Non Veg Story बहन के साथ यादगार यात्रा

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भाग 1

मेरा नाम सागर है, उम्र 19 साल | मैं और मेरा परिवार मुंबई में रहते हैं । पिताजी मुंबई में एक छोटा सा व्यवसाय करते हैं | माँ घर पर रहती हैं । मेरी एक बड़ी बहन है । उसका नाम संगीता है, उम्र 25 साल । मेरी बहन की शादी दो साल पहले हुई थी और अब वह अपने पति के साथ दिल्ली में रहती है । संगीता दी और मैं अपने माता-पिता के आँखों के तारे हैं । वे दोनों हमें खुद से ज्यादा प्यार करते हैं । जब दो साल पहले संगीता की शादी हुई और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए बैंगलोर चला गया तो मेरे माता-पिता बहुत अकेला महसूस करने लगे । माँ हमेशा रोती रहती थी | मुझे बहुत भावुक पत्र लिखती कि वह मेरे और संगीता के बिना कैसे ज़िन्दगी गुज़ार रही है और मेरे घर वापिस आने का इंतजार कर रही है | पिताजी भी दुखी थे लेकिन उन्होंने कभी इसे व्यक्त नहीं किया ।

जब मैं इस गर्मी की छुट्टी में घर आया तो माँ और पिताजी बहुत खुश थे । एक हफ्ते तक मस्ती और उत्साह के बाद हम सभी को संगीता की कमी खलने लगी । मेरी प्यारी, सुंदर और सेक्सी, संगीता दी ! मैंने पिछले दो सालों में संगीता दी को नहीं देखा था । लेकिन उसकी तस्वीरों को देख कर ये तो कह सकता था की संगीता दी पहले से अधिक सुंदर और सेक्सी हो गयी है । शादी से पहले भी संगीता दी काफी सूंदर लगती थी, मासूम ज़्यादा और सेक्सी कम | संगीता दी कि हाइट 5 फीट 6 इंच है, लंबे काले बाल, नशीली आँखें और गोरा-गोरा रंग, पतला शरीर, वजन में केवल 54 किलो। दुबले-पतले शरीर के बावजूद बड़े-बड़े चूतड़ और गोल-गोल भारी चूचे । भले ही मैंने संगीता दी को कभी पूरी तरह से नंगा नहीं देखा था, पर मुझे इस बात का अंदाजा था कि वो ड्रेस के अंदर कितनी आकर्षक और सेक्सी होगी ।

उसकी तस्वीरों को देखते हुए, अचानक से मेरा ध्यान उसकी छाती पर गया, उसकी बहुत ही बड़ी और भारी लग रही थीं । फोटो में संगीता के सुंदर चेहरे और सेक्सी शरीर को देखते-२ मेरा लौड़ा बुरी तरह से टन्ना गया | मैं वासना में इस बुरी तरह से चूर हो गया कि मुझे जल्दी से जाकर मुठ मारनी पड़ी | संगीता के नाम कि ये पहली मुठ नहीं थी, जब से मुझे सेक्स के बारे में पता चला था और ये भी समझ आया था कि संगीता दी कितनी सेक्सी माल हैं, तभी से मैंने उसके नाम पर मुठ मारना चालू कर दिया था | पूरी रात मैं ये सोचता रहा कि कैसे मैं होंठ चूमना चाहता हूँ, कैसे मैं उसकी छातियों का दबाऊंगा, कैसे उसके निपल्स को होंठों में लेके चबाऊँगा और कैसे उसकी रसीली चूत में ताबड़ तोड़ धक्के लगाऊंगा | उस रात, अपनी बड़ी बहन की याद में, मैंने दो से तीन बार मुठ मारी और हर बार इतना वीर्य निकला, इतना शक्तिशाली स्खलन हुआ जो जीवन में कभी नहीं हुआ | फोटो को देख के संगीता दी को देखने कि इतनी प्रबल इच्छा हुई कि मैंने अगले दिन ही दिल्ली जाने का फैसला कर लिया ।
 
भाग 2

अगले दिन जब मैंने माँ को दिल्ली जाने का प्लान बताया तो माँ बहुत खुश हुई | हमने प्लान किया कि एक महीने भर के लिए संगीता दी को रहने साथ के लिए ले आऊंगा । माँ ने तुरंत संगीता को फोन किया और उसे बताया कि मैं उसे लेने आ रहा हूं। यह सुनकर कि वह भी बहुत खुश हुई । मैं अपनी सेक्सी बहन को देखने के लिए इतना अधीर था कि मैंने अगले दिन दिल्ली के लिए उड़ान भरी और कुछ घंटों में उसके दरवाजे पर खड़े लंड के साथ दस्तक दी। मैं अपनी खूबसूरत और सेक्सी बहन को देखने के लिए पहले से ही बहुत उत्साहित था, और जब मैंने वास्तव में उसे देखा, तो मेरा लंड और टाइट हो गया था। उसके साथ रहने के दौरान, मेरा लंड इतना कड़ा हो गया कि बार-२ उससे नज़र बचा के मुझे लंड एडजस्ट करना पड़ रहा था |

