Savita Bhabhi Aur Bra Salesman 1

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दोस्तो, यह कहानी व्यस्क कार्टून की दुनिया की सुपर एक्ट्रेस सविता भाभी के प्रथम एपिसोड की मूल कहानी है।

आनन्द लीजिए..

सविता भाभी एक बहुत ही हसीन और माल किस्म की जवान गुजराती औरत हैं। वे अपने पति के साथ एक बड़े शहर में रहती हैं। उनकी कोई संतान नहीं है और वे अपनी सेक्स लाइफ बड़े मजे से गुजार रही हैं।

एक दिन सविता भाभी पति के ऑफिस जाने के बाद दोपहर में घर में अकेली बैठी अन्तर्वासना की साईट पर एक चुदाई की गरम कहानी पढ़ रही थीं।

उनकी चूत चुदास से पनियाई हुई थी और वे अपनी चूत को अपनी उंगली से मजा दे रही थीं।

तभी दरवाजे पर एक बार घन्टी बजी.. तो भाभी सोचने लगीं कि इस वक्त कौन हो सकता है।

उन्होंने आवाज दी- रुकिए, आती हूँ।

सविता भाभी ने दरवाजा खोला तो बाहर एक सुन्दर गठीला नौजवान खड़ा था। वो देखने में एक भला और पढ़ा-लिखा युवा लग रहा था। उसके हाथ में एक बैग था।

सविता भाभी ने प्रश्नवाचक निगाहों से उसकी ओर देखा और पूछा- कहिये?
‘जी नमस्ते.. मैं लेडिज अंडरगारमेंट्स कम्पनी से हूँ और कम्पनी के नए प्रोडक्ट को घर घर जाकर प्रमोशन कर रहा हूँ.. यदि आप चाहें तो आपको आने वाले फैशन की डिजायनर ब्रा-पैन्टी बहुत ही कम कीमत में मिल सकती हैं।

सेल्समैन सविता भाभी की तनी हुई चूचियों को देखकर गरम हो गया था और उसके मन में सविता भाभी के लिए उत्तेजक विचार आने लगे थे। वो सोच रहा था कि किसी तरह इस मैडम की चूत चोदने को मिल जाए तो उसका सेल्समैन होने का इनाम मिल जाएगा।

सविता भाभी ने अनमने मन से कहा- नहीं मुझे नहीं लेना.. धन्यवाद।

सेल्समेन की आशाओं पर तुषारापात सा होता दिखा.. पर उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने सेल्समेन होने का हुनर आजमाते हुए सविता भाभी से कहा- कोई बात नहीं मैडम.. एक रिक्वेस्ट कर सकता हूँ?
‘बोलिए?’
‘बाहर बहुत गर्मी है, मुझे धूप में चलते-चलते प्यास लग आई है.. क्या एक गिलास पानी मिल सकता है?’

सविता भाभी ने अब उस सेल्समेन की तरफ गौर से देखा.. और कुछ पल सोचने के बाद उन्होंने कहा- ठीक है अन्दर आ जाओ और यहाँ रुको, मैं अभी पानी लेकर आती हूँ।

सेल्समेन ने मन ही मन में ठंडी आह भरी और सविता भाभी को पिछवाड़े से उनकी मटकती गांड को देखा और अपने नसीब को धन्यवाद देने लगा।

सविता भाभी कुछ ही पलों में ठंडा पानी का गिलास लेकर आईं और उन्होंने झुक कर सेल्समेन की तरफ पानी का गिलास बढ़ा दिया।

सेल्समेन की हरामी नजरें सविता भाभी की दूधघाटी पर पड़ी। चूचियों के दीदार ने उसके लौड़े को खड़े होकर सलामी देने को मजबूर कर दिया।

सेल्समेन ने चूचियों को देखते हुए पानी का गिलास लिया और भाभी के हुस्न का जाम समझ कर पिया।

फिर उस सेल्समेन ने उनके घर की तारीफ़ करते हुए शुक्रिया कहा।

अपने घर की तारीफ़ सुनकर भाभी को अच्छा लगा और उन्होंने भी धन्यवाद कहा।

सेल्समेन ने अपना जाल फेंका और अपने बैग में से एक सिल्क की लाल रंग की ब्रा निकाल कर सविता भाभी की तरफ बढ़ाते हुए कहा- मैडम आपको नहीं लेना हो तो कोई बात नहीं है.. पर आप एक इसे देख तो लीजिए.. ये एकदम स्पेशल पीस है।

