Kamukta kahani काला साया - रात का सूपर हीरो

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[color=rgb(51,]ऊन दीनों बंगाल में सावन का तगड़ा मौसम शुरू हुआ था..फाटक के नज़दीक हॉएँ से इस छोटे शहर इतर में बाढ़ का प्रकोप तरफ गया था.और रोज़ मुसलसल बारिश चल रही थी..फसल गाँव के घर सब तूफान से या फिर बाढ़ में तबाह हो जाते.कुछ लोग इस तूफान से बचने के लिए टाउन में चलते आते और फिर सब सामान्या हो जाने के बाद वापिस अपने गाँव लौट आते.ऊन दीनों बाँध टूटने का अलर्ट हो गया था.और इस वजह से गाँव सब खाली करवा दिए गये थे.लेकिन शहर से बाज़ार का रास्ता सुनसान जंगल और वीरान छोढ़े गये बस्तियो से होकर गुजरता था इस शहर में रात गये औरत बूढ़ी वृढ को भी बदमाश लोग उठाकर रेप करके ऊन्हें जंगलों में मरने के लिए फैक देते थे..कोई भी औरत अकेले ज्यादा सुरक्षित नहीं होती थी.औरत पे हो रहे यौन सोशण का मामला बढ़ता जा रहा था..पर पुलिस ऊन बदमाशो का कुछ पता नहीं लगा पाई थी

आधी रात का वक्त हो चुका था और ऊस सुनसान कीचड़ बारे रास्ते पे वो औरत फिसल फिसल के तेजी से चल रही थी 30 साल की उमर कसा हुआ बदन छाती पेंट और गान्ड बाहर निकले हुए थे..अपनी मैली गीली सारी को अपने चेहरे के लगे पसीने से पोंछते पोंछते वो बाज़ार से शहर के रास्ते की ओर जा रही थी उसे डर भी लग रहा हां की इतनी सुनसान सड़क पे वो अकेले चल रही रास्ता भी काफी फिसलन भरा ऐसे में कोई साँप और उससे भी कई ज़्ीडा वीरान बस्ती के भूतों की मुसीबत गाँव में ये बात फैली हुई थी की वीरान इन बस्तियो में आत्मा वास करती है ऐसे में ऊस देहाती औरत कंचन का डरना लाज़मी था.कंचन शादी शुदा औरत थी और वो घरो में काम किया करती थी.उसे शहर से अपने बच्चों के लिए कुछ दवाइयाँ लानी थी पति शराबी उससे तो कोई उम्मीद नहीं थी इसलिए वो खुद पे ये ज़िंमेरदारी उठाकर अकेले हिम्मत करके शहर चली गयी लेकिन मुसलसल बारिश में वो ऐसी फँसी की रात काफी गहरी हो गयी और सड़क और भी खराब और सुनसान अपने मन में अल्लाह अल्लाह का नाम लेकर वो आगे बार रही थी इतने में उसे दो बाइक सवार आते दिखे

वो सहेमी डरी बस आंखें झुकाए आगे बढ़ती रही लेकिन वो लोग उसके करीब आने लगे.वो दौड़ भी नहीं सकती थी.फिसलने का डर था..और ऊपर से ऊन बदमाशो के हँसी को सुनकर उसे पक्का लग चुका था की आज तो वो गयी काम से आज उसका भी बाकी औरतों की तरह गान्ड और चुत में लंड डाल डालकर ये लोग उसका बलात्कार करेंगे और अपना पानी छोढ़ने के बाद उसे भी लावारिस लाश बनकर चोद देंगे अचानक एक बाइक सवार उसके करीब आकर बाइक उसके सामने रोक देता है

कंचन - आर.रही क्या बदत्तमीज़ी है छोढ़ूओ जाननने दम तुम मुझहहे जानते नहीं आहह छोड्धूओ
बाइक सवार - ज्यादा चिल्लाई तो मुँह में लंड डाल दूँगा क्या रे? हाथ पकड़ रे इसका साली को वही ऊस खेत के भीतर ले जाकर चोदते है
कंचन - आह भगवान के लिए चोद दो मेरे दो छोटे छोटे बच्चे है.अल्लाह से डर
बाइक सवार - चुप साली (इतना कहकर वो लोग कंचन को ज़ब्रन हाथ पाओ से पकड़कर रास्ते से नीचे के ढलान में ले जाने लगे)

कंचन को तो लगने लगा जैसे आज उसे इन शैतानो के हाथ से कोई नहीं बच्चा पाएगा..अभी वो लोग ढलान से नीचे उतरे ही थे.की कंचन एक को धक्का मारा और फिसलते हुए दो बार गिर पड़ी फिर वो पूरी ताक़त से अपने मोटापे का फायदा उठाकर एक बदमाश के सीने पे लात जमा देती है वो वही गिर परता है..कंचन पूरी ताक़त लगाकर उठके जैसे ही सड़क पे दौड़ने वाली होती है उसका गुंडे फिर रास्ता चैक लेते है इस बार उसे वही सड़क पे गिराके ऊसपे सवार होने लगते है.

लेकिन तभी एक जोरदार रोशनी ऊन लोगों के चेहरे पे पार्टी है..बाइक सवार हड़बड़ाकर उठ खड़े हो जाते है."अययएए कौन है आबे? किसने हेडलाइट ऑन किया"...सब बाइक सवार भौक्लाए ऊस हेडलाइट के सामने खड़े अक्स को घूर्रने लगते है..वो अक्स धीरे धीरे काली परछाई बनकर उनके सामने खड़ा हो जाते है वो लोग बारे गौर से उसका चेहरा पहचानने की कोशिश करते है लेकिन उसके चेहरे पे एक कृष जैसा मास्क होता है और पूरे चेहरे पे काला रंग लगा होता है.सिर्फ़ उसके होंठ और उसके गुस्से भारी निगाहों को ही वो लोग देख सकते है

एक बदमाश चाकू फहत से निकल लेता है..एक उसे हिदायत देता है शायद उसके पास हत्यार हो "क्या रे? कौन है आबे तू?"..वो साया कोई जवाब नहीं देता बस ऊस्की एक भारी आवाज़ बादल के गारज़ते ही निकलती है "काला साया"..वो लोग एकदम से चुप्पी सांधके सहम उठते है ये काला साया वही था जिसने एक करप्ट ऑफिसर को इतना मारा की ऊस्की दोनों टाँगें ही तोड़ दी थी.बदमाश लोग सावधान हो गये और फिर कंचन को वही छोढ़के उसके करीब आने लगे

ऊन लोगों ने अभी उसे घैरना ही चाहा था..की इतने में उसके बाए कमर से निकलती एक फुर्रत से हत्यार उनके जिस्मो को छू गया दो बदमाश वही चट्टक चटक की आवाज़क ए साथ चीखके गिर परे..काला साया के हाथ में एक नानचाकू था..ऊसने फौरन दूसरे गुंडे ए गले में उसे लपटा और उसके ठुड्डी पे एक लात मारा वो सीधे पीछे के जंगली धंस में जा गिरा.दूसरा बदमाश तीनों के अचानक पीटने के बाद सामने आया ऊसने चाकू ऊसपे चलना चाहा पर ऊस साए से आर पार जैसे चाकू होता उसका बचाव इतना तेज था ऊसने क़ास्सके ऊस गुंडे का हाथ पकड़ा और उसके हाथ ही को तोड़ डाला.और फिर उसके चेहरे पे इतने घुसों की बौछार की वो और उठ ना पाया

चारों के चारों बाइक सवार बुरी तरीके से मर खाए परे हुए थे.लेकिन काला साया ने एक एक करके ऊन सभी के गर्दन को मोड़ माड़ोध के तोड़ डाला अब वहां सिर्फ़ लाशें थी और बदल की खौफनाक गारज़ान..काला साया फौरन कंचन के करीब आया जो सुबकते हुए रो रही थी जब ऊसने अपनी नज़र ऊपर उठाई तो वो सहेंटे हुए मुस्करा उठी "काला साया आप बाबू आपने हमारी जान बच्चा ली अल्लाह का शुक्र है की आप जैसा फरिश्ता उन्होंने भेज दिया"...काला साया मुस्कुराकर कंचन को उठाने लगता है

बारिश तेज हो जाती है.काला साया पास में परे एक दवाई की शीशी जो कंचन के हाथ से चुत गयी थी ऊस पॉलयथीन को कंचन को देता है."चलो बारिश तेज हो चुकी है तुम्हें तुम्हारे घर तक चोद दम"...कंचन ऊन लाशों को देखकर खौफ से भर जाती है

कंचन - बाबू ये लोग मर गये क्या?
काला साया - हाँ मैंने इन हरामजादो को मर दिया
कंचन - बहुत ठीक किया अपने बाबू थूकती हूँ इनपे इन नमर्दो पे जिन्होंने हम औरतों का जीना हराम कर रखा था (कंचन ने पास जाकर उनके चेहरों पे थूक डाला देखकर साफ था जैसे वो ना तो काला साया से डर रही थी और ना ही उसे डर था की काला साया ने ऊँका खून कर डाला)
काला साया - इनकी लाशें यही चोद दो पुलिस शिनाख्त करके इन्हें ले जाएगी तुम बस यही कहना की मैंने तुम्हारी जान बचाई वैसे तुम इन लफडो में नहीं परोगी
कंचन - आप फिक्र ना करो साहेब मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगी और मैं जानती हूँ जबसे आप इस शहर में आए हो तबसे हमारा खौफ कितना कम हुआ है
काला साया - अच्छा चलो वरना यहां पानी भर जाएगा ये तूफानी बारिश नहीं रुकेगी मैं तुम्हें शहर तक चोद देता हूँ[/color]
 
