Chacheri Bhabhi Ne Chut Dikha Kar mujhse Chudwaya- Part 2

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अब तक आपने पढ़ा..
मेरी चचेरी भाभी की चूत देखने के चक्कर में मुझे पहले तो उन्होंने डांटा फिर उनकी खुद की चूत दिखाने की इच्छा जागृत हो गई।
अब आगे..

पेंटी में बन्द चूत
मैं उनके अन्दर की गुलाबी मस्त पेंटी जो कि उनकी चूत में उतरी हुई थी.. उसे देख कर दंग रह गया। उनकी पेंटी ऊपर से थोड़ी भीगी हुई थी.. शायद उनकी चूत का मूत लगा हुआ था।

वो अपनी पेंटी उतार ही रही थीं कि मैंने बोला- भाभी थोड़ी देर रुक जाइए.. मुझे ऐसे ही देखना है।
इस पर वो रुक गईं और हँसने लगीं।

जैसे ही मैंने भाभी की पेंटी को छूने की कोशिश की.. वो पीछे हट गईं और बोलीं- हमारी शर्त क्या थी?
इस पर मैंने कहा- तो फिर आप खुद इसे निकाल दीजिए।

उन्होंने बड़े ही कामुक तरीके से उसे उतार फेंका।

भाभी की नंगी चूत
वो नीचे से पूरी नंगी खड़ी थीं और मैं उनकी बिना बाल की चिक चूत को देख कर खुश हो गया। वाकयी में भाभी की चूत कमाल की चूत थी.. बिल्कुल पाव रोटी की तरह उभरी हुई और एकदम साफ चूत थी।

वो खड़ी हुई अपनी कमीज ऊपर उठाए पकड़ कर खड़ी थीं.. तो मैंने थोड़ी चालाकी करते हुए उनसे कहा- इसे पकड़े रह कर आप थक जाएंगी.. इसे भी निकल दीजिए ना।

इस पर वो मेरा कान पकड़ कर बोलीं- आप बड़े ही होशियार हो.. क्या सब कुछ आज ही देखना चाहते हो?
मैंने कहा- अगर आप की मर्जी हो तो..
इस पर उन्होंने बोला- आज सिर्फ नीचे का ही लाभ मिलेगा.. बाकी फिर कभी।

अब मैं समझ गया था कि आज वो पक्का ही चुदेंगी। लेकिन मुझे बड़े ही सब्र से काम लेना था.. कहीं हाथ आई हुई बाजी बिगड़ न जाए।

दोस्तो, ऊपर वाले ने चूत भी कमाल की चीज बनाई है.. ऊपर से देखो तो कुछ भी नहीं.. और चौड़ा करो तो क्या कुछ उसमे न समां जाए।

मैंने भाभी से कहा- ऐसे तो कुछ ठीक से दिखाई ही नहीं देता है.. आप प्लीज़ सोफे पर बैठ जाएं ना।
इस पर वो जाकर सोफे पर बैठ गईं।

मगर उन्होंने अब भी टांगें नीचे लटकाई हुई थीं.. तो मैंने कहा- भाभी टांगें तो ऊपर कीजिए ना।

इस उन्होंने टांगें ऊपर करके चौड़ी कर दीं अब मेरे सामने चूत की जन्नत का नजारा खुला हुआ था.. पर मैं तो अभी और अन्दर जाना चाहता था।

थोड़ी देर मैं चूत की छटा को देखता रहा फिर मैंने कहा- भाभी इतना तो मैं पहले भी देख चुका हूँ.. कुछ और दिखाइए ना।
भाभी बोलीं- और क्या दिखाऊँ?
मैंने कहा- अपनी चूत थोड़ी चौड़ी कीजिए ताकि मैं आपकी चूत की जन्नत का रास्ता देख सकूं।

इस पर वो हँस पड़ीं और बोलीं- आप जितने सीधे दिखते हो.. उससे कई ज्यादा शैतान हो देवर जी।
मैंने कहा- मैं तो संत ही था भाभी.. आपकी इस चिकनी चूत ने शैतान बना दिया।

इस पर उन्होंने कहा- देवर जी ये वो कुआं है.. जिसमें उतरने के बाद कोई वापस नहीं आता।
मैंने भाभी से कहा- जो भी हो भाभी.. मुझे इसमें उतरना है।
इस पर उन्होंने कहा- जैसी आपकी मर्जी..

