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सब को आयुष की तरफ से नमस्कार, मै आयुष ग्वालियर का रहनेवाला हूं और आज आपके सामने अपने बचपन की एक सच्ची कहानी लेकर आया हूं। यह मेरी पहली कहानी है, तो अगर कोई गलती हो जाए तो माफी चाहता हूं। इस कहानी में पढिए कैसे मैने अपने पडोस वाली लडकी के साथ दोस्ती करके, उसके साथ रहकर, उसे अपना बनाकर उसकी चुदाई की। यह कहानी चार साल पहले की है, जब मै दसवीं की बोर्ड परीक्षा दे चुका था। मेरे पड़ोस में ही मेरी एक दोस्त नीतू रहती है, वो भी मेरी ही कक्षा में पढती है। हम दोनों साथ मे ही स्कूल जाते और आते थे।

मैने छूट्टियों में सुबह पार्क में घूमने और शाम को जिम जाना शुरू कर दिया था, और मुझे देखकर नीतू भी मुझसे प्रभावित हो रही थी। मैने एक दिन ऐसे ही बातों बातों में उससे सुबह पार्क में घूमने आने के लिए बोल दिया। पहले तो उसने साफ मना कर दिया, लेकिन मेरे बार-बार बोलने पर आखिरकार वो मान ही गई। अगले दिन सुबह उठकर मैने नीतू को फोन करके उठाया, और तैयार होकर घर के बाहर आने के लिए बोल दिया। मै भी जल्द ही तैयार होकर उसके घर के सामने उसका इंतजार करने लगा। नीतू अभी भी आई नही थी, तो मैने उसके आने तक कुछ योगासन करने की सोची। मै शुरू करने ही वाला था कि, नीतू आ गई, और उसने मुझे आवाज लगाकर चलने को कहा।

अब नीतू और मै दोनों साथ मे ही चलने लगे, अभी तक पूरी तरह से सूरज ऊपर नही आया था। अभी भी थोडा अंधेरा था, हम दोनों ने पहले कुछ दूरी चलकर तय की, और फिर धीरे धीरे दौडने लगे। फिर पार्क में पहुंचने के बाद हम एक बेंच पर बैठ गए, और इधर उधर की बातें करने लगे।

थोडी देर बैठने के बाद मै उठकर स्ट्रेचिंग करके, फिर थोडी कसरत भी करने लगा। मुझे कसरत करते देख नीतू बोली, "तुम सुबह चलने, दौडने के अलावा कसरत भी करते हो, शाम को जिम भी जाते हो। इतनी मेहनत करने के बाद थक नही जाते?"

मैने भी उसे शान से कहा, "अरे यार कसरत करने से कौन थकता है, यह तो स्टैमिना बढाने के लिए होता है। और वैसे भी कसरत तो हर किसी को करनी चाहिए।"

मेरी यह बात सुनकर नीतू बोली, "पहले मै भी घर मे कभी कभी स्ट्रेचिंग और थोडी बहुत कसरत किया करती थी, लेकिन फिर कुछ दिनों के लिए बंद हो गया, तो आदत ही टूट गई।"

फिर थोडी देर रुककर नीतू बोली, "अगर तुम्हें कोई प्रॉब्लम ना हो तो, क्या तुम मुझे यह सब करवा सकते हो क्या?"

मुझे भला क्या दिक्कत हो सकती थी, लेकिन मैंने भी उससे कह दिया, "ठीक है, मुझे कोई दिक्कत नही है, लेकिन तुम कभी इससे छुट्टी नही ले सकती हो।"

नीतू ने भी हां कहा, और फिर मेरे पास आकर मेरी तरह अपने हाथ और शरीर को स्ट्रेच करने लगी।
लेकिन उसका आज पहला दिन था, तो उसे स्ट्रेचिंग में थोडी मुश्किल हो रही थी। पहले वो खुद से करने की कोशिश करने लगी, लेकिन वो खुद से नही कर पा रही थी। तो उसने मुझे देखने के लिए कह दिया, तो मैने पहले तो उसे शुरू से करके दिखाया कि, कैसे शरीर को स्ट्रेच करना है। और फिर उसे करने के लिए कहा, उसने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की, लेकिन जब उससे हो नही पाया, तब मुझे उसे पकडकर समझाना पडा।

जो लोग जिम जाते है या फिर ट्रेनर है, वो इस परिस्थिति को ठीक से समझ रहे होंगे। मै उसके शरीर को पकडकर उसे ठीक से सब करवा रहा था।

अब तक मेरे मन मे उसके प्रति कोई गलत खयाल नही था। मै उसे अपनी अच्छी दोस्त मानता था, लेकिन उसी दिन मेरे साथ जो हुआ, उसने मेरी उसके प्रति नजर ही बदल कर रख दी। नीतू आगे को झुककर अपने हाथों से पैर को छू रही थी, और मै पहले उसके बगल में था। उसे पूरा अच्छे से झुकाकर मै उसके आगे की तरफ गया, तभी उसने अपना सर ऊपर उठा लिया। जैसे ही उसने अपना सर उपर उठाया, मुझे उसके स्तनों के दर्शन हो गए। तब से मेरी उसके प्रति नजर पूरी तरह से बदल गई।

उसके स्तनों को देखकर अच्छे अच्छे आदमियों के ईमान डोल जाए, फिर मै तो बस एक सीधा साधा लडका था। उसके स्तन ऐसे लग रहे थे, जैसे दो पहाड हो, और उनके बीच से एक दरी हो। उसके स्तनों का आकार पूरा गोल था, और उनमें कोई ढीलापन नही था। नीतू के स्तन तो नीतू से भी ज्यादा गोरे रंग के थे।

