Bhabhi Ko Yaar Se Chudate Dekhaa- Part 1

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मेरे घर के पास एक शर्मा परिवार रहता है.. उसमें पति-पत्नि और पत्नी की ननद रहती है।
ननद अभी कालेज की पढ़ाई कर रही है। उसका यह अंतिम वर्ष है.. इसके बाद उसकी शादी हो जाएगी।

इस कहानी को जब ननद ने मुझे बताया तो मैंने उसकी इस मस्त कहानी को अन्तर्वासना के माध्यम से आप सभी को लिखने का सोचा।
अब आप पढ़ें उसी की जुबानी चूत चुदाई की कहानी।

भाभी ने मुझसे कहा- अगले वर्ष आपका ब्याह हो जाएगा.. जितना पढ़ाई करना है, कर लो।
मैंने कुछ नहीं कहा।

एक दिन मैंने भाभी की डायरी देखी। पहले तो मैं उसे सरसरी निगाह से देखा तो मुझे कुछ मजेदार सी लगी.. तो मैं डायरी को चुपचाप अपने कमरे में ले जाकर पढ़ने लगी।

मैंने देखा कि भाभी का संबंध एक लड़के से था जिसका नाम अरूण लिखा था। भाभी की पहली चुदाई का वर्णन भी इस डायरी में मिल गया।
अब मैं उसे ध्यान से पढ़ने लगी।

उसमें लिखा था कि अरूण मेरे मकान मालिक का बड़ा लड़का था.. वो सुन्दर नौजवान था.. साथ ही अरुण मुझसे कुछ वर्ष छोटा था।

एक बार मैं उसके घर गई तो वो खाट पर लेट कर चादर के अन्दर अपने लंड को हिला रहा था।
मैंने खाट के नजदीक जाकर चादर खींच दी।

चादर के हटते ही अरूण का खड़ा लंड दिखाई देने लगा।
मैंने कहा- ये तुम क्या कर रहे हो.. बताऊँ तुम्हारे माता पिता को?

वो शर्मवश कुछ नहीं कह सका।
मैंने भी वो बात छुपा दी।

जब मैं घर आई तो उसका लंड मेरी नजरों में बार-बार दिखने लगा।
गोरा लंबा लंड.. जिसका सुपारा गुलाबी था।
वो अपने लौड़े को इतना घोंट चुका था कि उसका वीर्य लंड से बाहर आ चुका था।

मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने उसे अपने घर बुलाने का सोच लिया।
इसके लिए मैंने अरुण की माँ से कहा- मेरे घर पर कोई नहीं है.. मुझे अकेले सोने में डर लगता है।

उसकी माँ ने कहा- अरुण को अपने साथ ले जाओ.. ये वहीं पढ़ भी लेगा और आपके घर सो जाएगा।

मैंने उसे सोने के लिए बुला लिया।
मैं अभी 25 साल की थी और वो मा़त्र 18 साल का था।

मैंने उसे खाना खिलाया और खुद खाकर सोने के लिए अपने पलंग पर ही सुला लिया।

मैंने रात को देखा कि वो अपना पैन्ट उतार कर अन्डरवियर और बनियान में सोने गया था। उसके अन्डरवियर में उसके फूले हुए लंड पर मेरी नजर पड़ गई।

मैंने उसकी चड्डी निकाल दी.. नींद में होने के कारण उसे पता नहीं चला और अपने कपड़े उतार फेंके। उसके लंड में मैं अपने स्तनों को छुआने लगी।

वो धीरे-धीरे उस दिन जैसा कड़ा हो गया।

मैं अब उसके पैरों की तरफ मुँह करके लेट गई और उसके लंड को चूसने लगी। वो गहरी नींद में था.. जैसे ही पूरा लंड मेरे मुँह के अन्दर गया तो उसके शरीर में हलचल होने लगी।

मैंने और जोर से अन्दर चूसा तो लंड गीला हो गया।
मैंने फिर भी नहीं छोड़ा और लौड़े को चूसती रही।

मैंने कुछ देर में महसूस किया कि कोई मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा।
मैंने देखा कि वो अरूण ही था।

मैं जान गई कि वो सोया नहीं था।
मैंने अपनी चूत को उसके मुँह से लगा दिया और एक पैर को फैला दिया.. जिससे चूत आसानी से चूस सके।
वो चूत की एक फली को अपने होंठों से दबाते हुए चूसने लगा और इसी के साथ उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी।
 
मैं गर्म होती गई।
जैसे-जैसे मैं लंड पी रही थी.. वो उंगली डाल-डाल कर मेरी चूत की चुदाई करने लगा।

अब मेरी चूत एकदम भीग गई थी, मैंने उसको पकड़ कर अपने ऊपर ले लिया और उसके लण्ड को चूत में घुसाने लगी।