मुझे लगा था कि मैं संगीताई को साथ के साथ ले आऊंगा और तुरंत मुंबई के लिए उड़ान भरूंगा, लेकिन मेरे प्लान कि सारी हवा तब निकल गयी जब मुझे पता चला कि संगीता के ससुराल वाले थोड़े पुराने जमाने के हैं | संगीता दी मेरे साथ तब तक नहीं आ सकती थी जब तक कि परिवार के मुखिया और उसकी सास से अनुमति ना मिल जाए । उसकी सास कहीं बाहर गई हुई थी और हमारे पास उनके लौटने का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था ।

मैंने महसूस किया कि संगीता दी थोड़ी परेशान सी और दुखी थी । वह बहुत-२ सुस्त और किसी दबाव में लग रही थी | उसने एक भारी साड़ी पहनी हुई थी और सिर को अच्छे से ढक रखा था । सेक्सी शरीर तो छोड़ो, उसका चेहरा भी ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था । दीदी को मॉडर्न कपडे पहनने कि आदत थी पर उसकी सास ने उसे कभी भी साड़ी के अलावा कुछ भी पहनने नहीं दिया । ज्यादातर संगीता दी को अपनी सास के साथ घर पर और अपने कमरे में ही समय बिताना पड़ता था ।

इसलिए जब मेरे साथ जाने का प्लान बना तो संगीता दी बहुत खुश थी | उसे तो जैसे जेल से रिहाई मिल रही थी | लेकिन उसकी सास की अनुमति के बिना जाना संभव नहीं था | इंतज़ार करती-२ संगीता दी इतनी परेशान हो गयी कि रोना शुरू कर दिया | उसकी हालत देखकर मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा था और उसकी सास पर भी बहुत गुस्सा आ रहा था । मैं जल्द से जल्द संगीता दी को वहां से आज़ादी दिलवाना चाह रहा था ।

रात को जब उसके सास-ससुर वापिस आए तो मुझे उनसे बात करने का मौका मिला | मैंने उन्हें बताया कि कैसे संगीता दी के जाने से घर सूना-२ हो गया है, घर कि तो जैसे जान ही चली गयी है, हमारा परिवार को पिछले दो सालों से संगीता को मिस कर रहा है | मैंने झूठे मन से उसके सास-ससुर कि भी तारीफ की और उनसे एक महीने के लिए संगीता को ले जाने अनुमति मांगी। मेरी बातों ने उन्हें प्रभावित किया और उन्होंने हमें अनुमति दे दी, लेकिन केवल पंद्रह और बीस दिनों के लिए | हमारे पास उनकी बात मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था । मेरा वापसी का हवाई जहाज का टिकट बर्बाद हो गया था इसलिए हमने अगले सुबह का ट्रेन का टिकट बुक करवाया ।
 
भाग 3

अगली सुबह हम निकल पड़े | हम उनके घर के ड्राइवर के साथ कार में ट्रेन स्टेशन पहुँच गए । ट्रेन पहले से प्लेटफार्म पर खड़ी थी । हमने प्रथम श्रेणी के डिब्बे में आरक्षण करवा रखा था और हम उस पर चढ़ गए। हमारा कंपार्टमेंट के अगले दरवाजे पे ही शौचालय था। चूंकि हमारा अंतिम डिब्बे था इसलिए काफी छोटा था | नीचे एक तरफ एक लंबी सीट और ऊपर एक लंबी बर्थ थी । एक तरफ एक छोटी सी खिड़की थी और उसके विपरीत तरफ एक डिब्बे का दरवाजा था । चूंकि डिब्बे का फर्श बहुत गंदा था, इसलिए ड्राइवर ने हमारे सामान को ऊपरी बर्थ पर रखा, जिससे बर्थ भर गया। तो नीचे की एकमात्र सीट मेरे और संगीताई के लिए रह गयी थी | ट्रेन ने सीटी दी और ड्राइवर नीचे उतर गया | जब ट्रेन चल पड़ी और ड्राइवर आँखों से औझल हो गया तब संगीता दी के चहेरे पे पहली बार मुस्कराहट दिखी |

संगीता दी अंगड़ाई लेते हुए अपने दोनों हाथों को फैलाया और मुस्कुराते हुई बोली "भाई ! क्या मैं इन कपड़ों को बदल दूं "

"ठीक है, संगीता दी ! तुम कपड़े बदल लो, मैं टॉयलेट हो कर आता हूँ | दरवाजा अंदर से बंद कर लो और मैं बाहर खड़ा रहूँगा । जब तुम्हारा काम हो जाए तो तुम दरवाजा खोल देना," मैंने उससे कहा।

