अध्याय १
जिन्दगी में आप कितनी भी चाहत कर ले मिलता वो है जो मिलना है.लेकिन जीवन का हिसाब ये है की जो मिले उसका मजा लो,जिसने ये सिख लिया उसकी जिन्दगी जन्नत हो जाती है वरना यहाँ दुखो का अम्बर ही है.मैं विकास मैंने भी इछाये की पर शायद मुझे वो कभी नहीं मिला जो मैं चाहता था..पर मुझे जो मिला उसका सुख उससे कही जादा है जो मैं चाहता था.मैं एक साधारण सा व्यक्ति हु जिसके साधारण से सपने थे लेकिन मुझे बहुत मिला जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..मैं एक इंजिनियर बन कर नाम कमाना चाहता था पर पढाई के बाद जॉब न मिलने के कारण मैं सिविल सर्विस की तयारी करने लगा शुरवाती मुस्किलो और तकलीफों के बाद सफलता भी मिली..आज मैं एक वन अधिकारी हु..दुतीय वर्ग की जॉब है..और उपरी कमाई बहुत जादा.
नौकरी लगने के बाद से ही घर वाले शादी के लिए पीछे पड़ गए.उन्होंने एक लड़की भी पसंद कर ली थी..एक बहुत ही अच्छा परिवार था समाज में इज्जत थी,और लड़की पड़ी लिखी थी पता चला की लड़की का कॉलेज मुंबई से हुआ है और अभी अभी कॉलेज ख़तम कर गाव आई है.मुझे एक सीधी साधी घरेलु किस्म की बीवी चाहिए थी न की बहुत मोर्डेन..लेकिन घर वालो ने कहा की वो मुंबई में पढ़ी जरूर है लेकिन बहुत ही सीधी और अच्छी है..यु तो मुझे लगा की उनकी बात झूटी है क्योकि बड़े शहर की लड़की कितनी घरेलु होगी लेकिन घर वालो को मन तो नहीं कर सकता था,मैं भी एक सीधा साधा इंसान हु.भारी मन से ही सही मैं लड़की को देखने पहुच ही गया.
आपको एक अधिकारी होने की अहमियत तब समझ आती है जब लोग आपको इतना सम्मान देते है..मुझे ऐसा सम्मान मिल रहा था की मैं बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हु.वो लोग बहुत ही संपन थे बड़ा बंगला था नौकर चाकर बहुत सी खेती..घर के सभी लोग बहुत पढ़े लिखे तथा जहीन किस्म के लग रहे थे.लड़की ३ भाइयो की एकलौती छोटी बहन थी सभी भाई शादी शुदा थे..परिवार के रवैये से लगता था की अपने घर की इकलोती बेटी को बहुत ही प्यार से पला है.मुझे समझ आ रहा था की मेरे परिवार वाले इस रिश्ते को लेकर इतने उतावले क्यों है,मैं एक माध्यम वर्गीय परिवार से हु जहा लोग पढाई करते है और नौकरी में ही धयान देते है,इतनी शानो शौओकत की आदत भी नहीं है, आख़िरकार लड़की बाहर आई और मैं देखता ही रह गया..इतनी सुंदर इतनी जहीन प्यारी हे भगवान मैं कितना मुर्ख था जो इस लड़की के लिए ना कर रहा था..बड़ी बड़ी आँखे गोल चहेरा बिलकुल काजल अग्रवाल की तरह दिख रही थी.नाम भी उसका काजल ही था,चहरे पे इतनी मासूमियत थी की लगता ही नहीं था की ये कुछ जानती भी होगी..चाय नाश्ते और मेरे परिवार वालो से बात करने के बाद ही मुझे समझ आ गया की ये लड़की जितनी भोली दिख रही है उतनी समझदार भी है.घर में सबकी लाडली है पर कोई कारन नहीं था की इसके घर वाले इसपे गर्व न करे..बातचीत का सलीका इतना जहीन था की कोई भी कह सकता था की वो एक उच्च वर्ग की पढ़ी लिखी लड़की है..आख़िरकार वो वक्त आया जिसकी मुझे तलाश थी उसे कहा गया की बेटी विकास को घर दिखा के आओ साथ में उसकी छोटी भाभी जी बी भी हो ली..पूरा घर देख हम छत में पहुचे और भाभी जी ने हमें कुछ देर बात करने अकेला छोड़ दिया..
कुछ देर की चुप्पी मैंने ही तोड़ी 'तो आप का रिजल्ट क्या हुआ,होटल मनेज्मेंट कर रही थी न आप'
उसने चहेरा उठाया होठो पे हलकी मुस्कान और शर्म साफ दिख रहे थे,'जी ठीक ही है,'
'आप इतनी पड़ी लिखी है मुझसे शादी कर आपको जंगली इलाको और छोटे शहरो में रहना पड़ेगा आपके कैरियर का क्या होगा.'मैंने अपनी शंका जाहीर की जो मुझे बहुत देर से सता रही थी.'
