Maya Ki Choot Ne Lagaya Chodne Ka Chaska

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मेरा नाम विकी है, मैं 25 साल का हूँ और मुंबई में आयुर्वेद डॉक्टर हूँ।

मैं नेट पर सर्फ़ करते हुए अन्तर्वासना पर आ गया।
मैंने इसकी कहानियाँ पढ़ीं.. तो मुझे बहुत आनन्द मिला और मुझे ये काफी दिल बहलाने वाली और रोचक लगीं.. पर मैंने देखा कि इस पर कहानी लिखने वालों ने सेक्स के बारे में अपनी कहानी के माध्यम से कुछ अजीब सी भ्रान्तियां फैला रखी हैं.. जो मैं अपनी कहानी के द्वारा साफ़ करना चाहता हूँ।
तो पहले कुछ सही बात समझ लें.. जो कि आपको एक डॉक्टर बता रहा है।

1- सेक्स में बहुत बड़ा लंड हो तो ही आनन्द आता है.. यह बात गलत है। सेक्स में बड़े नहीं.. कड़े लंड का होना जरूरी होता है।
लंड कड़ा होने पर सामान्यतः 4 से 5.5 इंच या ज्यादा से ज्यादा 6 या 6.5 इंच का होता है। ये केवल 3 इंच का हो.. तो भी सेक्स में वही आनन्द मिलता है। सेक्स में बहुत बड़े की नहीं.. कड़े लंड की जरूरत होती है।
असल में एकदम कड़े लंड से स्त्रियों को आनन्द मिलता है.. तो लंड को बड़े करने की नहीं.. कड़े करने की सोचो।

2- बहुत जोर जबरदस्ती से किया हुआ सेक्स.. जिसमें स्त्री को बहुत दर्द हो उसमें मर्दानगी नहीं होती। स्त्रियों को बड़े प्यार से किया गया सेक्स ही पसंद आता है.. जिससे उसकी भावनाओं को संतुष्टि मिले और वो भी सेक्स में सक्रिय हो। इस तरह का सेक्स आपको और आपके पार्टनर को ताजगी और आनन्द प्रदान करता है।

3- सेक्स जानवर की तरह करने से नहीं, पार्टनर को आनन्द देने से सफल माना जाता है। सेक्स एक अच्छी वर्जिश भी होती है.. जिससे कमजोरी नहीं.. आरोग्य प्राप्त होता है और आप तनाव मुक्त होते हैं।

4- सेक्स में जबरदस्ती औरत कभी पसंद नहीं करती, सेक्स जितना लम्बा चला सको.. उतना आनन्द बढ़ेगा और चरम सीमा का आनन्द ज्यादा मिलेगा।
याद रखें.. स्त्री की चूत का केवल अगला डेढ़-दो इंच का ऊपरी हिस्सा ही संवेदनशील होता है।
हालांकि चूत के अन्दर की दीवारें काफी नर्म और संवेदनशील होती हैं.. जिसमें कड़े फौलाद जैसे चिकनाई युक्त लंड का प्यार से रगड़ मारता हुआ लौड़ा पेलना बड़ा आनन्दप्रद होता है।
जब औरत चुदाई के वक्त आँखों को मूँदने लगे तो समझो कि आप उसे आनन्द दे रहे हो। वो अपने होंठों से सिसकियां लेने लगे और मीठी आवाजें निकालने लगे.. उसको उसी तरह में और उसी लय में चोदना चाहिए।

5- सेक्स की खास बात है फोरप्ले.. और आफ्टरप्ले.. सेक्स में पहले ये जानो कि आपके पार्टनर को कहाँ ज्यादा उत्तेजना होती है।
बहुत सी औरतें अपनी पीठ पर, कान से पिछले हिस्से में किस कराने में ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं।
आप पीछे से कन्धों पर.. पीठ पर.. कान के लौ पर.. किस करते हुए चूचियों का मर्दन करेंगे.. तो वो जल्दी झड़ जाती है।
उसकी चूत भी इससे जल्दी चिकनी हो जाती है.. फिर बाद में आप लंड उसकी चूत में डालोगे तो वो बहुत आनन्द पाएगी.. और वो आपकी गुलाम बन जाएगी।
होंठों को और स्त्री की छाती को चूसना भी एक आर्ट है। औरत का बदन एक संगीत के तार जैसा होता है.. अगर सही तार को झंकृत करोगे.. तो सही सुर निकलेगा.. वरना बेसुरा संगीत आपका और आपके पार्टनर का मजा किरकिरा कर देगा। तो यह साज कैसे बजाते हैं वो कभी मुझसे सीख लेना।

6- मेरे चुदाई के शौकीन दोस्तो, मेरी बात याद रखना, सेक्स एक योग है। सम्भोग मतलब दोनों समान रूप से एक-दूसरे को भोगें। सेक्स में स्त्री का सक्रिय होना बहुत जरूरी है.. वो कैसे? इसके लिए आप गुप्त रूप से मुझे मेल करें.. मैंने बहुत से जोड़ों को बेहतरीन तरीके से सेक्स करना सिखाया है। सेक्स के पीछे दुनिया ऐसे ही पागल नहीं है। यह कुदरत का एक अजीबोगरीब करिश्मा है.. जो नसीब वाला ही भोग सकता है।
 
