नमस्ते दोस्तो, मैं गुड्डू इलाहाबाद का रहने वाला हूँ। आज पहली बार आप सब को अपने साथ घटी घटना को शेयर करने जा रहा हूँ, उम्मीद है आप सबको पसंद आएगी।
बात उन दिनों की है.. जब मैं मुंबई में रहने लगा था और काफ़ी समय के बाद मैं अपने गाँव वापस गया।
मेरे जाने के 4 या 5 दिन के बाद ही मेरे गाँव का एक लड़का कंची मेरे पास आया जो दिल्ली में रहता था। मेरी उसके साथ खास दोस्ती तो नहीं थी.. मगर कोई हमजोली का ना होने क कारण उसके साथ अच्छी दोस्ती हो गई।
एक दिन उसने कहा- यार कोई लड़की मिल जाती.. तो मज़ा आ जाता!
मैंने कहा- मिल तो जाएगी.. तू बता लेकर जाएँगे कहाँ?
उसने कहा- तू लड़की ला.. मैं जगह बताता हूँ।
मैं पहले से एक लड़की को जानता था.. जो सिमरन के नाम से जानी जाती थी। उसके बारे में लोग बुरा-भला कहते थे.. मगर वो बहुत ही खूबसूरत थी।
हमने प्लान बनाया.. उसे फ़ोन करके बुला लिया।
उस वक्त रात को 8 बज रहे थे, हम लोग बाइक से उसे लेकर आए और अपने घर से थोड़ी दूर बगीचे के पास रुके।
मैंने अपने दोस्त से कहा- तू गाड़ी घर पर रख कर आजा.. मैं बगीचे में हूँ।
वो चला गया और मैं बगीचे में उसे लेकर गया। एक साफ सी जगह देख कर हम दोनों बैठ गए.. हल्की सी ठंडी लग रही थी।
उसने कहा- ठंडी लग रही है।
मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बोला- अब ठंडी दूर हो जाएगी।
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहले तो वो रिस्पोन्स नहीं दे रही थी। मगर मैं उसके होंठों को चूसता ही रहा।
धीरे-धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं कभी उसके होंठ के ऊपर का हिस्सा चूसता.. तो कभी नीचे का… वो बराबर मेरा साथ दे रही थी।
फिर हम एक-दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर चूसने लगे।
मैं उसकी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर पीठ को सहलाने लगा। वो गर्म होने लगी.. और जोश में उसने मेरा लण्ड पैन्ट के ऊपर से इस तरह दबाने लगी.. जैसे मेरे लण्ड को माप रही हो।
मैंने उसकी टी-शर्ट को एक झटके में उसके बदन से अलग कर दिया, अब उसकी ब्रा की बारी थी.. मैंने उसे भी निकाल दिया।
अब बैठे ही बैठे मैं थोड़ा झुका और उसकी एक चूची को हाथ से पकड़ कर उसकी निप्पल को जीभ से चाटने लगा.. फिर बच्चों की तरह चूसने लगा, वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची में दबाने लगी।
मैंने उसे वहीं लिटा दिया और अपनी शर्ट को उतार कर एक तरफ रख दिया, फिर उसकी नाभि पर मुँह लगा कर चाटते हुए उसकी चूची तक आ गया।
चूची पर जीभ लगते ही उसके मुँह ‘उम्मह..’ की आवाज़ आई।
मैं और भी जोश में आ गया.. और चूची के निप्पल के नीचे जो काला सा गोल घेरा था.. उस पर अपनी जीभ घुमाने लगा।
वो सिसकारियां भरते हुए मेरे बालों में उंगली करने लगी।
बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को मैं लगभग दस मिनट तक चूसता रहा।
अब उसकी पैंट को उतारा.. उसने अन्दर कच्छी पहनी हुई थी। मैंने कच्छी में हाथ डाला.. उफ़फ्फ़ उसकी चूत तो एकदम गीली थी।
मैंने झट से कच्छी उतारी.. चाँदनी रात में उसकी चूत तो ऐसे चमक रही थी कि क्या बताऊँ.. चूत पर एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल दूध के जैसी गोरी और चमकदार चूत को देखकर मैं पागल सा हो गया।
बात उन दिनों की है.. जब मैं मुंबई में रहने लगा था और काफ़ी समय के बाद मैं अपने गाँव वापस गया।
मेरे जाने के 4 या 5 दिन के बाद ही मेरे गाँव का एक लड़का कंची मेरे पास आया जो दिल्ली में रहता था। मेरी उसके साथ खास दोस्ती तो नहीं थी.. मगर कोई हमजोली का ना होने क कारण उसके साथ अच्छी दोस्ती हो गई।
एक दिन उसने कहा- यार कोई लड़की मिल जाती.. तो मज़ा आ जाता!