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[color=rgb(85,]इतना कहकर कंचन अपने गीले सारी से खिकध को झधते हुए बाइक में काला साया के साथ सवार हो जाती है..बाइक काफी तेजी से कक़ची सड़क और बगल के खेत जंगलों से होते हुए चलने लगता है..अचानक काला साया की बाइक फिसल जाती है और उसे बीच में ही बाइक रोकनी पढ़ती है "अफ हो लगता है ये सड़क बंद हो चुकी है यहां दलदल का भी खतरा हो सकता है".काला साया की बात सुनकर कंचन घबरा जाती है की अब वो घर कैसे जाएगी? उसके बच्चों की दवाई खत्म हो गयी थी.कंचन ने जब काला साया को अपना कारण बताया तो वो भी सोच में डूब गया की करे तो करे क्या? एक तो ये ना थमने वाली बारिश ऊपर से बढ़ता तूफान."देखो कंचन ये मौसम शायद सुबह 4 बजे तक चल सकता है तब्टलाक़ तुम्हें कही आज तो तहेरना ही पड़ेगा वरना ऐसी हालत में अपने बस्ती जाओगी कैसे?"...कंचन भी कही हड़त्ाक मायूस होकर काला साए की बात पे हामी भरने लगी

"ये लो तुम अपने घर पे फोन कर दो"..काला साया ने तुरंत मोबाइल कंचन को पकड़ाया.कंचन ने अपने घर पे फोन करा और मालूम किया की उसके बच्चे कैसे है? ऊसने अपने एक सहेली को फोन करके अपना हाल बताया ऊस्क इपदोस वाली थी ऊसने कंचन को समझाया की वो कहीं तहेर जाए आज की रात कहीं कांट ले.कंचन को भी यही ठीक लगा वक्त के हाथों वो मज़बूर हो गयी लेकिन उसे काला साया पर पूरा भरोसा था काला साया ने इससे पहले भी उसे एक बार बचाया था उसके पति के ज़ुल्मो से और तबसे वो काला साया को अपना गार्डियन मानती थी.

काला साया अपने चेहरे पे मुकोता लिए शहर का गश्त लगता था.और बढ़ते वारदटो को रोकता था.लेकिन आज वो भी इस मुसलाधार बारिश में फ़ासस चुका था.अचानक उसे दूर की वो वीरान बस्ती दिखी.काला साया को एक सुझाव मिला.."कंचन आज रात हमको यही काटनी पड़ेगी तुम परेशान मत हो मैं तुम्हारे साथ हूँ"..इतना कहकर काला साया बाइक को घस्सीटते हुए ऊस वीरान बस्ती के पास आया."हम दूर दूर तक कोई नहीं और ऐसी बरसाती रात में होगा भी कौन? चलो जल्दी से अंदर चलते है"..काला साया की बात सुनकर एकपल के लिए कंचन सहम उठी उसे वही आत्माओं वाली बात पे डर था पर वो जानती थी काला साया जब साथ है तो उसे वो कुछ होने तो नहीं देगा
वो बिना कुछ कहें काला साया के साथ ऊस सबसे उचे वाले झोपरे में घुस गयी.बरसात काफी तेज हो गयी और बरसात का पानी काफी ज्यादा तेज हो गया..एक झोपड़ी में बाइक घुसाके काला साया कंचन के संग उक्चे वाले झोंपड़े में घुस गया..अंदर आते ही लोहे का एक दरवाजा जो बेहद पुराना था उससे काला साया ने झोपड़ी को बंद कर डाला.कंचन ठंड से कनपने लगी

काला साया ने लाइटर जलाया और उससे इकहट्टा करी बड़ी मुश्किल से सुखी घससो पे आग लगाई अब पूरे कमरे चकाचोँद रोशनी थी एक छेद से बाहर के बिजली की रोशनी बीच बीच में पार जाती.इस बार कंचन ने बड़ी ही गौर से काला साया को देखा जो अपने चेहरे को हार्वक़्त एक मुकोते से धक्कें रहता है और उसके पूरे चेहरे पे कालिक जैसा कुछ लगा है बस उसके गुलाबी होंठ दिख सकते थे बाकी उसके बदन पे एक लंबा सा ब्लैक कोट और एक क़ास्सी जीन्स जिसकी चाँदी वाले काँटे बने लोहे का बेल्ट चमक रहा है.काला साया कहरा होकर पास से एक बंदूक निकलकर पास रखता है और फिर एक लंबा 8इंच का चाकू

कंचन थोड़ी सहम उठी फिर ऊसने बारे ही गौर से ऊस बंदूक की ओर देखा इतने में काला साया ने कंचन की चुप्पी तोड़ी "अरे तुम तो पूरी भीग गयी हो लो मेरा कोट ढक लो इतना कहकर काला साया अपने बदन से कोट उतार देता है उसके बदन पे सिर्फ़ एक काली बनियान होती है."आपको ठंड लग जाएँगी".कंचन ने अपने बाल झधते हुए कहा."मेरे अंदर इतने बदले की आग है की मुझे हरपल गरम महसूस होता है"...कंचन मुस्कुराकर उसके हौसले की तारीफ करती है

कंचन इस बार अपने गीले सारी और आधे गीले ब्लाउज और पेटीकोट को पल्लू से साफ करने लगती है..अचानक काला साया की निगाह उसके छातियो के काटव पे पार्टी है ऊस्की गोल गहरी नाभी के नीचे से निकले पेंट पर कितने स्ट्रेच मार्क्स थे जो शाया उसके बच्चा पैदा होनेके बाद उसे परे होंगे..कंचन मुस्कराए काला साया का कोट पहन लेती है..काला साया का लंड अकड़ने लगता है जिसे कंचन देख लेती है वो इस बात को भाँपके मन ही मन मुस्कराने लगती है वो जानती है काला साया कभी भी अपने ज्यादती जिंदगी के बार्िएन में नहीं बताता

काला साया बार बार कंचन के मोटे पिछवाड़े को पेटीकोट के बाहर से ही देख सकता है की वो कितनी बड़ी है वो बीच बीच में अपने लंड को दबा देता है जीन्स के ऊपर से पर उसका उभर खंभक्त कम हो ही नहीं रहा..अचानक बदल बड़ी ज़ोर से गारज़ता है कंचन फिर धीरे धीरे काला साया से बात करने लगती है की वो उसे तो कम से कम अपन चेहरा दिखा सकता है वो कौन है?.काला साया मुस्कुराकर मना कर देता है की वो ये बात सबसे छुपाके रखता है..उसके दिल में लगी जो आग है वो इस शहर जुड़ी हुई है.और वो सिर्फ़ काला साया एक परिवार से बदला लेने के लिए बना है..ये सब सुनकर कंचन बारे ही दिलचस्पी से ऊस्की बात सुनती है अचानक.कंचन ठंड से बहुत ज्यादा तिठुरने लगती है..काला साया ये बात जानके उसे आग के पास बैठने बोलता है..कंचन धीरे धीरे आग के पास बैठ जाती है

काला साया - थोड़ी गरमहत मिलेगी तुम्हें अब ठीक लग रहा है
कंचन - बहुत ज्यादा ठंडा लग रहा है ऊन खंभक्तो की वजह से पूरे सारी पे कीचड़ लग गया आज अगर आप ना आते साहेब तो
काला साया - अब तुम्हें डरने की जरूरत नहीं कंचन वो लोग अब कोई नुकसान पहुंचने के लायक नहीं रहेंगे और तुम फिक्र मत करो मैं हूँ ना

काला साया धीरे धीरे कंचन से बात करने लगा अपने मन को समझाने लगा जो निगाहें ऊस्की कंचन के बदन पे गाड़ी सी हुई थी.."तुम इतनी खूबसूरत हो फिर भी तुम्हारा नामर्द पति तुम्हें कैसे चोद रखा है"..मेरी बात सुनकर उसके गाल गुलाबी हो गये "खैर जिंदगी में पहली बार किसी ने मेरी खूबसूरती की तारीफ की और वो भी आपके मुँह से साहेब"...कंचन बेहद खुश हुई वो अपने घर और अपनी शादी के बार्िएन में बताने लगी..लेकिन काला साया तो बार बार उसके भारी चुचियों को देखने लगा.कंचन इसको भाँपने लगी वो घबरा भी रही थी पर ओस्से पता था की काला साया उसके साथ कोई गलत काम नहीं करेगा

कंचन - साहेब अब आप शादी कर ही लो
काला साया - मुझ जैसे खतरनाक आदमी से कौन शादी करेगी जो हरपल ख़तरो से खेलता है हाहाहा
कंचन - आप जैसा मर्द अगर मेरा पति होता मैं सबसे खुशनसीब होती
काला साया - अच्छा ग वैसे कंचन तुमेहीं ग्रहस्ति से बाहर भी दोस्ती करनी चाहिए ताकि तुम्हारा मन बहले तुम भी किसी से तालुक़ात रखकर जिंदगी के मजे लो
कंचन - हम जैसी गरीब औरत से कौन प्यार करेगा सहाएब जो पति के जुल्म की मारी है.सिवाय दुख दर्द तक़लीफ़ के मिलता ही क्या है? एक आप ही हो जो हमें समझते हो और मेरे बच्चे
काला साया - फिर भी तुम इतनी जवान हो तुम्हें सोचना चाहिए
कंचन - क्या करे हमारा मोहल्ले में किसी को पता चला तो गुनाह की बात करने लगेंगे और शायद मेरी बदनामी हो जाए[/color]
 
