हल्की मुस्कुराहट के साथ चुदाई का अंत

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Antarvasna, sex stories in hindi: मेरी उम्र 15 वर्ष थी पापा और मम्मी के झगड़े आए दिन होते रहते थे झगड़ों का कारण सिर्फ पापा ही थे लेकिन पापा को कभी अपनी गलती का एहसास नहीं हुआ और वह हमेशा ही अपने मर्द होने का रौब मां पर जताते रहते थे। वह अपना गुस्सा मां पर उतार देते थे मां इन सब चीजों से बहुत परेशान हो चुकी थी और वह हमेशा रोती रहती थी। मां की आंखों में आंसू देख कर मुझे मां पर बहुत ही दया आती थी लेकिन मेरी उम्र इतनी नहीं थी कि मैं मां को कुछ कह पाती या फिर पिताजी को मैं कुछ समझाती। पिताजी तो अपनी अय्याशी में इतने खोए हुए थे कि उन्होंने मां को कभी प्यार और सम्मान दिया ही नहीं।

वह जब भी घर आते तो हमेशा नशे में चूर रहते थे मां के ना जाने कितने सपने थे लेकिन मां के सारे सपने चकना चूर हो चुके थे और अब मां के पास अदालत का दरवाजा खटखटाने के शिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। मां को आस पड़ोस के लोगों और हमारे रिश्तेदारों ने बहुत समझाया लेकिन मां ही जानती थी कि मां के दिल पर क्या बीत रही है। पिताजी की गलतियों की सजा अब मां को भुगतनी पड़ रही थी और आखिरकार मेरे पिताजी और मां अलग हो गए। मैं अपनी मां के साथ रहने लगी थी लेकिन कई बार मुझे अपने पिता की कमी महसूस होती थी। मेरी उम्र 22 वर्ष की हो चुकी थी और मैं अब सरकारी परीक्षा निकालना चाहती थी उसके लिए मैंने बहुत मेहनत की आखिरकार मैं अपनी मेहनत में कामयाब रही। मेरी मां बहुत खुश थी और अब जैसे मेरी मां के जीवन से काले बादल हटने लगे थे मुझे भी हमेशा मेरे पिताजी की गलतियों का एहसास था कि उन्होंने अपने जीवन में कितनी गलतियां की है। मैं अपने पिताजी से काफी वर्षों से नहीं मिली थी और ना ही मैं उनसे मिलना चाहती थी, मेरी मां के चेहरे पर अब वह सारी मुस्कुराहट वापस लौट आई थी जो पहले थी। मेरी मां चाहती थी कि मेरी शादी एक अच्छे घर में हो और मैं अपनी शादी के बाद अपने ससुराल में खुश रहूं इसलिए मेरी मां हमेशा ही मुझे कहती बेटा तुम मेरी तरह कभी गलती मत करना। मेरी मां ने भी मेरे पिताजी को कॉलेज के दिनों में अपना दिल दे दिया था और उसकी सजा वह काफी समय तक भुगत रही थी।