अब मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताता हूँ। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मुंबई में पढ़ाई की है। जब मैं 18 साल का था.. तब मेडिकल की पढ़ाई करने मुंबई गया था।

मैं पहले ये बता चुका हूँ कि मैं एक 25 साल का युवक हूँ। मेरी लम्बाई 5 फुट 7 इंच की है। मैं थोड़ा गोरा और चिकना भी हूँ। मेरा लंड पौने छह इंच लम्बा और करीब डेढ़ इंच व्यास का मोटा है। मैं बचपन से ही वर्जिश करता हूँ.. तो मेरा बदन काफी गठा और काफी कसा हुआ है।

मैं एक सुखी परिवार से ताल्लुक रखता हूँ। पैसे की कभी कोई कमी नहीं थी।
मैं अपने पापा का एकलौता बेटा हूँ।
हॉस्टल में मेरिट में 3-4 अंक कम होने की वजह से जगह नहीं मिली.. तो पापा मेरे कॉलेज में आए।

वे कुछ परेशान हुए लेकिन हमारे कॉलेज के कर्मचारी मनोहर चाचा और पापा की अच्छी पहचान हो गई थी।
उन्होंने एडमिशन के दौरान काफी मदद की थी और वो पापा से काफी प्रभावित भी हुए थे।

उन्होंने मुझे अपने मकान में अपना छत वाला कमरा मुझे 7500 रूपए प्रति माह पेइंगगेस्ट के तौर पर किराए पर दे दिया।

मेरे कमरे में लैटबाथ अटैच था और आगे बड़ी सी छत थी.. जहाँ वो लोग कपड़े सुखाया करते थे। मेरा कमरा कॉलेज से केवल दो किलोमीटर दूर था।
मैं वहाँ अपना सामान ले कर पहुँच गया। पहली बार था.. तो पापा और मॉम भी साथ आए थे।
उन्होंने भी वहीं खाना खाया और इस सब से वो परिवार हमारे लिए फैमिली जैसा हो गया।
मैं भी चाचा के परिवार का एक सदस्य सा हो गया।

जाते वक्त चाचा-चाची ने मेरे मॉम-डैड को मेरी चिंता न करने का भरोसा देते हुए विदा किया।
पापा ने भी उन्हें छुट्टियों में बच्चों के साथ अहमदाबाद आने का ऐसे न्योता दिया.. मानो वे रिश्तेदार हो ही गए हों।

चाचा के पास अपने बाप-दादा का दिया हुआ बड़ा सा यह मकान ही उसकी बड़ी जायदाद थी। मुंबई में इतना बड़ा मकान होना बड़ी बात थी। उसके किराये से उनके परिवार को अच्छी आमदनी हो जाती थी.. वरना चाचा की तनख्वाह से उनका बड़ी मुश्किल से गुजारा होता था।
तब भी वो बहुत कम लोग को मकान किराए पर देते थे।

चाचा की उम्र अभी 45 साल की थी। उनके साथ में उनकी पत्नी रमा चाची थीं.. जो कि करीब 42 साल की थी। उनकी दो बेटियां सीमा और सपना.. जोकि 19 और 18 साल की रही होंगी। एक बेटा था दीपू.. जो कि 7 वीं में पढ़ता था।

एक कुंवारी बहन माया थी.. जो करीब तीस साल की थी.. जिसकी अभी भी शादी नहीं हो रही थी।
इस तरह वे छह लोग एक ही परिवार में रहते थे।

शायद दहेज़ की वजह से माया की शादी नहीं हुई थी। पहले मैं आपको इन सब का परिचय दे दूँ।

माया.. जिसे सब बुआ बुलाते थे और मैं भी उसे बुआ ही कहने लगा था।
वो 5 फुट 4 इंच की ऊँचाई लिए दूध जैसा साफ़ रंग और मस्त सेक्सी बदन की मालिकन थी।
उसके क.nटीले नयन-नक्स, गुलाबी मोटे होंठ.. मक्खन से मुलायम गाल.. सुराहीदार गर्दन.. जिसे चूमने को मन हो जाए।

उसकी 35 इंच की तोतापुरी आम जैसी भारी उन्नत नुकीली चूचियां जिनको हरदम देखते रहने को दिल करे। वो हमेशा होजियरी के चुस्त लोअर कट गाउन में रहती थी।
 
जब वो अपने 35 नम्बर की भारी-भरकम चूचियां और 36 साइज़ के बड़े-बड़े कूल्हे मटकाती हुई वो चलती थी.. तो लगता था जैसे तूफान उठा देगी।
जब पास से गुजरे तो उसके बदन की एक अजीब सी मादक खुश्बू किसी का भी लंड खड़ा कर दे।

वो काफी हँसमुख और मजाकिया स्वभाव की थी और मेरा बहुत ख्याल रखती थी।
मेरी उससे काफी जमती थी.. लेकिन मुंबई में मकान बड़ी मुश्किल से मिलता है.. तो उसको कुछ कहने से मेरी गांड फटती थी।

सीमा 20 साल की.. मासूम गोरी-चिट्टी मोम जैसी नरम और मुलायम बदन वाली लौंडिया थी।
पांच फुट चार इंच ऊँची और सेक्सी मिसाइल जैसी माल थी।
उसका फिगर 34-24-35 का कोकाकोला की बोतल जैसा था।

