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अध्याय 1
माता
पिता के देहांत के बाद पुरे घर की जिम्मेदारी मेरे कंधो पर पड़ी थी, मैं शहर में रहता था जबकि मेरे परिवार के अन्य लोग पास के गाव में ,गाव में ऐसे तो पूरा परिवार था पर बटवारे की वजह से कोई अपना कहने को ना था मैं सालो से बहार रहकर ही पढाई की थी और फिर यही जॉब भी करने लगा ,मेरे कॉलेज की एक लड़की काजल से मेरा अफेयर था सोचा था की थोडा सेटल होने के बाद माँ को सब बता दूंगा पर अचानक हुए इस वाकये से मैं स्तब्ध रह गया ,मेरे परिवार में मेरी दोनों छोटी बहनों की जिम्मेदारी अब मेरे ऊपर थी,मैंने उन्हें अपने पास शहर ले आया और उनकी पढ़ाई की व्यवस्था भी यही कर दि,पूर्वी मेरी छोटी बहन थी जो अभी स्कूल में थी और बड़ी शरारती थी और दूसरी निशा अभी स्कूल से निकली थी और उसे यहाँ के कॉलेज में दाखिला करा दिया था,कुछ दिनों के बाद मैंने काजल से शादी भी कर ली ,ताकि हम दो कमाने वाले हो जाए शादी हमने कोर्ट में की थी जिसमे बस मेरी दोनों बहने और काजल के पापा , भाई वरुण ,और भाई का दोस्त सुशांत आये थे ,काजल की माँ भी गुजर चुकी थी ,काजल और मैं अलग अलग होटल्स में मेनेजर थे...मैंने अपने बड़े काम निपटा दिए और टेंशन फ्री हो गया मैंने अपनी बहनों से कह रखा था की जो लड़का तुम्हे पसंद आये उससे तुम्हारी शादी करा दूंगा,मेरी बहने गाव में रहने के कारन बहुत ही शर्मीली थी लेकिन मुझे क्या पता था की शहर की हवा में क्या जादू होता है,
कहानी
तब से शुरू होती है जब मैं अपने होटल के काम से एक दूसरे होटल में गया था,हमारे शहर में कुल 5 बड़े होटल्स थे जिसमे हमेशा बहुत जादा प्रतियोगिता होती थी ,मैंने और काजल ने अपनी शादी की बात तक इसलिए छुपाई थी की कही हमें नौकरी से इसलिए ना निकल दिया जाय की हम दोनों प्रतियोगी होटल्स में काम करते है,मेरे होटल के मालिक कपूर साहब थे और काजल के होटल के मालिक खान साहब दोनों में कट्टर दुश्मनी थी,दोनों बहुत रसूखदार लोग थे और हर चीज में प्रतियोगी थे ,ये सब तबसे शुरू हुआ था जबसे कपूर साहब की बेटी ने खान के बेटे से शादी कर ली सब बढ़िया था पर खान का लड़का अजीम बड़ा आइयाश किस्म का था सो दोनों का तलाक हो गया और दोनों नामी घराने एक दूसरे के दुश्मन ...मैं मेहता एंड संस के होटल में पंहुचा मुझे मेहता साहब के साहबजादे रवि से मिलाना था,मैं रवि के केबिन में पंहुचा ही था की वह के मेनेजर किशन ने मुझे रोक लिया ..
'अबे
क्या कर रहा है ,रवि साहब अभी बिजी है ,'हम सभी होटल के मैनेजरों को अच्छी तरह पहचानते थे,और हमारी दोस्ती भी ठीक ठाक ही थी ,
'अबे
मुझे रवि ने खुद बुलाया था ,कुछ काम था उन्हें ,'
'बुलाया
होगा मेरे भाई पर समझा कर साला रवि अभी यहाँ की HR के साथ लगा हुआ है,अपनी ठरक मिटने दे उसे फिर मिल लेना,'HR का नाम सुनते ही मेरे मुह में पानी गया ,नाम था शबनम क्या माल थी
' साला
रवि बड़ा खुश किस्मत है यार,'
'साले
तेरे पास उतने पैसे होंगे ना तो तू भी खुशकिस्मत हो जायेगा ,साली को पैसे चाहिए और रवि को उसकी जवानी ,बेचारा उसका पति जितना उसने उसे नहीं चोदा होगा उतना तो रवि ने इसे चोद लिया है,'किशन हँसाने लगा,मैंने अपना सर धीरे से उसके केबिन के दरवाजे से लगाने की कोशिस की वह से शबनम की आँहो की आवाजे मुझे साफ़ सुनाई दे रही थी ,,
'साला
क्या चोद रहा है बे कितना चिल्ला रही है,'
'अरे
कुछ नहीं साली रांड है ,उसे खुस करने के लिए चिल्लाती है,'
'साले
तुझे कैसे पता ,'मैंने आँखे बड़ी कर उससे पूछा,
'अबे
मैंने भी ली है उसकी जब रवि हॉलिडे पर था ,'किशन ने अपने दांत निकल दिए ,मैं आश्चर्य से उसे देखने लगा,
'भाई
मेरी भी कुछ सेटिंग करा दे ना मैं भी उसकी ले लू ,साली कमल की लगती है बे,'मैंने अपनी आँखों में हवास भर कर कहा,
'करा
दूंगा पर तुझे मेरी सेटिंग उस खान के होटल वाली मेनेजर से करना पड़ेगा क्या नाम है उसका हां काजल साली चलती है तो लगता है की पकड़ के पेल ही दू,'काजल का नाम सुनकर मेरे दिल की धड़कन ही बड गयी /
'साले
वो खान के होटल की है तुझे तो पता है ना,अपना कैसा है वहा से और काजल शादीशुदा लड़की है बे और बहुत संस्कारी भी है,'
'हा
जनता हु साले उसके संस्कार,मुझे तो लगता है वो खान का लवंडा उसे फुल पेलता होगा उसके होटल की माल को वो कैसे छोड़ देगा,और उसके पति का तो अता पता भी नहीं है ,सुना हु किसी दुसरे जगह रहता है,और तू साले हमें चुतिया ना बना साथ साथ गार्डन जाता है ना उसके ,वो भी अपने बहनों के साथ ,साले तू उसे चोदे और हमे बोले संस्कारी ,'मेरा चहरा लाल पड़ने लग गया मुझे समझ नहीं रहा था की इसे क्या कहू,और इसने जो आजिम के बारे में कहा उससे मेरा दिल ही दहल गया था मुझे इतना तो पता था की अजीम बहुत ही कमीना लड़का है,
'अबे
वो मेरे बहनों की दोस्त है इसलिए ,चल छोड़ इस मादरचोद का काम कब पूरा होगा,'
'हो
जायेगा,अभी तो चालू हुआ है चल काफी पीते है,'मैं बुझे मन से उसके साथ चलने लगा,...
 
आध्याय 2
कपूर
साहब आज बहुत गुस्से में थे और मैं सर झुकाए खड़ा था,
'क्या
कर रहे हो हो तुम,एक इतना बड़ा प्रोजेक्ट हाथ से चला गया ,आखिर रवि क्यों नहीं माना तुमने तो उससे बात की थी ना ,
'सर
मैं क्या कर सकता हु,उन्होंने ऑफ़र किया था की उन्हें लड़की चाहिए तभी वो बात को बढाएंगे और मैं कहा से लड़की लाता,पता नहीं खान साहब ने कहा से लड़की का जुगाड़ कर दिया...'कपूर साहब ने मुझे खा जाने वाली नजर से देखा
'अबे
मादरचोद मुझे क्यों नहीं बोला वो साला खान अपनी मेनेजर को भेज दिया होगा .साले तेरी जगह मैं भी कोई लड़की ही रख लेता हु...'मैं फिर काजल के बारे में सोचकर अपसेट हो गया
'सर
ऐसा नहीं है ,;तभी कमरे में कपूर साहब ही बेटी रश्मि आई
'पापा
आप इसे क्यों डांट रहे है,मैं इससे बात करती हु ,तुम बाहर चलो ,,'मेरी तो फटी पड़ी थी मैं अपने को सम्हालता हुआ उसके पीछे चला गया वो उस रूम में पहुची जो उसके लिए रखा गया था,
'हम्म्म्म
तो क्या नाम है तुम्हारा,'
'मेडम
देव '
'हम्म्म
मेनेजर साहब ,अब से पापा की बात मानने की जरुरत नहीं ही समझे,और वो काजल क्या लगती है तुम्हारी,'काजल का नाम सुनकर मेरी फट के चार हो गयी,
'नहीं
मेम कुछ नहीं 'रश्मि ने मुझे बड़े प्यार से देखा मैं नजर झुके खड़ा था,
'साले
मैं पापा नहीं हु ,और ये मत समझना की की अजीम से मेरी शादी इसलिए टूटी क्योकि वो ऐयाश था ,असल में मैं भी उतनी ही ऐयाश हु पर बस मैं लड़की हु ना कोई चीज खुलके नहीं कर सकती ,अब बता क्या सम्बन्ध है तेरा और काजल का ,'मुझे समझ ही नहीं रहा था की मैं क्या बोलू,
'सुन
बे देव मुझे नहीं पता की तुम दोनों के बीच क्या है पर मैं अब तेरी मालकिन हु और मुझे उन खान लोगो के होटल की वाट लगानी ही तू समझ जा ,बोल क्या प्लान है तेरे पास की सब ठीक हो जाये,'मैं फिर कुछ नहीं बोल पा रहा था ,वो मुझे गुस्से से देखि ,
'अच्छा
सुन ,अब से अगर कोई कस्टमर तुम्हे बोले की रात का जुगाड़ है क्या तो क्या बोलोगे,'
मैं
थोडा डरा हुआ था
'मेडम
दारू या लड़की 'मेम के होठो पर मुस्कान गयी
'साले
दोनों के बारे में पूछ रही हु,'
'मेडम
दारू तो मिल जाएगी पर लड़की कहा से,...'मैं बोलते बोलते हुए रुक गया,
'साले
तेरे जैसे मेनेजर के कारन ही ये होटल घाटे में जा रहा है,दोनों में हां बोलना और मुझे बताना समझा ,'मैं थोड़ी देर आश्चर्य से उन्हें देखा फिर हां में सर हिलाया ,
'और
तेरा जो भी है ,आजिम की उस रांड काजल के साथ उसे युस कर समझा थोड़ी ना तेरी बीवी है तेरे बहनों की दोस्त बस है ना'अब तो सच में मेरी फट गयी मेरे आँखों से आंसू आने को थे पर मैंने बड़े मुस्किल से उन्हें सम्हाला और हां में सर हिलाया ये तो मैंने किशन को बताया था उसने कब इन्हें बता दिया पर सबसे सवाल ये था की क्या सच में काजल ऐसी है?????

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अध्याय 3
आज
मैं बहुत ही बेचैन सा अपने घर में गया ,वह देखा तो मेरी दोनों बहने पढ़ने में लगी थी काजल अभी तक नहीं आई थी,मैंने काजल को फ़ोन किया
'कहा
हो जान ,'मैंने उत्सुकता से पूछा ,
'अभी
तो मैं (उसकी आवाज नार्मल नहीं थी )वो अजीम सर के साथ हु ,सुनो ना मीटिंग है और लेट हो सकता है और पूर्वी को बोल देना की खाना बना दे ओके बाय,'कहकर उसने कॉल काट दिया मेरे मन की बेचैनी और बढ़ गयी थी मैंने पूर्वी को खाना बनाने को बोल अपने रूम में चला गया मैंने उन्हें बोला की मेरे सर में दर्द है और मैं सोने जा रहा हु ,खाना बना के खा के सो जाना और उठाकर खा लूँगा या जब काजल आएगी खा लूँगा,
मैं
अपने कमरे में जाकर ऐसे ही लेटा सोच रहा था की मेरे रूम में निश गयी मैंने उसे देख थोडा गुस्सा दिखाया ,
'मैंने
कहा था ना की सर में दर्द है ,क्या हुआ आराम करने दे मुझे चल जा,'वो बिना कुछ बोले मेरे बिस्तर के पास गयी और उसके हाथो में एक तेल था मेरे सिरहाने बैठ के मेरा सर दबाने लगी और तेल लगाने लगी ,उसके हाथो के कोमल अहसास और उसके प्यार भरे स्पर्श ने मुझे बहुत शुकून दिया मैंने उसे सर उठा कर देखा तो वो मुझे देख मुस्कुरा रही थी,मैंने उसके गोद में अपना सर रख लिया और अपने हाथो को उसके कमर से बांध लिया,वो मेरे सर को सहलाती और मालिश करती रही ..थोड़ी देर में ही मेरी आँखे लग गयी और जब मैं उठा तो देखा की रात के 11 बज चुके थे मुझे लेटे 2 घंटे हो चुके थे काजल शायद अभी भी नहीं आई थी और मैं अब भी निशा के गोद में ही सोया था,मेरे हलचल होने से उसकी भी नींद टूटी वो मेरे बालो को प्यार से सहलाई..
'अब
कैसा लग रहा है भईया,'
'मेरी
प्यारी बहन ने मालिश की है अच्छा ही लगेगा ना,इधर आ..'वो मेरे ऊपर झुक गयी और मैंने उसके गालो को चूम लिया मैं वहा से उठा उसका प्यार देखकर मेरा दिल हल्का हो गया था,मैंने उसे खाना बनाने को कहा और साथ ही खा कर सो गया ...काजल को काल किया पर उसने नहीं उठाया ,ये हमारे काम में अकसर होता था की हमें रात में भी काम करना पड़ता था और ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था पर आज मैं दुखी था ,पता नहीं क्यों पर मैं दुखी था मुझे काजल का यु मेरा फोन ना उठाना और रात भर बहार रहना अच्छा नहीं लग रहा था,...

