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Peter uncle ने अगली सुबह फुलवा को उसके पहले ग्राहक का नाम बताया।
Peter uncle, "आज रात सेठ कौडीमल तुझे मिलने आ रहा है। कौडीमल मेरा पुराना ग्राहक है। उसे रोती बिलबिलाती लड़कियां पसंद नही। तो तू उसका स्वागत तेरे कमरे के दरवाजे में करेगी। फिर उसे बिस्तर पर बिठाकर उसे मेज पर रखा दूध पिलाएगी। फिर उसका हर कहा मान कर उसे अपने बदन के साथ खेलने देगी। अगर तूने कुछ भी गलती की तो सेठ कौडीमल गुस्सा हो कर चला जायेगा और यह बात मुझे अच्छी नहीं लगेगी। समझी!"
फुलवा ने अपने सर को हिलाकर हां कहा पर मन ही मन कौडीमल को भगाने का मन बना लिया।
शाम को 7 बजे Peter uncle ने फुलवा को खाना परोसा। फुलवा को शक था की खाने में नशा मिलाया गया हो ताकि वह चटपटाए बगैर साथ दे। इस लिए फुलवा ने सिर्फ शरबत पिया। वैसे भी उसकी भूख डर से मर गई थी।
फुलवा ने अपने कमरे में बिस्तर पर बैठने के बजाय कोने में अपने आप को मेज के नीचे पुराने मैले कंबल से छुपा लिया। बाहर के कमरे में से आती हर आवाज से फुलवा का दिल दहल जाता। Peter uncle की हर आहट से फुलवा को पसीने छूट जाते।
फुलवा को एहसास हुआ कि उसकी चूत में से पानी बह रहा था। फुलवा समझ गई कि उसे शरबत में से कुछ पिलाया गया था। भड़कती जवानी और सहमे मन की कश्मकश से फुलवा को रोना आया और उसने अपने हाथों से अपने मुंह को दबाकर रोने लगी।
फुलवा की बर्दाश्त बस टूट ही चुकी थी जब Peter uncle ने किसी का स्वागत किया। एक पतली आवाज के आदमी ने किसी बात पर हंसकर Peter uncle को गाली देते हुए फुलवा के कमरे का दरवाजा खोला।
फुलवा को उम्मीद थी की कौडीमल फुलवा को ना देख गुस्सा हो कर चला जायेगा। वह Peter uncle से पीटने को तयार थी बस उसकी जवानी.
"पिंकी रानी!!."
कौडीमल जैसे गाना गाते हुए उसे बुला रहा था।
"पिंकी रानी!!. देखो कौन आया है?."
फुलवा अपनी सांसे रोक कर बैठी रही।
"क्या पिंकी रानी अपने राजाजी से खेलना चाहती है?"
फुलवा ने अपनी सिसकी को पूरे जोर से दबाया।
"आ जाओ, छोटी बच्ची!!. राजाजी तुम्हें लॉलीपॉप देंगे!."
"आओ!!. (हवा में चूमते हुए) राजाजी को इंतजार नहीं करते!!."
कौडीमल उसके पास आ कर उसे बुलाते हुए चला गया और फुलवा की सांस छूट गई। कौडीमल पिंकी रानी को बुलाते हुए दरवाजे तक गया।
फुलवा ने कौडीमल को दरवाजा खोल कर बंद करते सुना और सोचा की कौडीमल Peter uncle से लड़ने बाहर निकल गया।
फुलवा की चीख निकल गई जब किसी ने उसके दोनों पैरों को पकड़ कर बाहर खींचा।
फुलवा हाथ पांव मारते हुए उसे से लड़ पड़ी पर अचानक उसके ऊपर एक बड़ा भरी बोझ पड़ गया।
कौडीमल कुछ 100 किलो का फूला हुआ आदमी था जिसने फूल सी नाजुक फुलवा के 50 किलो के छरहरे बदन को अपने बड़े आकार से आसानी से काबू कर लिया।
फुलवा के दोनों हाथों को अपने एक बड़े पंजे में पकड़ कर कौडीमल ने उसे अपने बदन के नीचे दबाकर बिस्तर की ओर खींचना शुरू किया। फुलवा का हमला कौडीमल आसानी से दबाते हुए उसे बेड पर लिटाने में कामयाब हो गया।
फुलवा को कौडीमल की आंखों में शिकार की खुशी दिख रही थी।
फुलवा रोते हुए, "सेठजी, ऐसा जुलुम ना करें!. मैं अच्छी लड़की हूं!!. जीते जी मर जाऊंगी!!. रहम करो!!."
फुलवा रोती गिड़गिड़ाती रही पर कौडीमल से अपने हाथ को दोनों के बीच में डालते हुए फुलवा का घाघरा उठा कर अपने बड़े पेट के नीचे दबाया। फुलवा ने झल्ला कर कौडीमल को काटने की कोशिश की पर वह अपने आप को उसके दातों से दूर रखने में कामयाब रहा।
कौडीमल ने दांत निकालकर हमला करती फुलवा के मुंह में थूंक ते हुए अपनी धोती खोली। कौडीमल का लौड़ा सिर्फ 3 इंच लम्बा और 1 इंच मोटा था पर कोरी जवानी के लिए यह भी बहुत बड़ा हमलावर था।
कौडीमल ने एक झटके में अपनी 3 इंची सुई फुलवा की झिल्ली को भेद कर घुसा दी।
"मां!!!.
आ!!.
आ!!.
आह!!!!."