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[color=rgb(184,]अचानक कंचन का ठंड बहुत ज्यादा बिगड़ने लगा और वो खाषने लगी उसे बेहद तिठुरती ठंड लगने लगी.कंचन का बुरा हाल देखकर काला साया ने उसे पास ही के एक टूटे खतिए पे लाइत्न्े को कहा..कंचन को ऊसने विश्वास दिया की वो रात भर पहरा देगा और जैसे ही बारिश थामेगी वो लोग वहां से निकल जाएँगे..थोड़े देर में कंचन काँपने लगी उसका पूरा बदन ठंडा पड़ने लगा.काला साया इसे देखकर समझ चुका था की शायद कंचन को जबरदस्त ठंड लगी है और ऐसे मौसम में बीमार होना मतलब साक्षात मौत.काला साया जनता था उसके पास कंचन को बचाने का एक ही उपाय है बेरेहाल वो संकोच करते हुए हिम्मत जुटाकर अपने जीन्स की ज़िप और बेल्ट उतारने लगा.फिर ऊसने धीरे से कंचन को हिलाया पर कंचन ने कोई जवाब नहीं दिया.वो ठंड में बेशुड बस तिठुर रही थी उसके दाँत कटकता रहे थे..काला साया ने अब ज्यादा देर नहीं की ऊसने धीरे से कंचन के ब्लाउज और पेटीकोट को किसी तरह खोल डाला

और कुछ ही देर में कामवाली कंचन उनके सामने एकदम नंगी थी उसके मोटी चुचियां उसके कड़े निपल्स को देखकर काला साया बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसके ऊपर धीरे से सवार हो गया दोनों पूरी तरीके से एक दूसरे से चिपके बिलकुल नंगे थे.धीरे से कंचन की पेटीकोट का नारा खोल के काला साया ने टांगों तक उसे खींच दी अब मांसल मोटी जांघें और झाँतें डर चुत काला साया के सामने थी.ऊसने फिर ब्लाउज से बाहर निकले ऊन तरबूज जैसे साइज के छातियो को काश क़ास्सके दबाना शुरू कर दिया और वैसे ही उसके शरीर के ऊपर चढ़के ऊपर नीचे होने लगा उसका सख्त लंड चुत पे रगड़ खाने लगा

"आहह आहह"...कस्मती कंचन की बेशुड आहें मंडी आँखें देखकर काला साया समझ चुका था की उसे भी शायद सेक्स चढ़ रहा है हूँ धीरे धीरे नीचे होने लगा और फिर ऊसने अपने घुटनों को मोधके खतिए के किनारे बैठकर दो उंगली कंचन की चुत में डाल दिया..अंगुल करने से ही कंचन को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन जब उंगली की रफ्तार तेज हुई तो कंचन खुद ही आहें भरने लगी

काला साया समझ चुका था अब कंचन को मजा आने लगा है ऊसने फौरन अपनी जीभ कंचन के चुत पे लगा दी..ऊस्की ऐसी हालत थी की हूँ बिना झातेंदार कंचन की मांसल जांघों की बीच की चुत को चाँतें बिना रही नहीं पा रहा था ऊसने उसके पसीने भरे बदबूदार चुत में मुँह डाल ही दिया और फिर बारे ही चाव से उसके चुत के फहाँको में मुँह डाले उसके छेद को जुबान से टटोलता रहा इस मुख मैथुन के असर जल्द ही कंचन पे हुआ और हूँ बहुत ज़ोर से साँस छोढ़ने लगी वो कसमसाने लगी..उसका तिठुरता बदन थाम गया और वो अब लंबी लंबी आहें भरने लगी

इधर काला साया ने भी चुत में उंगली करते हुए उसके दाने और चुत में जबान लगाए रखी कंचना अब आंखें मुंडें सर इधर उधर मारने लगी "आहह उफ़फ्फ़ सस्स औरर्र ज़ोर से हाीइ अल्ल्लह"..हूँ कसमसाए जा रही थी अब बहुत ही तेज तेज काला साया ऊस्की चुत में जुबान डालने लगा अब धीरे धीरे चुत से सफेद रस बाहर आने लगा जिसका नमकीन स्वादड चक्कर काला साया भधकने लगा.ऊसने फौरन बिना डायरी किए फिर कंचन से लिपट गया और ऊस्की फहुली रेशम झाँतें डर बालों के गुकचे में लंड फहीराते हुए चुत के मुआने में रखकर थोड़ा पुश किया.इस बार लंड अंदर धीरे धीरे सरकने लगा..साली का पति उसे खूब चोदता है ये बात काला साया अच्छे से भाप चुका था.लेकिन लंड की मोटाई दुगुनी थी इसलिए चुत का द्वार के चीरने से कंचन भी बीच बीच सेकेंड में चीखने लगी..लेकिन अब रुकना किसके हाथ में था

अपना चेहरा कंचन के मुँह के ऊपर रखकर हूँ नीचे जोरदार धक्के मारने लगा.अपने आप ही कंचन की चुत का द्वार हाथ गया और ऊसने लंड को समा लिया अब धक्के बहुत तेज तेज चल रहे थे ठप्प ठप्प करते हुए दोनों के जाँघ एक दूसरे से लग्के आवाज़ कर रहे थे अंडकोष चुत के मुआने पे तालियो की तरह बज रहे थे..इतने में काला साया ने फिर ऊन दोनों छातियो को खूब ज़ोर ज़ोर से छूसा और उसका रसपान करने लगा इतनी मस्त कामुक औरत अपनी जिंदगी में शायद काला साया ने कभी चोदा नहीं था..अब खुद पे खुद कंचन ने अपने टाँगें चौड़ी कर लिट ही और हवा में आधा टाँग था.और मुट्ठी काससे अपनी पूरी मर्दानगी ताक़त से काला साया ऊस्की चुत मारने लगा दिन भर के घशट की थकान कामवाली की चुत में खत्म होने जा रही थी

काला साया ने बिना डायरी किए और तेज धक्के लगा डालें इस बार कंचन होश में आ चुकी थी दोनों पसीने से तरबतर होने लगे आग की लपटें घर को और गरम करने लगी.लग ही नहीं रहा था की अभी दोनों कपकपटि ठंड में तिठुर रहे थे जबकि बाहर बारिश तेज हो चुका था और भारी तूफान चल रहा था..इतने में काला साया थकने लगा और ऊसने फच्छ फछ की आवाज़ को संक एक बार लंड को चुत से बाहर खींचा.जैसे आत्म कार्ड मशीन से बाहर निकलता है ठीक ऊटने ही माखन की तरह लंड चुत से बाहर निकल आया और फिर फहूट फहूट के प्री-कम की लहरें बहने लगी इधर कंचन की चुत भी पूरी गीली हो चुकी थी उसके रस हूँ कब दो बार झड़ गयी पता ना चला ऊस्की चीखें इस बात की गवाह थी

कंचन अब भी हाँफ रही थी मानो जैसे उसका सेक्स अभी खत्म नहीं हुआ था.ऊसने क़ास्सके काला साया को पकड़ लिये और उसके चेहरे के इर्द गिर्द चूमने लगी."आहह से आहह एम्म"..काला साया ने क़ास्सके कंचन के होंठ चुस्सा डालें कंचन के हाथ काला साया के पीठ पे जैसे साँप की तरह रैंग रहे थे.काला साया बारे ही फुर्सत से उसके गले कान और गाल पर चुम्मा लेता गया फिर उसके बालों पे हाथ फहरट एहुए उसे उल्टा लेटने लगा.कंचन का जैसा नशा टूट गया मानो वैसे ही ऊस्की आँखें अधखुली दिखी कंचन को जाने में डायरी तो नहीं लगी की काला साया ने उसके साथ क्या किया? पर अब करने को और बच्चा ही क्या था? पहले काला साया रुका पर ऊसने मुस्कुराकर ऊस्की थोड़ी तारीफ कर दी और बिना ऊस्की इजाज़त लिए उसके गान्ड में लंड घिसता हुआ ऊस्की काली गान्ड के छेद में लंड घुसाने लगा.खटिया को दोनों ओर कंचन ने पकड़ लिया.लेकिन ठीक ऊटने ही मिनट में काला साया अपनी थूक से लंड को गीला करके गान्ड की दरार में लंड डाल चुका था.लंड धीरे धीरे जाने लगा."आहह आहह आहिस्स्ट्टी से आहह आहिस्ते काररो साहिब आहह"..कंचन पेंट के बाल लेटी आंखों में दर्द के भाव दिखाते हुए ज़ोर से बोली ऊस्क इयवाज़ घूँट गयी और फिर खतिए को दोनों ओर से पकड़कर काला साया उसके ऊपर चढ़के लंड को अंदर बाहर करने लगा.कंचन ने दाँतों पे दाँत रख दिया.काफी जोरदार चुदाई चल रही थी.ठप्प ठप्प आवाज़ फिर हसुरू हो गयी.बारिश सामान्या हो गया था इसलिए दोनों की चीखें पूरे वातावरण में न्गूँज़ रही थी.काला साया काफी जोरदार तरीके से कंचन की गान्ड मारने लगा कंचन का एक तंग अपने तंग के ऊपर रखकर उल्टा उसे खूब ज़ोर से चोदने लगा

