[color=rgb(255,](UPDATE-01)[/color]
[color=rgb(85,]"आबे अरविंद देख के चल, मरवाएगा क्या? एक तो साला यहां इतना अंधेरा है की कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है...और तू है की धक्का दे रहा है." कहते हुए संजय ने कहा.."संजय सर! में खुद अंधेरे की वजह से पत्थर नहीं देख पाया जिसके वजह से मेरा पैर लड़खड़ा गया.सॉरी सर! " अरविंद ने कहा."चल जाने दे कोई बात नहीं...अभी तो फिलहाल उस बंदर पे ध्यान लगाना पड़ेगा, साला पता नहीं कहा भाग गया है.वक्त रहते अगर नहीं ढूँढ पाए तो मुसीबत हो जाएगी और विक्रम सर हमारी जान ले लेंगे वो अलग"."डोंट वरी सर, पहले भी उस बंदर ने ऐसा कर चुका है...कितना दूर गया होगा, मिल जाएगा..." अरविंद ने कहा. "वो तो ठीक है पर मुझे डर लग रहा है की साले पर पता नहीं क्या असर हुआ होगा उस इंजेक्शन का.कहीं कोई साइड एफेक्ट ना हो जाए"..संजय ने कहा."वो तो है सर. सर! क्या लगता है आपको यह जो एक्सपेरिमेंट है विक्रम सर का क्या कामयाब हो पाएगा?" "अब तो तब पता चलेगा जब बंदर को ढूंढ. लेंगे और उसे पिंजरे में बाँध करेंगे और सुबह तक वेट करेंगे की क्या उस पर उस केमिकल का रिएक्शन हुआ है. फिर उसके बाद विक्रम सर आएँगे और टेस्ट करेंगे की उनका एक्सपेरिमेंट कितना सक्सेस्फुल हुआ है, समझे? लेकिन उससे पहले हमें उस कमबख्त बंदर को ढूंढ़ना होगा वरना कल हमारी खैर नहीं है." संजय ने कहा.. अरविंद और संजय जो एक साइंटिस्ट विक्रम के यहां पर उनके असिस्टेंट के तोर पर काम करते थे..विक्रम थोड़ा सनकी किस्म का साइंटिस्ट था जो अजीब अजीब तरह के एक्सपेरिमेंट किया करता था. जब उसका कोई प्रयोग कामयाब हो जाता था तो वो उसे ब्लैक मार्केट में बेच देता था . कभी कभी उसेक प्रयोग का असर उल्टा पढ़ जाता. जिसकी वजह से उसे आगे कोई प्रयोग करने पर बन लग चुका था. पर विक्रम रुकने वाला नहीं था वो सब से च्छूपाते अपने फार्म हाउस पर जो की एक जंगल के करीब बना हुआ था अपने दो असिस्टेंट के साथ किसी केमिकल का प्रयोग कर रहा था. और इस बार उसने अपने प्रयोग के लिए एक बंदर पर प्रयोग कर रहा था.उसका कहना था की अगर यह टेस्ट कामयाब हो जाएगा तो ब्लैक मार्केट में इसे हाथों हाथ लिया जाएगा . पर उसे क्या पता था की जो सुनहरे ख्वाब वो देख रहा है क्या वो पूरा भी होगा. क्योंकि जो टेस्ट वो कर रहा था उस बंदर पर उसका असर कुछ उल्टा ही दिखाई दे रहा था. वो एक छोटा सा बंदर था जिस पर ना जाने कितने ही केमिकल टेस्तकिए गये थे अचानक..वो अपने ऊपर किए गये इतने ढेर सारे टेस्ट से कुछ विचलित हो रहा था. वो बार बार अपने पिंजरे में उछल कूद करता और फिर पेट के बाल लेट जाता. उसे अपने अंदर कुछ परिवर्तन सा महसूस होने लगा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर एक नयी शक्ति का संचार हो रहा है और फिर वो पिंजरे के दरवाजे को पकड़ पकड़ कर पीट रहा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर उस पिंजरे के दरवाजे को तोड़ने की ताक़त हो और वो उसे तोड़ सकता है..बस वो एक पल भी नहीं रुका और उस पिंजरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर कूद पड़ा और यहां वहां देखने लगा. फिर अचानक उसे लब की कीडखी दिखाई दी और वही से नीचे कूद के पेड़ों के सहारे वहां से भाग गया.
