मेरा नाम जगदीश प्रशाद है, मगर सब यार दोस्त मुझे जोगी कहते हैं। नाम जोगी है पर हूँ मैं भोगी। घर से ठीक ठाक हूँ, 24 साल उम्र है, कद काठी से ठीक हूँ, रंग सांवला है। नयन नक्श भी ठीक ठाक हैं। मतलब मेरे में कुछ भी खास नहीं है। स्कूल टाइम में ही गलत संगत में पड़ गया, सब साले लुच्चे लफंगे मेरे दोस्त थे।
चढ़ती जवानी की हरकतें
मुझे याद है, पहली बार 12वीं क्लास में था, जब यार दोस्तों के साथ गर्मी में ही स्कूल के बाहर एक पेड़ के नीचे बैठे थे। सामने से एक आंटी साड़ी पहने आ रही थी, गोरी चिट्टी, बहुत ही सुंदर, और भरपूर बदन।
वैसे ही दोस्तों में शर्त लग गई कि इसके चूचे कौन दबाएगा।
मैंने जोश में आकर कह दिया- मैं दबाऊँगा!
बस मैं अपने दोस्तों से परे हट कर अलग से सड़क पर चल पड़ा, वो सब दूर बैठे मुझे देख रहे थे।
जब आंटी मेरे करीब से गुजरने लगी, बिना एक पल भी गंवाए, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी तरफ बढ़ाए और उसके दोनों चूचे अपने हाथों में पकड़ के एकदम ज़ोर से दबाये और बस भाग गया।
वो पीछे से चीखती रही, गालियां देती रही, मगर सच बड़ा मज़ा आया। पहली बार दो मोटे मोटे गोल मस्त चूचे दबाये और थोड़ी देर बाद वापिस अपने दोस्तों के साथ आ बैठा, सबने मेरी हिम्मत की बहुत तारीफ की। मुझे भी बड़ा मज़ा आया।
सगी बहन से छेड़छाड़
मगर यह काम रोज़ रोज़ तो हो नहीं सकता था तो अपनी ठर्क मिटाने के लिए मुझे और कुछ सोचना पड़ा और कौन सा आसान शिकार मिल सकता था।
सब तरफ नज़र घुमाई तो अपनी ही बहन नज़र आई, रात को सोते हुये उसके चूचे दबा लेता, उसकी स्कर्ट उठा कर उसकी पतली पतली टाँगों को सहला लेता।
मगर सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मैं हाथ से नहीं करता था, मुट्ठ मारना मुझे पसंद नहीं है, शुरू से। तो जब लंड अकड़ जाता तो उसको सुलाना बहुत मुश्किल हो जाता।
फिर यार दोस्तों से सलाह की, सबने कहा ‘तू कोई लड़की पटा’ मगर मेरी साधारण शक्ल सूरत पर कोई भी लड़की नज़र नहीं डालती थी।
जब पहली बार कॉलेज गया, तब यार दोस्त भी बदल गए, अब हम पूरे जवान थे, सो एक बार पैसे इकट्ठे कर कर के एक सस्ती सी काल गर्ल ले कर आए, एक औरत को 5 लड़कों ने बारी बारी चोदा।
पहली बार सेक्स किया, भरपूर आनन्द उठाया।
मेरी तो अभी और एक बार करने की इच्छा थी, मगर उसने दोबारा करने के पैसे मांगे, वो मेरे पास थे नहीं, सो मन मार कर रह गया।
छोटी बहन अब और बड़ी हो गई थी, कभी कभी उसके बदन को भी सहला लेता था, मगर अब उसकी नींद पहले जैसी गहरी नहीं थी। ज़्यादा छेड़छाड़ करने पे उठ जाती थी।
पता उसको था कि कभी कभी मैं रात को उसके साथ गंदी हरकतें करता हूँ, मगर उसने कभी मुझे कुछ कहा नहीं!
पता नहीं डरती थी, या खुद भी चाहती थी, मगर कभी भी हमने एक दूसरे के सामने ये बात नहीं की।
एक दिन मैं अपने कॉलेज से वापिस आ रहा था कि रास्ते में एक लड़के ने मुझे हाथ का इशारा दे कर रोका। मैंने अपनी बाईक रोकी, तो वो बोला- मुझे आगे बस स्टॉप तक छोड़ दोगे भाई?
