Hindi sex stories, kamukta मैं एक बार जयपुर से अहमदाबाद जा रहा था मैंने जिस ट्रेन में रिजर्वेशन किया था वह ट्रेन कुछ देरी से आने वाली थी मैं स्टेशन पर ही बैठा हुआ था और ट्रेन का इंतजार कर रहा था। ठंड का मौसम था और काफी ठंड भी हो रही थी ट्रेन को आने में अभी दो घंटे और थे मैं स्टेशन जल्दी से पहुंच गया था। जयपुर मैं अपने चाचा के पास गया हुआ था और जब मैं ट्रेन में बैठा तो मैंने देखा मेरे सामने वाली सीट पर एक परिवार बैठा हुआ है और ऊपर की सीट में कुछ लोग सोए हुए थे मुझे भी काफी नींद आ रही थी और मैं भी लेट गया। जब सुबह हुई तो मैंने देखा मेरे सामने एक लड़की बैठी हुई थी उसे देख कर मेरी नजरे उससे हट ही नहीं रही थी उसकी बड़ी आंखें और उसके लंबे बाल देख कर मैं उसे अपना दिल दे बैठा था लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि वह लड़की मेरी तरफ बिल्कुल भी नहीं देखेगी। मैं उसे दिल ही दिल चाहने लगा था मुझे ना तो उसका नाम पता था और ना ही मुझे उसके बारे में कोई और जानकारी थी परंतु मैं उससे बात करना चाहता था और उसे किसी भी सूरत में अपना बनाना चाहता था।
अहमदाबाद आ गया और मैं जैसे ही स्टेशन पर उतरा तो वह लोग भी वहां उतर गए थे मुझे इतना तो पता था कि वह लोग भी गुजराती हैं। मैं अब वहां से अपने घर चला आया लेकिन मैं जब भी उसके चेहरे को सोचता तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता मैं सोचता था कि मैंने उससे बात क्यों नहीं की। मैं उसके बारे में जानने को बेताब था लेकिन मुझे शायद उम्मीद नहीं थी कि अब मुझे कभी वह मिलने वाली है परंतु जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हो तो वह आपको जरूर मिल जाती है और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैंने कभी सोचा नहीं था कि उसकी मुलाकात मुझसे एक महीने बाद होगी जब वह मुझे एक महीने बाद दिखी तो मैं उसके पीछे पीछे जाने लगा। वह स्कूटी में जा रही थी मैंने भी अपनी कार को उसके पीछे लगा दिया मुझे उस दिन उसका घर तो पता चल चुका था अब मुझे उससे नजदीकियां बढ़ानी थी और उसका नाम पता करना था लेकिन यह शायद मेरे लिए बहुत टेढ़ी खीर था क्योंकि मुझे उसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था और मैं सिर्फ हवा में ही तीर मार रहा था।
मैं हर रोज उसके घर के बाहर खड़ा हो जाता लेकिन वह मुझे काफी समय तक तो दिखी नहीं लेकिन एक दिन वह अपने घर से बाहर निकली तो मैं उसके पीछे चला गया मैंने उस दिन जानबूझकर उसकी स्कूटी से अपनी कार को टक्कर मार दिया जिससे कि वह गिर गई। वह जमीन पर गिरी तो मैंने उससे बात की वह मुझसे कहने लगी क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता उसने मुझे बहुत कुछ सुनाया मैं उसकी बात को चुपचाप सुनता रहा लेकिन मेरे दिमाग में तो सिर्फ उसका ही ख्याल चल रहा था। मैंने उसे कहा मैं आपको पैसे दे दूंगा आप बिल्कुल भी परेशान मत होइए वह मुझे कहने लगी मुझे पैसे नहीं चाहिए लेकिन मुझे अभी चोट लग जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता। मैंने उसे कहा मैं आपको उसके लिए दोबारा से सॉरी कहना चाहता हूं दर्शन मेरा ध्यान ना जाने कहा था इसमें मेरी ही गलती थी मैंने अपनी गलती मान ली और उसे कहा यदि आपको बुरा ना लगे तो मैं आपकी स्कूटी को ठीक करवा देता हूं। मैं उसकी स्कूटी को वहीं पास के एक मैकेनिक के पास ले गया और उसकी स्कूटी को ठीक करवा दिया अब उसका गुस्सा भी शांत हो चुका था उसने मुझसे कहा मुझे तो लगा था कि तुम बिल्कुल ही बेकार किस्म के लड़के हो लेकिन तुम इतने भी गलत नहीं हो। उसने मुझे धन्यवाद कहा और वह वहां से चली गई उस दिन मुझे उसका नाम पता नहीं