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अध्याय 4
मेरी
आंखे खुली तो मैंने काजल को अपने पास पाया वो झीनी सी नाईटी में मुझे दिखाई दि,उसके उजोर बड़े ही प्यारे लग रहे थे मैंने उसे सीधा लिटाया और उसकी ख़ूबसूरती को निहारने लगा,मैंने देखा की वो आँखे मूंदे हुए बड़ी प्यारी लग रही थी ,उसने अभी तक अपने माथे की छोटी सी बिंदी नहीं हटाई थी जो उसके गोर चहरे को और भी खूबसूरत बनती थी ,उसके होठो में काटने का निशान देख मेरी दिल की धड़कन रुक सी गयी मुझे कल की सारी बाते याद आने लगी ,मैंने उसके उस जखम को छुआ,मुझे हल्का सा खून का जमाव महसूस हुआ,मैंने उसके प्यारे चहरे को फिर से देखा ,क्या मेरी प्यारी काजल ऐसा कुछ कर सकती थी की मैं उसपर शक कर सकू पर ये खून का जमाव ,और साफ़ पता चल रहा था की किसी ने उसे दांतों से काटा है,मेरे प्यार में क्या कमी रह गयी थी की मेरी प्यारी बीबी किसी गैर मर्द का बिस्तर गर्म करेगी ,मुझे अब भी ये यकीं नहीं हुआ मैंने फिर से काजल के उरोजो को देखा जो की बहार आने को बेताब थे मैंने उसे आजाद ही कर दिया,उनके आजाद होने पर काजल के मुह से एक मदभरी सी आह निकली ,
'नहीं
ना जी क्या कर रहे हो ,'मैंने देखा काजल नींद में ही थी पर उसका जी कहना मुझे सुकून दे गया क्योकि वो मुझे ही जी कहा करती थी,मैंने उसके उजोरो को निहारा तो मुझे लाल घेरे दिखाई दिए जैसे की किसी ने उसे बुरी तरह से मसला हो ,काजल बहुत गोरी थी और मैंने उसे कभी कभी मसला भी था उसके वो निशान ऐसे ही थे जैसा मेरे मसलने पर उसके वक्षो पर पड़ते थे ,मेरी आंखे नम होने लगी मैंने फिर उसके मासूम से चहरे की ओर देखा ,मुझे यकीं ना आया की वो मुझे किसी भी सूरत में धोखा दे सकती है,मैंने उसके उजोरो को मसलना शुरू किया,
'नहीं
ना जान प्लीज् नहीं ना कोई जायेगा ,'काजल अभी भी नींद में थी मैंने अपने होठो को उसके होठो के पास ले जाकर उसके होठो को चूमने लगा वो अपने होठो को मेरे लिए खोल दि मैंने अपने होठो को उसके होठो में घुसा दिया मुझे दारू की बू आनी शुरू हो गयी ,हमारे लिए दारू पीना कोई बड़ी बात नहीं थी ,शायद काजल ने कल शराब पि हो मैंने अपने हाथ उआकी नाईटी के निचे से उसकी प्यारी योनी के पास ले गया मैंने पाया की उसमे कुछ कड़ा सा अहशास हुआ मनो वीर्य सुख गया हो मैंने अपने दिल को समझाया की ये वीर्य नहीं होगा मैं उसके निचे गया उसके कपडे को ऊपर उठाया,उसके गोर जांघ मेरे सामने थे मैं उसे चटने लगा ,काजल बहुत ही नशे में थी पर वो मचलने लगी थी मैं जन्घो को चाटते हुए उसकी योनी तक गया ,मैंने पाया की वह कुछ कड़ा सा है मेरी लार पड़ते ही वो चिपचिपा हो गया मैंने उसे जीभ से चखकर देखा ,वो वीर्य ही था मेरा दिल बैठ गया था ,मेरी आँखों में आंसू था पर मेरा लिंग वो तो ताना था अपनी ही धून में मुझे लगा था की मैं उसे उठा के उसे मार ही डालू पर मैंने ऐसा नहीं किया मुझे उसे भोगना था ,जाने किसने उसे भोग होगा ये वीर्य किसका था मुझे नहीं पता था पर ....
मैं
मैं तो बस अब पागल ही हो गया था मैंने अपने कपडे उतार फेके और उसके ऊपर चढ़ गया मैंने ये परवाह नहीं की कि उसकी योनी में गीलापन है या नहीं मैंने अपने थूक से ही अपने लिंग को भिगोया और एक जोरदार धक्का ...
'अआह्ह्ह
नहीं ना क्या कर रहे हो ,इतना तो किये हो ना अब बस करो ना दर्द हो रहा है घर भी जाना है,'काजल की बातो से मैं पूरी तरह टूट चूका था मैं अपने पुरे जोर से उसे फिर से धक्का लगाया काजल की आँखे अब भी बंद थी और उसने मुझे अपनी बहो के घेरे में भर लिया
'आपका
तो कभी ख़तम ही नहीं होता है ना 'उसने बहुत ही नशीली आवाज में कहा ,
'चलो
अब जल्दी करो ना प्लीज ,सर भी करेंगे क्या ,'अब तो मैं रो ही पड़ा मैं चाहता था की मैं वहा से उठ कर भाग जाऊ पर मैंने दूसरा रास्ता अपनाया मैंने एक जोरदार झापड़ काजल को मारा मेरे मारने से वो तड़फ गयी और होश में आकर मुझे देखने लगी ,
'ये
क्या कर रहो हो जी ,हटो ना ,मुझे मार क्यों रहे हो ,'
'मदरचोद
चुपचाप पड़ी रह रात भर दूसरो से चुद्वाकर आई है और अपने पति से नखरे कर रही है ,'
'अआह्ह्ह
आह्हह्हह्हह्हह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् प्लीज् ना जान ,छोड़ दो ना रुक जाओ ना थोड़ी देर बस .थोड़ी देर बस जाआआन ..'
मैंने
बेहिसाब धक्के मारने शुरू कर दिए ,काजल दर्द से तडफ रही थी उसकी योनी अभी भी गीली नहीं हुई थी वो दर्द से छटपटा रही थी पर मैंने कोई रहम नहीं की मैंने उसके चहरे को अपने हाथो से दबा लिया .ये पहली बार था जब मैंने काजल से जबरदस्ती की थी पर मैं क्या करता मेरा दिल आज टूट चूका था मेरी प्यारी बीवी बेवफा थी,मेरी चाहत लुट चुकी थी वो भी ना जाने कितनो से ...मैंने अपने वीर्य की धार सीधे काजल के योनी में छोड़ दि ,वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही मैं वहा से उठकर अपने बाथरूम में चला गया ,पर जब मैं बिस्तर से उठा तो मैंने एक परछाई दरवाजे की पीछे देखि जो तुरंत भाग गयी मुझे अहसास था की वो मेरी बहने ही थी जो काजल के आवाज के कारन वह गयी थी ,...

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अध्याय 5
मैं सुबह से ही बिना खाए पिए ही होटल चला गया ,आज मेरा दिन बिलकुल ही बेकार होने वाला था ऐसा मुझे लग रहा था ,लेकिन किसे पता था की क्या होना है ,सुबह से ही मैं होटल स्टाफ को व्यस्त रखा था ,सभी मेरे स्वभाव से परचित थे इसलिए उन्हें भी ये शक हो चला था की मैं आज बिलकुल ही अपसेट हु,दोपहर को रश्मि आई और आते ही उन्होंने मुझे अपने केबिन में बुलाया,

"क्या बात है आज बहुत ही उदास हो ,"मैं अब भी सर झुकाए खड़ा था,

"तु सर कब उठाएगा मादरचोद"रश्मि चिल्ला के बोली की मेरी रूह भी काप गयी ,और मेरे आँखों ने अपने सब्र का बांध तोड़ दिया मैं रोने लगा ,रश्मि ऐसे तो बहुत ही खतरनाक और प्रोफेशनल लड़की थी पर ना जाने उसे क्यों मेरे लिए एक सहानभूति सी पैदा हो गयी थी ,मैं काँपता हुआ और रोता हुआ वहा खड़ा था और वो मेरे पास आकर मुझे एक पानी का ग्लास पकड़ा देती है ,और धीरे धीरे मेरे सर पर अपना हाथ घुमाने लगती है ,मुझे कुछ कुछ आराम मिला और मैंने सोचा भी नहीं था की इस होटल की मालकिन और इतने बड़े बाप की ये बिगलैड लड़की मुझे इसतरह से प्यार दिखाएगी ,

"देव जानते हो पापा ने मुझसे यहाँ की जिम्मेदारी देते हुए कहा था की तुम्हे यहाँ से निकाल दू ,तुम किसी काम के नहीं ,"मैंने सर उठाया तब तक वो अपने खुर्सी में जाकर बैठ चुकी थी ,

"लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया क्योकि मुझे पता है की तुम कितने काम के हो ,हमारा होटल बिना कुछ गलत काम किये भी चल रहा है तो वो तुम्हारे ही लगन और मेहनत के बदोलत है ,हा यहाँ पर वक्त के साथ बदलाव की भी जरुरत है और वो शायद दुनिया के नजर में गलत भी हो पर ..................बिजिनेस में सब जायज हो जाता है समझे मिस्टर "रश्मि हलके से हसी वही मेरा दिल भी थोडा हल्का हो गया था ,मैं अब रश्मि को देखने का साहस कर सकता था,

"देव तुम मुझे एक मालकिन के तरह नही एक दोस्त की तरह मानो जो भी आईडिया तुम्हारे दिमाग में हो वो मुझे खुलकर बताओ ,खुलकर यानि समझते हो ना ,खुलकर बिना किसी भी हिचक के ,मैं तुम्हे एक और मौका देती हु ,पापा को गलत साबित करने का ,सोचो अगर तुम्हारी नौकरी गयी तो तुम्हारी बहनों का क्या होगा ,"रश्मि की सहानभूति और अपनत्व ने मुझे जीत लिया था ,मैं क्यों उदास हु और मैं क्यों वो ना करू जो तरक्की के लिए और पैसे कमाने के लिए जरुरी है ,मेरी बीवी तो अपना जिस्म भी इस नौकरी के लिए लगा रही है ,उसे तो कभी गलत नहीं लगा होगा और मैं किसी दूसरी लडकियों के लिए भी शर्मा रहा हु ,

"मेडम मैं आपकी बातो को समझ गया ,मैं अपना दिलो जान लगा दूंगा इस होटल के लिए ,ये होटल ही यहाँ का नंबर वन होटल होगा ,मेरा आपसे वादा है ,"मैंने इतने जोश से बोला की रश्मि भी खुस हो गयी और आश्चर्य से मुझे देखने लगी ,

"ह्म्म्म बढ़िया लेकिन देव तुम मुझे मेडम बुलाना छोडो यार मुझे रश्मि ही बुलाया करो .पता नहीं तुमसे कुछ अपना सा लगता है मुझे तुम अच्छे आदमी हो ,और अगर कोई आईडिया हो तो बताओ अभी "मेरे भी चहरे पर एक मुस्कान आ गयी ,

"मेडम जी ,(रश्मि ने मुझे घुर के देखा ) सॉरी रश्मि एक आईडिया तो है मेरे पास "वो उत्सुकता से मुझे देखने लगी

