हेलो फ्रेंड, हाउ आर यू? मेरा नाम आशा है और मैं ४५ साल की हु. मैं दिल्ली में अपने पति के साथ रहती हु. मेरी शादी जल्दी हो गयी थी और बच्चे भी जल्दी हो गये थे, तो हम टाइम पर फारिख हो गये थे. बच्चो की शादी हो गयी और वो अपने - अपने घरो में सेटेल हो गये. बस घर में, मैं और मेरे पति ही रह गये थे. हम दोनों घर मे बोर ही होते थे. लाइफ में कुछ खास एक्स्सित्मेंट नहीं रह गया था. मेरे पति थोड़े धार्मिक प्रवति के है और उम्र के साथ - साथ उनकी सेक्स में रूचि घटने लगी थी. लेकिन, मेरे बदन की आग अभी तक ठंडी नहीं पड़ी थी फिर, एकदिन मेरी दोस्त नीलिमा से मुलाकात हुई. मैं उसको काफी अरसे के बाद मिल रही थी. उसके पति जॉब के कारण देश से बाहर चले गये थे और नीलिमा से पता चला, कि वो काफी समय बाद वापस लौटे थे. मैंने उसको घर आने को कहा और वापस घर आ गयी.
उसी सन्डे को नीलिमा अपने पति के साथ घर आई. मुझे यकीं नहीं हुआ, उसके पति को देख कर. नीलिमा मेरी उम्र के बराबर है और उसके पति भी मेरे पति के जैसे ही थे. लेकिन उनकी पर्सनालिटी और फिटनेस को देख कर मैं दंग रह गयी. क्या गठीला शरीर था. मेरी तो नज़रे उन पर से हट ही नहीं रही थी. नीलिमा ने मेरी नजरो को ताड़ लिया था और वो मेरे काम में आ कर फुन्फुसने लगी. कुछ हुआ क्या? मैंने हल्का मुस्कुरा कर उसके गाल पर प्यारा सा चपत लगा दिया. फिर मेरे पति भी आ गयी. लेकिन, मन ना लगने के कारण वो जल्दी से वहां से चले गये. नीलिमा और उसके पति शाम को वापस लौट गये. नीलिमा के पति को देख कर अब मेरे मन में हलचल उठने लगी थी और मन में मुझे उसके साथ सेक्स की चाह पैदा होने लगी. फिर मैंने धत कहते हुए, अपने सिर पर हाथ मारा और वापस अपने काम में लग गयी.
२ - ३ ऐसे ही निकल गये. फिर नीलिमा का फ़ोन आया, कि उसे कुछ शौपिंग करनी है. तो वो क्या उसके साथ चल सकती है? मैं तो फ्री थी ही, तो मैंने हाँ बोल दिया. फिर हमने खूब मस्ती की. उसने ब्रा और पेंटी की शोपिंग की. क्या मस्त सेक्सी ख़रीदे उसने. मैंने कहा - नीली, इस उम्र में? उसने कहा - क्यों भाई, नहीं पहन सकते? फिर हम एक कॉफ़ी-शॉप में घुस गये और फिर नीली ने मेरे हाथ पर हाथ रखा और बोला - कोई परेशानी हो, तो मुझे बताना. तुझे याद है ना, कि हम कॉलेज में एक - दुसरे से कुछ नहीं छिपाते थे. फिर उसने पूछा - आज जीजा जी का क्या प्रोग्राम है. मैंने कहा - कुछ नहीं. हमने तो बात करे हुए भी कई - कई दिन हो जाते है. मैं उदास हो गयी. उसने एकदम से मेरा फ़ोन लिया और उनको फ़ोन लगा दिया. उसने बोला - जीजा जी, आज आप की बीवी मेरे साथ मेरे घर में रुक रही है. दोनों सहेलिया मज़ा करेंगी. आप को कोई ऐतराज़ तो नहीं. उन्होंने मना नहीं किया.
