अरे कल्लु कहा चल दिया सूरज सर पर है और तू है की बार बार नदी की तरफ जा रहा है सुबह से तीन दफ़ा जा चूका है।
आज क्या तेरा पेट ख़राब है।
मेरे बाबा ने मुझे खेत से नदी की और जाते हुए देख कर कहा।
मैंने कहा हाँ बाबा आज तो सुबह से पेट गड़बड़ हो रहा है क्या करू बार बार लग रही है।
बाबा ने हँसते हुए कहा जा जल्दी करके आ जा और जरा सोच समझ कर खाया कर फिर तो जब खाने को मिलता है तो तबियत से पेल लेता है और आगा पीछा कुछ नहीं सोचता।
मेरी गाण्ड फ़टी जा रही थी और बाबा था की लैक्चर मार रहा था मै जल्दी से नदी के पास पंहुचा और निचे उतरने लगा।
दरअसल हमारे खेत के पास की नदी गर्मियो में सुख जाती थी और उसमे इतना ही पानी बचता था की लोग अपनी गाण्ड धो सके, मै झाड़ियो के बीच जाकर अपनी धोती खोल कर बैठ गया तभी मुझे कुछ आवाज सी सुनाइ दी।
आवाज किसी औरत की थी, लेकिन आह बीरजु
क्या कर रहा है बेटा की आवाज सुनते ही मेरी तो टट्टी बंद हो गई मैंने जल्दी से अपनी गाण्ड धोइ और चुपके से झाड़ियो के पीछे जहा से आवाज आ रही थी उस तरफ बैठे बैठे ही आगे बढ़ने लगा।
मेरे रोंगटे तो बिरजु शब्द सुनते ही खड़े हो गये थे क्यों की मै उस औरत की आवाज पहचान चूका था वह मेरी चाची संतोष की आवाज थी और मेरे चचेरे भाई का नाम बिरजु था।
बीरजु से मेरी बिलकुल नहीं बनती थी वह मुझसे एक साल छोटा था, लेकिन था मेरा भाई ही पर उसका बाप शहर में पंचायत में नौकर था तो दोनों माँ बेटो के भाव कुछ ज्यादा ही था, घमण्ड सर चढ़ कर बोलता था, लेकिन वही मेरी माँ और चाची में काफी जमती थी, वैसे भी सुना जाता है की पहले माँ बहुत सीधी साधी थी लेकिन जब से चाची से मिली तब से काफी तेज तरार हो गई थी।
अब मै जरा अपने बारे में बता दू फिर कहानी की ओर चलते है।
मेरा नाम कल्लु है मै 20 साल का हु मेरे दादा जी मेरे लिए काफी जमीन छोड़ कर गए जिसमें हम बाप बेटे खेती करते है।
हल चलाते है, खेती किसानी के काम के चलते मेरा शरीर काफी बलिश्त और लम्बा है, मेरे पिता जी की दूसरी शादी हुई है पहली के मरने के बाद मेरे पिता जी ने मेरी माँ निर्मला से शादी कर ली, मेरे पिता जी 50 पार कर चुके है जबकि मेरी माँ उनसे बहुत छोटी केवल 38 साल की है याने मुझसे सिर्फ 18 साल ही बड़ी है, गांव में लड़कियो की शादी कम उम्र में ही हो जाया करती है इसलिए कम उम्र में ही माँ की शादी हो गई और 18 की उम्र में मै पैदा हो गया, मेरी माँ बहुत खूबसूरत और सेक्सी नजर आती है, मेरी एक छोटी बहन भी है 18 साल की जिसका नाम गीतिका है लेकिन प्यार से हम सब उसे गुड़िया भी कहते है, मेरे बाबा का बड़ा मन था उसे डॉक्टर बनाने का इस्लिये उनहोने उसे शहर भेज दिया था पढने के लिये, वह काफी सुन्दर और बिलकुल मेरी माँ के जैसी गदराई हुई और सेक्सी है।
वह पढने में बड़ी तेज है शहर में हॉस्टल में रह कर पढाई करती है और एक महिने में एक बार गांव जरुर आती है।
लेकिन अभी मेरी माँ की तो यह हालत है की उसको देख कर हर किसी का मन उसे चोदने का होता है यह बात मैंने गांव के लोगो की जो नजर मेरी माँ पर