"हमें कुछ लडकिया हायर करनी पड़ेगी "रश्मि हसने लगी

"ये भी कोई बात हुई कल ही तो ये बात हमने कही थी ,और मैंने कुछ प्रोफेशनल लोगो से बात भी की है ,वो भी लडकियों की सप्लाई करने को मान गयी है ,"

"नहीं मेडम,सॉरी रश्मि (रश्मि हसने लगती है ) मैं प्रोफेसनल लडकियों की बात नहीं कर रहा हु ,मैं बात कर रहा हु ऐसी लडकियों की जो प्रोफेसनल ही ना दिखे ,वो बिलकुल सामान्य सी यहाँ पर काम करने वाली लडकिया लगनी चाहिए ,मैंने अधिकतर देखा है की लोग शरीफ लडकियों के साथ करना चाहते है ,प्रोफेशनल तो उन्हें कही भी मिल जाएगी पर सामान्य सी खुबसूरत और कामकाजी लड़की जिसे वो पटाने की सोच भी नहीं सकते बस देख कर ही खुश रहते है वो अगर उन्हें मिल जाए तो कैसा रहेगा ,"रश्मि ने मुझे बड़े गौर से देखा

"ह्म्म्मम्म देव ,.....देव यार तुम तो शराफत से सीधे ही कमीनेपन में उतर आये मैंने सोचा नहीं था की तुम इतने बड़े कमीने होगे ,पर ये होगा कैसे एक पढ़ी लिखी लड़की जिसे हम उसके क्वालिफिकेशन के आधार पर जॉब में रखेंगे वो क्यों अपना जिस्म का सौदा करने देगी ,"मेरे चहरे पर एक कातिल मुस्कान निखर गयी ,

"हमें जादा कुछ भी करना है बस कुछ ऐसी बन्दिया हमें चाहिए जो ये काम पहले से कर रही है ,जैसे मेहता ग्रुप वाली HR शबनम ,"रश्मि की आँखे चौड़ी हो गयी ,मैंने अपनी बात जारी रखी ,

"देखिये होगा ये की ये सिर्फ क्लाईंट का मनोरंजन ही नहीं करेंगी बल्कि यहाँ काम करने वाली लडकियों को भी इस काम के लिए उक्सयेंगी ,उन्हें पैसे और मजे का लालच देंगी कोई भी पढ़ी लिखी शरीफ लड़की को भी कभी ना कभी तो इन सब चीजो की जरुरत पड़ती है ना मेडम सॉरी रश्मि जी "रश्मि ने हसकर मुझे देखा ,

"हम्म्म्म तुम सही कह रहे हो ,एक और लड़की है मेरे दिमाग में जो इस काम में एक्सपर्ट है ,काजल .................(मेरा चहरा ही उतर गया जिसे उसने समझ लिया था )सॉरी वो तो संस्कारी लड़की है ना जैसा तुमने कहा था ,"

"नहीं मुझे समझ आ चूका है वो संस्कारी तो नहीं है पर मैं उसके साथ काम नहीं करना चाहता,"रश्मि ने अपने भव चड़ा लिए ,

"क्यों "

मैं ख़ामोशी से उसे देखता रहा जैसे मैं अपने सपनो में गम हो चूका था

"बस समझ लीजिये की उसने मेरा दिल तोडा है और अब वो भी मेरे लिए वैसे ही दुश्मन है जैसा की अजीम आपके लिए "मैंने रश्मि के कमजोर नश पर हाथ रख दिया था ,पर उसके चहरे पर एक मुस्कान खिल गयी उसे भी ये समझ आ चूका था की मैं और वो मिलकर खान के होटल को बर्बाद कर सकते है पर कैसे ...ये एक कहानी ही थी ........

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अध्याय 6
मैं आज घर लेट से जाने का प्लान बनाया मुझे शबनम से अपने होटल को जॉइन करने की बात करनी थी,ये तो स्वाभाविक था की वो बहुत ज्यादा कीमत बोलने वाली थी लेकिन उसके पास वो हुनर था जो कोई सामान्य लड़की के पास नही मिलता..

वो पढ़ी लिखी थी शादी शुदा थी,दिखने में कातिल सी खूबसूरत थी और सबसे बड़ी बात वो अपने जिस्म का सौदा करना और उसकी कीमत दोनो जानती थी..यंहा का मैनेजर तो मैं था लेकिन उसे हमने HR का पोस्ट देने की सौची,अभी जो HR का काम देख रही थी वो भी बहुत टैलेंटेड लकडी थी इसलिए उसे हटाने की जगह हमने दो पोस्ट बना दिए...क्योकि इसे कुछ अलग ही काम करना था..

मैं होटल के ही रेस्टारेंट में बैठा हुआ शबनम का इंतजार कर रहा था...

"हाय देव "

वो बला की खूबसूरत लग रही थी.जिसपर मेरी नजर थोड़े देर के लिए जम ही गई थी..

"हाय आओ आओ "मैं उसके स्वागत के लिए खड़ा हुआ

"तो बहुत इमरजेंसी में बुलाया है मुझे क्या बात है"

"कुछ नही एक जॉब का ऑफर था तुम्हारे लिए "

वो खिलखिला कर हँस पड़ी

"जॉब तुम मुझे जॉब ऑफर कर रहे हो ,यार मैंने तो सुना की तुम्हारी जॉब में ही खतरा है ,कपूर साहब बहुत ही भड़के हुए है तुम्हारे ऊपर "

हाय उसकी अदा उसकी मुस्कान ,इन गलियारों में बाते इतनी तेजी से फैलती है मुझे समझ आ गया था,

"ह्म्म्म वो कल की बात थी मेडम ...आज कहानी कुछ अलग ही है,हम कुछ नए रिक्रूटमेंट करना चाहते है ,हमे एक HR मैनेजर चाहिए तुम्हारे जैसी ,और कुछ लड़कियों का भी रिक्रूटमेंट है ..जो तुम्हे हमारे साथ मिलकर फाइनल करना होगा "

शबनम को कुछ जैसे समझ सा आ गया

"ओह ,मुझे लगा की तुम्हारे रहते इस होटल को कभी मेरे जैसे मैनेजर की जरूरत नही पड़ेगी ,"वो थोड़ी से उदास हो गई थी ना जाने क्यो..

"तुम क्यो उदास हो रही हो,आजकल टैलेंट से क्या होता है "अब मैं थोड़ा उदास हो गया

"पता नही क्यो लेकिन तुम्हें ये सब करते देखना अच्छा नही लगता,तुम हमारे कालेज के टॉपर थे यार ,इतने टैलेंटेड हो और फिर भी "

शबनम मेरे ही कॉलेज की जूनियर थी ..

"ह्म्म्म छोड़ो वो सब, अब अगर मार्किट मे बने रहना है तो सब कुछ करना पड़ेगा "

उसके चहरे में थोड़ी चमक आई ,तभी एक वेटर आ गया

"मेरे लिए ब्लैक काफी और तुम "

"सेम "

"हम्म तो मुद्दे की बात करे .."

"देखो देव रवि ऐसे भी मुझे अच्छी खासी तनख्वाह देता है,जो की मेरे टैलेंट से कही ज्यादा है ...तो मैं तुम्हारा प्रपोसल क्यो एक्सेप्ट करू "

पता नही क्यो लेकिन उसकी खूबसूरती ने मुझे दीवाना बना दिया था,

"क्योकि बात सिर्फ पैसों की नही है,रवि के पास तुम्हारी इज्जत क्या है ये हम दोनो को पता है,यंहा तुम्हे इज्जत भी मिलेगा और उससे ज्यादा पैसा भी ,..."

"उससे ज्यादा पैसा ...तुम पागल हो गए हो कपूर जैसा कंजूस आदमी उतने पैसे दे पायेगा,उतनी तो तुम्हारी सेलरी भी नही है "

"ह्म्म्म देखो अब कपूर साहब होटल के काम को छोड़कर दूसरे बिजनेस में ध्यान देने की सोच रहे है,तो यंहा का पूरा काम रश्मि देखेगी,जाहिर सी बात है की वो नए सोच की लड़की है और सच मानो पैसे खर्च करने में कोई कमी नही करेगी,बस एक चीज की कमी नही होनी चाहिए ."

शबनम ध्यान से मेरी बातो को सुन रही थी,

"उन्हें काम सॉलिड चाहिए ,तुम्हे हर बंदी को तैयार करने पर इंसेंटिव भी मिलेगा जो की सेलरी से कही ज्यादा हो सकता है,रवि के जैसे यंहा कोई जबरदस्ती करने वाला नही होगा,तुम अपने पति और घर को भी टाइम दे पाओगी और पैसे ...वो तो तुमने सुन ही लिया "

"ह्म्म्म MBA किया था तो सोचा नही था की ये सब भी करना पड़ेगा "

शबनम हल्के से हँसी जिसे देखकर मेरे चहरे में भी हँसी आ गई ,हमारी काफी आ चुकी थी ..

"यार देव लेकिन एक बात बताऊ ,मुझसे ज्यादा टैलेंटेड तो काजल है ,तुमने उसे हायर करना चाहिए था "वो हल्के से मुस्कुराई ,लेकिन मेरा चहरा उतर गया ..

"हम्म मुझे पता है तुम दोनो के बारे में "शबनम की बात से मैं चौका और उसकी ओर देखने लगा ..

"फिक्र मत करो किसी को नही बताऊंगी ,लेकिन काजल मेरी अच्छी दोस्त रही है,हमारी बात होते रहती है और वो भी तो बेचारी मेरे ही जैसे है बस उसके पति को उसके काम का पता चल गया है "

शबनम के चहरे में आयी हुई कातिल मुस्कान से मेरे पैरो की जमीन खिसक गई ..

"तुम तुम बोलना क्या चाहती हो "

"वही जो तूम सुन रहे हो ...लेकिन देखो यार देव हमारा फील्ड ही कुछ ऐसा हो गया है,तुमने ही तो कहा था की सिर्फ टैलेंट से आजकल कुछ भी नही होता,,उसे भी तो अपनी जॉब बचानी पड़ी जैसे तुम्हें बचानी पड़ी...यहां बहुत कंपीटिशन है देव वो नही करेगी तो कोई और कर लेगा ...और अब तो तुम भी मान गए हो की इन सब चीजो की जरूरत तुम्हारे होटल को भी है ...मैं भी तो शादी शुदा होने के बाद भी रवि के साथ ...करना पड़ता है देव तुम मर्द हो तुम नही समझो की औरतों के दिल में क्या गुजरती है जब कोई पराया मर्द ."

मेरे आंखों में आंसू आ गए थे.

शबनम ने मेरे हाथ को अपने कोमल हाथो से पकड़ा और उसे सहलाया इसमें बहुत ही अपनत्व था.

"मैं जानती हु की हम गलत कर रहे है और मैं इसे पूरी तरह से सही भी नही कहती,और ना ही ये कहती हु की इसके बिना हम रह नही पाएंगे,लेकिन हमारे खर्चे अब इतने हो गए है की इसे सिर्फ काम करके पूरा करना मुश्किल है ...और फिक्र मत करो जो सीक्रेट है वो सीक्रेट ही रहेगा और कब से जॉइन करना है ."

शबनम की बात से मुझे थोड़ा सुकून तो मिला ,असल में बात से नही उसके कोमल हाथो के अहसास से ..

"कल से "

"ओके " वो खड़ी हुई और मेरे पास आकर मेरे गालो में एक हल्की से पप्पी लेकर वँहा से निकल गई .....

______________________________
 
अध्याय 7
मुझे घर जाने का मन ही नही कर रहा था ,मैं बड़े ही भारी मन से घर पहुचा ,मेरी बहने बड़ी ही बेसब्री से मेरा इंतजार कर रही थी,उनके प्यारे चहरो को देखकर मेरे मन की सभी थकान मिट गई,अगर मैंने कोई गलती की तो इन लोगो का क्या होगा,मुझे इनके लिए जीना था,इन लोगो के लिए मुझे काजल का साथ चाहिए था,ताकि मैं इनको पढ़ा सकू ,कुछ ऐसी जगह में भेज सकू जंहा इनको वो ना करना पड़े जो की काजल कर रही थी...मैं सोफे में बैठा हुआ उन्हें देख रहा था और मेरी आंखों में पानी आ गया,पूर्वी मेरे गोद में आकर बैठ गई ,कितनी प्यारी थी मेरी जान ,मैंने बड़े ही प्यार से उसके माथे को किस किया ,निशा भी आ चुकी थी उसके हाथो में पानी का ग्लास था ,और मेरे लिए ब्लैक काफी .

