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XXX Kahani - प्यार या धोखा

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Administrator
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अध्याय 1
"तुम कहना क्या चाहते हो गौरव ,क्या ये हमारे जीवन के लिए एक जरूरी फैसला नही है "
मेरी बात से पूर्वी बहुत ही गुस्से में दिख रही थी
"मैंने ये तो नही कहा ना जान लेकिन ...लेकिन आखिर रोहन की ही कंपनी क्यो???"
मेरा ये सवाल बेहद ही अटपटा था लेकिन फिर भी ये ना जाने कैसे मेरे होठो से फिसल ही गया.
पूर्वी मेरे सवाल से बिल्कुल ही अचंभित मालूम हो रही थी ,वो मुझे अजीब सी नजरो से घूर रही थी जैसे उसे भरोसा ही नही हुआ जो मैंने उससे कहा था..
"रोहन की कंपनी क्यो???...तुम सुनना क्या चाहते हो गौरव..???..और क्या तुम मुझ पा शक कर रहे हो या ये बस एक पति वाली जलनखोरी है."
उसका लहजा ठंडा था,लेकिन उसके बातों की गर्मी से मेरे पसीने ही निकल गए...जलन या शक ,मुझे चुनना था की आखिर मेरे अंदर क्या हो रहा है,मेरे एक जवाब में मेरी शादीशुदा जीवन का भविष्य छिपा हुआ था..
मैं बड़ी से मुश्किल से ही सही लेकिन मुस्कुराया..और पूर्वी के कंधे पर अपना हाथ रख दिया..
"पागल हो गई हो क्या जो मैं तुम्हारे ऊपर शक करूंगा,हा ये तो तुम भी जानती हो की रोहन से मुझे थोड़ी सी जलन होती है,और हो भी क्यो ना,वो साला मेरी बीवी के बचपन का दोस्त है जिसने कालेज में उसे डेट भी किया था,और वो है भी मुझसे ज्यादा हेंडसम और पैसे वाला."
मेरी इन बातों से आखिर पूर्वी के चहरे में थोड़ी मुस्कान आ ही गई ..
उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे में बिठा दिया और खुद को मेरे सीने में छिपा लिया..
"तुम सच में पागल ही हो और पागल ही रहोगे,तुम्हे रोहन से नही बल्कि रोहन को तुमसे जलना चाहिए...हा वो मेरे बचपन का दोस्त है और मुझे कालेज के समय में डेट भी कर रहा था लेकिन फिर भी आखिर मैं प्यार में तो तुम्हारे ही पड़ी ना.उसके पिता और मेरे पापा दोनों ही अच्छे दोस्त है,और तुम्हे भी पता है की हमारे परिवार को हमेशा से यही लगता था की रोहन और मैं एक दूसरे के लिए बने है,सब को यही लगता था की हम दोनों शादी करेंगे,इसलिए जब मैंने पाप को तुम्हारे बारे में बताया था तो वो इतना गुस्सा हुए थे,मैंने तुम्हारे लिए अपने परिवार से झगड़ा किया,सारे ऐशोआराम और पापा के 8 हजार करोड़ की दौलत को लात मार कर तुम्हारे पास चली आयी,हा रोहन हेंडसम भी है,मुझसे प्यार भी करता है और पापा की तरह उसके पास बेसुमार दौलत भी है ,लेकिन फिर भी मैंने तुम्हे चुना,तुमसे प्यार किया,और तुम इतने पागल हो की इन सबके बाद भी तुम्हे लगता है की तुम्हे रोहन से जलना चाहिए."
मेरे मन में एक अजीब सी ग्लानि से जन्म लिया ,हा शायद मैं जल ही नही रहा था,असल में मेरी मानसिकता और मेरी परवरिश ही ऐसी हुई थी की मैं किसी लड़के और लड़की को दोस्त की तरह नही देख सकता था,मैं जानता था की रोहन अब भी पूर्वी से बहुत प्यार करता है,और पूर्वी के दिल में भी उसके लिए एक प्यार है ,भले ही वो प्यार कितना भी पवित्र क्यो ना हो लेकिन फिर भी मेरी मानसिकता के कारण मैं इस रिश्ते को गलत निगाहों से ही देखता था,मैं लाख कोसिस करके भी खुद को शक करने से नही रोक पाता था और मेरे लाख छिपाने पर भी ये शक पूर्वी के समझ में आ जाता,
पूर्वी एक ऐसी लड़की जिसने समाज से सिर्फ मेरे लिए बगावत कर दी,उसके पापा के पास इतनी दौलत और रुतबा होने के बावजूद भी मेरा कुछ नही बिगड़ पाए उसका कारण यही था की पूर्वी मेरे बचाव के लिए हमेशा से ही खड़ी रही ,मैं एक गरीब तो नही लेकिन सामान्य सा कालेज का प्रोफेसर हु,और वो महलों की रानी थी ,फिर भी उसने मुझे अपनाया,मुझे प्यार दिया ,और खुद सारे ऐशोआराम छोड़ कर मेरी सामान्य सी जीवन में खुद को एडजेस्ट कर लिया,अब वो मेरी आर्थिक मदद करना चाहती थी,ताकि हम अपने बल बूते पर एक अच्छी जिंदगी जी सके,उसने अपने सारे अमीरों वाले शौक को मेरे कारण ही छोड़ दिया था ,हमारी शादी को डेड साल हो चुके थे और उसने मुझे कभी इसकी शिकायत नही की ,सच में मैं पागल ही हु ,उसने अब जॉब करने का फैसला किया,मुझे ऐसे तो कोई दिक्कत नही थी लेकिन मैं यही सोचता ताकि आखिर वो ऐसा करेगी कैसे,जो लड़की खुद कई कंपनी की मालकिन हो वो किसी के अदंर कैसे नॉकरी कर पाएगी,फिर भी मैंने अपनी हामी भर दी,लेकिन जब मुझे पता चला की रोहन ने ही उसे जॉब का ऑफर दिया है तो मेरी थोड़ी जल गई ,और मैं फिर से अपनी जान पर शक कर बैठा.
"तो कब से जॉइन कर रही हो ..???"
मैं पूर्वी के बालो को सहला रहा था..
"कल से ही ,और तुम्हारे सवाल का जवाब ये है की रोहन मुझे अच्छी सैलरी दे रहा है,हा वो मेरा दोस्त है लेकिन फिर भी उसने वादा दिया है ऑफिस में हमारा रिश्ता प्रोफेशनल होगा,और जैसे ही थोड़े पैसे जमा हो जाए मैं उसका जॉब छोड़कर स्टार्टअप शुरू कर करूंगी,यार कब तक दूसरे की नॉकरी करना "
उसका कांफिडेंस मुझे हमेशा से ही भाता था,वो अब भी उसी आत्मविस्वास से लबरेज थी ,मेरी पूर्वी जिसने कभी भी अपने आत्मसम्मान से
कोई भी समझौता नही किया,उसके पिता ने उसे कई ऑफर दिए ,मुझे कई ऑफर दिए लेकिन उसने मेरे और खुद के आत्मसम्मन के लिए पिता की कोई भी मदद नही ली..
"ओक्के तो काम क्या रहेगा.."
मुझे उसके कारपोरेट वाले काम की ज्यादा समझ तो नही थी फिर भी पूछने में क्या जाता है ..
"वही जो पापा की कंपनी में करती थी ,क्लाइंट से मीटिंग्स वगैरह.."
वो थोड़ी देर चुप ही रही ..
"यार गौरव एक काम वाली बाई रखनी पड़ेगी ,यू नो ना की मैं अब तुम्हारे लिए रोज खाना भी नही बना पाऊंगी .."
उसकी बात सुनकर मैं हंस पड़ा ..और उसके होठो को चूम लिया..
"लव यू मेरी जान .."मैंने उसके चहरे को देखा वो मुस्कुरा रही थी..
"लव यु बाबू .."
उसने मुझे अपने बांहों में भर लिया.
 
अध्याय 2
पूर्वी का काम बहुत ही अच्छे से चल रहा था,वो कभी कभी लेट हो जाया करती थी लेकिन फिर भी मेरा ध्यान रखने में उसने कभी भी कोई कमी नही दिखाई.
मुझे भी एक रिसर्च पेपर में काम करना था,मै भी उसमें बिजी रहने लगा था ,कुछ दो ही महीने हुए थे की ममेरे डिपार्टमेंट की HOD ने बुलाया..
"हैल्लो गौरव कैसा चल रहा है तुम्हारा काम .."
"कुछ खास नही मेम मुझे लगता है मुझे एक असिस्टेंड की जरूरत है .."
"हा वो तो है लेकिन तुम्हे कोई पसंद आये तब ना,ऐसे मेरे दिमाग में कोई है .."
मैं उन्हें देखता रह गया,प्रोफेसर मालती की उम्र कुछ 50 साल की होगी ,आंखों में चश्मा लगाए हुए और बल खुले किये इस उम्र में भी कातिल लगती है ,उन्होंने शादी नही की और दिन रात अपने काम में ही लगी रहती ,मैं उनके साथ कई रिसर्च का काम कर चुका हु ,वो मुझे बहुत पसंद करती थी,वो कभी मेरी टीचर भी थी और मेरा पहला क्रश भी ...आज भी उन्हें देखकर मुझे वही आकर्षण दिखाई देता है जो कभी उन्हें पहली बार देखकर दिखा था..
स्लेवलेस ब्लाउज और बिल्कुल हल्के रंग की साड़ी उनकी खासियत थी,जिसमे उनका दूधिया बदन चमक कर दिखाई देता,
"अरे क्या देख रहे हो .."
मैं चौका ,और उनके अधरों में फिर से वही प्यारी मुस्कान ने घर कर लिया,
"तो मैं कह रही हु की मेरे नजर में कोई है जो तुम्हारी असिस्टेंट बनने के काबिल है .."
उन्होंने मुझे भेदक नजर से देखा मैं अपने ही ख्यालों में गुम था,
"अगर आप सपना की बात कर रहे हो तो नही .."
मैंने सीधे शब्दो में कह दिया,सपना मेरी स्टूडेंट रह चुकी थी,अभी वो मालती मेडम के अंडर PhD कर रही थी,मेडम चाहती थी की मैं उसे अपने साथ अपने रिसर्च में रख लू लेकिन मुझे सपना का नकचढ़ा व्यवहार बिल्कुल भी पसंद नही था,उसका टीचर रहते भी मेरी उससे नही बनती थी ,लेकिन एक चीज उसमें थी वो था उसका दिमाग ,बेहद ही तेज दिमाग .
"अरे एक बार साथ काम करके तो देखो,मैं भी उसकी गाइड बनने को तैयार हुई ना.."
"आपकी बात और है मेम ,वो आपकी बात सुनती है लेकिन आपके सिवा वो और किसी की बात नही सुनती,आप तो जानती हो की रिसर्च कितने पेसेंस का काम है और वो मुझे पागल कर देगी ,नही नही वो तो बिल्कुल नही ."
मालती मेडम ने मुझे थोड़ी देर ध्यान से देखा और बड़े ही शांत लहजे में बोली
"देखो गौरव ,मैं तुम्हे जानती हु सपना भी तुम्हारी ही तरह मेरी सबसे फेवरेट स्टूडेंट और अब पीएचडी स्कॉलर है ,उसके व्यवहार को छोड़ दो तो तुम्हे भी पता है की वो कितनी टैलेंटेड और सोर्स वाली है ,वो तुम्हारे लिए वो डेटा ला सकती है जो तुम लाख कोशिस के बाद भी नही पा सकते,वो तुम्हारा कई काम आसान कर देगी,और इस प्रोजेक्ट में तुम्हे ऐसे ही किसी की जरूरत है ,मेरी बात को मान लो ,सपना इस प्रोजेक्ट के लिए सबसे सही असिस्टेंट है ,और वो तुम्हारे साथ इस प्रोजेक्ट में काम करने के लिए मरी जा रही है,दिन में 10 बार वो मुझसे रिक्वेस्ट करती है की तुम्हे बोलकर तुम्हारा असिस्टेंट बना दु ,वो लायक है और मैं कब तक उसे मना कर पाऊंगी ,मान जाओ इससे सबका फायदा होगा,"
मैं थोड़ी देर तक सोचता रह गया फिर कुछ सोचकर बोला
"लेकिन मेम आप जानती है ना हमारे बीच क्या हुआ था .."
मेडम जोरो से हँस पड़ी
"तो क्या हुआ तुमने भी तो मुझे प्रपोज किया था,ऐसे उम्र में ये सब होता है .."
मैं शर्म से पानी पानी हो गया,
"लेकिन मेरी बात अलग थी मेडम,मैं उस समय नादान था,लेकिन सपना तो मेरे घर तक आ गई थी ,इतना बखेड़ा मचा दिया था,पूर्वी से झगड़ा किया,अब अगर पूर्वी को पता चलेगा की मैं उसके साथ काम कर रहा हु तो वो तो मुझे मार ही डालेगी "
मेरी बात सुनकर मेडम की जोरदार हँसी कमरे में गूंज गई
"अच्छा तो इसलिए इतना डर रहे हो ,फिक्र मत करो मैं पूर्वी से बात कर लुंगी तुम भी जानते हो की वो मेरी बात कभी नही टलेगी,और उसे ये भी बता दूंगी की तुम उससे कितना डरते हो ,इससे वो खुश भी हो जाएगी "
अब मेरे पास कहने के लिए कुछ भी नही था सिवाय इसके की मैं मेडम की बात मान लू,तभी मेडम ने एक फोन किया और थोड़े ही देर में कमरे का दरवाजा खुला,सपना के अंदर आते ही माहौल कुछ अलग ही हो गया था,उसके तेवर आज भी वैसे ही थे,उसने बस मुझे एक नजर देखा और फिर मेडम की ओर रुख किया,वही तेज गोरा चहरा ,वही टाइट जीन्स और टीशर्ट जिसमे उसके उभार सामने गर्व से उठे हुए होते थे,कमर की वो गोलाई और उसके नीचे मटकों से उठे हुए उसके चूतड़ जो जीन्स को फाड़ देने को बेताब लगते थे, दिखाने में भले ही ये कितने भी सुंदर क्यो ना हो लेकिन किसी बम से भी ज्यादा खतरनाक थे ,जिसने भी उन्हें छुवा या छूने की कोशिस की सपना ने उसके परखच्चे ही उड़ा दिए.
बेहद अमीर बाप की नकचढ़ी लेकिन टैलेंटेड बेटी जो कभी मेरे पीछे पागल थी,पता नही मुझ गरीब में ऐसा क्या था जो इन अमीर बाप की बेटियों को मैं पसंद आ जाता हु ,
मुझे तो नही समझ आया लेकिन ऐसा था जरूर.
"तो गौरव सर मान ही गए "
सपना ने आते ही कहा
"मान तो ये गया है लेकिन तुम्हे इससे अच्छे से पेश आना होगा,बी प्रोफेसनल ओके."मेडम थोड़ा स्ट्रिक्ट होते हुए बोली
"ह्म्म्म ओके .."
बस इतना ही बोलकर वंहा से निकल गई ,मैंने उसका तेवर देखकर मेडम को इशारा किया और मेडम ने मुझे बस एक आंख मार दी ...
 