वो बड़ी आकर्षक और सेक्सी दिखती थी। बड़ी सुन्दर काजल लगी आँखें.. गुलाब की पत्ती से रसीले होंठ.. तीखी नाक.. सेब से नरम गाल.. जोकि चूमने का मन हो जाए। वो हमेशा सुन्दर कपड़ों में रहती थी।
उसके लोकट गले वाले कुरते से उसकी बड़ी चूचियां ड्रेस में दबी-दबी सी दिख जाती थीं।

वो काफी नरम दिल और सुलझी हुई लड़की थी, पर वो मुझे घास तक नहीं डालती थी।
नॉर्मली वो मेरे साथ हँस-बोल लेती थी.. पर मेरे लिए वो मुश्किल आइटम थी।

जब मैंने उससे पहली बार देखा तो मैं भौचक्का रह गया था.. पर पापा और मॉम साथ थे.. तो मैं मासूम बनकर नीची नज़र किए हुए उनकी और चाचा की बातें सुनता बैठा रहा।

सपना एक मनमुग्ध कर देने वाली कन्या थी.. जिसने अभी नई-नई जवानी पाई थी।
उसकी छाती पर अभी नए-नए दो फूल खिल रहे थे। वो जब चलती तो उसके नीबू बड़े अच्छे से झूल जाते थे।

वो थोड़ी श्यामल रंग की थी.. पर ब्लैक ब्यूटी थी। उसके अच्छे नाक-नक्श उसे बहुत नमकीन और चुलबुली बनाते थे। वो बड़ी कटीले बदन वाली नागिन जैसी लगती थी।
सपना 5 फुट 2 इंच ऊँची, 30-24-32 के मस्त फिगर वाली लड़की थी। उसका गदराया बदन, बात-बात पर आंख मार के बात करना किसी को भी भा जाए।
वो मेरी अच्छी दोस्त बन गई थी।

रमा चाची बिल्कुल घरेलू गृहिणी जैसी बड़े प्यारे स्वाभाव की और काफी सुन्दर औरत थीं।
वो अभी भी 35 साल की लड़की जैसी लगती थीं। तीन बच्चों की माँ होने के बावजूद उन्होंने अपने आपको काफी मेन्टेन किया था। उनकी सुन्दरता उनकी बेटियों में उतरी थी।

हाँ, मनोहर चाचा अपने इस बड़े परिवार के पालन करने में और अपनी कुंवारी बहन की शादी की चिंता में थोड़े बूढ़े से लगते थे और उन्हें डायाबिटीज की बीमारी भी हो गई थी।

आपको इस कहानी में सब कुछ मिलेगा पर एक अलग अंदाज में ही मिलेगा।

मेरे साथ अन्तर्वासना से जुड़े रहिए।
 
माया की चूत ने लगाया चोदने का चस्का-2

अब तक आपने मनोहर चाचा के घर के सदस्यों के बारे में जाना।
अब आगे..

डायाबिटीज के मरीज की सेक्स लाइफ लगभग खत्म हो जाती है.. क्योंकि उनके लंड का उत्थान नहीं होता है। हालांकि चाचा रमा चाची बड़ा ख्याल रखते थे।
रमाचाची के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी देखने को मिलती।

मेरे पास बाइक थी और चाचा के पास भी बाइक थी.. तो सुबह-सुबह मैं चाचा, सीमा और सपना चारों दो बाइकों पर स्कूल और कॉलेज जाते थे।
क्योंकि सीमा का होम साइंस कॉलेज और सपना का हाई स्कूल हमारे कॉलेज के रास्ते पर ही पड़ता था।
सपना मेरी बाइक पर और सीमा अपने पापा के साथ बैठती थी।
पहले उनका स्टॉप आता था और बाद में हमारा कॉलेज।

दोपहर एक बजे हम चारों साथ आते और साथ में खाना खाते।
इसके बाद मैं ऊपर अपने कमरे में पढ़ाई करने चला जाता और 4 बजे चाय के लिए नीचे आता।

माया बुआ मुझे रात को 8 बजे खाने के लिए आवाज़ देतीं या बुलाने छत पर आ जातीं।
रात के खाने के बाद हम लोग थोड़ी इधर-उधर की बातें करते.. टीवी देखते और दस बजे मैं अपने कमरे में सोने चला जाता।
यह था हमारा दैनिक जीवनक्रम।

मैं सुबह साढ़े पांच बजे उठकर थोड़ी वर्जिश करता और सुबह 7.15 पर तैयार होकर कॉलेज जाने के लिए नीचे आ जाता।

अब हुआ यूँ कि इतवार को दोनों बहनें किसी प्रवास में गई थीं। मैं सुबह वर्जिश करके नहाने की तैयारी कर रहा था कि बुआ इतनी सुबह कपड़े सुखाने आ गईं।

मैंने बड़े ताज्जुब के साथ बाहर आ कर पूछा- क्यों बुआ.. इतनी सुबह में कपड़े धोने पड़े?
मैं उसे कपड़े सुखाने में मदद करने लगा।

तो वो बोली- हाँ मुन्ना, आज 11 बजे मुझे कोई देखने आने वाला है और मेरी फेवरिट ड्रेस मैली थी.. तो मैंने सारे कपड़े सुबह सवेरे जल्दी ही धो डाले ताकि वो सुबह 9 बजे तक सूख जाएँ।

वो मुझे मुन्ना कहती थी.. लेकिन जब इतनी अच्छी बात उसने थोड़े उदास होकर बताई तो मैंने उसे खुश करने के लिए कहा।
मैं- अरे वाह ये बात अब बता रही हो.. क्यों भई, हम इतने पराए हैं?