'जी मझे प्राकृतिक जगहे पसंद है,और जहा मेरे पति का जॉब होगा मैं वही रहूंगी,मैं मुंबई में पढ़ी जरूर हु लेकिन मेरे संस्कार तो गाव के ही है,और कैरियर का क्या है मैं कही भी अपना करियर बना सकती हु अगर मेरे पति साथ दे तो' उसकी बात सुन के मेरी तो बांछे ही खिल उठी..मेरे दिल में एक सुकून आया की कम से कम ये मुझे अपने कैरियर के कारन रिजेक्ट नै करेगी..मेरे मन में एक और सवाल घूम रहा था पुछू की उसका कही कोई चक्कर तो नहीं है लेकिन इतनी प्यारी और समझदार लकी से पूछना उसकी बेइजती करने जैसा था.
लेकिन मैंने कुह घुमा के ही पूछ लिया 'आप इस शादी से खुश तो है ना,,,मेरा मतलब कोई प्रोब्लम तो नहीं '
'नहीं कोई प्रोब्लम नहीं लेकिन मैं आपको कुह बताना चाहती हु,जो मेरे घर वालो को भी नहीं पता लेकिन मैं आपको धोखे में नहीं रख सकती..'मेरे तो दिल की धड़कन ही रुक गयी ये लड़की तो मुझे चाहिए ही थी पता नहीं क्या बोलने वाली थी.'
'जी जी बोलिए'मैं थोडा उत्सुक होते हुए पूछा
'वो ऐसा है की..'उसके मासूम चहरे पे बेचैनी के भाव उभर रहे थे उतनी बेचैनी मुझे भी थी..'वो मैं वर्गिन नहीं हु '..इतना बोल के वो सर झुका के कड़ी हो गयी उसका चहेरा शर्म से लाल हो गया ऐसा जैसे टमाटर हो,शायद शर्म से ज्यादा ग्लानी के भाव थे.
हमारे इंडिया में लड़की का वर्गिन होना उसके चरित्र का प्रमाण मन जाता है,लेकिन मैं हमेशा से इसके खिलाफ हु एक लड़की का भी दिल होता है,हम लड़के लडकियों के पीछे कुत्तो की तरह पड़े होते है और जब लड़की हम पर भरोसा कर हमें अपना कौमार्य शौप दे तो वो चरित्रहिन हो जाती है,मैं अपने कई दोस्तों को जानता हु जिन्होंने न जाने कितनी लडकियो को भोगा है लेकिन उन्हें भी शादी एक वर्गिन लग्की से करनी है,,
मैंने चहरे पे एक मुस्कुराहट के साथ उन्हें देखा 'ओ ओ ओ ऐसा है,बॉयफ्रेंड था या..'
उसने मुझे शरारत करते देख कुछ आशचर्य से देखा 'देखिये मुझे पता है की एक उम्र में ऐसा हो जाता है.मेरी तरफ से आप निश्चिंत रहिये,आप अपने बारे में कुछ बताना चाहे तो आप बता सकती है,अगर आप सहज न महसूस करे तो कोई बात नहीं,और मुझे खुशी है की आपने मुझे धोखे में नहीं रखा.'
मेरी बात सुन उसके चहरे में आया ग्लानी के भाव जाते रहे और वह कृतज्ञता से मेरी ओर देखने लगी शायद कहना चाह रही हो धन्यवाद पर ओपचारिकता इसकी इज्जाजत नहीं दे रहा था.
'आप मेरे अतीत के बारे में कुछ जानना चाहती है??'अब मैं थोडा सहज महसूस कर रहा था.
'जो बित चूका उसके बारे में जानके क्या करना,'अब वो भी सहज दिख रही थी.मुझे तो डर था की कही वो मुझे उसे घूरते न देख ले,मैं उसकी मासूम से चहरे में खो ही गया था,पता नहीं कौन साला मेरी जान को भोगा होगा हाय सोचके ही मेरे शारीर में झुनझुनाहट सी दौड़ गयी..
आखिरकार हमारी शादी हो गयी और वो दिन आया जिसका मुझे इन महीनो में रोज इंतजार था जी हा मेरी सुहागरात...