कंचन काफी देर तक खतिए के ऊपर पीसती रही ऊस्की छातिया खतिए के बीच में दब गयी थी दोनों पसीने पसीने होने लगे."आहह सहीब्बब बहुत दर्रद्द हो रहा है आराम से मारो आहह मुझे तक़लीफ़ हो रही हे आहह"...काला साया मौका चोदना नहीं चाहता था ऊसने धीरे से कंचन को कुल्हा से उचकाया और उसके चेहरे को नीचे कर दिया अब हूँ पूरी कुतिया के भट्टी मुद्रा में थी.और पीछे किसी सांड़ की तरह काला साया ऊस्की गान्ड मारता रहा.उसके छेद से कभी बाहर कभी अंदर कभी बाहर कभी अंदर लंड आ रहा ताज आ रहा था.इन देसी औरतों में झेलने की ताक़त बहुत होती है.काला साया काफी ज्यादा पागल होने लगा और काफी बेदर्दी से ऊस्की गान्ड मारता रहा..उसके तुरंत बाद जब उसे लगा की हूँ अब बस निकल जाएगा तो ऊसने लंड बाहर खींच लिया कंचन के मुख पे रख दिया कंचन ने पहले मना किया पर काला साया के मज़बूती से चेहरे पे पकड़े होने से ऊसने एक दो बार मुँह में लेकर चोद दिया.पर काला साया मना नहीं ऊसने उसके मुँह में लंड घुसा दिया कंचन को मज़बूरन चूसना ही पड़ा.पहले तो उसे अच्छा नहीं लगा पर धीरे धीरे उसके चाँदी को पीछे खिसकाके उसके सुपाडे का स्वाद लेने में कंचन की छूते के बार फिर पानी चोद गयी हूँ वैसे ही बैठी खड़े काला साया के लंड को चुस्ती रही और फिर कुछ ही देर में काला साया ने उसके चेहरे को पकड़कर लंड का पानी उसके पूरे चेहरे पे चोद दिया

काला साया कसमसाते हुए काँपते हुए पष्ट पार गया.और वही नंगी कंचन के साथ बगल में बैठ गाया उसका रस अब भी लंड से उगल रहा था.एकटक कंचन ख़स्ते हुए काला साया का बदन और फिर उसके लंड को देखने लगी..पसीना पसीना हो गया था काला साया लेकिन कंचन थोड़ी मायूस भी थी

काला साया - मुझे मांफ करना कंचन मैंने तुम्हारे साथ सेक्स किया असल में हालत ही कुछ ऐसे थे अगर मैं ऐसा नहीं करता तो लेकिन तुमविश्वास रखो तुम्हें जब मदद चाहिए होंगी तब तुम याद करना मैं हाज़िर हो जाऊंगा
कंचन - बुरा तो लग रहा है एक शादी शुदा औरत हूँ साहिब कभी पराए मर्द के साथ ऐसा कुछ नहीं करा.पर आपके साथ जो हुआ मैं उसे भूल जाऊंगी आप भी भूल जाओ साहेब आपको मेरी वजह से
काला साया - क्या बात करती हो कंचन? तुममें हूँ नमकीन स्वाद है जो क्सिी और में नहीं[/color]
 
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[color=rgb(243,]"सच"...कंचन मुस्करा पड़ी उसके चेहरे की खुशी लौट आई.काला साया ने मुस्कुराकर सर ऊपर नीचे किया..ऊसने कंचन को एक बार फिर गले लगाया डॉन वन अपने इस छुपे रिश्ते को इस वीरान झोंपड़े में ही दफ़न कर दिया.और सुबह चार बजते बजते तक सेक्स करते रहे.काला साया उसके पति की तरह उसके बदन को छूने लगा और कंचन भी इस पे कोई विरोध नहीं जताया काला साया 2 बार झड़ चुका था ऊसने कंचन को बहुत तक दिया था.फिर दोनों ने जब देखा की बारिश थाम चुकी है तो कीचड़ बारे रास्तो से निकलकर बाइक को किसी तरह ऑन करके किसी साए की तरह काला साया अपनी ब्लैक बाइक से कंचन को उसके बस्ती चोद देता है और फिर वहां से फिर शहर का रुख कर लेता है और उसके बाद अंधेरी गलियों से गुजरते हुए स्ट्रीट लाइट की रोशनी में वो एक काला साया बनकर गायब हो जाता है.

किसी बाबा आदम युग की वो सुनहेरी रंग की पुरानी सी अलार्म इतने ज़ोर से बज उठी.की बगल में बिस्तर पे लेटा वो लड़का जो बेशुड घोड़े बेचके सोया हुआ था अपने कान के परदों को दबाते हुए तकिये से इधर उधर ऐतने लगा."उफ़फ्फ़ हो बहेनचोड़ड़ अबबेययय चुप्प"...देवश ने फौरन उठके एक तकिया ऊस अलार्म के मारा.वो अलार्म सीधे गरगरते हुए फर्श पे जाकर टूट गयी

"आ हाहाहा फाइनली मां का यह अलार्म जो क़ब्रिस्तान के मुर्दे को भी जगा दे उसे फाइनली तोड़ ही दिया एस्स"..भाई साहेब अभी अंगड़ाई लेकर अपने प्यज़ामे से लंड को ठीक करते हुए आंखें मुंडे ही थे की तभी एक बहुत ही तीखी आवाज़ बज उठी

देवश फिर चीखके उठ बैठा "आबेययय याअरर"...वो पूरा झल्ला गया..ऊसने उठके फौरन ऊस टूटे अलार्म की तरफ देखा जो अब भी बज रही थी.ऊसने अलार्म को उठाया और उसे बंद करना चाहा पर साला बंद नहीं हुआ अचानक उसे याद आया और फिर ऊसने ज़ोर से एक ताली आवाज़ बंद हो गया

अब तो नींद टूट चुकी थी अब मिया सोते भी कैसे?.देवश 22 साल का नौजवान जो यहां पुलिस की दफ्तर में इंस्पेक्टर की पोस्टिंग पे आया था.घूस अमीरो से लेना सेक्सी औरतों को पटना और अपने फर्ज के प्रति ढीला होने का स्वभाव तो था ही दिल्ली पुलिस में 2 साल काम करने के बाद देवश को वहां से तबादला कर दिया गया और वो इस शहर में आकर और भी आलसी हो गया.लेकिन मां का जो तोहफा था उसे वो बेहद प्यार करता था क्योंकि मां की यह आखिरी निशानी थी

ऊसने बारे ही प्यार से टूटे अलार्म को मेज़ पे रखा और अभी चाय बनाने किचन की तरफ मुड़ा ही था अचानक घंटी बज उठी.."अफ लगता है कामवाली कंचन आ गयी"...जैसे ही देवश ने दरवाजा खोला कंचन के चेहरे के खुशी के भाव देखकर वो अंदर आई

आज कंचन ने पर्पल रंग की सारी पहनी हुई थी.धोती जैसा पेटीकोट और बॅकलेस पीठ.उसके चलते ही ऊस्की माटतकी गान्ड और चाल दोनों को देखकर देवश मिया की नींद गायब हो गयी

देवश : क्या रे कंचन सुबह सुबह बड़ी खुश है क्या बात है?
कंचन : अब खुश नहीं होंगे तो क्या रोज़ की तरह दुखी होंगे बाबू?
देवश : अच्छा चल जल्दी से छैीइ ला.थाना भी निकलना है

देवश अंगड़ाई लेता हुआ ब्रश करने लगता है कंचन उसके सामने चाय चढ़ाके झाड़ू लगाने लगती है..देवश मिया दाँत को ब्रश से घीसते हुए कंचन के चुचियों के कटाव को निहारने लगता है "क्या माल है?"..अचानक देवश ने के मंसुदे में ऐसा बुरष लगा की वो दर्द से बिलबिला उठा

"आहह साला गया रे".होंठ के बीच उंगली लगाए वो खून थूकने लगा "क्या हुआ साहेब?"...कामवाली कंचन उठके उसे देखने लगी

देवश : अरे कुछ नहीं बस वो घिस्स गया आहहह सस्स दाँत के नीचे ब्रश गलती से लग गया

कंचन : बाबू दवाई है आपके पास

देवश : हाँ है ना वो अलमारी से निकाल ले

कंचन दवाई लिए मंसुदे में दवाई लागने लगी.कंचन देवश के सामने खड़ी थी इसलिए देवश की निगाह उसके पसीने भरे ब्लाउज के बगल पे गयी.अफ ऊस्की भीनी खूबशु सूँघके देवश का लंड अंगड़ाई लेने लगा लेकिन दवाई के जलन से आहह आ करते हुए देवश का ध्यान हटा कंचन देवश के चेहरे को हाथों से छोढ़के फिर चाय लेकर आई..चाय की चुस्किया लेकर बिना कंचन की तारीफ किए देवश बोला

देवश : अच्छा तू कुछ बता रही थी खुशी का कारण ज़रा बताना
कंचन : और क्या बताए बाबू? कल रात को काला साया मिला था[/color]
 
[color=rgb(84,](UPDATE-05)[/color]

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Devesh masude pe ek baar fir chai lagte hi gaand faad chilaya, kanchan has padi usey bhi sust chutiya devesh ke heiran hone pe khusi huyi.

"Aap thik to hai na?" Devesh ne haami bharke chai firse pite huye kaha.

Devesh- aur bata fir kya hua?

Kanchan- kya hoga babu? Hamare mard ko to hamari itni si bhi chinta nhi hai, seher se gaav jaa rahe they ki achanak se barish tez ho gayi aur fir kuch balatkari humari gaand ke piche lag gaye.

Devesh- Acha fir tune kaale saaye ko dekha

Kanchan- Arey unki badollat hi to hum bach paye hai, warna hamare sath allah ka sukar hi tha ki unhone sahi waqt pe aake hume bacha liya.

Devesh- Ohh ye to bhut hi acha hua re kanchan, sahi me jo bade-2 police wale nhi kar paa rhe hai, wo ye kaala saaya karke dikha deta hai, waise fir kya hua tu itni ghani barish me wapis ghar kaise aayi

Kanchan- arey baabu kisi ko bataiyega nhi hum poori raat us kaale saaye ke sath hi they, humey to jaane dijiye humko saram aati hai

Devesh- kya re pagli tu bhi na? Hum sab samjh rahe hai aajkal tere aur us kaale saaye ke kisse sune, us raat bhi usne tere mard ki kya gaand todi thi. Hahaha kahi uska tujhpe dil to nhi aa gya hai jo baar baar tujhe hi bachata firta hai.