लंड के घुसते ही वो ‘ओेहह..’ करने लगा।

शायद यह उसका पहली बार का मामला था।

मैंने अब उसको अपने बगल में लेटा लिया और खुद लंड के ऊपर चढ़ कर चुदाई का आनन्द लेने लगी।

मैं जैसे-जैसे लंड पर चूत का भार डालती.. वे मुझे नीचे से अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर चोदने लगता।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

कुछ देर बाद मुझे अरूण का वीर्य अपनी चूत के अन्दर महसूस होने लगा।

मैं और जल्दी-जल्दी चूत को लौड़े के ऊपर-नीचे करने लगी।
उसके गर्म माल की गर्मी से मेरा भी पानी झड़ गया था।
मैं अब शांत हो गई थी।

दोस्तो, मैं अपनी भाभी की डायरी में उनके सेक्स सम्बंधों की दास्तान को पढ़ ही रही थी कि उसी समय भाभी ने मुझे आवाज लगाई।

मैंने अंत में देखा कि कोई मोबाइल नम्बर लिखा था, उसको मैंने नोट कर लिया।
अब मैं भाभी के पास चली गई।
मैंने खाली समय पर फोन किया.. तो वो अरूण का ही नम्बर था।

मैंने सोचा आज तक वो नम्बर क्यों रखे हुए हैं? क्या अब भी भाभी अरुण से चुदती हैं।

मैं खोजबीन करने लगी.. और एक दिन भाभी के मोबाइल को खोला.. तो एक बिना नाम का उसका नम्बर में फीड था।
मैं कॉल हिस्ट्री में गई.. तो देखा भाभी ने उसे 2 दिन पहले ही 2 बजे रात को फोन किया था।

मैं समझ गई.. ये मुझे जल्दी क्यों भगाना चाहती है।

एक दिन मेरे भाई को कंपनी के काम से हफ्ता भर के लिए टूर पर जाना था.. वो निकल गए।
घर में अब मैं और भाभी बस थे।

मैंने कहा- मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है मुझे आप मत उठाना.. सोने देना।
मैं अपने कमरे में आ गई।

मैंने ध्यान से सुना कि मेरे जाने के कुछ पल बाद भाभी किसी से मोबाइल पर बातें कर रही थीं- वो हफ्ते भर के लिए गए हैं.. आज आ जाओ.. ननद की तबियत भी ठीक नहीं है.. वो सो रही है।

इतनी बात के बाद उन्होंने मोबाइल बंद कर दिया।
मैंने सोने का बहाना बना कर लाईट बंद कर दी।

ठीक रात बारह बजे भाभी के कमरे से ‘ओहुहहह.. आह्ह..’ की आवाज सुनाई देने लगीं।
मैं चुपचाप से उनके कमरे की तरफ गई और छुप कर देखा.. तो दंग रह गई।

वो एक आदमी के साथ पीछे से लंड डलवा रही थीं।
वो आदमी उनकी गांड के पीछे खड़े होकर उनकी चूत की चुदाई कर रहा था।

भाभी भी मस्त होकर उसका लंड चूत में ले रही थीं।
फिर भाभी ने उस आदमी को सोफे पर बैठा दिया और छाती से छाती मिलाते हुए बैठ कर.. उसके लंड के ऊपर चूत रख कर जोर-जोर से चुदने लगीं।

वो आदमी अपने हाथों से भाभी के मम्मों को दबाए जा रहा था।

भाभी भी उस आदमी के मुँह में अपना चूचा देकर पिलाते हुए उसका लंड चूत में लेने लगीं।

कुछ देर बाद आदमी पलंग पर लेट गया और भाभी उसके लंड के ऊपर बैठ कर खुद को शांत करने की कोशिश करने लगीं।
 
वो आदमी भाभी के चूतड़ों को अपने हाथों से उठा कर नीचे से लंड की ठोकर मारते हुए भाभी की चूत को चोद रहा था।

मैंने देखा कि ये सब देखते हुए मेरी चूत में भी पानी आ गया है।
चूत में हाथ जाते ही मेरा माल बाहर आने लगा।
मैं खुद को उंगली से चोद कर अपनी आग को शांत करने लगी।

उधर कुछ देर बाद वो आदमी भाभी की चुदाई करके कमरे से बाहर आ गया और घर से जाने लगा।

मैंने उसे देख लिया था कि वो कौन आदमी है।
कौन था वो आदमी इसकी खोज करके मैं आपको अगले भाग में लिखूंगी और साथ ही क्या मेरी चूत के लिए भी कुछ इंतजाम हो पाया इसका विवरण भी लिखूंगी।

आप मुझे ईमेल कर सकते हैं।
 
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