अध्याय-2
रात के लगभग 10 बजे थे काली अमावस की रात और मैं छत में इंतजार कर रहा था की वो पल कब आये जब मझे बुलाया जायेगा,आज सुबह से ही मेरे सभी जीजा और बड़े भाइयो ने मुझे गुरु ज्ञान दें रहे थे सभी मुझे बताते की कैसे स्टार्ट करना है,पहले पहल तो सभी कुछ सुहाना लग रहा था पर अब मैं बोर हो चूका था..लेकिन वो बेचारे अपना दायित्व निभा रहे थे,मैं छत में खड़ा अपने ही रंगीन सपनो में डूबा था की मुझे बुलाने गाव की एक भाभी जी आई.."चलिए साहब क्या रात अकेले ही बिताने का इरादा है,वहा आपकी रानी जी तड़फ रही है और आप यहाँ अकेले खड़े है.",रात के अंधियारे में भाभी का चहरा तो नहीं देख पाया पर उनकी अदा में एक जालिम पन था,एक मस्ती जो मुझे उत्तेजित करने को तथा शर्म में डूबने को काफी थी,मैं उनके पीछे ही चल दिया,कमरे में मेरे नए बिस्तर पर मेरी नयी नवेली दुल्हन शरमाये हुए सिकुड़ कर बैठी थी,चारो और मेरी भाभिया बहने सालिया और कुछ औरतो का जमावड़ा था उन्हें देख कर मैं शर्म से पानी पानी हो गया,मेरे आते ही वो मुझपर टूट पड़ी और मुझे उन्हें अच्छे पैसे देने पड़े लगभग सभी ने मुझे बेस्ट ऑफ़ लक कहा और मेरी जान का माथा चूमकर खिलखिलाते हुए भाग गयी.कमरा खली होने पर मैंने उसे बंद किया,मेरी धड़कन कुछ जादा ही चल रही थी मेरी सांसे कुछ बेकाबू सी थी,मैं उनके पास आया धीरे से बैठा उनका घूँघट पड़े प्यार से हटाया,उसकी नजरे अभी भी झुकी थी,कितना प्यारा चहरा जैसे लाली सुबह की,होठो पे हया कपकपाते लब,मैंने अपना हाथ उनके चहरे पे लाया उसके गर्म त्वचा का अहसास मेरे अंदर एक रोमांच का जन्म दे रहा था,"काजल"..
एक खामोसी सी थी,"काजल कुछ बोलो ना","मुझे देखो तो सही"
उसने बड़ी चंचलता से मुझे देखा जैसे एक छोटी बच्ची हो,उसकी आँखों में मासूमियत की बरसात थी,बड़ी आँखे शर्म से सुर्ख हो गयी थी,लबो की कपकपाहट अब भी कम नहीं हुई थी,गुलाबी से उसके होठ रस के प्याले से थे,किसी ताजा गुलाब की पंखुड़िया से कोमल,संतरे से रसदार जैसे अभी उनसे लहू की धार बह निकलेगी,मैं अनायास ही उसके लबो पे अपने उंगलियों को चलने लगा,उसकी चंचल आँखे बंद ही हो गयी,मैंने उसके मुड़े हुए पैरो को सीधा किया और वो मेरी गुलाम सी बस मेरे इशारो पे खुद को बिस्तर पर बिछा दिया,मैं उसके लबो को पीना चाहता था,पर मैं एक सीधा सा बंदा डर था की कही मेरी सनम रूठ ना जाये,"काजल आई लव यू",
जवाब का इंतजार ही बेकार था,क्योकि उसने आंखे खोली और उसके आँखों ने ही कह दिया की की वो सहमत है..मैं उसके लबो से खेलता हुआ उसे खिचता हुआ अपने होठो को उस नाजुक से नर्म रसभरे मयखानों से मिला दिया..
सच में ये मयखाना ही था,मैं चूसता ही गया पर ये रस ख़त्म ही नहीं हो रहा था,काजल ने अपने हाथ मेरे पीठ पर लगा दिये उसने भी अपना सबकुछ मुझ पर समर्पित करने की ठान ली थी,लबो का रशावादन करने के बाद जब हम अलग हुए तो उसका चहरा लाल हो चूका था,लाल टमाटर की तरह,उसने मेरे चहरे को सहलाते हुए मेरी आँखों में देखा,"विकास जी आई लब यू,मुझे माफ़ कर देना की मै आपको वो नहीं दे पाऊँगी जो हर मर्द चाहता है,एक लड़की का कोमार्य,लेकिन मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी,आपको वो सब दूंगी जो आप चाहो" काजल के आँखों में प्यार का मोती था,आंखे नम थी पर उनमे मेरे लिये अपार स्नेह मैंने देखा,"जान तू मेरी रानी है दासी नहीं,"मैंने उसके आँखों के पानी को अपने लबो में समां लिया,उस अपार स्नेह में डूब सा गया मैं उसे चूमता गया ना जाने कहा कहा,उसकी आँखों को लबो को माथे को,गालो को तो खा की गया,प्यार की गहराइ अब वासना का रूप ले रही थी,वासना और प्यार एक महीन दिवार से अलग अलग है,मनमें एक नाजुक सा बदलाव वासना को