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एक दिन ऐसे ही बस से सफर कर रहा था, सफर थोडा लंबा था इसलिए मैं आराम से अपनी सीट पे बैठा कान में ईयरफोन्स लगाकर गाने सुन रहा था। तभी अचानक मेरी नजर एक चुदासी औरत पे पडी। वो भी उस वक्त मेरी तरफ ही देख रही थी, तो हमारी नजरें आपस में टकरा गई। नजर मिलते ही उसने अपनी आँखे दूसरी तरफ फेर ली। वो एकदम आखिर की सीट पे बैठी थी और उसके बगल में दो बुड्ढे आदमी बैठे थे। इन सब बातों में मैं उसके बारे में बताना तो भूल ही गया।

वो औरत दिखने में इतनी सुंदर तो नही थी, लेकिन उसका सांवला रंग और उसका फिगर उसे एकदम जबरदस्त बना रहा था। दो तीन स्टेशन जाने के बाद उसके बगल वाला एक आदमी उतर गया। मुझे तो बस मौका चाहिए था, मैं अपनी सीट से उठके उसके बगल में जाकर बैठ गया। अब मुझे समझ नही आ रहा था कि, मैं बात कैसे करूँ ? तभी मुझे एक विचार आया।

मैंने अपने मोबाइल में हॉट विडियो चलाकर मोबाइल को थोडा सा उसकी तरफ घुमा दिया ताकी वो भी देख सके। बीच में जैसे ही कोई चूमाचाटी का दृश्य आता तो मैं उसकी तरफ देखता, जिससे मुझे पता चला की वो भी चोरी छुपे विडियो देख रही थी। थोडी देर बाद मेरा स्टेशन भी आनेवाला था, लेकिन मेरी उससे बात करने की हिम्मत नही हो रही थी। तो मैंने अपने मोबाइल में खुद का नंबर टाइप करके उसकी तरफ घुमा दिया, जिससे वह नंबर देख सके।

उसने नंबर देखके अपने मोबाइल में कुछ टाइप किया और फिर उसने उसका मोबाइल मेरी तरफ घुमाया तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही नही रहा। उसने उसका नंबर टाइप किया था। जो मैंने झट से ले लिया। और अगले स्टेशन पे उतर गया।

उतरने के बाद थोड़ी देर में मैंने उस नंबर पे कॉल किया तो उधर से एक मधुर आवाज आई। फिर उसको मैंने बताया कि मैं राज बोल रहा हूँ, अभी बस में आपने मुझे नंबर दिया था। तो वो पहचान गयी।

फिर कुछ दिन ऐसे ही बातों का सिलसिला चलता रहा, फिर थोड़ी सेक्सी और मजेदार बातें होने लगी। साफ बात थी, आग तो दोनों तरफ लगी थी। तो हम दोनों ही एक दूसरे से बहुत जल्द मिलना चाहते थे। लेकिन एक तो वो अपने घर से ज्यादा बाहर नही निकल सकती थी और दूसरा मुझे हमारे मिलन के लिए कोई रूम नही मिल रही थी। एक दिन उसने कॉल करके बोला कि, वो कल सुबह आ सकती है, और दिनभर रहके शाम तक निकल लेगी, लेकिन रूम का क्या होगा ?

तो मैंने बोला, "तुम बस आ जाओ, मैंने सब इंतजाम करके रखा है।"

इसपर वो बहुत खुश हुई, फिर थोड़ी बाटे करके फोन काट दिया। अब मुझे बस एक रूम चाहिए था। तभी मुझे याद आया कि, कल सुबह ही मेरा एक दोस्त अपने घर जा रहा है। तो मैंने उससे उसके रूम की चाबियाँ ले ली। और रात में कल क्या होनेवाला है सोचते सोचते कब नींद लग गयी पता ही नही चला।