जब विक्रम उस रात अपना प्रयोग को खत्म करने के बाद जब सोने गया था तो उसे यह पता नहीं था तो उसकी गैर मौजूदगी में वहां उस लब में क्या घटित हुआ था. संजय और अरविंद की जिम्मेदारी थी लॅप को देखने की.. पर उस दिन दोनों को तलब लगी हुई थी शराब पीने की और..वो दोनों जब शराब के नशे में जब चोद थे तब जिस बंदर पर उन्होंने केमिकल का टेस्ट किया हुआ था जो की एक पिंजरे में कैद था, ना जाने कैसे पिंजरे का दरवाजा तोड़ के भाग गया थाई था.इन दोनों का खबर तब हुई जब संजय शराब के नशे में चोद था, फिर उसे सौचाले जाने की तलब हुई, पर लब के बाथरूम में ना जाकर वो शराब के नशे में चोद होकर वो बाहर इतनी सर्दी में पेशाब करने गया..जब संजय पेशाब कर रहा था तो उसे किसी चीज़ के पेड़ पर किसी के चढ़ने से पत्तो की आवाज़ आई, वैसे तो वो शराब के नशे में चोद था पर उसे इस बात का एहसास था की कोई चीज़ लब की खिड़की से पेड़ पर कूदी है पर वो क्या है यह तो उसे वही जाकर मालूम पड़ेगा...उसने जल्दी जल्दी अपनी पेशाब खत्म की और फिर भाग कर लब की खिड़की के नीचे जाकर देखने लगा की आख़िर माजरा क्या है, पर उसने जब देखा की उस लब की खिड़की से पेड़ पर जो चीज़ कूदी थी वो कोई और नहीं बल्कि वही बंदर था जिसपर वो लोग केमिकल का टेस्ट कर रहे थे. वो बहुत घबरा गया था और चाहा की झट..[/color]
[color=rgb(85,]"आबे अरविंद देख के चल, मरवाएगा क्या? एक तो साला यहां इतना अंधेरा है की कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है...और तू है की धक्का दे रहा है." कहते हुए संजय ने कहा.."संजय सर! में खुद अंधेरे की वजह से पत्थर नहीं देख पाया जिसके वजह से मेरा पैर लड़खड़ा गया.सॉरी सर! " अरविंद ने कहा."चल जाने दे कोई बात नहीं...अभी तो फिलहाल उस बंदर पे ध्यान लगाना पड़ेगा, साला पता नहीं कहा भाग गया है.वक्त रहते अगर नहीं ढूँढ पाए तो मुसीबत हो जाएगी और विक्रम सर हमारी जान ले लेंगे वो अलग"."डोंट वरी सर, पहले भी उस बंदर ने ऐसा कर चुका है...कितना दूर गया होगा, मिल जाएगा..." अरविंद ने कहा. "वो तो ठीक है पर मुझे डर लग रहा है की साले पर पता नहीं क्या असर हुआ होगा उस इंजेक्शन का.कहीं कोई साइड एफेक्ट ना हो जाए"..संजय ने कहा."वो तो है सर. सर! क्या लगता है आपको यह जो एक्सपेरिमेंट है विक्रम सर का क्या कामयाब हो पाएगा?" "अब तो तब पता चलेगा जब बंदर को ढूंढ. लेंगे और उसे पिंजरे में बाँध करेंगे और सुबह तक वेट करेंगे की क्या उस पर उस केमिकल का रिएक्शन हुआ है. फिर उसके बाद विक्रम सर आएँगे और टेस्ट करेंगे की उनका एक्सपेरिमेंट कितना सक्सेस्फुल हुआ है, समझे? लेकिन उससे पहले हमें उस कमबख्त बंदर को ढूंढ़ना होगा वरना कल हमारी खैर नहीं है." संजय ने कहा.. अरविंद और संजय जो एक साइंटिस्ट विक्रम के यहां पर उनके असिस्टेंट के तोर पर काम करते थे..