प्यार और प्यार को वासना बना देती है,मैं प्यार के तूफान में वासना के हिलोरो को महसूस कर रहा था,ये इतने महीन थे की इसके झोको ने मुझे बस सहलाया पर हिला ना पाई,हर चुम्मन मेरी जान की आह बन रही थी,और मेरे होठ ऐसे चिपके थे की कोई जोक हो,वो उसके चहरे से दूर ही नहीं हो रहे थे,उसका चहरा मेरे लार से भीग गया था वो आह ले रही थी जैसे वो बेहोश हो,उसने अपनी उत्तेजना के शिखर पर मुझे पलटा और मेरे उपर चुम्मानो की बारिश कर दी,उसने अब मेरी जगह ले ली और मैंने उसकी अब मैं कहारे ले रहा था और मेरी नयी नवेली नाजुक सी जान मेरे उपर उपर अपना पूरा प्यार लूटा रही थी,,ये प्यार का तूफ़ान ऐसा चल निकला की मैं जानवरों सा वर्ताव करने लगा मैं उसे नोचने लगा कभी वो मेरे उपर होती कभी मैं उसके उपर,हम इतने मगन थे की हम एक दुसरे के कपड़ो को फाड़ने लगे,मुझे होश भी ना रहा की कब मैंने उसको उपर से नंगा कर दिया है और खुद भी मेरे कपडे उतरे हुए है,हम अब सिर्फ चहरो तक ही सिमित नहीं रहे अब हम बदन को सहला रहे थे,चूम रहे थे अपने लार से एक दुसरो के बदन को भिगो रहे रहे थे,हम प्यार के नशे में इस कदर से डूबे थे की हमें ना अपना ही होश था ना समय का,ना कोई शर्म बची थी ना कोई समझ..मैंने उसके नाजुक नर्म उजोरो को चूमने लगा जो पर्वत शिखर से उन्नत थे,उन नुकीली सी छोटे पर्वत पर मैंने अपना मुह भर दिया,मैं उससे ऐसे दबा रहा था जैसे आज उनका पूरा दूध निचोड़ कर रख देना चाहता हु..काजल की सिस्कारिया बढ़ रही थी वो उत्तेजना में मेरे पीठ पर नाखुनो को गडा रही थी,अपने दांतों से मेरी पीठ पर घाव कर रही थी पर फिकर किसे थी,उसने अपने हाथो से मेरे सिर को दबा रखा था,मैं निचे आने लगा और वो लगभग उत्तेजना में चीखने सी लगी मैंने उससे उसके अन्तःवस्त्र से निजात दिलाया और उसकी प्यारी सी गुलाब की पंखुडियो को अपने अंदर सामने के लिये अपना मुह लगा चूसने लगा,अपने लार से उसे भिगोने लगा जो पहले से गिला था,वोकामरसका स्वादन मुझे दीवाना बना रहा था,मैंने अपना सर उठाना चाह पर काजल की पकड़ अब और मजबूत हो चुकी थी वो तो जैसे मुझे अपने काम के द्वार पर सामना चाहती थी..फिर भी मैं काजल का चहरा देखना चाहता था,मैंने नजरे उठा कर देखा वो तो खोयी सी थी बस आँखे बंद और सिसक रही थी,अचानक वो अकड़ने लगी और अपने संतुष्टी का रस की धार छोड़ दी.उसने मुझे अपने से अलग किया उपर खीचा और मेरे होठो को अपने लबो में भरकर पूरा रसावादन किया,उसने देर ना करते हुए मेरे निचे के वस्त्रो को भी आजाद किया और मेरे अकड़े हुए लिंग को अपने हाथो में भरकर अपने घाटी में रगड़ने लगी,मुझे लगा अब मैं अपनी जान के अंदर जाने वाला हु..काजल ने उत्तेजना में भरकर मेरे कानो को चूमा "जान मुझे अपना बना लो,भर दो मुझे अपने प्यार के तूफान से प्लीस,,मै अपने आपको आपके हवाले करती हु मैं आपके लिये समर्पित हु,आई लव लव लव यू जान",उसने एक झटके में मुझे अपने भीतर प्रवेश दे दिया मैं उसके ऊपर आ कर कमान सम्हाली और धीरे धीरे कर उसके अंदर समाने लगा,मुझ जैसा अनाड़ी कैसे एक खिलाडी के तरह घुड़सवारी कर रहा था ये तो आश्चर्य ही था,हम एक दुसरे में समाने लगे,कभी तेज कभी धीरे,कभी चुम्बन कभी फकत तडफन,होठो का मिलना और मिल ही जाना.तेज तेज और तेज.बस समय रुक सा गया सांसेभीझटको के साथ लयबद्ध हो गयी,आखिर प्यार का मुकाम आया और मैंने उसे पूरा भिगो दिया.उसने भी मुझे भीच कर अपने अंदर डूबने में सहायता की,और पंखुडियो को सिकोड़ कर मेरा प्यार पि गयी.
अब बस सांसे रह गयी जो सम्हालना चाहती थी,धड़कने फिर से अपने गति में आ रही थी और उस शांति में बचा था बस प्यार.लिपटे हुए शारीर पर एक होने का अहसास था..अब काजल मेरी थी,और मै उसका.