चल पाया लेकिन उसके बाद जब वह मुझे मिली तो उसने मुझसे एक दिन बात कर ली और कहा आज तुम यहां कैसे? मैंने उसे बताया कि मैं अपने किसी काम से यहां आया हुआ था। मैंने उससे हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया और कहा मेरा नाम सुधीर है उसने भी मुझे अपना नाम बताया और कहा मेरा नाम कोमल है। मुझे उसका नाम पता चल चुका था और अब मुझे उसके दिल में जगह बनानी थी मैं इसके लिए मौका देखने लगा कि कब सही वक्त आएगा और मैं कोमल के दिल में अपने लिए जगह बना पाऊंगा। आखिरकार एक दिन मुझे वह मौका ही गया दरअसल हुआ यूं कि मैं उस दिन कोमल के पीछे ही जा रहा था तभी कुछ लड़कों ने उस पर कमेंट मारने शुरू कर दिए।
उस दिन मेरी भी शायद किस्मत अच्छी थी कि मेरे साथ कुछ लड़के थे और हम लोग जब गाड़ी से उतरे तो वह लड़के हमें देखते ही वहां से भाग गए। कोमल ने मुझे देखा और कहा थैंक्यू सो मच उसने जब मुझे थैंक्यू कहा तो मैं सिर्फ उसे ही देखता रहा वह वहां से अपने घर चली गई और उसके बाद तो जैसे हम दोनों एक दूसरे को चाहने ही लगे थे। हम दोनों की जब भी मुलाकात होती तो हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते मेरे पास अब तक कोमल का नंबर नहीं था मैंने एक दिन कोमल से कहा यदि तुम्हें बुरा नहीं लगे तो क्या तुम मुझे अपना नंबर दे सकती हो। कोमल ने भी मुझे अपना नंबर दे दिया और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से मिलने लगे हम दोनों की मुलाकात भी कभी हो जाती थी। मैं जब भी कोमल से फोन पर बात करता तो मुझे अच्छा लगता कोमल के आगे मैं अपने सारे काम भूल जाया करता था कोमल जब भी मुझे कुछ कहती तो मैं तुरंत ही उसके पास चला जाया करता। उसे जब भी मेरी आवश्यकता होती तो सबसे पहले मैं ही उसके साथ खड़ा होता इसलिए वह मुझ पर पूरा भरोसा करने लगी थी और शायद वह मुझे मन ही मन चाहने भी जाने भी लगी थी लेकिन हम दोनों के बीच यह समस्या थी कि सबसे पहले यह बात कौन बोलने वाला है।
ना ही मैं कोमल से अपने दिल की बात कर पा रहा था और ना ही कोमल के अंदर इतनी हिम्मत थी कि वह मुझे इस बारे में कुछ कह पाती। हम दोनों एक दूसरे से दिल ही दिल प्यार किया करते थे परंतु धीरे-धीरे हम दोनों की नजदीकिया और ज्यादा बढ़ने लगी तो मैंने कोमल से अपने दिल की बात कहने के बारे में सोच लिया। एक दिन मैंने कोमल से दिल की बात की मैंने जब कोमल से अपने दिल की बात कही तो वह भी मना ना कर सकी क्योंकि वह तो मुझे पहले से ही चाहती थी इसलिए उसने भी मुझे स्वीकार कर लिया था। हम दोनों अब एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा समय बिताया करते मैंने कोमल को कहा की मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था तो तभी से मैंने सोच लिया था कि मैं तुम्हें अपना बना कर ही रहूंगा। कोमल को भी यह बात शायद पता नहीं थी क्योंकि उस दिन उसने मुझे ध्यान से नहीं देखा था और ना ही उसे वह ट्रेन वाली बात याद थी लेकिन सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि मुझे भी पता नहीं चला कि कब कोमल को मैंने अपने दिल की बात कह दी। अब कोमल मेरे जीवन में आ चुकी थी मैं अपने जीवन में पूरा इंजॉय कर रहा था। मेरे घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक है मेरे पिता जी का बहुत बड़ा कारोबार है इसलिए मेरे ऊपर ना तो कभी किसी काम का बोझ था और ना ही मेरे पिताजी मुझे कभी किसी चीज के लिए कहते लेकिन कोमल चाहती थी कि मैं भी उनके साथ मदद करूं इसलिए मैं अपने पापा के बिजनेस में उनका हाथ बढ़ाने लगा। उन्हें भी मेरे अंदर यह परिवर्तन देखकर बहुत ही अजीब सा महसूस हुआ लेकिन उन्हें अच्छा लगने लगा था मेरे परिवार के सब लोग अब खुश थे कि मैं अपने पापा के साथ काम करने लगा हूं।