अध्याय 3
"तो तुम उस चुड़ैल के साथ काम करने वाले हो "
पूर्वी थोड़ी गुस्से में थी शायद मालती मेडम ने उससे बात की थी..
वो अभी अभी तो ऑफिस से आयी थी और अभी ही शुरू हो गई ..
"अरे जान बैठ भी जाओ ,थोड़ा पानी वानी तो पी लो "
मैं हंसता हुआ बोला
"नही पीना है कुछ ,अब मैडम ने फोन किया तो मुझे भी इजाजत देनी पड़ी .."
"और मेडम ने ये नही बताया की तुम्हारा पति तुमसे कितना डरता है ."
पूर्वी के होठो पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल गई
"बताया ,लेकिन जान आप तो सपना को जानते हो ना,वो हमेशा से मुझसे कंपीटिशन करने में लगी रहती है ,हम दोनों के पिता भी बिजनेस कॉम्पिटिटर थे,स्कूल हो या कालेज सभी जगह वो उसने मुझे परेशान किया और जब कालेज में हमारे बीच प्यार हुआ तो वो भी आपको मुझसे छिनने में लग गई ,अब आप ही बताओ मैं गुस्सा ना करू तो क्या करू साली अब भी आपके पीछे लगी हुई है .."
उसका मुह फूल चुका था,
"अरे मेरी जान मैं तब भी तुम्हारा था और आज भी तुम्हारा हु और जीवन भर तुम्हारा ही रहूंगा ,अपने प्यार पर इतना तो यकीन करो "
उसने मुझे गीली आंखों से देखा
"आप पर पूरा यकीन है लेकिन उस सपना पर नही ,कालेज की तरह अकेला पाकर उसने अपने कपड़े उतार दिए तो .."
मेरे सामने वो मंजर तैर गया जब सपना और पूर्वी दोनों ही एक ही क्लास में हुआ करते थे और मैं उनका टीचर था,पूर्वी और सपना दोनों को ही मुझसे प्यार हो गया ,दोनों के बीच जैसे एक कंपीटिशन चल पड़ा था मुझे पाने के लिए,मैं पूर्वी से प्यार करता था लेकिन सपना ये बात मानने को राजी ही नही थी ,और एक दिन उसने वो किया जो कोई सोच भी नही सकता था,मैं अपने लेब में काम कर रहा था और उसने मेरे सामने अपने सारे कपड़े उतार दिए,उसका मादक जिस्म मेरे सामने खुला हुआ था,उसने खुद को भोगने का खुला आमंत्रण दिया था ,लेकिन वो पूर्वी का प्यार ही था जिसने मुझे बचा लिया,लेब का दरवाजा अंदर से लगा था और मैं पसीने से भीग चुका था ,लेकिन मेरे अंदर से आवाज उठी की भाग जा और मैं भागा,दरवाजा खोल कर सीधे पूर्वी को ढूंढने भागा और उसे सब कुछ बता दिया..
इस बात से सपना का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुच चुका था उसे लगाने लगा जैसे मैंने उसकी और उसके हुस्न की बेज्जती कर दी ,उस समय तक पूर्वी मेरे बारे में उतनी सीरियस नही थी ,उसका ब्रेकअप रोहन से हो चुका था ,हमारे रिश्ते को भी 6 महीने ही हुए थे और वो सीरियस नही होना चाहती थी,अभी एक दूसरे को समझने में ही समय बिता रहे थे लेकिन सपना के इस काम से पूर्वी के मन में मुझे खो देने का भाव जाग उठा और वो मेरे लिए बहुत ही डिस्प्रेट हो गई ,कालेज खत्म होते ही उसने अपने घर में शादी की बात कर दी और कुछ ही दिनों में उसने घर वालो से बगावत कर मुझसे शादी कर ली .
एक ही क्षण में मेरे सामने सारी बाते घूम गई और साथ ही सपना को वो रूप भी ,चाहे जैसा भी हो लेकिन वो थी बेहद ही सेक्सी जिस्म की मलिका,इस घटना के बाद उसका पूर्वी और मुझसे झगड़ा हो गया और उसके बाद हमने कभी भी बात नही किया,हा उसने हमारी शादी तोड़ने की कोशिश जरूर की थी ,लेकिन पूर्वी के सामने कुछ नही कर पाई.
पूर्वी मुझे सोच में डूबा हुआ देखकर फिर से बोल उठी
"क्या हुआ मैं कुछ पूछ रही हु ,अगर उसने फिर से कपड़े खोल दिए तो ,और अब तो मैं भी नही होंगी आपको बचने के लिए"
मैं उसके प्यारे चहरे को ध्यान से देखने लगा..
"पगली उस समय मेरे जीवन में तेरा प्यार घुला नही था और मैं तब नही बहका तो अब तो मेरे जीवन में तेरा प्यार घुल चुका है तुझे लगता है की मैं अब बहक जाऊंगा .."
उसकी आंखों में पानी आ गए थे और उसने मुझे जोरो से जकड़ लिया..
"आई लव यू जान .."
मैने उसके होठो में अपने होठो को मिला दिया
"लव यू बाबू."
लेकिन मेरा दिमाग अब भी उस बात को लेकर बेचैन था की आखिर मैं सपना का सामना कैसे करूंगा..

************
मैं अपने लेब में बैठा हुआ डेटा को जांच रहा था ,तभी सपना वंहा आयी ..वो आज थोड़े अलग अवतार में थी ,आज उसने जीन्स टॉप की जगह सलवार कमीज पहन रखी थी और बहुत ही शांत लग रही थी शायद मेडम ने इसे ऐसा करनी की एडवाइस दी हो ..
"गुड आफ्टरनून सर "
उसकी आवाज थोड़ी नरम थी ..
"ह्म्म्म चलो काम में लग जाओ ,अभी तक के सारे डिटेल्स मैंने तुम्हे भेज दिए थे आई थिंक की तुमने सभी पढ़ लिए होंगे.."
"जी ,"
"तो तुम्हे क्या लगता है की हम कितने सक्सेजफुल होंगे.."
"सर सक्सेज फूल हो हम हो जाएंगे लेकिन हमे वालेंटियर चाहिए होंगे..जिनके ऊपर हम ये सब केमिकल टेस्ट करे "
"अभी तो चूहों पर ही करना पड़ेगा ,बाद में वालेंटियर ढूंढेंगे.."
"आप बोलो तो मैं कुछ का जुगाड़ कर सकती हु .."
मैने उसे ध्यान से देखा
"तुम मुझे जेल कार्रवाओगी क्या ,ये कानूनी रूप से गलत होगा.."
वो जोरो से हँस पड़ी
"सर यंहा कानून को कौन मानता है .."
"नही सपना अभी नही ,जब जरूरत होगी तब ले आना ,चलो काम पर लगो .."
वो आश्चर्यजनक रूप से मुस्कुराई
"सर क्यों ना हम फिर से नई शुरुवात करे ..बीती बातों को भूलकर .."
उसने अपना हाथ मेरे सामने किया ..
मैं भी रात भर से यही सोच रहा था की आखिर मैं सपना से कैसे डील करूंगा ,नई शुरुवात का आईडिया मुझे पसंद आया और मैंने अपना हाथ आगे कर दिया .
"ऐसे सुना है पूर्वी आजकल रोहन के साथ काम कर रही है .."
सपना काम करते हुए अचानक ही बोल पड़ी .
मैंने उसे घूरा ..
"सम्हाल कर रहिएगा सर ,रोहन है बड़ा ही कमीना .."
"मैं भी तो तुम्हारे साथ काम कर रहा हु और तुम कौन सी सीधी हो ..फिर भी पूर्वी ने इसकी इजाजत दी ना.."
सपना मेरी बात सुनकर खिलखिला कर हँस पड़ी ..
"आप दोनों के बीच बहुत ही भरोसा है सर शायद इसलिए आप दोनों ने एक दूसरे को पुराने प्रेमियों के साथ काम करने की इजाजत दे दी .."
उसकी आंखे अजीब से भाव से भर गई थी ,जो मुझे अंकम्फर्टबल कर रहा था..
"पहली बात की हा हमे एक दूसरे पर पूरा भरोसा है ,और दूसरी बात की तुम मेरी प्रेमिका नही थी ."
मैंने स्पष्ट शब्दो में कहा,सपना की आंखे अब भी मुझपर गड़ी हुई थी .
"लेकिन मैं तो आज भी आपसे उतनी ही मोहोब्बत करती हु "
उसने बहुत ही हल्के आवाज में कहा लेकिन लेब की खामोशी में उसकी आवज मुझे सुनाई दे गई ..
"सपना ...ये तुम्हारी नई शुरुवात है ,तुम आज भी उन्ही बातों को लेकर बैठी हो ."
मैं चिल्लाया
वो झेंप गई ..
"सॉरी सॉरी सर .."
अब मैं भी शांत था ,मुझे लगा जैसे सच में सपना बहुत ही बदल गई है ...
 
