आउटडोर सेक्स की आदत

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Outdoor me sex karne ki hawa lagi - Hindi hot kahani

मैंने लास्ट टाइम जब नैना के साथ आउटडोर सेक्स किया था तो मेरा खुले में सेक्स करने का चाव और बढ़ता चला गया, मैं मौका ढूंढ ही रहा था कि एक दिन मेरे ऊपर वाले रूम में रहने वाली आभा ने मुझे पूछा "इस सन्डे क्या कर रहे हो" मैंने कहा "कुछ ख़ास नहीं" तो बोली मेरे अंकल के फार्म पर एक पार्टी है, मेरे कजिन ने इनविटे किया है पर मेरे पास कोई डेट नहीं है ले जाने को". मैं तैयार तो हो गया लेकिन मैं अभ को उतना पसंद नहीं करता था क्यूंकि एक तो वो चेहरे मोहरे में कुछ ख़ास नहीं थी बस उसका जिस्म शानदार तरीके से तराशा हुआ था और दुसरे ये कि वो सिर्फ काम पड़ने पर ही बात करती थी. खैर मैंने सोचा मुफ्त की पार्टी है, खाना और दारू तो हो ही जायेगा और वैसे भी सन्डे घर पर पोर्न देख कर मुठ मारने से बेहतर तो पार्टी ही रहेगी.

सन्डे सुबह सुबह छः बजे ही मैं और अभा मेरी बाइक पर उसके अंकल के फार्म पर जाने को तैयार हो गए, रस्ते में उसने बताया कि ये उसके रियल अंकल नहीं हैं बल्कि उसकी मम्मी के फ्रेंड हैं और उसके पापा के जाने के बाद उन्होंने ही घर को संभाला और मम्मी को जॉब दिलवाई थी. वहां जा कर पता चला कि पार्टी तो पूल पार्टी है पर मैं अपना स्विमिंग कॉस्टयूम नहीं ले गया था लिहाज़ा मैंने अपने बॉक्सर में ही पार्टी एन्जॉय करने का सोचा, वहां अभ के अंकल उसकी मम्मी उसके कजिन उनकी बीवीयाँ सभी स्विमिंग कॉस्टयूम में थे. दारू वगेरह का भी अच्छा इंतज़ाम था और ये देख कर मुझे लग गया कि अभ क्यूँ अकेले नहीं जाना चाह रही थी. उसके अंकल और मम्मी की केमिस्ट्री तो मैंने दस ही मिनट मिएँ समझ गया था लेकिन कुछ बोला नहीं और खुला माहौल देख कर मेरा भी डर थोड़ी देर में जाता रहा.

सब ने जमकर दारू पी, पूल में वाटर पोलो खेला, स्विमिंग की, स्टंट्स किये, अभ के अंकल मुझसे ख़ासा प्रभावित थे, उन्होंने तो मुझे अपनी कंपनी में ऑफर भी दे दिया था लेकिन मैंने उनका दिल रखने के लिए हंसकर बात टाल दी. आभा और मैं दारू पी कर मस्तियाँ करते हुए इतने क्लोज आ गए थे की अब हम दोनों गर्ल फ्रेंड बॉय फ्रेंड की तरह बेहवे करने लगे थे, उसकी मम्मी ने इशारे में आभा से पूछा तो उसने कहा "ना मम्मी वी आर जस्ट फ्रेंड्स". थोड़ी देर बाद सब अपने अपने में बिजी हो गए तो मैं और आभा स्विमिंग कॉस्टयूम में ही थोडा घूमने निकल गए, काफी बड़ा फार्म था और वहां एक आर्टिफीसियल तालाब भी बना हुआ था जहाँ बतख वगेरह पाल रखी थी. वहां जा कर अभा ने मुझे कस कर पकड़ लिया, मिअने उसे समझाया "तुम अभी सिर्फ माहौल की वजह से बहक रही हो" तो बोली "तुम्हे कोई तकलीफ है अगर एक लड़की तुम्हे अपनी जवानी ऑफर कर रही है तो" मैंने कहा "नहीं लेकिन तुम इसकी आदत दाल डौगी फिर कौन देगा" तो मुस्कुरा कर बोली "अगर मुझे अच्छा लगा तो रोज़ ले लेना".

अब एक तो माहौल ऐसा और दुसरे आभा का ऑफर और तीसरे आउटडोर में सेक्स करने का एडवेंचर दोबारा जीने का मौका सो मैं भी पीछे नहीं हटा, मैंने आभा को अपनी गोदी में उठाया और तालाब के पास ही लगी बड़ी बड़ी चट्टानों के पीछे जा कर उसे मिटटी में ही लिटा दिया, आभा ने गीली मिट्टी ले कर मेरे कंधे पर लगा दी तो मैंने उसकी मासूमियत भर इस शरात का जवाब उसके होठों को चूम कर दे दिया, हालांकि आभा इतनी सुन्दर नहीं थी लेकिन उस वक़्त वो दुनिया की सबसे सेक्सी लड़की लग रही थी. हम दोनों ने अपने अपने कपडे उतार कर एक दुसरे के जिस्म से लिपट कर ऐसे पागलों की तरह एक दुसरे को चूमा की शरीर का कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा.