मैंने कहा- मिल तो जाएगी.. तू बता लेकर जाएँगे कहाँ?
उसने कहा- तू लड़की ला.. मैं जगह बताता हूँ।
मैं पहले से एक लड़की को जानता था.. जो सिमरन के नाम से जानी जाती थी। उसके बारे में लोग बुरा-भला कहते थे.. मगर वो बहुत ही खूबसूरत थी।
हमने प्लान बनाया.. उसे फ़ोन करके बुला लिया।
उस वक्त रात को 8 बज रहे थे, हम लोग बाइक से उसे लेकर आए और अपने घर से थोड़ी दूर बगीचे के पास रुके।
मैंने अपने दोस्त से कहा- तू गाड़ी घर पर रख कर आजा.. मैं बगीचे में हूँ।
वो चला गया और मैं बगीचे में उसे लेकर गया। एक साफ सी जगह देख कर हम दोनों बैठ गए.. हल्की सी ठंडी लग रही थी।
उसने कहा- ठंडी लग रही है।
मैं उससे चिपक कर बैठ गया और बोला- अब ठंडी दूर हो जाएगी।
वो कुछ नहीं बोली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहले तो वो रिस्पोन्स नहीं दे रही थी। मगर मैं उसके होंठों को चूसता ही रहा।
धीरे-धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं कभी उसके होंठ के ऊपर का हिस्सा चूसता.. तो कभी नीचे का… वो बराबर मेरा साथ दे रही थी।
फिर हम एक-दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर चूसने लगे।
मैं उसकी टी-शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर पीठ को सहलाने लगा। वो गर्म होने लगी.. और जोश में उसने मेरा लण्ड पैन्ट के ऊपर से इस तरह दबाने लगी.. जैसे मेरे लण्ड को माप रही हो।
मैंने उसकी टी-शर्ट को एक झटके में उसके बदन से अलग कर दिया, अब उसकी ब्रा की बारी थी.. मैंने उसे भी निकाल दिया।
अब बैठे ही बैठे मैं थोड़ा झुका और उसकी एक चूची को हाथ से पकड़ कर उसकी निप्पल को जीभ से चाटने लगा.. फिर बच्चों की तरह चूसने लगा, वो मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची में दबाने लगी।
मैंने उसे वहीं लिटा दिया और अपनी शर्ट को उतार कर एक तरफ रख दिया, फिर उसकी नाभि पर मुँह लगा कर चाटते हुए उसकी चूची तक आ गया।
चूची पर जीभ लगते ही उसके मुँह ‘उम्मह..’ की आवाज़ आई।
मैं और भी जोश में आ गया.. और चूची के निप्पल के नीचे जो काला सा गोल घेरा था.. उस पर अपनी जीभ घुमाने लगा।
वो सिसकारियां भरते हुए मेरे बालों में उंगली करने लगी।
बारी-बारी से उसकी दोनों चूचियों को मैं लगभग दस मिनट तक चूसता रहा।
अब उसकी पैंट को उतारा.. उसने अन्दर कच्छी पहनी हुई थी। मैंने कच्छी में हाथ डाला.. उफ़फ्फ़ उसकी चूत तो एकदम गीली थी।
मैंने झट से कच्छी उतारी.. चाँदनी रात में उसकी चूत तो ऐसे चमक रही थी कि क्या बताऊँ.. चूत पर एक भी बाल नहीं था, बिल्कुल दूध के जैसी गोरी और चमकदार चूत को देखकर मैं पागल सा हो गया।