शादी के कुछ समय बाद मेरे पिताजी नशे में चूर रहने लगे धीरे धीरे वह मां के साथ बहुत ही बदतमीजी से पेश आते थे लेकिन अब मां उन सब चीजों को भूल कर अपने जीवन में आगे बढ़ चुकी थी। मेरा ट्रांसफर अब मेरठ में हो चुका था मैं मां से अलग नहीं रहना चाहती थी लेकिन मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम मेरठ चली जाओ आखिरकार तुम्हारी नौकरी का सवाल भी तो है। मैं मेरठ चली आई हालांकि मेरा मन सिर्फ अपने घर पर ही लगा रहता था लेकिन मुझे अपनी नौकरी भी तो करनी थी मैं जब भी मेरठ में थी तो हमेशा मां को फोन कर दिया करती। मैंने अब अपनी रहने की व्यवस्था भी कर ली थी और फिर मैंने सोचा मां को अपने पास बुला लेती हूं मैंने मां से जब इस बारे में बात की तो मां कहने लगी बेटा अभी तो मैं आ नहीं सकती लेकिन कुछ समय बाद जरूर तुमसे मिलने के लिए आऊंगी। मैंने मां से कहा देखो मां मेरा इस जीवन में तुम्हारे सिवा और कोई भी नहीं है और मैं चाहती हूं कि तुम अब मेरे साथ ही रहो। मेरी मां कहने लगी ठीक है बेटा मैं तुम्हारे पास कुछ दिनों बाद आ जाऊंगी और कुछ ही दिनों बाद मेरी मां मेरे पास आ गई क्योंकि मेरी मां ही मेरी सारी दुनिया थी और उनके सिवा मेरा जीवन में और कोई था भी तो नहीं। जब भी मेरे ऊपर बचपन में कोई कठिनाई आई तो हमेशा मां ने हीं उसका सामना किया मेरे पिताजी अपने काम पर भी ध्यान नहीं देते थे और उनके पास मेरी फीस के लिए भी पैसे नहीं हो पाते थे तब मेरी माँ ने ही काम करके पैसे कमाये। हमारे पड़ोस में ही एक आंटी रहती थी वह अक्सर हमारे घर पर आ जाया करती थी उनका मेलजोल मेरी मां से कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगा था। मेरी मां को भी उनके रूप में अच्छी दोस्त जो मिल चुकी थी लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मेरी मां और उनके बीच में ना जाने क्या बातें हो रही हैं। एक दिन मेरी मां ने मुझे कहा कि रागिनी बेटा पड़ोस की बबीता आंटी कह रही थी कि तुम्हारा हाथ अपने बेटे के लिए मांगूँ।

मैंने मां से कहा मां लेकिन ऐसे ही क्यों मैं किसी से शादी कर लूं मुझे पहले पता भी तो होना चाहिए कि वह क्या करता है। मां कहने लगी बेटा वह एक बड़ी कंपनी में मैनेजर है और एक बार तुम उससे मिल लो मैंने मां से कहा मां मैं आपकी तरह गलती करना नहीं चाहती मैं जो भी फैसला करूंगी बहुत सोच समझकर ही करूंगी। मेरी मां कहने लगी हां बेटा मैं भी चाहती हूं कि तुम मेरे जैसी गलती कभी मत करना तुम समय ले सकती हो वैसे भी बबीता ने कहा है कि रागिनी को जितना समय चाहिए वह ले सकती है लेकिन तुम एक बार उससे मिल तो लो। मेरी मां के कहने पर मुझे अमित से मिलना पड़ा जब मैं अमित से मिली तो हम दोनों के बीच बातें काफी कम हो रही थी अमित मुझसे बिल्कुल शर्माकर बात कर रहे थे। मैंने भी अमित से ज्यादा बातें नहीं की लेकिन जब अमित की बहन ने मुझे कहा कि रागिनी मैंने तुम्हारी तारीफ बहुत सुनी है मम्मी तुम्हारी बहुत तारीफ किया करती हैं तो फिर मैंने अमित से बात करना शुरू कर दिया। मैंने अमित से कहा अमित देखो मैं तुम्हें अपनी सच्चाई बताना चाहती हूं दरअसल मेरी मां के साथ बहुत ही बड़ी घटना हो गई थी जब मैं छोटी थी तो मेरे पिताजी हमें छोड़ कर चले गए थे और मेरी मां ने ही मेरी देखभाल की है। अमित मुझे कहने लगा मुझे सब कुछ मालूम है मुझे मां ने सब बता दिया था और मैं तो तुम्हारी हां का इंतजार कर रहा हूं यदि तुम हां कहो तो मैं आगे बात बढाता हूं।