विक्रम थोड़ा सनकी किस्म का साइंटिस्ट था जो अजीब अजीब तरह के एक्सपेरिमेंट किया करता था. जब उसका कोई प्रयोग कामयाब हो जाता था तो वो उसे ब्लैक मार्केट में बेच देता था . कभी कभी उसेक प्रयोग का असर उल्टा पढ़ जाता. जिसकी वजह से उसे आगे कोई प्रयोग करने पर बन लग चुका था. पर विक्रम रुकने वाला नहीं था वो सब से च्छूपाते अपने फार्म हाउस पर जो की एक जंगल के करीब बना हुआ था अपने दो असिस्टेंट के साथ किसी केमिकल का प्रयोग कर रहा था. और इस बार उसने अपने प्रयोग के लिए एक बंदर पर प्रयोग कर रहा था.उसका कहना था की अगर यह टेस्ट कामयाब हो जाएगा तो ब्लैक मार्केट में इसे हाथों हाथ लिया जाएगा . पर उसे क्या पता था की जो सुनहरे ख्वाब वो देख रहा है क्या वो पूरा भी होगा. क्योंकि जो टेस्ट वो कर रहा था उस बंदर पर उसका असर कुछ उल्टा ही दिखाई दे रहा था. वो एक छोटा सा बंदर था जिस पर ना जाने कितने ही केमिकल टेस्तकिए गये थे अचानक..वो अपने ऊपर किए गये इतने ढेर सारे टेस्ट से कुछ विचलित हो रहा था. वो बार बार अपने पिंजरे में उछल कूद करता और फिर पेट के बाल लेट जाता. उसे अपने अंदर कुछ परिवर्तन सा महसूस होने लगा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर एक नयी शक्ति का संचार हो रहा है और फिर वो पिंजरे के दरवाजे को पकड़ पकड़ कर पीट रहा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर उस पिंजरे के दरवाजे को तोड़ने की ताक़त हो और वो उसे तोड़ सकता है..बस वो एक पल भी नहीं रुका और उस पिंजरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर कूद पड़ा और यहां वहां देखने लगा. फिर अचानक उसे लब की कीडखी दिखाई दी और वही से नीचे कूद के पेड़ों के सहारे वहां से भाग गया.
जब विक्रम उस रात अपना प्रयोग को खत्म करने के बाद जब सोने गया था तो उसे यह पता नहीं था तो उसकी गैर मौजूदगी में वहां उस लब में क्या घटित हुआ था. संजय और अरविंद की जिम्मेदारी थी लॅप को देखने की.. पर उस दिन दोनों को तलब लगी हुई थी शराब पीने की और..वो दोनों जब शराब के नशे में जब चोद थे तब जिस बंदर पर उन्होंने केमिकल का टेस्ट किया हुआ था जो की एक पिंजरे में कैद था, ना जाने कैसे पिंजरे का दरवाजा तोड़ के भाग गया थाई था.इन दोनों का खबर तब हुई जब संजय शराब के नशे में चोद था, फिर उसे सौचाले जाने की तलब हुई, पर लब के बाथरूम में ना जाकर वो शराब के नशे में चोद होकर वो बाहर इतनी सर्दी में पेशाब करने गया..जब संजय पेशाब कर रहा था तो उसे किसी चीज़ के पेड़ पर किसी के चढ़ने से पत्तो की आवाज़ आई, वैसे तो वो शराब के नशे में चोद था पर उसे इस बात का एहसास था की कोई चीज़ लब की खिड़की से पेड़ पर कूदी है पर वो क्या है यह तो उसे वही जाकर मालूम पड़ेगा...उसने जल्दी जल्दी अपनी पेशाब खत्म की और फिर भाग कर लब की खिड़की के नीचे जाकर देखने लगा की आख़िर माजरा क्या है, पर उसने जब देखा की उस लब की खिड़की से पेड़ पर जो चीज़ कूदी थी वो कोई और नहीं बल्कि वही बंदर था जिसपर वो लोग केमिकल का टेस्ट कर रहे थे. वो बहुत घबरा गया था और चाहा की झट..[/color]