माया- नहीं मुन्ना.. मुझे देखने लड़के दस साल से आ रहे हैं.. पर शादी कोई नहीं करता क्योंकि भगवान ने मुझमें एक कमी रख दी है। मुझे देखने तो सब आते हैं.. पर शादी के लिए कोई राजी नहीं होता। इसलिए मैं अभी तक भैया पर बोझ बनकर इस घर में अब तक बैठी हूँ।

बात करते हुए उसकी सुन्दर आँखें नम हो गईं.. उसकी आवाज़ गले में घुटने लगी।

मैं- अरे ये क्या.. मेरी अच्छी बुआ रो रही है.. अरे आप तो इतनी सुन्दर हो कि आपसे तो कोई भी लड़का शादी के लिए तैयार हो जाए.. मैं छोटा हूँ वरना मैं ही आप से शादी कर लेता।
थोड़ी हल्के से मजाक करके मैंने उसे हँसाने की कोशिश की।

मैं- बड़ा भाग्यवान होगा वो इन्सान जिससे आपकी शादी होगी।

तो उसकी आँखें भर आईं और आंसू छलक कर बाहर आ गए।

वो बोल उठी- मजाक न कर मुन्ना.. तू भी अगर मेरी खामी जान जाए.. तो तू भी शादी से मना कर देता.. अगर तू मेरी उम्र का होता..तो बताती.. अब तुझे कैसे बताऊँ कि मेरे अन्दर ऐसी कमी है कि मैं माँ नहीं बन सकती। भैया ने मेरा बहुत इलाज कराया.. तो पता चला कि एक ऑपरेशन कराना पड़ेगा और जिसका खर्च करीब 5 लाख तक होगा।
 
वो बात करते-करते टूट सी गई और रोने लग गई।

वैसे हम दोनों की खूब पटती थी.. पर इस बात से मैं भी अनजान था।
उसके रोने से में भी भावुक हो गया, मैंने उसके आंसू पोंछे और कहा- बुआ मैं आपका इलाज करवाऊँगा और अपने पापा से कहकर मैं आपका ऑपरेशन भी करवाऊंगा। पापा के पास पैसे की कोई कमी नहीं है। मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ.. आपके लिए मैं कुछ भी करूँगा।

यह कहते हुए मेरी आँखें भी भर आईं।

मुझे रोता देख उसने मुझे अपनी तरफ खींच कर मुझे कसके अपने गले से लगा लिया। रस्सी पर सुखाए कपड़ों के पीछे हम दोनों एक-दूसरे को कसके जकड़े हुए थे।

यह मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था कि मैं किसी लड़की को ऐसे कस कर अपनी बांहों में ले कर खड़ा था।

माया की कठोर चूचियाँ मेरी विशाल छाती पर बड़े जोर से कसके दब रही थीं।
मैं उसे सांत्वना देने के लिए उसकी पीठ को सहला रहा था।

मैंने महसूस किया कि उसने ब्रा नहीं पहनी थी। मेरी बनियान और उनका चुस्त गाउन ही हम दोनों की छातियों के बीच में था।
उसके गर्म आंसू मेरे कंधे पर गिर रहे थे और मैं बड़े प्यार से उसकी पीठ सहला रहा था।

उसका बदन भीगे कपड़े हो जाने के बावजूद एकदम गर्म था।
उसके जिस्म से एक गजब की मादक खुश्बू से मुझे नशा दे रही थी।
वो कांप रही थी.. उसकी गर्म सांसें मेरे गले से टकरा रही थीं। उसकी गर्म साँसों का असर मेरे लंड पर हो रहा था, वो खड़ा होने लगा था।

मेरे बरमूडा में एक तम्बू सा उभर गया था। मेरे बदन में मानो बिजली का जोरदार करंट दौड़ रहा हो।

बुआ ने मेरे होंठों को चूम लिया
अचानक उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर मेरे होंठों पर अपने नरम मुलायम.. गर्मागर्म कांपते होंठ चिपका दिए और मेरे नीचे के होंठों को वो जोर से चूसने लगी।

हम दोनों ही भावुक हो उठे थे.. एक-दूसरे को कसके चूम रहे थे। हालांकि मुझे लिप किस करना नहीं आ रहा था.. पर मैं उसे सहयोग देने लगा था।
मैं उसके बालों को सहलाते हुए कानों तक आ गया और उसके कान की लौ को प्यार से मलने लगा।

मैंने पाया कि वो अपनी जुबान से मेरे मुँह को खोलने की कोशिश कर रही थी।

उसे सहयोग देते हुए मैंने अपना मुँह खोल दिया.. तो उसने झट से अपनी गुलाबी जुबान को मेरी जुबान से मिलाते हुए अपने मुँह में खींच ली और जोर से उसे चूसने लगी।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मेरे तो मानो प्राण निकल रहे थे।

