फ़्रेन्ड से गर्ल फ़्रेन्ड बन गयी वो उस दिन

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सभी फड़कती चूतों को सलाम! पिछली स्टोरी के लिए आपके ढेर सारे मिल्स आए उनके लिए आप सब का बहुत बहुत थंक्स यार और ये स्टोरी पढ़ कर भी मेल ज़रूर करना.. और अब ज़्यादा भूमिका बनाये बिना सीधा सीधा कहानी शुरू करता हूँ.

हुआ यूँ कि वो मेरे ऑफिस में मेरे कलीग थी और मेरी अच्छी फ्रेंड थी मगर हमने उस नज़र से कभी एक दुसरे के बारे में नहीं सोचा था. उसका नाम निशा और फिगर ३६-२८-३६ का था. बोले तो एक दम मस्त. ऊपर से उसका गोरा और एकदम कसा हुआ बदन. बस देखते ही कोई भी पागल हो जाए.

उस दिन मैंने उसे काफी परेशान देखा तो पूछा- यार क्या प्रॉब्लम है?
तो उसने बताया कि वो महीने में पहले ही तीन लीव ले चुकी है और अब उसे उसकी कज़न सिस्टर कि शादी में जाना है जयपुर और बस से अगर जायेगी भी तो एक दिन में वापिस नहीं आ सकती और एच आर बोल रहा है कि एक दिन से ज़्यादा छुट्टी बर्दाश्त नहीं होगी.
मैंने तुंरत उसे बोला- टेंशन काहे कि यार मैं तुम्हें दिल्ली से जयपुर बाइक पर ले जाऊंगा, तीन घंटे में पहुँच जायेंगे और तुम अपना काम निपटा लेना फ़िर वापिस आ जायेंगे.
वो मान गई.

मगर प्रॉब्लम ये थी कि वो अपने रिलेटिव्स को ये नहीं दिखाना चाहती थी कि वो किसी लड़के के साथ आई है इसलिए मैंने बोला कि मैं वहीं कहीं घूम लूँगा या किसी होटल में रूम ले लूँगा.
वो मान गई.

हम चल दिए और मैंने उसे 12 बजे जयपुर पहुँचा दिया. अब मैंने एक होटल में रूम ले लिया और उसको बोल दिया कि जब तुम फ्री हो जाओ तो मुझे फ़ोन पर बता देना और इस होटल में आ जाना.

मैं जाते ही थक जाने के कारण सो गया और नींद तब खुली जब उसका फ़ोन बजा. तब तक शाम के 6 बज चुके थे. मैंने उसे यहाँ आने को बोला और फटाफट नहाने के लिए चला गया. जैसे ही मैं नहा कर बाहर निकला तो मैंने देखा कि निशा बेड पे बैठी है. दरअसल मैंने गलती से दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था.
अब वो भी मुझे देख कर हैरान हो गई. क्योंकि मैंने कुछ भी नहीं पहना हुआ था और टावल कंधे पे डाल कर मैं बाल पोंछता हुआ बाहर आ गया. दरअसल मेरे अंडरवियर और बनियान भी बेड पर ही थे.
उसने देखते ही सीधा मुंडी नीचे कि तरफ़ की और बोली- हाय हाय . इतना बड़ा!

मैंने फटाफट टावल लेकर नीचे बांधा और बोला- तुम्हें नोक करके आना चाहिए था!
उसने कहा- तुम्हें दरवाज़ा बंद करके रखना चाहिए था.

अब मेरे कपड़े और अंडर गारमेंट्स उसके पास थे, मैंने उससे मांगे तो उसने नहीं दिए. इतने पर मेरा कीड़ा भी जाग चुका था और मैं उसे चोदने के मूड में आ गया था, मैंने कहा- देखो या तो प्यार से दे दो वरना फ़िर तुम्हें ही भुगतना पड़ेगा अगर कुछ हो गया तो!
उसने कहा- जो होगा सो देखा जाएगा . पर मैं तो आपके कपड़े देने वाली नही.

मैं समझ गया कि भाई हरी झंडी मिल रही है, मैंने उसके पास जाकर उसका हाथ पकड़ लिया और इसी खींच तान के बीच उसके लिप्स पर स्मूच जड़ दिया.
पहले कुछ सेकंड्स तो जैसे वो विरोध कर रही थी लेकिन उसके बाद तो बस ज़बरदस्त सहयोग मिला और हमने दस मिनट तक होंठ अलग नहीं किए. बल्कि इस बीच एक दुसरे को कस के पकड़ लिया.