स्तनों को देखने के बाद भी उसने अपने आप को ठीक नही किया, उसका टॉप थोडा लूज था, तो जब भी वो थोडा सा झुक जाती, उसमें से उसकी चुचियां बाहर झांकने लगती। नीतू का फिगर भी एकदम मस्त था,जैसा हर एक आदमी को चाहिए होता है।

नीतू ने मेरे देखने के बाद भी जब टॉप को ठीक नही किया, तो मेरा हौसला और बढ गया और मैने उसे घूरना जारी रखा। थोडी देर बाद नीतू ने ही हंसते हुए कहा, "अब बस भी करो, कितना देखोगे? अगर अभी भी मन नही भरा तो दस बजे मेरे घर आ जाना, मै सब अच्छे से दिखा दुंगी।"

उसके ऐसे बोलते ही मैने अपनी नजर कहीं और घुमा ली, लेकिन अब तक काफी देर हो चुकी थी। अब मै यह समझ नही पा रहा था, जो उसने मुझे बोला वो ऑफर था, या धमकी। थोडी देर वहीं पार्क में कसरत करने के बाद हम वापस अपने अपने घर आ गए। आते समय रास्ते मे हम दोनों ही चुप रहे, किसी ने किसी से बात नही की।

घर आकर मै फ्रेश हो गया, लेकिन अभी भी मेरे दिमाग मे वो नीतू की एक ही बात घूम रही थी। मै समझ ही नही पा रहा था, नीतू ने किस तरह से कहा था। तो आखिर में मैने डिसाइड किया कि, मै दस बजे उसके घर जाऊंगा। अगर वो गुस्सा होती है, तो सुबह के लिए सॉरी बोलकर आ जाऊंगा, और अगर गुस्सा नही होती तो फिर देखी जाएगी।

मै दस बजे अपने घर से निकला और नीतू के घर जाकर बेल बजा दी। दो मिनट बाद ही नीतू ने दरवाजा खोला, और मुझे अंदर ले लिया। नीतू बोली, "तू तो सच मे आ गया, मैने सोचा नही था। क्या तुम सच मे देखना चाहते हो मुझे?"

मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और चुप ही रहा। तो वो मेरे पास आई, और मेरा हाथ पकडकर मुझे सोफे पर बिठा दिया। फिर वो किचन में चली गई, और थोडी देर बाद मेरे लिए एक जूस और पानी लेकर आ गई। फिर वो भी मेरे सामने ही बैठ गई, और वो पूरा नीचे झुककर बैठ गई; जिससे उसकी चुचियां मुझे साफ नजर आने लगी।

तो मैने अबकी बार चूचियों को न देखते हुए अपनी नजर कहीं दूसरी तरफ घुमाने लगा। नीतू ने जैसे ही देखा कि, मै अब उसकी चुचियां नही देख रहा हुं, वो मेरे पास आकर बैठ गई। फिर मुझसे बोली, "क्या हुआ आयुष, क्या बात है?"

तो थोडी देर के शांती के बाद मैने उससे कहा, "नीतू मै तुझसे पहले से ही प्यार करता हुं लेकिन आज सुबह जो भी हुआ, वो मैने जानबूझकर नही किया। मुझे पता ही नही चला यह सब हुआ कैसे?"

तो नीतू बोली, "अरे पागल बस इतनी सी बात। मै भी तो तुमसे प्यार करती हूं, इसीलिए तो इतना दिखा रही हूं। तुम मेरे साथ आओ।"

इतना कहकर वो मुझे अपने कमरे में लेकर गई।

फिर मुझे बिस्तर पर बिठाकर बोली, अगर तुम मुझसे सच मे प्यार करते हो, तो जो तुमने मेरे साथ किया बाकी लडकियों के साथ कभी मत करना। और इसे रोकने क लिए मै तुम्हे अपना सब कुछ दिखा रही हूं।

इतना बोलकर वो मेरे सामने ही नंगी होने लगी। मैने आजतक कोई नंगी लडकी नही देखी थी, तो उसे देखकर मै अपने आप को रोक नही पाया। और उठकर मैने उसे गले लगाकर अपने होंठ उसके नाजुक होठों पर रख दिए।

थोडी देर चुमाचाटी के बाद उसने मेरा एक हाथ लेकर अपने चूचियों पर रखकर उसे दबा दिया। और खुद मेरे कपडे उतारने में लग गई। थोडी ही देर में हम दोनों नंगे एक दूसरे के सामने खडे थे। फिर उसने मुझे बिस्तर पर बुलाया, और मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड को अपने मुंह मे भरने लगी। और उसी अवस्था मे वो मूड गई, जिस से उसकी चुत मेरे मुंह पर आ गई। अब हम 69 पोजिशन में थे, और वो मुझसे अपनी चुत भी चटवा रही थी।

उसके बाद उसने मेरा लंड अपनी चुत के द्वार पर रखकर हल्के से धक्का मार दिया। जिससे आधे से ज्यादा लंड उसकी चुत आसानी से निगल गई। इसका मतलब वो अच्छे से चुदी हुई थी, और मेरा बस इस्तेमाल उसकी खुजली मिटाने के लिए हो रहा था।उस दिन हमने चुदाई के तीन राउंड खेले।

आगे क्या हुआ होगा, यह सब तो आप जानते ही है। आपको यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट में जरूर लिखकर बताएं। धन्यवाद।
 
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