"ओ.के. मेरे प्यारे भाई!" उसने मस्ती भरे लहज़े से कहा ।

संगीता की तो बोली ही बदल गयी थी | जब तक वह घर से निकल कर ट्रेन में नहीं चढ़ी थी, तब तक संगीता बहुत चुप-२ और शांत थी । वह बात नहीं कर रही थी या चेहरे पर कोई हावभाव नहीं दिखा रही थी । और अब, किसी चंचल हसीना कि तरह सब बंधन से मुक्त हो गई थी । मैं टॉयलेट से आया और डिब्बे के दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया । थोड़ी देर बाद संगीता ने दरवाजा खोला । मैंने अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया। जैसे ही मैंने मुड़कर संगीता दी को देखा तो मैं चकित रह गया ।
 
भाग 4

संगीता दी ने साड़ी बदल कर एक टाइट फिटिंग वाली सलवार कमीज पहन ली थी । यह सलवार कमीज शिफॉन की क्रीम रंग की थी और पारदर्शी भी थी | ऐसे लग रहा था मानो उसने साड़ी के साथ लाज और शर्म भी उतार दी हो | अब संगीता दी कोई भयंकर पटाखा लग रही थी | उसने अपने लंबे काले बाल खुले छोड़ दिए थे। मेकअप भी कर लिया था | होंठों पे गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रही थी । उसके लाल होंठ रस से भरी चेरी की तरह लग रहे थे । मैं उसके सामने हैरान खड़ा संगीता दीदी को लिपस्टिक लगाते देख रहा था ।

संगीता दी अब पहले की तरह पतली नहीं रही थी | उसके अंगों पर थोड़ी चर्बी चढ़ गयी थी, लेकिन सही जगह पर | सबसे ज़्यादा उसकी छाती पर। उसकी छाती अब बड़ी और भारी लग रही थी । उसके बोबे जो पहले सेब की तरह लगते थे अब बड़े होकर नारियल के आकार के हो गए थे | पारदर्शी ड्रेस से, उसकी ब्रा साफ़ दिखाई दे रही थी । ब्रा बहुत अच्छे इलास्टिक की बनी होगी, कोई लोकल ब्रा होती तो फट ही जाती | इतने बड़े-२ बोबों को संभालना कोई आसान काम थोड़ा न है | उसकी कमीज पूरी तरफ से स्ट्रेच हो रखी थी, एक-२ टांका खींचा हुआ था, जैसे अब फटा की तब | और तो और उसकी कमीज का गला इतना गहरा था की आधे से ज्यादा चूचे बाहर आने को थे, क्या मस्त क्लीवेज दिखाई दे रहा था |

मैं बेमन से अपनी नज़रें बोबों से हटा के निचे की तरफ देखने लगा | पारदर्शी शर्ट से उसका सपाट सफेद गोरा पेट और गहरी नाभि साफ़-२ दिखाई दे रही थे | नीचे उसने क्रीम कलर की ही सलवार पहनी हुई थी । और उसने जो ऊँची हील की सैंडल पहनी हुई थी, सेंडल पहन के तो वो मुझ से भी लम्बी लग रही थी | मुझे याद नहीं कि मैं अपनी बहन को कितनी देर तक कामुक नजर से घूरता रहा | हो सकता है की कुछ सेकंड ही देखा हो पर मेरे लिए तो जैसे समय रुक गया था | मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था। मेरा लंड इतना टाइट था कि जैसे अंडरवियर फाड़ से बाहर आ जायेगा | मेरी पैंट से लंड का बड़ा सा उभार दिखाई दे रहा था | मेरा लण्ड अब मेरे नियंत्रण में नहीं था । मैं कर भी क्या सकता था ? अपनी बहन की बेकाबू जवानी, जिसको मैं सपने में देखता था, उसका सेक्सी स्लिम शरीर, बड़े चूचे, विशाल चुस्त गांड , सामने पाकर मेरा लंड मेरे काबू में नहीं रहा था | मैं जल्दी से सीट पर बैठ गया ताकि मेरे लंड का उभार संगीता दीदी को दिखाई न दे जाये, लेकिन उसके चेहरे से पता लग रहा था की उसने देख लिया था |
 
भाग 5

वह मुस्कुराई और थोड़ा सा खांसी | उसकी आवाज़ सुन के मैं तन्द्रा से बहार आया |

वो बोली, "क्या हुआ, सागर? तुम ऐसे देख रहे हो जैसे तुमने कभी लड़की नहीं देखी ।"

"हह मममम! नहीं ....... ! मेरा मतलब है, देखी तो बहुत है, लेकिन इतनी सुंदर लड़की कभी नहीं देखी | मुझे नहीं पता था की आप अब इतनी सुंदर लगने लगी हो |" ना जाने कैसे मैंने अचानक से बोल दिया |

