Shadi Se Pahle Meri Suhagraat

Discussion in 'Hindi Sex Stories' started by sexstories, Nov 25, 2016.

  1. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    ज़्यादातर मेल लड़कों के थे और लगभग सभी मुझसे दोस्ती करना चाहते है या सच कहूँ तो सब मुझे चोदना चाहते हैं।
    कई ने अपने लंड की फोटो भेजी और कई ने अपने मोबाईल नम्बर… शायद उनकी भी कोई गलती नहीं है क्योंकि हर लंड को एक चूत और हर चूत को एक लंड की ज़रूरत होती ही है।
    इसे कोई कैसे पूरी करता है, यह उस पर निर्भर करता है।

    आप सभी जानना चाहते हैं कि वो कौन था जिसने मुझे ऑफ़िस में अपनी चूत में मार्कर घुसा कर हस्तमैथुन करते हुए देख लिया था।
    फिर आगे क्या हुआ।

    उसके बाद हुआ यूँ कि उस दिन जब बिल्कुल शांत होने के बाद मैं एडमिन ब्लॉक में गई तो देखा वहाँ मानव सर बैठे चाय पी रहे थे।

    उन्होंने मुझे देखा तो हाथ से अपने केबिन में आने का इशारा किया।
    मैं उनके केबिन में जाकर कुर्सी पर बैठ गई।

    मानव सर के बारे में बता दूँ, वो हमारे कॉरपोरेट ऑफिस में पर्चेस मैनेजर हैं जो कभी कभी ही इधर आते हैं। हँसमुख किस्म के व्यक्ति हैं हमेशा मज़ाक के मूड में रहते हैं जब भी वो आते हैं काफी लड़कियां उनके आस पास मंडराती रहती हैं।

    मैं सामान्य रूप से उनके ऑफिस में जाकर बैठ गई और उनसे इधर-उधर की बातें करने लगी।
    फिर उन्होंने पूछा- इतिहास साफ कर दिया या नहीं?
    मैं समझी नहीं कि वो क्या कह रहे हैं।
    मैंने पूछा- क्या सर?
    सर- मैं पूछ रहा हूँ इन्टरनेट से हिस्ट्री क्लियर कर दी या नहीं?

    मैं सकपका गई और सोचने लगी कि सर यह क्या पूछ रहे हैं?
    अब मैं समझ गई थी कि शीशे के उस पार ये थे जिसने मुझे वो सब करते देखा है।
    फिर भी मैंने पूछा- क्यों सर, हिस्ट्री क्लियर करना ज़रूरी है क्या?

    वो बोले- ऐसे तो कोई ज़रूरी नहीं हैं लेकिन हमारे सारे कप्यूटर नेटवर्किंग में हैं और आई टी विभाग वाले किसी का भी कंप्यूटर चेक कर लेते हैं ऐसे में अगर उन्होंने यह देख लिया कि तुम नेट पर क्या कर रही थी तो शायद तुम्हारे लिए मुश्किल हो सकती है।

    अब बिल्कुल पक्का हो चुका था कि ये सब देख चुके हैं। मैं उनके सामने बैठी शर्म से पानी पानी हो रही थी, समझ में नहीं आ रहा था कि यहाँ बैठी रहूँ, अपने ऑफिस में जाऊँ या घर भाग जाऊँ।
    अजीब सी हालत हो गई थी।

    वो मेरी स्थिति समझ चुके थे, उन्होंने कहा- परेशान मत हो, कुछ ऐसा नहीं हुआ जो तुमने बाकी लोगों से अलग किया है। सब करते हैं, तुम बस अपना पी. सी. ठीक से बंद करो और घर जाकर आराम करो, बाकी सारी बातें दिमाग से निकाल दो।

    मैं घर आ गई और सोने की कोशिश करने लगी, लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी।
    अब मेरे दिमाग में मेरी ब्लू फिल्म चल रही थी जिसमें मैं मूवी देखकर चूत में उंगली कर रही हूँ और शीशे के पीछे मानव सर मुझे उंगली करते देखकर अपना लंड हिला रहे हैं।
    खैर रात को किसी तरह नींद आ गई।

