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[color=rgb(255,](UPDATE-01)[/color]
[color=rgb(85,]"आबे अरविंद देख के चल, मरवाएगा क्या? एक तो साला यहां इतना अंधेरा है की कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है...और तू है की धक्का दे रहा है." कहते हुए संजय ने कहा.."संजय सर! में खुद अंधेरे की वजह से पत्थर नहीं देख पाया जिसके वजह से मेरा पैर लड़खड़ा गया.सॉरी सर! " अरविंद ने कहा."चल जाने दे कोई बात नहीं...अभी तो फिलहाल उस बंदर पे ध्यान लगाना पड़ेगा, साला पता नहीं कहा भाग गया है.वक्त रहते अगर नहीं ढूँढ पाए तो मुसीबत हो जाएगी और विक्रम सर हमारी जान ले लेंगे वो अलग"."डोंट वरी सर, पहले भी उस बंदर ने ऐसा कर चुका है...कितना दूर गया होगा, मिल जाएगा..." अरविंद ने कहा. "वो तो ठीक है पर मुझे डर लग रहा है की साले पर पता नहीं क्या असर हुआ होगा उस इंजेक्शन का.कहीं कोई साइड एफेक्ट ना हो जाए"..संजय ने कहा."वो तो है सर. सर! क्या लगता है आपको यह जो एक्सपेरिमेंट है विक्रम सर का क्या कामयाब हो पाएगा?" "अब तो तब पता चलेगा जब बंदर को ढूंढ. लेंगे और उसे पिंजरे में बाँध करेंगे और सुबह तक वेट करेंगे की क्या उस पर उस केमिकल का रिएक्शन हुआ है. फिर उसके बाद विक्रम सर आएँगे और टेस्ट करेंगे की उनका एक्सपेरिमेंट कितना सक्सेस्फुल हुआ है, समझे? लेकिन उससे पहले हमें उस कमबख्त बंदर को ढूंढ़ना होगा वरना कल हमारी खैर नहीं है." संजय ने कहा.. अरविंद और संजय जो एक साइंटिस्ट विक्रम के यहां पर उनके असिस्टेंट के तोर पर काम करते थे..विक्रम थोड़ा सनकी किस्म का साइंटिस्ट था जो अजीब अजीब तरह के एक्सपेरिमेंट किया करता था. जब उसका कोई प्रयोग कामयाब हो जाता था तो वो उसे ब्लैक मार्केट में बेच देता था . कभी कभी उसेक प्रयोग का असर उल्टा पढ़ जाता. जिसकी वजह से उसे आगे कोई प्रयोग करने पर बन लग चुका था. पर विक्रम रुकने वाला नहीं था वो सब से च्छूपाते अपने फार्म हाउस पर जो की एक जंगल के करीब बना हुआ था अपने दो असिस्टेंट के साथ किसी केमिकल का प्रयोग कर रहा था. और इस बार उसने अपने प्रयोग के लिए एक बंदर पर प्रयोग कर रहा था.उसका कहना था की अगर यह टेस्ट कामयाब हो जाएगा तो ब्लैक मार्केट में इसे हाथों हाथ लिया जाएगा . पर उसे क्या पता था की जो सुनहरे ख्वाब वो देख रहा है क्या वो पूरा भी होगा. क्योंकि जो टेस्ट वो कर रहा था उस बंदर पर उसका असर कुछ उल्टा ही दिखाई दे रहा था. वो एक छोटा सा बंदर था जिस पर ना जाने कितने ही केमिकल टेस्तकिए गये थे अचानक..वो अपने ऊपर किए गये इतने ढेर सारे टेस्ट से कुछ विचलित हो रहा था. वो बार बार अपने पिंजरे में उछल कूद करता और फिर पेट के बाल लेट जाता. उसे अपने अंदर कुछ परिवर्तन सा महसूस होने लगा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर एक नयी शक्ति का संचार हो रहा है और फिर वो पिंजरे के दरवाजे को पकड़ पकड़ कर पीट रहा था. उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके अंदर उस पिंजरे के दरवाजे को तोड़ने की ताक़त हो और वो उसे तोड़ सकता है..बस वो एक पल भी नहीं रुका और उस पिंजरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर कूद पड़ा और यहां वहां देखने लगा. फिर अचानक उसे लब की कीडखी दिखाई दी और वही से नीचे कूद के पेड़ों के सहारे वहां से भाग गया.

जब विक्रम उस रात अपना प्रयोग को खत्म करने के बाद जब सोने गया था तो उसे यह पता नहीं था तो उसकी गैर मौजूदगी में वहां उस लब में क्या घटित हुआ था. संजय और अरविंद की जिम्मेदारी थी लॅप को देखने की.. पर उस दिन दोनों को तलब लगी हुई थी शराब पीने की और..वो दोनों जब शराब के नशे में जब चोद थे तब जिस बंदर पर उन्होंने केमिकल का टेस्ट किया हुआ था जो की एक पिंजरे में कैद था, ना जाने कैसे पिंजरे का दरवाजा तोड़ के भाग गया थाई था.इन दोनों का खबर तब हुई जब संजय शराब के नशे में चोद था, फिर उसे सौचाले जाने की तलब हुई, पर लब के बाथरूम में ना जाकर वो शराब के नशे में चोद होकर वो बाहर इतनी सर्दी में पेशाब करने गया..जब संजय पेशाब कर रहा था तो उसे किसी चीज़ के पेड़ पर किसी के चढ़ने से पत्तो की आवाज़ आई, वैसे तो वो शराब के नशे में चोद था पर उसे इस बात का एहसास था की कोई चीज़ लब की खिड़की से पेड़ पर कूदी है पर वो क्या है यह तो उसे वही जाकर मालूम पड़ेगा...उसने जल्दी जल्दी अपनी पेशाब खत्म की और फिर भाग कर लब की खिड़की के नीचे जाकर देखने लगा की आख़िर माजरा क्या है, पर उसने जब देखा की उस लब की खिड़की से पेड़ पर जो चीज़ कूदी थी वो कोई और नहीं बल्कि वही बंदर था जिसपर वो लोग केमिकल का टेस्ट कर रहे थे. वो बहुत घबरा गया था और चाहा की झट..[/color]
 
[color=rgb(226,]{UPDATE-02}[/color]
[color=rgb(85,]से जाकर बंदर को पकड़ ले, पर वो ऐसा नहीं कर पाया की क्योंकि उसके वहाँ जाने से पहले ही बंदर वहां से झाड़ियों के बीचो बीच भाग चुका था. संजय ने चाहा की वो भी उन्हीं झाड़ियों में जाकर देखे पर उसे ऐसा करने में खतरा लग रहा था. एक तो इतना घना जंगल, ऊपर से उसके पास इस वक्त ट्रांक्विललाइज़र गुण ( जिससे जानवरो को बेहोश किया जाता है.) नहीं थी जिससे वो बंदर को पकड़ के बेहोश कर सके. वो फौरन लब के अंदर भागा और जाकर अरविंद को सारा घटनाक्रम बताया और उसे अपने साथ चलने को कहा..अरविंद भी संजय के साथ चलने को तैयार हो गया. इस बीच संजय ने टूल्स रूम में ट्रणक़ुल्लिसेर्ट गुण और टॉर्च लेने आ गया .फिर उन्होंने उस बंदर की तलाश में उस घनी झाड़ियों के पीछे भाग लिए

पर उन्हें क्या मालूम था की जिस बंदर की खोज में वो दोनों निकले है, जिसके ऊपर उन लोगों ने ना जाने क्या क्या टेस्ट किए है वो अब एक आम सा दिखने वाला बंदर नहीं रहा था . वो अब एक खूणकार जानवर बन चुका था. अरविंद और संजय उस बंदर को ढूंढ़ते ढूंढ़ते काफी आगे आ चुके थे और इसी वक्त उन्हें एक खूणकार, जहरीली आँखें देख रही थी. उसे अपने अंदर एक नयी शक्ति प्रतीत हो रही थी, उसे ऐसा लग रहा था की वो अब एक आम सा एक डाल से डाल पर कूदने वाला जानवर नहीं था, बल्कि उसे अपने अंदर एक वहशी दरिंदे जैसे शक्ति का आभास हो रहा था. वो देख रहा थे उन दो व्यक्तियों को जिन्हो ने उस पर ना जाने कितने अत्याचार किए थे अब उसके अंदर एक बदले की भावना के साथ साथ इंसानो का खून पीने भावना भी जगह रही थी. पूरा नरभक्षी बनने को तैयार थे वो जो कभी एक आम सा जानवर हुआ करता था.