मेरे बरमूडा में मेरा लौड़ा एकदम टाइट होकर कड़े लोहे सा होकर अपनी पूरी लम्बाई में आ गया था और वो माया की चूत पर टकरा रहा था।
मेरा भी बदन काँपने लगा और उसमें आग सी भड़कने लगी।

एक नशीला अनुभव जो मुझे पहली बार माया ने कराया। यह मेरे जीवन का पहला लिप किस था.. जो मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊँगा।

अब मुझे थोड़ा डर सा लगा.. तो मैंने माया को अलग किया और अपने कमरे में ले गया।
वहाँ उसको पानी पिलाया।

उसकी आँखें अभी भी नम थीं।

मैंने उसकी आँखों में भरे आंसुओं के पार एक गजब का नशा देखा.. वो कम्पन, वो बदन की दहकती गर्मी, वो मादक खुश्बू.. मैं मस्त हो गया।
 
फिर भी अपनी सेफ्टी के लिए मैं रुका.. और कहा- बुआ, शायद यह हम गलत कर रहे हैं, कोई देख लेता तो हम बदनाम हो जाते। मेरे दिल में आपके लिए बहुत प्यार और सम्मान की भावना है, परन्तु हमें ऐसा नहीं करना है। आप चिंता न करो सब ठीक हो जाएगा, मैं आपके साथ हूँ। आज से आपके सारे दुःख मेरे.. और मेरे सारे सुख आपके।

मैंने महसूस किया कि मैं उससे आंख नहीं मिला पा रहा था.. क्योंकि मेरे बरमूडा में से मेरे खड़े लंड से बना तम्बू उसे साफ़ दिखाई दे रहा था।
मैं तौलिया लेकर उसे छुपाने की कोशिश करने लगा।

उसने तौलिया छीनते हुए कहा- अरे मुन्ना तू है तो अब मुझे कोई चिंता नहीं है.. पर अब से तू मुझे अकेले में बुआ मत कहना.. क्योंकि आज से हम एक अच्छे दोस्त बन गए हैं।

हालांकि मेरा तना हुआ लंड फिर से उसके सामने था.. जिसे वो एकदम घूर कर देख रही थी।

मैंने थोड़ा संकोच करते हुए उसके कंधे पकड़ कर उसे अपने पलंग पर बिठाया और बाथरूम की तरफ जा ही रहा था कि उसने मुझे हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया, मेरे बालों को अपने हाथों से सहलाते हुए बोली- जिसका इतना प्यारा दोस्त हो उसे क्या चिंता? लेकिन तू मेरा साथ देगा न? फिर तू मुझे छोड़ तो नहीं देगा ना? तुझे पता है, ये मेरी ये जिंदगी बिल्कुल वीरान है।

मैं- हाँ बुआ मैं आपके लिए कुछ भी करूँगा.. आप कह कर देखना।

माया ने पूछा- विकी मैं तुझ पर कितना भरोसा कर सकती हूँ ये बता? मुझे तुमसे कुछ कहना भी है।

मैं- बेशक आप मुझ पर भरोसा करके देख लेना.. विकी भरोसे का दूसरा नाम है बुआ।

माया- बुआ के बच्चे.. मुझे माया बुला..

उसने मुझे फिर से खींचकर मेरे गालों को अपने दांतों के बीच दबाकर उसे काट लिया।

मैं- माया.. यह हम गलत कर रहे हैं.. तुम मुझे पर खूब भरोसा करो और कहो जो कहना है।
हालांकि मैं जानबूझ कर उसे टटोल रहा था।

माया- न मुन्ना.. अब अपने बीच जो भी होगा.. वो सही होगा। तुमसे मैं एक बात कहूँ, तू आज से मेरा दोस्त और मेरे कलेजे का टुकड़ा होगा।

उसकी आवाज़ में कम्पन थी, उसकी आँखों में वासना साफ़ दिखाई दे रही थी.. पर मैं उसे तड़पाना चाहता था।

माया की चूत की आग ने मुझे भड़का दिया था और उसकी चुदाई किस तरह से परवान चढ़ती है.. वो मैं आपको अपनी इस कहानी में आगे लिखूंगा।
 
माया की चूत ने लगाया चोदने का चस्का-3

अब तक आपने पढ़ा..

माया ने अपनी चुदास मुझ पर जाहिर कर दी थी।

अब आगे..

माया विकी मुझे 30 साल खत्म होने को हैं.. जब मैं दस साल की थी मेरी माँ तो तब ही चल बसी थी। बाद में इतने सालों के बाद तेरे गले से मिली हूँ। मुझे जो प्यार चाहिए वो किसी ने नहीं दिया।
क्या कोई औरत अपनी एक कमी होने से प्यार के काबिल नहीं होती? माँ के जाने के बाद भैया शादी करके भाभी को लाए थे। वो दोनों प्यार करते तो मैं छुप-छुप कर देखती.. तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते थे।
रात को भैया के कमरे से भाभी की प्यार भरी चीखें मेरे कमरे में मुझे सुनाई देतीं.. तो मैं एक अजीब सी आग में जलने लगती थी।
मुझे भी प्यार चाहिए, मैं चाहती हूँ कि कोई मुझे भी अपनी बांहों में कस कर मेरे होंठों का रसपान करे… मुझे अपनी बांहों में कस ले… मेरा ख्याल रखे… मुझसे प्यार भरी बातें करे।
मेरी सहेली सरोज अपने भतीजे से सेक्स करती है। कभी-कभी रात को ऐसे विचार आते हैं.. तो मैं प्यार की आग में जलने लगती हूँ.. मेरी छाती फटने लगती है।
मैं क्या करूँ.. आखिर भैया की इज्ज़त का सवाल होता है।
तू जब आया तो मेरा यकीन मान.. मुझे तेरी आस हुई कि तू शायद मेरे लिए ही आया है और भगवान ने शायद तुझे मेरी प्यास बुझाने ही भेजा है।
बोल.. मैं तेरा भरोसा करूँ?