जिन्दगी में आप कितनी भी चाहत कर ले मिलता वो है जो मिलना है.लेकिन जीवन का हिसाब ये है की जो मिले उसका मजा लो,जिसने ये सिख लिया उसकी जिन्दगी जन्नत हो जाती है वरना यहाँ दुखो का अम्बर ही है.मैं विकास मैंने भी इछाये की पर शायद मुझे वो कभी नहीं मिला जो मैं चाहता था..पर मुझे जो मिला उसका सुख उससे कही जादा है जो मैं चाहता था.मैं एक साधारण सा व्यक्ति हु जिसके साधारण से सपने थे लेकिन मुझे बहुत मिला जो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था..मैं एक इंजिनियर बन कर नाम कमाना चाहता था पर पढाई के बाद जॉब न मिलने के कारण मैं सिविल सर्विस की तयारी करने लगा शुरवाती मुस्किलो और तकलीफों के बाद सफलता भी मिली..आज मैं एक वन अधिकारी हु..दुतीय वर्ग की जॉब है..और उपरी कमाई बहुत जादा.
नौकरी लगने के बाद से ही घर वाले शादी के लिए पीछे पड़ गए.उन्होंने एक लड़की भी पसंद कर ली थी..एक बहुत ही अच्छा परिवार था समाज में इज्जत थी,और लड़की पड़ी लिखी थी पता चला की लड़की का कॉलेज मुंबई से हुआ है और अभी अभी कॉलेज ख़तम कर गाव आई है.मुझे एक सीधी साधी घरेलु किस्म की बीवी चाहिए थी न की बहुत मोर्डेन..लेकिन घर वालो ने कहा की वो मुंबई में पढ़ी जरूर है लेकिन बहुत ही सीधी और अच्छी है..यु तो मुझे लगा की उनकी बात झूटी है क्योकि बड़े शहर की लड़की कितनी घरेलु होगी लेकिन घर वालो को मन तो नहीं कर सकता था,मैं भी एक सीधा साधा इंसान हु.भारी मन से ही सही मैं लड़की को देखने पहुच ही गया.
आपको एक अधिकारी होने की अहमियत तब समझ आती है जब लोग आपको इतना सम्मान देते है..मुझे ऐसा सम्मान मिल रहा था की मैं बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति हु.वो लोग बहुत ही संपन थे बड़ा बंगला था नौकर चाकर बहुत सी खेती..घर के सभी लोग बहुत पढ़े लिखे तथा जहीन किस्म के लग रहे थे.लड़की ३ भाइयो की एकलौती छोटी बहन थी सभी भाई शादी शुदा थे..परिवार के रवैये से लगता था की अपने घर की इकलोती बेटी को बहुत ही प्यार से पला है.मुझे समझ आ रहा था की मेरे परिवार वाले इस रिश्ते को लेकर इतने उतावले क्यों है,मैं एक माध्यम वर्गीय परिवार से हु जहा लोग पढाई करते है और नौकरी में ही धयान देते है,इतनी शानो शौओकत की आदत भी नहीं है, आख़िरकार लड़की बाहर आई और मैं देखता ही रह गया..इतनी सुंदर इतनी जहीन प्यारी हे भगवान मैं कितना मुर्ख था जो इस लड़की के लिए ना कर रहा था..बड़ी बड़ी आँखे गोल चहेरा बिलकुल काजल अग्रवाल की तरह दिख रही थी.नाम भी उसका काजल ही था,चहरे पे इतनी मासूमियत थी की लगता ही नहीं था की ये कुछ जानती भी होगी..चाय नाश्ते और मेरे परिवार वालो से बात करने के बाद ही मुझे समझ आ गया की ये लड़की जितनी भोली दिख रही है उतनी समझदार भी है.घर में सबकी लाडली है पर कोई कारन नहीं था की इसके घर वाले इसपे गर्व न करे..बातचीत का सलीका इतना जहीन था की कोई भी कह सकता था की वो एक उच्च वर्ग की पढ़ी लिखी लड़की है..आख़िरकार वो वक्त आया जिसकी मुझे तलाश थी उसे कहा गया की बेटी विकास को घर दिखा के आओ साथ में उसकी छोटी भाभी जी बी भी हो ली..पूरा घर देख हम छत में पहुचे और भाभी जी ने हमें कुछ देर बात करने अकेला छोड़ दिया..
कुछ देर की चुप्पी मैंने ही तोड़ी 'तो आप का रिजल्ट क्या हुआ,होटल मनेज्मेंट कर रही थी न आप'
उसने चहेरा उठाया होठो पे हलकी मुस्कान और शर्म साफ दिख रहे थे,'जी ठीक ही है,'
'आप इतनी पड़ी लिखी है मुझसे शादी कर आपको जंगली इलाको और छोटे शहरो में रहना पड़ेगा आपके कैरियर का क्या होगा.'मैंने अपनी शंका जाहीर की जो मुझे बहुत देर से सता रही थी.'