    अगले दिन मैं बाकी दिनों की तरह ऑफिस गई और मेन गेट पर ही मानव सर मिले और अपने जाने पहचाने अंदाज़ में मुझे गुड मॉर्निंग विश किया।
     
  2. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    वो कभी इस बात का इंतज़ार नहीं करते कि उनका कोई जूनियर उनको विश करेगा, वो खुद ही सबको विश कर देते हैं लेकिन आज उनके विश करने में कुछ अलग बात थी।
    उनकी मुस्कान आज कुछ शरारती लग रही थी, उनकी आँखों में एक अलग सी चमक थी।
    मैंने उसे देखकर भी अनदेखा कर दिया और ऑफिस आकर अपने काम में लग गई।

    उसी दिन शाम को फिर मानव सर हेड ऑफिस वापस चले गए।

    मैं खुश थी कि किसी को कुछ पता नहीं चला और जिसे पता है उसने मेरा कोई फायदा उठाने की कोशिश भी नहीं की और अब चले भी गए।

    मेरी ज़िन्दगी उसी तरह चल रही थी।

    मैं अब भी ऑफिस में कभी-कभी मौका मिलने पर ब्लू फिल्म देखती और उंगली कर लेती थी।

    एक दिन इसी तरह अपने आप में मस्त, मूवी देख रही थी और चूत सहला रही थी।
    मेरे ऑफिस के फोन की घंटी बजी, फोन उठाकर मैंने हेलो बोला।

    उधर से आवाज़ आई- हेलो आशा- मानव हियर, क्या चल रहा है?
    मैंने खुद को सँभालते हुए कहा- कुछ नहीं सर, बस ऑफिस का काम।
    वो बोले- झूठ मत बोलो यार, तुम्हारी विंडो मेरे सामने है। मुझे पता है कि तुम क्या कर रही हो। अब तुम बताओ क्या कर रही हो?

    मैं समझ गई अब कुछ छुपाना मुमकिन नहीं है तो बोल दिया- मूवी देख रही हूँ सर।
    सर- और क्या कर रही हो?
    मैं- और क्या मतलब?
    मैंने अनजान बनते हुए पूछा।

    सर- यार ये मूवी देखते हुए जो करती हो, वो कर रही हो या नहीं?
    मैं उनसे यह उम्मीद नहीं करती थी लेकिन पहले दिन की घटना के बाद उन्होंने मेरे दिल में कहीं एक जगह बना ली थी। उनसे बात करना मुझे सेफ लग रहा था और अच्छा भी।
    मैंने कहा- हाँ सर, कर रही हूँ, आप बताइये।

    सर- मेरा भी सेम सेम है, मैं भी पंजे का समर्थन ले रहा हूँ।
    मैं- पंजे का समर्थन क्या सर, मैं समझी नहीं?
    सर- जैसे तुम उंगली से करती हो वैसे हम पंजे से, मतलब हाथ से करते हैं।

    फिर सर से धीरे-धीरे बातें होती रही और बात बढ़ती रही।
    धीरे धीरे फोन सेक्स भी शुरू हो गया।

    उनसे बात करना तो मुझे पहले ही अच्छा लगता था, उसके बाद जब फोन सेक्स शुरू हुआ तो फिर बस बदन का पर्दा रह गया बाकी सारी बातें फोन पर होने लगी।

    अब मेरी चूत भी कुलबुलाने लगी थी, उनसे फोन सेक्स के समय तो लगता था कि बस अब तो कोई चोद दे, फाड़ दे मेरी चूत को।
    वो फोन सेक्स के समय कई बार बोल चुके थे कि मुझे चोदना कहते हैं लेकिन मैं अभी तक डर रही थी।

    फिर एक दिन मैंने उनको हाँ बोल दिया।
    मेरा जवाब सुनकर वो बहुत खुश थे और अब हम दोनों मिलने का बहाना ढूंढ रहे थे।

    एक दिन उनका फोन आया और पता चला कि वो अगले हफ्ते तीन दिन के लिए यहाँ आ रहे हैं।
    मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा, चूत पैंटी से बाहर आने को तैयार थी, इसको भी शायद लंड चाहिए था जिसका यह बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी।