सुबह होते ही मैंने दोस्त को कॉल करके बोला की मैं तुझे छोड के आता हूँ, तो मैं उसे स्टेशन तक छोड के वापस आया। और रूम को थोड़ा साफ करके उसके आने का इंतजार करने लगा। करीब 11:00 बजे के आसपास उसका कॉल आया कि, वो आ गयी है। तो मैं उसे लेने गया और जैसे ही मैंने उसे देखा, देखता ही रह गया। उसने हल्के नीले रंग की साडी पहनी हुई थी और एकदम हल्का सा मेकअप का टच दिया था, आखिर मैं उसे लेकर रूम आ गया।

रूम में घूसते ही मैंने दरवाजा बंद करके उसे कसके पकड लिया और अपने पास खिंच लिया। वो भी एकदम लता की तरह मुझसे लिपट गयी। फिर मैंने उसे दीवार के सहारे खडा करके उसके कोमल से लबों को चूसने लगा। आह क्या रसीले होंठ थे उसके जैसे एकदम मलाई। उसके होंठो को चूमते चूमते मेरे हाथ उसके बदन पे घूमने लगे। उसके बदन को सहलाते हुए उसके अधरों पे आकर रुक से गये। उसको चूमते समय जैसे मैं साँस लेना भूल ही गया, और बस उसे चूमते जा रहा हूँ। उसके होंठ, गाल, गर्दन हर तरफ मैं चूमते हुए काट रहा था। और उसके मुँह से बस हल्की आँहें निकल रही थी।

अब तक दोनों काफी गर्म हो चुके थे, मैं उसके दूध दबा रहा था और अपना लण्ड उसकी चूत पे रगडने की नाकाम कोशिश कर रहा था। फिर मैंने उसके सारी के पल्लू को हटाकर उसके चूचों पे ब्लाउज के ऊपर से ही मुँह लगा दिया और लगा चूसने। उसने मुझे रोकते हुए कहा, "कपडे ख़राब हो जायेंगे इससे अच्छा तो हम इन्हें उतार कर एक तरफ रख देते है, जिससे हम दोनों को आसानी होगी।"

नेकी और पूछ पूछ। मैं उसके साडी का पल्लू पकड लिया और धीरे धीरे खींचने लगा, जिससे वो गोल गोल घूम रही थी और साडी खुलती जा रही थी। साडी के खुलने के बाद, मैंने उसे झट से उठाके बेड पे पटक दिया और अपने कपडे उतारने लगा। मैं अब सिर्फ अंडरवियर में था, और वो ब्लाउज के साथ पेटीकोट पहने थी। मैं उसके ऊपर लेटते ही उसका ब्लाउज खोल दिया। वो ब्रा नही पहनती थी, फिर भी उसके चुचे बहुत टाइट थे। उसके चूचों के दर्शन होते ही मैं अपने लबों को उनको चूमने से रोक नही पाया। अब मैं उसके ऊपर था और मेरा एक हाथ उसका दाँया स्तन दबा रहा था जबकि बाँया स्तन मैं चूस रहा था। और वो मेरे बालों को सहलाते हुए मेरी पीठ को नोच रही थी।

मैं उसके स्तनों से होते हुए पेट को चुमके नीचे कमर पे आते ही मैने उसके पेटीकोट का नाडा खोल दिया, और उसे निकालके अलग रख दिया। अब मैं पूरी तरह से उसके ऊपर आकर उसके लबों का रसपान कर रहा था और नीचे अपना लण्ड उसकी चूत पे रगड़ रहा था। उसकी आँहे पुरे कमरे में गूंज रही थी, और वो भी मस्त होकर हर एक पल मेरा साथ दे रही थी। अब मैंने अपना मुँह उसकी चूत की फांको पे लगा दिया और चूत के अमृत को चूसने लगा। उसके चूत को छूते ही उसके पूरे बदन में सिरहन सी दौड गयी। थोडी देर चूत चुसाई के बाद उसकी चूत ने पानी छोड दिया। पानी छोडते समय उसने मेरा सर अपनी चूत पे जोर से दबा दिया, जिससे मुझे वो उसकी चूत का सारा अमृत पीना पड़ा।