संगीता दीदी बोली "ओहो, अच्छा जी, इतना मस्का लगाने की ज़रुरत नहीं है | मैंने ये ड्रेस तेरे को सुंदर दिखने के लिए नहीं पहनी है | वो यो मुझे ऐसे कपडे पहनने का मौका नहीं मिलता | तेरे जीजा ने पिछले साल मुझे ये ड्रेस दिलवाई थी, तभी से पहनना चाह रही थी, लेकिन सास के सामने कभी हिम्मत ही नहीं हुई | भाई, अब तो ये ड्रेस थोड़ी टाइट हो गयी है, क्या करूँ, मोटी भी तो हो गयी पहले से | देख ना कितनी तंग हो गयी है |"

"हम्म्म्म" मेरे मुंह से इतना ही निकला |

वो बोली, "चल ये सब छोड़, मैं बहुत खुश हूं कि मैं अपने छोटे भाई के साथ घर जा रही हूँ, मेरा प्यारा-२ भाई |"

इतना कहते हुए उसने मेरे गालों पे चिकोटी काट ली | जब मैं बच्चा था तब से संगीत हमेशा ऐसे ही मेरे गालों को चिकोटती थी और मुझे यह कभी पसंद नहीं था । वो ऐसे कर रही थी जैसे मैं दो साल का बच्चा हूँ |

मैंने थोड़ा नाराज होते हुए कहा, "क्या दीदी, आपको पता नहीं है की मैं अब छोटा नहीं रहा, ऐसे मेरे गाल मत खिंचा करो |"

"नहीं! मेरे प्यारे-२ भाई! मेरे लिए तुम अभी भी मेरे छोटे भाई हो और सदा रहोगे| मेरा वही छोटा भाई जो अपनी बड़ी बहन से बहुत प्यार करता था और झप्पी देता रहता था |"

"झप्पी" मेरे दिमाग में गुंजा | मैं सोचने लगा की अगर संगीता दीदी ने मुझे अभी टाइट हग दिया तो क्या होगा । उसके उभरे हुए बड़े-२ बोबे और मेरा अंडरवियर से बाहर आने को बेताब लंड, झुरझुरी सी मच गयी शरीर में, दिल कर रहा था की अभी बता दूँ की जवान भाई की झप्पी कैसी होती है |

उस दिन बहुत गर्मी थी | बाहर का तापमान लगभग 45 डिग्री होगा | हवा तो चल रही थी, लेकिन वो भी गरमा-गरम | मुझे बहुत पसीना आ रहा था । शायद AC भी काम नहीं कर रहा था और उसके ऊपर से संगीता दीदी की उफनती जवानी | अब और बर्दास्त करना मुश्किल हो रहा था, मैं बचने के लिए जल्दी से उठा और उससे कहा कि मैं AC के बारे में पता करके आता हूँ, बहुत गर्मी हो रही है |

बाहर जाके अटेंडेंट से पता चला की AC का यूनिट ख़राब हो गया है, पूरा सफर गर्मी में ही करना पड़ेगा |
फिर मैं पैंट्री कार में गया और हमारे लिए कोल्ड ड्रिंक्स ले के तकरीबन दस मिनट के बाद वापस आया ।
 
भाग 6

संगीता दीदी खिड़की के पास बैठी फिल्मफेयर मैगजीन पढ़ रही थीं। मैंने उसे पेप्सी दी और सामने की सीट पर बैठ गया ताकि चुपचाप संगीता दीदी को ताड़ सकूँ । संगीता दीदी को भी बहुत पसीना आ रहा था। उसकी पारदर्शी कमीज उसके शरीर से चिपक गयी थी | ब्रा ना होती तो बिलकुल "राम तेरी गंगा मैली" की मंदाकनी बन जाती | उसका ये रूप देख कर मेरा लंड फिर से सख्त होने लगा | गरम लंड के सामने कोल्ड ड्रिंक भी फ़ैल हो गयी, लंड ठंडा होने का नाम ही नहीं ले रहा था | उसके शरीर से ध्यान हटाने के लिए मैंने दीदी से बातचीत शुरू कर दी। मम्मी, पापा, स्टडीज, जीजा आदि बातों के बाद आखिरकार हम मूवीज पे पहुँच गए ।

उसने मुझसे पूछा, "भाई, तुम मूवीज देखते हो या नहीं?"

"हाँ, देखता तो हूँ, लेकिन ज़्यादा नहीं, कुछ खास-२ | मेरा मतलब है, जिस मूवी के reviews अच्छे हों ?"