    सोमवार को सुबह जब मैं ऑफिस पहुंची, तब तक वो ऑफिस में आ चुके थे लेकिन हमारी मुलाकात हुई लंच के समय, वो भी बिल्कुल आमने सामने।
    मैं अभी तक उनसे मिलने को तड़प रही थी, लेकिन अब जब वो मेरे सामने थे तो समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
    वो मुझे लगभग घूरते हुए देख रहे थे, उनकी आँखें मेरे मस्त बूब्स पर टिकी थी।
    मैं शरमाते हुए वहाँ से अपने ऑफिस आ गई और उनके बारे में सोचने लगी।
     
  3. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    थोड़ी देर में मेरे कंप्यूटर पर उनका मैसेज आया ‘हाय जान!’
    यह कंफर्म करने के लिए कि मैसेज उन्होंने ही भेजा है, मैंने उनको फोन किया और फिर उन्होंने बताया कि आज रात का प्रोग्राम है उनके होटल में।
    मैंने उनको हाँ बोला और ऑफिस से शार्ट लीव लेकर घर आ गई।

    घर पर जल्दी आने का कारण पूछा तो मैंने बता दिया कि आज फ्रेंड की शादी हैं। पहले तैयार होने पार्लर जाना है और फिर शादी। रात भर शादी में रहना है इसलिए कल की छुट्टी ले ली है।

    उसके बाद शाम को मैं पार्लर चली गई ताकि घर वालों को मेरी बात सच लगे और वैसे भी सजना तो मुझे था ही। आज मेरी सुहागरात जो थी, आज पहली बार चुदने वाली थी मैं, आज मेरी सील टूटने वाली थी।

    दिमाग में न जाने क्या क्या चल रहा था। एक अजीब सी ख़ुशी और एक अजीब सा डर दोनों का मिला जुला एहसास, जो ब्यान नहीं किया जा सकता।

    करीब नौ बजे उनका फोन आया- हेल्लो आशा, कहाँ हो यार?
    मैं- अभी निकल रही हूँ आप कहाँ हो?
    सर- तुम्हारे पास वाले मैदान के पास अपनी गाड़ी में हूँ।
    मैं- बस अभी पहुँच रही हूँ।

    उसके बाद मैं तेज़ी से कदम बढ़ाते हुए उनकी बताई जगह पर पहुँच गई। वो अपनी गाड़ी में बैठे बस मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे।

    मुझे इस तरह हल्की गुलाबी रंग की साड़ी में सजी संवरी देख वो हक्के बक्के रह गए, उनका मुँह खुला का खुला रह गया।
    मैंने चुटकी बजाकर उनकी तन्द्रा भंग की।

    मैं गाड़ी में बैठ गई और गाड़ी चल दी हाइवे की ओर!

    थोड़ी देर में ही उनका होटल आ गया और हम दोनों उनके कमरे में आ गए।
    कमरा बड़ा ही खूबसूरत तरीके से सजा था, ताज़े गुलाब की भीनी भीनी खुशबू मन को भीतर तक महका रही थी।

    मैं बेड पर बैठ गई और सर भी मेरे साथ ही बैठ गए।
    थोड़ी देर इधर उधर की बातें हुई, फिर खाना खाया और वापस अपने कमरे में आ गए।

    मैं पहले कमरे के अंदर आई और फिर सर, उन्होंने चटकनी बंद कर दी और मेरे पास आ गए।
    सर- आज इतना सज कर क्यों आई हो?