इधर अरविंद को अचानक कुछ दिखाई देता है, कुछ लाल लाल जैसा. वो तिथक जाता है और संजय को रोक के कहता है "सर! एक मिनट रुकिये मैंने वहां कुछ देखा है अभी." क्या? क्या देखा तूने? संजय ने कहा.
"सर मैंने कुछ लाल लाल जैसा देखा जैसे कोई लाल रोशनी हो." अरविंद ने जवाब दिया.
"लाल रोशनी? तेरा दिमाग खराब है अभी यहां कौन रोशनी जलाएगा? संजय ने उसी तरफ जाते हुए कहा जहां अरविंद ने उसे इशारा किया था.
"सर संभाल कर जाए शायद कही कोई खतरा ना हो." अरविंद ने फ़िक्रमंद होते हुए कहा.
"अरे देखना तो पड़ेगा ही ना की तूने वहां क्या देखा. लाल रोशनी जैसा क्या हो सकता है? शायद कोई लेज़र लाइट जलाया होगा. पर इतनी रात को और इस घने जंगल में यहां कौन आएगा? वैसे तू अपनी गुण के साथ अलर्ट रहना देखे तो सही वहां क्या है." संजय ने कहा और उस झाड़ी के झुर्मुट में आगे बढ़ता गया. अचानक उसे कुछ आवाजें आने लगी जैसे कोई बहुत सूखे हुए पत्तो पर चल रहा हो. वो सोच में पढ़ गया की यहां कौन हो सकता है. पर जब वो उस चीज़ को अपने सामने देखता है तो उसके तो पूरे होशो हवास उड़ जाते है. वो देखता है जैसे उसके सामने कोई बालों से भरा हुआ कोई जानवर खड़ा है, दिखने में तो उसकी शक्ल बंदर जैसे ही पर उसका कद बंदारो जैसा नहीं बल्कि उसी के ही कद का या फिर उससे ही बड़ा है.
और उसकी आँखें.आँखें नहीं लग रही थी जैसे वो दहाकता हुआ लावा हो जिसे अरविंद लाल रोशनी समझ रहा था वो उसकी यह भयानक आँखें थी. उसे देख कर उन दोनों के तो होश ही उड़ गये थे फिर भी अरविंद ने हिम्मत कर के बोला "सर यह..कक्ककया.. है? इतना भयानक जीभ मैंने अपने पूरे जिंदगी में भी नहीं देखा ."
"आबे तो मैंने देखा है क्या? पर यह आया कहा से? इसकी शक्ल तो बंदर जैसी लग रही है. यह किस टाइप का बंदर है." कहते हुए संजय ने कहा. "सर! कही यह वही बंदर तो नहीं जिसकी तलाश में हम भटक रहे है? कही विक्रम सर का एक्सपेरिमेंट की वजह से इसको तो कुछ नहीं हुआ?" डरते हुए अरविंद ने कहा.
" ओह हां! ऐसा ही है, उसी एक्सपेरिमेंट की वजह से इस पर कुछ उल्टा रिएक्शन हुआ होगा. तू जल्दी से अपनी गुण रेडी रख हमें इसे बेहोश करना है, और जीतने भी डार्ट्स है गुण में सब इस पर झोंक डाल वरना कही लेने के देने ना पड़ जाए." पर लेने के देने तो पहले से पड़ ही चुके थे क्योंकि उस वहशी बंदर ने उन दोनों को अपने सामने पकड़ और खूनकर हो चुका था. उन्हें गुण चलाने के नौबत ही नहीं आई क्योंकि उससे पहले ही वो दरिन्दा लंबी लंबी छलांग मारता हुआ उन पर एक झटके में झपट पड़ा और अपने छ्छूरी से भी तेज नाख़ूने से उन दोनों को चियर फाड़ डाला. जब उन दोनों का दम निकल गया तो वो उन दोनों का खून पीने लगा और खून के पीने बाद उसे बहुत सुकून मिला जैसे कितने बरसों का प्यासा था. फिर उसके बाद वो उन..[/color]
 
[color=rgb(41,]{UPDATE-03}
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[color=rgb(209,]लाशों का पूरा माँस कहा गया. सिर्फ़ हड्डी ही बची थी. जब उसने अपना भोजन खत्म कर लिया तो एक लंबी दहाड़ उसने लगाई के जैसे अगर वहां कोई शेयर भी आ जाता तो वो भी डर जाता...फिर वो निकल पड़ा अपने और शिकार के लिए क्योंकि वो खून च्चक चुका था.अब एक आम बंदर नहीं बल्कि एक आदमख़ोर बंदर बन चुका था, एक दरिन्दा, एक हैवान जिसे अगर रोका नहीं गया तो कोहराम मच जाएगा.

सुबह विक्रम की आँख ज़रा देर से खुली, उसने घड़ी पे देखा तो 9 बज रहे थे. उसे बड़ी हैरत हुई वो इतना देर कैसे और इतनी गहरी नींद में कैसे सोता रही गया की उसे टाइम का कुछ होश ही नहीं था, क्योंकि विक्रम टाइम का बहुत पड़ा पाबंद था. हर काम वो टाइम पे करने का आदि था. फिर उसने सोचा की वो पिछले तीन रातों से सोया नहीं था शायद इस वजह से उसे इतनी गहरी नींद आ गयी होगी.
फिर उसने सोचा कोई बात नहीं जब आँख खुले तभी सवेरा और भरपूर नींद लेने की वजह से उसे थकान का एहसास भी नहीं हो रहा था. यही सब सोचते हुए बाथरूम में फ्रेश होने के लिए जाने लगा और अपने नौकर से कहा की जल्दी से उसका नाश्ता लगा दे.

नाश्ता करने के बाद फिर वो अपनी लब के निकल पड़ा. उसका लब उसके बंगलों के पीछे एक बाऔग था, और उस बाऔग को पार करने के बाद एक मंज़िला घर था, उसी में उसने अपना लब बनाया हुआ था. जब विक्रम लब से थोड़े ही दूरी पे था तो उसे कुछ अजीब लगा, क्योंकि उस का मैं दरवाजा खुला हुआ था. ऐसा कभी नहीं होता था क्योंकि विक्रम की सख्त आदेश था अरविंद और संजय को की चाहे कुछ भी हो जाए हम तीनों के अलावा यहां कोई नहीं आना चाहिए. वो नहीं चाहता था की इस बात का किसी को पता चले की वो यहां चोरी चोरी एक लब में किसी प्रकार का प्रयोग कर रहा है और वहां एक बंदारो पे कुछ एक्सपेरिमेंट भी कर रहा है.