'जी मझे प्राकृतिक जगहे पसंद है,और जहा मेरे पति का जॉब होगा मैं वही रहूंगी,मैं मुंबई में पढ़ी जरूर हु लेकिन मेरे संस्कार तो गाव के ही है,और कैरियर का क्या है मैं कही भी अपना करियर बना सकती हु अगर मेरे पति साथ दे तो' उसकी बात सुन के मेरी तो बांछे ही खिल उठी..मेरे दिल में एक सुकून आया की कम से कम ये मुझे अपने कैरियर के कारन रिजेक्ट नै करेगी..मेरे मन में एक और सवाल घूम रहा था पुछू की उसका कही कोई चक्कर तो नहीं है लेकिन इतनी प्यारी और समझदार लकी से पूछना उसकी बेइजती करने जैसा था.
लेकिन मैंने कुह घुमा के ही पूछ लिया 'आप इस शादी से खुश तो है ना,,,मेरा मतलब कोई प्रोब्लम तो नहीं '
'नहीं कोई प्रोब्लम नहीं लेकिन मैं आपको कुह बताना चाहती हु,जो मेरे घर वालो को भी नहीं पता लेकिन मैं आपको धोखे में नहीं रख सकती..'मेरे तो दिल की धड़कन ही रुक गयी ये लड़की तो मुझे चाहिए ही थी पता नहीं क्या बोलने वाली थी.'
'जी जी बोलिए'मैं थोडा उत्सुक होते हुए पूछा
'वो ऐसा है की..'उसके मासूम चहरे पे बेचैनी के भाव उभर रहे थे उतनी बेचैनी मुझे भी थी..'वो मैं वर्गिन नहीं हु '..इतना बोल के वो सर झुका के कड़ी हो गयी उसका चहेरा शर्म से लाल हो गया ऐसा जैसे टमाटर हो,शायद शर्म से ज्यादा ग्लानी के भाव थे.
हमारे इंडिया में लड़की का वर्गिन होना उसके चरित्र का प्रमाण मन जाता है,लेकिन मैं हमेशा से इसके खिलाफ हु एक लड़की का भी दिल होता है,हम लड़के लडकियों के पीछे कुत्तो की तरह पड़े होते है और जब लड़की हम पर भरोसा कर हमें अपना कौमार्य शौप दे तो वो चरित्रहिन हो जाती है,मैं अपने कई दोस्तों को जानता हु जिन्होंने न जाने कितनी लडकियो को भोगा है लेकिन उन्हें भी शादी एक वर्गिन लग्की से करनी है,,
मैंने चहरे पे एक मुस्कुराहट के साथ उन्हें देखा 'ओ ओ ओ ऐसा है,बॉयफ्रेंड था या..'
उसने मुझे शरारत करते देख कुछ आशचर्य से देखा 'देखिये मुझे पता है की एक उम्र में ऐसा हो जाता है.मेरी तरफ से आप निश्चिंत रहिये,आप अपने बारे में कुछ बताना चाहे तो आप बता सकती है,अगर आप सहज न महसूस करे तो कोई बात नहीं,और मुझे खुशी है की आपने मुझे धोखे में नहीं रखा.'
मेरी बात सुन उसके चहरे में आया ग्लानी के भाव जाते रहे और वह कृतज्ञता से मेरी ओर देखने लगी शायद कहना चाह रही हो धन्यवाद पर ओपचारिकता इसकी इज्जाजत नहीं दे रहा था.
'आप मेरे अतीत के बारे में कुछ जानना चाहती है??'अब मैं थोडा सहज महसूस कर रहा था.
'जो बित चूका उसके बारे में जानके क्या करना,'अब वो भी सहज दिख रही थी.मुझे तो डर था की कही वो मुझे उसे घूरते न देख ले,मैं उसकी मासूम से चहरे में खो ही गया था,पता नहीं कौन साला मेरी जान को भोगा होगा हाय सोचके ही मेरे शारीर में झुनझुनाहट सी दौड़ गयी..
आखिरकार हमारी शादी हो गयी और वो दिन आया जिसका मुझे इन महीनो में रोज इंतजार था जी हा मेरी सुहागरात...