    मैं- क्योंकि आज मेरी सुहागरात है आपके साथ।
    इतना कहकर मैं शरमा गई।

    सर- तो आज तुम्हें सुहागरात का मज़ा दिलाना पड़ेगा। आज की रात तुम्हारी ज़िन्दगी की सबसे हसीन रात होगी जिसे तुम सारी ज़िन्दगी नहीं भूल पाओगी।

    यह कहते हुए सर ने मेरे खुले हुए बालों में अपनी उंगलियाँ डाल दी और अपने होंठ मेरे होठों पर चिपका दिए।
    नीचे वाले होंठ को उन्होंने अपने दोनों होठों के बीच कस लिया और चूसने लगे।

    मेरे पूरे बदन में सिहरन सी होने लगी थी, किसी पुरुष के साथ ये मेरा पहला अनुभव था।
    मैं धीरे धीरे मदहोश होने लगी थी और किस करने में मैं भी उनका साथ देने लगी थी।

    अब उन्होंने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे होठों के साथ मेरे माथे पर और आँखों पर और गालों पर किस करने लगे।
    यह एहसास मुझे बिल्कुल नया सा, बहुत अच्छा सा लग रहा था।

    उसके बाद उन्होंने मुझे खड़ी किया और मेरी साड़ी उतार दी, मैं पेटीकोट ब्लाउज़ में आ गई।
    मैं खड़ी-खड़ी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी, मैंने अपना चेहरा हथेलियों के बीच ढक लिया और वो किसी आशिक की तरह बस मुझे निहारे जा रहे थे।
     
  4. sexstories

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    उन्होंने आगे बढ़कर मुझे बिस्तर पर बैठाया और मेरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगे। एक-एक करके उन्होंने सारे हुक खोल दिए और मेरे ब्लाउज़ को उतार कर फेंक दिया।
    फिर मेरे पेटीकोट के साथ भी वही हुआ, अगले ही पल मैं ब्रा-पैंटी में थी।

    अपने कपड़े भी उन्होंने उतार दिए और वो भी अपनी ब्रा-पैंटी, मेरा मतलब अंडर गारमेंट्स में आ गए।
    मैं ब्रा-पैंटी पहले बिस्तर पर लेटी थी और वो धीरे धीरे मेरे ऊपर आ रहे थे।

    उन्होंने मुझे चूमना शुरू किया… अबकी बार मेरे पैरों की तरफ से!

    वो मेरे पैरों को चूम रहे थे और बीच बीच में चूस रहे थे और धीरे धीरे चूसते हुए ऊपर आ रहे थे।
    मेरे पैरों पर, घुटनों पर, जांघों पर और फिर मेरी पैंटी के पास।

    पैंटी को उन्होंने ऊपर से किस किया, फिर कुत्ते की तरह सूंघने लगे और आँखें बंद करके न जाने क्या महसूस कर रहे थे।

    फिर जैसे ही उन्होंने अपना हाथ मेरी चूत पर रखा, मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया।

    वो धीरे धीरे ऊपर आते जा रहे थे।
    चूत को ज़्यादा न दबाते हुए वो मेरे पेट पर आये और बेली बटन में अपनी जीभ डाल दी।
    ‘आआह्ह्ह्ह’ सी निकली मेरे मुँह से और एहसास हुआ कि यह भी एक जगह है, जिसमें मज़ा आता है।

    वो मेरे पेट को चूमते चूसते ऊपर आते गए और बूब्स के पास आते हुए मेरे बूब्स दबा दिए जिसका एहसास नीचे चूत में हुआ।

    अब उन्होंने पूरी तरह मेरे ऊपर आकर अपने दोनों पैरों को मेरी नंगी कमर के दोनों ओर कर दिया और मेरी कमर में हाथ डालकर मेरी ब्रा का हुक खोलकर उसे भी मेरे बदन से अलग कर दिया और फिर वैसे ही पलट कर मेरी पैंटी भी उतार दी।

    मैं अब बिल्कुल नंगी थी, मैंने उन्हें इशारा किया कि वो भी अपने बाकी कपडे उतार दें।
    उन्होंने वैसा ही किया।

    जैसे ही उन्होंने अपना अंडरवियर उतारा, तो उनका फनफनाता हुआ लंड मेरी आँखों के सामने था।
    पहली बार मैं किसी लंड को ऐसे देख रही थी, करीब 6-7 इंच रहा होगा उनका लंड जो मेरे लिए बहुत बड़ा था।

    मुझे डर तो लग रहा था कि आज न जाने मेरी चूत का क्या बनने वाला है, लेकिन साथ ही जिज्ञासा भी थी कि क्यों लोग सेक्स के लिए पागल हुए रहते हैं।