अब मैंने अधिक देर न करते हुए, अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और उसके हाथ में थमा दिया। मुझे लगा पहले वो मेरे लौडे से थोडा प्यार करेगी और फिर उसे अपनी चूत के प्रवेशद्वार का रास्ता दिखाएगी, लेकिन उसने वैसा न करते हुए मेरे लंड को सीधे चूत के द्वार पे रख दिया और नीचे से अपनी कमर उचकाकर लंड अपने भीतर लेने की नाकाम कोशिश करने लगी। उसकी उत्तेजना को समझते हुए मैंने भी उसे ज्यादा तडपाना ठीक नही समझा और जैसे ही वो अपनी कमर उचकाने को हुई मैंने भी एक जोरदार धक्का दे दिया। साली पहले से खेली खाई हुई थी लेकिन फिर भी उसके चूत में काफी हद तक कसावट थी।

पहले धक्के में मेरा बस टोपा ही अंदर जा पाया, फिर मैंने बिना रुके एक और धक्का दे मारा। अब मेरा आधा लंड उसकी चूत के अंदर था। मुझे उम्मीद नही थी की वो मेरा लंड इतने आराम से ले लेगी। जब अगले धक्के के साथ मैंने अपना पूरा मूसल उसकी चूत में समा दिया तो उसकी मुंह से आह निकली। और उसने मेरे चुतडों को अपने हाथों से अपनी तरफ खिंचके चिपकाये रखा, जिससे मैं और धक्के ना मारु। तो मैं उसके चेहरे पे चुम्मियों की बौछार करने लगा और एक हाथ से उसके दूध को मसलने लगा। थोडी देर उसी हाल में रुकने के बाद उसने अपनी पकड ढीली कर दी, जो मेरे लिए फिर से शुरू होने का इशारा था। मैंने फिर से अपने धक्के शुरू कर दिए। अब तक हम मिशनरी पोजीशन में थे, तो मैंने उसे अपने ऊपर आने को कहा।

शायद वो भी इसी पल का इंतजार कर रही थी, मेरे कहते ही लंड को बिना बाहर निकाले हम पलट गए। अब उसने ऊपर आकर सबसे पहले अपने हाथों से मेरे बालों को सहलाया और फिर उसी हाथ को लेकर मेरे चेहरे पे फिराने लगी। उसकी यह अदा बडी ही कामुक थी। साथ ही वो अपनी कमर हिलाकर चूत में लंड लिए मुझे पूरा मजा दे रही थी। इस पोजीशन में उसके मम्मे बडे ही मस्त लग रहे थे, मैं भी उन्हें अच्छे से मसल रहा था। और बीच बीच में मैं उसके होठों को भी रसपान करते हुए काट रहा था।

अचानक उसकी स्पीड बढ़ गई, मुझे समझते देर नही लगी की वो झडने की कगार पे है। तो मैंने झट से एक धक्का देकर उसे अपने नीचे ले लिया और लगा धक्कमपेल चुदाई करने। तभी वो एकदम से अकड गई, उसने मुझे इस कदर भींच लिया की मेरा हिलना मुश्किल हो गया था। वो बहुत देर तक झडती रही, और उसकी पकड ढीली पड़ते ही मैं भी जोर जोर से शुरू हो गया।

फिर अपने लंड को चूत से निकाल कर मैंने उसके दोनों स्तनों को पास कर लिया और उनके बिच में अपना लंड घुसा दिया। आह..क्या मजा था यारों, अगर आपने यह अब तक नही किया तो करके देखिएगा, बहुत मजा आएगा। और 10-12 धक्कों में मैंने भी अपना पानी निकाल दिया। मेरा वीर्य उसके चेहरे पे, स्तनों पे फैला हुआ था और वो इस चुदाई के पलों को फिर से जी रही थी।
 
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