हम दोनों सीधे ही नीलिमा के घर चले गये. नीलिमा का घर बहुत ही सुंदर था. उसके पति समीर घर पर थे. उन्होंने मुस्कुराकर मेरा अभिवादन किया और हम दोनों के कॉफ़ी बना लाये. फिर हम सब करने लगे और कुछ देर बाद, नीलिमा समीर की गोदी में जाकर बैठ गयी और उसके चेहरे को पकड़ लिया और उनके होठो को चूमने लगी. मैं एक दम से भौचक्की रह गयी. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, कि क्या हो रहा है? वो दोनों एक दुसरे को बहुत ही गरमजोशी से चूम रहे थे. लगभग १५ मिनट उनको देखने के बाद, मेरी साँसे भी तेज होने लगी थी और मैं उनको बिना कुछ कहे बस देख रही थी. इतनी ही देर में, समीर ने नीलिमा के कपड़े खोल दिए और नीलिमा ने समीर के. नीलिमा सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी और समीर सिर्फ अंडरवियर में थे. समीर में अंडरवियर के उभार को देख कर मैं महसूस कर सकती थी, कि अन्दर कितना बड़ा तूफ़ान छिपा था. फिर वो दोनों एकदम से मेरे पास आ गये और नीलिमा ने अपने होठो को मेरे होठो पर रख दिया. समीर नीलिमा का बदन चूम रहे थे.
मेरे अन्दर जो सब्र का बाँध इतने सालो से दबा पड़ा था, नीलिमा के होठो का मेरे होठो पर लगते ही टूट गया और मैंने नीलिमा के बालो को पकड़ लिया और बहुत जोर का चुम्बन करने लगी. नीलिमा ने अब समीर को इशारा किया और समीर नीलिमा को छोड़कर मेरे पास आ गये और नीलिमा के हाथ मेरे होठो को चूसने लगे. बहुत ही गरम थे वो दोनों. फिर मैंने अपने एक - एक हाथ से दोनों को सिर पकड़ लिया और उनके बालो को सहला रही थी. नीलिमा अब हट गयी थी और समीर ने मेरे चेहरे को पकड़ लिया था और वो मेरे होठो को बहुत जोर से चूस रहे थे. नीलिमा ने समीर का अंडरवियर निकाल दिया था और उनके लहराते हुए लंड को पकड लिया. क्या बड़ा लंड था, कम से कम ८ इंच का होगा. फिर उसने बिना देरी के उस लंड को अपने मुह में ले लिया. अब समीर ने मेरे सारे कपड़े खोल डाले और मेरी ब्रा पेंटी भी उतार दी और मैं उनके सामने बिलकुल नंगी हो गयी थी.
समीर ने मुझे सोफे पर लिटा दिया और खुद भी मेरे ऊपर आ गये. वो अभी भी मेरे होठो को चूम रहे थे. उन्होंने अपने आप को मेरे ऊपर गिरा लिया था और वो मेरे बूब्स को बड़ी ही बैचेनी से दबा रहे थे. नीलिमा उनके नीचे आ गयी थी और उनके लंड और उनके अन्डो को चाट रही थी. समीर की बॉडी मस्ती में चल रही और उनके बहुत बड़े औजार को मैं अपनी चूत पर महसूस कर रही थी. मुझे मज़ा आ रहा था. लेकिन मैंने अभी तक समीर को पकड़ा नहीं था. मुझे अभी भी शरम आ रही थी. नीलिमा और समीर से बात समझ गये और फिर नीलिमा मेरे ऊपर आई और मेरे कान में बोली. ये सब समीर का प्लान था. उन्होंने तुम्हारी सिचुएशन को उसी दिन भांप लिया था और फिर ये प्लान बनाया. मैं उन दोनों की तरफ अचरज से देख रही थी. फिर समीर ने अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया. मुझे तो लगा, कि मेरा हाथ जल जाएगा, बहुत ही ज्यादा गरम था.
मैंने बैचेन तो थी ही. मैंने उसे हाथ में पकड़ते थे, अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और मेरे मुह से अहहहः अहहहः ऊऊओह्ह्ह् निकलना शुरू हो गया. मैं अपनी कामुक सिसकियो पर काबू ही नहीं रख पा रही थी. समीर मेरी बैचेनी को समझ रहे थे और उन्होंने धीरे - धीरे अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया और अपने लंड को धीरे - धीरे अन्दर धकेलने लगे. मेरी चूत बहुत ज्यादा गीली थी. काफी टाइम से सेक्स नहीं किया था, तो थोड़ी टाइट थी. उनके लंड के अन्दर घुसने का मुझे पता लग रहा था. मैं तो बस बावली हो रही थी. मैंने नीलिमा के बालो को पकड़ कर नोचना शुरू कर दिया और तभी समीर ने पुरी ताकत के साथ एक धक्का मारा और उनका आधा लंड मेरी चूत में उतर गया. मेरे से इतनी जोर से चीख निकली आआआआआआआअ मर गयी. मैं और चिल्ला पाती, उससे पहले ही नीलिमा ने मेरे होठो को अपने होठो में दबा लिया और मेरी आवाज़ मेरे गले में ही दब गयी.