अब भाभी पूरी तरह लाइन पर आ चुकी थीं। इतना कहते ही उन्होंने चूत की दोनों फांकें पकड़ कर अपनी चूत चौड़ी कर दी। मैं तो उनकी चूत की गुलाबी गली को देखता ही रह गया.. एकदम तर गुलाबी चूत और उसका छोटा सा छेद।
 
मैं ये सोच रहा था कि एक शादी-शुदा और दस साल की बेटी की माँ की चूत का छेद इतना छोटा कैसे हो सकता है।

भाभी की चूत की खुशबू
थोड़ा उनके नजदीक जाकर मैं बिल्कुल उनकी चूत के पास बैठ गया.. जैसे ही मैंने उसे छूने के लिए हाथ बढ़ाया.. उन्होंने मुझे अपनी शर्त याद दिलाई।
इस पर मैंने कहा- मैं इसे छूना नहीं चाहता.. मैं तो सिर्फ इसकी खुशबू महसूस करना चाहता हूँ।

इस पर उन्होंने कुछ नहीं कहा।

मैं जैसे ही अपना नाक उनकी चूत के नजदीक ले गया और एक जोर की सांस ली.. एक अजीब सी खुशबू मेरी नाक में भर गई।

उस खुशबू में थोड़ी सी उनकी मूत की भी खुशबू महसूस हुई क्योंकि वो अभी-अभी ही मूत कर आई थीं.. पर क्या बताऊँ दोस्तो कितनी मादक और कमाल की खुशबू थी।

मैं थोड़ी देर उनकी चूत को सूँघता ही रहा.. फिर मैंने चालाकी करके अपनी नाक से उनकी चूत का दाना छू लिया और वहाँ रगड़ने लगा।

वो सिसिया कर बोलीं- आह्ह.. देवर जी क्या कर रहे हो.. कभी चूत नहीं देखी क्या?
मैंने कहा- इतनी करीब से कभी नहीं देखी भाभी और इसकी खुशबू इतनी मस्त है कि मुझसे रहा नहीं गया।

इस पर उन्होंने अपने पैर थोड़े से और फैला दिए.. जिससे उनकी चूत थोड़ी और चौड़ी हो गई।

अब मैंने नाक से उनका दाना रगड़ना शुरू कर दिया और इस बीच कभी-कभी उनके छेद में भी नाक घुसा दिया करता था। अब उन पर सेक्स का खुमार चढ़ने लगा था।

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद उन्होंने चूत से अपने हाथ हटा लिए और मेरे सर पर रख दिए।

भाभी की चूत चाटी
अब मैं अपनी जीभ से उनकी चूत चाटने लगा.. वो अब मदहोश हो रही थीं और बोल रही थीं- आह्ह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… देवर जी.. क्या कर रहे हो!

मैंने कुछ जवाब नहीं दिया और अपना काम चालू रखा, अब भाभी मेरा सर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थीं।

इस बीच मैं कभी उनकी चूत के अंदरूनी फलक को काट भी लेता था.. तो कभी उनका दाना खींच कर चूस लेटा था। वो मेरी इन हरकतों से सिहर उठती थीं। सच में क्या मस्त चूत थी मेरी भाभी की।

भाभी अब जोर-जोर से आहें भर रही थीं और अपनी गांड उचका कर मेरा सर अपनी चूत पर दबाकर चूत को मजे से चटवा रही थीं।

इस दौरान अब भाभी थोड़ा पानी छोड़ने लगी थीं, मैं समझ गया कि आज मेरा नसीब खुलने वाला है और साथ मैं उनकी चूत का छेद भी मेरे लंड के लिए खुलने वाला है।

अब मैंने अपने दोनों हाथों से उनकी जांघें पकड़ कर सोफे में आगे को खींच लीं ताकि मैं अच्छे से उनकी चूत को चाट सकूँ।

क्या बताऊँ.. उनकी चूत इतनी टेस्टी थी कि जी करता था कि खा जाऊँ.. सो बीच में मैंने अपने दांतों से धीरे से उनके दाने को काट लिया, इस पर उनकी ‘आह..’ निकल गई और भाभी मुझसे बोलीं- आह्ह.. धीरे देवर जी.. सच में खा जाओगे क्या?

