अब तक आपने पढ़ा..
मुझे पापा के कहने पर गाँव जाना पड़ा, गाँव में मेरे पड़ोसी चाचा की विधवा बहू को देख कर मेरा उन पर दिल आ गया।
अब आगे..
रेखा भाभी के इतने पास होने के कारण मेरे दिल में एक अजीब गुदगुदी सी हो रही थी.. मगर कुछ करने कि मुझमें हिम्मत नहीं थी। मैं पिछली रात को ठीक से नहीं सोया था इसलिए पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और सुबह भी मैं देर तक सोता रहा।
सुबह जब रेखा भाभी कमरे की सफाई करने के लिए आईं तो उन्होंने ही मुझे जगाया। मैं उठा.. तब तक चाचा-चाची खेत में जा चुके थे और सुमन भी कॉलेज चली गई थी।
घर में बस मैं और रेखा भाभी ही थे.. मेरा दिल तो कर रहा था कि रेखा भाभी को पकड़ लूँ.. मगर इतनी हिम्मत मुझमें कहाँ थी। इसलिए मैं उठकर जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया।
मैं काफी देर से उठा था तब तक दोपहर के खाने का भी समय हो गया था.. इसलिए खेत में जाते समय रेखा भाभी ने मुझे दोपहर का खाना भी बनाकर दे दिया।
इसके बाद खेत से मैं शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।
सुबह मैं देर से उठता था इसलिए रोजाना की मेरी यही दिनचर्या बन गई कि मैं दोपहर का खाना लेकर ही खेत में जाता और शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से वापस आता। मगर जब भी घर में रहता तो किसी ना किसी बहाने से रेखा भाभी के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता रहता और रेखा भाभी को पटाने की कुछ ना कुछ तरकीब बनाता रहता।
मगर रेखा भाभी ने मुझमे कोई रूचि नहीं दिखाई और भाभी के प्रति मेरी वासना बढ़ती ही जा रही थी।
एक सुबह नींद खुलने के बाद भी मैं ऐसे ही चारपाई पर लेटा हुआ ऊंघ रहा था कि तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई। मुझे पता था कि रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए नहीं.. तो कमरे में सफाई करने के लिए तो जरूर ही आएंगी और घर में मेरे व रेखा भाभी के अलावा कोई है भी नहीं, इसलिए मुझे इस वक्त किसी का डर भी नहीं था।
सुबह-सुबह पेशाब के ज्वर के कारण मेरा लिंग उत्तेजित तो था ही.. ऊपर से रेखा भाभी के बारे में सोचने पर मेरा लिंग बिल्कुल लोहे सा सख्त हो गया।
मैंने अपने अण्डरवियर व पायजामे को थोड़ा सा नीचे खिसका कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और इस तरह से व्यवस्थित कर लिया कि रेखा भाभी जब कमरे में आएं.. तो उन्हें मेरा उत्तेजित लिंग आसानी से नजर आ जाए। फिर मैं सोने का बहाना करके भाभी के कमरे में आने का इन्तजार करने लगा।
मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा क्योंकि कुछ देर बाद ही रेखा भाभी कमरे में आ गईं।
भाभी के आते ही मैं जल्दी से आँखें बन्द करके सोने का नाटक करने लगा। भाभी मुझे जगाने के लिए मेरी चारपाई की तरफ बढ़ ही रही थीं कि वो वहीं पर रुक गईं और फिर जल्दी से वापस बाहर चली गईं।
मैं सोच रहा था कि रेखा भाभी मेरे उत्तेजित लिंग को देखकर शायद खुद ही मेरे पास आ जाएं.. मगर ऐसा कुछ तो नहीं हुआ। ऊपर से रेखा भाभी के ऐसे चले जाने के कारण मुझे डर लगने लगा कि कहीं भाभी मेरी शिकायत ना कर दें।
रेखा भाभी के जाने के बाद मैं काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा क्योंकि मैं चाहता था कि भाभी को ऐसा लगे कि मैं सही में ही सो रहा हूँ। मगर भाभी को शायद शक हो गया था कि मैंने जानबूझ कर ऐसा किया है क्योंकि जब तक मैं खुद ही उठकर बाहर नहीं गया तब तक भाभी दोबारा कमरे में नहीं आईं और ना ही मुझे जगाने की कोशिश की।
जब मैं खुद ही उठकर बाहर गया तब भी रेखा भाभी मुझसे ठीक से बात नहीं कर रही थीं.. इसलिए मैं खेत में जाने के लिए तैयार हो गया और इस दौरान भाभी ने मुझसे बस एक-दो बार ही बात की होगी।
इसके बाद रोजाना की तरह ही मैं दोपहर का खाना लेकर खेत में चला गया और शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।
शाम को जब मैं घर आया तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं रेखा भाभी सुबह वाली बात चाचा-चाची को ना बता दें मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
इसके बाद तो मेरी भी दोबारा ऐसी कुछ हरकत करने की कभी हिम्मत नहीं हुई। अब रेखा भाभी को पता चल गया था कि मेरी नियत उनके प्रति क्या है.. इसलिए उन्होंने मुझसे बातें करना बहुत ही कम कर दिया और मुझसे दूर ही रहने की कोशिश करने लगीं।
सुबह भी जब तक मैं सोता रहता.. तब तक वो कमरे में नहीं आती थीं।
मुझे पापा के कहने पर गाँव जाना पड़ा, गाँव में मेरे पड़ोसी चाचा की विधवा बहू को देख कर मेरा उन पर दिल आ गया।
अब आगे..