जब उसने देखा की लब का मैं दरवाजा खुला हुआ है तो वो घबरा गया और अंदर की तरफ भागा और संजय और अरविंद को आवाजें देने लगा. जब उसे उन दोनों की कोई खबर नहीं मिली तो उसे उन दोनों पर बहुत गुस्सा आया. वो मान ही मान बड़बड़ाने लगा. "साले कहा मर गये दोनों हराम खोर..कुत्तों का कही कुछ पता नहीं है. कही साले फिर से तो नहीं दारू पी के कही पड़े होंगे." उसने फिर से उन दोनों को आवाजें दी. फिर वो मैं लब की तरफ भागा जहां वो अपना एक्सपेरिमेंट कर रहा था. पर वहां देख के तो उसके होश ही उड़ गये. उसने देखा की जिस बंदर पर वो किसी केमिकल का टेस्ट कर रहा था वो बंदर अपने पिंजरे से गायब है और उस पिंजरे का दरवाजा भी खुला है. वो एक दम से घबरा गया की यह आख़िर ऐसा कैसे हो गया. उसके दोनों असिस्टेन्स का भी कुछ पता नहीं है, बंदर भी गायब है. उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो कहा उन्हें ढूँढे. फिर उसके मान में ख्याल आया की कही उनके साथ कुछ बुरा तो नहीं हुआ है, वो दोनों कितने भी नशेड़ी थे पर यूँ इतनी बड़ी लापरवाही उन्होंने कभी नहीं की थी.

फिर उसने तय किया की वो उन्हें बाहर जाकर ढूंढ़ने की कोशिश करेगा. फिर वो उस इमारत से बाहर आ गया और उस इमारत के पिछवाड़े में उन्हें तलाश करने की कोशिश करने लगा. वहां भी उसे उन दोनों का कुछ भी पता ना चला तो उसने की आख़िर यह दोनों कहा गये होंगे. फिर वो उस इमारत के बाहर आकर उन्हें तलाश करने की कोशिश करने लगा की तभी उसके निगाह इमारत के बाईं और झाड़ियों पर पड़ी. उसके मान में ख्याल आया की वो उन्हें वहां उस झाड़ियों में जाकर तलाश करना चाहिए. पर वहां अकेले जाने में खतरा है इसलिए उसने सोचा कुछ हथियार अपने साथ ले लेता हूँ. और यह सोचकर वो स्टोर रूम की तरफ रुख किया. जब उसने स्टोर रूम के अंदर एंट्री किया तो उसे शॉक लगा के यहां पर दो ट्रांक्विललाइज़र गुण गायब है. "ओह कही ऐसा तो नहीं की वो बंदर वो बंदर अपने पिंजरे से भाग गया होगा तो वो उसे पकड़ने गये होंगे." विक्रम सोचने लगा. उसने भी तय किया की वो उस जंगल में जाकर देखेगा की आख़िर माजरा क्या है . फिर उसने भी वहां से एक ट्रांक्विललाइज़र गुण उठा ली और लब के बाहर आने के बाद उसका मैं दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया और उस जंगल की तरफ रुख कर लिया.
बहुत देर उन्हें ढूँदने के बाद भी उसे उन दोनों का कुछ सुराग नहीं मिला तो उसके मान में अजीब अजीब से ख्याल आने लगे की कही उन दोनों के साथ कूह बुरा तो नहीं हुआ है. और इसी सोच में डूबा हुआ वो जब आगे तरफ रहा था तब अचानक उसके कदम तिटक गये. उसने देखा की कुछ खून की..[/color]
 
[color=rgb(44,]{UPDATE-04}[/color]
[color=rgb(184,]बूँदें वहां पड़ी हुई थी . उसने सोचा शायद किसी जंगली जानवर ने किसी जानवर को खाया होगा तो उसका खून होगा, फिर उसने खून के निशान का पीछा करने लगा, फिर उसके कदम जहां थे वही जम गये." ओह में गोद्ड़द्ड..ययययएह.क्क्कय्या है?. इंसानी हड्डी.विक्रम ने देखा की वहां पर दो इंसानो की हड्डियों के ढाँचे पड़े हुए थे. उस हद्डीो के ढाँचो के देखने के बाद तो विक्रम के तो होश ही उड़ गये थे. वो सोचना लगा की यह किसकी हड्डियों का ढाँचा हो सकता है. वो थोड़ा और पास जाकर देखा तो उसे हैरत हुई की यह हड्डिया ज्यादा पुरानी नहीं बल्कि उसे ऐसा लग रहा था किसी ने बड़ी सफाई उस हड्डियों के ऊपर से उसका सारा माँस निकाल लिया था."यह कैसे मुमकिन है? अगर किसी जानवर ने इन्हें खाया होगा तो इनके माँस का कुछ हिस्सा तो बच्चा होगा.पर यहां तो ज़मीन पर पड़े हुए खून के अलावा कुछ नज़र ही नहीं आ रहा है. ऐसा लग रहा है जैसे कोई बरसों का भूखा हुआ होगा और उसने इनके जिस्म से एक एक माँस बड़ी फुर्सत में भात कर नोंच नोंच के खाया होगा. पर यह कैसे मुमकिन है." सोचने लगा विक्रम. फिर वो कुछ और आगे जाकर देखा की कुछ उसे समझ में आए आख़िर क्या माजरा है तो उसने देखा की एक झाड़ियो में कुछ कपड़े जैसा पड़ा है. जब विक्रम उस झाड़ी के पास गया तो वो एक शर्ट का टुकड़ा था. अचानक उसे याद आया की "यह शर्ट मैंने कही देखी है..ओह नो." अचानक उसे याद आया की यह शर्ट तो संजय के बदन में देखा था." तो .तो इसका मतलब...यह ढाँचा.संजय का है..ओह नो." सोचने लगा विक्रम. "अगर यह संजय का ढाँचा है तो दूसरा जरूर .अरविंद का होगा." वो वही सर पकड़ के भात गया की आख़िर यह सब कैसे हुआ. "आख़िर इन दोनों की ऐसी हालत किसने किया होगा. और वो बंदर कहा गया होगा जिसे ढूंढ़ने यह लोग यहां तक आए थे. उसे डर लग रहा था वो जिस बंदर पर उसने टेस्ट किया था उसका यूँ खुले आम घूमना खतरे से खाली नहीं था. अचानक उसका दिमाग में कुछ खटका."कहीं.कहीं यह सब उस टेस्ट का नतीजा तो नहीं है. क्योंकि कोई आम जानवर इस तरह और इतनी सफाई से कभी भी अपना शिकार को नहीं खाता. पर.पर उसके साथ ऐसा क्या हुआ होगा जो वो इतना खूनकर हो गया होगा." जब उसके दिमाग में यह सब बातें घूमने लगी तो उसे भी डर लगने लगा की कहीं वो बंदर उसे भी कुछ नुकसान ना पहुंचा दे. विक्रम वहां से तुरंत भागता हुआ अपने लब पा पहुंच के ही दम लिया..उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वो इस सारी मुसीबतों से वो कैसे निकले. वो सोचने लगा की " अगर उस बंदर के साथ कुछ हुआ है और वो इतना खूणकार हुआ है तो जरूर वो किसी और को भी अपना शिकार बनाएगा. अफ अगर ऐसा हुआ तो मुसीबत हो जाएगी.."वो सोचने लगा की आख़िर वो जो टेस्ट कर रहा था उसका इतना उल्टा रिएक्शन कैसे हुआ. यही सब सोचते हुए वो अपने मैं लब में गया और देखने लगा की कहाँ से गड़बड़ हुई है.