अध्याय 4
पूर्वी का सर मेरे सीने में था,अभी अभी हम दोनों ने एक दूजे के जिस्म को भोगा था,और एक दूसरे से लिपटे हुए सोए थे..
"लगता है आजकल आप टेंशन में रहते हो .."पूर्वी मेरे छाती के बालो से खेलते हुए बोली
"ऐसा क्यो ???"
"जल्दी गिर जाते हो "
वो हल्के से हँस पड़ी और मुझे याद आया की मैं कुछ दिनों से सच में उसे पूरी तरह से संतुष्ट नही कर पा रहा हु..
"सॉरी जान .."
"अरे इसमें सॉरी वाली क्या बात है ,मन में कोई बात हो तो बताओ यू टेंशन में रहने से क्या फायदा होगा ,"
"कोई खास बात नही है लेकिन मुझे दुख होता है जब मैं तुम्हे पूरी तरह से संतुष्ट नही कर पाता,ये रिसर्च साला दिमाग खराब कर रखा है ..'
वो खिलखिलाई और मेरे सीने को एक किस किया ..
"पागल हो आप ,इसमें दुखी होने वाली कोई बात नही है ,सिर्फ शारीरिक संतुष्टि मायने थोड़ी रखती ,हमारे बीच इतना प्यार वही मायने रखता है "
"हा लेकिन संतुष्टि भी तो जरूरी है ना"
पूर्वी मेरी आंखों में देखते हुए मुस्कुराई
"अरे रोज रोज थोड़ी चाहिए रहता है सप्ताह में दो दिन ओर्गास्म हो काफी है ,और उसके लिए मेरे पास रोहन का दिया गिफ्ट है ना "
पहले तो मैं आश्चर्य से भर गया फिर मुझे याद आया की वो किसकी बात कर रही है ,जब रोहन उसका बॉयफ्रेंड था तब उसने पूर्वी को एक डिल्डो गिफ्ट किया था,पूर्वी ने मुझसे ये बात नही छिपाई थी लेकिन मुझे पता नही था की शादी के बाद उसका क्या हुआ ...शादी से पहले पूर्वी फोन सेक्स के समय उसका यूज़ किया करती थी .
"तुम्हारे पास वो अब भी है ."
"हा मेरे प्यारे दोस्त ने दिया था कैसे फेक देती ,"उसने मुझे चिढ़ाते हुए कहा
"ओह तो मेडम आज भी उसका यूज़ करती है .."
"नही शादी के बाद उसकी जरूरत नही पड़ी ,आप को ही सम्हालना मुश्किल होता था मेरे लिए लेकिन अब लग रहा है की फिर से उस तेल लगा कर तैयार करना होगा ."
पूर्वी की बातों और आंखों में शरारत ही शरारत थी,वो कभी कभी बेहद ही नॉटी हो जाती थी,बट आई लाइक इट ..
और मैंने फिर से उसे दबोच लिया,वो खिलखिलाने लगी ,हमारे होठ फिर से मिले और उसने मेरे लिंग को सहलाना शुरू कर दिया ,उसके हाथो की कोमलता को पाकर मेरा लिग फिर से फुंकार मारने लगा और पूर्वी ने अपने हाथो से उसे अपने नाजुक और गीले योनि में प्रवेश करवाया ,उसका अहसास ही मेरी उत्तेजना को बढ़ाने को काफी था,हम दोनों फिर से एक दूसरे में घुलने लगे और एक दूसरे की चमड़ी को अपनी चमड़ी से घिसने लगे,
इस बार मैं थोड़ी देर तक टिका और आखिर में अपना लावा मेरी जान के गर्भ में छोड़ दिया .
हम फिर से एक दूसरे से लिपटे हुए पड़े थे,लिंग अभी भी थोड़ी उत्तेजित अवस्था में पूर्वी के योनि से सटा हुआ था और मेरा ही वीर्य उसके गीलेपन से मिलकर मुझे सुखद अहसास दे रहा था.
वो मेरे सिने को सहला रही थी ..
"तो ..सपना से मिले आज .."
"ह्म्म्म"
"क्या कहा उसने "
"कुछ नही मुझे लगता है अब वो बदल गई है ,वो पहले वाली सपना नही रही "
"वो चुड़ैल कभी बदलने वाली नही है "
मैं पूर्वी की बात सुनकर हँस पड़ा..
"ऐसे क्यो हँस रहे हो आप,इस बार तो उसने अपने कपड़े नही उतारे ना.."
वो थोड़े गुस्से में बोली
"कम ऑन यार पूर्वी ,तुम भी ना."
"क्या आप उसके साथ काम कर रहे हो और मेरी जान निकली रहती है साली ना जाने फिर क्या कर दे .."
मैं फिर थोड़ा हँसा
"तू भी ना पूर्वी ऐसे रोहन ने भी तो तुम्हारे सामने अपने कपड़े निकाले थे इफेक्ट तुम्हारे भी थोड़े निकाल ही दिए थे,फिर भी आज तुम उसके साथ काम कर रही हो ,है ना.."
मैं हंसते हुए बोला और पूर्वी झूठा गुस्सा दिखाते हुए मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे बालो को अपने मुठ्ठी में पकड़ लिया..
"यू..उसकी बात अलग है ओके ..तब वो मेरा बॉयफ्रेंड था ,और ऐसे भी उस रात हमारे बीच कुछ नही हुआ था,मैंने अपनी वर्जिनिटी आपको ही दी है ..वो बेचारा तो आज भी मुझे करने को तरस रहा है .."
"आज भी ???"मेरे मुह से अनायास निकल गया..
पूर्वी भाव के आवेग में आ के बोल तो गई लेकिन फिर उसे अहसास हुआ की वो क्या बोल गई .
उसने अपनी नजर झुका ली ..
"तुमने मुझे कुछ बताया क्यो नही ,क्या उसने तुम्हारे साथ कुछ जबरदस्ती ."
पूर्वी ने अपना चहरा ऊपर किया और मेरे आंखों में देखने लगी ..
"ओहो आपको लगता है की वो मेरे साथ कुछ जबरदस्ती करने की कोशिश करेगा,झापड़ खायेगा,बस मुझे उसकी आंखों से लगता है ,जैसे वो मुझे घूरता है कभी कभी ...यंहा को तो कभी यंहा को .."
पूर्वी ने फिर से बेहद ही शरारत के साथ अपने बूब्स और चूतड़ की तरफ इशारा किया ..
और हँस पड़ी ..
"उसे जलाने में मुझे मजा आता है जान ,"
"इतना भी मत जलाओ की उसके सब्र का बांध ही टूट जाए,"
"आप फिक्र मत करो मैं उसे सम्हाल लुंगी ,अभी तक तो सम्हालते आयी हु ना आगे भी सम्हाल लुंगी डोंट वरी अबाउट इट.."
पूर्वी ने फिर से अपने होठो को मेरे होठो से मिला दिया और हम एक बार फिर इस एक दूसरे में घुलने को तैयार हो गए....
 
अध्याय 5

लेब में काम करते हुए अचानक से ही सपना का पेन गिर गया था,वो उसे उठाने के लिए झुकी थी लेकिन औसत से कुछ ज्यादा देर लगा रही थी,उसके दिमाग में क्या चल रहा था ये तो में नही कह सकता लेकिन हा मेरी नजर उसके टाइट लेगिंस से झांकते हुए चूतड़ों में कुछ देर के लिए टिक गई,वो जैसे दिल का सेप बना रहे थे,मांसल और भारी पिछवाड़े वाली सपना जब भी टाइट कपड़े पहनती थी तो कई लड़के अपना सीने का और टांगो के बीच वाला दिल हार बैठते थे ,कुछ ही सेकंड के लिए सही लेकिन मेरा भी कुछ ऐसा ही हाल हो गया था, पतले कपड़े से उसकी पेंटी का रंग तक मुझे दिखाई दे रहा और साइज तो ...वाह..

मैंने अपना सर झटका और फिर से अपनी किताब की ओर देखने लगा,सपना खड़ी हो चुकी थी और मेरी नजर बचाती हुई नजरो को समझने में उसने बिल्कुल भी देर नही की ,उसके होठो की मुस्कान ही ये बता रही थी की उसे पता है की मेरी नजर कहा टिकी हुई थी .

थोड़े देर तक कमरे में खामोशी ही छाई रही ..

"सर देखना है तो खुल कर देख लिया करो मैं किसी से नही कहूंगी .."सपना की शरारत से भरी हुई आवाज मेरे कानो में पड़ा और मैं फिर से बुरी तरह से झेंप गया..

"सपना मैंने कहा था की नो मोर फ्लर्टिंग .."मैंने आवाज को थोड़ा सख्त किया

"अरे सर देखने और दिखाने में क्या है ,अब पूर्वी भी तो कभी रोहन को कुछ दिखाने में नही शर्माती ,और रोहन भी भूखे कुत्ते की तरह उसे घूरता रहता है "

सपना की बात से मुझे पूर्वी की कल वाली बात याद आ गई..की रोहन आज भी उसके जिस्म को घूरता है,लेकिन साथ ही साथ मेरे नशों में खून का प्रवाह भी तेज हो चुका था,मेरा चहेरा लाल हो गया..

"गेट आउट .."मैं जोर से चिल्लाया..

"इसीलिए मैं तुम्हे इतने दिनों से इग्नोर कर रहा था,तुम आज भी मेरे और पूर्वी के बीच आना चाहती हो ,तुम वो जगह कभी भी नही ले सकती सपना .."

मेरे चिल्लाने का जैसे सपना पर कोई भी असर नही हुआ था,वो अब भी मंद मंद मुस्कुरा रही थी ..

"सर जी आप तो गुस्सा ही हो गए ..थोड़ी मोड़ी फ्लर्टिंग तो वर्क प्लेस में होती ही है ,इससे काम का बोझ भी हल्का रहता है ,और क्या आपको सच में लगता है की पूर्वी ऐसा कुछ नही करती होगी .."

मैं बुरी तरह से झल्ला गया था..

"वो तुम्हारे जैसे नही है सपना जो किसी गैर मर्द के सामने अपने जिस्म की नुमाइश करे .."

वो खिलखिला कर हंसी

मैं उसे बुत बना देख रहा था,हसने के बाद उसने बहुत ही ठंडे लहजे में कहा

"ना आप मेरे लिए कोई गैर मर्द है ना ही रोहन पूर्वी के लिए"

वो अपना पर्स उठा कर वंहा से इतने तेजी से निकली की मुझे कुछ कहने का मौका ही नही दिया ,वही मैं बस खड़ा हुआ उसकी बातों को सोचता रह गया ....
 
अध्याय 6

सुबह का अलार्म और नीद खुल गई,आज मुझे पूर्वी के साथ जिम जाना था,पता नही क्यो लेकिन कुछ अजीब सा लग रहा था,लेकिन पूर्वी ने मुझे जगाने में और तैयार करने में कोई भी कसर नही छोड़ी.

वो अमीरों वाली जगह थी,जंहा पूर्वी शादी से पहले रोज जाया करती थी लेकिन शादी के बाद उसने जिम जाना ही बंद कर दिया था,वो जिम रोहन का था और रोहन ने पूर्वी को इस्पेसल फ्री एंट्री दी थी.असल ,में रोहन के कंपनी के सभी मैनेजर और एक्सीक्यूतुव लेवल के लोगो और परिवार के लिए जिम में एंट्री फ्री थी इसीलिए पूर्वी ने भी वंहा जाने के लिए स्वीकृति दे दी थी,उससे पहले रोहन के लाख कहने पर भी पूर्वी ने अपने और मेरे आत्मसमाम को गिरने नही दिया था,वो भी सेल्स एक्सिक्यूटिव लेवल की अधिकारी बन चुकी थी और जिम का फ्री पास मिलने पर उसने मना नही किया और मुझे भी तैयार कर ली .

जिम में एंटर करते ही पहला सामना रोहन से ही हुआ,उसने ऐसा वेलकम किया जैसे हम उसके महमान हो ..

"ये कुतिया यंहा क्या कर रही है ."

पूर्वी ने अचानक ही कहा

रोहन और मैं अनायास ही उस दृश्य को देखने पर मजबूर हो हो गए जिसके बारे में पूर्वी ने कहा था,

वंहा सपना थी जो पसीने से भीगी हुई वर्कआउट कर रही थी,उसके जिस्म में उसका पतला शार्ट और टीशर्ट चिपक सा गया था,उसके जिस्म का हर कटाव मानो जमाने की हर बंदिश को तोड़कर बाहर आने को बेताब था..

