अशील वासना का नया रूप

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हाई दोस्तों,

मैं लाली आज निहारिका के साथ यौन - संबंधों के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसे सुन किसी लड़कों का लंद मेरी चुत की तरफ आकर्षित होगा तो दूसरी तरफ लड़कियां अपने चुचों को मसलती हुई रह जाएगी | मैं यूँ तो अपने मनन की कभी ना सुन पाती जब तक मेरी जिंदगी में निहारिका ना आती | मैंने कभी भी लड़कों में दिलचस्पी रखी ना ही किसी लड़के को हल्का सा भी भाव दिया | ऐसा नहीं था की मेरी चुत में खुजली नहीं मची बस मैंने कभी ना चाह की कोई सख्त चीज़ या किसी लड़के का सख्त लंड मेरी चुत में घुसे | मुझे तो लड़कों के सकत हाथों के सपर्श से चीड सी मच जाती है | मैं अक्सर ही अपनी सहलियों के बीच रहती और उन्ही में सबसे ज्यादा दिलचस्पी रखती | मुझे तो अपनी दोस्तों के साथ ही चुत - चमेली की बातें करना पसंद और उनकी नागी गांड और चुचे को देखा मुझे संतुष्ठी सी मिल जाया करती थी |

मैं शायद अपने असली रूप को समझ ही नहीं पाई कभी की मेरी असली दिलचस्पी तो लड़कियों में जो मुझे निहारिके के आने पर पता चला और वो भी मेरी तरह ही सोचा करती थी | वो थोड़ी नयी ई हुई थी और मेरी उससे दोस्ती हो गयी जोकि धीरे - धेरे गहरी दोस्ती में बदल गयी | हम धीरे - धीरे एक - दूसरे से अपनी सारी बातें जैसे चुत के बाल और चुत की मलाई हर बातें किया करते थे | हमें तो यह भी पता था की हम - दोनों कब किसी दिन अपनी चुत में पक्का ऊँगली करते हैं | एक दिन मेरा घर खाली था और मुझसे मिलने के लिए आई हुई थी | मस्ती - मस्ती में हम केवल लड़कियों की सम्भोग की फिल्में देखने लगे जिससे हमारी अंदर की चेतना जाग उठी और हमारा भी मन अपनी चुत में कुछ डालने का करने लगा |

हम दोनों अब एक - दूसरे से कोई शर्म भी नहीं थी इसलिए मैं वहीँ पर अपने कपड़े उतार नागी हो गयी अपने चुचों को हलके - हलके दबाते हुए अपनी चुत को मसलने लगी | मेरा पेट अपने आप कुद्कुदी मार रहा था और मेरी सिसकियाँ भी निकल रही थी | मुझे देख निहारिका भी अपने कपड़े उतारने लगी और मेरी पीठ को सहलाती हुई मेरे सम्भोग को देखने लगी | धीरे - धीरे मैंने अपनी उँगलियाँ चुत में देनी शुरू कर दि डिपर अब उसने मेरे चुचों को भींचना शुरू कर दिया | मुझे उसके नरम हाथों से मेरे चुचे भीन्च्व्वाने में बहुत मज़ा आ रहा था | मैं भी अपनी चुत में ऊँगली डालने को कह रही थी ताकि हम दोनों एक साथ मज़ा लेने लगे | जब उसने भी अपनी चुत को उघाड़ दिया तो हमने अब अदला - बदली कर एक दूसरे की चुत को मसलते हुए उनमें ऊँगली करना शुर कर दिया | किसी और के हाथ से अपनी चुत में ऊँगली करवाने का मज़ा ही कुछ और है अब यह मुझे समझ में आ रही थी |

अब कुछ देर बाद अचानक मैंने उसकी चुत को सूंघना चालू कर दिया फिर करीब से एक बार उसकी चुत को चाटकर देखा जिसका स्वाद मुझे खट्टा - खट्टा लग पर बहुत मज़ा | मैं उसी तरह उसकी चुत में अंदर ऊँगली देते हुए चाटा फिर हम ६९ की मुद्रा में आ गया जिसपर हम दोनों ही एक दूसरे की चुत को चाट रहे थे और कभी ऊँगली - अंदर -बहार कर रहे थे | हम दोनों मज़े में तर्र होकर मस्त वाली गहरी सिसकियाँ ले रहे थे और अचनक मेरी चुत का पानी निक पड़ा जिसे भी अपने जीभ से चाट गयी और मैं उसे उत्तेजित करती हुई उसकी चुत में तेज़ी से ऊँगली डालने लगी जिससे कुछ ही देर में उसकी चुत का पानी भी निकल पड़ा और मैं भी चाटने लगी | उस दिन के बाद से अब हमारा रिश्ता ही कुछ और हो गया है और हमें जब भी मौका मिलाता है तो एक दूसरे के साथ इसी तरह हल्की - फुल्की चुसम - चुसाई करते है |
 
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