उस घटना के 4 दिन बाद,

"आह.आह..आह.धीरे करो साहब दर्द हो रहा है." मजरी ने चिल्लाते हुए कहा.
"चुप मादरोचोड़!! ज्यादा चिल्लाई ना साली तो अपनी बंदूक की सारी गोलियाँ तेरी चुत में डाल दूँगा."उमेश, मजरी के ऊपर चढ़ा हुआ था और तेजी से अपना लंड उसकी चुत में अंदर बाहर करने लगा.
"साहब सही में बहुत दर्द हो रहा है." मजरी एकदम रोने सी सूरत बनाते हुए कह रही थी.
"में जब तक नहीं रुकुंगा जब तक मेरा टॉप गर्म गर्म अपना लावा तेरी चुत में नहीं छोढ़ता."
"में रुकने नहीं बोल रही हूँ साहब बस थोड़ा धीरे करने को बोल रही क्योंकि मुझे बहुत दर्द हो रहा है." मजरे ने उमेश की बात का जवाब देते हुए कहा. पर उमेश, मजरी की ना सुनते हुए अपना कार्य करने में लगा रहा. थोड़ा देर वो मजरी की चुत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा फिर वो उसे बाहर निकाल के मजरी को घूमने के लिए कहा.
"अब कुतिया बन" उमेश ने कहा. मजरी ने वैसा ही जैसा उसे उमेश ने कहा था. फिर उमेश ने अपना 8 इंच का लंड मजरी की गान्ड के होल में रखा ही था के उससे पहले मजरी बोल बड़ी
"नहीं साहब ऐसा मत करो मैंने आज तक कभी भी अपने पीछे नहीं डलवाया." मजरी ने बड़ी विनती करते हुए उमेश को समझाया.
"क्यों? तेरा आदमी तुझे यहां से नहीं छोढ़ता है.?" उमेश ने कहा.
"नहीं साहब उसने ऐसा करने की कई बार कोशिश की पर मैंने उसे ऐसा करने कभी नहीं दिया." मजरी ने कहा.
"कोई बात नहीं , जो तेरा आदमी नहीं कर सका वो आज में करता हूँ. जिंदगी में बहुत सारे काम पहली बार करवाना पढ़ता है मजरी, तू फिक्र मत में इतनी आराम से डालूँगा की तुझे दर्द नहीं बल्कि मजा आएगा." उमेश ने कहा. और फिर वो उसके पीचवाड़े में अपने लंड को धीरे धीरे गुसाआनए लगा.[/color]
 
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"अयाया.साहब आरा से." मजरी ने कहा.
"अरे रुक ना. अभी तो डालना शुरू ही किया हूँ. अभी से दर्द कर रहा है? उमेश ने कहा.
"हां साहब बहुत दर्द हो रहा है." मजरी ने दर्द में कराहत हुए कहा.
"माकी लोदी आगे डालो तो दर्द करता है पीछे डालो तो दर्द करता है. अब क्या तेरे मुंह में डालु." उमेश ने चिढ़ते हुए कहा.
"कही भी डालो साहब, पर पीछे मत डालो. वहां में बर्दाश्त नहीं कर पाओँगी." मजरी ने कहा.
"ऐसा क्या? तब तो पीछे ही डालूँगा क्योंकि तू जितना चिल्लाएगी मुझे उतना ही जोश आएगा. "
"नहीं साहब ऐसा मत करो. रहम खाओ मुझे गरीब पर." मजरी ने जल्दी से कहा.
"रहम खाने के लिए तुझे पैसे नहीं देता हूँ. बल्कि मजा लेने के लिए पैसे तुझे देता हूँ. में जैसे चाहु तेरे से मजा ले सकता हूँ. अब अगर तूने कुछ नाटक किया ना तो वो बंदूक देख रही है." उमेश ने टेबल पे रखा हुई गुण दिखाते हुए कहा "उसी से तेरे अंदर इतने छेद करूँगा की कन्फ्यूज़ हो जाएगी की कहा से चुड़वव और कहा से हग्गू. मजरी भी समझ गयी थी के अब इस हैवान को रोक पाना मुश्किल है इसलिए यह जो कह रहा है शांति से करती रहूं. वरना इसका कुछ भरोसा नहीं जो यह कह रहा है कही सही में ना करदे.
"ठीक है साहब में तैयार हूँ पर अगर पीछे ही डालना है तो ज़रा अपने उस चीज़ को तेल से एक बार मालिश कर दीजिए ताकि अंदर जाने में कोई परेशानी ना हो."
"हां!! अब तूने की ना कोई समझदारी वाली बात. रुक में अभी तेल लेकर आता हूँ." कहते हुए उमेश वहां से उठा और तेल लेने के लिए चला गया. और थोड़े बाद वापस आकर उसने अपने लंड पर थोड़ी देर तक तेल से मालिश करने लगा.
"अब ठीक है ना?" उमेश ने अपना तेल से चमकता हुआ लंड मजरी को दिखाते हुए कहा.
"जी ठीक है." मजरी ने बस इतना ही कहा.
"हम. चल वापस से कुतिया बन." मजरी ने वैसा ही किया जैसा उसे उमेश ने कहा था. फिर उमेश अपना लंड मजरी की गान्ड के होल पे रखा और उसे धीरे धीरे अंदर लेकर जाने लगा. मजरी को अब भी दर्द हो रहा था पर वो इस बार इस दर्द को सहन कर रही थी की कही यह फिर से गुस्सा ना हो जाए.
"आआयययययीीई....साआआआआआहाब्ब्बब....निकालूओ.निकालूओ..इससे . बहुत दर्द हो रहा है में आपसे विनती करती हूँ." मजरी ने चिल्लाते हुए कहा.
पर उमेश उसकी एक भी नहीं सुन रहा था. क्योंकि मजरी जितना चिल्ला रही थी उसे उतना ही मजा आ रहा था. वो तो बस अपने मजे में अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था. तकरीबन 5 मिनट तक मजरी के पीच्छवाड़े से खेलने के बाद वो रुका और फिर मजरी को सीधा करते हुए फिर अपना लंड उसकी चुत में घुसाने लगा.
"अब बहनचोद तुझे मजा आ रहा है." उमेश, मजरी के अंदर समाते हुए कह रहा था.
"हां.हां.अब ठीक है ." मजरी ने बस इतना कहा.
"तो बस अब ज्यादा छू छा मत कर और मुझे मजे लेने दे. समझी? " उमेश ने कहा.
"ठीक है." मजरी ने कहा. फिर उमेश ने उसकी चुत में अपने लंड को अंदर बाहर करने का कार्य जारी रखा और तब तक नहीं रुका जब तक उसका लंड एक गर्म गर्म लावा मजरी के चुत में नहीं छोडा. इतनी मेहनत के बाद उमेश, मजरी के ऊपर ही ढेर हो गया था.

फिर कुछ देर बाद वो अपने कपड़े पहनने लगा और कपड़ा पहनने के बाद अपने जेब में हाथ डाला और कुछ पैसे निकालता हुआ मजरी की तरफ बढ़ा दिया.
"यह ले तेरा मेहनताना." उमेश ने उसे पैसे देते हुए कहा. मजरी उसके हाथ से पैसे लेते हुए उस रूम से जाने लगी की तभी उमेश ने उसे रोका.
"कल इसी टाइम पर आ जाना. समझी क्या? और यह ज़रा चिल्लाना कम किया कर." उमेश ने कहा.
"जी ठीक है." कहते हुए मजरी वहां से चली गयी.