फिर समीर ने और तगड़ा झटका मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. मुझे लगा, कि जैसे किसी ने एक गरम छड मेरी चूत में घुसा दी हो. मैंने नीलिमा को जोर से पकड़ लिया और उसके शरीर में अपने नाख़ून गडा दिए. लेकिन नीलिमा मुझे चूमे जा रही थी. समीर की स्पीड बहुत तेज थी और वो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. तभी मुझे अपने शरीर में अकडन महसूस हुई और मैं झड़ गयी. मैंने नीलिमा के शरीर को छोड़ दिया और नीलिमा ने भी मेरे होठो से अपने होठो हटा लिए. मैं सोफे पर निढाल होकर लेट गयी और तेज - तेज साँसे लेकर अपने आप को ठीक करने लगी. तब तक समीर ने मुझे छोड़कर नीलिमा को चोदना शुरू कर दिया था और वो जोर - जोर से झटके मार रहा था और नीलिमा चिल्ला रही थी और जोर से मादरचोद और जोर . चोद मुझे
चोद साले.. हरामी कुत्ते.. चोद ना. क्या हुआ. थक गया. क्यों साले.. इसकी तोबी मस्ती में मार रहा था. मेरे टाइम पर क्या हुआ? नीलिमा के बातें सुनकर समीर की स्पीड बढती ही जा रही थी और वो बहुत जोर - जोर से चोद रहा था. कुछ ही देर में नीलिमा ने सोफे को पकड़ लिया और अपना पानी छोड़ दिया और फिर वो मेरे बराबर में आकर लेट गयी और समीर हमारे ऊपर आकर खड़े हो गये. वो अपने हाथो को तेजी से हिलाकर अपना मुठ मार रहे थे और फिर एक तेज धार के साथ उनका सारा माल मेरे और नीलिमा के ऊपर गिर गया. उनका माल मेरे पेट और मेरे बूब्स पर गिरा था. नीलिमा मेरे ऊपर आई और अपने हाथ से उसको मेरे शरीर पर मल दिया और फिर उसको चाटने लगी. फिर. हम तीनो वहीं सोफे पर लेटे रहे और सो गये. शाम को उठ कर हम बाहर डिनर के लिए गये और वापस आकर पूरी हमने ये ३सम कामलीला का मज़ा लिया.
उसी सन्डे को नीलिमा अपने पति के साथ घर आई. मुझे यकीं नहीं हुआ, उसके पति को देख कर. नीलिमा मेरी उम्र के बराबर है और उसके पति भी मेरे पति के जैसे ही थे. लेकिन उनकी पर्सनालिटी और फिटनेस को देख कर मैं दंग रह गयी. क्या गठीला शरीर था. मेरी तो नज़रे उन पर से हट ही नहीं रही थी. नीलिमा ने मेरी नजरो को ताड़ लिया था और वो मेरे काम में आ कर फुन्फुसने लगी. कुछ हुआ क्या? मैंने हल्का मुस्कुरा कर उसके गाल पर प्यारा सा चपत लगा दिया. फिर मेरे पति भी आ गयी. लेकिन, मन ना लगने के कारण वो जल्दी से वहां से चले गये. नीलिमा और उसके पति शाम को वापस लौट गये. नीलिमा के पति को देख कर अब मेरे मन में हलचल उठने लगी थी और मन में मुझे उसके साथ सेक्स की चाह पैदा होने लगी. फिर मैंने धत कहते हुए, अपने सिर पर हाथ मारा और वापस अपने काम में लग गयी.