वो भी मेरे बाजू में आकर बैठ गई थी ,मैं उसके बालो को सहलाने लगा ,

"तुम लोगो की पढ़ाई कैसी चल रही है,"

"अच्छी चल रही है भइया लेकिन ये शहर के लोग लोग बड़े ही अजीब से है,"पूर्वी ने अपने मासूम अंदाज में कहा

"क्यो क्या हुआ "

"कुछ नही यंहा के लड़के साले पता नही कैसी कैसी ड्रेश पहनते है,और बाल देखो तो हँसी आ जाती है,और लडकिया भी कितने मॉर्डन टाइप के कपड़े पहनती है "

"तो तुम्हे भी पहनना है क्या "

मैंने उसके गालो को पकड़कर खिंचा

"आउच दर्द होता है अब बच्ची नही हु जो गालो को खिंचते रहते हो "पूर्वी का गुस्सा मुझे सबसे भाता था

"अच्छा बहुत बड़ी हो गई है तू "

"वो तो हो गई हु ,लड़के देख के सीटियां मारते है मुझे "

निशा उसकी बात से गुस्से में आ गई

"कोई तमीज नही है क्या तुझे भइया के सामने ऐसे बात कर रही है "

शायद पूर्वी को इसका अहसास हो गया ,और मुझे भी की मेरी बहने अब बच्ची नही रह गई है और मुझे इनके ऊपर थोड़ा और ध्यान देना होगा लेकिन मेरे पास वक्त की कहा था,,अगर ये गांव में ही रहती तो ऐसी बात मेरे सामने नही कह पाती लेकिन अब मुझे लगा की उन्हें भी शहर का थोड़ा रंग चढ़ रहा है ,लेकिन मैं अपनी बहनों को बांध कर भी तो नही रख सकता था ना ही रखना चाहता था ,बस वो बिगड़ ना जाए यही दिल में एक डर सा लगा रहता था ,

"कोई बात नही निशा ये तो पागल है ...तो तुम लोगो को भी ड्रेश चाहिए क्या "मैंने दोनो को पूछा

"नही भइया वो सब बहुत महंगी आती है "निशा बहुत ही समझदार की तरह बात करने लगी थी

"तो तेरा भाई क्या इतना गरीब है ,और ऐसे भी मुझे इंक्रीमेंट भी मिलने वाला है "मैने उन्हें खुस होते हुए बताया

"ऐसे भइया एक बात बोलू बुरा तो नही मानोगे "निशा थोड़ा धीरे से बोली

"हम्म क्या हो गया "उसके इस तरह बोलना मुझे अजीब लगा था,

"वो भाभी ने आज हमे बहुत सारी ड्रेशस दिलवाई है ,लेकिन उन्होंने कहा की आपको पता लगेगा तो शायद आप हमे डांटेंगे .."उसका सर झुक गया था ,

"वो कब आयी "

"वो तो दोपहर से आ गई है,हम बाहर शॉपिंग किये और बाहर ही खाना खा कर आ रहे है,आपके लिए भी पैक करवा के लाया है..वँहा से आने के बाद वो थककर सोई हुई है...प्लीज उन्हें मत डांटना आप लोगो का कल भी झगड़ा हुआ था "

निशा की बात सुनकर मैंने निशा को देखा ,वो सहम गई ...अब मेरे घर में दो जवान बहने थी जिनकी जिम्मेवारी मेरे ऊपर थी,और मैं भी पागलो जैसे काजल के साथ ऐसा व्यवहार कर बैठा मुझे पता था की काजल मेरी बहनों का ध्यान अपनी बहनों की तरह ही रखती है,मैं तो अपने ही कामो और परेशानियो में उलझा रहता था लेकिन काजल जब भी वक्त मिलता मेरी बहनों के साथ हमने फिरने चली जाती,वो उनके लिए दोस्तो जैसी थी और मैं..मैं किसी खड़ूस बाप की तरह ,मुझे अब अपनी बहनों से नजदीकियां बढ़ानी थी ताकि मैं उन्हें समय दे पाउ और उन्हें खुस भी रख पाउ...मैंने प्यार से निशा के सर पर हाथ फेरा और उठाकर अपने कमरे में चला गया ,वँहा काजल बेफिक्र सोई हुई थी ,मैंने उसे जगाना भी ठीक नही समझा ...

लेकिन मेरी आहट से वो जाग चुकी थी और आंखों में थोड़ा डर लिए मुझे ही देख रही थी ,उसका वो मासूम चहरा ,,,

मैं तो बस उसे निहारता ही रह गया,ये मेरी काजल थी,मेरी जान ..;लेकिन क्या करू अब मैं इससे वो प्यार नही कर सकता था जो कभी किया करता था,मैंने इसे पटाने के लिए ना जाने क्या क्या पापड़ बेले थे,मैं एक गहरी सांस छोड़कर बाथरूम की तरफ जाने लगा लेकिन मैं फिर से मुड़ा,उसका चहरा मायूस था और वो थोड़ी सहमी हुई लग रही थी,मैं फ्रेश होकर आया वो भी थोड़ी पूरी तरह से उठ चुकी थी ,हम दोनो ने ही कोई बातचीत नही की जब तक की हम फिर से अपने कमरे में नही आ गए,हम दोनो ही खामोश बिस्तर में बैठे हुए थे..बोलने को कुछ बाकी भी तो नही था,

"तुमने जो बहनों को कपड़े दिलवाए उनके लिए थैंक्स "

असल में मुझे ये खामोशी खाए जा रही थी.

"वो मेरी भी बहने है "

उसने एक सपाट सा जवाब दिया ,

"तुम शबनम से बात करती हो."मुझसे रहा नही जा रहा था,

"ह्म्म्म "

"तब तो ये भी जानती होगी की मैं उसे अपने साथ रख रहा हु "

"ह्म्म्म "

"हर चीज उसे बताती हो ,हमारे बेडरूम की बाते भी "

अब काजल खामोश थी,मैं उसके चहरे को नही देख रहा था ,लेकिन मुझे उसकी सिसकिया सुनाई देनी शुरू हो गई थी,

मैंने उसे देखा ,मैं क्या कहता...कि कोई बात नही जो हुआ ऐसा होता है,मैंने तुम्हे माफ कर दिया ...ये तो मैं नही कह सकता था,तो क्या कहता की निकल जाओ मेरी जिंदगी से ..

नही ये भी मैं नही कह सकता.

"रो क्यो रही हो"मैंने ये कहा ,क्योकि मेरे पास कहने को कुछ था भी तो नही ..वो हल्के से मुझे देखी ,मेरी आंखों में झांकते हुए वो मेरे सीने से लग गई ,और उसके आंसू मेरे सीने को ही भिगोने लगे,मेरे हाथ ना जाने किस ताकत के कारण उसके बालो को सहलाने लगे थे...मैं उसपर प्यार तो बिल्कुल भी नही जताना चाहता था लेकिन क्या करू,...

मैंने उसे बिस्तर में लिटा दिया,उसके काले बाल बिस्तर में ही फैल गए थे

उसके गुलाबी फुले हुए गाल आंसुओ से गीले थे,आंखों में अभी भी नमी थी,पलके अब भी झुकी हुई थी ,होठ अब भी फड़फड़ा रहे थे,सिसकिया अब भी हल्के हल्के से निकल रही थी ,धड़कने अब भी थोड़ी तेज थी,सांसे अब भी थोड़ी गर्म थी,

मेरे हाथ उसके गालो को सहलाने लगे,मेरा मन चाहता था की मैं उससे लड़ाई करू,उसे जान से मार डालू और मैं किसी प्रेमी की तरह उसे निहार रहा था,शायद वो भी मेरे इस बर्ताव को लेकर थोड़े आश्चर्य में थी लेकिन मेरा खुद पर काबू ही नही रहा ,मैं उसके फड़फड़ाते हुए होठो के पास अपने होठो को लेजाकर उसकी नरमी को महसूस करने लगा,उसकी सिसकिया अब बंद हो गई थी लेकिन उसकी सांसे थोड़ी तेज हो चली थी,मेरे होठो की त्वचा हल्के हल्के ही उसके होठो से स्पर्श कर रही थी,उसके सांसे उत्तेजना से बढ़ने लगी थी,वो एक अजीब से दौर से गुजर रही थी ,वैसा ही कुछ हाल मेरा भी तो था,एक डर ,उसके जेहन में था लेकिन वो इस अचानक हुए बदलाव से और भी घबराई हुई थी,वही नफरत और दर्द मेरे जेहन में था पर मैं अपने उमड़ते हुए प्यार की धार को रोक ही नही पा रहा था,मैं भी इस बात को लेकर घबराया हुआ था और अपने होठो को उसके होठो से मिलने से रोकना चाहता था,लेकिन मेरे अंदर का वो प्रेमी जो इस सामने लेटे हुए शख्स से बेपनाह मोहोब्बत करता था वो मुझे रोक रहा था,वो मुझे उसके ओर बड़ा रहा था,मैं जैसे किसी लोहे की तरह उस चुम्बक की ओर खिंचा जा रहा था,

हमारे फड़फड़ाते हुए होठ एक दूसरे में मिल ही गए ,मैं उन्हें उतने ही प्यार के चूम रहा था जितने की जीवन में कभी किया होऊ..वो हल्के हल्के से रोने लगी थी,उसके हाथ मेरे गले से आकर लिपट गए ,वो भी अपने होठो को ताकत से मेरे होठो में भरने लगी...हम दोनो ही एक दूसरे में गुथे जा रहे थे,हमारा पूरा अस्तित्व ही एक दूसरे में मिलने लगा था...

जब हम अलग हुए हमारी सांसे उखड़ी हुई थी,आंसू की एक बून्द मेरे आंखों से भी टपक गई ,काजल के चहरे में छोटी सी ही सही लेकिन मुस्कान थी ,वो मेरे बालो को सहलाने लगी मैं उसके आंखों में देखने लगा ....

"तुम्हारी बेवफाई के लिए मैं तुम्हे माफ नही कर सकता "

मेरे मुह से ये अल्फाज निकलेंगे ये तो ना काजल ने सोचा था ना मैंने ,वो दंग सी रह गई वो बस मुझे देखती रही

"लेकिन क्या करू तुम्हे प्यार करना भी तो नई छोड़ सकता "

मैं भी जानता था और वो भी की मेरे दिल ने जो ये दोनो बाते कही है वो सच ही तो थी..वो मुझे जोरो से अपनी ओर खिंची और मैं उससे लिपट गया..

"मैं जानती हु..मैं जानती हु की जो मैंने किया वो माफी के काबिल नही है ,और मैं ये भी जानती हु की आप मुझे बेतहासा प्यार करते है ,...लेकिन एक बार आप ही बताइये की मैं अब क्या करू ,जो आप बोलोगे वो मैं करूँगी ."काजल की बातो में सच्चाई थी लेकिन उसने मेरे लिए ही मुश्किल पैदा कर दी थी ,अब मैं उसे कैसे कहु की उसे क्या करना चाहिए वो तो मुझे भी नही पता था..

मैं उठा और एक सिगरेट जला कर सीधे बालकनी में पहुच गया,

मैं गहरे कस लगता हुआ गहरे सोच में था.काजल मेरे पास आकर खड़ी हो गई थी,

"तुम वो होटल छोड़ दो "

"तुम्हे लगता है ये इतना आसान है,हमारा घर लोन में है,और बहनों की पढ़ाई और आगे का खर्च ..."

"मैं जितना कमाता हु उसमे हम अच्छे से जी सकते है,और किसी दूसरे होटल में कोई जॉब तो तुम्हें मिल ही जाएगी,"

"बात सिर्फ पैसों की नही है देव...तुम्हे क्या लगता है अजीम मुझे होटल छोड़कर जाने देगा "

मेरी आंखे चौड़ी हो गई मैं काजल को देखने लगा ..

"वो इतना शरीफ नही है देव ,मेरे लिए होटल छोड़कर जाना शबनम जितना आसान नही है,वो बहुत ही कमीना है देव..मुझे अपनी चिंता नही है पर मेरी वजह से बहनों की जिंदगी में कोई तकलीफ नही आनी चाहिए ."

काजल की बात से मैं दंग रह गया,

"हा देव अजीम पागल है,रश्मि से पूछो की उसने उसे क्यो छोड़ा था,वो बहुत ही खतरनाक है.."

"तो क्या मैं ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहू,मैं अपने जान में खेल जाऊंगा काजल तुम एक बार हिम्मत तो करो हम ये शहर ही छोड़कर चले जाएंगे.."

मैंने काजल की बांहो को पकड़ लिया था..