Kanchan- Arey babu aapko to samjhna chaiye uske jaisa nayak aurat ki ijjat karne wala thodi na koi ho sakta hai. Unhone jo baar-2 humpe ehsaan kiye uske liye to hum unki jindgi bhar sewa karenge.

Devesh- Haa haa badi aayi chal bartan dho de kal ke bartan pade hai.

Kanchan- Acha babu. (Apne hi khayalo me jisme wo kaale saye se chudayi ki yaad karte huye gaane gungunate huye chali gayi)

Devesh mann me jalne laga ek to usko uski wajah se kayi dino se commissioner se Calcutta jaakar daant khani padi aur uske baad uake farz aur ab uski nigaah me rakhi huyi aurto ke upper hath rakhne se usey mann hi mann gussa bhi bhut aaya. Mann hi mann bola-"huhh dekh lunga saale ko ek baar pata to chal jaaye saala hai kon?" Devesh janta tha wo kuch kar to sakta nhi lekin apni wardi ka robb dikha ke garaz to sakta hi hai..

Kanchan behad khus thi jo kaam wo ek ghante me karti thi aaj wo 30 minute me chali gayi aur aaj usne baksis ke liye muh bhi nhi padi... Ab to devesh ko lagne laga kahi aurat ke sath-2 wo kaala saaya teri wardi bhi na cheen le, ek to waise hi is seher ka incharge liya tha..

Police station pahuch ke salaam lene ke baad roz ki tarah wardi nikal ke files ko padhne lagta hai .. kaam chod ke apne hawaldar ko chai laane ko bolta hai..
Chor aa chuke sabhi salaakho ke peeche se devesh ko salaam karte hai
Devesh files padh hi raha tha ki achanak ek newspaper gira uske saamne, hamesha chai ke sath newspaper padhna uski purani adat thi

Usne jaise hi newspaper uthaya" Lo hamare super hero ka ek aur tareefo bhara story "- kal raat idhar seher me toofan aya aur ek toofan wo aaya jisne seher ke most wanted rapist raka ko maar giraya hahahaha.

Ye sab badbadate huye devesh gaand faad has raha tha chutiyo ki tarah, achank Constable ne salute marte huye bola kal raat rapist raka ki laash jhadiyo me kisi ne buri tarah se maar ke fek di hai ye andaja lagana koi badi baat nhi hai, lekin minister ko maarne ke baad ye kaala saaya hi hoga jisne fir apne haatho se insaaf kiya hai..

Devesh ko chinta satayi aur doctor ki suchna paate hi postmartam ghar me Constable ko leke ravana ho gaya..
Laasho ke test ke baad jo jo doctor ne bataya usey sunke devesh ki to gaand fat ke 4 ho gayi , badi hi berehmi se maara tha un gundo ko jin gundo ko police pakdne ne din raat ek kar di thi devesh ko samajh mein a gaya tha ki commissioner ko is baat ka yah pata lagne ke bad kahin usey fir unke gusse ko jhelna padega
Behrhaal aisa nahin hua kyunki commissioner kuchh dinon ke liye apni biwi ke sath ghumne ke liye out of state Gaya hua tha devesh apni kismat per khush hue Bina Rah nahin paya, Chalo dant se a bachne ka kuchh dinon ka extension to Mila..

Devesh Thane aakar chai ki ki chuski le raha tha, jab constable ne Kale saaye ke bare mein fir baat chhedi, do hi raaton mein uska Karishma sach mein nayab tha. Pahle local politician ko coma me bhej diya vajah Saaf thi wo nabalik ladkiyon ka shoshan karta tha usi ki banai recording video ko press me publish karke police ka jina haram karva diya tha aur aaj is rapist raka ki gand Mar li

Devesh is kasmakas me duba hua bola" dekh bhai vo kon hai? Kya hai? Kyu hai? Bhai hamara kaam to usey pakadne ka hai, ab ek tarah se usne is rapist ko maarke hamara aur government dono ki neend ko bacha liya, lekin agar kisi din hath aa gaya to saale ki gaand me danda ghused dunga, sasura apne hi saaye ko pehchan nhi paayega" ye bol ke dono hi has pade.

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"Kalmuhi chinaal kahi ki chal nikal yaha se"- us aurat ne chata chat ek 20 saal ki ladki ke kayi saare thappad maare aur usey ghar ke darwaze se bahar fek diya. " Chachi aaah maaf kardo aah"- us ladki ne gidgidate huye kaha, sab log dekh rahe they par koi aage nhi aa rha tha...

Aurat- Chup kar beshram kalmuhi mere bete pe dore dalti hai tujhe kaam pe rakhna teri garibi pe taras khake rakha meri majboori thi meri akal maari gayi thi, tujhe to marungi me randi kahi ki..

Ladki- aaah chod do mujhe aaah

Achanak doosre hath jaise hi doosri ladki pe jama paati,
Achanak ek bhari bharkam hath ne uska hath pakad liya,
Jab us aurat ne uski taraf bagal me dekha to uski gaand fatke hath me aa gayi, uske muh se itna hi nikla"k kaala saaya" aur wo kuch nhi bol paayi.

Wo ladki bhi uthke subkane lagi " ek bebas lachar garib ko tune kya samjh rakha hai?" Achanak us aurat ke piche se ek ladka bahar aaya jiski umar us maar khayi ladki ki umar ki thi

Ladka- aaye chod meri maa ko bhenchod teri maa cho....

Uske muh pe ek punch pada aur uske muh se khoon nikalne laga

"Mera bacha aaah" uski kalayi ko chodte hi apne bete ko pakad ke baith gayi, aur royi nigaho ki taraf se kaale saaye ki taraf dekhne lagi...

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[color=rgb(26,](UPDATE-06)[/color]

[color=rgb(235,]"Jab apne bache pe aayi chot to kaisa laga? Aur jo tere bete ne dar-2 takleef di hai uska kya? Kachi umar me isey aurat kisne banaya tere bete ne tu ne in gareeboo ko apne bete ka khillona samjh rakha hai, aaj to isey chod ke jaa rha hu, ainda isne kisi masoom ko tang kiya ya fir is ladki ko agar dhamkaya to thik nhi hoga"- itna kehker hi kala saaya sach me kisi saaye ki tarah ladki ko lekar apni kaali bike pe nikal gya

Vo aurat bokhlai, sehmi apne bete ko apne kaleje se lagaye rahi, achanak jab aurat ka pati jab samane aaya to uski maa ne bataya ki kya-2 hua? "Na jaane usey kaise pata? Ki hum aisa kuch karte hai? Jo bhi rahe kaale saaye ka saaya hum pe lag gya hai. Apne bete ko bolo ki kuch din ghar se bhar na nikle"- us admi ke jehen bhi ek yahi baat thi ki akhir ye kaala saya hai kon?

Jaldi hi is veeran khandar pe dono baithe huye they, ladki ka naam DIVYA tha vo ** saal ki umer se hi us ghar me kaam karti aayi thi. Pehle usne apni gareebi ke chalte kaafi zulum saha, lekin jawani pe aate hi 19 saal ki umar me uski malkin ke bete ne usey apne pyar ke jaal me fasaya, ek baar usne tablet bhi khayi thi, usey dar satane laga tha ki usey ultiya ho rahi hai. To foran us ladke ne usey gali-galoch deke marna suru kar diya, is baat pe koi yakeen nhi ki lekin vo janti thi ki vo ladka usey kbhi nhi apnane wala kisi bhi surat me...

"Abhi tumhare paas sirf do hi raaste hai ek nayi Zindagi suru karo aur apne hone wale bache ko gira do", pehle to wo jid pe ad gayi par kaala saya ne jab usey samjhaya to wo khud be khud majbooran maan gayi, usne foran uske baare me pata kiya , pata chala wo doosre seher se hai aur bhut hi gareeb hai, agar uske ghar me pata chala to uski maa to heart-attack se hi mar jayegi, ab wo kisi ke paas jaa bhi nhi sakti itna keh ke wo rone lagi

"Dheeraj rakho sabar karo sab theek ho jayega" kaala saaya chupchap khada hua aur usne usey foran wahi tehrne ko kaha kuch der baad wo bike se vapis aaya fir usne usey pregnancy card diya, pehle to wo samjh na paayi fir kaale saaye ne jo usey bataya to wo maan gayi

Aur paas hi ke doosre aur jakae mootne ki position me jabran khol ke baith gayi, usne khud ke suit ko kaafi uper utha liya pajama bhi uper kiya aur uski jhaante bhaari baalo ke guche me se hi andhere me pisab ki dhar nikali, andhere me kaala saya sirf pisab ki awaz sun sakta tha kuch der baad wo pregnancy card usne kaale saaye ko diya, kaale saaye ne jab ye dekha to uski khusi ka thikana hi nhi rha aur divya ko bataya ki wo ab pregnant nahi hai, sayad vo bimaar ho jis vajah se ulti huyi ho, ye sunkar divya muh pe hath rakhe bhagwan ko thanks kehne lagi aur man hi man us akhil naam ke ladke ki maa- behen ek karne lagi lekin usey udasi bhi thi ki ab apne gaon kis muh se jayegi....

Kala saya - dekho ek kaam karo tum mere sath chalo, mein tumhe kaam dunga.

Divya- apka itna ehsaan hai mujhpar apka bahut dhanyawad.

Kala saaya- un logo ne waise hi bahuto pe julam kiya hai, tum fikar mat karo un sab ko sabak me sikhaunga, tum bas chupchap mere sath chalo..