थोड़ी देर मैं ऐसे ही भाभी की चूत चाटता रहा। अब उनकी चूत की खुशबू और भी मादक हो गई थी क्योंकि अब भाभी की चूत पानी छोड़ रही थी।

भाभी अपनी आँखें बन्द करके अपनी चूत को चटवाने का मजा ले रही थीं।

इस बीच मैंने अपना लंड पैन्ट से बाहर निकाल लिया था.. जो कि अब पूरी तरह टाईट हो गया था शायद मेरा लंड इतना टाईट पहले कभी नहीं हुआ था।
 
अब मैंने अपने हाथों से भाभी की चूत की दोनों फांकों को चौड़ा किया और अन्दर तक उनकी चूत चाटने लगा।

गीली चूत में उंगली
इस बीच मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी। पहले तो भाभी थोड़ा कसमसाईं.. फिर अपनी टांगें ऐसे चौड़ी कर लीं जिससे मुझे भाभी की चूत में उंगली डालने में आसानी हो।

मैं एक तरफ उनकी चूत चाट रहा था और एक तरफ उनका जी-स्पॉट भी टटोल रहा था। अब भाभी पूरी तरह मेरे काबू में आ चुकी थीं और लगातार अपनी चूत से पानी छोड़ रही थीं।

जब भाभी चरम सीमा तक पहुँच जातीं.. तो गांड ऊँची करके मेरा सर इतना दबा देती थीं कि मुझे घुटन सी होने लगती थी।

यहाँ पर मैं एक बात कहना चाहूँगा दोस्तो.. कि मैं हमेशा से ही सेक्स बारे में लड़कियों को किस्मत वाला समझता हूँ क्योंकि वो जितनी देर चाहें सेक्स कर सकती हैं। लड़कियां जितनी बार चाहें अपना पानी छोड़ सकती हैं। हम लड़कों तो चोदते वक्त भी ये ख्याल रखना पड़ता है कि कहीं झड़ न जाएं.. वर्ना दोबारा लंड महाराज को तैयार होने में वक्त लग जाएगा।

मैंने सोचा शायद मैं सीधा बोलूँगा तो भाभी मुझे चोदने नहीं देंगी.. इसलिए कोई आईडिया लगाना पड़ेगा।

तो मैंने थोड़ा और आगे बढ़ने का सोचा.. अब मैं भाभी की चूत चूसने के साथ अपने दोनों हाथों से उनके चूचे मसलने लगा।

थोड़ी देर बाद उन्होंने खुद ही अपनी कमीज़ ऊपर कर दी ताकि मैं अच्छे से उनके चूचे मसल सकूँ।

अब मैंने भी थोड़ी हिम्मत करके उनकी ब्रा ऊपर करके उनकी निप्पल उमेठ कर ट्यूनिंग करने लगा.. जैसे हम रेडियो में स्टेशन मिलाने के लिए किया करते थे। मुझे यहाँ अपनी भाभी की चुदाई का स्टेशन सैट जो करना था।

इस बीच मैंने थोड़ा आगे बढ़ते हुए भाभी की नाभि को चूमना शुरू कर दिया। मैं कभी उनकी नाभि में जीभ घुसाता तो कभी चूत में जीभ अन्दर तक डाल देता।

दोस्तो.. भाभी सच में अब अपने आपे से बाहर हो चुकी थीं और मेरे काबू में आ गई थीं। वो अपनी आँखें बंद किए हुए चूत चटवाने का मजा ले रही थीं।

भाभी की चूत की चुदाई का मंजर अगले भाग में खुल कर लिखूँगा.. मेरे साथ बने रहिए और अपने मेल जरूर कीजिएगा।
 
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