२ - ३ ऐसे ही निकल गये. फिर नीलिमा का फ़ोन आया, कि उसे कुछ शौपिंग करनी है. तो वो क्या उसके साथ चल सकती है? मैं तो फ्री थी ही, तो मैंने हाँ बोल दिया. फिर हमने खूब मस्ती की. उसने ब्रा और पेंटी की शोपिंग की. क्या मस्त सेक्सी ख़रीदे उसने. मैंने कहा - नीली, इस उम्र में? उसने कहा - क्यों भाई, नहीं पहन सकते? फिर हम एक कॉफ़ी-शॉप में घुस गये और फिर नीली ने मेरे हाथ पर हाथ रखा और बोला - कोई परेशानी हो, तो मुझे बताना. तुझे याद है ना, कि हम कॉलेज में एक - दुसरे से कुछ नहीं छिपाते थे. फिर उसने पूछा - आज जीजा जी का क्या प्रोग्राम है. मैंने कहा - कुछ नहीं. हमने तो बात करे हुए भी कई - कई दिन हो जाते है. मैं उदास हो गयी. उसने एकदम से मेरा फ़ोन लिया और उनको फ़ोन लगा दिया. उसने बोला - जीजा जी, आज आप की बीवी मेरे साथ मेरे घर में रुक रही है. दोनों सहेलिया मज़ा करेंगी. आप को कोई ऐतराज़ तो नहीं. उन्होंने मना नहीं किया.
हम दोनों सीधे ही नीलिमा के घर चले गये. नीलिमा का घर बहुत ही सुंदर था. उसके पति समीर घर पर थे. उन्होंने मुस्कुराकर मेरा अभिवादन किया और हम दोनों के कॉफ़ी बना लाये. फिर हम सब करने लगे और कुछ देर बाद, नीलिमा समीर की गोदी में जाकर बैठ गयी और उसके चेहरे को पकड़ लिया और उनके होठो को चूमने लगी. मैं एक दम से भौचक्की रह गयी. मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था, कि क्या हो रहा है? वो दोनों एक दुसरे को बहुत ही गरमजोशी से चूम रहे थे. लगभग १५ मिनट उनको देखने के बाद, मेरी साँसे भी तेज होने लगी थी और मैं उनको बिना कुछ कहे बस देख रही थी. इतनी ही देर में, समीर ने नीलिमा के कपड़े खोल दिए और नीलिमा ने समीर के. नीलिमा सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी और समीर सिर्फ अंडरवियर में थे. समीर में अंडरवियर के उभार को देख कर मैं महसूस कर सकती थी, कि अन्दर कितना बड़ा तूफ़ान छिपा था. फिर वो दोनों एकदम से मेरे पास आ गये और नीलिमा ने अपने होठो को मेरे होठो पर रख दिया. समीर नीलिमा का बदन चूम रहे थे.
मेरे अन्दर जो सब्र का बाँध इतने सालो से दबा पड़ा था, नीलिमा के होठो का मेरे होठो पर लगते ही टूट गया और मैंने नीलिमा के बालो को पकड़ लिया और बहुत जोर का चुम्बन करने लगी. नीलिमा ने अब समीर को इशारा किया और समीर नीलिमा को छोड़कर मेरे पास आ गये और नीलिमा के हाथ मेरे होठो को चूसने लगे. बहुत ही गरम थे वो दोनों. फिर मैंने अपने एक - एक हाथ से दोनों को सिर पकड़ लिया और उनके बालो को सहला रही थी. नीलिमा अब हट गयी थी और समीर ने मेरे चेहरे को पकड़ लिया था और वो मेरे होठो को बहुत जोर से चूस रहे थे. नीलिमा ने समीर का अंडरवियर निकाल दिया था और उनके लहराते हुए लंड को पकड लिया. क्या बड़ा लंड था, कम से कम ८ इंच का होगा. फिर उसने बिना देरी के उस लंड को अपने मुह में ले लिया. अब समीर ने मेरे सारे कपड़े खोल डाले और मेरी ब्रा पेंटी भी उतार दी और मैं उनके सामने बिलकुल नंगी हो गयी थी.
