कुछ दिन पहले में मेरा एक क्लोज फ्रेंड के साथ सेक्स को लेके डिस्कुस कर रहा त। वह मध्य प्रदेश में जॉब करता है। मैं ना उसका नाम ,ना जगह का नाम कुछ भी देना नहीं चाहता हूण। उस से जब बात कर रहा था , तब उस ने मुझे एक ऐसी सच्ची कहानी सुनया, की तब से मेरा दिमाग जाम हो गया। वह कहानी आप लोगों से शेयर करना चाहता हूण।
वह जहाँ जॉब करता है, उस ऑफिस में, एक दूसरा सेक्शन में पटेल बोलके एक आदमी काम करता है। यह उस आदमी की कहानि है वह आदमी मेरा दोस्त का अच्चा दोस्त बन गया है। मेरा दोस्त उनके घर जाते है, खाना खाते है और कभी कभी चैस का अड्डा भी जमा लेता है। अच्छी दोस्ती होने के कारन उन्होंने मेरा दोस्त को उसका जीवन का एक गहरा सच बताया। पर में लिखने में कच्चा हूण। मैं उस कहानी में ज़ादा रंग न चढाकर, सच मुच जो घटा उस को ही अपना तरीके से आप लोगों को बताउंगा। इस में मेरा कुछ क्रेडिट नहीं है। मैं जब सुन रहा था, तब मेरे दिल ने जैसे उस कहानी को चित्रण किया था बस उतना ही कह पाऊंगा। मैं मि.पटेल का जबानी से कहते रहुंगा। काम आसान हो जाएगा। इस में सेक्स है पर इतना डिटेल्ड नहीं रहेगा ,क्यूँ की इतना प्राइवेट बात मिस्टर पटेल खुद बताया नहि। पर स्टोरी का सिचुएशन से आप समझ जायेंगे कैसे कैसे वह सब घटा उनका लाइफ में। कोशिश करूँगा कहानी एक गति में चलती रहे
आज में ज़ादा कहानी लिख नहीं पाऊंगा। बस आप लोगों को थोड़ा प्रेमिसेस क्या है कहानी का वह बता दूंगा और बहुत जलद ही कहानी पूरा बताके एन्ड करवा दूंगा।
आप लोग कुछ डिमांड मत कीजिये,क्यूँ की यह किसीका लाइफ की सच्ची घटनाएँ है। जो में सुना , वह आप भी जानीए। बस एक चीज़ कहानी को कैसे फील करते रहेंगे, वह बताइयेगा। आप लोग अगर इंटेरेस्टेड नहीं रहेंगे, तोह मेहनत करके बताने का जरूरत नहीं होगा।
एम पी । में मेरा दोस्त किसी के घर में पेइंग गेस्ट बन के रहता है। ।मि.पटेल एक छोटा बंगलो टाइप घर किराया में लेके वहां रेह्ते है। उनका घर में मिसेस पटेल और उन लोगों का नर्सरी में पड़नेवाली एक बेटी है,ज़ीस का नाम दिया है। वह मेरा दोस्त को चाचू बुलाता है। मि.पटेल (अब्ब से हितेश नाम से बुलाएँगे) को मेरा दोस्त नाम से ही बुलाता है पर उनकी पत्नी यानि की मिसेस पटेल (अब्ब से मंजु बुलाएँगे) को भाभी ही कहता है। गुजरात में अब्ब हितेश का कोई नहीं है। पिछला ५ साल से मंजु का परेंट्स भी गुजरात छोड़के मुंबई में आगये। वहाँ एक फ्लैट खरीद के वह दोनों रेह्ते है। कहानी उस समय से डिटेल मालूम है जब हीतेश इंजीनियरिंग का लास्ट इयर में था उस से पहला घटना भी बताऊँगा जितना में जानता हू। हितेश अहमेदाबाद में ही पड़ रहा था। अहमेदाबाद के पास एक जगह है(नाम पूछिए मत) जहाँ हितेश अपनी माँ, नाना और नानी के साथ रहता था। उस का फ़ादर एक अनाथ था पर अच्छा इंसान था। इस्स लिए उसका नाना उनको घर जमाई बना के अच्चा प्यार दिया था। उसका नानी थोड़ी हिचक रही थी क्यूँकि उस समय उनकी बेटी देखने में बड़ी होगयी थी पर उम्र में कम थी। गुजरात में शायद कम उम्र में शादी होती है लगता है। सब ख़ुशी से जी रहे थे साल घूम ने से पहले ही हितेश आगया। ख़ुशी से सब झूम उठे। पर ज़ादा टाइम यह हाल नहीं रहा। हितेश के जनम के दो साल बाद मलेरिआ से अचानक हितेश के फादर की डेथ हो गई। तब हितेश की माँ केवल १८ साल की थी। एक बड़ा