"सही है भाई, अच्छा ये बताओ की तुम्हे सबसे ज्यादा हीरोइन कोनसी पसंद है?" उसने शैतानी भरे लहजे में पूछा ।

"हर हीरोइन अच्छी ही है | लेकिन मुझे ऐश्वर्या बहुत पसंद है। और माधुरी भी और आइशा भी।"

"अच्छा जी, तो भाई को ऐश्वर्या पसंद है, क्यों? ... क्या वो सेक्सी है ?" संगीता दीदी ने मुस्कुराते हुए पूछा ।

मुझे थोड़ा शर्म महसूस हुई लेकिन फिर भी मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, "सेक्सी ! हाँ, ऐश्वर्या है सेक्सी और सुंदर भी | माधुरी तो बहुत सुन्दर है लेकिन आइशा ... बिल्कुल पटाखा ! सौ प्रतिशत सेक्सी !"

ये कहते ही मैंने गौर किया की शादी होने के बाद दीदी बहुत कुछ आयशा टाकिया जैसी लगने लगी हैं | दोनों के बीच बहुत कुछ एक जैसा है। केवल संगीता दीदी थोड़ी लम्बी हैं, और बोबे थोड़े मोटे हैं, नहीं तो बिलकुल सेम तो सेम आयशा टाकिया | चेहरा तो दोनों का एक जैसा ही है | मेरे बात सुन के संगीता दीदी ने खुश होते हुए कहा, "भाई, तुझे पता है बहुत लोग कहते हैं की मैं आयशा जैसी लगती हूँ | शायद मैं उसकी तरह सुंदर नहीं हूँ, लेकिन कुछ न कुछ समानता हो सकती है |"

"दीदी, तुम अब ज़्यादा बनो मत | हाँ माना की तुम्हारा चेहरा थोड़ा आयशा से मिलता हैं, लेकिन तुम उससे कहीं ज़्यादा खूबसूरत हो। अगर तुम मूवीज में काम करना शुरू करोगी तो आयशा जैसी सब हेरोइनो की छुट्टी हो जाएगी | तुम आज के ज़माने की सबसे सुन्दर हीरोइन बन जाओगी |"

"अरे-२ रुको भाई, इतना भी चने के झाड़ पे मत चढ़ाओ", संगीता दीदी ने हँसते हुए कहा, "बस मुझे तुम एक बात बताओ, अभी-२ तुमने कहा की आयशा बहुत ही पटाखा और सेक्सी लगती है, और मैं उससे और भी बेहतर हूँ | इस हिसाब से, क्या ....... तुम्हे अपनी बहन भी पटाखा और सेक्सी लगती है ?"
 
भाग 7

संगीत के उस सवाल से मैं दंग रह गया। मुझे समझ नहीं आया कि उसे क्या जवाब देना है। अंत में मेरे दिल के सच्चे विचार ही मेरे मुंह से निकले,

"दीदी अगर मैं सच कहूँ, तो आपसे खूबसूरत लड़की मैंने कोई भी नहीं देखी | ये आयशा, माधुरी तो आपके सामने कुछ भी नहीं है | अगर तुम्हें पता होता कि तुम कितनी मस्त और सेक्सी लग रही हो, तो शायद तुम्हें किसी भी लड़के के साथ अकेले यात्रा करने में डर लगता ... भले ही वह लड़का आपका भाई ही क्यों ना हो ... "

इस बात पर संगीता दीदी जोर से हंसने लगी और मेरे गालों को खींचते हुए बोली, "ओह! क्या सच में भाई! लेकिन भाई, मैं तुम्हारे साथ अकेले यात्रा करने से नहीं डरती, क्योंकि .... तुम मेरे भाई हो .... प्यारे-2 छोटे-2 अच्छे भाई, इतने भी बड़े नहीं हुए हो अभी की तुम्हारे साथ डर लगे!"

कहकर वह मुस्कुराती रही। मुझे भी उसकी हंसी देख हंसी आ गई। फिर हम कुछ देर तक चुपचाप बैठे रहे।

"ओह्ह्ह्हह्हह ... कितनी गर्मी है यार | मुझे तो आलस आ रहा है | भाई, क्या मैंने थोड़ी देर के लिए नींद ले लूँ? " थोड़ी देर बाद संगीताई ने कहा।

"सो तो जाओ पर कहाँ? यहाँ तो केवल एक ही सीट रह गयी है।"

"अरे तो क्या हुआ? तुम थोड़ा सा खिड़की की तरफ खिसको, मैंने तुम्हारी गोदी में सर रख कर सो जाउंगी ।"

वह कह कर उठ गई। मैं उठ कर खिड़की के पास बैठ गया। बिना कुछ कहे तुरंत संगीता दीदी ने अपना सिर मेरी गोद में रख दिया और वह सोने लगी |