Divya ne sirf kala saya ka naam suna tha wo janti nhi thi ki wo kitna diler aur dayawan hai. Vo usse bhut parbhawit ho gayi thi, raat kafi ho chuki thi kaala saya jald hi apni bike se divya ke sath utrta hai aur fir ek band ghar ke samne aata hai aur lock ko key se kholta hai aur fir dono ander ghuste hai, ghar behad bada tha chaaro aur sofa, alishan table sabkuch tha, ye sab dekhke divya maano charo aur ghum si gayi...

"Aaoo mere sath" kaala saya apna mask thik karte huye us sofe pe baithta hai, aur us bag ko jo us aurat ne ghar se bahar fek diya tha usey sofe pe rakh deta hai, kala usey fresh hone ko bolta hai aur fir andhere kamre ki lights on kar deta hai aur bathroom chala jata hai..

Aur bahar aata hai to vo dekhta hai ki divya ab ek safed suit me baithi huyi hai, vo freeze se rice, daal aur kuch sabzi nikal ke usey paas hi ke chule pe hi garam karta hai
Kamara dekhte huye muskrakar divya baat chesti hai.

Divya-aapke baare me bhut suna tha kya aap yahi rehte ho ?

Kala saya- hmmm raat ke round ke baad me yahi rukta hu, lekin ye baat tum ab kisi ko mat batana.

Divya- Thik hai ab aap mere bhagwan jaise hai

Kala saya - Aisa kuch nhi hai mein sirf ek insaan hu

Divya - lekin fir aaj unhone mujhe ghar se nikal diya tha agar apki saran me na aati to.

Kala saya - lekin tum fisli kyu? Tumhe ek ladki ke sath sath tumhe khudko rokna bhi chaiye tha

Divya saram se laal ho gayi lekin fir mayusi se boli-"khud pe bas nhi rha us kameene ne mujhe itna uksaya ki mein behak gayi aur apna kuwarapan kho diya"- itna kehkar wo rone lagi

Kala saya- koi baat nhi tum fikr na karo me hu na.

Kala saya usi waqt phone lagata hai, aur fis haske kisi se baat karne lagta hai divya sab kuch samjh rhi thi par wo chupchap thi, phone cut hone ke baad." Tum fikar na karo vo office ka mera dost gaurav ke yaha tum naukari kar sakti ho, tumhe koi hunar aata hai"

Kaale saaye ki baat pe usne chekte huye haan me sir hilaya, aur bataya usey silayi ka kaam aata hai..[/color]
 
(UPDATE-07)

"ठीक है समझ जाओ तुम्हारी नौकरी लग गयी और तुम फिक्र ना करो अबसे तुम यही रहोगी मेरे साथ"..पहले दिव्या संकोच करने लगी.फिर काला साय ने ऊस्की संकोच को थोड़ा और उसे समझाया की हूँ चाहे तो उसे कहीं किराए के घर में रखवा सकता है पर वो रही नहीं सकती थी इसलिए ऊसने हामी भर दी की.काला साय ने उसे बताया की हूँ चाहे तो कभी कभी गाँव भी जा सकती है

इतना कहकर ऊसने अपनी जेब से दिव्या को कुछ रुपया दिया.दिव्या ने पहले मना किया.लेकिन काला साया ने उसे समझाया की ये रुपया उसके बूढ़े मां के लिए हूँ ले ले ताकि जो तनख़्वाह ऊस्की मालकिन ने मर ली कम से कम इससे तो गुजारा कर सकती है..उसे खाने पीने की कोई प्राब्लम नहीं होगी यहां हूँ बीच बीच में गाँव भी जा सकती है

इतना सुख अगर किसी औरत को मिले..तो हूँ औरत अपने आप ऊसपे सबकुछ न्योछावर कर देती है.दिव्या काला साए के स्ाअए में रहने के लिए तैयार हो गयी.और दिल ही दिल में उसे दुआयं देने लगी.काला साया ने उसे सिर्फ़ इतना कहा की भूल से भी कभी भी हूँ उसके मुखहोते और ऊस्की जिंदगी के बार्िएन में ना पूछे बाकी हूँ हर तरह की बातें शेयर कर सकती है.उसे भी क्या प्राब्लम थी? एक छत्त दो वक्त की रोती और गुजारा करने के लिए उसे काफी रुपया मिला था हूँ चुपचाप बस हाँ में जवाब देती रही

और फिर बिना वक्त गुज़ारे काला साया ने उसे घर का दरवाजा लगाने की हिदायत दी और कोई भी चीज़ के लिए फोन करने को कहा.जरूरत पढ़ने पे हूँ आ जाएगा.इस रहस्मयी इंसान को जानना दिव्या के बस की बात नहीं थी ऊस एक रात ने ऊस्की जिंदगी को बदल दिया.काला साया फिर अपनी बाइक पर बैठे अंधेरे रास्तों से होकर गुजरते हुए चला गया.और एक गहरी सोच दिव्या के मन में छोढ़ता हुआ चला गया उसके भी मन में यही था की रहमसय मुकोते के पीछे हूँ कौनसा दयावान इंसान है जो मसीहा बनकर आता है.

लगभग पाँच दिन हो गये.और इन पाँच दीनों में दिव्या काला साया के शरण में रहते हुए काफी खुद को बदल चुकी थी.काला साया ने गुप्त रूप से गौरव से दिव्या को मिलवाया पता चला की गौरव गरीब विधवा और नाबालिक लड़कियों पे होते सोशण का करा विरोध करता आया है और काला साया की वो मदद भी करता है सिलाई बुनाई का उसे काम मिल गया और वो गौरव के ऑफिस दिन भर काम करके जल्दी से घर आकर बंद हो जा करती थी.दूसरी तरफ काला साया रोज़ रात को आ जा करता था और फिर भोर होने से पहले ही चला जाता था उसके इस रहस्मयी व्यवहार से दिव्या काफी हैरान थी पर उसके दिल में काला साया किसी फरिश्ते से और उससे भी ज्यादा अपने से कम नहीं था वो अब घर की साफ सफाई कर लेती और काला साया के लिए खाना भी बनकर रखने लगी एक तरह से वो काला साया की सेविका बन गयी

दूसरी ओर देवश का तरकपन फिर सर चढ़ने लगा और ऊसने मौका ना ज्यादा गावते हुए ठान लिया की वो अब औरत का जुगाड़ करके ही रहेगा.कंचन पे हाथ तॉहवो साफ नहीं कर सकता था पर दूसरी ओर रणदिपारा जाना भी बेकार ही था क्योंकि ऊसने कुछ महीने पहले ही शांता नाम की अपनी प्राइवेट रंडी के साथ जब सेक्स किया तो उत्सुकता में धदढ़ ऐसे चुदाई की ऊस्की चुत बुरी तरह चील गयी और शांता के नखरे वो और सहने वाला नहीं था वो उसे लंड चुत में तो डालने रत्तीभार भी नहीं देगी

इसी कशमकश में देवश खिजला गया और उसका व्यवहार चिड़चिड़ा होने लगा.शादी वो कर नहीं सकता था.और किसी के साथ ज़बरदस्ती करना मतलब काला साया को वो दावत देना वैसे भी दिल ही दिल में वो काला साया से बहुत दरर्ता था जबसे उसके किससे और उसके विक्टिम्स को देखा था की ऊँका क्या हश्र हुआ था

ऊस दिन मौसम काफी बिगड़ गया.और देवश अपनी गाड़ी को खूब रफ्तार से चलाए जा रहा था..अचानक बाज़ार से शहर के रास्ते में उसे एक औरत दिखी जो गान्ड मटकते हुए मटका लेकर जा रही थी उमर यही कोई 46 साल तो होगी बदन में काफी चर्वी था..देवश ने रफ्तार तेज कर दी और ठीक उनके करीब गाड़ी खड़ी की और उतरके उसे आवाज़ दी शकल जानी पहचानी लगी वो औरत भी एकटक देवश को देखते हुए उसके करीब आई

देवश बात छेड़ता ऊसने खुद ही टपक से बोला "तुम अंजुम के बेटे हो ना"..ये सुनते ही देवश एकदम से उसे घूर्रने लगा कहीं ये ऊस्की मां की सहेली अपर्णा तो नहीं थी."अरे काकी मां आप?"...बिना पैर छुए देवश तहेर ना पाया

अपर्णा : ओह मां तू तो काफी बड़ा हो गया मेरा बच्चा कैसा है? (ऊन्होने देवश के माथे को चूमा और उसके गाल पे हाथ रखकर उसके जवानी की तारीफ करनी लगी)
देवश : बस काकी मां आप सुनाए आपके बच्चे?

