हाय दोस्तो.. कैसे हैं आप सब.. उम्मीद करता हूँ आप सब ठीक होंगे।
मेरा नाम मनदीप सिंह है.. और मैं पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 25 साल है.. हाईट 5 फुट 8 इंच है.. लंड का साइज भी मस्त है। गाँव में रहने और कसरत करने से मेरा बदन लड़कियों को बहुत पसंद आता है। मैं शादीशुदा हूँ।
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर यह मेरी पहली कहानी है।
बुआ की देवरानी सेक्सी देसी गर्ल
यह कहानी मेरी ओर मेरी बुआ की देवरानी की है.. जिसे मैंने चोद कर औलाद का सुख दिया। उसका नाम कुलजीत कौर है.. उम्र लगभग 23 साल, कद 5 फुट 4 इंच है.. रंग गोरा है, वो एक घरेलू औरत होने के कारण थोड़ी मोटी सी थी.. पर दिखने में आकर्षक माल है।
बात अभी छः महीने पहले की है.. जब मैंने उसको चोदा था.. मगर कहानी मैं आपको पीछे से सुनाता हूँ।
कुलजीत की शादी को 4 साल हो गए थे.. पर उसको बच्चा नहीं हो रहा था। उसके पति में कोई कमज़ोरी थी, जिसका पता मुझे अपनी बुआ से उस वक्त लगा.. जब वो मेरी मम्मी को इसके बारे में बता रही थीं।
मैं उस पर लट्टू तो बहुत पहले से था और अब तो मुझे बहाना भी मिल गया था। पर मेरी मुश्किल यह थी कि मैं खेतीबाड़ी का काम होने के कारण लगभग 3 साल से बुआ के पास नहीं गया था।
कुछ दिन तक मैं इसके बारे में सोचता रहा कि उससे कैसे बात शुरू करूँ।
मैंने एक तरकीब ढूंढी
आख़िर एक दिन दिमाग़ ने एक तरीका ढूँढ ही लिया, मैंने बुआ के मोबाइल से उसका नंबर ले लिया और अगले दिन उसको फोन किया।
फोन उसने ही उठाया और मैंने जानबूझ कर अपने ही शहर का नाम लिया।
उसने ‘ग़लत नम्बर लगा है..’ कह कर फोन काट दिया।
मेरा निशाना सही लगा.. अगले दिन मैंने फिर दूसरे नंबर से फोन किया तो फिर अपने शहर का नाम लिया और कहा- मुझे मंदीप से बात करनी है।
वो बोली- कौन मंदीप?
मैंने कहा- गुरदासपुर वाला मंदीप।
तो उसने कहा- यहाँ कोई मंदीप नहीं है.. पर गुरदासपुर में हमारा एक रिश्तेदार है जिसका नाम मंदीप है।
मैंने हैरानी जताते हुए कहा- अच्छा.. यह कैसे हो सकता है.. और आप कौन हैं?
उसने कहा- मैं उसकी बुआ लगती हूँ.. लेकिन आप कौन हो और यह नंबर कैसे लग गया?
मैं बोला- मैं मंदीप का दोस्त हूँ और मैंने मंदीप को फोन लगाया था.. पर आपको लग गया.. सॉरी।
मैंने फोन काट दिया।
अगले दिन मैंने अपने असली नंबर से फोन किया तो उसने उठाया तो मैंने कहा- आप कहाँ से बोल रही हैं?
उसने कहा- तुम कौन हो?
तो मैंने कहा- मैं मंदीप हूँ गुरदासपुर से.. मैंने अपने दोस्त के नंबर पर फोन किया है, ये आपको कैसे लग गया?
उसने मुझे पहचान लिया.. जो मैं चाहता था।
तो उसने कहा- मैं कुलजीत हूँ.. तुम्हारी बुआ की देवरानी!
मैंने जानबूझ कर हैरानी जताते हुए कहा- यह कैसे हो सकता है? मैंने फोन तो अपने दोस्त के नंबर पर लगाया है।
मैंने ‘सॉरी’ बोल दिया..