कोमल के आने से मेरे जीवन में बदलाव आ चुका था और मैं पूरी तरीके से बदल चुका था मुझे तो उम्मीद भी नहीं थी कि मैं इतनी जल्दी बदल जाऊंगा लेकिन उसके आने से मैं अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगा था। कोमल की इज्जत मेरी नजरों में बढ़ती जा रही थी कोमल ने एक दिन मुझसे कहा आज कहीं साथ में समय बिताते हैं मैं काफी दिनों से कोमल के साथ अच्छे से समय नहीं बिता पाया था उस दिन हम दोनों लॉन्ग ड्राइव पर चले गए। रास्ते में एक ढाबा था वहां पर हम दोनों ने खाना खाया गर्मी काफी हो रही थी लेकिन वहां का खाना इतना मजेदार था कि हम दोनों ने खाने का भरपूर आनंद लिया और हम लोग वहां से कुछ और दूरी पर गए तो मैंने देखा एक बड़ा ही शानदार सा रिसोर्ट था। हम दोनों वहां पर चले गए गर्मी काफी थी इसलिए हम दोनों स्विमिंग पूल में जाकर नहाने लगे जब मैंने कोमल के गरमागरम बदन को देखा तो मैं उसे चोदने की लालसा अपने मन में पाल बैठा।
जब वह कपड़े चेंज करने गई तो मैंने कोमल से कहा तुम तो बड़ी सेक्सी हो कोमल ने कुछ नहीं कहा मैंने जब कोमल के बदन को अपने हाथों से सहलाना शुरु किया तो उसे मजा आने लगा। मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और वह मेरी बाहों में आते ही बेबस हो गई उसने मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसे अपने हाथों से हिलाने लगी। मैंने भी उसके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया उसका नंगा बदन देख कर मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया मैंने उसे नीचे लेटा दिया और उसके पैरों को खोलते हुए अपने लंड को डाल दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी टाइट चूत में गया तो कोमल की योनि से खून निकलने लगा और मैं उसके पैर खोल कर उसे धक्के देने लगा कुछ देर तक मैंने उसे ऐसे ही चोदा। जब वह मेरे ऊपर लेटी तो उसने मेरे लंड को अपनी योनि में ले लिया और मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा उसका पूरा शरीर हिल जाता। वह बहुत ही तेज सिसकिया ले रही थी उसकी सिसकियां इतनी तेज होती की मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं उसे तेजी से धक्के दे रहा था। जब मेरा वीर्य गिरने वाला था तो मैंने उसके स्तनों पर अपने वीर्य को गिरा दिया उस दिन मैंने कोमल के साथ बड़े अच्छे से सेक्स के मजे लिए।
अहमदाबाद आ गया और मैं जैसे ही स्टेशन पर उतरा तो वह लोग भी वहां उतर गए थे मुझे इतना तो पता था कि वह लोग भी गुजराती हैं। मैं अब वहां से अपने घर चला आया लेकिन मैं जब भी उसके चेहरे को सोचता तो मुझे बड़ा ही अच्छा लगता मैं सोचता था कि मैंने उससे बात क्यों नहीं की। मैं उसके बारे में जानने को बेताब था लेकिन मुझे शायद उम्मीद नहीं थी कि अब मुझे कभी वह मिलने वाली है परंतु जब आप किसी चीज को दिल से चाहते हो तो वह आपको जरूर मिल जाती है और मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मैंने कभी सोचा नहीं था कि उसकी मुलाकात मुझसे एक महीने बाद होगी जब वह मुझे एक महीने बाद दिखी तो मैं उसके पीछे पीछे जाने लगा। वह स्कूटी में जा रही थी मैंने भी अपनी कार को उसके पीछे लगा दिया मुझे उस दिन उसका घर तो पता चल चुका था अब मुझे उससे नजदीकियां बढ़ानी थी और उसका नाम पता करना था लेकिन यह शायद मेरे लिए बहुत टेढ़ी खीर था क्योंकि मुझे उसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था और मैं सिर्फ हवा में ही तीर मार रहा था।