"यार पूर्वी तुम भी, वो तो हमेशा से इस जीम की मेंबर है ,भूल गई हो क्या???:"

रोहन ने एक सदा सा रिप्लाई किया

"जानती हु की वो कुतिया पुरानी मेम्बर है मैं भी थी .,लेकिन अभी इस समय ये क्या कर रही है ,अगर इस समय वो वर्कआउट करेगी तो मुझे भूल जाओ की मैं यंहा आऊंगी .."

पूर्वी ने सपाट शब्दो में कहा जिसे मैं भी काट नही सकता था..

'कम ऑन यार..उस घटना को इतने दिन हो चुके है तुम अभी तक उसे लेके बैठी हो."

रोहन कुछ झल्लाया हुआ सा लगा,लेकिन पूर्वी शांत थी

"मैं अपने पति के साथ यंहा हु ,तुम्हे मालूम होना चाहिए की उसने क्या किया था,मेरे पति."

वो कुछ बोल पति उससे पहले ही रोहन ने उसे टोक दिया..

"तुम सच में एक मिडिल क्लास हाउसवाइफ की तरह बात कर रही हो ,तुम हाई क्लास की लड़की हो तुम्हारा ये सब सोचना शोभा नही देता.."

रोहन की कही बात को मैं पूरे होशो हवास में समझने की कोशिश कर रहा था की पूर्वी ने तपाक से कहा

"जो मेरे पति है वही मैं भी हु रोहन,एक मिडिल क्लास हाउसवाइफ ,तुम जो भी समझो लेकिन वो मेरे लिए कुतिया थी और वही रहेगी "
मैने आंखों ही आंखों में रोहन को समझाया की ठीक है.

रोहन अब थोड़ा नार्मल था..

"मेरी जान अपने प्यार पर भरोसा रखो,जब तुमने मुझे उसके साथ काम करने तक की परमिशन दे दी तो उसके यंहा होने से क्या ही फर्क पड़ जाएगा."

मैंने पूर्वी को समझाने का प्रयास किया ,

उसने मुझे घुरा और हल्के से मुस्कुराई

"मुझे खुद पर अपने प्यार पर पूरा भरोसा है मेरी जान .."

पूर्वी को शांत देख कर रोहन ने भी एक गहरी सांस भरी,और थोड़ा उत्साह से बोला

"ऐसे भी उसका होना तो अच्छा है ना पूर्वी ,तुम दोनों को देखकर उसकी भी जलेगी .."

हम तीनो ही हंस पड़े ,वही सपना हमे देखकर हमारी ओर ही आने लगी ..

"हाय पूर्वी हैल्लो सर,वाट ए प्लेजेंट सरप्राइज,आप दोनों भी जिम जॉइन कर रहे है ,अब तो मजा आएगा वर्कआउट करने में .."

सपना की बात पर तो मुझे आश्चर्य नही हुआ लेकिन इस बात पर जरूर। हुआ की पूर्वी ने जवाब में मुस्कुरा कर दिया ,वो बस मुस्कुराई ,और उसकी मुस्कुराहट में सपना के लिए एक व्यंग था,मेरे लिए एक गर्व,रोहन के लिए खुसी थी और खुद के लिए संतुष्टि ..

एक ही मुस्कुराहट सभी के लिए अलग अलग मायने रखने वाली थी ,

"ओके ओके अब बाते बंद करो,मैं तुमलोगो का शेड्यूल तैयार करवाता हु तब तक स्ट्रेचिंग कर लो .."

रोहन ने जल्दी जल्दी कहा ,सपना भी मुस्कुराते हुए जाने लगी ,उसके टाइट कपड़े से झांकते हुए उसके जिस्म को देखकर एक बात तो मेरी भी आह सी निकल गई थी ..

"यार रोहन कुछ बोल लेकिन सपना है बहुत ही टाइट .."

मैंने ये बात कही तो रोहन से थी लेकिन मेरी नजर थी पूर्वी के ऊपर ,उसने मुझे खा जाने वाली निगाहों से देखा वही रोहन हंस पड़ा,उसे पता था की मैं ये पूर्वी को जलाने के लिए कर रहा हु ,

"हा ये बात तो सही है ,मेरे जिम में कई लड़के तो बस उसे देखने ही आते है .."

रोहन ने हंसते हुए कहा अब पूर्वी ने उसे झूठे गुस्से से घुरा,उसे पता था की हम उसको जलने के लिए ये बोल रहे है ..

"अच्छा तो तुम लोगो को ये लगता है ,अभी दिखती हु "

मैं और रोहन इस इंतजार में थे की आखिर पूर्वी क्या दिखाने वाली है ,और उसने अपना स्पोर्ट जैकेट की चैन खोली और उसे निकाल कर बाजू में रख दिया ,उसने अंदर स्पोर्ट ब्रा पहनी थी,जिससे उसके मांसल उरोज निकलने को बेताब मालूम हो रहे थे,उसके क्लेवेज में कुछ ज्यादा ही उभार दिखाई दे रहा था,मैं तो इन वक्षो को रोज ही देखता और सहलाता था लेकिन फिर भी मेरा मुह खुल गया,वही रोहन तो उसे ऐसे देख रहा था जैसे कोई बच्चा आइसक्रीम को देखता है ,पूर्वी के होठो में गर्व से एक मुस्कान आ गई,उसने नीचे योग लेगिंस पहनी थी जो की उसके जिस्म से पूरी तरह से चिपका हुआ था,मैं उसके खूबसूरत चहरे का दीवाना तो हमेशा से ही था लेकिन आज उसके जिस्म को इतने बरकी से पहली बार निहार रहा था,उसके कटाव किसी मायने में सपना से कम नही थे ,और हम ही क्या अचानक से ही मैंने कई लोगो को पूर्वी को घूरते पाया.

पूर्वी कुछ भी छिपाने के मूड में नही लग रही थी,लग रहा था जैसे उसे अपने जिस्म पर गर्व है ,और होना भी चाहिए,उसका जिस्म था भी इतना खूबसूरत ..

"अब कुत्तों जैसे लार टपकना बंद करो .."

पूर्वी ने हंसते हुए रोहन से कहा जो की मेरे लिए भी कहा गया था लेकिन रोहन को पॉइंट करके ..

"कसम से पूर्वी तुम तो जिम ना आकर भी इतनी फिट हो ,अब मजा आएगा ,पुराने दिनों जैसे टक्कर होगी पूर्वी वर्सेस सपना .."

रोहन ने बेहद ही मजाकिया अंदाज में कहा

"क्यो तुम्हरे जिम में कोई और लड़की नही आती क्या ."

"अरे लडकिया तो बहुत आती है लेकिन तुम दोनों की बात ही कुछ अलग है ,"

रोहन मुस्कुराने लगा,

"कोई टक्कर नही होने वाली समझ गया,मैं यंहा वर्कआउट करने आऊंगी ना की मुझे कोई कम्पीटिसन जीतनी है .."

इतना बोलकर पूर्वी मुड़ी और जाने लगी ,इस बार हमारी नजर उसके पिछवाड़े में उभरे हुए दो मटकों पर थी,जो एक बेहद ही उतेजित करने वाले लय से मटक रही थी ..

"यार गौरव कुछ भी बोले लेकिन तुम बहुत ही किस्मत वाले हो ,हमारे ग्रुप की सबसे सुंदर लड़की तुम्हारी बीबी है और सबसे हॉट लड़की तुम्हे अपना बनाना चाहती है ...और अब तो पूर्वी भी हॉट होने लगी है ,"

रोहन की नजर अब भी पूर्वी के पिछवाड़े पर टिकी थी ,अचकन उसने मुझे खुद को घूरते हुए देखा और थोड़ा झेंप गया ..असल में मेरे लिए ये पहली बार था जब कोई मेरी बीबी को मेरे ही सामने ऐसे घूर रहा था,एक दो नही लगभग सभी लोग ,यंहा तक की लडकिया भी पूर्वी को घूरे बिना नही रह पा रही थी,इस बात पर मुझे गुस्सा करना चाहिए या गर्व मुझे बिल्कुल भी समझ नही आ रहा था,पूर्वी का दोस्त ,उसका पुराना बॉयफ्रेंड मेरे सामने उसके चूतड़ों को घूरता हुआ उसके सुंदरता की तारीफ कर रहा था,और मैं ये समझने की कोशिश में था की आखिर मुझे कैसा रिएक्शन देना चाहिए.

मैं एक मिडिल क्लास परिवार का लड़का हु जिसके लिए ये सब बिल्कुल ही अजीब बात थी,मेरे परिवार की लडकिया दिन भर अपना पल्लू ही सम्हालती रहती है और यंहा मेरी बीबी सबको गर्व से अपने उठे हुए वक्षो के दर्शन करवा रही थी ,ऐसे ये सब शहरों में आम सी बात है लेकिन फिर भी मेरे लिए ये कोई आम बात नही थी,क्या मुझे इस बारे में पूर्वी से बात करनी चाहिए ..??

अभी तो नही शायद घर जाने के बाद ..

"ह्म्म्म बात तो सही कही कह रहे हो ,चलो वर्कआउट प्लान तैयार करते है .."

मैंने शांत लहजे में कहा.....
 
अध्याय 7

पूर्वी की नजर से

कभी कभी जीवन का एक फैसला आपके जीवन की दिशा और दशा तय करता है,मेरे जीवन मे भी वो पल आया जब मुझे वो फैसला करना था जिससे मेरी आने वाली जिंदगी तय होती.

वो फैसला था गौरव से शादी करने का फैसला,

मैं एक बेहद अमीर और रसूखदार परिवार की इकलौती नकचढ़ी बेटी हु,पिता के बेहिसाब संपत्ति की इकलौती वारिस और पिता की परी,उनके आंखों का तारा और जो भी कहना चाहो,

जीवन मे कभी किसी चीज को कोई कमी नही रही, भगवान ने हुस्न दौलत और जिस्म सब भर भर कर दिया था,और वहीं गौरव थे जो एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे,दिखने में कोई ख़ास सुंदर नही थे ,और मुझे लगभग10 साल उम्र में बड़े भी थे,मैं उनके प्यार में कैसे पड़ी ये कह पाना मुश्किल था,पिता की सारी दौलत शोहरत, आजादी ,हुस्न और पैसे का घमंड ,सब जैसे धरा का धरा रह गया,एक पल नही लगा इन्हें छोड़ने में ,ये सब कैसे और क्यो हुआ समझना थोड़ा मुश्किल है,

बचपन से हम तीन दोस्त हमेशा साथ रहते थे,या ये कहु की मेरा एक सबसे दोस्त और मेरी सबसे बड़ी दुश्मन हमेशा मेरे साथ रहते थे,

सपना, रोहन और मैं हमारी जोड़ी की मिसाल सारी दुनिया देती थी,सपना और मैं खानदानी दुश्मन है, हमारे दादा, हमारे पिता और फिर हम दोनों,हमेशा से गला काट प्रतियोगिता में लगे रहे,हमारा बिजनेस एक था प्रोपर्टी एक ही जगह थी,और बचपन से साथ ही पढ़े, अजीब सी दुश्मनी थी हमारे परिवार के बीच, साथ साथ रहते थे,लेकिन एक दूसरे को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते,

वही एक तीसरा परिवार था रोहन का परिवार वो हम दोनों परिवार के बीच मध्यस्थता का काम करता, दोनों ही उनके बेहद ही अच्छे दोस्त थे,वही एक कारण थे जिसके वजह से हमारा परिवार साथ रहता था,

पारिवारिक रिश्तों का असर हमपर भी पड़ा, चीजे सामान्य ही थी जब तक कि जवानी नहीं आयी,

मेरे पहले भी कुछ बॉयफ्रेंड रहे लेकिन बस बोलने को,पहली बार प्यार का अहसास रोहन के साथ ही हुआ,वो दिन मैं कभी नही भूल सकती जब हम रोहन के बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे थे ,उसने अपने फॉर्महाउस में पार्टी रखी थी,शराब की नदियां बह रही थी और सभी दोस्त नशे में झूम रहे थे,रोहन बहुत खुश था और साथ मे मैं भी,

आखिर मैं बुरी तरह से थक गई और रोहन का हाथ पकड़ उसे एक कमरे में ले आयी,वो काउच पर बैठा हुआ था और मैं उसकी गोद मे बैठ गई ,उसने मुझे जकड़ रखा था,

"आई एम सो हैप्पी बेबी ,अब हम कॉलेज जाएंगे"

मैंने चहकते हुए अपना चहरा रोहन के चहरे से टिका दिया,हमारी नाक आपस मे मिल रही थी,ये कोई पहली बार नही था जब हम इतने पास थे,हम बचपन कर दोस्त थे और एक दूसरे पर प्यार लुटाने में कभी कोई कमी नही की,आज भी उसके लिए बहुत प्यार आ रहा था,हमारी नाक आपस मे मिली थी और हम मुस्कुराते हुए एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे,

"आई लव यू बेबी"

रोहन ने बड़े ही प्यार से कहा,मैंने उसका चेहरा पकड़ कर जोरो से उसके गालों को चूम लिया, और थोड़ा चूस भी लिया जिससे उसके गाल पर मेरे लार की हल्की परत बन गई थी,

"आई लव यू टू माय स्वीट बेबी यू आर माय बेस्ट बेस्ट फ्रेंड एंड आई लव यू टू मच,"मैंने फिर से उसके गालों में चिपचिपा किस किया और मुस्कुराते हुए उसकी आँखों मे देखने लगी,

,मैं मुस्कुरा रही थी लेकिन रोहन के होठो से मुस्कान गायब हो गई ,

"क्या हुआ "उसके चेहरे की संजीदगी से मैं थोड़ा घबरा गई थी,

उसने अपने हाथों से मेरे चेहरे को पकड़कर मुझे अपने और करीब खिंचा और मेरे नाजुक होठो में अपने होठो को रख दिया,उसके होठ बहुत ही आराम से मेरे होठो को चूम रहे थे,ऐसे तो मुझे पहले भी 2 लड़को ने किस किया था लेकिन रोहन की बात अलग थी ,वो मेरा दोस्त था,मैं उसकी फिक्र करती थी...