झटका लगा था उस फॅमिली को पर धिरे धीरे वह लोग उस सदमें से बाहर आने लगे और नार्मल होने लगे। कुछ साल बाद हीतेश के नाना नानी मंजू की दोबारा शादी के बारे में सोचे। पर मंजु खुद ही मना कर दिया वह। हीतेश के नाना के पास पैसा और प्रॉपर्टी था। तोह वह लोग एक फॅमिली बन के , एक आराम की ज़िन्दगी बिता रहा थे पर हितेश जब कॉलेज ख़तम किया उसको काम्पुसिंग में ही जॉब लग गया केवल २० साल का उम्र में। कंपनी में जाके जॉब ज्वाइन किया। और वीकेंड में घर आया करता था। पर उसका नाना नानी यह सोच के परेशांन होते थे की इतने दूर , अकेला उसका रहना खाना सब अकेले में करने में तकलीफ होती होगी। सो उसके नाना नानी उसकी शादी करवा ने के लिए सोच लिया।
आगे के भाग को आसान करने के लिए हीतेश की जबान से बोलुंगा। की कैसे उसके लाइफ का एक छुपा हुआ सपना अचानक खुद के बिना कोशिश में सच हो गया। जो सपना केवल वह देखता था मन ही मन में, वही शामे चीज़ उसका नाना नानी सब ठीक विचार करके अपने सब के भलाई के लिए कैसे सच करवा दिया। सब की मर्ज़ी से यह कहानी आगें गई। जो कुछ परेशानिया आगे आई , वह कैसे कैसे दूर हुआ, कैसे वह एक सचचा प्यार से बढा हुआ फॅमिली ,एक ही रह गया ज़िन्दगी भर के लिये। हीतेश का नाना नानी अपना पोता हीतेश को खोये। उन लोगों ने एक नया पोता पाने का आशा किया था , आब वह लोग कभी पोता पाएंगे नाहि,पर नन्हि मुन्नी पोती दिआ को पाके ही खुश है। क्यूँ की डॉक्टर साफ़ मना कर दिया हीतेश को ,की अगर वह दूसरा बच्चे के लिए प्रयास करेगा तो उस्का पत्नी यानि की मंजु का जान जा सकता है। पहले पहले हीतेश का प्रॉब्लम होता था नाना नानी को मम्मी पापा बुलाने में। कभी कभी नानाजी, नानीजी मुह से निकल जाता था। पर आज सात साल में सब कुछ परफेक्ट हो गया। जिस तरीके से हीतेश रिस्पांसिबिलिटी लेके ज़िन्दगी बिता रहा है, अपना बीवी , बच्चा का ख्याल रखता है, बूढ़ा साँस ससुर का ध्यान रखता है, और कोई आता इस फॅमिली में तो शायद ऐसा नहीं ही पाता। यह लोग अपने दामाद से बेहद खुश है। और मंजू।।उसको पहले तो सब सपना जैसा लगा था। आब वह एक अच्छी हाउसवाइफ है। बूत यह सब आसानी ने नहीं हुआ कैसे हुआ वह में आप को बतौँगा।
एक एक्स दोस्त के कहने पर में इस सच्ची घटना को कहानी जैसा लिखने का कोशिश किया। आप लोगों का इस कहानी पड़ कर क्या फीलिंग्स होता है, वह जरूर बताइयेगा। मुझे होसला बढ़ेगा
मै हितेश। बचपन से में अपना नाना नानी और माँ के साथ रह के बड़ा हुआ। फादर न रहने के कारन मेरा नाना नानी कभी कमी नहीं छोड़ि प्यार और सपोर्ट देणे में। माँ हमेशा आपनि ममता और प्यार से मुझे पालन किया। नाना के पास पैसा होने के कारन मुझे कभी कुछ भी चीज़ का कमी मेहसुस करने नहीं दीए। मैं ऐसे ही तेज स्टूडेंट था। इस्स लिए सब लोग मुझे प्यार ही प्यार देते थे। मैं बदमासी भी करता था। पर इतना नहीं जो की बिगडे बच्चे करते है। छोटा मोटा शरारत करता वह अपनी तरीके से माफ़ किया कर देता थे। पर हाँ।।।मुझे हमेशा अच्चा वैल्यूज और मोरालिटी के साथ की पाला वह लोग। बाहर ज़ादा लोगों के साथ मेरा दोस्ती भी नहीं था। नाना नानी और माँ सब मेरा दोस्त भी थे और टीचर भी। डांटते भी थे । फिर सीखाते भी थे। हम चारों एक बॉन्डिंग से बढ रहै थे बचपन से।