फुलवा की आंखों में आंसू भर आए। खून की एक बूंद जख्मी झिल्ली से कौडीमल के लौड़े को रंग गई। फूलवा की आंखों में से आंसू बहते रहे।
कौडीमल ने अपने जीत को मानते हुए फुलवा को चूमा।
फुलवा को कौडीमल की सांसों पर तंबाखू और पुदीने के बदबूदार मिलाव को सूंघते हुए अपनी पहली चुम्मी मिली। उसके बापू ने तो उसे चूमे बगैर चोद दिया था।
Peter uncle के नशे ने असर दिखाते हुए फुलवा के दर्द को दबाया। फुलवा की जख्मी झिल्ली पर यौन रसों ने मरहम लगाते हुए कौडीमल के लौड़े को चिकनाहट दी। कौडीमल जोर जोर से अपने मोटे बदन को हिला रहा था।
फुलवा उस मोटे हांफते पसीने से लथपथ बदन को देख कर घिन महसूस कर रही थी पर नशा उसे उत्तेजित होने को मजबूर कर रहा था। कौडीमल अपनी कमर हिलाते हुए पिंकी रानी की तारीफ कर रहा था।
कौडीमल ने हांफते हुए आह भरना शुरू किया और फुलवा के ऊपर गिर गया। फुलवा दबने से सांस नहीं ले सकती थी और ना ही अपने से दुगना वजन हिला सकती थी।
फुलवा की जख्मी चूत में गरमाहट फैल गई और सांस दबने से वह उत्तेजना वश झड़ने लगी।
कौडीमल ने फुलवा को बिस्तर पर रोता छोड़ा और अपने सफेद रूमाल से उसके कौमार्य के खून को पोंछ लिया।
कौडीमल, "Peter uncle ने तेरे लिए मुझ से पूरे 2 लाख रुपए लिए हैं। पिंकी रानी, आज की रात तुझे मेरे जुड़वा बच्चों से भर कर ही दम लूंगा!"
फुलवा कौडीमल की बात सुनकर अपना सर पीटते हुए रोने लगी।
कौडीमल ने मेज़ पर रखा दूध पी लिया और फुलवा को पकड़ कर सुस्ताने लगा। जल्द ही कौडीमल गहरी नींद सो गया।
चाबी से दरवाजा चुपके से खोला गया और Peter uncle ने दबे पांव अंदर कदम रखा।
Peter uncle, "मुझे कौडीमल पसंद है क्योंकि इसके मुताबिक ये बड़ा तोप है पर असलियत में इसके कीड़े से कुंवारियों की झिल्ली फटती भी नहीं।"
Peter uncle ने अपनी जेब में से एक बड़ी इंजेक्शन निकली जिसे सुई नही थी। फिर उस इंजेक्शन से सफेद गाढ़ा घोल उसने फुलवा की चूत में फटी हुई झिल्ली के हिस्से से भरा अर्ज सोने को कहा।
फुलवा पराए मर्द के नीचे दबी हुई रात भर जागी रही। सबेरे उसे लगा की काश राज नर्तकी आकर उसे ले जाए। पर सबेरे कौडीमल उठ गया।
कौडीमल ने फुलवा की चूत में से बाहर निकला गाढ़ा घोल और खून के छीटें देखे। कौडीमल अपनी पिंकी रानी को चूम कर चला गया।
फुलवा ने थोड़ी देर बाद अपने बदन को रगड़ रगड़ कर धोते हुए कौडीमल के स्पर्श को अपने बदन से मिटाने की कोशिश करते हुए अपने आप को लगभग छिल दिया। फुलवा ने बाहर आकर Peter uncle से आजादी के लिए मिन्नतें की।
फुलवा, "Peter uncle, आप ने बापू को 1 लाख दिए और आप को 2 लाख मिले! अब मुझे जाने दो!"
Peter uncle ने हंसते हुए फुलवा के गाल पर हाथ घुमाया और फिर घुमाकर थप्पड़ मारा।
Peter uncle, "तुझ जैसी कई आई और गई। Peter uncle यूं ही नहीं टिका रहा! हम दोनों मेरे दोस्त से मिलने जा रहे हैं। फिर तुझे असली सौदा पता चलेगा!"
Peter uncle का दोस्त एक डॉक्टर था जो जानना बीमारियों का इलाज करता था। उसके पास ऐसी लड़कियां भी आती थी जो पहले अपने प्रेमी से चुधवाकर अब अपने पति को यकीन दिलाना चाहती थी कि वह कुंवारी है।
डॉक्टर ने Peter uncle को अपना दवाखाना बंद होने के बाद अंदर लिया और फुलवा को हवस भरी नजरों से देखा।
डॉक्टर, "नया माल Peter uncle!"
Peter uncle, "हमेशा की तरह मेरे दोस्त!"
डॉक्टर ने Peter uncle को फुलवा को पकड़ने का काम दिया और खुद उसकी फटी हुई झिल्ली को देखा।
डॉक्टर, "लगता है कौडीमल का कीड़ा भी अब दम तोड़ने लगा है! चलो इसे सिल देता हूं। दो दिन बाद फिर मजे करना!!"
फुलवा यह बात सुनकर रोने लगी पर दोनों मर्दों को इस से फरक नही पड़ा। Peter uncle ने डॉक्टर को हिसाब रखने को कहा और फुलवा को वापस अपने अड्डे पर ले गया। अगले 2 दिन फुलवा को अपनी चूत में बेहद खुजली हो रही थी पर Peter uncle ने उसके हाथ बांध रखे थे जिस से वह खुजा नही पाई।
दो दिन बाद शाम को Peter uncle ने फुलवा को जल्दी खाना खिलाते हुए कहा की आज उसकी मुलाकात शेरा पठान से होनी है। Peter uncle चाहता था कि वह इस बार भी छीना झपटी करे ताकि पठान साहब को भी शिकार का मज़ा मिले।