दोस्तो, एक बार फिर आप सब के सामने आपका प्यारा शरद एक नई कहानी के साथ हाजिर है।
आपके मस्त मस्त ई-मेल मुझे प्राप्त होते हैं जिन्हें पढ़कर बहुत मजा आता है। आपके इसी मेल की वजह से और मेरे साथ हुई घटना के कारण आपके पास मेरे शब्दों के भण्डार से निकल कर नई कहानी का सृजन होता है।
आपमें बहुत से ऐसे लोग होंगे जो वाइल्ड सेक्स करने का मजा लेते होंगे। बस मजा लीजिए, पर किसी का दिल दुखाकर यौन सुख मत लीजिए। यदि आपका पार्टनर तैयार है तो उसका मजा अलग ही आता है।
आपमें से बहुत लोग अपनी बातें भी मुझसे शेयर करते हैं। मुझे आपकी बातें बहुत अच्छी लगती है और मेरे शब्दों का भण्डार भी बढ़ता जाता है।
इसके लिये भी आप सभी को धन्यवाद।
चलिये मैं आपको अब एक ऐसी कहानी बताना चाहता हूँ जो मेरे साथ किस कारण घटी, मुझे पता भी नहीं चला, लेकिन मेरी सलहज (साले की वाईफ) के वजह से हुई।
वैसे मेरा कोई अपना साला नहीं है, मेरी वाईफ अपने मां-बाप की इकलौती है। ये सलहज जिसका नाम नीलू है, मेरी वाईफ के ममेरे भाई की पत्नी है और इससे मेरी पहली मुलाकात भी शायद इनके किसी रिश्तेदार की शादी में हुई थी।
सलहज डांस के लिये ले गई
इधर शादी की रस्म (ऐठोम के समय) जब सभी मेहमान खाना खा कर जा चुके थे और हम सभी घर वाले बचे थे तो उनमें जितने मर्द थे वे एक किनारे आकर वाईन के साथ सेलीब्रेट करने लगे और औरतें एक तरफ बैठ कर गप्पें हाँक रही थीं कि तभी ये नीलू हम लोगों के पास आई और बोली- अगर आप लोगों का पीने का कार्यक्रम हो गया है तो अब चलिये डांस करें।
उसकी बात सुन कर हम सभी डांस फ्लोर पर आ गये और घर की सभी औरतें और मर्द मिल कर डांस करने लगे।
अचानक ही नीलू ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे साथ डांस करने लगी, उसके इस तरह से अचानक मेरे साथ डांस करने से सभी हतप्रभ रह गये और मैं भी हतप्रभ था क्योंकि मेरा उससे ज्यादा परिचय नहीं था।
फिर भी सभी ताली बजा कर उसका और मेरे डांस का आनन्द लेने लगे। गाना खत्म होने पर ही हमारा डांस रूका और वो मुझसे चिपक गई।
मैंने धीरे से उसे अपने से अलग किया और किनारे आकर अपनी बीवी के साथ बैठ गया और फिर सभी मिल कर खाना खाने लगे।
उस शादी के बाद काफी समय बीत गया, नीलू से सम्पर्क नहीं हुआ, बात आई और गई हो गई।
इधर दो महीने से मेरी बीवी की तबियत ज्यादा खराब रहने लगी और अपनी खराब तबियत के कारण वह काफी चिड़चिड़ी हो गई थी और अपने पुट्ठे पर भी हाथ नहीं रखने देती थी।
वैसे तो मेरे पास हरियाली की कमी नहीं थी, लेकिन यह इत्तेफाक ही था कि जब से मेरी बीवी बीमार हुई उसका भी अकाल पड़ गया और मेरे लंड महराज धीरे-धीरे मुरझाने लगे कि अचानक एक सुबह नीलू अपने पतिदेव मतलब मेरे साले साहब के साथ धमक पड़ी।
मेरी बीवी बिस्तर पर थी, और मैं घर के कामों में लगा हुआ था और बिना घर के काम को खत्म किये मैं ऑफिस भी नहीं जा सकता था, ऊपर से असमय मेहमानों का इस तरह आना मुझे थोड़ा अखरने सा लगा था। पर मैं क्या करता, मन मसोस कर मैंने उनका स्वागत किया।