देवश जनता था अपर्णा मां के बुरे दीनों में ऊँक इकाफी मदद करती थी.ऊँका पड़ोस में घर था खास अमीर तो नहीं थी पर मां के पेंट में जब देवश था वही उनकी मसाज वगैरह करती आई थी और देवश के जन्म के बाद भी अपर्णा ही उसके पूरे बदन की मालिश किया करती थी.अपर्णा के दो बच्चे थे जो अब गुंडे और लफंगे बनकर कहीं शहर छोढ़के जा चुके थे.उनके पति की भी मृत्यु हो गयी थी अब वो अकेले पढ़ सी गयी और दोआबारा शहर में आ गयी देवश करीब 20 साल बाद अपर्णा को देख सकता था आखिरी बार जब वो पाँच साल का था तब अपर्णा ऊनसे अलग हुई थी

अपर्णा का बदन काफी भरा पूरा था किसी मल्लू आक्ट्रेस की शकीला को बिता लो और इसके उठा लो रंग रूप सब वैसा."और बेटा बहुत दुख हुआ सुनकर तेरी मां के साथ?"...देवश ने आगे कुछ कहने नहीं दिया

देवश : बस काकी मां अब रहने दो ऊन बातें लम्हो में सिर्फ़ दर्द है
अपर्णा : सच बेटा तुझे देखे अरसा हो गया तुझसे मिलने की बड़ी ख्वाहिश थी पर तुझे ऐसे हालत में मिलूंगी सोचा नहीं तू तो बड़ा ज़िम्मेदारर हो गया है
देवश : बस आपकी दुआ है
अपर्णा : तेरा घर कहाँ है? किसके साथ रहता है?
देवश : चलिए में घर
अपर्णा : बेटा वो तेरी बहन घर में अकेली है
देवश : मेरी बहन मतलब आपकी एक बेटी हो गयी कितनी बड़ी है?
अपर्णा : बस ऊस कमीने ने मुझे पेंट करके इस दुनिया से चला गया मुझे बेसहारा छोढ़के 18 साल की है शीतल नाम है उसका
देवश : मेरा सारा परिवार यहां है और उजहे पता नहीं काकी मां चलिए ना मैं अपनी शीतल को देखना चाहा हूँ
अपर्णा : हाँ बाबू तुझे ऐसे थोड़ी ना जाने दूँगी चल

देवश अपनी गाड़ी में अपर्णा को सवार किए पूरे रास्ते बात करते हुए दूसरी बस्ती में घुसा.ड्रोगा को देखकर पहले तो सब चौंक गये लेकिन किसने कुछ नहीं कहा जब अपर्णा ने सबसे देवश का परिचय कराया..देवश जनता था अगर कोई प्यार करने वाली इस दुनिया में औरत है तो वो है अपर्णा
 
[color=rgb(26,](update-08)[/color]
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Aprna devesh ka hath pakad ke usey ek mitti waaale ghar pe le gayi...

Aprna bhut garib ho chuki thi, ander koi ladki pipe se chule me dhue me fuk maar rahi thi, achanak apne saamne khade uniform waale saks ko dekh ke uth khadi ho gayi- " maa ye kon hai" sheetal thoda sharmayi aur ek kinare aad me aa gayi..

Aprna:- Arey boka ye tera bhai! Batati thi na tujhe tere anjum kaaki ke baare me ye unka beta hai.

Devesh:- kaisi ho sheetal, waah jaisi kaaki maa waisi meri behen koi fark nhi..

Devesh ne sheetal ko gaur se dekha usney ek red colour ka suit pehen rakha tha, uski chaati bhi kaafi sudol thi, sheetal behad khus huyi aur devesh ko ektak dekhti rahi, devesh usko handsome laga aur devesh bhi unski nazaro ko samajh raha tha
Aprna ne devesh ko bithaya aur uske liye chai banayi
Aprna jaise hi niche baithi uska peticot uski gaand ki darar me ghus gya.
Devesh ki to darar dekh ke saase hi atak gayi, badi muskil se chai pikey wo fir se dono se baate karne laga

Devesh:- Kaki maa ye to galat baat hai aap log yaha ho aur mujhe pata bhi nhi chi chi, khair meri kaaki maa aur meri pyari behen mujhe mil gayi ab mujhe kuch nhi chaiye, ye lijiye kuch paise..

Pehle to khub naa- nakur hua par usney sheetal ke hath me paise diye ki ye uski taraf se tofa hai, sheetal ke komal haatho ko chute hi bijli ka jhatka laga devesh ko, devesh ne bhi ye bhaap liya tha ki sheetal usko kuch jada hi muskurakar dekh rahi hai, sayad usey bhi devesh ka saath pasand aaya, isliye usne bola ki kabhi aaya karo, to sheetal ne muskrakar haa kaha..

Devesh ka lund baithne ka naam nhi le rha tha, usne aprna kaki ko badi chalaki se bola ki uski kaamwali baai bhut harami hai, khana-wana dhang se nhi banati hai ab to devesh ka chut maarne ka jugaad ho gya tha wo bhi pakki wali..

Devesh:-acha kaaki maa apse kuch akele me baat karni hai..

Aprna:- haa bolo beta

Devesh:- kaaki maa mene suna tha ki apka bhoore( ek sehri ladka jisne aprna ko khub choda uska affair wala bf lekin isey dhoka de gya jisse aprna sadme me aa gayi tb meri maa ne isey sambhala tha) ke sath

Aprna:- Haa beta ( udas hoke) me janti hu tumhari maa ne tumhe sab kuch!

Devesh:-kaaki maa jaane dijiye mujhe bhut dukh hai us baat ka, khair me ab aap logo ko kahi jaane nhi dunga aur kaaki aaj to aapko mera ghar dekhne jaana padega..

Aprna:- acha mere inspector jisey mene apni gaud me khilaya wo aaj bhut bada admi ban gya ..

Devesh:- haa meri kaaki maa ab maa ke baad aap hi to sab kuch ho mere liye

Aprna:- chal beta koi baat nhi

Devesh aprna ko sath le jaane laga, aprna ne sheetal ko bol diya ki wo shaam tk ghar wapas aa jayegi, idhar devesh ke mann me to laddu foot rahe they

Devesh aprna ko jeep pe sawar karte huye gaav ki basti se bahar le aaya, ab gaadi seher ke raste pe chalne lagi.

Devesh ne raaste me hi gaadi market ki taraf mod li pehle to aprna ko kuch samjh nhi aaya, par devesh ne uska hath pakda aur usey sidha ek badhiya saadi ki dukaan pe le gya, kaafi masakat ke baad ek jodi saadi gift ke taur pe devesh se leni hi padi usey, devesh ne sheetal ke liye bhi designer suit liye, aprna bolne lagi in sabki kya jaroorat hai kyu faaltu ka kharcha karne laga hai, par devesh to janta tha jitna ghera pyar dikhayega utna hi uska lund ander gherayi me jaayega...[/color]

[color=rgb(51,]TO BE CONTINUED....[/color]
 
[color=rgb(209,](UPDATE-09)[/color]

[color=rgb(65,]par devesh to janta tha jitna ghera pyar dikhayega utna hi uska lund ander gherayi me jaayega...

AB AAGE:-

Aprna ko laga ki devesh usse behad mohobat karta hai , uske ander apne aur apni beti ke prati itna sneh dekhkar uski aankho me aansu aa gaye..

Aprna:- Bete tere ko to chot lagi hai , tu chal fir kyu rha hai jaldi se ghar chal me pati kar dungi teri.

Devesh ko sach me jalan to thi isi karan wo thoda langda ke chal rha tha

Devesh:- Arey kaaki maa ghar hi to jaana hai aapko me chod dunga.

Devesh aprna ka hath pakad usey doosri dukan ki aur le jaane laga

Aprna:- nahi beta bas aur kuch mat le waise hi tu pareshan ho gya hai meri wajah se.

Devesh:- Kya kaaki maa apko aisi saari me dekhke kitna bura lagta hai mujhe, apka blouse bagal ke hisse se fat gya hai.

Aprna:- Beta kya karu kaha se laau itna paisa?

Devesh:- Aap paise ki fikar mat kijiye aur chaliye mere sath.

Devesh aprna ka hath pakad ke jaan bujh kar unke liye kuch bra air panty kharidne laga, aprna thodi saram karne lagi.

Aprna:- chal beshram ye sab kyu le rha hai? ( Aprna ne uske hath pe pyar bhari chutki kaat li)

Devesh:- aapke paas kitni jodi bra hai.

Aprna:- yahi koi 2 jodi!

Devesh:- kaaki maa chalo apna size batao?

Aprna:- Beta 38D hai.

Devesh ko sunkar bahut maza aaya kyuki wo jan bujhke aprna ko bra panty me dekhna bhi chata tha, size jaanke wo andaja bhi laga chuka tha ki uski kaaki maa kitni sexy hai.
Usne kuch aprna ke manpasand bra panty ke jode kharide fir sheetal ke liye uske size ke baare me pucha. Pehle to aprna khub mana karne lagi par devesh ne kha ki...

Devesh:- uski behen ke paas dhangki cheeze nhi hai, aajkal bina undergarments ke kapdo me sab kuch dikhta hai, logo ki nazar thik nahi.

Aprna bhut khush huyi ye janke aur usne bataya ki sheetal ka size 36 C hai. Jisey sunke devesh ka lund tight ho gya ki dono maa beti to maal hai ekdum.

Sabkuch kharidne ka baad aprna ne kaha ki ab jada der mat kar le chal mujhe apne ghar. Devesh to khud excited tha. Dono foran ghar pahuche, alishan ghar ko dekh ke aprna bhut khush ho gayi idhar udhar dekhne ke baad

Aprna :- tera ghar to thik se saaf nhi hai kaisi kaamwali rakhta hai tu?

Devesh ne fir kanchan ki bahut burai ki

Aprna:- tu usey naukari se nikal de me tere ghar ka kaam kar diya karungi.

Devesh to yahi chata tha, fir devesh ne natak kiya ki uski jalan bhut tez ho gayi hai.

Aprna ne foran usey late jaane ko kaha, pehle to usne jhatke se late ke apna jalan wala bhaag dikhaya, jhakam thik gaand ke kinare laga tha, aprna ne isssshhh karte huye usey foran apni pent utarne ko kaha. Devesh ne thoda natak kiya aur kaha ki ab wo thoda bada ho chuka hai usey sharam aati hai. Lekin aprna ne chidte huye kaha

Aprna:- apni maa se bhi koi sharam karta hai, tere chote se nunnu ko bhi mene malish ki hai , jaldi se pent utar le nhi to dawai nhi laga paungi.

