सेक्स की डोर तेरे हाथ में

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Hindi sex kahani, antarvasna मैं पुणे का रहने वाला हूं मैं बचपन से ही बहुत ज्यादा शर्मिला किस्म का हूं जिस वजह से कई बार मैं अपनी चीजों को किसी को बता भी नहीं सकता और मुझे बोलना भी अच्छा नहीं लगता। हम लोग जिस कॉलोनी में रहते थे उसी कॉलोनी में आज से करीब 15 वर्ष पहले आरोही का परिवार रहने आया था और आरोही का एक भाई भी है जो कि मेरी ही उम्र का था उसके और मेरे बीच में अच्छी खासी बातचीत थी। हम दोनों एक दूसरे को जानते थे और हम लोग एक साथ खेला भी करते थे मैं जब आरोही को देखता तो मुझे ऐसा लगता जैसे उसके प्रति मेरे दिल में एक अलग ही फीलिंग थी और मैं चाहता था कि मैं उसे यह सब बताऊं लेकिन मैं उसे सिर्फ देखा करता था मैं उसे कभी कुछ बोल ही नहीं पाया। कुछ समय बाद हम लोगों की बातें भी होने लगी और हम लोग जब कॉलेज में पढ़ते थे तो हम दोनों एक दूसरे से थोड़ी बहुत बातें भी किया करते थे।

आरोही को मैं हमेशा ही देखा करता था और उसे अपने दिल की बात मैं कहना चाहता था लेकिन उसे मैं दिल की बात कह नहीं पाया समय बीतता चला गया एक दिन मुझे ऐसा लगा कि जैसे आरोही भी मुझे देख कर मुस्कुरा रही है और उसे मुझसे कुछ कहना है। मैं आरोही से कुछ कह पाता उससे पहले उसके परिवार वालों ने उसकी सगाई कर दी अब उसकी सगाई हो चुकी थी मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ और मुझे अफसोस भी हुआ कि मैं बचपन से लेकर अब तक आरोही को कुछ कह ना सका। यदि मैं उससे कह देता तो शायद उसे भी मालूम पड़ जाता कि मैं उससे कितना प्यार करता हूं लेकिन मेरे अंदर हिम्मत ही नहीं हुई और आरोही की सगाई भो हो गयी थी। अब उसकी तरफ देखना या उसके बारे में सोचना भी मेरे लिए सही नहीं था इसलिए मैंने आरोही का ख्याल अपने दिमाग से निकाल दिया लेकिन मेरे दिल में अब भी आरोही के लिए वही प्यार था जो पहले था। मैं सोचने लगा यदि कभी मुझे मौका मिलेगा तो क्या मैं आरोही से इस बारे में बात कर पाऊंगा लेकिन अब शायद यह नामुमकिन था क्योंकि आरोही की सगाई भी हो चुकी थी और कुछ समय बाद ही उसकी शादी होने वाली थी।