अध्याय-2
रात के लगभग 10 बजे थे काली अमावस की रात और मैं छत में इंतजार कर रहा था की वो पल कब आये जब मझे बुलाया जायेगा,आज सुबह से ही मेरे सभी जीजा और बड़े भाइयो ने मुझे गुरु ज्ञान दें रहे थे सभी मुझे बताते की कैसे स्टार्ट करना है,पहले पहल तो सभी कुछ सुहाना लग रहा था पर अब मैं बोर हो चूका था..लेकिन वो बेचारे अपना दायित्व निभा रहे थे,मैं छत में खड़ा अपने ही रंगीन सपनो में डूबा था की मुझे बुलाने गाव की एक भाभी जी आई.."चलिए साहब क्या रात अकेले ही बिताने का इरादा है,वहा आपकी रानी जी तड़फ रही है और आप यहाँ अकेले खड़े है.",रात के अंधियारे में भाभी का चहरा तो नहीं देख पाया पर उनकी अदा में एक जालिम पन था,एक मस्ती जो मुझे उत्तेजित करने को तथा शर्म में डूबने को काफी थी,मैं उनके पीछे ही चल दिया,कमरे में मेरे नए बिस्तर पर मेरी नयी नवेली दुल्हन शरमाये हुए सिकुड़ कर बैठी थी,चारो और मेरी भाभिया बहने सालिया और कुछ औरतो का जमावड़ा था उन्हें देख कर मैं शर्म से पानी पानी हो गया,मेरे आते ही वो मुझपर टूट पड़ी और मुझे उन्हें अच्छे पैसे देने पड़े लगभग सभी ने मुझे बेस्ट ऑफ़ लक कहा और मेरी जान का माथा चूमकर खिलखिलाते हुए भाग गयी.कमरा खली होने पर मैंने उसे बंद किया,मेरी धड़कन कुछ जादा ही चल रही थी मेरी सांसे कुछ बेकाबू सी थी,मैं उनके पास आया धीरे से बैठा उनका घूँघट पड़े प्यार से हटाया,उसकी नजरे अभी भी झुकी थी,कितना प्यारा चहरा जैसे लाली सुबह की,होठो पे हया कपकपाते लब,मैंने अपना हाथ उनके चहरे पे लाया उसके गर्म त्वचा का अहसास मेरे अंदर एक रोमांच का जन्म दे रहा था,"काजल"..
एक खामोसी सी थी,"काजल कुछ बोलो ना","मुझे देखो तो सही"
उसने बड़ी चंचलता से मुझे देखा जैसे एक छोटी बच्ची हो,उसकी आँखों में मासूमियत की बरसात थी,बड़ी आँखे शर्म से सुर्ख हो गयी थी,लबो की कपकपाहट अब भी कम नहीं हुई थी,गुलाबी से उसके होठ रस के प्याले से थे,किसी ताजा गुलाब की पंखुड़िया से कोमल,संतरे से रसदार जैसे अभी उनसे लहू की धार बह निकलेगी,मैं अनायास ही उसके लबो पे अपने उंगलियों को चलने लगा,उसकी चंचल आँखे बंद ही हो गयी,मैंने उसके मुड़े हुए पैरो को सीधा किया और वो मेरी गुलाम सी बस मेरे इशारो पे खुद को बिस्तर पर बिछा दिया,मैं उसके लबो को पीना चाहता था,पर मैं एक सीधा सा बंदा डर था की कही मेरी सनम रूठ ना जाये,"काजल आई लव यू",
जवाब का इंतजार ही बेकार था,क्योकि उसने आंखे खोली और उसके आँखों ने ही कह दिया की की वो सहमत है..मैं उसके लबो से खेलता हुआ उसे खिचता हुआ अपने होठो को उस नाजुक से नर्म रसभरे मयखानों से मिला दिया..
सच में ये मयखाना ही था,मैं चूसता ही गया पर ये रस ख़त्म ही नहीं हो रहा था,काजल ने अपने हाथ मेरे पीठ पर लगा दिये उसने भी अपना सबकुछ मुझ पर समर्पित करने की ठान ली थी,लबो का रशावादन करने के बाद जब हम अलग हुए तो उसका चहरा लाल हो चूका था,लाल टमाटर की तरह,उसने मेरे चहरे को सहलाते हुए मेरी आँखों में देखा,"विकास जी आई लब यू,मुझे माफ़ कर देना की मै आपको वो नहीं दे पाऊँगी जो हर मर्द चाहता है,एक लड़की का कोमार्य,लेकिन मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी,आपको वो सब दूंगी जो आप चाहो" काजल के आँखों में प्यार का मोती था,आंखे नम थी पर उनमे मेरे लिये अपार स्नेह मैंने देखा,"जान तू मेरी रानी है दासी नहीं,"मैंने उसके आँखों के पानी को अपने लबो में समां लिया,उस अपार स्नेह में डूब सा गया मैं उसे चूमता गया ना जाने कहा कहा,उसकी आँखों को लबो को माथे को,गालो को तो खा की गया,प्यार की गहराइ अब वासना का रूप ले रही थी,वासना और प्यार एक महीन दिवार से अलग अलग है,मनमें एक नाजुक सा बदलाव वासना