उमेश चंद्रा तिवारी जो 45 या 50 उमर का एक लंबा चौड़ा तगड़ा व्यक्ति था . वो एक डीविसोइओनल फोरेस्ट ओफीसेर था . अपनी जिस्म की भूख मिटाने के लिए वो पास के ही गाँव की औरतों से संभोग किया करता था. मजरी इस गाँव की पहली औरत नहीं थी जो उमेश की हवस की प्यास भुजाई थी. बल्कि ऐसे कई औरतों को उमेश अपने औहदे और पैसे के बाल पर उनका शोषण करता था. पहले तो वो उन्हें पैसे से खरीदने की कोशिश करता था और अगर कोई तैयार नहीं होता था तो वो उन्हें अपनी ताक़त के बाल पर उनके साथ ज़बरदस्ती करता था. और यह सब काम वो अपने ऑफिस के पीछे बने हुए अपने क्वार्टर में किया करता था.

अपने क्वार्टर से निकल कर फिर उमेश अपने ऑफिस चला गया. उमेश अपने कापबीं में भायते हुए किसी फाइल का निरक्षण कर रहा था की इतने में उसके केबिन में उसका जूनियर उसकी इजाज़त लेते हुए अंदर आया और कहने लगा " सर! पास के कुछ गाँव वाले आए हुए है, वो आपसे कुछ जरूरी बातें करना चाहते है."
"उन्हें अभी यहां से भागाओ मुझे कुछ जरूरी काम करने है.[/color]
 
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देना की बाद में आए.." उमेश ने टालने के अंदाज़ में कहा.
"ओके सर!! " कहते हुए वो ऑफिसर केबिन से बाहर निकल गया. पर उसे अभी निकले हुए कुछ ही देर हुए होंगे की कभीं से बाहर उमेश को किसी की तेज तेज बातें करने की आवाजें आने लगी.
"राम सिंग?? राम सिंग??? उमेश ने चिल्लाते हुए अपने जूनियर ऑफिसर को आवाज़ देने लगा. उसका वो ऑफिसर जदली से केबिन में प्रवेश किया.
"जी सर!"
"यह बाहर इतना हुनगामा क्यों हो रहा है?" उमेश ने उस ऑफिसर से कहा.
"सर, वही गाँव वाले जाने को तैयार नहीं हो रहे है, कह रहे है आपसे मिल करके ही जाएँगे." वो ऑफिसर ने उमेश को बताया.
"पर क्यों? ऐसी क्या खास बात करनी है?"
"सर उनका कहना है गाँव के पास जंगल में कुछ जानवरों इन के 4 साथियों पर हमला किया है और जिनमें से 3 को वो लोग मौत के घाट उतार दिए है. और उनमें से एक ने बड़ी मुश्किल से अपनी जान बच्चा के वहां से भाग लिया पर जख्मी हालत में है और उसका एक हाथ काट चुका है " ऑफिसर ने पूरी जानकारी उमेश को दी.
"हम.." कुछ देर उमेश ने सोचा फिर कहा.
"यह लोग किस गाँव से है?' उमेश ने पूछा
"सर! यह लोग कालगरह के पास जो छोटा सा गाँव है वही से आए हुए है." ऑफिसर ने जवाब दिया.,
"कालगरह से? वहां कैसे कोई जानवर आ सकता है क्योंकि वो तो बफर एरिया (जहां जंगली जानवर नहीं आते है) में पढ़ता है और वहां हमारे गार्ड्स भी तैनात रहते है, अगर कोई जंगली जानवर उस और जाने की भी कोशिश करेगा तो वो उसे कोर एरिया (घना जंगल) में भेज देते है." उमेश ने कहा.
"वो तो ठीक है सर! पर." कहते हुए वो ऑफिसर थोड़ा रुक गया.
"पर क्या राम सिंग? उमेश ने उसे थोड़ा गंभीर देखा तो पूछा.
"सर! गाँव वालो का यह भी कहना है की वो कोई जानवर नहीं है बल्कि कुछ और ही है. वो लोग कह रहे थे वो शैतान थे जिन्होंने ने उनके साथियों को मौत के घाट उतार दिया था." इतना कहते ही राम सिंग चुप हो गया.
"शैतान थे? क्या राम सिंग तुम भी इन गाँव वालो की बात में आकर कुछ भी बोल रहे हो." उमेश थोड़ा चिथड़े हुए कहा.
"अच्छा उनमें से किसी एक या दो को अंदर भेजो में ही उनसे खुद बात करता हूँ." उमेश का इतना कहना था की राम सिंग केबिन के बाहर गया और दो गाँव वालो को अंदर लेकर आया.फिर उमेश ने भी उन दो गाँव वालो से बात चीत की. उसे भी उन दोनों ने यही बताया जो वो राम सिंग को बताए थे.
"ठीक है एक काम करते है." उमेश, राम सिंग की तरफ पलट ते हुए कहा." हम वहां एक बार खुद जाकर उस आदमी से बात करते है जो उस जानवरो से बच गया था. तब शायद हमें बात कुछ समझ में आएगी..
"ठीक है सर! यह ठीक रहेगा. क्या में गाड़ी निकालु.?" राम सिंग, उमेश से इजाज़त लेते हुए कहा.
" हां ठीक है तुम गाड़ीई निकालो हम अभी चलते है." कहते हुए उमेश भी अपनी सीट से उठ गया. उमेश कितना भी औरत के जिस्मो का पुजारी हो पर वो अपने काम में कभी भी कोई कमी नहीं रहने देता है. जब कोई मुश्किल केस उसके सामने आता है तो वो अपने जूनियर ऑफिसर्स के साथ साथ में खुद भी केस को सॉल्व करने में लग जाता है. फिर कुछ देर बाद उमेश ने गाँव वालो से कहा की वो अपने गाँव वापस लौट जाए वो उन्हें कुछ देर बाद वही मिलेगा. यह सुनकर गाँव वहां से चले गये.

उमेश और राम सिंग कालगरह के पास बने हुए उस गाँव में जाते है जहां पर यह वारदात हुई थी. वो दोनों उस आदमी के पास पहुंचते है जो उन जानवरो के हमले में बच गया था. वो 60 से 65 साल का एक भूढ़ा आदमी था. उसके चेहरे पर एक डर, एक खौफ बराबर देखा जा सकता था जो इस वक्त एक चारपाई पर लेता हुआ था और उसके दायें बाजू जो की उस हमले में काट चुका था वहां पर अब पट्टी बँधी हुई थी. उमेश उस भूढ़े के पास रही हुई एक और चारपाई पर भात गया और उससे पूछने लगा.
"कहो? क्या हुआ था तुम्हारे साथ? पहले तो उस भूढ़े ने कोई जवाब नहीं दिया सिर्फ़ कुछ चाँद तक उमेश को घूरता रहा . फिर उसने कहा
"श..शैतान थे वो ..बहुत ही..भयानक.वो किसी को भी नहीं छ्चोड़ेंगे, सबको कहा जाएँगे ." वो भूढ़ा आदमी उमेश की बात का जवाब ना दे कर खौफ के मारे यह बोले जा रहा था.
"देखो तुम कुछ बताऊगे की तुम्हारे साथ में क्या हुआ था?" उमेश उससे फिर पूछा. उस भूढ़े की खौफ के मारे कुछ बोला ही नहीं जा रहा था. तभी पास में भरता हुआ व्यक्ति ने उस भूढ़े से कहा. "देखो चाचा, यह साहब तुमसे पूछने आए है की तुम ने वहां उस जंगल में जो कुछ भी देखा उन्हें सब बता दो ताकि यह अपनी कार्यवाही पूरी करे और उस शैतान को पकड़ सके." भूढ़े ने कुछ अपने..[/color]
 