मैं उनकी तरफ मूक बना चूतिया सा देख रहा था।
‘तू चिंता मत कर मैं मर जाऊँगी.. पर तुझ पर आंच नहीं आने दूंगी।’

मैं उसकी बात बड़े ध्यान से सुनता गया और उनकी तड़प को महसूस करता गया।

हालांकि मैंने कभी कुछ नहीं किया था.. फिर भी उसे टटोलने के लिए कहा- माया अगर कुछ होगा तो मुझे तो कुछ नहीं आता.. मैं अपने कॉलेज में एक तमन्ना नाम की लड़की जो कि मेरी दोस्त है.. उससे भी दूर से बात करता हूँ। पता नहीं मुझे डर लगता है कि कहीं पकड़े गए तो मर जाएंगे।

माया- हिम्मत रख.. जब तक मैं हूँ तो कुछ नहीं होगा।
यह कहते हुए उसने मेरी जांघ पर हाथ रखा और आहिस्ता आहिस्ता उस पर अपनी हथेली रगड़ने लगी।
मेरा टाइट लौड़ा देखकर बोली- तुझे कुछ नहीं आता.. मैं सब सिखा दूंगी।

वो धीरे-धीरे मेरे लौड़े की तरफ बढ़ रही थी।
उसने अंततः मेरे तम्बू पर हाथ रख कर कहा।

माया- क्यों इस बेचारे को दबा कर रखता है। उससे बाहर निकाल कर उसके असली घर में आने दे।
उसने लपक कर मेरा लौड़ा बरमूडा के बाहर से पकड़ लिया तो मैंने पीछे हटते हुए कहा- माया अभी नहीं, तुम जाओ चाची ऊपर आ जाएंगी.. और आज तुम्हें देखने वाले भी आ रहे हैं। अभी तुम नीचे जाओ.. हम शाम को यहीं पर मिलेंगे।

उसकी आँखों में एक चमक आ गई। उसने मेरे गाल में अपनी जुबान रगड़ते हुए चुम्मी ली और कहा- मेरा ड्रेस सूख जाए तो 9 बजे इसमें इस्तरी करा कर ले आना।

वो खुश होती हुए दौड़ती हुई नीचे गई और मैं नहाने चला गया।

माया मुझे ड्रेस की इस्तरी करा के लाने का कह कर नीचे दौड़ती चली गई और मैं नहाने चला गया।
नहाकर करीब 8 बजे में नीचे चाय पीने गया..

तो रमा चाची ने कहा- बेटा मैं तुझे कल बताना भूल गई थी। आज माया को बोरीवली से कुछ लोग शादी हेतु देखने आ रहे हैं.. तो मुन्ना तू आज कहीं जाने वाला तो नहीं? बेटा मेरी थोड़ी मदद करने हमारे साथ रहेगा? आज सीमा और सपना भी टूर में गई हैं और वो लोग अचानक ही आने वाले हैं।
 
मैंने खुश होते हुए और अनजान बनते हुए कहा- अरे बुआ, आप तो बड़ी छुपी रुस्तम निकलीं.. हमें बताया भी नहीं।
बुआ ने अन्दर के कमरे से मुस्कुराते हुए मुझे आंख मारी।

चाची- अरे बुद्धू… लड़कियां ऐसी बातें अपने मुँह से कहेंगी क्या? वो शर्माएगी नहीं? पागल.. अपनी बुआ को मत छेड़ और ये ले पैसे और जा थोड़ी सी चीजें बाज़ार से ला दे.. वो लोग 11 बजे तक आ जाएंगे। देख समोसे, बेसन के लड्डू, कचौड़ी, दूध, मावा के पेड़े ले कर फटाफट आ जा।

चाची इतना कह कर अन्दर को जाने लगीं।

माया ने मुझे रूम से इशारा किया कि ड्रेस को इस्तरी भी करा लाना।
मैंने जानबूझ कर पूछा- बुआ, आपको भी कुछ मंगाना है?

मैं उसके कमरे में गया तो हमें कोई देखे नहीं इस तरह से उसको खींच कर दरवाजे के पीछे मेरे होंठों को चूमकर मेरे कूल्हों पर चांटा मार के कहा- फूल की एक माला और गुलाब के खुले फूल जरूर लाना और मुझे अकेले में दे देना।

मैं फटाफट बाइक लेकर बाजार गया और एक घंटे में वापस आ गया।

सारे घर की मस्त सफाई हो चुकी थी और बैठने का कमरा अच्छी तरह से सजा दिया गया था।

मैं सीधा रसोई में गया और सामान रमा चाची को दे दिया और हिसाब करके बाकी पैसे देकर माया के कमरे में आ गया।

मैं उसे देखता ही रह गया.. वो नहा-धोकर मस्त तैयार होकर बैठी थी। क्या खुश्बू थी कमरे में..