"देव बात को समझो ,जब प्रॉब्लम इतनी बड़ी नही है तो क्यो इसे बड़ा बनाना "

"मतलब "मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,

वो मेरे सीने इस लागकर मेरे पीठ को सहलाने लगती है.

"देखो,अजीम अपने कारोबार के लिए और अपने स्वार्थ के लिए मेरा यूज़ करता है लेकिन बदले में अच्छे खासे पैसे भी तो देता है,मेरी सेलरी तुमसे 5 गुनी ज्यादा है,और वो मुझे कोई तकलीफ भी तो पहुचने नही देता..."

मैं उसके तर्क से हैरान था..

"और तुम ही सोचो कल से पहले क्या तुम्हे मेरे प्यार में कोई कमी दिखाई दी थी,..मैं तुमसे दिलो जान से प्यार करती हु देव,क्या जो चल रहा है वैसा ही नही चल सकता,ये ना सिर्फ हमारे केरियर का सवाल है बल्कि हमारी खुसी भी इससे जुड़ी हुई है,मैं अपने काम से खुस हु देव मुझे कोई भी परेशानी नही है,लेकिन क्या तुम मुझे इस रूप में स्वीकार कर पाओगे...मैं तुमसे वादा करती हु की तुम्हारे लिए मेरा प्यार कभी कम नही होगा.."

काजल की बातो पर मुझे विस्वास ही नही हो रहा था,वो चाहती क्या थी ??

वो चाहती थी की मैं उसके दुसरो के साथ सोने पर स्वीकृति दे दु,..

"तुम पागल हो गई हो "मैंने उसे अपने से हटा लिया

"तुम समझती क्या हो मुझे,मैं तुमहे पैसे के लिए बेच दु "

काजल की आंखे फिर से नम होने लगी थी जबकि मुझे गुस्सा आ रहा था

"देव मेरी जान ,ये एक बिजनेस है तुम समझते क्यो नही ,किसी और के चोदने से मेरी चुद घिस नही जाएगी "

काजल की इस बात पर मुझे विस्वास ही नही हुआ वो ऐसा कैसे बोल सकती है ,वो किसी रंडी की तरह बोल रही थी.

मेरे चहरे में आये भाव को उसने पढ़ लिया ,

"देव मेरा प्यार सिर्फ तुम्हारे लिए है ,अगर मेरा शरीर किसी और का हो भी जाय तो क्या फर्क पड़ता है,क्या हम एक ओपन रिलेशनसिप में नही रह सकते ...मेरी तरफ से तुम किसी के साथ भी सेक्स करने को आजद हो ,और मुझे मेरी आजादी दे दो,क्यो हम इस रिश्ते की वजह से अपने केरियर और आजादी को दाव पर लगा रहे है देव."

उसकी बात मेरे दिमाग के ऊपर से जा रही थी,मैंने आज तक उसके सिवा किसी दूसरी लड़की से सेक्स नही किया था और वो ...वो मुझे ओपन रिलेशन में लाना चाहती थी..

"क्या तुमने कभी शबनम के बारे में गलत नही सोचा,सच सच बताना देव क्योकि मुझे सब कुछ पता है"

काजल बात से मैं थोड़ा सहम गया ,

"देव तुम उसके बारे में सोच सकते हो लेकिन मैं तुम्हारे सिवा किसी के बारे में नही सोच सकती,जो मैं करती हु वो बस मेरा काम है,मुझे ग्राहकों को खुस करने के ही तो पैसे मिलते है"

"तुम एक रंडी की तरह बात कर रही हो "मैं उग्र हो गया था..

"देव आराम से सोचना इस बारे में ,कोई जल्दी नही है,और तुम मुझे रंडी कहो या और कुछ लेकिन असलिलयत यही है की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हु ,,,,"

वो मेरे गालो में एक किस देकर बिस्तर में चली गई ,और मैं सिगरेट के गहरे कस लगाता हुआ बस काजल को देखता रहा और उसके प्रस्ताव के बारे में सोचता रहा....

क्या सही और क्या गलत के खेल में मेरे सर में दर्द होने लगा था,मैं बालकनी में ही बैठा बैठा सोने लगा था...

______________________________
 
अध्याय 8
शबनम अभी भी नंगी लेटी हुई थी और मेरे वीर्य को अपने पेंटी से पोछ रही थी ...मुझे तब आश्चर्य हुआ जब उसने अपनी पेंटी को अपने पर्स में डाल लिया ,

"अरे ये क्या कर रही हो,फेक दो इसे "

वो जोरो से हँसी .

"इतनी महंगी पेंटी फेक दु ...और ऐसे भी ये मुझे तुम्हारी याद दिलाएगा,इसे मैं नही धोने वाली.."उसने मुझे आंख मारी,लेकिन उसकी बात से मेरे लिंग में एक उछाल जरूर आ गया.

"चलो रश्मि मेडम से भी मिल लेता हु और तुम उन लकड़ियों की ट्रेनिंग शुरू कर दो ...

मैं रश्मि के केबिन में बैठा हुआ था,वो किसी से फोन से बात कर रही थी,हमेशा की तरह खूबसूरत रश्मि,अच्छी खासी हाइट थी,गोरों चिट्टी लड़की,और चहरे में मालकिनों वाला रुआब ,,..

"ह्म्म्म तो मिस्टर देव कैसा रहा पहला दिन शबनम के साथ "वो फोन रखते हुए बोली,उसके चहरे में एक मुसकान थी,

"अच्छा था मेडम "

"तुम नही सुधारोगे "

मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ ,

"सॉरी रश्मि "

वो फिर से हल्के से मुस्कुराई और अपनी कुर्सी से उठाकर मेरे सामने टेबल में आकर बैठ गई,उसके मिनी टाइट स्कर्ट से उसकी दोनो जाँघे चमकने लगी ,वो कमाल की सेक्सी लग रही थी,होठो पे लगा हुआ लाल लिपिस्टिक और उसके काले खुले हुए बाल उसे और भी सेक्सी लुक दे रहे थे,रश्मि को इतना सजकर आते मैंने पहली बार देखा था,

"नजर बचा के क्यो देख रहे हो सीधे ही देख लो.."

वो फिर से हँसी ,लेकिन मैं झेप गया,उसने मुझे अपनी जांघो को छुपकर देखते पकड़ लिया था,वो मेरे बालो में हाथ फेरकर मुस्कुराई ..

"कमान यार देव,इतना शर्माना बंद करो अब तो तुम्हे कस्टमर और लड़कियों के साथ डील करना पड़ेगा."

वो साली कातिल थी,गजब की मुस्कान थी ,आज तो दिल और लंड दोनो ही बेताब हो रहा था,पहले शबनम और फिर ये .

शायद उसे मेरे पेंट की ऊँचाई का पता चल गया..

"ओह मिस्टर ,ऐसे ऊँचा करने की जरूरत नही है ,फ्रेंड बोला है तुम्हे बॉयफ्रेंड नही "

उसने मेरे पेंट की तरफ इशारा करके मुझे हल्के से डांट दिया और मैं थोड़ा घबरा सा गया,

"सॉरी वो ,...."

"क्या सॉरी साले घंटे भर से तुम शबनम के साथ ऐयासी कर रहे थे और फिर से खड़ा कर रहे हो ,..."वो टेबल से उठकर फिर से अपनी कुर्सी में बैठ गई लेकिन इससे मेरे दिल में एक डर भर गया,वो सच में मुझसे इतना फ्रेंडली थी अगर वो गुस्सा हो गई तो.

"सॉरी मेडम ."मैंने अपना सर झुका लिया था,

"चलो कोई नही आईन्दा से ध्यान रखना ,हम दोस्त है उससे ज्यादा बढ़ने की कोशिस मत करना ओके "

"ओके मेडम "

मैं अभी भी सर झुकाए हुए था,

"अब अगर एक बार भी तुमने मुझे मेडम कहा तो साले जान से मार दूंगी "वो झूठे गुस्से से बोली और हँस पड़ी ,मैं भी उसकी बात से थोड़ा रिलेक्स हो गया था..

"तो..मुझे होटल के सारे डिटेल्स चाहिए ,खासकर अकाउंट के,हो सके तो आज ही .."

"जी ....रश्मि "मैंने अपने को सुधारते हुए कहा जिससे वो हल्के से मुस्कुराने लगी ...

आज रश्मि को होटल का पूरा कारोबार समझते मुझे देर हो गई थी,शबनम के साथ हुआ एनकाउंटर और इतना सारा माथापच्ची वाला काम ,मैं बुरी तरह से थका हुआ घर पहुचा ,निशा सोफे में ही सोई हुई मिली,रात 1 बज रहे थे.

मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसके माथे में हाथ फेरने लगा .

मेरे स्पर्श से वो जागी ,

"आप आ गए भइया "वो सोफे से उठ चुकी थी

"हाथ पैर धो लीजिये खाना लगा देती हु "

"अरे पागल तू क्यो परेशान हो रही है मैं खा के आया हु,तेरी भाभी आ गई ,"

"नही थोड़ी देर पहले तो फिर से गई है,रात को नही आ पाऊंगी बोल रही थी."उसकी बात सुनकर मेरा चहरा थोड़ा उदास हो गया,जिसे निशा ने पढ़ लिया,

"भइया आपके और भाभी के बीच सबकुछ ठीक तो है ना .."

"हा मेरी जान सब ठीक है,जा जाके सो जा,"

मैं अपने कमरे में आ गया,और फ्रेश होकर बिस्तर में लेट गया,बीते हुए पूरे दिन की तस्वीर मेरे दिमाग में आने लगी थी,मैं सोच रहा था की आखिर काजल क्या प्लान कर रही है...उसके पास इतने पैसे कहा से आने वाले है,

काजल जैसी भी हो लेकिन वो मूर्ख तो नही थी,वो पढ़ी लिखी थी,और इस बिजनेस की एक्सपर्ट भी थी,वो टैलेंट के मामले में भी कमाल की मैनेजर थी,उसे अकाउंट की भी अच्छी जानकारी थी ,तो मैं इतना तो समझता था की अगर वो कुछ करने वाली है तो उसके पास कुछ तो सॉलिड प्लान होगा..

क्या मुझे उससे पूछना चाहिए ,क्या मुझे उसकी मदद करनी चाहिए.????

मेरे दिमाग में हर चीज बहुत ही तेजी से चल रही थी की दरवाजे में दस्तक हुई ,दरवाजा लॉक नही था तो वो खुलता चला गया ,वो निशा थी ,उसने अभी अभी चेंज किया था वो एक काले रंग की झीनी सी नाइटी में थी,आज पहली बात मैं उसे इस रूप में देख रहा था,हा वो मेरी बहन थी और मैं उसके बारे में कुछ भी गलत नही सोच सकता लेकिन वो सच में सेक्सी लग रही थी,वो धीरे से मेरे पास आयी और मेरे साथ ही बिस्तर में लेट गई और मुझे कसकर पकड़ लिया .

"क्या हो गया बड़ा प्यार आ रहा है भाई पर ..और ये किसने दिया .."

"नींद नही आ रही भइया,इसे तो भाभी जी ने लिया है हमारे लिए,बहुत से मॉर्डन कपड़े दिलवाए है ...कैसी है "

वो मुझे छोड़कर उठी और अपने कपड़े को पकड़ कर मुझे दिखाने लगी..

"हम्म ठिक है पर सोते समय ही पहना कर इसे ,बहुत ट्रांसपरेंट है,आज मुझे भी पता चला की मेरी बहन कितनी बड़ी हो गई है"

मैं ये सब अचानक ही बोल गया था लेकिन निशा ने जैसे सब समझ लिया उसका चहरा शर्म से लाल हो गया था,

"छि भइया मैं जा रही हु,"

वो बिस्तर से उठाने वाली थी की मैं उसका हाथ पकड़कर खिंचते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया..वो भी मेरे बालो से भरे नंगे सीने में खुद को समेटने लगी,उसके गाल मेरे बालो से रगड़ खाने लगे थे जिसका कोमल अहसास मेरा प्यार और भी बढ़ा रहा था,मैं उसके बालो में हाथ फेरने लगा था...मेरी बांहे उसके कोमल जिस्म को समेटे हुए थी और उसकी सांसे मैं अपने सीने में महसूस कर पा रहा था,ना ही वो कुछ बोल रही थी ना ही मैं लेकिन मुझे इससे बहुत सुकून मिल रहा था,दिन भर की थकान और दिमाग का पूरा टेंसन ही धूल गया,मैं उसके सर पर एक किस करके अपनी आंखे बंद कर बस उसके अहसास को महसूस करने लगा...