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पास भैहे हुए व्यक्ति की तरफ देखा फिर उमेश की तरफ घूम कर कहा. "तुम उसे नहीं पकड़ पाओगे, वो बहुत खतरनाक था. शेयर , चीटा और भी कई आहमखोर जानवर से भी खूणकार. वो बहुत भयानक था. उसके शरीर पर बहुत लंबे लंबे बाल थे और बारे बारे दाँत, बारे बारे नाखून, लाल लाल आँखें. उसकी आँखों में हैवानियत साफ नज़र आ रही थी. उनके पास ताक़त भी बहुत थी.वो कोई मामूली जानवर नहीं थे. उन्होंने एक ही झटके में अपने बारे बारे तेज धार वाले नाखूनओ से मेरे तीनों साथियों के सर उनके धड़ से अलग कर दिए थे. जब वो मेरे पीछे लपके तो में अपने बचाओ में अपना दाया हाथ आगे कर दिया था जिसके वजह से उसके एक ही वार से मेरा हाथ मेरे जिस्म से अलग हो गया था. फिर इससे पहले की वो भी मेरी गर्दन अपनी नाखूनओ से उड़ाते की अचानक एक पतहर की वजह से मेरा पैर फिसला और में ढलान के नीचे नदी के पानी में गिर गया. उसके बाद क्या हुआ मुझे कुछ याद नहीं क्योंकि जब मेरी आँखें खुली तो में इन गाँव वालो के बीच में था." इतना सब कुछ कहने के बाद वो भूढ़ा चुप भात गया.
"हां साहब! जब हम उधर उस नदी के किनारे जा रहे थे तभी हमें यह वहां बेहोश पड़े मिले थे ." उस भूड़े के पास भरता हुआ व्यक्ति बोला. उमेश की कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो उस भूढ़े की बात पर विश्वास करे या ना करे. क्योंकि उस भूढ़े ने उन जानवरों का जो वर्णन (डीटेल्स) दिया था उसे कुछ हजम नहीं हो रहा था. क्योंकि उसने अपनी पूरे 25 साल जंगलों में रही कर बिताई थी और आज तक उसने इस तरह का कोई भी प्राणी नहीं देखा था. फिर भी उसने मौकाए वारदात वाली जगह पर एक बार खुद से निरक्षण करने की सोचा.
"अच्छा तुम मुझे बता सकते हो की जो हादसा तुम्हारे साथ में हुआ वो कहा है.?" उमेश ने उस भूड़े से पूछा.
"गाँव से थोड़े ही दूर पर जहाँ से जंगल शुरू होता है उसके कोई आधा घंटा चलने के बाद हमारे साथ यह घटना घाटी थी. भूढ़े ने जवाब दिया. "ह्म्‍म्म्म. .ठीक है तुम लोग डरो नहीं हम जाकर देखते है वहां पर ." उमेश ने कहते हुए चारपाई से उठने लगा.
"साहब! हम सब गाँव वाले बहुत डरे हुए है, हमारे तीन साथी भी मारे जा चुके है. हमारी कुछ समझ में नहीं आ रहा है की हम अपनी सुरक्षा किस तरह करे." भूढ़े के पास भायते हुए व्यक्ति ने उमेश को खड़ा हुआ देखा तो कहा.
"तुम घबराओ नहीं..में यहां अपने दो गार्ड्स को तैनात कर देता हूँ." फिर उमेश ने राम सिंग की तरफ घूम कर कहा.
"राम सिंग? यहां पर दो गार्ड्स की ड्यूटी लगा दो. और उनसे पूरी तरह चौकन्ना रहने को कहना ."
"ओके सर! " कहते हुए राम सिंग ने अपने वाइर्ले से किसी को कुछ आदेश देने लगा.

फिर उसके बाद उमेश और राम सिंग भूड़े के बताए हुई जगह पर पहुंचे. वो उस जंगल काफी दूर निकल आए थे पर उन्हें किसी भी प्रकार का कोई भी ऐसी जगह नहीं दिखी जहां से उन्हें यह पता चलता की वहां क्या हुआ है. फिर कुछ देर यहां वहां घूमने के कुछ देर बाद अचानक राम सिंग ने उमेश से कहा.
"सर! उहदार देखिए!! राम सिंग ने अपने दायें और इशारे करता हुआ कहा. उमेश ने भी वहां देखा तो देखते ही वो चौंक उठा.
"सर! यह किसी का कंकाल पड़ा हुआ है." राम सिंग ने कहा.
"हां यह तो कंकाल है वो भी किसी इंसान के." उमेश उस कंकाल के पास जाते हुए कहा

उमेश उन सब कंकाल का मुआएना कर ने लगा. उसे फिर से शॉक लगा की यह सब कंकाल एक दम ताजा है, ऐसा लगता जैसे अभी इसके जिस्म से खाल उतारी गयी हो. उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था की अगर किसी जानवर ने उन्हें खाया है तो उनके माँस तो होने चाहिए.
"राम सिंग यह सब क्या है? तुम्हें कुछ समझ में आया? " उमेश ने राम स्नघई से ही पूंछ डाला.
"नहीं सर! मेरी भी कुछ समझ में नहीं आया की यह सब कैसे हुआ है वो दोनों बहुत देर तक उस जगह का हर दृष्टिकोण (एंगल) से निरक्षण करने लगे फिर भी उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था. अंत में उमेश ने तंग आते हुए कहा.
"कुछ समझ में नहीं आ रहा है, ओके! इन सब कंकालो की फोरेन्सिक जाँच करवा. रिपोर्ट के आने के बाद ही कुछ पता चलेगा की आख़िर माजरा क्या है. और हाँ यह अभी किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए की यहाँ पर इंसानो के कंकाल मिलिए है. वरना साले मीडिया वाले अलग ही दिमाग खराब करेंगे. पहले ही हमारे ऊपर इतना प्रेशर है उन साले पोचर्स को पकड़ने का जो जानवरो का शिकार करके उनके बॉडी पार्ट्स को बेचते है. अब साला यह नया नाटक चालू हो गया है...और कुछ गार्ड्स को यहां की निगरानी के लिए भी तैनात कर दो."
"ओके सर!" उसके बाद उमेश भी अपनी जीप में भात के वहां से चला गया.
 
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Aur idhar delhi me,

Nikhil apne ghar pe baithe-2 bear pi rha tha, vo bhit der se kisi ka wait kr rha tha, fir achanak bahar bell baji, nikhil uthke door kholne gaya, fir jab usne darwaja khola to usne dekha ki bahar nisha khadi thi.

"Ab aayi ho?" Nisha ko ghar me dakhil hote huye nikhil ne kaha

" Ohhh i am very sorry!! Par badi muskil se mummy se bahana maar ke aayi hu, aur uske baad thoda traffic me gayi thi". Nisha ne nikhil ko safai dete huye kaha.

Nikhil:-kya? Haha tumhe kahi bhi jaane se pehle apni mummy se permission leni padti hai?

Nikhil nisha ka majak udate huye bola aur ek glass me beer daalne laga

Nisha:- I know it is embarrassing but what shoul i do? Meri mummy thodi si conservative type ki hai, you know wahi old type ki thinking

Nikhil:-bear?
Uski taraf beer badhate huye bola

Nisha:- yeah sure..

Nikhil:- so what next? ( Usey apni god me bithate huye bola)

Nisha:- you know that..

Nikhil:- acha ye batao jo mene tumse kaha tha us kaam ka kya hua

Nisha:- Relax! Itni jaldi kya bol dungi.

Nikhil:-iska matlab abhi tak tumne usse baat bhi nhi ki

Nisha:-okay! Baba keh dungi kal mene shruti ko college aane ko kaha hai, jab wo aayegi to tumhara ye kaam kar dungi..