समीर ने मुझे सोफे पर लिटा दिया और खुद भी मेरे ऊपर आ गये. वो अभी भी मेरे होठो को चूम रहे थे. उन्होंने अपने आप को मेरे ऊपर गिरा लिया था और वो मेरे बूब्स को बड़ी ही बैचेनी से दबा रहे थे. नीलिमा उनके नीचे आ गयी थी और उनके लंड और उनके अन्डो को चाट रही थी. समीर की बॉडी मस्ती में चल रही और उनके बहुत बड़े औजार को मैं अपनी चूत पर महसूस कर रही थी. मुझे मज़ा आ रहा था. लेकिन मैंने अभी तक समीर को पकड़ा नहीं था. मुझे अभी भी शरम आ रही थी. नीलिमा और समीर से बात समझ गये और फिर नीलिमा मेरे ऊपर आई और मेरे कान में बोली. ये सब समीर का प्लान था. उन्होंने तुम्हारी सिचुएशन को उसी दिन भांप लिया था और फिर ये प्लान बनाया. मैं उन दोनों की तरफ अचरज से देख रही थी. फिर समीर ने अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया. मुझे तो लगा, कि मेरा हाथ जल जाएगा, बहुत ही ज्यादा गरम था.
मैंने बैचेन तो थी ही. मैंने उसे हाथ में पकड़ते थे, अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और मेरे मुह से अहहहः अहहहः ऊऊओह्ह्ह् निकलना शुरू हो गया. मैं अपनी कामुक सिसकियो पर काबू ही नहीं रख पा रही थी. समीर मेरी बैचेनी को समझ रहे थे और उन्होंने धीरे - धीरे अपनी गांड को हिलाना शुरू कर दिया और अपने लंड को धीरे - धीरे अन्दर धकेलने लगे. मेरी चूत बहुत ज्यादा गीली थी. काफी टाइम से सेक्स नहीं किया था, तो थोड़ी टाइट थी. उनके लंड के अन्दर घुसने का मुझे पता लग रहा था. मैं तो बस बावली हो रही थी. मैंने नीलिमा के बालो को पकड़ कर नोचना शुरू कर दिया और तभी समीर ने पुरी ताकत के साथ एक धक्का मारा और उनका आधा लंड मेरी चूत में उतर गया. मेरे से इतनी जोर से चीख निकली आआआआआआआअ मर गयी. मैं और चिल्ला पाती, उससे पहले ही नीलिमा ने मेरे होठो को अपने होठो में दबा लिया और मेरी आवाज़ मेरे गले में ही दब गयी.
फिर समीर ने और तगड़ा झटका मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया. मुझे लगा, कि जैसे किसी ने एक गरम छड मेरी चूत में घुसा दी हो. मैंने नीलिमा को जोर से पकड़ लिया और उसके शरीर में अपने नाख़ून गडा दिए. लेकिन नीलिमा मुझे चूमे जा रही थी. समीर की स्पीड बहुत तेज थी और वो रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. तभी मुझे अपने शरीर में अकडन महसूस हुई और मैं झड़ गयी. मैंने नीलिमा के शरीर को छोड़ दिया और नीलिमा ने भी मेरे होठो से अपने होठो हटा लिए. मैं सोफे पर निढाल होकर लेट गयी और तेज - तेज साँसे लेकर अपने आप को ठीक करने लगी. तब तक समीर ने मुझे छोड़कर नीलिमा को चोदना शुरू कर दिया था और वो जोर - जोर से झटके मार रहा था और नीलिमा चिल्ला रही थी और जोर से मादरचोद और जोर . चोद मुझे
चोद साले.. हरामी कुत्ते.. चोद ना. क्या हुआ. थक गया. क्यों साले.. इसकी तोबी मस्ती में मार रहा था. मेरे टाइम पर क्या हुआ? नीलिमा के बातें सुनकर समीर की स्पीड बढती ही जा रही थी और वो बहुत जोर - जोर से चोद रहा था. कुछ ही देर में नीलिमा ने सोफे को पकड़ लिया और अपना पानी छोड़ दिया और फिर वो मेरे बराबर में आकर लेट गयी और समीर हमारे ऊपर आकर खड़े हो गये. वो अपने हाथो को तेजी से हिलाकर अपना मुठ मार रहे थे और फिर एक तेज धार के साथ उनका सारा माल मेरे और नीलिमा के ऊपर गिर गया. उनका माल मेरे पेट और मेरे बूब्स पर गिरा था. नीलिमा मेरे ऊपर आई और अपने हाथ से उसको मेरे शरीर पर मल दिया और फिर उसको चाटने लगी. फिर. हम तीनो वहीं सोफे पर लेटे रहे और सो गये. शाम को उठ कर हम बाहर डिनर के लिए गये और वापस आकर पूरी हमने ये ३सम कामलीला का मज़ा लिया.