मैंने नेहा भाभी को उस रात 2 बार चोदा.. इस चुदाई में मैंने उसकी चूत.. गांड और मुँह सबको खूब चोदा था और नेहा भी बहुत खुश थी।
अब आगे..
नेहा भाभी की चुदाई के बाद मेरे पास बस दो दिन ही रह गए थे.. पर मुझे प्रीत भाभी को अभी और चोदने का मन कर रहा था, उनकी गांड भी मारनी थी। मुझे ये काम तो अभी करना बाक़ी ही था।
नेहा भाभी अपनी प्यास बुझवा कर कब चली गई थीं.. मुझे पता ही नहीं चला।
करीब 8 बजे बेल बजी, मेरी तो आँखें ही नहीं खुल रही थीं, मैंने दरवाजा खोला तो प्रीत भाभी खड़ी थीं.. वो क्या सेक्सी लग रही थीं.. ऊपर से प्रीत के गीले बाल और पूरा अभी नहा कर आने की वजह से गीला बदन.. ऊओह.. यारों देखते ही लंड खड़ा हो गया।
मैंने कहा- प्रीत.. तुम कब आईं?
प्रीत बोली- मैं तो अभी एक घंटे पहले आई हूँ.. मैंने सोचा कि पहले फ्रेश हो जाऊँ.. फिर तुम से बात करती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. आओ अन्दर..
प्रीत बोली- मैं नहीं.. तुम आओ मेरे घर में.. मैं तुम्हारी चाय बनाने जा रही हूँ.. ओके.. तो जल्दी से फ्रेश हो कर आओ।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं भी कुछ ही देर में प्रीत के घर में गया.. प्रीत अभी रसोई में थी।
मैंने चुपके से जा कर प्रीत को कस के पीछे से पकड़ लिया और उसके गर्दन पर कान को चूमने लगा और दोनों हाथों से प्रीत के चूचों को दबाने लगा।
प्रीत बोली- यश.. अभी नहीं..
मैंने कहा- बस एक बार होंठों का लंबा वाला चुम्मा।
प्रीत बोली- ठीक है.. पर जल्दी ओके!
फिर मैंने जल्दी से ही प्रीत को सीधा किया और उसके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा और प्रीत के चूचों भी दबाने लगा।
कुछ ही देर ऐसे ही लंबी चुम्मी की होगी कि प्रीत बोल उठी- बस छोड़ो यार.. अभी नहीं रात में.. ओके मेरे प्यारे यश!
भाभी की चूत
मैंने कहा- ठीक है.. पर प्रीत जान, एक बार अपनी चूत के तो दर्शन करवा दो।
प्रीत बोली- ठीक है..
उसने हंसते हुए अपना लोअर नीचे किया, प्रीत ने नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, मैंने जल्दी से प्रीत की पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी प्यारी और गुलाबी चूत के दर्शन हुए।
मैं प्रीत की चूत पर हाथ रख कर चूत को जैसे ही सहलाने लगा।
प्रीत बोली- तुम न बहुत ही शरारती हो.. देखने की बोल कर कुछ और ही करने लगे।
अब मैंने कहा- जब हाथ लग ही गए हैं तो काम को पूरा कर ही लेने दो।
प्रीत बोली- ठीक है.. पर उंगली से ही करो ओके।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं जल्दी से प्रीत के होंठों को जोर-जोर से चूमने लगा और प्रीत की चूत में एक उंगली डाल दी। मैं उंगली को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा।
अब प्रीत कामुक सिसकारियां लेने लगी ‘आह्ह.. यश.. ऊह्ह..’
मैंने जल्दी से दो उंगलियां डाल दीं और जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा। प्रीत भी जोर-जोर से ‘आह्ह.. ओह्ह..’ कर रही थी।
ऐसे ही कुछ मिनट करने के बाद प्रीत झड़ गई और फिर हम दोनों ने बैठ कर चाय पी।
मैंने पूछा- रात में तो पक्का है न?
तो प्रीत बोली- कल तुमको बहुत मिस किया बेबी..
मैंने कहा- अच्छा जी.. तो कुछ किया?