Nikhil:-okay! Kal se jada late bilkul nhi hona chaiye mujhe us ghamandi ladki ka ghmand jaldi se jaldi todna hai, usne meri bhut insult ki thi aur me usse jaldi se badla lena chata hu
(Nikhil gusse me bola)

Nisha:-Ohh! Don't worry darling tumhara maksad jaroor pura hoga, mein usey apne sath aane pe majboor kar doongi, fir tumhari jo bhi samjh me ho wo karna.

Nisha ne apne haath nikhil ki garden me lapet liye, nikhil ne apna glass table pr rakh diya aur apna chehra nisha ki taraf kiya, aur uske hotho ko ras chusne laga, koi 10 minute tak wo dono ek doosre ko aise hi kiss karne me lage rahe, fir nikhil ne nisha ko sofe pe lita diya, aur uske dono boobs apne hatho se dabane laga

Nisha:- Aaahh aur zor se dabao jaan haa aise hi aise hi.

Nisha fir nikhil ko chumne lagi, nikhil ka hath nisha ke shirt ke buttom kholne laga, pure buttom kholne ke baad usne shirt ko nisha se alag kar diya, ab nisha sirf ek red colour ki bra me thi, nikhil ne jab uske red bra me bade bade chuche dekhe to usse control nhi ho paya, air bhooke sher ki tarah unhe choosne chaatne laga aur kabhi kabhi nipple me daant gada deta.

Nisha :-aaah! Kya kar rahe dard hota hai aaah! Shetan

Nikhil ne nisha ko ghumaya aur uski bra kholne laga, aur fir us bra ko fek diya ab nisha ke dono bade-2 boobs ekdum ajaad ho chuke they, wo unhe dheere dheere chusne laga ek hath se chuche dabata doosre hath se khudke kapde nikalne laga, 10 min tak chuche choosne ke baad wo usey fir se kiss karne laga, ye wali kiss thodi wild thi fir dheere dheere wo niche aane laga. Pehle uski gardan ko chusne laga fir boobs ki nipple ko chusne aur katne laga aur ek hath se uski naabhi ko kuredne laga, fir nabhi me jib daalke usey chusne laga, fir usne apne ek hath niche le jaake nisha ke shorts ko khich ke nikal diya ab wo bas ek red panty me thi aur nikhil bas khali ek shorts me.

Nisha ki ek jaangho ko sehlane laga aur chumne aur chatne laga dheere-2 wo uski chut ki taraf badne laga jo red panty ki piche apna paani baha rahi thi, nikhil ne uski chut pe kiss kiya aur chut se aane wali smell ko sungh ke pagal ho gya aur ek jhatke mein panty ko faad diya aur apne dono hoth uski choot pe rakh diya aur usey chusne aur chaatne laga fir ek ungli se uske daane ko sehlate sehlate ek ungli uski chut me daal di, nisha to do tarfe hamle se pagal huyi jaa rhi thi, aur wo jada der sehan na kar paayi aur siskariya lete huye uske muh me hi jhad gayi,,

Nisha:- aaahahhh nikhil please aur mat tadpao jaldi se apna lund meri chut me daal do aaahhh please!

Nikhil kuch nhi bola bas bhuke bhediye ki tarah apna lund uski chut pe set kiya aur ek jhatke me pura ander pel diya, wo nisha ki dono taang apne kandhe pe rakh ke usey berehmi se uski chut maarne laga aur gaali bakne laga, nisha ko bhi bhut maja aa rha tha wo bhi har dhake ke sath apni gaand hila-2 ke chud rahi thi, aakhirkar nikhil 25 minute ki chudayi ke baad apna maal uski chut me hi bhar diya, is bich nisha 3 baar jhad chuki thi

Nikhil ne apna lund bahar nikal ke nisha ke muh me daal diya aur wo uske lund chaat chaat ke saaf karne lagi, saaf karne ke baad dono bathroom gaye fresh huye aur fir apne apne kapde pehen ke sofe pe baith gaye

Nisha:- ekdum janwar ban jaate ho sex karne ke time

Nikhil:-Kyu? Tumhe mera janwar banna pasand nahi hai .

Nisha:- nhi aisa nhi hai balki mujhe yahi cheez to tumhari pasand hai, par tum kabhi-2 Jada's hi haiwan ban jaate ho, mein dard me tadapti rehti hu aur tum kuch sune bina mujhe chodte rehte ho.

Nikhil:- jab me kisi ke sath sex karta hu to mujhe kuch yaad nhi rehta, agar tumhe bura laga ho to sorry,

Nisha :- No! It's okay. You don't need to be.

Kuch der baad nisha;- nikhil do you really love me.

Nikhil ;- kyu why are u asking that.

Uske baad indono me kuch aur baate hone lagti hai fir nisha apne ghar chali jaati hai aur nikhil shruti se badle ke plan ke baare me sochne lagta hai

Nikhil suru me college mein shrute ke sath flirt karta tha to ek din tang aake usne nikhil ke thappad maar diya usi din se usne soch liya tha ki wo shruti ki jindagi barbaad karke rahega to usne plan banaya aur shruti ki best friend nisha ko apne pyar ke jaal me fasya aur fir usey emotional blackmail karke apne sath mila liya,
Ab usme plan banaya tha ki wo sab group me shruti ko leke manali uska farmhouse hai waha jayenge aur fir shruti ka gangrape karke video banayenge aur uske amir baap se paise wasoolenge aur usey apni randi bana ke rakhenge, pehle to nisha nhi maani fir nikhil ne apne pyar ka wasta deke usey mana hi liya

Ye sab sochte sochte wo so gaya..

To be continued....
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Shruti delhi ke bhut bade business man vijay kapoor ki eklauti beti hai, vo bhut laad pyar se pali-badi hai aur sayad isiliye iske nature me rukhapan hai, usey apni khoobsurti aur paiso pe bhit ghamand hai, vo jaldi se kisi ko bhaav nhi deti hai, isiliye isne college me kuch gine-chune friend hi banaye hai, unme se ek nisha thi jo shruti ke kaafi close hai, shruti isiliye usey apna best friend manti hai, par nikhil ke jhoote pyaar ke behkaave me aake wo uske khilaf nikhil ka sath de rahi hai, kyuki wo nikhil se bhut pyar karti hai, par usey ye nhi maloom tha ki nikhil mehaz usey shruti se badla lene ke liye istemaal kar rha hai.

"Aapko mene kitni baar kaha hai, yu baithe bithaye charity mat diya kare, aapko meri baat samjh me nhi aati kya( breakfast ki table pe baithte huye kaha)

Vijay kapoor:- arey to bhai kya ho gaya, kyu subah naste me itna gussa kar rhi ho, 20 lakh hi to diya hai

Saundrya:-20 lakh ho ya 20 ruppey, yu paisa kisi faaltu institute ko nhi doge tum samjhe? Aaj jo tum itna paisa luta rahe ho na un bhikhmango ko dene ke liye, yaad rakho ye saari dollat tumhe mere uncle ki wajah se mili hai, me isey itni aasani se lutane nhi dungi.

Vijay kapoor:- Thik hai me jo aaj kuch bhi hu wo tumhare uncle ki wajah se hu, par ye mat bhulo ki kapoor industry ko aage mene apni mehnat se badhaya hai, isme apna khoon pasina lagaya hai.

Saundrya:- haa haa par booniyad to mere uncle ki wajah se huyi hai na

Vijay kapoor:-Offoo tumse to behas karna hi bekar hai.(kehte hu wo apni table se uth gya kyuki wo janta tha ki wo apni wife se behes me nhi jit sakta)

Saundrya:-dekho vijay aaj tumhe meri baato ka jawab dena hi hoga, tum paise kaha kaha spend karoge uska faisla tum akele nhi le sakte.

Vijay kapoor:- Thik hai is baare me baad me baat karenge, mujhe abhi office ke liye late ho raha hai( itna kehkar wo waha se chala gya.