पडती है उससे मैंने जाना। माँ बहुत गदरा गई है और उसके बदन पर चर्बी भी बढ़ गई है जिसके कारन उसका पेट काफी उभरा हुआ नजर आता है वह घाघरा भी नाभि के निचे ही पहनती है, हमारे यहाँ घाघरा और चोली पहनने का ही चलन है माँ का घाघरा घुटनो तक और बहुत घेरे वाला होता है, उनके चुचे और उनकी गाण्ड बहुत उठि हुई और मोटी है, उनकी गाण्ड देखते ही लौंडा खड़ा हो जाये इस बात की ग्यारंटी है, वह भी हमारे साथ खेतो में काम करती है।
हाँ तो जब मैंने देखा की आवाज पास की झाड़ियो के पीछे से आ रही है तब मै झाड़ियो के पास जाकर पीछे देखने लगा, लेकिन खोदा पहाड और निकली चुहिया वाली बात थी, संतोष चाची के पैर में कान्टा लगा हुआ था और उसका बेटा बिरजु उसके पैरो से काँटे
को निकाल रहा था संतोष चाची अपने दोनों हांथो को जमीन पर पीछे टेके हुए अपनी एक टाँग उठा कर अपने बेटे के मुह की ओर देख रही थी।
लेकिन मैंने देखा बिरजु का ध्यान काँटा निकालने की बजाय अपनी माँ के घाघरे के अंदर उसकी जांघो की जोडो की ओर देख रहा था।
संतोष : क्या हुआ मुये कितनी देर लगाएगा तुझसे एक कांटा भी नहीं निकाला जाता है, जल्दी कर मेरा पैर उठाये उठाये दर्द करने लगा है।
बीरजु : अरे माँ काँटा भी तो देखो कितनी बीच में घुसा है जरा चुप चाप बैठो निकाल रहा हु और अपने पैर न हिलाओ।
संतोष चाची आँखे बंद किये हुए अपने चहरे पर सारा दर्द समेटे आह ओहः कर रही थी और बिरजु था की अपनी माँ की बुर देखने की कोशिश कर रहा था, तभी बिरजु ने अपनी माँ की टाँगो को थोड़ा चौड़ा कर दिया और बिरजु तो बिरजू, संतोष चाची की चुत की फटी हुई फाँक
आज क्या तेरा पेट ख़राब है।
मेरे बाबा ने मुझे खेत से नदी की और जाते हुए देख कर कहा।
मैंने कहा हाँ बाबा आज तो सुबह से पेट गड़बड़ हो रहा है क्या करू बार बार लग रही है।
बाबा ने हँसते हुए कहा जा जल्दी करके आ जा और जरा सोच समझ कर खाया कर फिर तो जब खाने को मिलता है तो तबियत से पेल लेता है और आगा पीछा कुछ नहीं सोचता।
मेरी गाण्ड फ़टी जा रही थी और बाबा था की लैक्चर मार रहा था मै जल्दी से नदी के पास पंहुचा और निचे उतरने लगा।
दरअसल हमारे खेत के पास की नदी गर्मियो में सुख जाती थी और उसमे इतना ही पानी बचता था की लोग अपनी गाण्ड धो सके, मै झाड़ियो के बीच जाकर अपनी धोती खोल कर बैठ गया तभी मुझे कुछ आवाज सी सुनाइ दी।
आवाज किसी औरत की थी, लेकिन आह बीरजु
क्या कर रहा है बेटा की आवाज सुनते ही मेरी तो टट्टी बंद हो गई मैंने जल्दी से अपनी गाण्ड धोइ और चुपके से झाड़ियो के पीछे जहा से आवाज आ रही थी उस तरफ बैठे बैठे ही आगे बढ़ने लगा।
मेरे रोंगटे तो बिरजु शब्द सुनते ही खड़े हो गये थे क्यों की मै उस औरत की आवाज पहचान चूका था वह मेरी चाची संतोष की आवाज थी और मेरे चचेरे भाई का नाम बिरजु था।
बीरजु से मेरी बिलकुल नहीं बनती थी वह मुझसे एक साल छोटा था, लेकिन था मेरा भाई ही पर उसका बाप शहर में पंचायत में नौकर था तो दोनों माँ बेटो के भाव कुछ ज्यादा ही था, घमण्ड सर चढ़ कर बोलता था, लेकिन वही मेरी माँ और चाची में काफी जमती थी, वैसे भी सुना जाता है की पहले माँ बहुत सीधी साधी थी लेकिन जब से चाची से मिली तब से काफी तेज तरार हो गई थी।