फिर प्रीत बोली- किया तो.. पर जो मजा तुम देते होना.. वो अकेले में कहाँ आता है।
अब आगे..
नेहा भाभी की चुदाई के बाद मेरे पास बस दो दिन ही रह गए थे.. पर मुझे प्रीत भाभी को अभी और चोदने का मन कर रहा था, उनकी गांड भी मारनी थी। मुझे ये काम तो अभी करना बाक़ी ही था।
नेहा भाभी अपनी प्यास बुझवा कर कब चली गई थीं.. मुझे पता ही नहीं चला।
करीब 8 बजे बेल बजी, मेरी तो आँखें ही नहीं खुल रही थीं, मैंने दरवाजा खोला तो प्रीत भाभी खड़ी थीं.. वो क्या सेक्सी लग रही थीं.. ऊपर से प्रीत के गीले बाल और पूरा अभी नहा कर आने की वजह से गीला बदन.. ऊओह.. यारों देखते ही लंड खड़ा हो गया।
मैंने कहा- प्रीत.. तुम कब आईं?
प्रीत बोली- मैं तो अभी एक घंटे पहले आई हूँ.. मैंने सोचा कि पहले फ्रेश हो जाऊँ.. फिर तुम से बात करती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. आओ अन्दर..
प्रीत बोली- मैं नहीं.. तुम आओ मेरे घर में.. मैं तुम्हारी चाय बनाने जा रही हूँ.. ओके.. तो जल्दी से फ्रेश हो कर आओ।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं भी कुछ ही देर में प्रीत के घर में गया.. प्रीत अभी रसोई में थी।
मैंने चुपके से जा कर प्रीत को कस के पीछे से पकड़ लिया और उसके गर्दन पर कान को चूमने लगा और दोनों हाथों से प्रीत के चूचों को दबाने लगा।
प्रीत बोली- यश.. अभी नहीं..
मैंने कहा- बस एक बार होंठों का लंबा वाला चुम्मा।
प्रीत बोली- ठीक है.. पर जल्दी ओके!
फिर मैंने जल्दी से ही प्रीत को सीधा किया और उसके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा और प्रीत के चूचों भी दबाने लगा।
कुछ ही देर ऐसे ही लंबी चुम्मी की होगी कि प्रीत बोल उठी- बस छोड़ो यार.. अभी नहीं रात में.. ओके मेरे प्यारे यश!
भाभी की चूत
मैंने कहा- ठीक है.. पर प्रीत जान, एक बार अपनी चूत के तो दर्शन करवा दो।
प्रीत बोली- ठीक है..
उसने हंसते हुए अपना लोअर नीचे किया, प्रीत ने नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, मैंने जल्दी से प्रीत की पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी प्यारी और गुलाबी चूत के दर्शन हुए।
मैं प्रीत की चूत पर हाथ रख कर चूत को जैसे ही सहलाने लगा।
प्रीत बोली- तुम न बहुत ही शरारती हो.. देखने की बोल कर कुछ और ही करने लगे।
अब मैंने कहा- जब हाथ लग ही गए हैं तो काम को पूरा कर ही लेने दो।
प्रीत बोली- ठीक है.. पर उंगली से ही करो ओके।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं जल्दी से प्रीत के होंठों को जोर-जोर से चूमने लगा और प्रीत की चूत में एक उंगली डाल दी। मैं उंगली को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा।
अब प्रीत कामुक सिसकारियां लेने लगी ‘आह्ह.. यश.. ऊह्ह..’
मैंने जल्दी से दो उंगलियां डाल दीं और जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा। प्रीत भी जोर-जोर से ‘आह्ह.. ओह्ह..’ कर रही थी।
ऐसे ही कुछ मिनट करने के बाद प्रीत झड़ गई और फिर हम दोनों ने बैठ कर चाय पी।
मैंने पूछा- रात में तो पक्का है न?
तो प्रीत बोली- कल तुमको बहुत मिस किया बेबी..
मैंने कहा- अच्छा जी.. तो कुछ किया?
फिर प्रीत बोली- किया तो.. पर जो मजा तुम देते होना.. वो अकेले में कहाँ आता है।