"रोहन तुम ठीक तो हो ना.."

उसके आंखों में आंसू थे और मेरे आंखों में भी आंसू आ गए ..

"आई लव यु पूर्वी .."

'आई लव यु टू रोहन .."

"दोस्त वाला लव नही ."

उसने आखिर कह ही दिया .

मुझे समझ ही नही आ रहा था की मैं उसे क्या जवाब दु ,बचपन से लेकर आजतक मैने कभी इसे इस निगाह से नही देखा था,मैं उसकी बातों को समझ रही थी लेकिन उसका जवाब देना मेरे लिए बेहद ही मुश्किल था,मैं उसे चाहती थी प्यार भी करती थी लेकिन वो जो प्यार की बात कर रहा था वो बॉयफ्रेंड गर्लफ्रैंड वाला प्यार था,दोस्त वाला नही ..

मैं बस उसे एकटक देखती रही ..

"मैं तुम्हे अपनी गर्लफ्रैंड बनाना चाहता हु .."

वो फिर से मेरे होठो को चूमने लगा,मुझे लगा जैसे मैं बस एक लाश हु ,मेरी आत्मा कही खो गई थी ,मैं एक बेपरवाह सी नकचढ़ी सी लड़की थी लेकिन फिर भी मेरे जीवन में जो प्यार की एक आभा थी वो रोहन से ही तो थी,वही तो था जिसने पूरी जिंदगी मेरा ध्यान रखा था,दिन भर उसके साथ ही रहती ,स्कूल के समय में उसकी कुछ गर्लफ्रैंड बनी ,मेरे बॉयफ्रेंड बने लेकिन उसने ज्यादा समय हम एक दूसरे के साथ बिताते,एक दूसरे से कोई बात आज तक कभी नही छुपाई थी ,पता नही रोहन ने मुझसे ये बात क्यो छिपाई और आज शराब के नशे में एक इमोशनल मूवमेंट में ये बात उसके होठो से निकल गई ,वो मेरे होठो को चूम रहा था,पागलों की तरह लेकिन मेरे होठो में कोई भी हरकत नही हो पाई मैं बस सोच में ही डूबी थी जिसका अहसास उसे हो गया ...ओर वो मुझसे अलग हुआ ..

"पूर्वी तुम्हे दुख हुआ हो तो मुझे माफ कर देना लेकिन ,मैं और नही छिपा सकता की मैं तुम्हारे बारे में क्या सोचता हु "

मैंने एक बार ध्यान से रोहन को देखा उसकी आंखों में वो सच्चाई दिखी जो मैं किसी लड़के की आंखों में खोजती थी,वो प्यार से भरी हुई आंखे,मेरे लिए मानना भी कठिन था की रोहन जैसा लड़का कभी प्यार में पड़ जाएगा वो भी मेरे .

अपनी सबसे अच्छी दोस्त के ..

रोहन पैसे वाला था और दिखाने में बहुत ही हेंडसम,किसी एथलीट सी जैसा शरीर था हमारी उम्र के हिसाब से वो बहुत मजबूत था,स्कूल के समय में ही कई लड़कियों ने उसे प्रपोज किया था,जैसे हमे लड़के करते थे,हम तीनो ही स्कूल के सबसे फेमस विद्यार्थी हुआ करते,हर लड़के को पूर्वी या सपना चाहिए थी तो हर लड़की रोहन की दीवानी थी,आज उसी रोहन ने मुझे प्रपोज किया था...क्या मुझे हा कहना चाहिए,वो किसी भी तरह से कम तो नही था,और इस बात से मेरे पापा भी बेहद खुश हो जाते क्योंकि वो हमेशा से चाहते थे की रोहन ही मेरा बॉयफ्रेंड हो और बाद में मेरा पति .

मैंने उसके सवाल का कोई जवाब नही दिया लेकिन उसके सर को पकड़ कर अब अपनी ओर खिंच लिया ,अब मैं थी जिसने उसके होठो में अपने होठो को रख दिया था,हम दोनों ही धीरे धीरे एक दूसरे के होठो को चूस रहे थे,रोहन का हाथ अब मेरे सर से हटकर पूरे जिस्म में घूम रहा था,मेरे टाइट शार्ट स्कर्ट के नीचे उसका हाथ मेरी जांघो को भी सहलाने लगा था,मेरा शरीर अब उसकी हर हरकत की प्रतिक्रिया दे रहा था,जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ाने लगी थी,मैं अब भी उसके गोद में बैठी थी और मेरे कमर के नीचे मुलायम नितंबो में उसके लिंग का स्पर्श का आभास मुझे हो रहा था,जैसे किसी कच्चे केले के ऊपर बैठ गई हु,मैं इसका आभास पाते ही हंसने लगी .

"क्या हुआ "

उसने आश्चर्य से देखा

"कुत्ता है साले तू ,मेरे नीचे क्या चुभो रहा है .."उसके भी होठो में कुटिल सी मुस्कान आ गई

"तुझे नही पता क्या मेरी कुतिया .."

मैंने उसके गालों पर हल्की सी चपत लगा दी..

"ये तेरा ढंग है प्रपोज करने का .."

"हाँ बता इस कुत्ते की कुतिया बनेगी "

उसने इस ढंग से कहा की मैं खिलखिलाकर हंस पड़ी

"सच में कुत्ता है तू ,"मैंने थोड़ी देर उसकी आंखों में देखा और फिर से बोल उठी ..

"और मैं तेरी कुतिया हु .."वो मुस्कुराने लगा,और मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया ..

हम दोनों एक दूसरे के होठो में डूबे हुए थे जब दरवाजा खुला ,हम दोनों ने जब चौक कर देखा तो सामने सपना खड़ी थी ,आंखों में अंगारे लिए ,सच कहु तो मुझे इससे बड़ा ही सुकून मिला था..

"रोहन ने मुझे प्रपोज किया और ..और मैंने एक्सेप्ट कर लिया.."

मैंने सपना को जलाने के लिए कहा,रोहन की गर्लफ्रैंड कोई भी बने सपना को कोई फर्क नही पड़ता था लेकिन मैं जानती थी की वो मुझे उसके नजदीक देखकर जल जाएगी ..

"सपना मैं तुम्हे बताने ही वाला था ."

रोहन बोल रही रहा था की सपना गुस्से में जोर से दरवाजा बंद करते हुए वंहा से निकल गई ,मैं तो हँस ही पड़ी लेकिन रोहन ने मुझे थोड़ी नाराजगी से देखा ..

वो उसके पीछे जाने लगा

"तुम्हारे लिए वो इम्पार्टेंट है या मैं .."

मैं चिल्लाई

"पूर्वी प्लीज् यार मेरे लिए तुम दोनों ही इम्पार्टेंट हो ,हम तीनो बचपन के दोस्त है फिर भी तुम दोनों हमेशा लड़ते रहते हो "

"हम तीनो नही तुम दोनों और हम दोनों ,सपना और मैं तो हमेशा से दुश्मन ही है .."

"हा जानता हु लेकिन तुम दोनों के बीच पिसता तो मैं ही हु ना ,तुम खुश करो वो नाराज ,उसे खुश करो तो वो .."रोहन झल्ला गया था और मैं उसकी इस कंडीसन पर हंसने लगी क्योंकि मुझे पता था की ये बेचारे के साथ हमेशा ही होता था..

"हा सब जानती हु जाओ जाओ अपनी सपना को मनाओ,"मैंने मुस्कुराते हुए कहा ,और वो तेजी से कमरे से निकल गया ..

मैं जानती थी की रोहन अब सपना को कितना भी मना ले लेकिन अब सपना रोहन की सिर्फ दोस्त रहेगी लेकिन मैं ..मैं रोहन की दोस्त के अलावा भी कुछ हु .

मेरे होठो में फिर से एक मुस्कान तैर गई .....
 
अध्याय 8

दिन गुजरते गए और मस्तिया चलती रही,सपना अब भी रोहन से नाराज थी और सच बताऊँ तो इससे दिल को बेहद ही सुकून मिलता था,लेकिन फिर भी हर पार्टी में वो साथ रहती,जंहा भी हम जाते वंहा वो साथ ही रहती,उसके सामने रोहन तो कुछ नही करता लेकिन मैं रोहन के होठो में होठ भरने का कोई मौका नही छोड़ती खासकर जब सपना हमारे साथ हो,ऐसी ही कुछ दोस्ती और दुश्मनी थी हमारी की चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन साथ कभी नही छोड़ते थे .

एक अजीब सा लगाव था हमे एक दूसरे से तीनो में कोई एक ना हो तो खाली खाली सा लगता था,चाहे हम कितनी भी दुश्मनी निभा ले लेकिन बचपन का साथ था हमारा,उस दिन रोहन मुझे लेकर सपबना के घर गया,मैं उसके घर नही जाना चाहती थी लेकिन रोहन ने जबरदस्ती की .

हम सपना के कमरे में बैठे थे,कमरा मेरे कमरे जैसा ही था असल में लग यही रहा था की जैसे मेरे कमरे की ही नकल हो ,बड़े से कमरे में एक कोने में सोफा लगा हुआ था,हम वही बैठे थे,सपना कही दिख नही रही थी ,रोहन ने मुझे थोड़ी देर में आने की बात कही और वो बाहर निकल गया ,मैं वंहा अकेली थी समझ नही आ रहा था की आखिर सपना कहा है ,थोड़ी ही देर में सपना और उसके पिता जी वंहा आये ..

मैं खड़ी होई गई ..

"नमस्ते अंकल .."

वो मुस्कुराए

"नमस्ते बेटा बैठो बैठो.."

सपना मेरे बाजू में बैठ गई वही अंकल दूसरे सोफे में ,

"रोहन कहा चला गया??? "मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर रोहन मुझे यंहा अकेले छोड़कर कहा चला गया है..

"वो थोड़ी देर में आएगा,असल में हमने ही तुम्हे बुलाया था रोहन से बोलकर,अब सपना बोलती तो तुम आने से रही .."

अंकल अब भी मुस्कुरा रहे थे,,अंकल ने मुझे बुलाया ,अब आखिर ऐसी क्या बात हो गयी ,मैं ध्यान से सुनने लगी ..

"देखो बेटा तुम्हे भी पता है की हमारे परिवार के बीच एक अलग ही युद्ध चलता आ रहा है,मेरे पिता और तुम्हारे दादा जी कट्टर प्रतिद्वंदी थे ,लेकिन क्या तुम्हे पता है की वो दोनों और रोहन के दादा ये तीनो एक ही स्कूल में एक ही कालेज में पढ़े थे."

