यह हिंदी सेक्स स्टोरी मेरी खुद की आपबीती है।
बात मार्च 2008 की है जब मैं लखनऊ में अपने घर पर रहता था, मेरा ग्रेजुएशन का अंतिम वर्ष था।
शहर में ही मेरे पापा के एक दोस्त थे.. जिनके घर पर हमारा बहुत आना-जाना था। अंकल का बड़ा बेटा मनीष.. जिसे मैं अपना आदर्श मानता था। वो इकोनॉमिक्स के बहुत अच्छे जानकार थे, मैं उनसे ट्यूशन लेता था, दो घंटे वो सुबह मुझे पढ़ाते थे। बदले में मैं उनकी 6 साल की बेटी को एक-दो घंटे पढ़ा दिया करता था।
मैं दोपहर का खाना भी अक्सर उनके यहाँ ही खाया करता था, उनके घर वाले मुझे बहुत प्यार करते थे और मैं उनके छोटे-मोटे काम भी कर देता था। बस आप लोग ये समझो कि मैं उस घर के मेम्बर की तरह था।
मेरी सेक्सी भाभी
आकृति.. मनीष भैया की पत्नी हैं.. जिन्हें मैं भाभी बुलाता हूँ। मैं उनके बारे में कभी अपने मन में गलत ख्याल नहीं रखता था। जब भैया घर पर नहीं होते थे.. तो अक्सर वो मेरे साथ ज्यादा वक़्त गुजारती थीं, पर उनके मन में भी मेरे लिए कुछ नहीं था।
जब मैं उनकी बेटी को पढ़ाया करता था.. तो वो अपने और मेरे लिए चाय लाती थीं। मेरा बहुत ख्याल रखती थीं.. सगे देवर की तरह मुझे खूब खिलाती-पिलाती थीं। हम साथ-साथ अक्सर चाय पीते थे और खूब बातें भी किया करते थे।
भाभी बला की खूबसूरत हैं, एकदम दूध सी सफ़ेद.. एक दाग तक नहीं.. एकदम कामदेवी सी लगती हैं। कोई भी उनको एक नजर देखे.. तो उसका लंड ऐंठ न जाए.. ऐसा हो ही नहीं सकता था। उस देखने वाले का उनको देखते ही चोदने का मन करने लगेगा.. ये तय समझिए।
वो साड़ी पहनती हैं और ब्लाउज हमेशा छोटी पहनती हैं। वो अपनी साड़ी को अपनी नाभि के काफी नीचे बांधती हैं। उनकी चूचियों की क्लीवेज हमेशा ही दिखती है। पीठ की साइड ब्रा की पट्टी छिपाने जितनी चौड़ी पट्टी वाला ब्लाउज एक अलग ही कामुकता दर्शाता है। उनके होंठ बहुत ही रसीले दिखते हैं आँखें बड़ी-बड़ी और बाल घने काले और लंबे हैं। उनकी हाइट 5 फीट 7 इंच है एकदम स्लिम-ट्रिम बॉडी.. पर बेहद सेक्सी दिखने वाली मस्त कमनीय काया है। इस पर भी मुझे उनकी साइज का कोई सही सही अंदाजा नहीं है।
कुछ दिनों बाद मेरा नजरिया उनके लिए चेंज होता चला गया और मैं उनको चोदने के सपने देखने लगा। मैं अब अक्सर उनके पेट के नीचे गहरी नाभि और कमर पर गौर करने लगा।
भाभी की चूचियां बहुत ही सुडौल थीं.. एकदम गोल-गोल और सीधी तनी हुई.. जी चाहता था कि मुँह लगा कर निचोड़ लूँ। एकदम नपी-तुली साइज़ वाली चूचियां मेरी हथेली में समाने लायक थीं।
उनके बड़े गले के ब्लाउज की वजह से अक्सर उनकी चूचियों का दीदार निप्पल तक मिल जाया करता था। जब भी निप्पल तक की स्थिति बनती तो मेरे तो रोंगटे खड़े हो जाते थे।
घर जाकर मैं उनके नाम की डेली मुठ मारता था और उस वक्त मैं अपनी आँखें बंद करके ख्यालों में उनके कपड़े उतारता था।
जब वो नहा कर बाथरूम से बाहर आती थीं.. भीगी नाईटी में उनके बालों में एक छोटा तौलिया लिपटा होता था और वो किसी फिल्म की हीरोईन सी लगती थीं।
जैसे ही वो अपने बेडरूम में जातीं.. मैं फटाक से बाथरूम में घुसता था.. और अन्दर से लॉक करके उनकी उतरी हुई ब्रा को बड़े मनोयोग से सूंघता था.. साथ ही उनकी पेंटी.. जहाँ दो मिनट पहले उनकी चूत की फांकें चिपकी होती थीं.. लम्बी सांस लेते हुए सूंघता था। फिर उस पेंटी को अपने लंड पर लपेट कर मुठ्ठ मारा करता था.. अपना माल थोड़ी उनकी पेंटी में डालता था.. थोड़ा माल उनकी ब्रा के निप्पलों वाली जगह पर भी लगा देता था और वहाँ से निकल लेता था।