मैं गया तो उसने फट से मेरे गाल पर किस करके ड्रेस लेते हुए कहा- बाहर जा.. क्या इसे में तेरे सामने पहनूँगी?
मैंने कहा- नहीं.. लाओ मैं ही पहना दूँ।

मैंने आज पहल करते हुए उसके होंठों को कस के एक चुम्मी ली और उसके होंठों को जोर से काट लिया, अपनी दोनों हथेलियों से उसकी चूचियां जोर से दबा दीं।

वो दबी सी आवाज़ में बोल उठी- उईई.. इइइ.. माँ.. काट के खून निकालेगा क्या? ओह्ह.. मैं सबके सामने कैसे आ सकूंगी पागल.. यह क्या किया?

वो आईने में अपने होंठ देखने लगी। उसने मुझे जोर से धक्का देकर अपने कमरे का दरवाजा बन्द कर लिया और ड्रेस बदलने चली गई।

मैं भी अपने आपको ठीक करके बैठक में पेपर पढ़ने बैठ गया।

इतने में चाचा मेहमानों को लेकर घर आ गए, उन्होंने चाची को आवाज़ लगाई- अरे सुनती हो.. हम लोग आ गए हैं।

चाचा के साथ तीन मेहमान थे, श्याम लाल जी 62 साल के, आशा देवी मतलब उनकी पत्नी 60 की, अशोक यानि लड़का जो कि करीब 38 साल का थोड़ा दुबला सा, नंबर वाला चश्मा पहने हुए, उसके गाल अन्दर धंस गए थे।

वे सभी दिखने में बड़े श्रीमंत दिखते थे।

चाचा ने उनसे मेरा परिचय अपने बेटे की तरह करवाया।
मैंने ‘नमस्ते’ करते हुए कहा- चाचा, मैं चाची की मदद करने के लिए रसोई में जा रहा हूँ.. आपको कुछ काम तो नहीं?
चाचा ने कहा- नहीं बेटा.. जा तू.. आज बिटिया भी नहीं है.. अच्छा है कि तू है।

मैं रसोई में गया तो माया मस्त तैयार होकर बन-ठन कर पानी की ट्रे तैयार कर रही थी।
बाप रे… आज मुझे उसका असली रूप देखने को मिला।

मैं तो उसे देखता ही रह गया।
चाची मेहमानों के पास गई थीं.. तो रसोई में हम दो ही थे।

माया- ऐसे क्या देखता है? क्या मुझे कभी देखा नहीं? पागल.. जरा देख तो मेरे होंठ पर काटने का निशान तो नहीं है।
 
मैं उसके नजदीक गया.. तो वो दूर जाने लगी और बोली- देख अभी कोई शरारत न करना, तुझे तो मैं शाम को देखती हूँ.. आज तो तू पक्का गया.. देखती हूँ आज तुझे कौन बचाता है?

मैं- अरे यार तुम क्या लग रही हो.. यह रूप तुमने अब तक कहाँ छुपाया था? आज तुम क़यामत सी लग रही तो मुझसे भी रहा नहीं गया और तुझे चबाने को दिल हो गया। सॉरी.. वैसे तुम क्लास लग रही हो यार.. बहुत हॉट लग रही हो।

वो मुस्कुरा कर ‘थैंक्स’ बोली।

मैं- बोलो तो आज इस लड़के को भगाकर तुमसे शादी कर लूँ?
मैंने उसकी गांड पर जोर से फटका मारा।

माया- आई… आउच.. पा..गल ये ठोंकने की आवाज़ बाहर कोई सुन लेगा।

वो ‘सी.. सी..’ करते हुए अपने कूल्हों को हाथ से सहलाते हुए बोली- ले ये पानी की ट्रे ले जा और सबको पानी पिला और भाभी को अन्दर भेज दे।

मैं ट्रे लेकर बैठक में गया और सबको पानी पिलाया। वो लोग अपनी बातों में मस्त थे.. मैंने चाची को इशारा करके रसोई में आने को कहा।

चाची- अरे क्या विकी… क्यों बुलाया? थोड़ी बात तो करने देता… बोल क्या है?
माया- भाभी लड़का कैसा है?
बीच में मैं टपक पड़ा और बोला- बिल्कुल तेरी पसंद का है.. भगवान ने तेरे लिए चुन के भेजा है।

वो गुस्सा करते हुए मेरी तरफ देख कर बोली- भाभी इसको बाहर भेजो.. वरना मैं इसका गला घोंट दूंगी।

चाची- अरे तू उसे क्यों छेड़ रहा है.. इसका मेकअप ख़राब हो जाएगा। तू थोड़ी देर शांत नहीं रहेगा?
मैं- ना चाची.. इस लड़के के साथ ही बुआ की शादी कर दो और दहेज़ में मुझे इसके साथ भेज दो।

चाची हँसते हुए- पागल.. अभी तू शांत रह.. वरना ये मेहमान जाने के बाद तेरा कचूमर निकाल देगी। फिर मुझसे कोई हेल्प न मांगना।

