हाय दोस्तो, कैसे हो!
मेरा नाम धरमू है।
मैं आपको एक सच्ची घटना को हिंदी सेक्स कहानी के रूप में बताने जा रहा हूँ।
यह बात उस समय की है जब मैं छोटा था.. मेरे पापा उदयपुर राजस्थान में सरकारी नौकरी करते थे। मम्मी-पापा के साथ मैं भी उदयपुर में ही रहता था। घर में मम्मी-पापा चाचा, दादा और दादी थे।
एक बार मेरी दिसम्बर माह की 15 दिन की छुट्टियाँ थीं.. तो मम्मी ने पापा से गाँव जाने को कहा.. तो पापा बोले- मैं तो किसी कारण जा नहीं पाऊँगा, तुम और धर्म चले जाना।
पापा ने हमारा चेतक एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवा दिया।
हम निश्चित दिन गाड़ी में सफर करने लगे।
पापा ने चाचा को गांव में पहले ही सूचित कर दिया था कि हम लोग गांव आ रहे हैं।
रात को करीब 10 बजे हम अपने स्टेशन पर उतरे, तो देखा कि बाहर काफी ठण्ड है।
हम चाचा का इन्तजार कर ही रहे थे, तभी मैंने देखा कि एक काला सा आदमी आकर मम्मी के पास आकर बोला- भाभी आज तो गाड़ी काफी लेट हो गई।
क्योंकि चाचा को इससे पहले मैंने नहीं देखा था.. इसलिए मैं उन्हें पहचान न सका।
जब मैं साल भर की ही था.. तब चाचा दुबई में काम करने चले गए थे।
पापा के एक दोस्त थे, जिनके कोई मिलने वाले वहाँ पर कंस्ट्रक्शन का काम करते थे।
वो चाचा को पहले तो तीन साल के लिए ले गए थे.. फिर उन्होंने 10-11 साल चाचा को वहीं पर रखा। चाचा काफी गंदे लग रहे थे.. लेकिन मम्मी ने कहा- बेटा चाचा के पैर छुओ।
तो मैंने बेमन से पैर छुए।
तभी चाचा ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बोले- अरे मेरा राजा बेटा, कितना बड़ा हो गया है।
मैंने देखा कि स्टेशन पर एक मशीन में बल्ब जल रहे हैं।
मैंने मम्मी से पूछा, तो उन्होंने बताया कि बेटा यह वजन तौलने की मशीन है।
मेरे कहने पर मम्मी ने मुझे उस पर खड़ा कर दिया।
मम्मी ने उस मशीन में एक सिक्का डाला तो उसमें से एक टिकट निकला.. जिस पर मेरा वजन लिखा था। मेरा वजन इस समय 34 किलो था।
तब मम्मी ने अपना वजन किया तो उनका वजन 53 किलो एवं चाचा का 98 किलो निकला।
फिर चाचा ने हमारा सामान उठाया और बाहर खड़ी ऊँट गाड़ी में रख दिया और फिर घर के लिए रवाना कर दिया।
रास्ते में काफी अंधेरा था.. मुझे तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और सर्दी भी काफी तेज थी।
ऊँट गाड़ी हिचकोले खाकर चल रही थी, मैं भी पहली बार इसमें बैठा था.. तो बड़ा मजा आ रहा था।
उधर मम्मी और चाचा घर परिवार की बातें कर रहे थे इसलिए मैंने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
तभी मम्मी बोलीं- चलो बेटा अब मेरे पास कम्बल में आ जाओ..