मेरी हालत बहुत टाइट हो गयी थी। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था और अब तो संगीता दीदी का सर बिलकुल मेरे लंड के ऊपर आ गया था | उसके बदन का मेरे पैरों पे गरम-२ स्पर्श, मेरे हाथों में उसके रेशमी बाल, १० इंच से भी कम दुरी पे पारदर्शी शर्ट से झांकती उसकी लगभग नंगी छातीयां, उसके शरीर से आती परफ्यूम और पसीने की मिलीझुली मदहोश कर देने वाली गंध से मेरा लंड खुली हवा में सांस लेने की लिए तड़पने लगा | लंड की हालत ऐसी थी की अगर बाहर निकल की सिर्फ दो-तीन बार हिला भी लेता तो इतने में ही मेरा माल निकल जाता |

मेरा लंड बहुत दमदार है, तकरीबन १० इंच लम्बा और बहुत मोटा | मेरा लंड संगीता दीदी के सर को मेरी गोदी से उठाने में लगा हुआ था | अचानक से मेरे लंड में एक लहर सी आयी और लंड ने संगीता दी के सर को झटके से हल्का सा उछाल दिया | संगीता दी को कुछ पता नहीं चला, शायद नींद थोड़ी गहरी हो गयी थी | उसको पता ही नहीं चला की उसके जवान भाई का हब्शी लंड उसके सर से साथ खेल रहा है |

अब संगीता दीदी की साँसे गहरी और लयबद्ध चल रही थी, उसी लय के साथ उसके बोबे भी ऊपर-नीचे हो रहे थे | उसकी पारदर्शी शर्ट पसीने से लथपथ हो कर उसके अंगों से चिपक गयी थी | उसका शरीर पूरी तरह से दिखाई दे रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे उसने सिर्फ ब्रा पहन रखी हो । उसके बोबे इतने गोर थे के उनमें से उसकी नीली-हरी नसें भी दिखाई दे रही थी | मेरा दिल कर रहा था की अभी उसकी कमीज फाड़ कर उसके बोबों की गहरी घाटी में अपना मुंह घुसा दूँ | लेकिन मुझे हर हाल में अपने अंदर के जानवर को बाहर आने से रोकना था |

उसके पसीने की गंध अब शायद बढ़ गयी थी, अब उससे और ज्यादा पसीना आ रहा था | शायद नींद में सभी को ज़्यादा गर्मी लगती है और पसीना आता है | महिलाओं का पसीना भी किसी परफ्यूम की तरह ही होता है | जो भी हो मेरी सेक्सी दीदी के पसीने की नमकीन गंध बहुत ही मदहोश करने वाली थी | पसीने की बूंदे उसकी गर्दन, कन्धों और बोबों पे चिपकी हुई दिखाई दे रही थी | दिल कर रहा था की कुत्ते की तरह जीभ निकल के उसका सारा पसीना चाट जाऊं |
 
भाग 8

तभी अचानक से संगीता दीदी ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रख दिया और मेरी तरफ करवट ले ली | उसने मुझे वैसे ही पकड़ा हुआ था जैसे कोई छोटा बच्चा अपनी माँ से लिपटा होता है | उसके हाथ का स्पर्श बहुत गरम था | अब इस नयी पोजीशन में उसका बायां मुम्मा मेरे पेट से चिपक गया था | उसके मुम्मे का स्पर्श बहुत ही मस्त था | और तो और अब उसकी पारदर्शी कमीज से उसकी पसीने से लथपथ कांख बिलकुल साफ़ दिखाई दे रही थी |

बड़े आश्चर्य की बात थी की दीदी के कांख में गहरे काले-२ बाल थे | कांख में अगर बाल हों तो बहुत पसीना आता है, संगीता से आती हुई पसीने की गंध सबसे ज़्यादा उसकी कांख से ही आ रही थी | आज की मॉडर्न लड़कियां अपनी कांख बिलकुल सफाचट रखती हैं, लेकिन शायद वो ये नहीं जानती की कांख के बाल कितने सेक्सी दीखते हैं | बाकि सब का तो पता नहीं लेकिन मैं कांख के बालों का दीवाना हूँ | लड़कियों की काखों में बाल होना बहुत ही कामुक होता है और कामोन्माद को बढ़ाता है। लेकिन आजकल, लड़कियों को अपनी त्वचा पर बाल नहीं रखना चाहती | अपनी बहन की काखों में बाल देख के मुझे बहुत खुशी हुई, मेरा लंड और भी टाइट हो गया |

अब और बर्दाश्त कर पाना मेरे लिए नामुनकिन हो गया था, मैं थोड़ा सा झुका और अपनी नाक को, जितना हो सकता था उतना, संगीता दीदी की काखों के पास ले गया | मैं बता भी नहीं सकता, ये सब मेरे लिए कितना नशीला और कामुक था | ऐसा लग रहा था की उसका मुम्मा और मोटा होके मुझे बुला रहा था | मेरा लंड अंडरवियर फाड़ के बाहर आने को मचल उठा था, ऐसा लग रहा था कि लंड अभी फटेगा । आखिरकार में अपना हाथ धीरे से उसके मुम्मों पे रखने के लिए उठाया | जैसे ही मैंने अपना अपना हाथ उठा के उसके सीने की तरफ बढ़ाया, संगीता दीदी ने अपनी आँखें खोल दीं । मैंने तुरंत अपना हाथ अपने बालों पर ऐसे घुमाया जैसे मैंने अभी-अभी अपने बालों को हिलाने के लिए ही उठाया हो।