शरीर की थकावट ने आंखे कब लगा दी पता भी नही चला ....

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अध्याय 9
जब आंख खुली तो सूरज भी चढ़ चुका था,और मेरे बाजू में सोने वाली निशा की जगह अब काजल ने ले लिया था,वो मुझे अपने बांहो में समेटे हुए सो रही थी,हमारे बीच जो कुछ भी चल रहा है उसके बाद भी वो मुझसे ऐसे लिपटी हुई थी जैसे की अब भी वो मुझसे उतना ही प्यार करती हो,मैं उसके मासूम से चहरे को देख रहा था,उसके तन का वो पतला कपड़ा उसके यौवन को ढक पाने में असमर्थ था,उसके स्लेवलेस नाइटी से झांकते हुए उसके उजोर और जांघो के बीच से झांकते हुए उसके योनि के भाग इस बात का इशारा दे रहे थे की उसने नीचे कुछ भी नही पहना है,मेरे सीने में सर रखे वो एक मासूम सी बच्ची लग रही थी,उसके लिए मेरे मन में प्यार ही प्यार था,जो उसे देखते ही उमड़ कर सामने आने लगा,लेकिन.....???

लेकिन पूरी रात वो ना जाने क्या गुल खिला कर आई थी,उसकी इस मादक जवानी को भोगने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके कोमल उरोजों को मसलने और अपने दांतो के निशान उसमे छोड़ने वाला मैं नही कोई और ही था,उसके योनि के रस से भीगा हुआ लिंग मेरा नही किसी और का रहा होगा...

जलन,ईर्ष्या,दुख,और गुस्सा...सभी मेरे मन में एक साथ आ कर चले गए,वही मैं प्यार ,दर्द,उत्तेजना,के कम्पन को भी अपने दिल में महसूस कर रहा था,ये आज भी,सब जानते हुए भी,मेरे लिए सोच पाना कठिन हो गया था की काजल का जिस्म मेरे सिवा किसी और का भी है,लेकिन..

लेकिन जिस समय मैंने शबनम की पेंटी उतारी थी उसी समय काजल मेरे प्यार के बंधन से आजाद हो चुकी थी,.....अब वो बंधी नही थी क्योकि मैंने भी इस बंधन को तोड़कर आजदी को चुना था,अब ये आजादी मुझे कितना दर्द देने वाली थी ये तो मुझे भी नही पता था....

मैं उठाने को हुआ तो काजल मचली,और मुझे और भी जोरो से जकड़ लिया ,मैं अपने होठो को उसके होठो के पास लाकर उसके गुलाबी होठो में अपने होठो को रख दिया,मैं हल्के हल्के से उसे चूसना चाहता था ताकि वो जग ना जाए...मैं डरने लगा था...मैं डरने लगा था काजल को अपना प्यार दिखाने से ,मैं नही चाहता था की उसे पता चले की मैं उससे कितना प्यार करता हु,वो बस यही समझे की मैं उससे नफरत करने लगा हु,

लेकिन बाबू इश्क मुश्क छिपता तो नही .

मैं तो बहुत ही हल्के हल्के ही उसके होठो को चूम रहा था लेकिन उसने मेरे बालो में अपने हाथ रख दिए और इससे पहले की मैं वँहा से उठ भागता उसने अपनी पूरी जीभ ही मेरे होठो में घुसा दी ,...दोस्तो सच बताऊ की ये मजबूरी क्या थी??

मैं उसे छोड़ भी नही सकता था और पकड़ भी नही ...मैं अपने ही मन के कोलाहल में घूम सा हो चुका था,,लेकिन मैं उसके होठो को चूसने लगा,मैं भूल जाना चाहता था की मैं क्या हु,वो क्या है.

जब हम अलग हुए तो काजल की आंखे मुझे ही देख रही थी और होठ ...होठो में एक मुस्कान फैले हुए था जैसे मेरी चोरी पकड़ ली हो.

मैं थोड़ा नर्वस था मैं जल्दी से उठाना चाहता था लेकिन काजल ने मुझे जकड़ लिया था और वो अब मेरे ऊपर आ गई,उसके बाल फैले हुए थे ,माथे का सिंदूर थोड़ा फीका लग रहा था ,उसके कमर मेरे कमर के ऊपर थे ,मेरा लिंग उसके नंगे जांघो के बीच रगड़ खा रहा था,उसके बाल मेरे मुह में फैल गए जिसे मैंने हटाया,वो बहुत ही मादकता से मुस्कुरा रही थी,शायद मैं इस का दीवाना ही हो जाता अगर मुझे असलियत पता न होती.

लेकिन अब भी तो मैं उसका दीवाना ही था..

उसने मेरे हाथो को अपनी कमर में रख दिया और झुककर मेरे गालो को ,माथे को ,नाक,होठ ,आंखे बल,गला सब अपने होठो से भिगोने लगी थी,उसके हाथ मेरे छाती में चलते ,पीठ में चलते,मेरे कमर के नीचे पहुचते,बालो के सहलाते या दोनो हाथो से मेरे चहरे को पकड़ लेते और वो मुझे बेतहासा चूमती...

वो पागल हो गई थी ,इतनी जितनी की वो पहले होती थी,मुझसे रहा नही गया और मैंने भी उसके बालो को पकड़ कर उसके चहरे को अपने चहरे से मिला लिया...

उसकी आंखों से टपका हुआ आंसू मेरे गालो में फैल गया था,और मैं उसके होठो को अपने होठो से अलग करना ही नही चाहता था,.............

हम तब तक ऐसे ही रहे जब तक की निशा ने दरवाजा नही खटखटाया ,हम दोनो ही एक दूसरे से अलग हुए और एक दूसरे के चहरे को देखकर मुस्कुराए ...

"भइया ...नाश्ता लगा दु क्या ."

"रुक फ्रेश होके आता हु "

मैं लेटे हुए ही चिल्लाया ..

"रुको ना थोड़ी देर "

काजल अब भी मेरे ऊपर ही थी..

"अगर तुम रात को आ जाया करो तो सारी रात तुम्हारे साथ बिताऊंगा "

मैंने बुझे स्वर में कहा जिसका कोई भी जवाब उसके पास नही था,उसका खिला हुआ चहरा मुरझा गया और वो मेरे ऊपर से हटी,मैं सीधे बाथरूम में घुस गया...

मैं ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था,काजल बाथरूम में थी,तभी उसका मोबाइल बजा..

"देव देखो तो किसका काल आया है"

वो बाथरूम से ही चिल्लाई ,,,

उसका मोबाइल उसके पर्स में रखा था मैंने उसे खोला मोबाइल निकाल कर उसे दे दिया ,वो बाथरूम में ही बात करने लगी ,...तभी मेरी नजर उसके पर्श पर पड़ी,एक काले रंग का कपड़ा उसके अंदर था जो की मोबाइल के साथ थोड़ा बाहर आ गया था,मैं जाकर उसे बाहर निकाला ,वो पेंटी थी.

काजल की पेटी जिसपर किसी के वीर्य को पोछा गया था,जिसके कारण वो कड़ा हो गया था,जैसे शबनम ने मेरे वीर्य को पोछा था.

काजल बात करके मुझे मोबाइल देने को हाथ बाहर निकाली और उसकी नजर मेरे ऊपर गई जो की उस पेंटी को ध्यान से देख रहा था,

"उसे भी दे दो ,धो लेती हु "

उसका स्वर ठंडा था,मैंने उसके हाथो से मोबाइल लिया और पेंटी उसके हाथो में थमा दिया ....

एक बार हम दोनो की आंखे मिली ,

"अब छुपाने को हमारे बीच रहा क्या है देव...."

काजल की बात का जवाब दिए बिना मैं पीछे मुड़ा ही था,

"लेकिन तुम मुझसे छिपाने लगे हो "मैं आश्चर्य से भरा हुआ फिर से मुड़ा ...इस बार काजल की आंखे पानी से भरी हुई थी ,

"अपना प्यार ...तुम मुझसे अपना प्यार छुपाने लगे हो देव"

उसका गाला रुंधा हुआ था,मेरे पास उसके सवाल का कोई जवाब भी तो नही था,मैं तुरंत ही वँहा से निकल गया....

______________________________

अध्याय 10
होटल में घुसते ही मुझे रिसेप्शन में ही रवि दिखाई दिया (मेहता एंड सन्स होटल का मालिक) वो शबनम के साथ खड़ा हुआ था साथ ही ,एक अधेड़ आदमी और एक बहुत ही सुंदर सी लड़की भी खड़ी हुई थी.

"गुड मॉर्निंग सर "मैं रवि से मिलते हुए कहा ..

"गुड मॉर्निंग मिस्टर देव ..यार तुमने तो हमे कंगाल ही कर दिया,हमारी सबसे अच्छी बंदी को तुम अपने पास ले आये"

उसने शबनम की तरफ इशारा किया और शबनम मुस्कुराने लगी..

"सर नथिंग पर्सनल इट जस्ट बिजनेस "

"वो सब तो ठिक है देव जी लेकिन एक बात तो है रश्मि इस होटल को बहुत आगे लेके जाएगी,जंहा तुम जैसा मैनेजर हो और शबनम जैसी HR उसे कौन रोक सकता है.."

"थैंक यु सर "

मैंने सोचा नही था की रवि मुझसे इतने प्यार से बात करेगा ..

"हम्म और इनसे मिलो ये है डॉ चुतिया ,और ये आई इनकी सेकेट्री मिस मेरी मारलो "

उन्होंने उस अधेड़ और उस खूबसूरत लड़की की ओर इशारा करते हुए बोले ..मैं उनकी बात से चौक ही गया,किसी का नाम चुतिया कैसे हो सकता है..और मेरी मारलो ...

"हैल्लो सर "

"हैल्लो ,यार मुझे तुम्हारे होटल में एक कमरा चाहिए ..एक डबल बेडरूम,मेरे और नंबर हो 123 ."

मैं कभी रवि को देखता तो कभी उस शख्स को रवि अपने होटल में ना लेजाकर उसे मेरे होटल में क्यो ले आया था..

"ओक्के सर पर ये 123 में कोई खास बात है क्या ..मतलब कोई दूसरा रूम मिले तो ,"

साला ठरकी था,एक ही बेडरूम चाहिए था उसे अपने और अपनी सेकेट्री के लिए

"हा मेरा लक्की नंबर है इसलिए...रवि के होटल में वो नंबर खाली नही था तो मैं यंहा चला आया "

रवि ने खुद इसे यंहा तक छोड़ा था तो ये कोई आम आदमी तो होगा नही ,मेरे दिमाग में कई बाते एक साथ चल गई

"ओके सर ओके ..मैं अभी देखता हु "

मैं तुरंत ही काउंटर में जाकर 123 को बुक करने कहा और साथ ही उनका सभी समान उनके कमरे में पहुँचवा दिया,आश्चर्य था की समान के नाम पर उनके पास कुछ भी नही था,केवल एक बेग .

दोपहर में जब मैं होटल के राउंड पर था मुझे फिर से डॉ चुतिया दिखाई दिए ,वो रेस्टारेंट में अपनी सेकेट्री के साथ बैठे हुए थे ,साथ ही एक और लड़की भी थी जिसे मैं पीछे से पहचान नही पाया था,मैं जाकर उनका कुशल छेम पूछना चाहता था क्योकि यही तो मेरा काम था...मैं उनके पास पहुचा ..

"हैल्लो सर ,रूम में कोई प्रॉब्लम तो नही हुई ,कैसा लगा आपको हमारा ये होटल "

मैं बड़े ही नम्रता से सर झुकाए हुए उनसे बात कर रहा था,

"हम्म बहुत अच्छा ,और हा इनसे मिलो ये खान साहब के होटल की मैनेजर मिस काजल,आई थिंक तुम इसे जानते होंगे "

काजल ,मैंने तुरंत ही उनके साथ बैठी हुई लड़की को देखा,काजल मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी,ये यंहा क्या कर रही थी..,वो मेरे बोलने से पहले ही बोल पड़ी ..

"जी सर हम दोनो ही एक दूसरे को जानते है,हाय देव कैसे हो .."

"अच्छा तुम कैसी हो .."

"बहुत अच्छी ."

"हम्म अच्छी तो होगी ही,बहुत तरक्की जो कर रही होई खान साहब के होटल में "मैं थोड़ी दबी हुई आवाज में बोला जिसका मतलब काजल को साफ साफ समझ में आ गया था.