तो उसने कहा- इत्तफाक से ही सही.. तुमने इसी बहाने फोन तो किया।
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. मेरे पास आपका नंबर नहीं था।
उसने कहा- चल अब तो है।
तो मैंने कहा- नहीं है.. अब भी यह मैंने अपने नंबर पर लगाया है।
मेरा नाम मनदीप सिंह है.. और मैं पंजाब के गुरदासपुर का रहने वाला हूँ, मेरी उम्र 25 साल है.. हाईट 5 फुट 8 इंच है.. लंड का साइज भी मस्त है। गाँव में रहने और कसरत करने से मेरा बदन लड़कियों को बहुत पसंद आता है। मैं शादीशुदा हूँ।
अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज पर यह मेरी पहली कहानी है।
बुआ की देवरानी सेक्सी देसी गर्ल
यह कहानी मेरी ओर मेरी बुआ की देवरानी की है.. जिसे मैंने चोद कर औलाद का सुख दिया। उसका नाम कुलजीत कौर है.. उम्र लगभग 23 साल, कद 5 फुट 4 इंच है.. रंग गोरा है, वो एक घरेलू औरत होने के कारण थोड़ी मोटी सी थी.. पर दिखने में आकर्षक माल है।
बात अभी छः महीने पहले की है.. जब मैंने उसको चोदा था.. मगर कहानी मैं आपको पीछे से सुनाता हूँ।
कुलजीत की शादी को 4 साल हो गए थे.. पर उसको बच्चा नहीं हो रहा था। उसके पति में कोई कमज़ोरी थी, जिसका पता मुझे अपनी बुआ से उस वक्त लगा.. जब वो मेरी मम्मी को इसके बारे में बता रही थीं।
मैं उस पर लट्टू तो बहुत पहले से था और अब तो मुझे बहाना भी मिल गया था। पर मेरी मुश्किल यह थी कि मैं खेतीबाड़ी का काम होने के कारण लगभग 3 साल से बुआ के पास नहीं गया था।
कुछ दिन तक मैं इसके बारे में सोचता रहा कि उससे कैसे बात शुरू करूँ।
मैंने एक तरकीब ढूंढी
आख़िर एक दिन दिमाग़ ने एक तरीका ढूँढ ही लिया, मैंने बुआ के मोबाइल से उसका नंबर ले लिया और अगले दिन उसको फोन किया।
फोन उसने ही उठाया और मैंने जानबूझ कर अपने ही शहर का नाम लिया।
उसने ‘ग़लत नम्बर लगा है..’ कह कर फोन काट दिया।
मेरा निशाना सही लगा.. अगले दिन मैंने फिर दूसरे नंबर से फोन किया तो फिर अपने शहर का नाम लिया और कहा- मुझे मंदीप से बात करनी है।
वो बोली- कौन मंदीप?
मैंने कहा- गुरदासपुर वाला मंदीप।
तो उसने कहा- यहाँ कोई मंदीप नहीं है.. पर गुरदासपुर में हमारा एक रिश्तेदार है जिसका नाम मंदीप है।
मैंने हैरानी जताते हुए कहा- अच्छा.. यह कैसे हो सकता है.. और आप कौन हैं?
उसने कहा- मैं उसकी बुआ लगती हूँ.. लेकिन आप कौन हो और यह नंबर कैसे लग गया?
मैं बोला- मैं मंदीप का दोस्त हूँ और मैंने मंदीप को फोन लगाया था.. पर आपको लग गया.. सॉरी।
मैंने फोन काट दिया।
अगले दिन मैंने अपने असली नंबर से फोन किया तो उसने उठाया तो मैंने कहा- आप कहाँ से बोल रही हैं?
उसने कहा- तुम कौन हो?
तो मैंने कहा- मैं मंदीप हूँ गुरदासपुर से.. मैंने अपने दोस्त के नंबर पर फोन किया है, ये आपको कैसे लग गया?
उसने मुझे पहचान लिया.. जो मैं चाहता था।
तो उसने कहा- मैं कुलजीत हूँ.. तुम्हारी बुआ की देवरानी!
मैंने जानबूझ कर हैरानी जताते हुए कहा- यह कैसे हो सकता है? मैंने फोन तो अपने दोस्त के नंबर पर लगाया है।
मैंने ‘सॉरी’ बोल दिया..
तो उसने कहा- इत्तफाक से ही सही.. तुमने इसी बहाने फोन तो किया।
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. मेरे पास आपका नंबर नहीं था।
उसने कहा- चल अब तो है।
तो मैंने कहा- नहीं है.. अब भी यह मैंने अपने नंबर पर लगाया है।