यही देखते गया। मैंने यह सुना की मेरा पिताजी गुजर जाने के कुछ साल बाद , मेरा नाना नानी मेरा माँ का दोबारा शादी करवा नेके लिए कोसिश किया थे। तब मेरा माँ २३-२४ साल की थी। बहुत सुन्दर देखने में थी। स्लिम और गोरी। लम्बे बाल था । पान का पत्ते जैसा मुह का शेप। उनका आँख , ऑय ब्रोव्स , नाक, होठ सब कोई अर्टिस्ट का बना हुआ लगता है। बारवी क्लास तक पढ़ी है। उसके बाद जिन्दगी में हदसा और बाद में मुझे देख भाल करके बड़ा करने में जुट गई। मेरा और कोई मौसी नहि। सो नाना नानी की वही देख भाल करति थी। घर का काम भी करति थी , फिर मुझे पढाती भी थी और टाइम मिलता तोह वह बड़े बड़े लेखक के नावेल स्टोरी पड़ने में उस्ताद थी। एक बेटी होने के कारन नाना नानी भी उनको घर में रहने का सब बंदोबस्त कर दिया था। उनको भी बुक पड़ने का नशा लग गया बचपन से। बाद में वह एक ही की थी जो वह अपनी खुद के लिए ,अपनी मन की ख़ुशी के लिए करती थी। मेरा नानी भी इतने ओल्ड नहीं थे। पर मेरी माँ मेरे पिताजी का फॅमिली नहीं होने के कारन अपना बेटा लेके नाना नानी के फॅमिली को ही अपना फॅमिली सोच के सब देख भाल करती थी। शायद उस में उनको ख़ुशी मिलति थी और वक़्त भी गुजर ने का तरीका मिला था। वह शांत स्वाभाव की थी पर हसि की बातों से हस्ति भी थी और टीवी में दुःख दर्द भरी फिल्म देखके मायूस भी हो जाति थी। कुछ लोग नाना जी के पास उनको शादी करने के लिए प्रपोजल भी लाया था। पर कुछ मेरा नाना जी।।और बाकि मेरा माँ कैंसिल कर दिया। स्टार्टिंग में नाना नानी माँ से गुस्सा करता था । माँ का भविष्य के लिए वह बोलते थे की सारी ज़िन्दगी पड़ी है तेरी, कैसे गुजारेगि। और यह भी कहते थे की हितेश को भी तो एक बाप पाने का इचछा होता होगा। बाप का प्यार। पर माँ का कहना था की अगर वह किसी को फिर से शादी किया तोह वह आदमी अपना अधिकार दिखाके मुझे त्याग करने को कहेगा और नाना नानी को छोड़ के भी जाने लिए कहेंगा। आब इस सिचुएशन पे वह उनके लिए सम्भब नहीं था वह मुझ से दूर नहीं रह सकति , और नाना नानी को अकेले छोड़के और किसी फॅमिली में जाके अपना गृहस्थी कर सकता थीं। माँ ने मेरा मुह देख के उनका सब सुख ख़ुशी विसर्जन देणे का फैसला किया था। नाना नानी धीरे धीरे उनका बात मान ने लगा , पर अंदर ही अंदर फ्यूचर को लेके परेशान थे।
वह जहाँ जॉब करता है, उस ऑफिस में, एक दूसरा सेक्शन में पटेल बोलके एक आदमी काम करता है। यह उस आदमी की कहानि है वह आदमी मेरा दोस्त का अच्चा दोस्त बन गया है। मेरा दोस्त उनके घर जाते है, खाना खाते है और कभी कभी चैस का अड्डा भी जमा लेता है। अच्छी दोस्ती होने के कारन उन्होंने मेरा दोस्त को उसका जीवन का एक गहरा सच बताया। पर में लिखने में कच्चा हूण। मैं उस कहानी में ज़ादा रंग न चढाकर, सच मुच जो घटा उस को ही अपना तरीके से आप लोगों को बताउंगा। इस में मेरा कुछ क्रेडिट नहीं है। मैं जब सुन रहा था, तब मेरे दिल ने जैसे उस कहानी को चित्रण किया था बस उतना ही कह पाऊंगा। मैं मि.पटेल का जबानी से कहते रहुंगा। काम आसान हो जाएगा। इस में सेक्स है पर इतना डिटेल्ड नहीं रहेगा ,क्यूँ की इतना प्राइवेट बात मिस्टर पटेल खुद बताया नहि। पर स्टोरी का सिचुएशन से आप समझ जायेंगे कैसे कैसे वह सब घटा उनका लाइफ में। कोशिश करूँगा कहानी एक गति में चलती रहे