आपके मस्त मस्त ई-मेल मुझे प्राप्त होते हैं जिन्हें पढ़कर बहुत मजा आता है। आपके इसी मेल की वजह से और मेरे साथ हुई घटना के कारण आपके पास मेरे शब्दों के भण्डार से निकल कर नई कहानी का सृजन होता है।
आपमें बहुत से ऐसे लोग होंगे जो वाइल्ड सेक्स करने का मजा लेते होंगे। बस मजा लीजिए, पर किसी का दिल दुखाकर यौन सुख मत लीजिए। यदि आपका पार्टनर तैयार है तो उसका मजा अलग ही आता है।
आपमें से बहुत लोग अपनी बातें भी मुझसे शेयर करते हैं। मुझे आपकी बातें बहुत अच्छी लगती है और मेरे शब्दों का भण्डार भी बढ़ता जाता है।
इसके लिये भी आप सभी को धन्यवाद।
चलिये मैं आपको अब एक ऐसी कहानी बताना चाहता हूँ जो मेरे साथ किस कारण घटी, मुझे पता भी नहीं चला, लेकिन मेरी सलहज (साले की वाईफ) के वजह से हुई।
वैसे मेरा कोई अपना साला नहीं है, मेरी वाईफ अपने मां-बाप की इकलौती है। ये सलहज जिसका नाम नीलू है, मेरी वाईफ के ममेरे भाई की पत्नी है और इससे मेरी पहली मुलाकात भी शायद इनके किसी रिश्तेदार की शादी में हुई थी।
सलहज डांस के लिये ले गई
इधर शादी की रस्म (ऐठोम के समय) जब सभी मेहमान खाना खा कर जा चुके थे और हम सभी घर वाले बचे थे तो उनमें जितने मर्द थे वे एक किनारे आकर वाईन के साथ सेलीब्रेट करने लगे और औरतें एक तरफ बैठ कर गप्पें हाँक रही थीं कि तभी ये नीलू हम लोगों के पास आई और बोली- अगर आप लोगों का पीने का कार्यक्रम हो गया है तो अब चलिये डांस करें।
उसकी बात सुन कर हम सभी डांस फ्लोर पर आ गये और घर की सभी औरतें और मर्द मिल कर डांस करने लगे।
अचानक ही नीलू ने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे साथ डांस करने लगी, उसके इस तरह से अचानक मेरे साथ डांस करने से सभी हतप्रभ रह गये और मैं भी हतप्रभ था क्योंकि मेरा उससे ज्यादा परिचय नहीं था।
फिर भी सभी ताली बजा कर उसका और मेरे डांस का आनन्द लेने लगे। गाना खत्म होने पर ही हमारा डांस रूका और वो मुझसे चिपक गई।
मैंने धीरे से उसे अपने से अलग किया और किनारे आकर अपनी बीवी के साथ बैठ गया और फिर सभी मिल कर खाना खाने लगे।
उस शादी के बाद काफी समय बीत गया, नीलू से सम्पर्क नहीं हुआ, बात आई और गई हो गई।
इधर दो महीने से मेरी बीवी की तबियत ज्यादा खराब रहने लगी और अपनी खराब तबियत के कारण वह काफी चिड़चिड़ी हो गई थी और अपने पुट्ठे पर भी हाथ नहीं रखने देती थी।
वैसे तो मेरे पास हरियाली की कमी नहीं थी, लेकिन यह इत्तेफाक ही था कि जब से मेरी बीवी बीमार हुई उसका भी अकाल पड़ गया और मेरे लंड महराज धीरे-धीरे मुरझाने लगे कि अचानक एक सुबह नीलू अपने पतिदेव मतलब मेरे साले साहब के साथ धमक पड़ी।
मेरी बीवी बिस्तर पर थी, और मैं घर के कामों में लगा हुआ था और बिना घर के काम को खत्म किये मैं ऑफिस भी नहीं जा सकता था, ऊपर से असमय मेहमानों का इस तरह आना मुझे थोड़ा अखरने सा लगा था। पर मैं क्या करता, मन मसोस कर मैंने उनका स्वागत किया।