को प्यार और प्यार को वासना बना देती है,मैं प्यार के तूफान में वासना के हिलोरो को महसूस कर रहा था,ये इतने महीन थे की इसके झोको ने मुझे बस सहलाया पर हिला ना पाई,हर चुम्मन मेरी जान की आह बन रही थी,और मेरे होठ ऐसे चिपके थे की कोई जोक हो,वो उसके चहरे से दूर ही नहीं हो रहे थे,उसका चहरा मेरे लार से भीग गया था वो आह ले रही थी जैसे वो बेहोश हो,उसने अपनी उत्तेजना के शिखर पर मुझे पलटा और मेरे उपर चुम्मानो की बारिश कर दी,उसने अब मेरी जगह ले ली और मैंने उसकी अब मैं कहारे ले रहा था और मेरी नयी नवेली नाजुक सी जान मेरे उपर उपर अपना पूरा प्यार लूटा रही थी,,ये प्यार का तूफ़ान ऐसा चल निकला की मैं जानवरों सा वर्ताव करने लगा मैं उसे नोचने लगा कभी वो मेरे उपर होती कभी मैं उसके उपर,हम इतने मगन थे की हम एक दुसरे के कपड़ो को फाड़ने लगे,मुझे होश भी ना रहा की कब मैंने उसको उपर से नंगा कर दिया है और खुद भी मेरे कपडे उतरे हुए है,हम अब सिर्फ चहरो तक ही सिमित नहीं रहे अब हम बदन को सहला रहे थे,चूम रहे थे अपने लार से एक दुसरो के बदन को भिगो रहे रहे थे,हम प्यार के नशे में इस कदर से डूबे थे की हमें ना अपना ही होश था ना समय का,ना कोई शर्म बची थी ना कोई समझ..मैंने उसके नाजुक नर्म उजोरो को चूमने लगा जो पर्वत शिखर से उन्नत थे,उन नुकीली सी छोटे पर्वत पर मैंने अपना मुह भर दिया,मैं उससे ऐसे दबा रहा था जैसे आज उनका पूरा दूध निचोड़ कर रख देना चाहता हु..काजल की सिस्कारिया बढ़ रही थी वो उत्तेजना में मेरे पीठ पर नाखुनो को गडा रही थी,अपने दांतों से मेरी पीठ पर घाव कर रही थी पर फिकर किसे थी,उसने अपने हाथो से मेरे सिर को दबा रखा था,मैं निचे आने लगा और वो लगभग उत्तेजना में चीखने सी लगी मैंने उससे उसके अन्तःवस्त्र से निजात दिलाया और उसकी प्यारी सी गुलाब की पंखुडियो को अपने अंदर सामने के लिये अपना मुह लगा चूसने लगा,अपने लार से उसे भिगोने लगा जो पहले से गिला था,वोकामरसका स्वादन मुझे दीवाना बना रहा था,मैंने अपना सर उठाना चाह पर काजल की पकड़ अब और मजबूत हो चुकी थी वो तो जैसे मुझे अपने काम के द्वार पर सामना चाहती थी..फिर भी मैं काजल का चहरा देखना चाहता था,मैंने नजरे उठा कर देखा वो तो खोयी सी थी बस आँखे बंद और सिसक रही थी,अचानक वो अकड़ने लगी और अपने संतुष्टी का रस की धार छोड़ दी.उसने मुझे अपने से अलग किया उपर खीचा और मेरे होठो को अपने लबो में भरकर पूरा रसावादन किया,उसने देर ना करते हुए मेरे निचे के वस्त्रो को भी आजाद किया और मेरे अकड़े हुए लिंग को अपने हाथो में भरकर अपने घाटी में रगड़ने लगी,मुझे लगा अब मैं अपनी जान के अंदर जाने वाला हु..काजल ने उत्तेजना में भरकर मेरे कानो को चूमा "जान मुझे अपना बना लो,भर दो मुझे अपने प्यार के तूफान से प्लीस,,मै अपने आपको आपके हवाले करती हु मैं आपके लिये समर्पित हु,आई लव लव लव यू जान",उसने एक झटके में मुझे अपने भीतर प्रवेश दे दिया मैं उसके ऊपर आ कर कमान सम्हाली और धीरे धीरे कर उसके अंदर समाने लगा,मुझ जैसा अनाड़ी कैसे एक खिलाडी के तरह घुड़सवारी कर रहा था ये तो आश्चर्य ही था,हम एक दुसरे में समाने लगे,कभी तेज कभी धीरे,कभी चुम्बन कभी फकत तडफन,होठो का मिलना और मिल ही जाना.तेज तेज और तेज.बस समय रुक सा गया सांसेभीझटको के साथ लयबद्ध हो गयी,आखिर प्यार का मुकाम आया और मैंने उसे पूरा भिगो दिया.उसने भी मुझे भीच कर अपने अंदर डूबने में सहायता की,और पंखुडियो को सिकोड़ कर मेरा प्यार पि गयी.
अब बस सांसे रह गयी जो सम्हालना चाहती थी,धड़कने फिर से अपने गति में आ रही थी और उस शांति में बचा था बस प्यार.लिपटे हुए शारीर पर एक होने का अहसास था..अब काजल मेरी थी,और मै उसका.