मुझे ऐसा लगने लगा था की वह भी शायद मुझे देखने लगी है और उसके दिल में भी मेरे लिए कुछ है लेकिन मेरी ही गलती की वजह से शायद आरोही मुझे कुछ कह ना सकी और हम दोनों ही एक दूसरे के बारे में सोचते रह गए। एक बार मैं घर पर ही था तो आरोही की मम्मी आयी और वह कहने लगी बेटा तुम्हारी मम्मी कहां है मैंने उन्हें कहा आंटी वह अभी कहीं गई हुई है आपको क्या कुछ काम था। वह कहने लगे मैं आरोही की शादी का कार्ड देने के लिए आई थी उन्होंने जब मुझे आरोही की शादी का कार्ड दिया तो मुझे बहुत ज्यादा धक्का लगा और मुझे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे मेरे जीवन से खुशियां छीन गई हो। मैंने हिम्मत करते हुए आरोही की शादी का कार्ड पकड़ा और उसे मैंने टेबल पर रख दिया मैंने जब आरोही के शादी के कार्ड को टेबल पर रखा तो मैंने सोचा कि मै उस कार्ड को खोकर देखता हूं। मैंने हिम्मत करते करते हुए शादी के कार्ड को खोल कर देखा तो उसमें जो तारीख थी वह कुछ 10 दिन बाद की थी मैं यह सब देखता ही रह गया लेकिन आरोही की शादी अब तय हो चुकी थी। जिस दिन आरोही की शादी थी उस दिन वह बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी मैं सिर्फ उसे देख ही सकता था मेरे पास इसके अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था आरोही की शादी भी हो चुकी थी तो मैं बहुत ज्यादा दुखी हो गया था। मैंने कुछ दिनों तक तो किसी से कुछ बात ही नहीं की लेकिन यदि मैं किसी से यह बात कहता तो शायद वह मेरी फीलिंग को नहीं समझ पाता इसलिए मैंने किसी से भी इस बारे में कोई बात नहीं की। इस बात को करीब एक साल हो चुका था और एक साल बाद मैं इस बात को भूल ही चुका था शायद अब आरोही का ख्याल भी मेरे दिमाग से निकालने लगा था। एक साल बाद आरोही अपने घर पर आई मैंने जब उसे देखा तो उसके चेहरे पर वह रौनक नहीं थी वह काफी परेशान भी थी मुझे कुछ समझ नहीं आया कि वह इतनी उदास क्यों है।

मैंने अपनी मम्मी से पूछा कि मम्मी क्या आरोही अपने घर पर आई हुई है तो मम्मी कहने लगी हां बेटा आरोही घर पर आई हुई है और मैंने सुना है कि उसके पति और उसके बीच में कुछ ठीक नहीं चल रहा इसी वजह से वह घर पर आई है। मम्मी की यह बात सुनकर मैं बहुत दुखी हुआ क्योंकि मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि आरोही के जीवन में कोई दुख या तकलीफ होगी मैं चाहता था कि आरोही अपनी जिंदगी में खुश रहे लेकिन दुख का साया जैसे उस पर टूट पड़ा था और वह बहुत दुखी थी। मैं यह बात सुनकर काफी दुखी हुआ मैंने सोचा कि मुझे आरोही से बात करनी चाहिए मैंने एक दिन आरोही से इस बारे में बात की। हालांकि मुझे ठीक नहीं लग रहा था लेकिन मैंने फिर भी आरोही से बात की आरोही ने मुझे बताया कि उसके पति और उसके बीच में शादी के बाद ही झगड़े शुरू हो गए थे जो कि अभी तक चल रहे हैं। उसने भी मुझे बहुत हिम्मत करते हुए यह सब बताया मैंने आरोही को हिम्मत दी और कहा कोई बात नहीं सब ठीक हो जाएगा लेकिन शायद आरोही और उसके पति के बीच के झगड़े अब ठीक नहीं होने वाले थे और उन दोनों के बीच के झगड़े अब डिवोर्स तक पहुंच चुके थे। वह दोनों एक दूसरे को डिवोर्स देना चाहते थे और आखिरकार हुआ भी ऐसे ही आरोही का डिवोर्स हो चुका था और अब वह घर पर ही रहती थी। मैं जब भी आरोही को देखता तो मुझे बहुत बुरा लगता वह बिल्कुल भी खुश नहीं थी उसके चेहरे की खुशी तो जैसे उसके पति के साथ डिवोर्स होने के बाद ही चली गयी थी।

