर प्रिंसिपल ने अपने टेंट में उजाला कर रखा था | उसने मुझे कॉल किया और कहा जल्दी से आ जाओ | मैंने भी सोचा चली जाती हूँ बूढा लंड कितना चोद पाएगा मुझे | जैसे ही मैं उसके टेंट के अन्दर पहुंची उसने मुझे दबोच लिया और मुझपर भूखे शेर की भाँती टूट पड़ा | अब मैं एक नन्ही सी जान कितना संभाल पाती इसलिए मैंने उसे लिप मतो लिप किस दे दिया जिससे वो थोडा शांत हो जाए | पर ऐसा हुआ नहीं क्यूंकि साला मुझे ऐसे चूम रहा था जैसे कोई जन्मों का प्यासा हो | मेरे गले पर चूम रहा था और मेरी कमर पर हाथ फेर रहा था | फिर उसने मुझे नंगा कर दिया और मेरी सफ़ेद ब्रा और ब्लैक पेंटी ही बस बची थी मेरे तन पर | वो भी नंगा हो गया और जब मैंने उसका लंड देखा तो मेरे पसीना छूट गए क्यूंकि वो काफी मोटा और बड़ा था | उसने मुझे चूमा और मेरी चूत को चाटे बिना ही मेरी पेंटी साइड करके लंड घुसा दिया | मेरी चूत गीली थी इसलिए कोई दिक्कत नहीं हुयी पर मुझे दर्द हो रहा था | वो कमीना शुरू से ही मुझे स्पीड में चोद रहा था | उस्न्की चुदाई से मैं तीन बार झड़ चुकी थी पर वो नहीं झड़ा था | उसने करीब ए घंटे मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करने के बाद मेरी चूत के ऊपर अपना मुट्ठ गिराया और फिर मेरी चुदाई में लग गया | उस रात मेरी तमन्ना पूरी हो गयी | और मैं उससे कैंप के हर दिन और रात चुदी |
 
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