"लगता है तुम दोनो कुछ पर्सनल बात कर रहे हो ,बहुत ही कोड में.."डॉ हँसने लगा

"नही सर कुछ नही ...अच्छा सर मैं चलती हु,मेरे प्रस्ताव पर ध्यान दीजिएगा "काजल बोलकर उठ गई ,और उन्हें नमस्ते करते हुए वँहा से निकल गई ,

"बहुत ही सुंदर लड़की है क्यो देव ."

डॉ ने फिर से मुझसे कहा

"जी जी सर .एस्क्युस मि सर "

मैं भी जल्दी से वँहा से निकला,काजल गेट पर ही मुझे मिली,वो मुझे देखकर पार्किंग वाले जगह में जाने लगी और अपनी गाड़ी के पास जाकर रुक गई ,उसे पता था की मैं उसके पीछे ही आ रहा हु

"क्या हुआ तुम मेरे पीछे क्यो आ रहे हो "

"ये चल क्या रहा है ..रवि इसे हमारे होटल में छोड़कर जाता है और तुम इससे मिलने आती हो बात क्या है "

मैंने एक ही सांस में बोला,जिससे काजल के चहरे में एक मुस्कान उभर गई ,

"तुम और तुम्हारी मेडम रश्मि दोनो ही होटल बिजिनेस के खेल में कच्चे हो "

वो इतना ही बोलकर कार का दरवाजा खोलने लगी ,मैं तुरंत ही दरवाजा बंद कर दिया और उसका रास्ता रोक कर खड़ा हो गया..

"मतलब "

मैंने उसे घूर कर देखा ,

"मतलब की ये डॉ चुतिया उर्फ डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले है ,और अभी ये यंहा इंस्पेक्टर की हैसियत से आये है ,होटल के निरक्षण के लिए और उसे रेटिंग देने के लिए ,मुझे हैरानी है की तुम्हारी मेडम को भी ये बात नही पता ना ही तुम्हे...हम तो इन्हें खुस करने के लिए कुछ भी करने को तैयार बैठे है ,लेकिन इन्हें तुम्हारे होटल से ना जाने क्या दिलचस्पी है ...जो की ये यंहा आकर ठहर गए ."

काजल की बात सुनकर मुझे अपने ही ऊपर गुस्सा आने लगा और रश्मि के ऊपर भी ,उसे इन सब चीजो की जानकारी होनी चाहिए थी ..

काजल ने मुझे हटाया और दरवाजा खोलकर फिर से निकल पड़ी ...अब मुझे सब कुछ समझ आ गया था,काजल डॉ को अपने होटल बुलाने को ही यंहा आयी होगी ,शायद उसे अच्छी रेटिंग के लिए कोई डील भी दी होगी ...जो भी हो ये बिजिनेस था और काजल ने मुझे डॉ के बारे में बता कर मेरे ऊपर ही अहसान किया था ,मैं फिर से भागा हुआ वापस पहुचा इस बार डॉ ,रश्मि के साथ खड़ा हुआ दिखाई दिया ..मैं उनके पास पहुचा .

"ओह देव तुम इनसे मिले ये है डॉ .."रश्मि के बोलने से पहले ही डॉ बोल उठा

"ये आज इससे तीसरी मुलाकात है,सच में तुम्हारा होटल तो कमाल का है जितना सोचा था उससे कही अच्छा "

"थैंक यु सर "मैंने आभार व्यक्त किया

"अंकल आप कब तक रुक रहे है यंहा पर "

रश्मि डॉ को अंकल बोल रही थी ,

"बस बेटा कुछ दिन मेरा काम हो जाए फिर मैं चला यंहा से "

"ओके और देव ये हमारे पर्सनल मेहमान है इन्हें कोई भी कमी नही होनी चाहिए "

"जी मेडम "

रश्मि ने मुझे देखा

"कितनी बात समझना पड़ेगा तुम्हे "

मैं हैरान था की वो क्या बोलना चाह रही है ,

"मेरा नाम है ."

मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ

"सॉरी रश्मि "

वँहा खड़े सभी हँसने लगे ....

मैं अभी रश्मि के सामने ही खड़ा हुआ था,और थोड़े गुस्से में भी था,

"रश्मि यार तुमने मुझे बताया क्यो नही ,"

"ओह अब मैं यार बन गयी .."रश्मि ने मुझे बड़े ही अदा से देखा

"तुम पहले डिसाइड कर लो की मैं तुम्हे क्या बोलू,..."इस बार मैं गुस्से में था और मेरा गुस्सा देख कर वो हँस रही थी ,

"अच्छा अच्छा मजाक कर रही थी ,तुम्हे जो भी बोलना है वो बोल लो लेकिन बोलो तो सही की क्या नही बताया ."

"यही की डॉ चुतिया यंहा होटल को रेटिंग देने आये है,कम से कम मैं तैयारी."

लेकिन रश्मि ने मुझे टोक दिया

"क्या क्या अंकल यंहा होटल को रेटिंग देने आये है ,पागल हो गए हो तुम किसने कहा तुम्हे ."

अब चौकने की बारी मेरी थी .मैं आंखे फाडे हुए उसे देख रहा था,

"तुम पहले अपने इंफॉर्मर्स को सही करो,अगर वो ऐसे न्यूज़ देंगे तो तुम इस होटल का बंटाधार कर दोगो ."

रश्मि ने मुझे झडक दिया .

"लेकिन ..वो किस काम से यंहा आये है "

मैं मूर्खो जैसे पूछ बैठा ..

"अब तुम कस्टमर से उनके पर्सनल कामो को भी पूछोगे "

रश्मि ने मुझे आंख दिखाया और मैं सॉरी बोलकर वँहा से निकल गया..

मैं झल्लाया हुआ था,काजल के कारण मुझे आज रश्मि के सामने बेइज्जत होना पड़ा था..मैं अपने केबिन की तरफ जा रहा था की मुझे शबनम किसी से मोबाइल में बात करते हुए आती दिखी,वो हँस रही थी जैसे मोबाइल में कोई उसे जोक सुना रहा हो .

मुझे देखते ही वो रुकी मैं भी रुक गया,

"ओके मैं बाद में बात करती हु "वो फोन रखकर मुझे देखने लगी,मुझे देखते हुए वो अपनी हँसी को कंट्रोल कर रही थी ,

"ऐसे क्या हँस रही हो ,और तुम्हे पता है आज काजल यंहा आयी थी "

"अच्छा "उसने थोड़ा सीरियस होने की एक्टिंग की जिसमे वो बिल्कुल भी नाकाम हो रही थी क्योकि उसके चहरे में अब भी मुस्कुराहट फैली हुई थी ..

"क्या अच्छा ,ये काजल समझती क्या है अपने आप को उसके कारण मुझे रश्मि से डांट खानी पड़ गई "

जो जोरो से हँसने लगी जैसे बहुत देर से हँसी दबा के रखी हो और हंसते हंसते ही मेरे कंधों पर हाथ रख लिया उसकी हँसी इतनी ज्यादा थी की वो खड़े भी नही हो पा रही थी ,उसने अपना चहरा मेरे सीने से ठिका लिया ,

"ऐसे क्यो पागलो जैसे हँस रही हो "मुझे और भी गुस्सा आया

"और नही तो क्या करू वो तुम्हे फिर से मूर्ख बना गई ..और क्या जरूरत थी उसका पीछा करने की "

वो हंसते हुए मुझसे अलग हुई ,

ओह तो इसे सब पता है,शायद अभी अभी वो काजल से ही बात कर रही थी ,

मैं नाराज होकर वँहा से जाने लगा लेकिन शबनम मेरे पीछे ही मेरे केबिन में आ गई ,

"अरे सुनो तो "

"कुछ नही सुनना मुझे तुम और तुम्हारी सहेली ...साला मेरी तो कोई औकात ही नही है "

मैं धड़ाम से अपने चेयर में बैठा ,शबनम मेरे बाजू में आकर खड़ी थी ,सामान्य से साड़ी पहने हुए ...उसके कमर की नंगी चमड़ी मेरे चहरे के पास थी जिसे देखकर मुझे कुछ होने लगा लेकिन मैं अभी गुस्से में था.

वो मेरे गोद में बैठ गई ..

"क्या डील हुई है डॉ और उसके बीच जिसके बारे में उसे सोचने को कह रही थी .."

मैंने अपने मन की बात जाननी चाही ,उसने अपनी बांहे मेरे गले के चारो ओर डाल कर रखा था,और मेरे चहरे को देख रही थी ,ऐसा लग रहा था जैसे हम प्रेमी प्रेमिका ही है..

"तुम काजल के मामले में क्यो जानना चाहते हो देव,छोड़ो उसे ."

वो मेरे बालो को सहलाने लगी ,मैं किसी बच्चे की तरह रूठा हुआ बैठा था,

"अच्छा अगर नही बताना है तो जाओ यंहा से ,...उठो मेरी गोदी से "

मेरे बात को सुनकर वो हल्के से मुस्कराई ,

"अच्छा तुम तो ऐसे हुक्म झाड़ रहे हो जैसे तुम मेरे प्रेमी हो ."वो मेरी आंखों में देखकर कहने लगी ,

"सच कहती है काजल की तुम बहुत ही मासूम हो ,अब जाकर मुझे यकीन हो गया"

वो मेरे बालो को सहला रही थी ,इतने प्यार से जैसे की सच में उसका और मेरा कोई गहरा रिश्ता हो ,मैंने उसकी आंखों में देखा और उसके बालो को पकड़कर उसे अपने चहरे के पास ला दिया और उसके होठो में अपने होठो को डाल कर चूसने लगा,वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी ,उसके होठो की ना जाने कितनी लिपिस्टिक मेरे होठो के माध्यम से मेरे अंदर आ गई थी .

"बताओ ना जान क्या डील है "मैंने उसे छोड़ते ही कहा ,मैं जानने को बहुत ही उत्सुक था..वो मेरे गालो में हल्की सी चपत लगा कर हल्के से हँसने लगी .

"तुम सच में मेरे प्रेमी बनते जा रहे हो देव,..इतनी मोहोब्बत तो मेरे पति ने भी आज तक नही दिखाई..दुनिया के लिए मैं एक रांड हु और पति के लिए बस सेक्स और पैसे की मशीन ...तुम ही एक हो जो इतना प्यार दिखा रहे हो .."शबनम की भावनाएं बढ़ रही थी ,शायद हम दोनो के तरफ से ,मैं फिर से उसे खीचकर उसके होठो को चूसने लगा .जब मैंने उसे छोड़ा तो दोनो के ही आंखों में एक चमक थी .

"अब इमोशनल करके बातो को घुमाओ मत बताओ की क्या डील है."

वो हँसी .

"तुम तो पीछे ही पड़ गए यार ...मुझे भी नही पता की क्या डील है..सच में तुम्हारी कसम .."

उसने मेरे सर पर हाथ रख दिया,ऐसे तो हमारा रिश्ता इतना नही था की वो मेरी कसम खाये लेकिन फिर भी मैंने उसकी बात मान ली,या ये कहो की दिल ने मुझे मानने के लिए मजबूर ही कर दिया ..

"हम्म तो वो क्या डील लेकर डॉ के पास आयी थी ????"

मैं थोड़ा अचंभित था,

"उसने कहा है की कल का अखबार देख लेना तुम्हे पता चल जाएगा "

शबनम की बात से मैं फिर से आश्चर्य में पड़ गया था,आखिर क्या हुआ है..डॉ किस काम से यंहा आया है,और वो है कौन ...क्या होने वाला है आज जो कल के अखबार में आने वाला है.

मैंने अपना सर झटका .

"अब छोड़ो ये सब जो भी होगा पता तो चल ही जाएगा ना "

शबनम के चहरे में मुस्कुराहट तैर रही थी ,उसके गुलाबी होठो की लाली मुझे ना जाने क्यो इतने आकर्षित करते थे,उसका मादक जिस्म देखकर कोई भी उसे छूने को बेताब हो जाए ...तो मैं क्या था,मेरे हाथ उसके कमर में चले गए,मैं उसके खुले हुए कमर को मसल रहा था,वो हल्के नाराजगी भरे स्वीकृति से मुझे देखने लगी ,

"चलो ना जान लग्जरी रूम में चलते है "

सच में मुझे बड़ा मन हो रहा था उससे सेक्स ....नही नही प्यार(इस नाम से सेक्स करने में मजा आता है) ...करने का .

वो मुस्करा कर मुझे देखने लगी .

"अच्छा जी ,एक रात का 1-5 लाख रेट है मेरा और तुम फोकट में ही मेरी रोज लेना चाहते हो ."