तो मैं मम्मी के कम्बल में घुस गया।
मम्मी ने मुझे अपनी गोद में लिटा लिया.. तो मुझे थोड़ी नींद सी आने लगी।
तभी मुझे लगा कि चाचा का एक हाथ मम्मी की जांघों पर सरक रहा था।
ऐसा महसूस करके मेरी नींद भाग गई और मैं यह सोचने लगा कि चाचा ऐसा क्यों कर रहे हैं।
धीरे-धीरे चाचा की हरकतें तो बढ़ती ही जा रही थीं।
तभी मम्मी बोलीं- अरे देवर जी रूक जाओ ना.. देखो धर्म मेरी गोद में है।
तो चाचा बोले- लाओ भाभी मुझे दे दो.. मैं इसे सुला लेता हूँ।
मेरा नाम धरमू है।
मैं आपको एक सच्ची घटना को हिंदी सेक्स कहानी के रूप में बताने जा रहा हूँ।
यह बात उस समय की है जब मैं छोटा था.. मेरे पापा उदयपुर राजस्थान में सरकारी नौकरी करते थे। मम्मी-पापा के साथ मैं भी उदयपुर में ही रहता था। घर में मम्मी-पापा चाचा, दादा और दादी थे।
एक बार मेरी दिसम्बर माह की 15 दिन की छुट्टियाँ थीं.. तो मम्मी ने पापा से गाँव जाने को कहा.. तो पापा बोले- मैं तो किसी कारण जा नहीं पाऊँगा, तुम और धर्म चले जाना।
पापा ने हमारा चेतक एक्सप्रेस में रिजर्वेशन करवा दिया।
हम निश्चित दिन गाड़ी में सफर करने लगे।
पापा ने चाचा को गांव में पहले ही सूचित कर दिया था कि हम लोग गांव आ रहे हैं।
रात को करीब 10 बजे हम अपने स्टेशन पर उतरे, तो देखा कि बाहर काफी ठण्ड है।
हम चाचा का इन्तजार कर ही रहे थे, तभी मैंने देखा कि एक काला सा आदमी आकर मम्मी के पास आकर बोला- भाभी आज तो गाड़ी काफी लेट हो गई।
क्योंकि चाचा को इससे पहले मैंने नहीं देखा था.. इसलिए मैं उन्हें पहचान न सका।
जब मैं साल भर की ही था.. तब चाचा दुबई में काम करने चले गए थे।
पापा के एक दोस्त थे, जिनके कोई मिलने वाले वहाँ पर कंस्ट्रक्शन का काम करते थे।
वो चाचा को पहले तो तीन साल के लिए ले गए थे.. फिर उन्होंने 10-11 साल चाचा को वहीं पर रखा। चाचा काफी गंदे लग रहे थे.. लेकिन मम्मी ने कहा- बेटा चाचा के पैर छुओ।
तो मैंने बेमन से पैर छुए।
तभी चाचा ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बोले- अरे मेरा राजा बेटा, कितना बड़ा हो गया है।
मैंने देखा कि स्टेशन पर एक मशीन में बल्ब जल रहे हैं।
मैंने मम्मी से पूछा, तो उन्होंने बताया कि बेटा यह वजन तौलने की मशीन है।
मेरे कहने पर मम्मी ने मुझे उस पर खड़ा कर दिया।
मम्मी ने उस मशीन में एक सिक्का डाला तो उसमें से एक टिकट निकला.. जिस पर मेरा वजन लिखा था। मेरा वजन इस समय 34 किलो था।
तब मम्मी ने अपना वजन किया तो उनका वजन 53 किलो एवं चाचा का 98 किलो निकला।
फिर चाचा ने हमारा सामान उठाया और बाहर खड़ी ऊँट गाड़ी में रख दिया और फिर घर के लिए रवाना कर दिया।
रास्ते में काफी अंधेरा था.. मुझे तो कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था और सर्दी भी काफी तेज थी।
ऊँट गाड़ी हिचकोले खाकर चल रही थी, मैं भी पहली बार इसमें बैठा था.. तो बड़ा मजा आ रहा था।
उधर मम्मी और चाचा घर परिवार की बातें कर रहे थे इसलिए मैंने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
तभी मम्मी बोलीं- चलो बेटा अब मेरे पास कम्बल में आ जाओ..
तो मैं मम्मी के कम्बल में घुस गया।
मम्मी ने मुझे अपनी गोद में लिटा लिया.. तो मुझे थोड़ी नींद सी आने लगी।
तभी मुझे लगा कि चाचा का एक हाथ मम्मी की जांघों पर सरक रहा था।
ऐसा महसूस करके मेरी नींद भाग गई और मैं यह सोचने लगा कि चाचा ऐसा क्यों कर रहे हैं।
धीरे-धीरे चाचा की हरकतें तो बढ़ती ही जा रही थीं।
तभी मम्मी बोलीं- अरे देवर जी रूक जाओ ना.. देखो धर्म मेरी गोद में है।
तो चाचा बोले- लाओ भाभी मुझे दे दो.. मैं इसे सुला लेता हूँ।