दोस्तो, मेरा नाम राघवेन्द्र है, मैं अभी बीएससी के प्रथम वर्ष का छात्र हूँ, मेरी उम्र 19 साल है, रायपुर छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है और मैं पहली बार कोई कहानी लिख रहा हूँ। कोई गलती हो तो माफ़ी चाहूँगा।
मैं एक पतला दुबला बड़ा ही स्मार्ट सा लड़का हूँ.. कोई भी लड़की मुझे देखकर ही फ़िदा हो जाती है लेकिन मैं थोड़ा शर्मीला स्वभाव का हूँ। ज्यादा अपने मुँह मियां मिट्ठू ना बनते हुए मैं सीधा कहानी पर आता हूँ।
यह मेरा पहला सेक्स का अनुभव है।
एक साल पहले की बात है। एक दिन हुआ यह कि मेरे दांतों में कुछ समस्या के कारण मुझे दांत के डॉक्टर के पास जाना पड़ा। मैं सुबह लगभग 11 बजे डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर साहब क्लीनिक में आए नहीं थे तो वहाँ की रिसेप्शनिस्ट ने मुझे इन्तजार करने के लिए कहा। मैं अपॉइंटमेंट लेकर उनके सामने वाली टेबल पर बैठ गया।
वो रिसेप्शनिस्ट लड़की मुझसे उम्र में लगभग साल भर बड़ी थी। लेकिन देखने में किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। उसका एकदम साफ गोरा रंग और आँखों के पास आती बालों की कुछ लटें क़यामत ढा रही थीं।
हल्की सी मुस्कान पर बनते उसके गालों के डिम्पल और उसका भरा-भरा सा बदन ऐसे मचल रहा था कि कोई भी लड़का उसकी जवानी को देखकर पागल हो जाए। उसकी सफ़ेद टी-शर्ट के गहरे गले से स्तनों की बस थोड़ी सी झलक दिखाई दे रही थी।
मैं लड़कियों के साइज़ के बारे में उतना तो नहीं जानता.. लेकिन उसके स्तन काफी बड़े थे.. जिसे देखकर मेरा लंड अपने पूरे साइज़ में आ गया था।
मैं आँखें चुरा-चुरा कर उसकी तरफ देखता और वो भी कभी-कभी मेरे तरफ देखती थी। जब अचानक से हम दोनों की आँखें मिल जातीं तो हम दोनों ही एक हल्की सी मुस्कान के साथ अपनी अपनी आँखें नीचे कर लेते थे।
लगभग 15 मिनट बाद उसने मुझसे शर्माते हुए कहा- आपके पैन्ट की जिप खुली हुई है।
मैं सकपका सा गया और मैंने जल्दी से उठकर अपनी जिप लगाई और बैठ गया.. मुझे थोड़ी बेइज्जती सी लग रही थी।
शायद उसने खुले हुए जिप से मेरे तने हुए लंड को देख लिया था जो मेरे चड्डी को तम्बू बना रहा था लेकिन हालात सम्हालते हुए मैं उनसे इधर-उधर की बातें करने लगा।
कुछ ही देर में डॉक्टर साहब आ गए और मैं ट्रीटमेंट के लिए अन्दर चला गया। क्योंकि मेरे दांतों का ट्रीटमेंट 4 महीने तक चलने वाला था और मुझे हफ्ते में एक बार क्लीनिक जाना पड़ता था.. तो इन्हीं दिनों में उस रिसेप्शनिस्ट लड़की से मेरी खासी पहचान हो गई थी और हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए थे।
रिसेप्शनिस्ट लड़की से दोस्ती
किसी बहाने मैंने उसका फ़ोन नम्बर भी ले लिया था, फ़ोन में भी हम बहुत देर तक बातें करने लगे थे।
उसका नाम सुचिता था। जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है कि वो दिखने में बहुत ही ज्यादा सेक्सी थी। उसकी नजरें मेरी तरफ ऐसे देखती थीं जैसे मुझे पकड़ कर किस कर देगी। जब भी मुझे देखती थी एक हल्की सी स्माइल देती थी.. ऐसा लगता था जैसे वो भी मुझे लाइन मार रही थी।
मैं उसके गालों के डिंपल देख कर ही खो जाता था। मेरे ट्रीटमेंट खत्म होने के 9-10 दिन बाद उसने मुझे फ़ोन किया और पूछा- क्या तुम आज फ्री हो?
रविवार होने के कारण मैं बिल्कुल फ्री था.. तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया।
फिर उसने पूछा- तुम 12 बजे मुझे मॉल में मिल सकते हो?