सविता भाभी को वो लाल रेशमी ब्रा बहुत ही खूबसूरत लगी।
उन्होंने उस ब्रा को खोला तो उन्हें वो बहुत छोटी लगी। सविता भाभी कहने लगीं- ये तो बहुत छोटी है, ये मुझे नहीं आएगी।
 
‘अरे नहीं ये तो एकदम नए किस्म की इलास्टिक की बनी है, ये इम्पोर्टेड इलास्टिक से बनी है।’

सविता भाभी ने जब ये सुना तो वे बोलीं- ठीक है आप इधर ही बैठो.. मैं इसे पहन कर देखती हूँ।

सविता भाभी के ड्राइंगरूम बगल में ही उनका बेडरूम बना था। उन्होंने बेडरूम में घुस कर उसकी ड्रेसिंग टेबल के पास खड़े होकर अपना ब्लाउज उतारा और उसके बाद अपनी तनी हुई चूचियों को बिना ब्रा के देखा तो वे सोचने लगीं- हाय राम.. आज तो मैंने ब्रा पहनी ही नहीं थी और शायद इसी वजह से इस सेल्समेन को मेरी चूचियों के तने हुए निप्पल दिख गए होंगे। कोई बड़ी बात नहीं है कि उसने इन्हीं को देख कर प्यास लगने का बहाना बनाया होगा।

सामने शीशे में अपनी तनी हुई चूचियों को ब्लाउज से निकलते ही उछलते हुए देखा तो उनको कुछ देर पहले वाली अन्तर्वासना की सेक्स स्टोरी की याद आ गई और वे अपनी चूचियों से खेलते हुए सोचने लगीं कि शादी के बाद से कितनी बड़ी हो गई हैं। ये रेशमी ब्रा निश्चित रूप से मुझे फिट नहीं होगी।

तभी उनकी निगाह शीशे पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि बेडरूम का दरवाजा थोड़ा सा खुला रह गया था, जिसमें से शीशे के प्रतिबिम्ब से सेल्समेन उनकी तरफ देख रहा था।

एक पल के लिए तो वे कुछ सोचने लगीं और फिर वासना के वशीभूत होकर उन्होंने अपनी चूचियों को दबाते हुए ब्रा को पहनने की कोशिश की।

ब्रा छोटी थी पर उसकी इलास्टिक अच्छी थी, तब भी भाभी सोचने लगीं कि क्या करूँ.. इसको देखने दूँ या दरवाजा बंद कर दूँ।
फिर उनकी चुदासी चूत ने अंगड़ाई ली और उन्होंने मन में सोचा कि बहुत दिन हो गए कोई नया लण्ड नहीं लिया.. क्यों न आज इसका..

उधर बाहर वो सेल्समेन भाभी का मदमस्त हुस्न देख कर पागल हो उठा था।

अन्दर भाभी शीशे के सामने अपनी उंगलियों से अपने निप्पलों को मसल-मसल कर उस सेल्समेन को दिखाने लगीं और सोचने लगीं कि आह.. कितने कड़े हो गए.. काश इन उंगलियों की जगह इस लौंडे की जीभ होती.. तो ये और भी अधिक कड़े हो जाते।

अब सविता भाभी अपनी भरपूर जवानी की चुदास से भर उठी थीं और अपनी चूचियों को भींच भींच कर उस सेल्समेन को शीशे के माध्यम से दिखाने लगी थीं।

उधर उस सेल्समेन ने अपनी कामुक निगाहें सविता भाभी के चूचों पर लगा रखी थीं और वो लगातार अपने लौड़े को सहलाता हुआ सोच रहा था कि आज ये औरत पता नहीं क्या करने वाली है।

सविता भाभी सोच रही थीं कि साले हरामी को मेरी चूचियां देख कर कितना मजा आ रहा है.. साला अपना लौड़ा हिला रहा है।

उधर वो सेल्समेन बदस्तूर सविता भाभी की चूचियां निहार रहा था।

तभी सविता भाभी सोचने लगीं कि आज इसको अपने जाल में लेना ही होगा सविता.. और तुझे पता है कि मर्दों को कैसे रिझाया जाता है.. और मर्दों को गरम कैसे किया जाता है।