Pehle devesh ne apna shirt utara fir apni belt dheeli karje usey bhi utar diya, wo ek frenchy me tha apni kaaki maa ke saamne, us waqt aprna ka dhyan sirf uske jhakam pe tha, wo dawai ki dabi laayi aur fir jhakam ko dekha, thoda sa khoon sukh chuka tha

Aprna :- Tu ek kaam kar pet ke bal ulta let jaa aur tere underwear ko thoda uper kar le.

Devesh ne aise hi kiya par dawai lagate time kapda niche ho jaata.

Devesh:- kaaki maa kya me apni frenchy utar du?

Pehle to aprna apne muh pe hath rakh ke hasi fir devesh ne uski saram todte huye kaha.

Devesh :- wo usey apna beta maanti hai to kaahe ki saram aap to mujhe nanga bhi dekh chuki ho na.

Devesh ki baat mante huye wo raazi ho gayi, devesh ne foran apni chadi niche khishka di tango tak, wo ab pura nanga tha, lund bistar pe dab gaya tha, uski safed baalo se bhari gaand aprna ke samne thi, aprna foran gaand pe dawai lagane lagi, aprna ke sparsh se hi devesh ka lund jhatke khaane laga, devesh to dheere-2 garam hone laga tha.

Aprna:- pehle to kitna sawla tha lekin ab kitna gora badan ho gya hai tera.

Devesh:- kaaki maa ye to massage ka jaadu hai, kaaki maa ab jaake sukun mila jalan ko

Aprna:- acha beta me chalti hu fir.

Devesh:- kaaki maa jab aapne dawai laga hi di hai to patti bhi kar do aur ho sake to sarie maalish bhi kar dijiye na.

Aprna:- par beta mujhe der ho rahi hai.

Devesh:- arey kaaki maa sheetal badi hai wo akele ghar sambhal legi, aap itne saalo baad mili hai to thodi der aur rukiye na.

Aprna maan gayi aur wo jaake tel ki katori le aayi aur devesh ki jaangh ki maalish karne lagi, usey devesh ka 8.5 inch ka lund dikh rha tha, jisey dekh ke wo ghabra rahi thi

Devesh:- Aaahh maa kya sukoon hai tumhare haatho mein aaj se aap hi meri maalish karna wo kya hai na police office me baithe-2 aur criminals ke piche daud bhaagne me bhut dard hota hai

Devesh aprna ki aankho me dekhta hua idhar udhar ki baate kar raha tha, lekin aprna nazre jhukaye bas maalish kar rhi thi

Devesh:- Kaaki maa aap itni jawan ho kaisa nikla wo kamina kutta kaas us waqt me bada hota.

Aprna:- Beta halaat se kya jhujhna jo chala gaya so chala gya...[/color]

[color=rgb(41,]TO BE CONTINUED....[/color]
 
[color=rgb(255,](UPDATE-10)[/color]
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Aprna:- Beta halaat se kya jhujhna jo chala gaya so chala gya...

AB AAGE:-

Devesh:- kaaki maa me janta hu tumhe us kamine ne use kiya tha to tumne uspe case kyu nhi kiya..

Aprna:- beta inspector ke pass jaane ki himmat nhi thi tarah tarah ke sawal karte ek sadi suda aurat ger mard ke sath riste me hai meri to jindagi tabah ho jati. Jab usey pata chala mere do bache hai to usne saadi ke liye haa ki lekin jab mujhse mann bhar gaya to doosri saadi kar li

Aprna ki aankho me aansoo aa gaye.

Devesh uthke aprna ke kandhe ko dabaye unhe chup karane laga ki wo aise umeed usse na kare wo jindagi bhar unka sath dega aur sheetal ki bhi dhum dham se saadi karwayga. Aprna ne apne aansoo poche aur devesh ki taraf muskurakar dekha

Aprna:- waise beta tu to kaafi bada ho gya hai kab shaadi karega tu bhi.

Ye sunke devesh bhi hasne laga.

Devesh:- arey kaaki maa aap to jante ho yaha ki lobhi aurto ko sab paisa khaane wali hai.

Aprna:- to bol na tujhe kon pasand hai? Ya bol me dhundhti hu tere liye rishte, tere me koi bhi kami nhi hai.

Devesh:- nahi kaaki me shaadi nhi karunga bas aise hi.

Aprna:- hatt badmash bhut jawan ho gaya hai tu, tujhe dekhke hi lagta hai

Aprna ki nazar lund pe thi

Devesh:- shaadi to me karunga nhi lekin pata nhi dil fisal jaaye aurat to mujhe mil hi chuki hai..

Aprna:- kon hai wo khusnasib?

Devesh:- aap kaki maa.

Aprna:- hatt badmass.

Devesh janta tha aprna hasi me taal rahi hai uski bujhi hui rakh me aag lagana koi badi baat nhi hai, isliye devesh ne aaw dekha na taaw aprna ko kas ke jakad liya aprna ek dum se hadbada gayi

Aprna:- ye kya kar raha hai beta tu me teri maa jaisi hu..

Devesh:- ohh kaaki maa tum itni khubsurat ho ki me ab sambhal nhi paa raha khud ko.

Is baar aprna virodh karne lagi wo samjh chuki thi ki devesh garam hone laga hai...

Devesh ne usey aur kaske jakad liya aur usey leke bistar pe let gaya, aprna thoda gussa ho gayi is baar.

Aprna:- beta ye galat baat hai me teri maa jaisi hu tu mejhse kitna chota hai, dekh tu mere bete ki umar ka hai shona chod de mujhe.

Devesh ne naa me garden hilate huye foran uski chatiyo ko dabana suru kar diya , is baar aprna ki aankho se aansu behne lage aur devesh bade hi kaske uski chuchiyo ko dabane laga aur uske kaan se hote huye uske gale pe hoth ferne laga, aprna ek arhed umar ki aurat jaroor thi lekin kahi na kahi uske ander ki dabi huyi aurat jaag gayi, devesh usey chodne( leave) wala to nhi tha aur na hi aprna uth paa rahi thi uski halat kisi laash jaisi ho gayi thi.

Devesh ne foran usey lita diya aur uske uper chad ke uske kaan, aankh, gaal aur hontho ko chumne laga, aprna kasmasati rahi

Kuch der baad devesh ne foran uske blouse ko badi mehnat se nikal feka aur uski badi-2 chuchiyo ko azad kar diya, usne bilkul der na karte huye uske chuchiyo ko muh me thus liya aur doosre ko hath se dabane laga kabhi wo choosta kabhi daant se nipal kaatta , aprna bhi ab khud ko dhila chod chuki thi aur dabi dabi siskariya le rahi thi.

Devesh ne niche badhte huye apni jubaan aprna ki naabhi me ghusa di aur dono hatho se uski chuchi dabane laga, fir devesh ne der na karte huye peticot ko khol dala aur jaise taise khiska ke ghutno tak kar diya, aprna ne uthna chaha par devesh ne usey firse lita diya, aur uski jhaanto bhari chut me muh rakh diya ye aprna ko pagal karne ke liye kaafi tha

Devesh bhut jor se uski chut ko chuse jaa raha tha, uski pasine se mehekdar chut ki chusai se hi aprna behekne lagi.
Ek jawan mard ke samne uske dugni umer ki aurat leti huyi apni chut chuswa rahi thi, devesh ne uski moti chut me bhut sara thuk mal diya aur fir usey apni jubaan se chodne laga, aprna kaampne lagi, kuch der baad hi devesh ko apne hotho pe namkeen sawad mehsus hua, aprna buri tarah se kaamp rahi thi par devesh ne deri na karte huye apne mote lund thuk ger ke masalte huye

Jaangh ko aur faila diya aur bich me lund ko firane laga, aprna aaah aaaah karke siskariya bharti rahi, devesh ne apne lund ko chut ke muh pe set kiya aur ek jordaar dhaka maar diya, aprna ki chikh nikal gayi, par devesh ne rehem na karte huye kas kas ke lund chut ke ander pelne laga, lund ander bhar aram se ho rha tha koi jada sakth chut nhi thi par thi bhut garam, devesh ko apna dugna stamina lagana pada kyuki itne dino ki tharak ko saant karna jaroori tha

Beech beech me aprna ki chuchiyo me sir rakh ke unhe chus leta hai, aprna ke muh se siskiyo ke alawa ek sabd nhi nikal raha tha bas poore kamre me chut aur lund ke takrane se huyi awaze aa rahi thi thap thap thap.
Devesh pure tarike se aprna ko banane me laga hua tha, devesh ne chodte huye jaise aprna ke hotho ko chua usne koi virodh nhi kiya bas uska sath nhi de rahi thi devesh kabhi uski jeebh chusta kabhi uske hoth kam se kam 40 min ki chudai ke baad devesh ne apna maal aprna ki chut me bhar diya.

Thodi saanse sambhalne ke baad

Aprna:- tu ye baat na to sheetal ko batayega na hi kisi aur ko.

Devesh:- jaan ye hum dono ke andar ki baat hai, waise tune bhut maze diye re.

Devesh ne apna lund aprna ki chut se nikal liya, aprna ki chut se abhi bhi devesh ka komras nikal raha tha, aprna uthke jaane lagi to devesh ne usey fir daboch liya.
Devesh ne foran aprna ke hotho ko apne muh me bhar liya aur uske upper chad ke kiss karne laga, dono ek baar fir behekane lage, is baar devesh ne nangi aprna ko jhuka diya aur kuttiya bana diya aur khud kutta ban gaya air uski gaand ke ched me angutha daal diya aprna chonk gayi.
Aprna:- aram se beta wo bhut tight hai.
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[color=rgb(85,]TO BE CONTINUED[/color][color=rgb(84,]??[/color]
 
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