यह मेरी पहली कहानी है और मैं पहली बार कोई कहानी लिख रहा हूँ। कोई गलती हो तो माफ़ी चाहूँगा।
मैं एक पतला दुबला बड़ा ही स्मार्ट सा लड़का हूँ.. कोई भी लड़की मुझे देखकर ही फ़िदा हो जाती है लेकिन मैं थोड़ा शर्मीला स्वभाव का हूँ। ज्यादा अपने मुँह मियां मिट्ठू ना बनते हुए मैं सीधा कहानी पर आता हूँ।
यह मेरा पहला सेक्स का अनुभव है।
एक साल पहले की बात है। एक दिन हुआ यह कि मेरे दांतों में कुछ समस्या के कारण मुझे दांत के डॉक्टर के पास जाना पड़ा। मैं सुबह लगभग 11 बजे डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर साहब क्लीनिक में आए नहीं थे तो वहाँ की रिसेप्शनिस्ट ने मुझे इन्तजार करने के लिए कहा। मैं अपॉइंटमेंट लेकर उनके सामने वाली टेबल पर बैठ गया।
वो रिसेप्शनिस्ट लड़की मुझसे उम्र में लगभग साल भर बड़ी थी। लेकिन देखने में किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। उसका एकदम साफ गोरा रंग और आँखों के पास आती बालों की कुछ लटें क़यामत ढा रही थीं।
हल्की सी मुस्कान पर बनते उसके गालों के डिम्पल और उसका भरा-भरा सा बदन ऐसे मचल रहा था कि कोई भी लड़का उसकी जवानी को देखकर पागल हो जाए। उसकी सफ़ेद टी-शर्ट के गहरे गले से स्तनों की बस थोड़ी सी झलक दिखाई दे रही थी।
मैं लड़कियों के साइज़ के बारे में उतना तो नहीं जानता.. लेकिन उसके स्तन काफी बड़े थे.. जिसे देखकर मेरा लंड अपने पूरे साइज़ में आ गया था।
मैं आँखें चुरा-चुरा कर उसकी तरफ देखता और वो भी कभी-कभी मेरे तरफ देखती थी। जब अचानक से हम दोनों की आँखें मिल जातीं तो हम दोनों ही एक हल्की सी मुस्कान के साथ अपनी अपनी आँखें नीचे कर लेते थे।
लगभग 15 मिनट बाद उसने मुझसे शर्माते हुए कहा- आपके पैन्ट की जिप खुली हुई है।
मैं सकपका सा गया और मैंने जल्दी से उठकर अपनी जिप लगाई और बैठ गया.. मुझे थोड़ी बेइज्जती सी लग रही थी।
शायद उसने खुले हुए जिप से मेरे तने हुए लंड को देख लिया था जो मेरे चड्डी को तम्बू बना रहा था लेकिन हालात सम्हालते हुए मैं उनसे इधर-उधर की बातें करने लगा।
कुछ ही देर में डॉक्टर साहब आ गए और मैं ट्रीटमेंट के लिए अन्दर चला गया। क्योंकि मेरे दांतों का ट्रीटमेंट 4 महीने तक चलने वाला था और मुझे हफ्ते में एक बार क्लीनिक जाना पड़ता था.. तो इन्हीं दिनों में उस रिसेप्शनिस्ट लड़की से मेरी खासी पहचान हो गई थी और हम दोनों अच्छे दोस्त भी बन गए थे।
रिसेप्शनिस्ट लड़की से दोस्ती
किसी बहाने मैंने उसका फ़ोन नम्बर भी ले लिया था, फ़ोन में भी हम बहुत देर तक बातें करने लगे थे।
उसका नाम सुचिता था। जैसा कि मैंने ऊपर लिखा है कि वो दिखने में बहुत ही ज्यादा सेक्सी थी। उसकी नजरें मेरी तरफ ऐसे देखती थीं जैसे मुझे पकड़ कर किस कर देगी। जब भी मुझे देखती थी एक हल्की सी स्माइल देती थी.. ऐसा लगता था जैसे वो भी मुझे लाइन मार रही थी।
मैं उसके गालों के डिंपल देख कर ही खो जाता था। मेरे ट्रीटमेंट खत्म होने के 9-10 दिन बाद उसने मुझे फ़ोन किया और पूछा- क्या तुम आज फ्री हो?
रविवार होने के कारण मैं बिल्कुल फ्री था.. तो मैंने ‘हाँ’ कह दिया।
फिर उसने पूछा- तुम 12 बजे मुझे मॉल में मिल सकते हो?