अब सविता भाभी उस सेल्समेन को अपने जाल में फंसाने को आतुर हो उठीं।

पहले भाभी ने खुद के चूचों को पूरी तरह से नंगा करते हुए शीशे के माध्यम से दिखाया और फिर अपने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया। वे पैन्टी को अपनी उंगलियों में फंसा कर सोचने लगीं कि क्या पैन्टी को भी उतार दूँ। तभी उनकी उंगली चूत पर चली गई और चूत को कामरस से भीगी देख कर वो मचल उठीं और उन्होंने अपनी उंगली को चूत में घुसेड़ लिया।
 
अगले ही पल उनकी उंगली ने चूत की आग को और भड़का दिया। अब उन्हें उंगली से कोई लम्बी और मोटी चीज की जरूरत होने लगी।

उन्होंने बुदबुदाते हुए सोचा कि मुझे मालूम है कि वो लम्बी और मोटी चीज कैसे मिलेगी।

बस अब सविता भाभी ने अपना कामबाण चलाने का जतन किया। उन्होंने अपनी बड़ी चूचियों पर लाल रेशमी ब्रा को पहना और उसके हुक न लगने की बात को बनाते हुए दरवाजे से अपना सर निकाल कर उस सेल्समेन से कहा- सुनिए.. क्या आप मेरी थोड़ी मदद कर सकते हैं।

सेल्समेन तो इसी इन्तजार में बैठा था कि कोई मौका कैसे मिले.. वो दौड़ कर पास आया और बोला- हाँ हाँ.. बताइए क्या काम है?
‘जरा ये हुक लगा दीजिए न..’
सेल्समेन से अन्दर आकर ब्रा का हुक लगा दिया।

‘अब कोई तकलीफ तो नहीं है?’
भाभी कहने लगीं- ओह ये तो बहुत टाईट है लगता है हुक अटक गया है.. जरा जल्दी कीजिए.. मेरी ‘वो’ दुःख रही हैं।

सविता भाभी ये कहते हुए उससे ब्रा को खोलने की कहने लगीं।

सेल्समेन ने ब्रा का हुक खोल दिया.. तो भाभी ने उसे धन्यवाद देते हुए ब्रा उतार कर दे दी। अब सविता भाभी ऊपर से अपनी चूचियों को अपने हाथ से ढकने का नाटक करने लगीं।

सेल्समेन बोला- रुकिए मैं देखता हूँ कि कोई और बड़े साइज़ का सैट हो।
वो जाने लगा तो भाभी ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा- अरे रुको तुम किधर जा रहे हो?
सेल्समेन भाभी को देखने लगा। भाभी ने अपनी चूचियां उसके सामने खुली कर दी थीं।

सविता भाभी ने अपनी चूचियां उसकी तरफ करते हुए कहा- अरे पहले इनका ठीक से नाप तो ले लो..
सेल्समेन की तो मानो मन की मुराद पूरी हो गई।
वो ठिठक कर कुछ सोचने लगा इतने में सविता भाभी ने उसे फिर टोका- क्या वहीं खड़े रहोगे?

इस तरह का खुला आमंत्रण पा कर सेल्समेन की आंखें फ़ैल गईं। वो ललचाई नजरों से सविता भाभी की चूचियों को देखने लगा।

सविता भाभी ने अपनी चूचियों को अपने हाथों में लेकर उसकी तरफ उठाते हुए कहा- आओ न.. इनको ठीक से नाप लो ताकि अगली बार सही साइज़ ला सको।

सेल्समेन आगे बढ़ा और उसने सविता भाभी के निप्पल को अपनी उंगली से छुआ.. भाभी की चूत गनगना उठी।

सेल्समेन ने भाभी की दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उनको दबा-दबा कर भींचने लगा।

सेल्समेन का लवड़ा उसकी पैन्ट फाड़कर बाहर आने को आतुर हो उठा था।

सविता भाभी बड़बड़ाने लगीं- आह्ह.. ये तुम क्या कर रहे हो.. मैंने तो तुमसे नाप लेने के लिए कहा था।

पर सेल्समेन सविता भाभी की मदमस्त उठी हुई चूचियों का मर्दन करने लगा।

‘प्लीज़ मेरी चूचियां मत दबाओ.. आह्ह..’
‘सॉरी मैडम मैं अब अपने आपको रोक नहीं पा रहा हूँ।’

ये कहते हुए सेल्समेन ने सविता भाभी की चूचियों को चूसना और चूमना शुरू कर दिया। वो भाभी एक निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच दबा कर मींजता और दूसरे निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसता रहा।