"जी अंकल मैं जानती हु,"

"बात यही खत्म नही हुई ,हमारी दूसरी पीढ़ी यानी मैं तुम्हरे पिता और रोहन के पिताजी तीनो ने भी वो प्रथा कायम रखी,तुम्हारे पिता जी का अगर कोई सब्सेर बड़ा दुश्मन है तो वो मैं हु और वैसे ही मेरे लिये तुम्हारे पिताजी है,"

वो हसने लगे साथ ही मैं भी मुस्कुराने लगी क्योंकि ये बात बिल्कुल ही सही थी लेकिन सपना उदास थी सर झुकाए बैठी थी ..

अंकल फिर से बोलने लगे ..

"देखो बेटा यंहा ऐसे बुलाने के लिए माफी चाहूंगा लेकिन मैं अपनी बेटी से बहुत ज्यादा प्यार करता हु ,मैं यंहा तुम्हे कुछ समझने के लिए नही बुलाया हु असल में मैं सपना को कुछ समझाना चाहता हु .."

उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा चौकी,उन्होंने बोलना जारी रखा

"देखो बेटा तुम्हारे दादाजी भले ही मेरे पिता के सबसे बड़े कम्पीटिटर थे लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा अपने बेटे की तरह समझा,और तीनो परिवार हमेशा अपनी दूसरी पीढ़ी को अपने बच्चों जैसा प्यार देते आ रहे है,हम कितने भी बड़े दुशमन बन जाए लेकिन हमारे बीच वो दोस्ती कभी नही छूटती जो हममें है दुश्मनी के रूप में,सच कहु तो तुम्हारे पिता जी अगर बीमार भी पड़ जाए ना तो मेरी जान निकल जाती है,क्योंकि साला वो ही नही रहेगा तो मैं लडूंगा किससे .."

अंकल की बात से मुझे वो घटना याद आयी जब पापा के अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था और मिलने वाले में सबसे पहले अंकल ही थे दूसरे रोहन के पापा थे ,और जब सपना के पिता जी को हार्ट अटैक आया था तो पापा कुछ ज्यादा ही चिंता में रहते थे,बार बार फोन कर उनका हाल चाल जानते उनसे मिलने जाते.

इन सब बातों को याद करके मैं मुस्कुराने लगी

"बेटा तेरे दादा और तेरे पापा दोनों ही जिगर वाले थे दुश्मनी को भी पूरी नजाकत से निभाई उन्होंने लेकिन आने वाली पीढ़ी के लिए मुझे चिंता होती है ,हमने कभी अपने बच्चों को इस दुश्मनी में शामिल नही किया,तुम दोनों दुश्मनों की तरह रहो मुझे कोई प्रॉब्लम नही है लेकिन मैं तुमसे कैसे कोई दुश्मनी निकाल सकता हु ,तुम मेरी बेटी जैसी हो ,रोहन मेरा बेटा है ,मैं तुम्हारे बारे में बुरा नही सोच सकता बेटा,ना ही तुम्हारे रिश्ते के बारे में,लेकिन ये चाहती है की मैं तुम्हारे इसके मामले में आऊ और यही मैं इसे समझने की कोशिश कर रहा हु की हमने कभी एक पीढ़ी को दूसरी पीढ़ी से नही मिलाया ,हमने बुजुर्गों की इज्जत की और छोटो को प्यार दिया है,यही तो हमारे दशमी की काबिलियत रही है ,हमे इसपर गर्व है कि हमारा दुसहमन इतना पावर फूल है ,और हमने उसके परिवार को हमेशा ही अपना परिवार माना है ."

अंकल की बात सुनकर कई वाकये याद आ गए जब सच में अंकल ने मुझे और मेरे पिता ने सपना को अपने बच्चों की तरह से प्यार दिया था,वो तो हम बड़े होने के बाद एक दूसरे के घर आना जाना छोड़ चुके थे लेकिन जब हम बच्चे थे तो हमारे पिता या दादा ने हमे कभी भी एक दूसरे के घर जाने से नही रोका था ,

"सॉरी अंकल की आपको मुझे बुलाने के लिए रोहन की मदद लेनी पड़ी "मुझे अचानक ही अपनी गलती का अहसास हो गया .

अंकल खड़े होकर मेरे बालो को सहलाने लगे ,उनके स्पर्श ,के वही प्यार था जो मेरे पापा के स्पर्श में होता है

"बेटा मेरी और तेरे पिता की हमेशा से दो बेटी और एक बेटा है ,हमारी दुश्मनी और दोस्ती दोनों ही खानदानी है,हा मुझे इस बात का दुख जरूर है की रोहन मेरा नही तुम्हारे पिता का दामाद बना लेकिन मुझे सच में तुम्हारे लिए वो खुसी है जो एक बाप को होनी चाहिए,लेकिन मैं नही चाहता बेटी की तुम अपनी दुश्मनी हम तक पहुचाओ अगर तुम दोनों का प्रॉब्लम है तो तुम दोनों ही इसे अपने लेवल में खत्म करो ,और यही सोच हमारे पिताओं की थी और हमारी भी है,हम तुम्हारे नही तुम्हारे पूर्वजो के दुश्मन है,लड़ाई में जब तक मजा ना हो तो वो लड़ाई नही रहती,तुम्हारे पिता ने हमेशा सपना की माँ से प्यार किया था,वो उसे पा नही पाया लेकिन मैंने उसे पाया फिर भी हम वैसे ही थे जैसे पहले थे,हर एक बात से हमारी दुश्मनी बड़ी लेकिन फिर भी हमने एक दूजे के परिवार को अपना परिवार समझा है क्योंकि हमने अपनी दुश्मनी सिर्फ अपने तक रखी है,लेकिन आज सपना ने मुझे तुम्हारे बारे में कहा की मैं तुम्हारे और रोहन के बीच के प्यार को तोड़ने में उसकी मदद करू..बेटे ये तो मैं नही कर सकता,तुम्हारे पापा भी यही कहते अगर ये तुम्हारी बात होती..मैं बस ये चाहता हु की तुम दोनों अपनी दुश्मनी दिल से निभाओ ताकि उसमें छिपे प्यार को समझ पाओ तुम दोनों अकेले में बात करके फैसला कार्लो की तुम्हे सोहन के बारे में क्या करना है "

अंकल जा रहे थे तभी मैं बोल उठी

"अंकल पापा ने क्या किया था जब आप और आंटी ने एक दूसरे को चुना "

मेरे सवाल से अंकल जोरो से हँस पड़े

"वो साला तो आज भी मेरी बीवी को मुझसे दूर करने की कोशिश करता है लेकन बेटा ये हमारा कंपीटिशन है जो वो कभी नही जीत पायेगा,और रोहन तुम दोनों का ,हमने कभी तुम्हारा और तुम्हरे दादा दादी का इस्तमाल नही किया तुम्हे भी हमारा इस्तमाल नही करना है,अपनी लड़ाई खुद लड़ो और जीतो,तुम दोनों को ही आल द बेस्ट '

अंकल ने मुस्कुराते हुए कमरा छोड़ दिया,उनके लिए दिल में एक सम्मान की भावना मेरे दिल में घर कर गई,सच में ये थड़ी अजीब सी लगाई थी .

मैं सपना की ओर मुड़ी

"समझ आ गया जो अंकल ने कहा "

मैंने उसे मुस्कुराते हुए कहा

"साली कुतिया रोहन कभी तेरा नही होगा ,"

वो सुबकते हुए कहा,मैंने सपना को रोते हुए बहुत ही कम ही देखा था,मैं हँस पड़ी

"कुतिया तो मैं हु लेकिन रोहन की ,तू कुछ नही कर पाएगी "

सपना ने मुझे खा जाने वाली नजर से देखा

"वो तो वक्त ही बताएगा ,लेकिन मेरी बात याद रख हम पैदायसी दुशमन है ,तेरे पिता जी आज भी मेरी माँ को पाने में लगे है ,मैं भी कभी तेरा पीछा नही छोडूंगी,जिससे भी तू प्यार करेगी उसे तुझसे छीन कर रहूंगी "

सपना की बातों से मुझे जोरो की हँसी आयी और मैं जोरो से हंसी भी ,

"गेम इस बिगिंग बेटा देखते है , तू मेरे प्यार को कैसे छिनती है"

मैं कमरे से बाहर निकल गई तब तक सपना बस मुझे घूरती रही ...
 
अध्याय 9

कालेज के दिन ऐसे ही निकल रहे थे लेकिन वो पार्टी भी मुझे अच्छे से याद है ,वही फॉर्महाउस था जंहा रोहन ने मुझे प्रपोज किया था,वही दिन था,उसका बर्थडे ,वैसे ही हम शराब के नशे में पी कर झूमे थे ,

रात बहुत हो चुकी थी और मैं नाच नाच कर बेहद ही थक गई थी ,मैं आराम करने के लिए रोहित के कमरे की तरफ बड़ी ,ये वही कमरा था जंहा रोहन ने मुझे प्रपोज किया था,मेरे कदम लड़खड़ा रहे थे,मैं सम्हालती हुई और रोहन को कोसती हुई उस कमरे के तरफ गई ,

"huuuuuuuu ओह रोहन"

कमरे से आने वाली आवाज ने मुझे चौकन्ना कर दिया,मुझे याद आया की रोहन सपना के साथ ही कही गया था,उसके बाद से मैंने उसे देखा ही नही था,मेरे पैरों से जैसे जमीन खिसक गई ..

"रोहन प्लीज् करो ना .."

ये सपना की आवाज थी,मेरा दिल जोरो से धड़का ,मैंने आराम से दरवाजा खोला,सामने जो दृश्य था वो देखकर मेरे पैरों के नीचे से जमीन ही खिसक गई..

सपना का शर्ट पूरी तरह से खुला हुआ था,वो ऊपर से बिल्कुल ही नंगी थी ,वही नीचे उसने स्कर्ट पहन रखा था ,लेकिन रोहन का हाथ उस स्कर्ट के अंदर था,सपना की पेंटी जमीन में पड़ी थी,रोहन का पेंट भी उसके अंडरवियर के साथ नीचे खिसका हुआ था ,सपना सिसकियां ले रही थी वही रोहन पागलों की तरह उसके स्कर्ट में अपने हाथ को चला रहा था और उसका चहरा सपना के वक्षो पर टिका हुआ था,सपना की आंखे मुझपर गई लेकिन उसके चहरे पर कोई भी डर नही था,बल्कि वो मुस्कुरा उठी,उसने रोहन के सर को और भी जोरो से अपने छाती से रगड़ा,

"ओह रोहन मेरी जान "और सपना की मुस्कान और गहरी हो गई

"रोहन."मैं अपने पूरे ताकत से चीखी ,जैसे रोहन को होश आया हो ,वो मुड़ा और अवाक मुझे देखने लगा,मेरे आंखों में कब आंसू की बूंदे आ गई मुझे नही पता ,ये भी नई पता की कब मेरा सारा नशा काफूर हो गया था,मैं रोते हुए जमीन में बैठ गई थी और रोहन ने जल्दी से अपने पेंट को ऊपर चढ़ा लिया ,वो भागता हुआ मेरे पास आया मुझे समझने की कोशिश करने लगा लेकिन....

मुझे कुछ सुध ही नही थी की वो बोल क्या रहा है ,मैं बस रोये जा रही थी ,रोये जा रही थी...

जब मुझे थोड़ा होश आया तो मैं उठी और बिना कुछ बोले ही बाहर चली गई ,मुझे नही पता था की सपना कहा गई या रोहन कहा है ,मैं फॉर्महाउस से बाहर जाने लगी ,रोहन मेरे सामने आकर खड़ा हो गया था,उसकी आवाजे मेरे कानो तक तो जा रही थी लेकिन मेरा दिमाग कुछ सुनने को तैयार ही नही था,मैंने पास रखी एक शराब की बोतल उठाई और रोहन को एक तरफ धकेल कर आगे जाने लगी ,मैं फॉर्महाउस के बाहर थी ,रोहन शायद अब भी मेरे पीछे था या नही था मुझे नही पता,लेकिन मैं उस बोतल से शराब पी रही थी ,मेरे सामने सारी दुनिया घूम रही थी ,और अचानक...सब कुछ जैसे खत्म हो गया.

