हैलो, मैं ब्लैक हार्ट हूँ।
मैं सब भाभियों को और गर्ल्स को अपने छोटे भाई (लंड) के साथ खड़े हो कर प्रणाम करता हूँ। मैं दिल्ली के एक पॉश एरिया से हूँ। आज मैं आपको अपनी चुदाई का किस्सा बताना चाहूँगा जो मैंने एक लखनवी भाभी के साथ ट्रेन में की थी।
हुआ यूं कि मुझे एक आवश्यक मीटिंग के लिए ट्रेन से दिल्ली से लखनऊ जाना था। अचानक सूचना मिलने की वजह से मुझे रिज़र्वेशन नहीं मिला.. तो मैं जनरल टिकट लेकर एसी 2 टिअर के कोच में चढ़ गया। मैंने सोचा टीटीई से बात करके कोई सीट कन्फर्म करा लूँगा।
लेकिन उस दिन रश इतना अधिक था कि कोई जगह खाली ही नहीं थी। टीटी ने मुझे अपनी बर्थ नम्बर 7 नंबर बैठने के लिए दे दी और वो टिकेट चैक करने निकल गया।
जब मैं सीट पर बैठा तो मेरी नज़र सामने वाली लोवर बर्थ पर पड़ी.. वहाँ एक गज़ब की कयामत लेटी हुई थी.. जिसका फिगर तो मुझे पता नहीं.. लेकिन उसका रंग दूध की तरह एकदम गोरा था। उसके चूचे उसके स्किन टाइट कुर्ते में गज़ब ढा रहे थे। उसके तने हुए मम्मे यूं लग रहे थे मानो दो नुकीले नारियल लगे हों।
वो मुझे ही देख रही थी।
मेरी नजरें उससे मिलीं.. तो मैंने उसे स्माइल देकर बात करने की कोशिश की।
लेकिन शायद मैंने उसकी नींद खराब कर दी थी तो वो मुँह बना कर मेरी तरफ चेहरा करके सो गई।
मैंने सोचा एक ही तो माल है यहाँ.. वो भी हाथ से गया।
फिर ट्रेन ने चलना स्टार्ट किया। जैसे-जैसे ट्रेन हिल रही थी.. भाभी के चूचे भी ऊपर-नीचे हिल रहे थे। उनके पहाड़ों में भूकंप की धमक देख कर मेरा छोटा लेकिन लम्बा और मोटा भाई (लंड) भी जाग गया।
मेरी तो बुद्धि ही घूम गई कि कैसे इससे बात की जाए?
मैं झुक कर उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा करके बैठ गया।
जब ट्रेन को चलते हुए एक घंटा से ज्यादा हो गया तो मैंने देखा कि भाभी के चूचे बिल्कुल उनके गले तक आ गए थे। बिल्कुल गोरे चूचे.. संगमर की तरह और उनका सूट कमर से ऊपर तक पहुँच गया था..
शायद वो गहरी नींद में थी लेकिन मेरी नींद तो उड़ चुकी थी।
जब अन्तर्वासना मुझ पर हावी हो गई.. तो मैंने भाभी के हाथ पर हाथ रख दिया। मैंने यह कन्फर्म करने के लिए किया कि वो सो रही है या जाग रही है।
लेकिन वो बिल्कुल गहरी नींद में सो रही थी।
मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसके मम्मों पर रखा और एक पल रुकने के बाद फिराने लगा।
वो हल्का सी हिली मेरी तो गांड ही फट गई लेकिन वो करवट लेकर फिर सो गई।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी, मैं उसकी छाती के बगल में हाथ फिराने लगा।
ट्रेन अपनी मस्ती में चल रही थी और मैं अपनी मस्ती में लगा हुआ था, अचानक वो उठ कर बैठ गई और पूछने लगी- क्या कर रहे थे?