    वो मेरे ऊपर वैसे ही बैठे थे मेरी कमर को जकड़े हुए मेरी आँखों में आँखें डालकर जैसे कह रहे हो कि आज मेरी सुहागरात मनवा कर ही छोड़ेंगे।

    अब उनके हाथ मेरे नंगे बूब्स को सहला रहे थे, मेरे निप्पल को दो उँगलियों में हौले-हौले मसल रहे थे, मुझे थोड़ी दर्द के साथ बहुत मज़ा आ रहा था।

    फिर उन्होंने एक हाथ से चूत को सहलाना शुरू किया। वो मेरी चूत को ऊपर से सहला रहे थे और मेरी चूत अन्दर तक छटपटा रही थी।
    अब उन्होंने नीचे आकर मेरी दोनों टाँगों को खोल दिया और मेरी चूत को गौर से देखने लगे, अपना मुंह उन्होंने मेरी चूत के मुँह पर लगाया और चाटने लगे।

    मेरे बदन में एक कंपकपी सी दौड़ गई।

    वो मेरी चूत के दाने को चूस रहे थे और मेरी चूत के दोनों होठों को खोलकर अपनी जीभ को मेरी चूत में अन्दर तक पहुँचा रहे थे, लग रहा था जीभ से ही चोद डालेंगे और हुआ भी वही।
    उनके इस तरह बूब्स दबाने और चूत चूसने से मेरी स्वीटी ने अपना पानी छोड़ दिया जिसे उन्होंने साफ कर दिया।
     
  5. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    अब उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में डालना चाहा लेकिन मैंने मना कर दिया। उन्होंने भी इसके लिए ज़िद नहीं की, बोले- आज तुम्हारी सुहागरात है, हम वही करेंगे जो तुम्हें अच्छा लगे।

    उन्होंने एक बार फिर मेरे पूरे बदन को चूमा और अपनी एक उंगली गीली करके मेरी चूत में डाल दी।
    मैं चिहुंक उठी।
    वो धीरे धीरे चूत में उंगली अन्दर बाहर कर रहे थे, मुझे एक असीम आनन्द का एहसास हो रहा था, मेरे पूरे बदन में सरसराहट हो रही थी। चूत अब तक पानी पानी हो चुकी थी और लंड लेने के लिए बेचैन थी।

    मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन अन्दर से आवाज़ आ रही थी- अब चोद दो यार, क्यों तड़पा रहे हो।
    मैंने उनका लंड पकड़ लिया जिससे वो समझ गए कि लोहा पूरा गर्म है। उन्होंने अपने लंड पर क्रीम लगाई और मेरी चूत के होंठों को खोलकर लंड को उस छोटे से छेद पर रख दिया जिसने अभी तक किसी लंड का स्वाद नहीं चखा था।

    वो लंड को मेरी चूत के होठों के अन्दर रगड़ रहे थे। मेरी चूत अब ऐसे आग उगल रही थी जैसे दो पत्थरों को रगड़ने से निकलती है।चूत अब लंड को निगल जाना चाहती थी।

    वो मेरी तड़प समझ रहे थे, चूत के होठों का कम्पन मैं महसूस कर रही थी।
    फिर उन्होंने मेरे बूब्स को दबाते हुए मेरे होंठ अपने होंठों से बंद कर दिए और लंड का दबाव मेरी चूत पर बढ़ाने लगे, लंड धीरे धीरे मेरी चूत में समाता जा रहा था।

    मेरी फटी जा रही थी और वो इस बात की परवाह किये बिना चूत पर लंड का दबाव बढ़ाते जा रहे थे।
    मेरा दर्द से बुरा हाल था, मैं चाहती थी कि वो लंड को बाहर निकाल लें।

    मैं पैर पटक रही थी, चिल्लाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे होंठ पहले से सिले हुए थे।

    करीब तीन इंच लंड अन्दर गया होगा तब उन्होंने दबाव बढ़ाना बंद किया और लंड को उसी जगह पर रोक दिया और मेरे होठों को छोड़ दिया।
    मेरी आँख से आंसू आ रहे थे।