"कितनी देर से सो रहा हूँ? अरे यार कितनी गर्मी है ......... मैं तो पसीने से पूरी तरह नहा ली हूँ .... ये शर्ट पूरी गीली हो गयी है, मैं इसे बदल लेती हूँ | ," संगीता दीदी उठते हुए बोली |
 
भाग 9

संगीता दीदी ने मुझे ऊपर की बर्थ से बैग उतारने को कहा | मैंने बैग उतार दिया | दीदी अपने पर्स में बैग की चाबी तलाश करने लगी | उसने बहुत ढूंढी लेकिन नहीं मिली।

मैंने संगीताई से कहा, "कहीं आप चाबी घर पे तो नहीं भूल आये?"

"नहीं भाई, मैंने अभी तो कपडे चेंज किये हैं| साडी भी बैग में रखी थी। उसके बाद बैग लॉक करके शायद से चाबी पर्स में ही तो रखी थी|," उसने जवाब दिया ।

मैंने कहा, "फिर कहाँ जा सकती है? मैं ढूंढ़ता हूँ, शायद सीट के नीचे ना गिर गयी हो |"

मैं नीचे झुक गया और सीट के नीचे झाँकने लगा । जमीन पर बहुत गंदगी पड़ी थी लेकिन चाबी कहीं नहीं दिख रही थी । मैं थोड़ा और झुक के ध्यान से देखने लगा । अचानक से मुझे सीट के निचे, एक कोने में चाबी दिखाई दी | मैंने सोचा की अगर मैं दीदी को चाबी दे देता हूँ तो संगीता दीदी कपडे चेंज कर लेंगी और इतना सेक्सी शो ख़तम | ना ना ।

मैंने उठ के दीदी से कहा," दीदी, चाबी तो नहीं मिल रही | अभी कुछ काम चला लो, जब घर आने वाला होगा तब दोनों मिल के चाबी अच्छे से ढून्ढ लेंगे, अभी छोड़ो, गर्मी से वैसे भी कुछ काम करने का मन नहीं हो रहा |"

"ओके", फिर से हम दोनों वापस सीट पर बैठ गए।

"भाई, सीरियसली, बहुत गर्मी लग रही है | मैं इस गर्मी और पसीने से मरी जा रही हूँ? " संगीता दीदी बोली ।

"अब मैं क्या कहूं दीदी, मुझे थोड़ा ना पता था की AC ख़राब हो जायेगा | तुम्हारे ससुराल वालों ने प्लेन की टिकट की तो ऐसी-तैसी कर दी ।" मैंने कहा | मन ही मन सोच रहा था की अगर AC ख़राब ना होता तो अपनी जवान बहन के सेक्सी बदन का जलवा कैसे देखने को मिलता |

"ओह्ह्ह्हह ..... | मुझे पूरा सफर इस पसीने से भीगी ड्रेस में ही करना होगा | अब क्या कर सकते हैं ..... एक ये फैन, चल रहा है की हिल रहा है ..... जब ठीक से चलता ही नहीं तो लगाने की भी क्या ज़रुरत थी |", दीदी ने परेशान होते हुए कहा |

फैन की बात सुनते ही मुझे एक जोक याद आया | दीदी की थोड़ा मूड ठीक करने के लिए मैंने पुछा,"दीदी, क्या तुमने वो फैन वाला जोक सुना है ?,

"कोनसा जोक भाई, मुझे नहीं पता यार ।" दीदी ने झुंझलाते हुए कहा |

"एक बार एक बहुत ही फेमस हीरोइन थी | वह अपनी कुर्सी पर बैठी हुई अगले शूट का इंतज़ार कर रही थी | बहुत गर्मी थी | वो बहुत परेशान हो रही थी | वो बोली, कितनी गर्मी है यहाँ .... ऐसे मौसम में तो सारे कपड़े उतार के फैन के नीचे फ़ैल के सो जाना चाहिए | साथ खड़े स्पॉटबॉय ने तुरंत कहा, मैडम, मैं तो शुरू से ही आपका फैन हूँ |"

"हा हा .... very फनी, हुंह" दीदी ने बड़े बेमन से कहा |

"दीदी, उस स्पॉटबॉय की तरह मैं भी आपका फैन हूँ ..... मेरा मतलब है ..... अगर आप कहो तो मैं सीलिंग से बेताल की तरह लटक के आपको ठंडी-२ हवा दे सकता हूँ |", मैंने हँसते हुए कहा |