अब मै जरा अपने बारे में बता दू फिर कहानी की ओर चलते है।
मेरा नाम कल्लु है मै 20 साल का हु मेरे दादा जी मेरे लिए काफी जमीन छोड़ कर गए जिसमें हम बाप बेटे खेती करते है।
हल चलाते है, खेती किसानी के काम के चलते मेरा शरीर काफी बलिश्त और लम्बा है, मेरे पिता जी की दूसरी शादी हुई है पहली के मरने के बाद मेरे पिता जी ने मेरी माँ निर्मला से शादी कर ली, मेरे पिता जी 50 पार कर चुके है जबकि मेरी माँ उनसे बहुत छोटी केवल 38 साल की है याने मुझसे सिर्फ 18 साल ही बड़ी है, गांव में लड़कियो की शादी कम उम्र में ही हो जाया करती है इसलिए कम उम्र में ही माँ की शादी हो गई और 18 की उम्र में मै पैदा हो गया, मेरी माँ बहुत खूबसूरत और सेक्सी नजर आती है, मेरी एक छोटी बहन भी है 18 साल की जिसका नाम गीतिका है लेकिन प्यार से हम सब उसे गुड़िया भी कहते है, मेरे बाबा का बड़ा मन था उसे डॉक्टर बनाने का इस्लिये उनहोने उसे शहर भेज दिया था पढने के लिये, वह काफी सुन्दर और बिलकुल मेरी माँ के जैसी गदराई हुई और सेक्सी है।
वह पढने में बड़ी तेज है शहर में हॉस्टल में रह कर पढाई करती है और एक महिने में एक बार गांव जरुर आती है।
लेकिन अभी मेरी माँ की तो यह हालत है की उसको देख कर हर किसी का मन उसे चोदने का होता है यह बात मैंने गांव के लोगो की जो नजर मेरी माँ पर
पडती है उससे मैंने जाना। माँ बहुत गदरा गई है और उसके बदन पर चर्बी भी बढ़ गई है जिसके कारन उसका पेट काफी उभरा हुआ नजर आता है वह घाघरा भी नाभि के निचे ही पहनती है, हमारे यहाँ घाघरा और चोली पहनने का ही चलन है माँ का घाघरा घुटनो तक और बहुत घेरे वाला होता है, उनके चुचे और उनकी गाण्ड बहुत उठि हुई और मोटी है, उनकी गाण्ड देखते ही लौंडा खड़ा हो जाये इस बात की ग्यारंटी है, वह भी हमारे साथ खेतो में काम करती है।
हाँ तो जब मैंने देखा की आवाज पास की झाड़ियो के पीछे से आ रही है तब मै झाड़ियो के पास जाकर पीछे देखने लगा, लेकिन खोदा पहाड और निकली चुहिया वाली बात थी, संतोष चाची के पैर में कान्टा लगा हुआ था और उसका बेटा बिरजु उसके पैरो से काँटे
को निकाल रहा था संतोष चाची अपने दोनों हांथो को जमीन पर पीछे टेके हुए अपनी एक टाँग उठा कर अपने बेटे के मुह की ओर देख रही थी।
लेकिन मैंने देखा बिरजु का ध्यान काँटा निकालने की बजाय अपनी माँ के घाघरे के अंदर उसकी जांघो की जोडो की ओर देख रहा था।
संतोष : क्या हुआ मुये कितनी देर लगाएगा तुझसे एक कांटा भी नहीं निकाला जाता है, जल्दी कर मेरा पैर उठाये उठाये दर्द करने लगा है।
बीरजु : अरे माँ काँटा भी तो देखो कितनी बीच में घुसा है जरा चुप चाप बैठो निकाल रहा हु और अपने पैर न हिलाओ।
संतोष चाची आँखे बंद किये हुए अपने चहरे पर सारा दर्द समेटे आह ओहः कर रही थी और बिरजु था की अपनी माँ की बुर देखने की कोशिश कर रहा था, तभी बिरजु ने अपनी माँ की टाँगो को थोड़ा चौड़ा कर दिया और बिरजु तो बिरजू, संतोष चाची की चुत की फटी हुई फाँक