एक गेंद से दो विकेट कैसे गिराए
एक दिन सविता भाभी अपने पति अशोक के वीकएंड में भी काम करने के कारण खुद को काफी बोर महसूस कर रही थीं, उनका किसी काम में मन नहीं लग रहा था।
इस वक़्त उनके जिस्म पर सिर्फ एक पेटीकोट और काफी खुले गले का ब्लाउज था।
सविता भाभी शायद अपनी चूत की चुदास से तड़फ रही थीं, उन्होंने खुद का मन लगाने के लिए टीवी चला लिया और टीवी देखने लगीं।
अभी टीवी खोला ही था कि खिड़की के शीशे को तोड़ते हुए एक गेंद कमरे में अन्दर आ गई।
सविता भाभी पहले तो झल्ला उठीं और मोहल्ले के शरारती बच्चों को कोसने लगीं।
फिर अचानक दो नौजवान लौंडों ने अन्दर आकर उनसे माफ़ी मांगते हुए अपनी बॉल लेने की बात कही तो उनके दिमाग में चूत की सुरसुरी ने कब्जा करते हुए उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये लौंडे 18-19 साल के नए कबूतर हैं और इनके ताजगी से भरे हुए जिस्म मेरे लिए एक खिलौना बन सकते हैं।
सविता भाभी ने उनसे मुस्कुराते हुए कहा- ओके.. अगली बार जरा ध्यान से.. हाँ.. और ये बताओ कि ये धोनी जैसा शॉट मारा किसने था?
‘ही ही.. आंटी इसने..’ एक लौड़े ने अपने दूसरे साथी की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सविता भाभी मुस्कुरा दीं और उन लौड़ों को उनकी बॉल देने के लिए यह कहते हुए पीछे को मुड़ीं।
‘मुझे नहीं मालूम कि तुम्हारी बॉल किधर है मुझे सोफा आदि के नीचे ढूँढनी होगी..’
भाभी के सोफे के नीचे देखने के लिए झुकते ही जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे उन लौंडों की नजरों के सामने सविता भाभी की उठी हुई गाण्ड थी।
ये सब सविता भाभी जैसी कामकला में निपुण मदमस्त औरत के फंदे थे, जिसमें उन लौंडों को भाभी की उफनती जवानी में डूबना ही था।
सविता भाभी भी अपनी गाण्ड को उनकी इस तरह उठा कर दिखा रही थीं जैसे उन्हें मालूम था कि वे लड़के सिर्फ उनकी चुदने को आतुर जवानी को ही देख सकें।
अगले ही पल भाभी ने बॉल को ढूँढ लिया और उठ कर अपनी आधी से अधिक चूचियों को और उभार कर दिखाते हुए उठीं और बोलीं- तुम लोगों को इतनी गर्मी में खेलने में दिक्कत नहीं होती?
‘हाँ आंटी.. आज बहुत गर्मी है..’
‘चलो तुम लोग बैठो मैं तुम्हारे लिए निम्बू पानी लाती हूँ..’
वे उन लड़कों को बैठने के लिए कह कर रसोई में जाने के लिए मुड़ीं।
तभी एक लड़के ने दूसरे से कहा- आकाश.. यार भाभी तो गजब की माल हैं उनके मम्मे देखे.. कितने बड़े-बड़े हैं..!