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एक एक्स दोस्त के कहने पर में इस सच्ची घटना को कहानी जैसा लिखने का कोशिश किया। आप लोगों का इस कहानी पड़ कर क्या फीलिंग्स होता है, वह जरूर बताइयेगा। मुझे होसला बढ़ेगा
मै हितेश। बचपन से में अपना नाना नानी और माँ के साथ रह के बड़ा हुआ। फादर न रहने के कारन मेरा नाना नानी कभी कमी नहीं छोड़ि प्यार और सपोर्ट देणे में। माँ हमेशा आपनि ममता और प्यार से मुझे पालन किया। नाना के पास पैसा होने के कारन मुझे कभी कुछ भी चीज़ का कमी मेहसुस करने नहीं दीए। मैं ऐसे ही तेज स्टूडेंट था। इस्स लिए सब लोग मुझे प्यार ही प्यार देते थे। मैं बदमासी भी करता था। पर इतना नहीं जो की बिगडे बच्चे करते है। छोटा मोटा शरारत करता वह अपनी तरीके से माफ़ किया कर देता थे। पर हाँ।।।मुझे हमेशा अच्चा वैल्यूज और मोरालिटी के साथ की पाला वह लोग। बाहर ज़ादा लोगों के साथ मेरा दोस्ती भी नहीं था। नाना नानी और माँ सब मेरा दोस्त भी थे और टीचर भी। डांटते भी थे । फिर सीखाते भी थे। हम चारों एक बॉन्डिंग से बढ रहै थे बचपन से।यही देखते गया। मैंने यह सुना की मेरा पिताजी गुजर जाने के कुछ साल बाद , मेरा नाना नानी मेरा माँ का दोबारा शादी करवा नेके लिए कोसिश किया थे। तब मेरा माँ २३-२४ साल की थी। बहुत सुन्दर देखने में थी। स्लिम और गोरी। लम्बे बाल था । पान का पत्ते जैसा मुह का शेप। उनका आँख , ऑय ब्रोव्स , नाक, होठ सब कोई अर्टिस्ट का बना हुआ लगता है। बारवी क्लास तक पढ़ी है। उसके बाद जिन्दगी में हदसा और बाद में मुझे देख भाल करके बड़ा करने में जुट गई। मेरा और कोई मौसी नहि। सो नाना नानी की वही देख भाल करति थी। घर का काम भी करति थी , फिर मुझे पढाती भी थी और टाइम मिलता तोह वह बड़े बड़े लेखक के नावेल स्टोरी पड़ने में उस्ताद थी। एक बेटी होने के कारन नाना नानी भी उनको घर में रहने का सब बंदोबस्त कर दिया था। उनको भी बुक पड़ने का नशा लग गया बचपन से। बाद में वह एक ही की थी जो वह अपनी खुद के लिए ,अपनी मन की ख़ुशी के लिए करती थी। मेरा नानी भी इतने ओल्ड नहीं थे। पर मेरी माँ मेरे पिताजी का फॅमिली नहीं होने के कारन अपना बेटा लेके नाना नानी के फॅमिली को ही अपना फॅमिली सोच के सब देख भाल करती थी। शायद उस में उनको ख़ुशी मिलति थी और वक़्त भी गुजर ने का तरीका मिला था। वह शांत स्वाभाव की थी पर हसि की बातों से हस्ति भी थी और टीवी में दुःख दर्द भरी फिल्म देखके मायूस भी हो जाति थी। कुछ लोग नाना जी के पास उनको शादी करने के लिए प्रपोजल भी लाया था। पर कुछ मेरा नाना जी।।और बाकि मेरा माँ कैंसिल कर दिया। स्टार्टिंग में नाना नानी माँ से गुस्सा करता था । माँ का भविष्य के लिए वह बोलते थे की सारी ज़िन्दगी पड़ी है तेरी, कैसे गुजारेगि। और यह भी कहते थे की हितेश को भी तो एक बाप पाने का इचछा होता होगा। बाप का प्यार। पर माँ का कहना था की अगर वह किसी को फिर से शादी किया तोह वह आदमी अपना अधिकार दिखाके मुझे त्याग करने को कहेगा और नाना नानी को छोड़ के भी जाने लिए कहेंगा। आब इस सिचुएशन पे वह उनके लिए सम्भब नहीं था वह मुझ से दूर नहीं रह सकति , और नाना नानी को अकेले छोड़के और किसी फॅमिली में जाके अपना गृहस्थी कर सकता थीं। माँ ने मेरा मुह देख के उनका सब सुख ख़ुशी विसर्जन देणे का फैसला किया था। नाना नानी धीरे धीरे उनका बात मान ने लगा , पर अंदर ही अंदर फ्यूचर को लेके परेशान थे।