मैं हर रोज उसके घर के बाहर खड़ा हो जाता लेकिन वह मुझे काफी समय तक तो दिखी नहीं लेकिन एक दिन वह अपने घर से बाहर निकली तो मैं उसके पीछे चला गया मैंने उस दिन जानबूझकर उसकी स्कूटी से अपनी कार को टक्कर मार दिया जिससे कि वह गिर गई। वह जमीन पर गिरी तो मैंने उससे बात की वह मुझसे कहने लगी क्या तुम्हें दिखाई नहीं देता उसने मुझे बहुत कुछ सुनाया मैं उसकी बात को चुपचाप सुनता रहा लेकिन मेरे दिमाग में तो सिर्फ उसका ही ख्याल चल रहा था। मैंने उसे कहा मैं आपको पैसे दे दूंगा आप बिल्कुल भी परेशान मत होइए वह मुझे कहने लगी मुझे पैसे नहीं चाहिए लेकिन मुझे अभी चोट लग जाती तो उसका जिम्मेदार कौन होता। मैंने उसे कहा मैं आपको उसके लिए दोबारा से सॉरी कहना चाहता हूं दर्शन मेरा ध्यान ना जाने कहा था इसमें मेरी ही गलती थी मैंने अपनी गलती मान ली और उसे कहा यदि आपको बुरा ना लगे तो मैं आपकी स्कूटी को ठीक करवा देता हूं। मैं उसकी स्कूटी को वहीं पास के एक मैकेनिक के पास ले गया और उसकी स्कूटी को ठीक करवा दिया अब उसका गुस्सा भी शांत हो चुका था उसने मुझसे कहा मुझे तो लगा था कि तुम बिल्कुल ही बेकार किस्म के लड़के हो लेकिन तुम इतने भी गलत नहीं हो। उसने मुझे धन्यवाद कहा और वह वहां से चली गई उस दिन मुझे उसका नाम पता नहीं चल पाया लेकिन उसके बाद जब वह मुझे मिली तो उसने मुझसे एक दिन बात कर ली और कहा आज तुम यहां कैसे? मैंने उसे बताया कि मैं अपने किसी काम से यहां आया हुआ था। मैंने उससे हाथ मिलाते हुए अपना नाम बताया और कहा मेरा नाम सुधीर है उसने भी मुझे अपना नाम बताया और कहा मेरा नाम कोमल है। मुझे उसका नाम पता चल चुका था और अब मुझे उसके दिल में जगह बनानी थी मैं इसके लिए मौका देखने लगा कि कब सही वक्त आएगा और मैं कोमल के दिल में अपने लिए जगह बना पाऊंगा। आखिरकार एक दिन मुझे वह मौका ही गया दरअसल हुआ यूं कि मैं उस दिन कोमल के पीछे ही जा रहा था तभी कुछ लड़कों ने उस पर कमेंट मारने शुरू कर दिए।
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ना ही मैं कोमल से अपने दिल की बात कर पा रहा था और ना ही कोमल के अंदर इतनी हिम्मत थी कि वह मुझे इस बारे में कुछ कह पाती। हम दोनों एक दूसरे से दिल ही दिल प्यार किया करते थे परंतु धीरे-धीरे हम दोनों की नजदीकिया और ज्यादा बढ़ने लगी तो मैंने कोमल से अपने दिल की बात कहने के बारे में सोच लिया। एक दिन मैंने कोमल से दिल की बात की मैंने जब कोमल से अपने दिल की बात कही तो वह भी मना ना कर सकी क्योंकि वह तो मुझे पहले से ही चाहती थी इसलिए उसने भी मुझे स्वीकार कर लिया था। हम दोनों अब एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा समय बिताया करते मैंने कोमल को कहा की मैंने जब तुम्हें पहली बार देखा था तो तभी से मैंने सोच लिया था कि मैं तुम्हें अपना बना कर ही रहूंगा। कोमल को भी यह बात शायद पता नहीं थी क्योंकि उस दिन उसने मुझे ध्यान से नहीं देखा था और ना ही उसे वह ट्रेन वाली बात याद थी लेकिन सब कुछ इतना जल्दी हुआ कि मुझे भी पता नहीं चला कि कब कोमल को मैंने अपने दिल की बात कह दी। अब कोमल मेरे जीवन में आ चुकी थी मैं अपने जीवन में पूरा इंजॉय कर रहा था। मेरे घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक है मेरे पिता जी का बहुत बड़ा कारोबार है इसलिए मेरे ऊपर ना तो कभी किसी काम का बोझ था और ना ही मेरे पिताजी मुझे कभी किसी चीज के लिए कहते लेकिन कोमल चाहती थी कि मैं भी उनके साथ मदद करूं इसलिए मैं अपने पापा के बिजनेस में उनका हाथ बढ़ाने लगा। उन्हें भी मेरे अंदर यह परिवर्तन देखकर बहुत ही अजीब सा महसूस हुआ लेकिन उन्हें अच्छा लगने लगा था मेरे परिवार के सब लोग अब खुश थे कि मैं अपने पापा के साथ काम करने लगा हूं।
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