Saundrya:- kuch bhi bolo to yahi bahana milta hai. Office ke liye late ho raha hu.( Wo chidte huye boli)

"Kaveri! Kaveri! Ab ye kaha mar gayi"- gusse me saundrya apni naukrani ko awaz dene lagi.

Kaveri:- ji maalkin aapne bulaya mujhe.

Saundrya:-kitni der se tujhe awaj laga rhi hu kaha thi tu?

Kaveri:- jee mein kitchen me thi isliye sunai kam diya.

Saundrya:-Acha thik hai tum ek kaam karo shrute ko jaake utha do, nhi to usey college jaane me late ho jayegi.

Kaveri:- jee malkin me abhi shruti baby ko jaga deti hu . ..

Shruti apne alishan kamre mein duniya janha se bekhabar gehri neend me soyi huyi thi, uska chera dekhke hi maloom chal raha tha ki wo kaoi haseen sapna dekh rhi hai. Nind me bhi uske chere pe halki muskurahat bikhri huyi hai, wo itni gehri neend me hai ki uske aaspass kya ho rha hai uski usey koi khabar nhi hai

Wo sapne me dekh rhi thi ki wo kisi jungle me akele kisi tree ke niche khadi huyi hai, jaise uski najar kisiko talash rahi ho, wo chaaro taraf ko kisi ko dhundne lagti hai, achanak usey dikhta hai ki ek naujawan ek safed ghode pe baitha hua, usi ki taraf dekh rha hai, shruti ko us ghode wale ladke ka chera itni dur se nazar nhi aa rha tha isliye wo sochti hai ki aakhir ye ladka kon hai....[/color]
 
[color=rgb(235,](UPDATE-10)

जो उसे हमेशा अपने पास बुलाता रहता है और वो उसके जीतने भी करीब जाने के कोशिश करती है वो उससे उतना ही दूर चला जाता था. श्रुति ने आज तय किया की वो आज उस नौजवान का चेहरा देख कर ही रहेगी, उससे पूच्ेगी की क्यों वो उसे इतना परेशान करता रहता है और वो क्यों उसके पीछे यूँ दीवानी बन के फिरती रहती है.
श्रुति ने जैसे ही अपने कदम उस नौजवान की तरफ बढ़ने लगी वो नौजवान अपने घोड़े को आगे बढ़ने लगता है और उससे दूर जाने की कोशिश करने लगता है. श्रुति उसे आवाज़ देने लगती है "सुनिए! सुनिए! प्लीज़ ज़रा रुक जाए मुझे आपसे बात करनी है. आप क्यों मुझे इतना परेशान करते है, ज़रा रुक जाए प्लीज़.!!! " पर वो नौजवान उसकी कोई बात का जवाब दिए बगैर वहां से जाने लगता है. श्रुति भी उसके पीछे पीछे जाने लगती है. फिर पता नहीं कहा वो नौजवान गायब हो जाता है. श्रुति बावली सी होकर उसे फिर से यहां वहां तलाश करती रहती है. इसी तलाश में वो एक नदी के किनारे पहुंच जाती है तब उसे वो नौजावां एक नौका पे भरता हुआ दिखता है और वो उस नौके को नदी के दूसरी तरफ लेकर जाता है. श्रुति भी भाग कर वहां पर एक और नौके पर भात जाती है और उस नौजवान के पीछे जाने लगती है. श्रुति देखती है की वो नौजवान अब नदी के दूसरी तरफ बने हुए एक आलीशान महल के पास अपनी नौका रोकता है और उस नौके से उतार वो सीधा उस महल में दाखिलहो जाता है. श्रुति यह सब देखते हुए जल्दी जल्दी अपनी नौका को भी उस नदी के दूसरे किनारे रोकती है और उस नौजवान के पीछे चली जाती है. पर जब वो महल के अंदर दाखिल होती है तो देखती है की है तो उसे वहां पर ढेर सारे लड़कियां काम करते हुए दिखती है और सब एक से एक हसीना लड़कियां जैसे वो कोई जैसे वो कोई पारिया हो और वो महल नहीं बल्कि एक परियों का देश हो .तभी उन परियों में से दो पारियाँ श्रुति के करीब आती है और उसे अपने साथ लेकर थोड़े ही दूर पर बने हुए एक चबूतरे पर लेकर जाती है. श्रुति देखती है वहां वही नौजवान जिसे वो तलाश करते करते इतनी दूर आ गयी उसकी और पीठ किए हुए खड़ा है. वो दोनों पारियाँ उसे वही चोद कर चली जाती है. श्रुति की दिल की धड़कनें तेज हो जाती है. वो जल्द से जल्द उस नुआजवान के करीब जाने के लिए मचलने लगती है. वो उसका चेहरा देखने की लिए बेचैन होने लगती है अब उसे और नहीं रुका जा रहा था वो भाग कर उस चबूतरे की सीढ़ियाँ चढ़ने लगती है और उस नौजवान के करीब पहुंच जाती है. फिर वो उस नौजवान का खंडा पकड़ कर अपनी तरफ जैसे ही घूमने लगती है की तभी अचानक...उसे एक आवाज़ सुनाई देती है "श्रुति बेबी!!! उठिए आपको आपकी मामा बुला रही है. श्रुति बेबी उठिए " इस शोर से श्रुति की नींद खुल जाती है और वो फिर से और इतने करीब से उस नौजवान का चेहरा देखने से वंचित रही जाती है. वो एक दम से गुस्से में चिल्लाते हुए उत्त् के कहने लगती है " क्या है!!! " श्रुति अपनी आँखें खोल कर देखती है की कौन है जो उसके इतने मीठे सपने से जगा दिया है , तो देखती है की नौकरानी कावेरी उसे जगाने आई हुई है. "क्या हुआ कावेरी? तुझे इतनी भी तमीज नहीं है की में सो रही हूँ तो मुझे ना जगाए?" श्रुति कावेरी पर बरस पढ़ते हुए कहती है. कावेरी बेचारी थोड़ा सहम जाती है और अपना थूक निगल के श्रुति से कहती है की
"श्रुति बेबी ..वो मालकिन ने कहा था आपको उठाने के लिए क्योंकि आपका कॉलेज जाने का टाइम हो गया है ना इसलिए"
"कॉलेज जाने के टाइम? वो घड़ी में देखती की वाक़ई में कॉलेज जाने का टाइम हो गया था. उसने सोचा की कोई और दिन होता तो कॉलेज को स्किप करके वापस सो जाती और अपने उस हसीना ख्वाब को पूरा करती. पर आज उसका जाना जरूरी था क्योंकि उसकी बेस्ट फ़्रेंड निशा ने उसे कॉलेज आने के लिए कहा था क्योंकि उसे कोई खास बात करनी थी. निशा उसकी बेस्ट फ़्रेंड थी , और वो उसका दिल नहीं तोड़ना चाहती थी. इसलिए उसने बेमन से अपना बेड छोडा और बाथरूम जाते हुए सोचने लगी के कब में उस नौजवान को देख पाओँगी? क्या उस नौजवान का मेरा साथ लिखा है की नहीं? आज उसे देखते देखते रही गयी.शीत!!! अगर वो कावेरी ना आती तो में आज जरूर उसे देख लेती . यही सब सोचते सोचते हुए वो बाथरूम में घुस गयी.

कुछ देर के बाद विजय जैसे ही अपने घर से से निकल रहा था ऑफिस जाने के लिए तभी उसे श्रुति के रूम से बहुत जोरों से किसी के ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने की आवाजें आ रही थी. यह सुन के विजय वहां जाकर देखने लगे की आख़िर माजरा क्या..[/color]
 
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