रेखा भाभी के इतने पास होने के कारण मेरे दिल में एक अजीब गुदगुदी सी हो रही थी.. मगर कुछ करने कि मुझमें हिम्मत नहीं थी। मैं पिछली रात को ठीक से नहीं सोया था इसलिए पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और सुबह भी मैं देर तक सोता रहा।
सुबह जब रेखा भाभी कमरे की सफाई करने के लिए आईं तो उन्होंने ही मुझे जगाया। मैं उठा.. तब तक चाचा-चाची खेत में जा चुके थे और सुमन भी कॉलेज चली गई थी।
घर में बस मैं और रेखा भाभी ही थे.. मेरा दिल तो कर रहा था कि रेखा भाभी को पकड़ लूँ.. मगर इतनी हिम्मत मुझमें कहाँ थी। इसलिए मैं उठकर जल्दी से खेत में जाने के लिए तैयार हो गया।
मैं काफी देर से उठा था तब तक दोपहर के खाने का भी समय हो गया था.. इसलिए खेत में जाते समय रेखा भाभी ने मुझे दोपहर का खाना भी बनाकर दे दिया।
इसके बाद खेत से मैं शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।
सुबह मैं देर से उठता था इसलिए रोजाना की मेरी यही दिनचर्या बन गई कि मैं दोपहर का खाना लेकर ही खेत में जाता और शाम को चाचा चाची के साथ ही खेत से वापस आता। मगर जब भी घर में रहता तो किसी ना किसी बहाने से रेखा भाभी के ज्यादा से ज्यादा पास रहने की कोशिश करता रहता और रेखा भाभी को पटाने की कुछ ना कुछ तरकीब बनाता रहता।
मगर रेखा भाभी ने मुझमे कोई रूचि नहीं दिखाई और भाभी के प्रति मेरी वासना बढ़ती ही जा रही थी।
एक सुबह नींद खुलने के बाद भी मैं ऐसे ही चारपाई पर लेटा हुआ ऊंघ रहा था कि तभी मेरे दिमाग में एक योजना आई। मुझे पता था कि रेखा भाभी मुझे जगाने के लिए नहीं.. तो कमरे में सफाई करने के लिए तो जरूर ही आएंगी और घर में मेरे व रेखा भाभी के अलावा कोई है भी नहीं, इसलिए मुझे इस वक्त किसी का डर भी नहीं था।
सुबह-सुबह पेशाब के ज्वर के कारण मेरा लिंग उत्तेजित तो था ही.. ऊपर से रेखा भाभी के बारे में सोचने पर मेरा लिंग बिल्कुल लोहे सा सख्त हो गया।
मैंने अपने अण्डरवियर व पायजामे को थोड़ा सा नीचे खिसका कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया और इस तरह से व्यवस्थित कर लिया कि रेखा भाभी जब कमरे में आएं.. तो उन्हें मेरा उत्तेजित लिंग आसानी से नजर आ जाए। फिर मैं सोने का बहाना करके भाभी के कमरे में आने का इन्तजार करने लगा।
मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा क्योंकि कुछ देर बाद ही रेखा भाभी कमरे में आ गईं।
भाभी के आते ही मैं जल्दी से आँखें बन्द करके सोने का नाटक करने लगा। भाभी मुझे जगाने के लिए मेरी चारपाई की तरफ बढ़ ही रही थीं कि वो वहीं पर रुक गईं और फिर जल्दी से वापस बाहर चली गईं।
मैं सोच रहा था कि रेखा भाभी मेरे उत्तेजित लिंग को देखकर शायद खुद ही मेरे पास आ जाएं.. मगर ऐसा कुछ तो नहीं हुआ। ऊपर से रेखा भाभी के ऐसे चले जाने के कारण मुझे डर लगने लगा कि कहीं भाभी मेरी शिकायत ना कर दें।
रेखा भाभी के जाने के बाद मैं काफी देर तक ऐसे ही लेटा रहा क्योंकि मैं चाहता था कि भाभी को ऐसा लगे कि मैं सही में ही सो रहा हूँ। मगर भाभी को शायद शक हो गया था कि मैंने जानबूझ कर ऐसा किया है क्योंकि जब तक मैं खुद ही उठकर बाहर नहीं गया तब तक भाभी दोबारा कमरे में नहीं आईं और ना ही मुझे जगाने की कोशिश की।
जब मैं खुद ही उठकर बाहर गया तब भी रेखा भाभी मुझसे ठीक से बात नहीं कर रही थीं.. इसलिए मैं खेत में जाने के लिए तैयार हो गया और इस दौरान भाभी ने मुझसे बस एक-दो बार ही बात की होगी।
इसके बाद रोजाना की तरह ही मैं दोपहर का खाना लेकर खेत में चला गया और शाम को चाचा चाची के साथ ही घर वापस आया।
शाम को जब मैं घर आया तो मुझे डर लग रहा था कि कहीं रेखा भाभी सुबह वाली बात चाचा-चाची को ना बता दें मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।
इसके बाद तो मेरी भी दोबारा ऐसी कुछ हरकत करने की कभी हिम्मत नहीं हुई। अब रेखा भाभी को पता चल गया था कि मेरी नियत उनके प्रति क्या है.. इसलिए उन्होंने मुझसे बातें करना बहुत ही कम कर दिया और मुझसे दूर ही रहने की कोशिश करने लगीं।
सुबह भी जब तक मैं सोता रहता.. तब तक वो कमरे में नहीं आती थीं।