वे दोनों भाभी के कामुक और जवान जिस्म की उफनती घटाओं में बह निकले।
तभी सविता भाभी निम्बू पानी लेकर आईं और उन दोनों के सामने झुक कर गिलास पकड़ाते हुए निम्बू पानी देने लगीं।
एक तो वैसे ही आधे से अधिक दूधघाटी खुली हुई थी और सविता भाभी के झुकने से तो मानों लड़कों की चड्डियों में तूफ़ान आ गया।
वे अपनी सुधबुध खो कर सिर्फ सविता भाभी कसे हुए मम्मों को देखने लगे।
सविता भाभी जैसी कामुक औरत को उनकी वासना से लिप्त चाल सफल होते हुए दिखने लगी।
उन्होंने तुरंत अगला वार किया और उन लड़कों से कहा- क्या तुम लोग मेरी कुछ मदद कर दोगे.. मुझे बेडरूम की ऊपरी अलमारी में से कुछ सामान निकालना है, ये जरा ऊंचाई पर है।
बस सविता भाभी का कहना था और उन दोनों लड़कों का हामी भरना था।
एक दिन सविता भाभी अपने पति अशोक के वीकएंड में भी काम करने के कारण खुद को काफी बोर महसूस कर रही थीं, उनका किसी काम में मन नहीं लग रहा था।
इस वक़्त उनके जिस्म पर सिर्फ एक पेटीकोट और काफी खुले गले का ब्लाउज था।
सविता भाभी शायद अपनी चूत की चुदास से तड़फ रही थीं, उन्होंने खुद का मन लगाने के लिए टीवी चला लिया और टीवी देखने लगीं।
अभी टीवी खोला ही था कि खिड़की के शीशे को तोड़ते हुए एक गेंद कमरे में अन्दर आ गई।
सविता भाभी पहले तो झल्ला उठीं और मोहल्ले के शरारती बच्चों को कोसने लगीं।
फिर अचानक दो नौजवान लौंडों ने अन्दर आकर उनसे माफ़ी मांगते हुए अपनी बॉल लेने की बात कही तो उनके दिमाग में चूत की सुरसुरी ने कब्जा करते हुए उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया कि ये लौंडे 18-19 साल के नए कबूतर हैं और इनके ताजगी से भरे हुए जिस्म मेरे लिए एक खिलौना बन सकते हैं।
सविता भाभी ने उनसे मुस्कुराते हुए कहा- ओके.. अगली बार जरा ध्यान से.. हाँ.. और ये बताओ कि ये धोनी जैसा शॉट मारा किसने था?
‘ही ही.. आंटी इसने..’ एक लौड़े ने अपने दूसरे साथी की तरफ इशारा करते हुए कहा।
सविता भाभी मुस्कुरा दीं और उन लौड़ों को उनकी बॉल देने के लिए यह कहते हुए पीछे को मुड़ीं।
‘मुझे नहीं मालूम कि तुम्हारी बॉल किधर है मुझे सोफा आदि के नीचे ढूँढनी होगी..’
भाभी के सोफे के नीचे देखने के लिए झुकते ही जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे उन लौंडों की नजरों के सामने सविता भाभी की उठी हुई गाण्ड थी।
ये सब सविता भाभी जैसी कामकला में निपुण मदमस्त औरत के फंदे थे, जिसमें उन लौंडों को भाभी की उफनती जवानी में डूबना ही था।
सविता भाभी भी अपनी गाण्ड को उनकी इस तरह उठा कर दिखा रही थीं जैसे उन्हें मालूम था कि वे लड़के सिर्फ उनकी चुदने को आतुर जवानी को ही देख सकें।
अगले ही पल भाभी ने बॉल को ढूँढ लिया और उठ कर अपनी आधी से अधिक चूचियों को और उभार कर दिखाते हुए उठीं और बोलीं- तुम लोगों को इतनी गर्मी में खेलने में दिक्कत नहीं होती?
‘हाँ आंटी.. आज बहुत गर्मी है..’
‘चलो तुम लोग बैठो मैं तुम्हारे लिए निम्बू पानी लाती हूँ..’
वे उन लड़कों को बैठने के लिए कह कर रसोई में जाने के लिए मुड़ीं।
तभी एक लड़के ने दूसरे से कहा- आकाश.. यार भाभी तो गजब की माल हैं उनके मम्मे देखे.. कितने बड़े-बड़े हैं..!
वे दोनों भाभी के कामुक और जवान जिस्म की उफनती घटाओं में बह निकले।
तभी सविता भाभी निम्बू पानी लेकर आईं और उन दोनों के सामने झुक कर गिलास पकड़ाते हुए निम्बू पानी देने लगीं।
एक तो वैसे ही आधे से अधिक दूधघाटी खुली हुई थी और सविता भाभी के झुकने से तो मानों लड़कों की चड्डियों में तूफ़ान आ गया।
वे अपनी सुधबुध खो कर सिर्फ सविता भाभी कसे हुए मम्मों को देखने लगे।
सविता भाभी जैसी कामुक औरत को उनकी वासना से लिप्त चाल सफल होते हुए दिखने लगी।
उन्होंने तुरंत अगला वार किया और उन लड़कों से कहा- क्या तुम लोग मेरी कुछ मदद कर दोगे.. मुझे बेडरूम की ऊपरी अलमारी में से कुछ सामान निकालना है, ये जरा ऊंचाई पर है।
बस सविता भाभी का कहना था और उन दोनों लड़कों का हामी भरना था।