मेरे सर में बेहद ही तेज दर्द उठा,मैं जागी तो हैरान हो गई ,सूरज की तेज धूप मेरे चहरे पर पड़ रही थी,मेरा चहरा पसीने से भीगा हुआ था,मैं जब थोड़ा उठी तो मैं और भी जोरो से चौकी,ये मेरा कमरा तो नही था,मैं हड़बड़ाकर उठी,रात में आखिर हुआ क्या और मैं कहा हु,..

मैंने खुद को देखा,मैंने वही कपड़े पहन रखे थे जो मैंने पार्टी में पहने थे,मैं बिस्तर से उठ कर उस कमरे को देखने लगी,छोटा सा कमरा था और खुली हुई खिड़की से तेज धूप अंदर आ रही थी,मैं जैसे ही खड़े होने को हुई फिर से मेरे सर में तेज दर्द हुआ,लगा जैसे मैंने रात ज्यादा ही पी ली थी,मैं मुश्किल से दरवाजे तक पहुची,उस कमरे से लगा एक हाल था जिसमे सभी चीजे सलीके से जमी हुई थी,हाल से लगा हुआ ही दरवाजा था जो शायद घर से बाहर निकलने का रास्ता था,मैं उस दरवाजे तक पहुँची,देखा बाहर छोटा सा गार्डन है,और एक शख्स खड़ा हुआ पौधों को पानी दे रहा है .

"एक्सक्यूज़ मि ..मैं ..मैं यंहा कैसे आयी.."

वो शख्स पलटा उसके होठो में एक मुस्कान थी ,

"ओह तो उठ गई तुम "

"सर आप .."

मैं उसे पहचानती थी ,वो मेरे कालेज के केमेस्ट्री के प्रोफेसर थे,डॉ गौरव..

"मैं यंहा ..कैसे "

मैं अचरज से भरी हुई थी ,मैं कुछ बोल पाती उससे पहले ही सर बोल उठे..

"बताता हु ,पहले शांत हो जाओ ,काफी पियोगी.."

मैं सहमति में सर हिलाया

वो अंदर गए और किचन से दो काफी बना लाये,

"कल रात मैं कुछ काम से गया था ,जब वापस आ रहा था देखा की तुम शराब के नशें में धुत्त सड़क पर चल रही हो ,मैंने तुम्हे पहचान लिया,तुम्हारे साथ वो तुम्हारा दोस्त भी था,मुझे लगा की वो तुम्हे जबरदस्ती शराब पिलाकर तुम्हे छेद रहा है ,क्योंकि तुम उसे गालियां दे रही थी और अपने से दूर रहने के लिए कह रही थी ,इसलिए तुम्हे अपने साथ ले आया,वो लड़का भी मुझे पहचानता था,तो उसे अपना पता दे दिया ये बोलकर ही सुबह जब होश में रहे तो आकर तुम्हे ले जाए ,"

है भगवान ये मैंने क्या कर दिया,अब ये बात सभी जगह फैल जाएगी की मैंने रात में क्या तमाशा किया था,शायद पार्टी में भी कोई तमाशा किया होगा..

"सॉरी सर वो ..और थैंक्स फ़ॉर .."

"कोई बात नही तुम्हारा फोन और पर्स वही बिस्तर में रखे हुए है तुम किसी को काल करके बुला लो ,या मैं तुम्हे तुम्हारे घर छोड़ दु ..?"

सर ने बड़े ही सभ्य तरीके से कहा ..

"नही सर मैं बुला लेती हु ."

"ओके ऐसे क्या नाम है तुम्हारा "

"जी..पूर्वी .."

मैं सर से नजर भी नही मिला पा रही थी,थोड़ी देर बाद रोहन अपनी गाड़ी लेकर सर के घर पहुच गया..

"तुम ठीक तो हो .."उसका पहला सवाल था,जिसका जवाब देना मैंने मुनाशिब नही समझा मैंने अपना पर्स उठाया और उसकी गाड़ी की ओर बढ़ गई .

"थैक्स सर फ़ॉर हेल्प .."रोहन से सर का धन्यवाद दिया और वो भागता हुआ मेरे पीछे आया .

गाड़ी तेजी से मेरे घर की तरफ चल रही थी ,रोहन भी कुछ बोलने की हिम्मत नही कर रहा था ना ही मैं उससे बात करने के मूड में थी ,घर पहुचकर मैं सीधे ही अपने कमरे में घुस गई,साथ ही रोहन भी आ गया लेकिन फिर भी उसने मुझसे कुछ नही कहा,मैं अपना पर्स बिस्तर में फेंककर सीधे बाथरूम में घुस गई.

लगभग एक घंटे बाद मैं निकली,मेरे जिस्म में बस एक टॉवेल था,रोहन अब भी मेरे बिस्तर में बैठा हुआ था..

उसने मुझे देखा,उसकी आंखों में शर्म थी ..

"मैं कैसे तुमसे माफी मांगू ,"

वो फिर से गिड़गिड़ाया

"सपना को काल करो "

"क्या??"मेरी बात से वो चौक गया था

"देखो पूर्वी ये बस एक गलती थी ,मैं नशे में था यार बहक गया था.."

"मैंने बोला सपना को काल करो और यंहा बुलाओ "

उसने एक पल मुझे देखा और फिर अपना मोबाइल उठाकर सपना को मेरे घर बुला लिया.."

मैं उसे थोड़ी देर तक देखती रही ,और फिर बिस्तर में जाकर लेट गई,अभी भी मैंने वही टॉवेल पहना था,रोहन मेरे बाजू में ही बैठा था लेकिन उसने मेरे जिस्म को देखने की कोई जहमत नही उठाई..

"मैं बहुत थक गई हु रोहन मेरे पैर दर्द दे रहे है ,जरा मालिस कर दो "

मैंने आंखों को बंद करते हुए कहा ,

रोहन फिर से खामोश निगाहों से मुझे देखने लगा लेकिन थोड़ी ही देर बाद मरे एड़ी को पकड़कर मालिस करने लगा,

"ह्म्म्म थोड़ा ऊपर जांघो के पास "

मैंने थोड़ी देर बाद ही उससे कहा ,रोहन अब मेरे जांघो को सहला रहा था,मैंने अपने टॉवेल की गठान खोल दी ,लेकिन उन्हें अपने वक्षो से अलग नही किया ,

"थोड़ा और ऊपर रोहन "

अब रोहन के हाथ मेरे जांघो के सिरे तक पहुच रहे थे,अब उसकी आंखों में वो लालच आने लगा था जो किसी मर्द की आंखों में एक जवान खूबसूरत लड़की के जिस्म को देखने पर आता है,वो टॉवेल की दरार से मेरे जांघो के बीच झांकने की कोशिश कर रहा था ,उसकी इस हरकत से मैं मुस्कुराने लगी,ये पहली बार था जब कोई मर्द मेरे अंतः अंगों के इतने करीब तथा लेकिन सच बताऊँ तो मेरे अंदर कोई भी उत्तेजना नही उठ रही थी बल्कि बस एक सुकून था,रोहन की उंगलियां मेरे योनि को छूने लगी थी,मैंने दरवाजे में एक आहट सुनी और अपने टॉवेल को निकाल कर फेक दिया,मेरा जिस्म अब पूरी तरह से नंगा बिस्तर में पड़ा था,रोहन के आंखे जैसे मेरे जिस्म में जम ही गई लेकिन तभी दरवाजा खुला ,सपना हमारे सामने थी ,उसने जो दृश्य देखा उसका मुह भी खुला का खुला रह गया,मैंने उसे बड़े ही प्यार से देखा,

"ओह सपना तुम आ गई ,वंहा बैठो,मैंने सामने पड़े सोफे की तरफ इशारा किया "

रोहन अवाक सा कभी मुझे तो कभी सपना को देख रहा था,उसकी आंखे शर्मिंदगी से झुक रही थी ,वही सपना भी अवाक थी,उसे मेरे ऐसे किसी एक्शन का कोई भी अंदाज ही नही था..

"रोहन बेबी,यंहा बड़ी गर्मी हो रही है थोड़ा चाट कर ठंडा कर दो ना"

मैंने अपनी उंगली से अपनी योनि की ओर इशारा किया..रोहन की आंखे फैल गई ,जैसे बोल रही हो की तुम मुझसे क्या करवाना चाहती हो ,उसके पेंट से उसके लिंग का तनाव मुझे साफ दिखाई दे रहा था,लेकिन फिर भी वो अजीब स्तिथि में फंसा हुआ था,उसने एक बार सपना की ओर देखा..

"अरे उधर क्या देख रहे हो ,इसे चाटना है ,सपना तुम कुछ पियोगी.."

सपना अवाक थी,उसकी आंखे लाल हो रही थी,थोड़ा पानी आ रहा था लेकिन अभी और आना बाकी था,मैंने रोहन को आंखों से ही निर्देश दिया की मैं मजाक के मूड में नही हु शुरू हो जा,और रोहन झुका,उसकी सांस इतनी तेज थी की मेरे योनि से उसकी गर्म सांस टकरा रही थी,वो थोड़ी देर तक मेरे योनि के पास ही रहा ,जैसे उस काम को करने की हिम्मत जुटा रहा है और एक गहरी सांस लेकर उसने जीभ से मरे योनि को चाट ही लिया ..

"आह गुड बेबी,लाइक अ डॉग ,यु आर गुड ..हम्म्म्म "

मैंने जानबूझकर अपने होठो को अपने दांतो से काटा ,और सिसकियां लेने लगी,मेरी आंखे सपना पर जा टिकी,मेरे होठो में कमीनी मुस्कान खिल गई और उसके आंखों का लालपन बढ़ने लगा था वही उसके आंखों का पानी भी,लेकिन वो संयम से बैठी हुई अब भी ये सब बर्दास्त कर रही थी,रोहन भी अब जोश में आकर चाटने लगा था,मेरी योनि पनिया गई,किसी मर्द का इस तरह का पहला स्पर्श था और मैंने ज्यादा समय नही लिया मैं तेजी से झड़ी.

"ओह रोहन यु आर माय डॉग बेबी चूस इसे चूस सारा पानी पी जा,तू मेरा पालतू कुत्ता है ..ओह रोहन..."

मैंने अपने टांगो से रोहन के सर को अपने योनि में कस लिया ,रोहन छटपटा रहा था,लेकिन मैं तब तक उसे ऐसे ही दबाए रखी जब तक की मैं पूरी तरह से नही झर गई ,रोहन छूटते ही हांफने लगा,मैं हंसती हुई उठी और उसके सर को सहलाया..

"ओ माय बेबी ,चलो अब जल्दी से कपड़े उतारो "

रोहन अब भी मुझे आश्चर्य से देख रहा था,मैंने इतने दिनों में कभी उसे अपने जिस्म को ठीक से छूने भी नही दिया था,वो उठा और जल्दी जल्दी खुद को नंगा कर लिया,सच में उसका लिंग बेहद ही मोटा और तना हुआ था,ऐसा लग रहा था जैसे उसकी नशे अब फटने ही वाली हो ,मैं फिर से लेट गई और इशारे से उसे अपने पास बुलाया,रोहन मेरे ऊपर जैसे कूद ही गया,मैं हंसने लगी ,मैंने उसके लिंग को अपने हाथो में थामा वो गर्म था,रोहन मेरे ऊपर झुका हुआ था ,तभी सपना उठी और रोते हुए बाहर जाने लगी..मैंने रोहन को जोरो से धक्का दिया,वो भी उठकर खड़ा हो गया था,

"रुको कहा जा रही हो ,तुम्हे तो खेलना पसंद है ना..तट फिर पूरा खेल देख कर ही जाओ "

मेरी बात में एक व्यंग था..

'तुम ..तुम आखिर साबित क्या करना चाहती हो "

मैंने उसे एक कमीनी मुस्कान के साथ देखा,

"यही की एक मर्द को बहकाने के लिए सबसे आसान रास्ता औरत का जिस्म होता है,तुमने कपड़े उतारे तुम्हारी चाटने लगे,मैंने उतारी तो मेरी ,कुत्तों की जात ऐसी ही होती है "

कुत्तों की जात बोलते समय मेरी निगाह सीधे रोहन के निगाहों से मिली,उसके आंखों से एक ही पल में सारी उत्तेजना गायब हो गई,उसकी आंखे फिर से शर्म से भरकर नीची हो गई थी...सपना ने एक बार मुझे देखा एक बार रोहन को और तेजी से वंहा से निकल गई ..