बात मार्च 2008 की है जब मैं लखनऊ में अपने घर पर रहता था, मेरा ग्रेजुएशन का अंतिम वर्ष था।
शहर में ही मेरे पापा के एक दोस्त थे.. जिनके घर पर हमारा बहुत आना-जाना था। अंकल का बड़ा बेटा मनीष.. जिसे मैं अपना आदर्श मानता था। वो इकोनॉमिक्स के बहुत अच्छे जानकार थे, मैं उनसे ट्यूशन लेता था, दो घंटे वो सुबह मुझे पढ़ाते थे। बदले में मैं उनकी 6 साल की बेटी को एक-दो घंटे पढ़ा दिया करता था।
मैं दोपहर का खाना भी अक्सर उनके यहाँ ही खाया करता था, उनके घर वाले मुझे बहुत प्यार करते थे और मैं उनके छोटे-मोटे काम भी कर देता था। बस आप लोग ये समझो कि मैं उस घर के मेम्बर की तरह था।
मेरी सेक्सी भाभी
आकृति.. मनीष भैया की पत्नी हैं.. जिन्हें मैं भाभी बुलाता हूँ। मैं उनके बारे में कभी अपने मन में गलत ख्याल नहीं रखता था। जब भैया घर पर नहीं होते थे.. तो अक्सर वो मेरे साथ ज्यादा वक़्त गुजारती थीं, पर उनके मन में भी मेरे लिए कुछ नहीं था।
जब मैं उनकी बेटी को पढ़ाया करता था.. तो वो अपने और मेरे लिए चाय लाती थीं। मेरा बहुत ख्याल रखती थीं.. सगे देवर की तरह मुझे खूब खिलाती-पिलाती थीं। हम साथ-साथ अक्सर चाय पीते थे और खूब बातें भी किया करते थे।
भाभी बला की खूबसूरत हैं, एकदम दूध सी सफ़ेद.. एक दाग तक नहीं.. एकदम कामदेवी सी लगती हैं। कोई भी उनको एक नजर देखे.. तो उसका लंड ऐंठ न जाए.. ऐसा हो ही नहीं सकता था। उस देखने वाले का उनको देखते ही चोदने का मन करने लगेगा.. ये तय समझिए।
वो साड़ी पहनती हैं और ब्लाउज हमेशा छोटी पहनती हैं। वो अपनी साड़ी को अपनी नाभि के काफी नीचे बांधती हैं। उनकी चूचियों की क्लीवेज हमेशा ही दिखती है। पीठ की साइड ब्रा की पट्टी छिपाने जितनी चौड़ी पट्टी वाला ब्लाउज एक अलग ही कामुकता दर्शाता है। उनके होंठ बहुत ही रसीले दिखते हैं आँखें बड़ी-बड़ी और बाल घने काले और लंबे हैं। उनकी हाइट 5 फीट 7 इंच है एकदम स्लिम-ट्रिम बॉडी.. पर बेहद सेक्सी दिखने वाली मस्त कमनीय काया है। इस पर भी मुझे उनकी साइज का कोई सही सही अंदाजा नहीं है।
कुछ दिनों बाद मेरा नजरिया उनके लिए चेंज होता चला गया और मैं उनको चोदने के सपने देखने लगा। मैं अब अक्सर उनके पेट के नीचे गहरी नाभि और कमर पर गौर करने लगा।
भाभी की चूचियां बहुत ही सुडौल थीं.. एकदम गोल-गोल और सीधी तनी हुई.. जी चाहता था कि मुँह लगा कर निचोड़ लूँ। एकदम नपी-तुली साइज़ वाली चूचियां मेरी हथेली में समाने लायक थीं।
उनके बड़े गले के ब्लाउज की वजह से अक्सर उनकी चूचियों का दीदार निप्पल तक मिल जाया करता था। जब भी निप्पल तक की स्थिति बनती तो मेरे तो रोंगटे खड़े हो जाते थे।
घर जाकर मैं उनके नाम की डेली मुठ मारता था और उस वक्त मैं अपनी आँखें बंद करके ख्यालों में उनके कपड़े उतारता था।
जब वो नहा कर बाथरूम से बाहर आती थीं.. भीगी नाईटी में उनके बालों में एक छोटा तौलिया लिपटा होता था और वो किसी फिल्म की हीरोईन सी लगती थीं।
जैसे ही वो अपने बेडरूम में जातीं.. मैं फटाक से बाथरूम में घुसता था.. और अन्दर से लॉक करके उनकी उतरी हुई ब्रा को बड़े मनोयोग से सूंघता था.. साथ ही उनकी पेंटी.. जहाँ दो मिनट पहले उनकी चूत की फांकें चिपकी होती थीं.. लम्बी सांस लेते हुए सूंघता था। फिर उस पेंटी को अपने लंड पर लपेट कर मुठ्ठ मारा करता था.. अपना माल थोड़ी उनकी पेंटी में डालता था.. थोड़ा माल उनकी ब्रा के निप्पलों वाली जगह पर भी लगा देता था और वहाँ से निकल लेता था।