माया ने जुबान निकाल कर मुझसे कहा- उल्लू… बन्दर… तू रुक तेरे लिए एक पागल लड़की ढूंढकर तुझे एक कमरे में उसके साथ बन्द करती हूँ।

चाची ने चाय-नाश्ते की ट्रे तैयार की और हम दोनों को सूचना दी- अब यह तीनों ट्रे लेकर तुम दोनों एक अच्छे बच्चों की तरह वहाँ आना और कोई शरारत मत करना.. वरना अपने चाचा से भी पिटोगे।

मैंने नाश्ते की दोनों ट्रे लीं और माया ने चाय की एक ट्रे ले ली।

हम दोनों बैठक में गए।
यह सब प्रोग्राम देर तक तक चला और मेहमानों के चले जाने के बाद क्या होता है वो आप अगले भाग में जानेंगे।
 
Maya Ki Choot Ne Lagaya Chodne Ka Chaska- Part 4

अब तक आपने पढ़ा..
माया को देखने वाले चले गए थे।
अब आगे..

माया अपनी भाभी के गले से लगकर रोते हुए बोली- भाभी ये लड़का मुझे अच्छा नहीं लगा.. पर उन्होंने मुझे शायद पसंद कर लिया है। मुझे ऐसे लड़के से शादी नहीं करनी।

चाची ने उसके बालों को सहलाते हुए कहा- ना बन्नो.. ऐसा नहीं कहते पगली.. तेरी खामियों को जानते हुए.. उसे नज़र अंदाज़ करके उसने तुझे पसंद किया है। ऐसे लोग कहाँ मिलेंगे?

मैं भी उदास सा हो गया था।
हम लोगों ने चुपचाप दोपहर का खाना खाया और मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया। आज इतवार होने से मैं सुस्ता रहा था.. तो दोपहर में सो गया।

शाम होने को होगी और मुझे नींद में कुछ छूने का एहसास हुआ।
मैंने आंख खोली.. तो माया मेरे सर के पास बैठे हुए मेरे सर को चूम रही थी।

मैंने जागते हुए उदासी से बोला- ओह तुम हो? यार तुम तो पराई हो गई।

उसने अपनी गोद में मेरा सर लेकर मेरे होंठों पर अपना हाथ रखते हुए कहा- नहीं विकी.. हम कभी पराए नहीं होंगे… तू मेरा पहला और आखिरी प्यार है। अब माया किसी को प्यार नहीं करेगी।
मैं- अरे यार तुम्हें डर नहीं लगता.. अगर चाची आ गईं तो?

माया- नहीं आएंगी वो दोनों और दीपू ताऊजी के घर गए हैं और कल सुबह आएंगे और सीमा और सपना कल शाम को आएंगे। भाभी ने मुझे तेरा खाना बनाने और ख्याल रखने कहा है और वे सब अभी-अभी गए हैं, अब हम दोनों घर में अकेले हैं। चल तू हाथ-मुँह धो कर नीचे आ जा!

माया नीचे गई और मैं ब्रश करने चला गया।
कुछ पल बाद मैं नीचे गया तो घर का मेन गेट बन्द था और घर में शांति थी।

माया ने मुझे आवाज़ दी- मुन्ना यहाँ आ..

वो अपने कमरे में थी.. मैं उसके कमरे में गया.. तो मैं अचम्भे में पड़ गया। कमरा एकदम सजाया हुआ था और मैं सुबह जो फूल लाया था वो बिस्तर पर बिछाए हुए थे। कमरा मानो सुहागरात का कमरा हो.. वैसे ही खुशबूदार था।

मैंने माया को देखा तो मेरे लंड में करंट दौड़ गया। क्या क़यामत लग रही थी वो.. इतनी तैयार तो वो आज सुबह उस वक्त भी नहीं थी.. जब उसे लड़का देखने आया था।
उसने गुलाबी रंग का एकदम लो कट गले का कुरता और सलवार पहना था।
वो इतना चुस्त था कि उसकी गोरी मुलायम चूचियां मानो कुर्ती के कसाव की वजह से ऊपर उभरी हुई थीं।

कुरते में ऐसे-ऐसे दबी हुई थीं.. मानो अभी कुरते को फाड़ कर बाहर आ जाएंगी। उसके मखमली गुलाबी होंठ आज कुछ ज्यादा ही रसीले लग रहे थे।

मेरे साथ यह सब पहली बार हो रहा था। मुझे एक अजीब सा.. पर जिन्दगी का पहला नशीला एहसास हो रहा था।
उसने पलंग पर रेशमी मखमली महरून चादर बिछाई हुई थी, पास में पड़े टेबल पर केशर वाले दूध का गिलास था।

माया की आँखों एक जबरदस्त नशा था, उसके चेहरे पर एक अजीब सी ख़ुशी झलक रही थी।

मैंने उसकी आँखों में देखा तो वो मानो जिन्दगी भर से तरसी हुई एक चुदासी सी दिखी.. उसमें एक वासना के अंगारे भड़के हुए दिखाई दे रहे थे।

मुझे लगा कि आज यह मुझे कच्चा चबा जाएगी।

इस समय इतना एकांत होने के कारण मेरा दिल थोड़ा फड़क गया।
 
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