मैंने उसे बैठा लिया और बाईक चलाने लगा।
चढ़ती जवानी की हरकतें
मुझे याद है, पहली बार 12वीं क्लास में था, जब यार दोस्तों के साथ गर्मी में ही स्कूल के बाहर एक पेड़ के नीचे बैठे थे। सामने से एक आंटी साड़ी पहने आ रही थी, गोरी चिट्टी, बहुत ही सुंदर, और भरपूर बदन।
वैसे ही दोस्तों में शर्त लग गई कि इसके चूचे कौन दबाएगा।
मैंने जोश में आकर कह दिया- मैं दबाऊँगा!
बस मैं अपने दोस्तों से परे हट कर अलग से सड़क पर चल पड़ा, वो सब दूर बैठे मुझे देख रहे थे।
जब आंटी मेरे करीब से गुजरने लगी, बिना एक पल भी गंवाए, मैंने अपने दोनों हाथ उसकी तरफ बढ़ाए और उसके दोनों चूचे अपने हाथों में पकड़ के एकदम ज़ोर से दबाये और बस भाग गया।
वो पीछे से चीखती रही, गालियां देती रही, मगर सच बड़ा मज़ा आया। पहली बार दो मोटे मोटे गोल मस्त चूचे दबाये और थोड़ी देर बाद वापिस अपने दोस्तों के साथ आ बैठा, सबने मेरी हिम्मत की बहुत तारीफ की। मुझे भी बड़ा मज़ा आया।
सगी बहन से छेड़छाड़
मगर यह काम रोज़ रोज़ तो हो नहीं सकता था तो अपनी ठर्क मिटाने के लिए मुझे और कुछ सोचना पड़ा और कौन सा आसान शिकार मिल सकता था।
सब तरफ नज़र घुमाई तो अपनी ही बहन नज़र आई, रात को सोते हुये उसके चूचे दबा लेता, उसकी स्कर्ट उठा कर उसकी पतली पतली टाँगों को सहला लेता।
मगर सबसे बड़ी समस्या यह थी कि मैं हाथ से नहीं करता था, मुट्ठ मारना मुझे पसंद नहीं है, शुरू से। तो जब लंड अकड़ जाता तो उसको सुलाना बहुत मुश्किल हो जाता।
फिर यार दोस्तों से सलाह की, सबने कहा ‘तू कोई लड़की पटा’ मगर मेरी साधारण शक्ल सूरत पर कोई भी लड़की नज़र नहीं डालती थी।
जब पहली बार कॉलेज गया, तब यार दोस्त भी बदल गए, अब हम पूरे जवान थे, सो एक बार पैसे इकट्ठे कर कर के एक सस्ती सी काल गर्ल ले कर आए, एक औरत को 5 लड़कों ने बारी बारी चोदा।
पहली बार सेक्स किया, भरपूर आनन्द उठाया।
मेरी तो अभी और एक बार करने की इच्छा थी, मगर उसने दोबारा करने के पैसे मांगे, वो मेरे पास थे नहीं, सो मन मार कर रह गया।
छोटी बहन अब और बड़ी हो गई थी, कभी कभी उसके बदन को भी सहला लेता था, मगर अब उसकी नींद पहले जैसी गहरी नहीं थी। ज़्यादा छेड़छाड़ करने पे उठ जाती थी।
पता उसको था कि कभी कभी मैं रात को उसके साथ गंदी हरकतें करता हूँ, मगर उसने कभी मुझे कुछ कहा नहीं!
पता नहीं डरती थी, या खुद भी चाहती थी, मगर कभी भी हमने एक दूसरे के सामने ये बात नहीं की।
एक दिन मैं अपने कॉलेज से वापिस आ रहा था कि रास्ते में एक लड़के ने मुझे हाथ का इशारा दे कर रोका। मैंने अपनी बाईक रोकी, तो वो बोला- मुझे आगे बस स्टॉप तक छोड़ दोगे भाई?
मैंने उसे बैठा लिया और बाईक चलाने लगा।