अब जाके दीदी थोड़ा सा मुस्करायी | मेरे दिल की समझी या नहीं, ये तो पता नहीं | मैं दीदी को अपने नीचे सुलाने के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था |

"जोक छोड़ो दीदी, सच में अगर आप कहो तो मैं इस मेगज़ीन से आपको हवा कर देता हूँ," में पास पड़ी एक मैगज़ीन उठाते हुए कहा ।

"ओहो, क्या बात है, बहन की इतनी सेवा ......... अभी रहने दे भाई .... बता दूंगी जब सेवा करवाने का मन होगा," उसने हँसते हुए कहा |
 
भाग 10

"कम से कम इस मुई नायलॉन की ब्रा को तो उतार देती हूँ, ये मेरे बदन को काट रही है।", वो बोली |

"ब्रा ही क्यों, पूरी नंगी हो जा ना दीदी", मैंने मन में सोचा |

"ब्रा उतारने के लिए अब कोन जायेगा टॉयलेट में, ऐसा कर भाई, थोड़ी देर के लिए तू प्लीज अपनी आँखें बंद कर ले | ज़्यादा समय नहीं लगेगा । जब मैं बोलूं तभी खोलना ... पक्का |"

मैंने ईमानदारी से अपनी आँखें बंद कर लीं ! मन में सोच रहा था की संगीता दीदी नंगी होकर कैसी दिखाई देंगी |

"ठीक है भाई | खोल ले आँखें |" उसने संक्षेप में कहा और मैंने अपनी आँखें खोलीं और उसकी तरफ देखा।

ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह, क्या नज़ारा था | संगीता दीदी के सीने से ब्रा गायब हो गई थी | उसके गोरे-२, बड़े-२ विशाल मुम्मे उसकी पारदर्शी, थोड़ी गीली शिफॉन शर्ट से साफ़-२ दिखाई दे रहे थे | ब्रा के बिना उसके मुम्मे और भी बड़े लग रहे थे | गोरे गोरे मुम्मे के बीच में डार्क चॉकलेट रंग का निप्पल साफ दिखाई दे रहा था । उसके निप्पल बिलकुल कड़क लग रहे थे और उनकी शेप ऊपर से साफ़-२ दिखाई दे रही थी ।

मैं अपनी जवान बहन को लगभग ऊपर से नंगा देख कर बुरी तरह से मदहोश हो गया | ऐसा लग रहा था जैसे मेरा कड़क लंड किसी भी पल में झड़ जाएगा । ये नज़ारा देख के मेरा पूरा शरीर गरम हो गया और मुझे पहले से भी ज़्यादा पसीना आने लगा | मेरा दिल कर रहा था की अभी लंड बाहर निकाल के उसके मुम्मे पे मुठ गिरा दूँ | लेकिन, क्या कर सकता था, आखिर बहन-भाई का रिश्ता था | मैं मन को समझा के बैठ गया |

संगीता दीदी मेरी हालत से बेखबर दिख रही थी, उसके चेहरे पे कोई भाव नहीं थे, बस हल्का सा मुस्कुरा रही थी|

कुछ समय बाद दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा, "तुझे कितना पसीना आ रहा है भाई | देख कैसे पसीने से भीग गया है |"

मैं: तो कर भी क्या सकता हूँ दीदी?

दीदी: उतार दे तू भी

मैं: क्या उतार दूँ? मैंने तो ब्रा पहन भी नहीं रखी |

दीदी: हा हा ... very funny ... क्यों इतनी मोटी कमीज पहन रखी है? उतार दे कमीज को |

सच पूछो तो मैं भी यही सोच रहा था और अब तो दीदी ने भी कह दिया | बढ़िया था, दीदी सही लाइन पे जा रही थी | मैंने जल्दी से शर्ट निकाल दी। मुझे खेल-कूद का बहुत शोक है | मैं अपने कॉलेज में कबाड़ी की टीम का कप्तान भी था | थोड़ा बहुत जिम भी कर लेता था |

मेरे हष्ट-पुष्ट शरीर देखकर संगीता दीदी की आँखें चमक उठीं। उसने कहा, "क्या बात है भाई, बॉडी तो मस्त बना रखी है | एकदम मरदाना, वाह"

मैं: चलो अच्छा है, आपको मेरी बॉडी पसंद आयी | कुछ तो फायदा हुआ जिम जाने का |

दीदी: मुझे फिट लोग ही पसंद हैं | एक तेरे जीजा जी हैं, तोंद फुलाए पूरे दिन गद्दी पे बैठे रहते हैं |

मैं: तो आप बोला करो ने उन्हें जिम जाने के लिए

दीदी (धीमी आवाज़ में): हाँ, वो और जिम, कुछ होता-हवाता तो है नहीं उनसे ....

दीदी: चल अब बातें छोड़, सोने दे मुझे
 
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