मैंने उसके कमर को और भी जोरो से रगड़ा ..

"ये हवस नही मेरी जान प्यार है मेरा "

मैंने आवाज को नशीला करते हुए एक अदा से कहा ..

"ओह जनाब का प्यार मेरे पिछवाड़े में गड़ने लगा है .."वो जोरो से हँसी ,सच में मेरा लिंग तनकर उसके नितम्भो में गडने लगा था ..मैं भी हल्के से मुस्कुराया ..

"चलो ना यार "

उसने मेरे होठो में अपनी उंगली रख दी ,

"चुप रहो ,बहुत काम है ,और रोज रोज करके आदत खराब नही करनी मुझे...तुम्हारे बीवी की दोस्त हु,तुम्हारी कलीग हु .. तुम्हरी प्रेमिका नही ."वो हंसते हुए खड़ी हुई थी की मैंने उसके हाथो को पकड़ कर उसे फिर से अपने गोद में बिठा लिया ..

"मेरी जान लक्षण तो अब प्रेमिका वाले ही दिख रहे है..और पैसे का क्या है जान मांगो तो वो भी दे दे ."

मैं हल्के से मुस्कुराया

"हाय क्या अदा है तुम्हारी और ये गरीबो वाले डायलॉग मत बोलो,जिनके पास पैसे नही होते वो ही जान देने की बात करते है..और ऐसे भी तुम्हारी जान तो काजल की मुझे क्या दोगो "

उसकी वो बात सीधे दिल में लगी लेकिन थी तो सच्ची ही ,मेरी पकड़ उसकी सच्ची बात से ही ढीली हो गई,जिसका अहसास उसे हो गया,वो शायद मुझे नाराज या दुखी नही करना चाहती थी वो मेरे कानो के पास आयी और मेरे कानो में फुसफुसाने लगी..

"जान..इस जिस्म की जो कीमत तुम देते हो वो कोई नही दे सकता,लेकिन रोज नही ,प्लीज़ "उसकी इस अदा ने मेरे दिल को बहुत सुकून पहुचाया मैं उसे फिर से अपनी ओर खीचकर उसके होठो पर टूट पड़ा,और उन्हें तब तक चूसता रहा जब तक दिल नही भर गया,और वो कमरे से चली नही गई ......
 
अध्याय 11
आज भी मेरे आने पर काजल नही आयी हुई थी ,होटल का काम बहुत ही बढ़ता जा रहा था,हमे आगे के प्लान को एक्सीक्यूट करने में मेहनत करनी पड़ रही थी ,हमारे पास कई नए इडियास थे,जिनपर हम धीरे धीरे से अमल करते जा रहे थे,मैं घर पहुचते पहुचते बेहद थक जाया करता था,वो शारीरिक ही नही मानसिक थकान भी होती थी ,और काजल को घर में ना देखने से एक जलन सी होने लगती...

मैं जानता था की उसे रोक पाना अब मेरे लिए मुश्किल है और मैं तो अब उसे रोकना भी नही चाहता था,मैंने उसे उसकी जिंदगी में आजाद छोड़ दिया था,मैं अपने पति का धर्म निभाने को तैयार था लेकिन उससे उसके पत्नी धर्म निभाने की आशा छोड़ ही दी थी...

हम दोनो के बीच में प्यार तो अब भी था लेकिन कई दीवार खड़ी हो गई थी ,मैं उस दिन को कोसने लगा था जब मुझे काजल की असलियत का पता चला,ना ही मुझे असलियत का पता चलता और ना ही मैं दुखी होता,जिंदगी ऐसे ही चलती रहती....

खैर अब मेरे घर में मुझे सुकून पहुचने के लिए मेरी दो प्यारी बहने भी तो थी,मेरे जाते ही वो मेरी सेवा में लग गई कोई मेरे जूते उतार रहा था तो कोई चाय लाकर दे रहा था...उन दोनो को देखकर ही मेरी सारी थकान दूर हो जाती थी.

मैं फ्रेश होकर खाना खाने बैठा था,आज तीनो ने साथ में ही खाना खाया,मैं जब सोने रम पहुचा तो कल की तरह ही निशा मेरे कमरे में आ गई,लेकिन आज उसके साथ पूर्वी भी थी.

मैं दोनो को ही आंखे फाडे हुए देख रहा था,वो दोनो इतनी बड़ी हो गई थी और मुझे पता ही नही चला...

दोनो के जिस्म में भराव आने लगे थे,निशा जंहा पूरी तरह से भर गई थी वंही पूर्वी के नए नए विकसित अंगों में मादकता भर रही थी.

दोनो के ही स्तनों की ऊँचाई अच्छी खासी हो चली थी और नितम्भो में भी भराव आने से उनकी चाल में एक मटक पैदा हो गई थी ,जंहा निशा ने आज भी वही नाइटी पहनी थी वही पूर्वी एक स्लेवलेस स्पोर्ट टीशर्ट में थी जो की डीप नेक भी था और उससे उसके उजोर पूरे तने हुए दिखाई दे रहे थे,वही वो नीचे एक छोटी सी निकर पहने हुए थी ,जो उसकी कमर के नीचे की गोलाइयों का भरपूर नजारा दिखा रही थी ..

एक बार मैं दोनो को घूरता रहा फिर अपने दिमाग को झटका.

ये मुझे क्या हो गया ,मैं अपनी ही बहनों की जवानी को घूर रहा था.

दोनो मुझे ऐसा देखकर हल्के से मुस्कुराए और मेरे आजु बाजू आकर लेट गए ....

पूर्वी ने जहा मेरे सीने में अपना सर रख लिया था वही निशा ऊपर उठाकर मेरे सर को दबाने लगी,मेरा सर अब उसकी गोद में था..

मेरे सर के बाल निशा के जांघो को रगड़ रहे थे और उसकी मुलायम सी त्वचा का आभास मुझे सुकून दे रही थी ..

"चलो बीवी नही है तो मेरी प्यारी बहनों के साथ कुछ समय तो बिताने मिल रहा है.."

मेरी बात से दोनो ही मुस्कुराने लगे .

"हा भइया भाभी होती तो ऐसे रूम में घुसने थोड़ी देते ,दरवाजा लगा के .."पूर्वी बोलकर हँसने लगी लेकिन इस बात से निशा नाराज हो गई

"कुछ भी बोलती रहती है थोड़ी भी तमीज नही है "

"अरे बोलने दे ..मेरी प्यारी गुड़िया है ये ,कुछ भी बोल सकती है मुझे .."मेरी बात से पूर्वी खुस होकर मुझे और जोरो से जकड़ लेती है ..

थोड़ी देर में ही पूर्वी नींद के आगोश में चली गई,ऐसे सो तो मैं भी गया था लेकिन मेरी नींद खुली जब निशा उसे उसके कमरे में ले जाने को उठा रही थी ,पूर्वी जैसे नींद में चल रही हो वो अपने कमरे में जाकर सो गई ,निशा उसे पहुचाकर फिर से आयी,और मेरे गले से लग गई,मैं अभी थोड़े नींद में तो था लेकिन मुझे ये पूरी तरह से पता था की ये निशा ही है,मैंने भी उसे जकड़ा,उसकी झीनी नाइटी की वजह से उसके यौवन के सभी उभारों का आभास मुझे हो रहा था,लेकिन वो मेरी बहन थी मेरी सगी बहन ..

"भइया ."

"ह्म्म्म "

"ये भाभी रात रात भर कहा रहती है आप उसे कुछ बोलते क्यो नही हो "

उसके सवाल ने मेरे होशं ही उड़ा दिए ,जैसे नींद में किसी ने पानी डाल दिया हो ..

मैं जानता था की निशा अब बड़ी और समझदार हो गई है,वो चीजो को समझने लगी है और दो दिनों से उसका यू मेरे पास आकर सोना निरर्थक तो नही हो सकता ,जरूर कुछ बात तो थी ,

"अरे काम होता है ना तू तो जानती है ना "

"हा जानती हु लेकिन फिर भी भइया ,आप तो रात में आ जाते हो ,और आपको नही लगता की भाभी का काम अभी अभी ज्यादा बढ़ गया है ,पहले तो वो भी रात में आ जाया करती थी लेकिन कुछ दिनों से उनका रात रुकना कुछ ज्यादा ही हो गया है "

निशा की चिंता बेवजह तो नही थी लेकिन मैं उसके नजरो में काजल को गिरा तो नही सकता था..

"अरे तू भी कहा की बातो में पड़ गई ,चल सो जा "

"नही भइया ये बेवजह की बात नही है ,ऐसे में आपकी और भाभी की शादी शुदा जिंदगी भी प्रभावित हो जाएगी "

उसकी बात से मैं चौक गया ,ये मेरी वही छोटी बहन है जो कभी मेरी गोद में खेला करती थी ,ये इतने समझदारी की बाते कर रही है,हा अब वो कालेज जाने लगी है और उसका शरीर भी किसी औरत की तरह विकसित हो चुका है,शायद उसे सभी चीजो का ज्ञान भी हो ,लेकिन फिर भी थी तो वो मेरी छोटी बहन ही ,मेरे लिए ये समझना हमेशा ही मुश्किल रहेगा की वो बड़ी हो गई है ..

"प्लीज़ भइया बताओ ना कही कोई प्रॉब्लम तो नही है "

"नही मेरी जान कोई प्रॉब्लम नही है बस कुछ ही दिनों की बात है उसके होटल में कोई जरूरी काम चल रहा है "मैं उसे अपने से और भी सटाते हुए बोला...लेकिन मेरे मन में कई बाते चल रही थी ,मुझे काजल से बात करके ये सब बंद करवाना होगा कम से कम रात रुकना कम करवाना ही होगा,मैं नही चाहता की मेरी बहनों को ये पता चले की उनकी भाभी कैसे काम कर रही है,

मैं सोने की कोशिस कर रहा था पर मेरी आंखों से नींद काफी दूर हो चुका था..

तभी मेरे मोबाइल की घंटी बजी ,नंबर देखकर मैं हैरान हो गया,ये रश्मि थी इतने रात को क्या हो गया इसे ,मैं बुझे हुए मन से फोन उठाया मुझे लगा की शायद कोई काम आ गया होगा.

"हैलो देव ."

"हा रश्मि "

"तुम जल्दी से आ जाओ बहुत गजब हो गया "

मैं हड़बड़ाया और रश्मि मुझे देखकर मेरे ऊपर से उठ गई

"क्या क्या हो गया ."

"यार छापा पड़ा है .."

मेरी फट के चार हो गई अभी अभी तो वो काम शुरू किया था और अभी छापा भी पड़ गया ..

"खान के होटल में "

रश्मि की इस बात ने मेरे अंदर पहले से कही ज्यादा डर को भर दिया था,क्योकि अगर मेरे होटल में छापा पड़ता तो शायद रश्मि पैसे के बल में मुझे खुद को और होटल को बचा लेती लेकिन खान के होटल में तो काजल थी .

आगर काजल यह पकड़ी गई तो ...मैं बुरी तरह से डरा हुआ था.

"हैल्लो "

रश्मि ने मुझे कुछ ना बोलता हुआ देखकर कहा

"हा सुन रहा हु "

"अजीम और उसकी वो रांड काजल दोनो ही गिरिफ्तार हो गए है ,एक कमरे से लाश मिली है एक लड़की की ,वो शराब के नशे में थी और उसी के कारण मारी गई,पुलिस को शक है की अजीम उस लड़की से धंधा करवाता था,काजल को भी पुछताज के लिए ले जाय गया है ."

"ओके ओके मैं आता हूं "मैं जल्दी से उठा और तैयार होने लगा ,

"क्या हुआ भइया इतने परेशान क्यो हो "निशा की भव चढ़ गई थी ..

"कुछ नही बस मैं आता हु ,काम आ गया है ,तुम सो जाओ और पूर्वी और अपना ख्याल रखना "

मैं निकलने ही वाला था की शबनम का फोन आ गया ..वो काजल को लेके बहुत ही डरी हुई थी,मैंने अपनी गाड़ी होटल की ओर मोड़ दी ,लेकिन मुझे पोलिश स्टेशन भी जाना था ,मैं दुविधा में फंसा हुआ था,मैंने शबनम को काल किया

"तुम भी तैयार हो जाओ मैं तुम्हे लेने आ रहा हु ,हम पहले पुलिस स्टेशन चलते है ना जाने काजल का क्या हाल होगा ,मैं अकेले नही जा सकता लेकिन तुम्हारे बहाने जा सकता हु "

मेरी बात शबनम समझ चुकी थी ..

..........
 
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