उसने जींस और टॉप पहनी थी और उसकी टॉप में आगे जिप लगी हुई थी. मैंने उसकी जिप को खोल दिया और उसने अपने हाथों से टॉप को अलग कर दिया अब मेरे हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स को प्रेस करने लगे. मैंने झटके से हाथ पीछे करके ब्रा का हुक खोल दिया.

उसने कहा- लगता है बड़ी आदत है ब्रा खोलने की?
मैंने बोला- सपनों में तुम्हारी ब्रा रोज़ खोलता हूँ इसीलिए मेरी जान.
और वो हंसने लगी और मेरी गर्दन पर और छाती पर चुम्बन की बरसात करती रही उसके मस्त कसे हुए बूब्स और एकदम तने हुए निप्प्ल देख कर तो मैं फ्लैट ही हो गया था.
मैंने खूब उसके चूचे चूसे और फ़िर उसकी जींस का हुक खोल दिया.

वो तो जैसे तैयार ही थी इसके लिए और उसने झट से अपनी जींस ख़ुद ही नीचे करके उतार दी और अपने जिस्म से अलग कर दी.
मेरा टावल कब मेरी कमर से खुल चुका था मुझे नहीं पता था. और मैंने उसकी ब्लैक कलर कि सेक्सी पैंटी भी उतार दी.

उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था. मैंने फटाफट उसे चाटना शुरू किया और वो कराहने लगी.
वो अभी तक वर्जिन थी और उसकी चूत बहुत टाइट थी जिसका अंदाजा मुझे तब लगा जब मैं उसकी चूत में उंगली डाल रहा था और वो मारे दर्द के रोने लगी.

तभी मैंने 69 की पोसिशन में आकर अपना लंड उसके मुंह में दे दिया वो न न करने लगी और कहने लगी- नहीं ऐसा नहीं करो, मुझे उलटी आ जायेगी.
वगैरह वगैरह!
मगर मैंने उसे समझाया- निशा अगर सेक्स का मज़ा लेना चाहती हो तो सकिंग करो, तुम्हें बहुत मज़ा आएगा.
और वो मान गई उसके बाद तो मैं उसे नीचे से गरम करता गया और उसकी नशीली चूत चाटता रहा और वो मेरा लंड चूसती रही.

फ़िर अचानक लंड छोड़ कर बोली- बस करो रोहित अब और नहीं रहा जाता.
मेरे लंड का साइज़ सात इंच और तीन इंच मोटा है. जैसे ही मैं लंड डालने लगा, वो बोलने लगी- नहीं रहने दो, ये बहुत मोटा है, मेरी चूत फट जायेगी.
मैंने कहा- मेरी जान, चिंता नहीं करो और थोड़ा सा सब्र रखो. मैं तुम्हें बिल्कुल दर्द नहीं होने दूंगा और कुछ नहीं होगा.

मैंने धीरे धीरे घुसाना शुरू किया और उसने चिल्लाना भी शुरू कर दिया. पर मैंने उसकी चीख को इग्नोर कर दिया और लगा रहा अपने काम में. बस मज़ा आ गया. दो मिनट के बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वो चीखना बंद करके नीचे से कमर हिलाने लगी.
मैं समझ गया मैंने स्पीड बढ़ा दी और लंड को और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारने लगा अब लंड पूरा अन्दर जा चुका था और उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

मैंने उसे 15 मिनट तक लगातार चोदा और इस बीच वो 3 बार झाड़ चुकी थी. जैसे ही मेरा माल टपकने वाला था उसने कहा- प्लीज़ अन्दर मत डालना.
मैंने फटाफट लंड बाहर निकला और अपना सारा माल उसके पेट और चूत के बाहर गिरा दिया.

इसके बाद हमने कई बार चुदाई का खेल खेला और हम रात को होटल में ही रुक गए और सारी रात खूब मज़ा करके नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
सुबह छह उठे और फटाफट ऑफिस दिल्ली के लिए निकले. हम आधे दिन के बाद ऑफिस पहुंचे पर मैंने अप्रोच लगा कर उसे बचा लिया और उसके बाद उसके साथ कई बार सेक्स किया.
 
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