आज मैं आपको दोस्तों अपनी चाची की चुत चुदाई की मस्तानी कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमें मैंने अपनी चाची की चुत को अपने लंड के सामने नहीं बक्शा | मेरी चाची जैसी खूबसूरत औरत मैंने शायद ही कहीं देखी थी और वही मेरे इतनी करीब थी जिसकी आसानी मैं चुत गरम भी कर सकता था | दोस्तों मेरी चाची की शादी को २ साल ही हुए थे और मेरे चाचा अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में अक्सर विदेश में ही पड़े रहते थे | मुझे अब अपनी भरी हुई जवानी में चाची की चुत मारने की कस जाग पड़ी थी और वैसे भी अब चाची से कुछ ज्यादा जो घुल मिल गया था |
मैंने एक दिन चाची से मजाक में मजाक में पूछा की उन्हें चाचा में सबसे अच्छी खूबी क्या लगती हैं जिसपर चाची ने जवाबा में कहा की जब वो उनके लिए चाचा बिना बताए कुछ तौफे ले आते हैं | तभी मैंने पूछा की और सबसे बुरी बात तो चाची कहने लगी अब तुझसे क्या शरमाना . .!! जब वो रात को मुझे प्यासी छोड़ जाते हैं . . .!! मैंने तर्क करते हुए कहा की अगर चाहो तो प्यास भुजाने के लिए सामने ही कहीं मिल जाते हैं और मुस्का दिया . .!! चाची अब तक मेरे अंदर चल रही बातों को समझ चुकी थी और कहा, बेटा तू तो मुझे रात को मिल तब बताती हूँ . . . मुझे चाची मजाक में कह रही हैं पर शाम को मैं अपने कमरे में सोने वाला था तो चाची आई और कुछ मजेदार ही थीकि माल लग रही थी |
चाची ने गाडी सी लाली लगायी हुई थी जो मुझे उनके होंठों को ललचा रही थी | तभी चाची बिस्तर पर आ गिरी और कहने लगी, अच्छा तो दिन में आप, क्या कह रहे थे . .?? मैं भी बिस्तर पर कमरे का दरवाज़ा बंद कर कूद पड़ा और अपनी चाची के होठों को चूसते हुए उनके चुचों को भींचने लगा | चाची चुदाई की उतावलेपन में मुझसे चुदाई के तडप रही थी और मैं उन्हें हर अंग पर चुमते हुए नंगी कर रहा था | कुछ पल में ही मैं चाची के मोटे चुचों को चूस रहा था और चाची नीचे से अपनी चुत को मसलती हुई कामोत्तेजित हो रही थी | चुचे चुसे के बाद अब मैंने अपना लंड निकलते हुए सारी सख्ती को उनकी चुत में दिखाने लग रहा था |
मैं कभी कभार अपनी उँगलियों को उनकी चुत में अंदर - बाहर कर ऊँगली चुदाई कर रहा था और अब तक मेरा लंड भी पूरा पांड चूका था | मैंने अपने लंड को अब एकदम से उनकी चुत में घुसाते हुए ज़ोरदार धक्कों की बौछार कर दलाई और चाची की सिसकियाँ थामे नहीं थम रही थी | वो हाय रब्ब्बा . . . मिल गया सुकून . .!! कहकर सीत्कारें भारती हुई राहत भरी लंबी सांसें लेती रही और मैं भी आधे घंटे तक उनकी चुत के सतह अपने लंड की यूँही चुदाई करता रहा | चाची की भरी हुई जवानी की चुदाई का मुझपर तो नशा चढ चूका था और अब मैं अगर रोज दिन में एक बार पानी चाची की चुदाई न करूँ तो मुझे नींद नहीं आती |
मैंने एक दिन चाची से मजाक में मजाक में पूछा की उन्हें चाचा में सबसे अच्छी खूबी क्या लगती हैं जिसपर चाची ने जवाबा में कहा की जब वो उनके लिए चाचा बिना बताए कुछ तौफे ले आते हैं | तभी मैंने पूछा की और सबसे बुरी बात तो चाची कहने लगी अब तुझसे क्या शरमाना . .!! जब वो रात को मुझे प्यासी छोड़ जाते हैं . . .!! मैंने तर्क करते हुए कहा की अगर चाहो तो प्यास भुजाने के लिए सामने ही कहीं मिल जाते हैं और मुस्का दिया . .!! चाची अब तक मेरे अंदर चल रही बातों को समझ चुकी थी और कहा, बेटा तू तो मुझे रात को मिल तब बताती हूँ . . . मुझे चाची मजाक में कह रही हैं पर शाम को मैं अपने कमरे में सोने वाला था तो चाची आई और कुछ मजेदार ही थीकि माल लग रही थी |
चाची ने गाडी सी लाली लगायी हुई थी जो मुझे उनके होंठों को ललचा रही थी | तभी चाची बिस्तर पर आ गिरी और कहने लगी, अच्छा तो दिन में आप, क्या कह रहे थे . .?? मैं भी बिस्तर पर कमरे का दरवाज़ा बंद कर कूद पड़ा और अपनी चाची के होठों को चूसते हुए उनके चुचों को भींचने लगा | चाची चुदाई की उतावलेपन में मुझसे चुदाई के तडप रही थी और मैं उन्हें हर अंग पर चुमते हुए नंगी कर रहा था | कुछ पल में ही मैं चाची के मोटे चुचों को चूस रहा था और चाची नीचे से अपनी चुत को मसलती हुई कामोत्तेजित हो रही थी | चुचे चुसे के बाद अब मैंने अपना लंड निकलते हुए सारी सख्ती को उनकी चुत में दिखाने लग रहा था |
मैं कभी कभार अपनी उँगलियों को उनकी चुत में अंदर - बाहर कर ऊँगली चुदाई कर रहा था और अब तक मेरा लंड भी पूरा पांड चूका था | मैंने अपने लंड को अब एकदम से उनकी चुत में घुसाते हुए ज़ोरदार धक्कों की बौछार कर दलाई और चाची की सिसकियाँ थामे नहीं थम रही थी | वो हाय रब्ब्बा . . . मिल गया सुकून . .!! कहकर सीत्कारें भारती हुई राहत भरी लंबी सांसें लेती रही और मैं भी आधे घंटे तक उनकी चुत के सतह अपने लंड की यूँही चुदाई करता रहा | चाची की भरी हुई जवानी की चुदाई का मुझपर तो नशा चढ चूका था और अब मैं अगर रोज दिन में एक बार पानी चाची की चुदाई न करूँ तो मुझे नींद नहीं आती |