    उन्होंने मुझे देखा और मेरे आंसू पी गए। यह देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने उनके होठों को चूस लिया।

    अब मेरी चूत का दर्द भी सहने लायक हो गया था। वो भी समझ चुके थे कि बाकी की चढ़ाई करने का समय आ गया है।
    इसके बाद वो लंड को चूत से बाहर निकाले बिना चूत पर दबाव बढ़ाते चले गए और उनका छः इंच का लंड पूरा चूत की गहराई में समां गया।

    मैं दर्द से तड़पने लगी, मुझे लग रहा था कि आज मेरी जान निकल जाएगी।
    लेकिन वो इस बात को अनदेखा करते हुए चूत में समां जाना चाहते थे।

    थोड़ी देर में मेरा दर्द कुछ कम होने लगा। उन्होंने अब चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए थे।
    मैं एक अलग सा अनुभव कर रही थी जो पहले कभी नहीं किया था। मुझे मज़ा आने लगा था, दर्द धीरे धीरे आनन्द में बदलता जा रहा था।
    वो ऊपर से धक्के मार रहे थे और मेरी चूत नीचे से उचक उचक कर साथ दे रही थी।
    काफी देर की धक्का परेड ने मेरी चूत का बुरा हाल कर दिया था।

    मेरी चूत बूब्स और होंठ सब उनके कब्ज़े में थे और कुछ भी उनसे अलग नहीं होना चाह रहा था। चूत ने लंड को अपने आप में ऐसे समेट लिया था जैसे वो उसी का खोया हुआ हिस्सा है जो आज उसे मिल गया है।
     
  6. sexstories

    sexstories Administrator Staff Member

    चुदाई का वो मज़ा मुझे मिल रहा था जिसके लिए तड़प कभी शांत नहीं होती।
    मेरी चूत का अब तक दो बार पानी निकल चुका था जिससे लंड फक फक करता चूत में अन्दर बाहर जा रहा था।

    फिर लंड का अंत समय आ गया और उसने अपना पूरा गर्म उबलता हुआ लावा मेरी चूत में उगल दिया।
    अब तक चूत से सब बाहर निकलता था, आज पहली बार कुछ चूत के अन्दर गिरा था।

    लावा अन्दर गिरने के बाद जलती हुई चूत में ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने गर्म तवे पर पानी की बूंदें गिरा दी हों।
    मेरी आँखों में अब एक सुकून था, एक संतुष्टि।

    उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और हम दोनों को साफ किया फिर चादर लेकर लेट गए।
    अचानक मुझे ख्याल आया, अगर प्रग्नेंट हो गई तो…?

    मैंने उनको बोला- सर आपने कंडोम नहीं लिया, अगर मैं प्रग्नेंट हो गई तो किसी को मुँह दिखने के लायक नहीं रहूंगी।
    सर- चिंता मत करो, कुछ नहीं होगा, ऐसे सेक्स से प्रग्नेंट नहीं हो सकती।
    मैं- समझी नहीं सर, आपका वो तो अन्दर ही गया है न, तो फिर कैसे नहीं हो सकती?

    सर- तुम्हें शायद पता नहीं है, मैं एक जिगोलो हूँ। पार्ट टाइम कभी कभी मस्ती के लिए करता हूँ और मैंने एक छोटा सा ऑपरेशन करवा रखा है, जिससे मैं किसी को कितना भी चोदू वो प्रग्नेंट नहीं हो सकती।

    मैं- लेकिन आपने ऐसा करवाया क्यों हैं।
    सर- अरे यार, कुछ लड़कियों को जब तक चूत में पानी न गिरे, तब तक चुदाई का मज़ा नहीं आता इसलिए ये सब करवाया है ताकि पूरा मज़ा मिले बिना किसी खतरे के।

    मैं- फिर तो मज़े है आपके भी और आपसे चुदने वाली के भी!

    उसके बाद थोड़ी और मस्ती एक बार और मस्त चुदाई और फिर चैन की नींद!

    उसके बाद कब कहाँ क्या हुआ ये बाद में बताऊंगी।

    मेरी कहानी पढ़कर उस पर कमेंट्स मेल करना न भूलें।
     
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