भाभी के निप्पल कड़े होने लगे थे।

वो कहने लगीं- रुक जाओ.. मत करो, मेरे पति आते ही होंगे।

लेकिन अब सेल्समेन पूरी तरह से कामोत्तेजित हो चुका था। उसने भाभी के साथ मनमानी करना शुरू कर दी, जो कि खुद सविता भाभी की चाह थी।

वो उसका साथ देते हुए उससे कहने लगीं- आह्ह.. जरा प्यार से करो न.. लगती है।
 
सेल्समेन अब पूरी तरह से भाभी की जवानी से खेलने लगा था.. उसका लौड़ा पैन्ट में कड़क हो चुका था।

सविता भाभी भी पूरे मूड में आ चुकी थीं।

सविता भाभी ने उसके लौड़े को पैन्ट के ऊपर से ही मसलते हुए कहा- क्या मैं इससे खेल सकती हूँ?
‘हाँ हाँ क्यों नहीं मैडम ये आपके लिए ही तो है।’

सविता भाभी ने सेल्समेन की पैन्ट का हुक खोल दिया और उसके खड़े लौड़े को बाहर निकालते हुए सोचने लगीं कि इसको जल्दी से चूत में लेना पड़ेगा।

जैसे ही लौड़ा बाहर निकला भाभी देख कर दंग रह गई और सोचने लगीं कि कितना लम्बा और मोटा है।

अब सविता भाभी से रहा नहीं गया और उन्होंने लौड़े को गप से अपने मुँह में ले लिया।

‘आह्ह.. साली क्या चूसती है..’ सेल्समेन की आँखें काममद से मुंद गईं।

इधर सविता भाभी को मजा आ गया।

‘आह्ह.. क्या लण्ड है.. एकदम नमकीन है.. आह्ह.. मजा आ गया।’

भाभी ने सेल्समेन की पूरी पैन्ट उतार दी और ‘चपर-चपर’ करके पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगीं।

तभी भाभी का एक हाथ अपनी चूत पर गया और चूत को रस से भरा देख कर उनसे रहा नहीं गया और उसने कह दिया।

‘आह्ह.. अब रहा नहीं जाता जल्दी से मेरी चूत चोद दो..’
‘क्यों नहीं भाभी जी आपकी आज्ञा सर आँखों पर..’

सेल्समेन ने सोफे पर बैठ कर भाभी को अपनी गोद में ले लिया। भाभी अपनी गांड मटकाते हुए सेल्समेन के लौड़े पर बैठ गईं। सेल्समेन ने उनकी चूत में अपना लौड़ा पेल दिया और धकापेल चुदाई शुरू हो गई।

कुछ ही देर में भाभी की ‘आहें..’ निकलने लगीं।

‘आह्ह.. मजा आ रहा है और तेज चोदो न..’
‘हाँ भाभी लो और तेज लो.. लो..’ सेल्समेन भाभी को चोदते हुए सोचने लगा साली चुदक्कड़ राण्ड को चुदने में बड़ा मजा आ रहा है।

वो भाभी के मम्मों को पकड़ कर मसलता हुआ चूत की चुदाई करने लगा।

सविता भाभी बोलीं- आह्ह.. जरा और जोर से चोदो.. आह्ह.. मेरी चूचियां भी दबाओ न.. मजा आ रहा है आह्ह.. जरा और तेज बस मैं आने वाली हूँ।
‘आह्ह.. भाभी जी मेरे लिए रुकना बस मैं भी आने वाला हूँ.. आह्ह..’

‘आह्ह.. नहीं तुम अपना पानी मेरे अन्दर मत छोड़ना..’
‘आह्ह.. ठीक है ले मेरी जान भाभी आह्ह.. मैं निकल रहा हूँ..’ ये कहते हुए सेल्समेन ने अपना लौड़ा सविता भाभी की चूत से बाहर निकालते हुए पानी छोड़ दिया, जो कि भाभी के मम्मों को भिगोता चला गया।

सविता भाभी और सेल्समेन दोनों ही एकदम से निढाल हो गए थे।

कुछ देर यूं ही रुकने के बाद भाभी ने अपनी चूत पोंछी। सेल्समेन ने उठ कर अपनी पैन्ट पहनी और जाने को तैयार हुआ तो भाभी बड़े प्यार से उससे कहने लगीं- तो मिस्टर सही साइज़ का पीस कब लेकर आओगे?

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