मैंने अमित से कहा ठीक है अमित तुम मुझे अच्छे लगे लेकिन मैं अभी कुछ कह नहीं सकती मुझे थोड़ा समय चाहिए। मैं अपनी जिंदगी का फैसला ऐसे ही नहीं कर सकती थी मुझे भी थोड़ा समय चाहिए था उस दिन की मुलाकात हमारी बहुत अच्छी रही। जब मेरी मां ने भी मुझे समझाया कि अमित बहुत अच्छा लड़का है तो मुझे भी लगने लगा कि अमित से मुझे बात आगे बढ़ा लेनी चाहिए और हम दोनों के बीच बातें आगे बढ़ने लगी थी। अमित और मैं मिलने भी लगे थे हम दोनों की मुलाकात चार-पांच बार तो हो ही चुकी थी और अमित अपने ऑफिस जाते वक्त मुझे मिल ही जाते थे। वह जब भी मुझे देखते तो हमेशा मुस्कुरा दिया करते लेकिन अब भी हम दोनों के अंदर वही शर्म थी हम दोनों ही एक दूसरे से खुलकर बातें नहीं किया करते थे। मैं अमित की बहुत इज्जत किया करती थी लेकिन अभी भी कहीं ना कहीं मेरे दिल में वह शर्म थी। अमित के साथ मेरी भी मुलाकातों का दौर बढ़ने लगा था मैं अमित को समझने लगी थी अमित भी मुझे अच्छे से समझने लगे थे। हम दोनों एक दूसरे से मिलते रहते मुझे बहुत अच्छा लगता एक दिन मैं घर पर ही थी और उस दिन अमित का मुझे फोन आया वह कहने लगे मुझे तुमसे मिलना था तो मैंने भी अमित से मिलने का फैसला किया। हम दोनों मिले जब हम दोनों मिले तो हम दोनों के बीच पहली बार चुंबन हुआ मैं मन ही मन इतनी खुश हुई कि मैं घर में किसी को बता तो नहीं सकती थी लेकिन अपने कमरे को बंद कर के मैं बड़ी खुश थी। कुछ दिनों बाद हम दोनों की सगाई हो गई जब हम दोनों की सगाई हुई तो उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के हो चुके थे और शायद मैं भी अपने ऊपर काबू ना कर सकी। एक दिन मुझे अमित ने किस किया तो मैंने भी अमित को अपना बदन सौंप दिया था मैं अमित को दिलो जान से प्यार करती थी और वह भी मुझे बहुत प्यार करते थे।

इसी के चलते हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स करने के लिए राजी हो गए और अमित ने जब मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मैंने अमित को अपनी बाहों में ले लिया और काफी देर तक मुझे अमित किस करते रहे। जब अमित की इच्छा भर गई तो अमित ने मेरे कपड़े उतार कर मेरी ब्रा को भी उतार दिया और जब मेरे स्तनों को उन्होंने अपने मुंह में लिया तो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। पहली बार ही कोई मेरे निप्पल को अपने मुंह में ले रहा था जब मेरे अंदर बेचैनी बढ़ने लगी थी और जैसे ही अमित ने मेरे स्तनों पर लव बाइट के निशान छोड़े तो मैं अब अपने आपको बिल्कुल भी ना रोक सकी। जैसे ही मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए अमित से कहा कि तुम अपने लंड को मेरी योनि में घुसा दो तो अमित ने अपने लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया।

जैसे ही अमित का लंड मेरी योनि में प्रवेश हुआ तो मैं दर्द से चिल्ला उठी और मुझे काफी दर्द हुआ लेकिन मुझे उस दर्द में बढ़ा ही मजा आ रहा था मैंने अपने दोनों पैरों को चौड़ा किया हुआ था और अमित भी मुझे उतने ही तेज गति से धक्के मारते जितने कि मेरे मुंह से सिसकिया निकल रही थी। मेरी मादक आवाजों में भी वृद्धि हो गई थी और मेरी योनि से भी पानी बाहर बड़ी तेजी से निकल रहा था लेकिन जब अमित ने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने अमित से कहा क्या तुम्हारा हो गया। अमित कहने लगा मेरा वीर्य तुम्हारी योनि में गिर चुका है मैंने जब अपनी चूत की तरफ देखा तो मेरी योनि से वीर्य बाहर की तरफ निकल रहा था। जब मैंने अपनी योनि के तरफ देखा तो मेरी योनि से खून भी निकल रहा था और खून इतनी अधिक मात्रा में टपक रहा था कि मैंने अमित से कहा कोई कपड़ा मुझे दे दो। अमित ने मुझे कपड़ा दिया और मैं अपनी योनि को साफ करने लगी परंतु उस कपड़े से मेरी योनि साफ ही नहीं हो रही थी। कुछ देर बाद जब मैंने अपनी चूत को देखा तो मेरी योनि अब सूख चुकी थी और मैंने अपनी पैंटी पहनी। मैंने अमित से कहा आज वाकई में मजा आ गया अमित ने हल्की सी मुस्कान दी।
 
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