अभा का जिस्म उसके चेहरे से ज्यादा इंटरस्टिंग था, उसके उभरते हुए चुचे कच्ची कलियों सा बदन और नयी नयी जवान चूत, बाहर निकले हुए चूतड़ और खुले हुए बाल उफ़ किसी कयामत से कम नहीं लग रही थी आभा. मैंने उसके बदन को जी भर के चूमा और उसके नन्हे चूचों को पीने में व्यस्त हो गया, आभा ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और सिक्सटी नाइन की पोजीशन में आ गयी और मेरे लंड को चूसने लगी उसका चूसना किसी पोर्न स्टार की तरह प्रोफेशनल था. मैंने भी उसकी चूत में अपनी जीभ का कहर बरपा कर दिया जिस से वो बावली हो कर मेरे लंड पर भारी पड़ने लगी थी. उसके होंठों के बाद अब उसके दांतों ने मेरे लंड को लगभग छीलना ही शुरू कर दिया था, मैंने उसी पोजीशन में उसको पलट कर उसकी चूत पर अपना लंड रखा तो बोली "इतनी जल्दी, अभी तो मैं गरम भी नहीं हुई" मैंने कहा "हो जाओगी चिंता मत करो".

मैं उसके ऊपर लेट गया और अपने लंड को उसकी चूत पर लम्बाई में लगा कर हलके हलके से रगड़ने लगा और साथ ही मैंने आभा के चूचों को चूमना और चूसना जारी रखा, मेरे लंड की रगड़ से उसकी चूत में गज़ब की हलचल हो रही थी और आभा ज़ोर ज़ोर से सिस्कारियां भरने लगी दो ही मिनट में उसकी चूत खासी गीली हो गयी और उसने बिना बताये ही हलके से नीचे खिसक कर मेरे लंड को अपनी चूत में खिसका लिया जिस से एक मीठी सी सिसकारी उसके मुंह से और एक आह मेरे मुंह से निकल गयी. आभा ने ये सरप्राइज मुझे दिया तो मेरा लंड खुश हो गया और मैंने एक छोटा सा झटका लगा कर आभा की चूत में अपना पूरा लंड फँसा ही दिया, आभा चिहुंक उठी और उसने ढेर सारी तालाब के किनारे की गीली मिटटी हाथ में ले कर मेरी पीठ पर मल दी. अभा लगातार आवाजें कर रही थी "ऊओह आआह्ह्ह फक मी फक मी लिखे अ बिच" और मैंने भी कह रहा था "आभा रोज़ करोगी ना, ऊओह आःह्ह्ह, डू यू लाइक माय डिक".

आभा और मैं दोनों ही तालाब के किनारे की गीली मिटटी में सने हुए सेक्स कर रहे थे हम दोनों पहले से भीग कर आये थे तो ठन्डे होने की वजह से हम जल्दी ही झड़ भी नहीं रहे थे, आभा पलट कर डोगी स्टाइल में आ गयी और मैंने वही तालाब के किनारे चट्टान के पीछे उसे घोड़ी बना कर खूब चोदा. थोड़ी देर बीतने पर भी जब हम नहीं झड़े तो आभा नए मुझे चट्टान से सटाकर बिठाया और रिवर्स को गर्ल पोजीशन में आ कर मेरे ऊपर कूदने लगी और मिनट भर में ही झड़ गयी लेकिन मेरे कहने पर उसने कूदना जारी रखा तो दो ही मिनुतेम इएन मैं भी झड़ गया. वहां हम थोड़ी देर पड़े रहे फिर तालाब में ही नहा कर वापस पूल तक पहुंचे तो वहां पर फिर से वाटर पोलो का गेम शुरू हो गया था, आभा की मम्मी समझ गयी थी क्या हुआ है सो उन्होंने आभा को और मुझे आँख मार कर हाई फाइव दिया. उस दिन आभा को मैंने रात में भी खूब चोदा और उसके बाद तो इस सब का सिलसिला चलने लगा जो तबी तक नहीं रुका जब तक मैं अभा की मम्मी के सेक्स जाल में फंसकर उन्हें नहीं चोदने लगा था. आभा इस से कई महीने नाराज़ रही लेकिन आखिर मेरे लंड की प्यास उसे मुझ तक ले ही आई और अब मैं दोनों माँ बेटी को चोदता हूँ.
 
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