मेरी तो गांड ही फट गई.. मैंने हकलाते हुए जवाब दिया- आपके वो (बूब्स) आपके कपड़ों से बाहर दिख रहे थे तो मुझे कंट्रोल नहीं हुआ।
वो कहने लगी- मैं अपने पति से शिकायत करती हूँ।
मैंने रोने के जैसा मुँह बना कर कहा- सॉरी, अब नहीं होगा।
उसने थोड़ी देर सोचा और कहा- ठीक आगे ऐसा किसी के साथ मत करना.. वरना किसी पंगे में फंस सकते हो।
मैं सब भाभियों को और गर्ल्स को अपने छोटे भाई (लंड) के साथ खड़े हो कर प्रणाम करता हूँ। मैं दिल्ली के एक पॉश एरिया से हूँ। आज मैं आपको अपनी चुदाई का किस्सा बताना चाहूँगा जो मैंने एक लखनवी भाभी के साथ ट्रेन में की थी।
हुआ यूं कि मुझे एक आवश्यक मीटिंग के लिए ट्रेन से दिल्ली से लखनऊ जाना था। अचानक सूचना मिलने की वजह से मुझे रिज़र्वेशन नहीं मिला.. तो मैं जनरल टिकट लेकर एसी 2 टिअर के कोच में चढ़ गया। मैंने सोचा टीटीई से बात करके कोई सीट कन्फर्म करा लूँगा।
लेकिन उस दिन रश इतना अधिक था कि कोई जगह खाली ही नहीं थी। टीटी ने मुझे अपनी बर्थ नम्बर 7 नंबर बैठने के लिए दे दी और वो टिकेट चैक करने निकल गया।
जब मैं सीट पर बैठा तो मेरी नज़र सामने वाली लोवर बर्थ पर पड़ी.. वहाँ एक गज़ब की कयामत लेटी हुई थी.. जिसका फिगर तो मुझे पता नहीं.. लेकिन उसका रंग दूध की तरह एकदम गोरा था। उसके चूचे उसके स्किन टाइट कुर्ते में गज़ब ढा रहे थे। उसके तने हुए मम्मे यूं लग रहे थे मानो दो नुकीले नारियल लगे हों।
वो मुझे ही देख रही थी।
मेरी नजरें उससे मिलीं.. तो मैंने उसे स्माइल देकर बात करने की कोशिश की।
लेकिन शायद मैंने उसकी नींद खराब कर दी थी तो वो मुँह बना कर मेरी तरफ चेहरा करके सो गई।
मैंने सोचा एक ही तो माल है यहाँ.. वो भी हाथ से गया।
फिर ट्रेन ने चलना स्टार्ट किया। जैसे-जैसे ट्रेन हिल रही थी.. भाभी के चूचे भी ऊपर-नीचे हिल रहे थे। उनके पहाड़ों में भूकंप की धमक देख कर मेरा छोटा लेकिन लम्बा और मोटा भाई (लंड) भी जाग गया।
मेरी तो बुद्धि ही घूम गई कि कैसे इससे बात की जाए?
मैं झुक कर उसके चेहरे के सामने अपना चेहरा करके बैठ गया।
जब ट्रेन को चलते हुए एक घंटा से ज्यादा हो गया तो मैंने देखा कि भाभी के चूचे बिल्कुल उनके गले तक आ गए थे। बिल्कुल गोरे चूचे.. संगमर की तरह और उनका सूट कमर से ऊपर तक पहुँच गया था..
शायद वो गहरी नींद में थी लेकिन मेरी नींद तो उड़ चुकी थी।
जब अन्तर्वासना मुझ पर हावी हो गई.. तो मैंने भाभी के हाथ पर हाथ रख दिया। मैंने यह कन्फर्म करने के लिए किया कि वो सो रही है या जाग रही है।
लेकिन वो बिल्कुल गहरी नींद में सो रही थी।
मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसके मम्मों पर रखा और एक पल रुकने के बाद फिराने लगा।
वो हल्का सी हिली मेरी तो गांड ही फट गई लेकिन वो करवट लेकर फिर सो गई।
अब मेरी हिम्मत बढ़ गई थी, मैं उसकी छाती के बगल में हाथ फिराने लगा।
ट्रेन अपनी मस्ती में चल रही थी और मैं अपनी मस्ती में लगा हुआ था, अचानक वो उठ कर बैठ गई और पूछने लगी- क्या कर रहे थे?
मेरी तो गांड ही फट गई.. मैंने हकलाते हुए जवाब दिया- आपके वो (बूब्स) आपके कपड़ों से बाहर दिख रहे थे तो मुझे कंट्रोल नहीं हुआ।
वो कहने लगी- मैं अपने पति से शिकायत करती हूँ।
मैंने रोने के जैसा मुँह बना कर कहा- सॉरी, अब नहीं होगा।
उसने थोड़ी देर सोचा और कहा- ठीक आगे ऐसा किसी के साथ मत करना.. वरना किसी पंगे में फंस सकते हो।