मेरे दिल में आरोही के लिए दोबारा से प्यार जागने लगा मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं आरोही के बारे में ऐसा कभी सोच लूंगा लेकिन वह जिस तकलीफ से गुजर रही थी उसका अंदाजा मुझे था मैंने आरोही से इस बारे में बात करने की सोच ली थी। एक दिन आरोही मुझे मिली तो मैंने उसे कहा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो मैं तुम्हारे साथ हूं और वह भी मेरी तरफ देखने लगी वह मेरे बारे में शायद यही सोचती थी कि मैं उससे कभी बात ही नहीं करता लेकिन अब मैं उससे इतनी बातें कैसे कर रहा हूं। मुझसे आरोही का दुख देखा नही जा रहा था इसलिए मैं उससे बात करने लगा था। एक बार आरोही ने मुझसे कहा कि क्या आप मुझसे प्यार करते थे मैं उसे कुछ जवाब नहीं दे पाया फिर मैंने उसे कहा हां मैं तुमसे प्यार करता था लेकिन मैं कभी भी अपने दिल की बात उससे कह ना सका। मुझे उस वक्त पता चला कि उसके दिल में भी मेरे लिए उस वक्त कुछ चल रहा था लेकिन शायद हम दोनों एक दूसरे से कुछ कह ना सके और फिर आरोही की शादी हो गई। मुझे इस बात का कोई दुख नहीं था मैं आरोही को अभी भी अपनाना चाहता था मैंने जब अपने घर पर इस बारे में बात की तो मेरी मम्मी ने मुझे कहा बेटा तुम्हारे पापा इस बात से बहुत गुस्सा होंगे और उनके सामने इस प्रकार की बात मत करना लेकिन मैंने पापा से भी बात की। वह मुझ पर गुस्सा हो गये और कहने लगे तुम्हें मालूम है समाज में कितनी बदनामी होती है और यदि तुम आरोही से शादी करने के बारे में सोचोगे तो उससे हमारी भी कितनी बदनामी होगी लेकिन मैं तो आरोही के साथ ही अब अपनी जिंदगी बिताना चाहता था और आरोही भी चाहती थी कि हम दोनों साथ में रहे। आरोही और मैं एक दूसरे के साथ अब ज्यादा से ज्यादा समय बिताने लगे थे हम दोनों को एक दूसरे का साथ बहुत अच्छा लगता।

मेरे माता पिता ने तो मुझे मना कर दिया था लेकिन उसके बावजूद भी मैं आरोही से मिला करता उसे मेरा साथ अच्छा लगता। एक दिन जब आरोही ने मुझे कहा कि मुझे आज कहीं घूमने के लिए चलना है क्या तुम मुझे लेकर चलोगे। मैंने उसे कहा क्यों नहीं हम दोनों साथ में घूमने के लिए निकल पड़े हम दोनों ने साथ में अच्छा समय बिताया। उसी बीच में जब आरोही को देखता तो मेरे अंदर एक अलग ही जोश पैदा हो जाता, मैं आरोही को देख कर खुश हो रहा था, शायद जो मेरे दिल में चल रहा था वही आरोही के दिल में भी चल रहा था। मैं आरोही को एक पार्क में लेकर गया उस पार्क के कोने में झडिया थी हम दोनों वहां पर चले गए। मैंने आरोही के होठों को किस करना शुरू किया और उसके रसीले होठों को किस करके मुझे बड़ा अच्छा लगा। मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसके अंदर भी एक तडप थी जो कि काफी समय से उसके अंदर दबी हुई थी। वह मेरा साथ बड़े अच्छे तरीके से देती जब उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और उसे अपने हाथों से ही हिलाना शुरू किया तो मुझे मज़ा आने लगा। वह मेरे लंड को अपने हाथों से हिलाती तो मेरे अंदर का जोश और भी ज्यादा बढ़ जाता मैंने उसे घोड़ी बनाया।

मैंने जब उसकी गांड को देखा तो मेरे अंदर एक अलग ही उत्तेजना पैदा हो गई, मैंने उसकी योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवाना शुरू किया। वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी उसकी योनि अब भी टाइट है मैं उसके स्तनों को दबाता तो वह अपनी चूतडो को मुझसे मिलाती। मुझे उसकी चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करते रहे लेकिन जब मेरा लंड पूरी तरीके से छिल चुका था तो मैं अब उसकी योनि की गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। मैंने उसकी योनि के अंदर ही अपना वीर्य को गिरा दिया जैसे ही मेरा वीर्य उसकी योनि में गिरा तो वह खुश हो गई और कहने लगी मनोज आई लव यू मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। हम दोनों वहां से बाहर आ गए लेकिन हम दोनों के बीच जो सेक्स का बंधन है वह अब तक हम दोनों को बांधे हुए हैं।
 
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