मैं फिर से धड़ाम से बिस्तर में गिरी ..रोहन सर झुकाए बिस्तर के किनारे खड़ा हुआ था..

"अब देख क्या रहे हो कपड़े पहनो और निकल जाओ यंहा से ,मेरे जिस्म का मालिक वो होगा जो तुम्हारी तरह कुत्ता ना हो, की कही भी मांस देखा तो उसे चाटने लगे .."

मेरी बात सुनकर रोहन ने एक पल की देर नही लगाई ,वो तेजी से कपड़े पहन कर कमरे से निकला,मैंने अपनी आंखे बंद ली ,अब जाकर मुझे सुकून मिला था,की अचानक मेरे आंखों में एक चहरा घुमा .....

गौरव सर का चहरा,और ना चाहते हुए भी मेरे होठो में एक शर्म भरी मुस्कान तैर गई...
 
अध्याय 10

यूनिवर्सिटी की लायब्रेरी में मैं सबसे दूर एक पुस्तक लेकर बैठी थी,कौन सी बुक थी वो तो मुझे भी नही पता था,लेकिन यंहा वो शांति थी जो मुझे चाहिए थी,मैं सपना और रोहन दोनों को ही अपने सामने नही देखना चाहती थी,इसलिए एक ऐसी जगह चुनी जंहा वो कभी नही आते हो,यूनिवर्सिटी की लायब्रेरी...

"वाओ तुम्हे केमेस्ट्री में इतना इंटरेस्ट है मुझे पता नही था"

एक आवाज मेरे पीछे से आयी ,वो गौरव सर थे,मैं उन्हें अचानक से देख कर खड़ी होने लगी ..

"अरे बैठो बैठो.."

वो मेरे सामने वाली चेयर मे बैठ गए और मेरे सामने रखी पुस्तक को उठा लिया ..

"ह्म्म्म तो तुम ये पड़ रही हो,ऐसे बीएससी के छात्रों को ये पड़ते मैंने बहुत कम ही देखा है ,ये तो पीएचडी वाले लोग ही पड़ते है,कुछ समझ भी आ रहा है या हु ही .."

मेरा ध्यान उस पुस्तक पर गया जिसे मैं पिछले आधे घंटे से लिए बैठी थी लेकिन उसका नाम भी मुझे पता नही था.

मुझे कोई जवाब ही नही सुझा,क्योंकि जब दिमाग में हजारों सवाल चल रहे हो तो आदमी खोया खोया सा ही रहता है ,शायद मेरी मनोस्थिति को गौरव सर समझ चुके थे..

"क्या हुआ कोई प्रॉब्लम है क्या "

उन्होंने धीरे से कहा ,और मेरे आंखों से आंसू छलक गए,मैं भरी पड़ी थी ,मुझे एक कंधा चाहिए था जिसपर मैं सर रखकर रो सकू लेकिन अपना दुखड़ा मैं किसे सुनाती...मेरे सबसे अच्छे दोस्त ही तो मुझसे दूर थे ..

"अरे क्या हुआ तुम्हे "उन्हेंने एक बार इधर उधर देखा फिर अचानक से खड़े होकर मेरा हाथ पकड़कर उसे उठा लिए और एक ऐसे कोने में ले गए जंहा कोई भी नही था,मुझे आज ही पता चला की हमारी लाइब्रेरी इतनी बड़ी है की प्रेमी जोड़े अपने प्रेम लीला भी कर ले तो कोई पकड़ने वाला नही है ..

उन्होंने एक शांत जगह पर मुझे बिठाया और मेरे सामने बैठ गए ,

"अब बताओ क्या प्रॉब्लम है "

अब तो पता नही मुझे क्या हुआ मैं फुट फुट कर रोई,और मेरे मुह से सच ऐसे निकला जैसे ऑटोमेटिक मशीन गन वाली गोली हो एक बार चला दो तो पूरी गोली खत्म करके ही बंद होती है ..

मैंने उन्हें हर चीज बता दी की कैसे रोहन ने मुझे प्रपोज किया,फिर कैसे धोखा दिया,और फिर कैसे मैं उनके पास पहुची और साथ साथ ही कैसे मैंने रोहन और सपना से बदला लिया, एक एक सच मैं कह गई जैसे वो मेरे पुराने दोस्त हो,ऐसे सच भी जो कोई लड़की किसी अनजान तो क्या ,जानपहचान वाले इंसान को भी ना बताए.

लेकिन पता नही सर में वो क्या आकर्षण था,या शायद मैं बहुत ही ज्यादा दुखी थी और मुझे एक ऐसे इंसान की जरूरत थी जिससे मैं अपने सारे दर्द शेयर कर सकू.

वो भी चुपचाप मेरी बातों को सुनते रहे,और अंत में मुझे दिलासा देने लगे,वो बहुत ही सुलझे हुए इंसान लगे जो दुसरो की तकलीफों को समझता है ,और रात वाली घटना से ये भी समझ आ गया था की वो जरूरतमंदों की मदद को भी तैयार रहते है,उनकी आंखों में मैंने अभी तक कोई ऐसे भाव नही देखे जो मुझे उनपर किसी भी तरह का शक करने को मजबूर करे,वो अभी भी मुझसे ऐसे ही पेश आ रहे थे जैसा एक टीचर अपने स्टूडेंट से आता है,बिल्कुल ही सभ्य तरीका था उनका,उन्होंने मुझे समझाया थोड़ा पानी पिलाया ,और इधर उधर की बातों से मेरे मन को शान्त किया..

उस दिन के बाद अक्सर हमारी मुलाकातें होती रही ,अधिकतर लाइब्रेरी में ही ,जंहा पहले मैं बिल्कुल ही नही आती थी लेकिन अब सिर्फ उनसे मिलने ही आने लगी,वो मुझे सब्जेक्ट से रिलेटेड कई बाते बताया करते जिनमे मुझे बिल्कुल भी इंटरेस्ट नही था,मुझे धीरे धीरे पता चला की वो यूनिवर्सिटी के गोल्ड मेडलिस्ट है,इतने कम उम्र में ही उन्होंने कई शोध पत्र रिलीज करवा चुके है,और आने वाले दिन में इस यूनिवर्सिटी के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट का भविष्य कहे जाते है,कई होनहार विद्यार्थियों के लिए वो प्रेरणा के स्रोत थे लेकिन मेरे लिए .???

मुझे पढ़ाई में कभी भी कोई भी इंटरेस्ट नही था और केमेस्टि में तो तो बिल्कुल भी नही ,मुझे ग्रेजुएशन के बाद MBA करना था और पाप का बिजिनेस सम्हालना था,मैं अभी से उनके बिजिनेस में उनका हाथ बटाने लगी थी ,असल में हम तीनो दोस्तो का एक ही प्लान था की अपने बाप के बिजिनेस को और बड़ा करना,यंहा तो हम बस डिग्री लेने आये थे ,लेकिन सर से मिलने का एक ही तरीका था और वो था लाइब्रेरी में उनके साथ वो सब बाते सुनना ,वो ही मैं कर रही थी,वो कोई पुस्तक खोले या किसी रिसर्च पेपर पर चर्चा करते थे जो मेरे दिमाग के बिल्कुल ही ऊपर से जाता था,और उनके कुछ सलेक्टेड विद्यार्थी उनकी बात पर बहस भी करते ,उनसे सवाल पूछते वो जवाब देते,सब चलता रहता ,मैं बस उनके साथ बैठकर उनके चहरे को निहारती रहती,पता नही उस चहरे में क्या था..

एक सामान्य सा चहरा तो था ,एक सामान्य से डीलडौल का व्यक्ति,मैं तो उन्हें एक साल से देख रही थी लेकिन वो इतने आकर्षक कभी भी नही लगे थे,अगर पहले मुझे कोई कहता की ये व्यक्ति आकर्षक है तो शायद मैं हंस पड़ती,लेकिन अब मुझे ये क्या हो रहा था,उनकी मुस्कान,उनका वो बोलने का शालीन अंदाज,उनकी वो सादगी,उनका वो अपने विषय में गहरा ज्ञान ये सभी वो चीजे थी जिससे पहले मेरा कोई भी वास्ता नही था लेकिन अब वही चीजे मुझे आकर्षित करती थी,मैं उन्हें देखते रहती ,फिर खुद ही कुछ सोच कर शर्मा जाती,और खुद ही मुस्कुराती ,क्या हो रहा था मुझे??

लेकिन मेरी इन हरकतों की भनक उन्हें भी लगने लगी थी,एक दिन सब लोगो के जाने के बाद उन्होंने मुझे रोक लिया ..

"पूर्वी यु आर आ गुड गर्ल ,और तुम रोज लाइब्रेरी में आती भी हो ,सब्जेक्ट की हर बातों को इतने ध्यान से सुनती हो."

वो थोड़े देर चुप हो गए और मुझे निहारने लगे,

"लेकिन फिर भी मुझे नही लगता की तुम्हारा ध्यान कभी पढ़ाई में रहता है ,तुम तो कही और ही खोई हुई लगती हो "

उनकी बात से मैं बुरी तरह से झेंप गई ,मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू,ऐसा लगा जैसे मेरी चोरी किसी ने पकड़ ली हो..

मैं कुछ भी नही बोल पाई लेकिन वो बोल पड़े..

"देखो पूर्वी मैं समझता हु की तुम्हारे साथ क्या हो रहा है लेकिन तुम्हे भी समझने की जरूरत है की ये सब तुम्हारे उम्र के कारण हो रहा है ,तुम्हारी उम्र ही ऐसी है की किसी के प्रति आकर्षण जाग जाए,अभी तुम्हे सही गलत की ज्यादा समझ नही है ."

मैं दंग थी ,ये आदमी मुझे सीधे सीधे रिजेक्ट कर रहा है ,मैं आज तक कभी रिजेक्ट नही हुई थी ,असल में मैंने कई लोगो को रिजेक्ट किया था..

"लेकिन सर मैं .."

"कोई बात नही ,मैं जानता हु की तुम अभी दुखी हो,मेरा मानना है की तुम्हे फिर से अपने दोस्त के साथ रहना चाहिए,पढ़ाई में तुम्हारा इंटरेस्ट नही है ,तुम यंहा अपना समय ही बर्बाद कर रही हो ,अपने दोस्तो को माफ करो और फिर से उनके साथ दोस्तो की ही तरह रहो,मुझे लगता है की तुम्हे दर्द देकर वो भी खुश नही है,मैं रोहन और उस लड़की क्या नाम था हा सपना को आजकल बहुत ही अपसेट और दुखी देखता हु ,पहले तुम लोग कितने खुश दिखाई देते थे.."

उनकी बात से मेरा ध्यान एक बार फिर से रोहन और सपना की ओर गया,कई दिन हो गए थे उनलोगों से बात किये ,मैं तो उनका चहरा भी देखना पसंद नही कर रही थी ..

"सर मुझे लगता है की मैं आपसे प्यार करने लगी हु "

मैंने बहुत ही सीरियस हो कर कहा ,लेकिन सर हँसे जोरो से हँसे ..

"होता है होता है,जब मैं तुम्हारी उम्र में था तो मुझे भी अपनी टीचर से प्यार हो गया था,मैंने भी उन्हें प्रपोज कर दिया था,तुम उन्हें जानती होगी ,हमारे विभाग की HOD ...मेडम ने मुझे यही चीज समझाई जो मैं तुम्हे समझा रहा हु ,और प्यार तो आज भी उनके लिए है लेकिन अब उस प्यार का स्वरूप बदल गया है,अब मैं मेडम की बेहद ही इज्जत करता हु,समझ लो की अब वो मेरे लिए मेरी माँ की तरह है ,और उन्होंने भी हमेशा ही मुझे अपने बेटे की तरह प्यार दिया है .."

मैं अजीब से पशोपेश में पड़ गई थी ,इसका मतलब है की गौरव सर मुझे अपनी बेटी मानते है???

"लेकिन सर .."

"पूर्वी ...घर जाओ और मेरी बात को समझो ,अपने दोस्तो से मिलो और कुछ दिन में ही तुम्हे समझ आ जाएगा की ये महज एक आकर्षण है ना की प्यार .."

वो वंहा से निकल गए मुझे फिर से सोचता हुआ छोड़कर ....
 
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