गर्ल फ्रेंड के साथ जंगल में मंगल किया

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जिससे मैंने भी उसे अपने साथ चिपका लिया. अब हम दोनों की नजरें आपस में मिल गईं और फिर न जाने कब हमारे होंठ एक – दूसरे के होंठों से जुड़ चुके थे. अब हम दोनों एक – दूसरे को जोरों से किस कर रहे थे. हमारा यह स्मूच करीब 15 मिनट तक चला होगा. अब मेरे लिए खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था…

हेलो दोस्तों! मेरा नाम अजय है और मैं हिमाचल प्रदेश का रहने वाला हूँ. मेरी लंबाई करीब 5 फुट और 6 इंच है और मैं दिखाने में एक दम सामान्य बंदा हूँ. मैं पिछले तीन सालों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. आज तक मैंने अन्तर्वासना की एक भी कहानी को बिना पूरी पढ़े नहीं छोड़ा है.

अन्तर्वासना की कहानियां बहुत ही सेक्सी, उत्तेजक और मजेदार होती हैं. इन कहानियों को पढ़ कर मेरा हौसला बढ़ा, जिससे आज मैं आप लोगों के सामने अपनी एक सच्ची कहानी रख पाने में समर्थ हो सका.

तो अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं सीधा अपनी कहानी पर आता हूँ. बात साल 2011 की है. उस समय मैं बी. कॉम के प्रथम वर्ष में पढ़ रहा था. दोस्तों, मैं आपको बताना भूल गया था कि मैं थोड़ा शर्मीले किस्म का लड़का हूँ इसलिए उस समय मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं थी या यूं कहिए कि अपने शर्मीले स्वभाव के कारण मैं कोई गर्ल फ्रेंड बना ही नहीं पाया था.

एक दिन की बात है मैं अपने पुराने स्कूल गया था. उस स्कूल से मैंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई की थी. वहाँ पर मेरी मुलाकात एक लडकी से हुई. उस लड़की का नाम अंजलि था और वो दिखने में बहुत ही ज्यादा सुंदर था. उसका फिगर 36-30-36 का था.

उसके लाल – लाल, पतले होंठ उभार ली हुई उसकी संतरे के आकार जैसी चूचियाँ मुझे बहुत ही अकर्षित कर रही थीं. इसके अलावा उसकी खूबसूरती के बारे में और क्या बताऊँ दोस्तों बस ये समझ लीजिए कि मेरे लिए तो वो जन्नत की एक परी थी जो आसमां से मेरे लिए उतर कर जमीं पर आई थी.

सच बताऊं दोस्तों तो उसको देख कर तो मैं पूरी तरह से उसमें ही खो गया और अब मैं किसी भी तरह से बस उसे पाना चाहता था. अब इसके लिए मैं विचार करने लगा. फिर थोड़ी देर सोचने के बाद जब मेरे दिमाग में कोई खास तकनीक न आई तो फिर मैंने उससे दोस्ती करने की ठान ली.

दोस्ती करने के बारे में सोच कर जब मैं उसके पास गया और उससे बात की तो उसने भी मेरी बात का अच्छा रिस्पॉन्स दिया. फिर मैंने थोड़ी देर तक उससे बात की और फिर मैंने उससे उसका नम्बर ले लिया और घर चला आया. अब हमारी दोस्ती हो गई थी और धीरे – धीरे हमारे बीच फोन पर भी बात होने लगी.

अब हम आपस में देर रात तक बातें करने लगे थे और फिर रात को बात होने के कारण धीरे – धीरे हमारी बातें सेक्स की तरफ मुड़ने लगीं और अंत में सेक्स तक पहुंच ही गई. जिससे हम दोनों की वासना भड़कने लगी. अब अपनी वासना शांत करने के लिए हमें एक – दूसरे की सख्त जरूरत थी. लेकिन हमें कभी मिलने का मौका ही नहीं मिलता था.

इसलिए अपनी वासना के तड़प को कम करने के लिए अब हम बात के दौरान ही फोन सेक्स कर लेते थे. इससे तत्काल के लिए हमें राहत मिल जाती थी. लेकिन इसके बाद भी हम हमेशा मौके की तलाश में रहते थे कि कब हमें मिलने का मौका मिले और हम एक – दूसरे में समाहित हो जाएं.

आखिर हमें जिसका काफी दिनों से इंतजार था वो मौका भी मिल गया. एक दिन मैं उससे मिलने गया और फिर उसको लेकर मैं एक लवर पॉइंट पर पहुंच गया. ये जगह एक जंगल जैसी थी, इसलिए यहाँ पर लोगों का आना – जाना काफी कम था.

वैसे भी हम काफ़ी दिनों के बाद मिल रहे थे और आग भी दोनों तरफ़ जम के लगी थी, इसलिए हम इस मौके को किसी भी तरह गंवाना नहीं चाहते थे. हम बातें करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे. तभी वो चलते – चलते जान – जान बोल कर मुझसे चिपकने लगी.

जिससे मैंने भी उसे अपने साथ चिपका लिया. अब हम दोनों की नजरें आपस में मिल गईं और फिर न जाने कब हमारे होंठ एक – दूसरे के होंठों से जुड़ चुके थे. अब हम दोनों एक – दूसरे को जोरों से किस कर रहे थे. हमारा यह स्मूच करीब 15 मिनट तक चला होगा. अब मेरे लिए खुद पर कंट्रोल करना मुश्किल हो गया था.

जिससे अब हम दोनों थोड़ा और आगे चल कर जंगल में उधर चले गए जिधर कोई भी नहीं आता – जाता था. जंगल के अंदर जाकर हमने फिर से किस करना शुरू कर दिया और फिर धीरे – धीरे मैं उसके चूचे दबाने लगा. अब वो भी धीरे – धीरे गर्म होने लगी थी और अब उससे भी कंट्रोल नहीं हो रहा था.

लेकिन हम किस करते रहे और फिर हम एक – दूसरे के अंगो को सहलाना शुरू कर दिया था. अब अंजलि ने मुझसे कहा – अजय, अब कंट्रोल नहीं हो रहा है. बस अब आज तुम मुझे अपना बना लो.

बस फिर क्या था अब एक – एक कर के मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये और उसने भी अब तक मेरे सारे कपड़े उतार दिया था. फिर मैं उसकी छोटी – छोटी चूंचियों को चूसता हुआ उसकी चूत में अपना लन्ड डाल दिया.

मैंने महसूस किया कि वो पहले भी शायद एक – दो बार चुद चुकी है इसलिए उसकी चूत से खून नहीं निकला लेकिन दर्द तो उसे काफी हुआ था. जिसको वह किसी तरह सह गई. फिर उस दिन मैंने उसे करीब एक घंटे तक चोदा और फिर उसकी चूत में ही अपने वीर्य रस की धार छोड़ दी. अब हम पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे.

फिर वहां पर थोड़ा समय और बीतने के बाद हम घर आ गए और रास्ते में मैंने उसे एक एन्टी प्रेगनेंसी पिल खरीद कर दी ताकि उसको गर्भ न ठहर सके. बाद उसकी शादी हो गई लेकिन मैं आज भी उसको बहुत मिस करता हूँ.
 
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