चूत को देखो चेहरा न देखो सेक्सी कहानी

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आज ये कहानी चूत को देखो चेहरा न देखो मेरे एक सचमुच के अनुभव की कहानी है, और आईये आपको सुनाते हैं एक मजेदार पर सच्ची चुदाई की कहानी जिसमें आप जान जाएंगे कि चेहरे का चूत से कोई लेना देना नहीं है, सुंदर चेहरा हो तो जरुरी नहीं कि अगला छेद भी सुंदर होगा और अगर चेहरा उतना सुन्दर न हो तो भी फ़ुद्दी कमाल की हो सकती है। तो मैं और अरुन दोनों कालेज में दो लड़कियो के पीछे पड़े हुए थे। दोनों सहेलियां थीं और उनका नाम स्वीटी और शोभा था। स्वीटी कमाल की माल थी, उसका रंगरुप, चूंचे, गांड सब मस्त थे और उसकी जवानी के सारे दीवाने थे। अरुन ने उसे पटा लिया था। मेरे को मिली शोभा, चेहरा उतना सुंदर नही था पर उसके फीचर्स अच्छे थे। वो साधारण कपड़े भी पहनती थी और कसे चूंचे, गोल गोल नितम्ब, पतली कमर और उपर से उसका आबनूसी काला रंग। कोई लड़का उसे लिफ़्ट न देता। मैने उसी को पटाया आसानी से पट भी गयी। कालेज में एक बात होती है, लड़की पटाई नहीं कि बस चोदने की जगह खोजो और फिर बुला के चोद दो। दोनों सहेलियां थीं और दोनों चुदने को तैयार, हम भी दो थे अपना लंड सहलाते हुए मौके की तलाश में। बस एक दिन हमने उन दोनों को जब मेरे घर पर कोई नहीं था, बुलाया। दोनों ही आ गयीं। हमने सामूहिक सेक्स करने का फैसला कर लिया था, और जब दोनों अंदर आ गयीं तो हमने उन्हें अपने क्वीन साईज डबल बेड पर बैठाया। हल्के स्नैक्स लेने के बाद हमने अपनी अपनी प्रेमिकाओं से छेड़ छाड़ शुरु कर दी मैने अपनी शोभा रानी के होट चूस कर उसकी सलवार खोल दी और अरुन ने उसकी स्कर्ट। अब दोनों निचे से नंगी थीं। हम दोनों एक साथ दो दो नंगी चूत देख कर बड़े खुश थे, पर अरुन को रहा नहीं गया। उसने स्वीटी को बेड पर पटक अपना लंड उसकी फ़ुद्दी पर रखा और हल्का दबाव दिया, ये क्या पूरा का पूरा लंड अंदर? वह अवाक रह गया, ये तो सस्ती वेश्या के भोसड़े से भी बदतर था। मैं हंसने लगा। स्वीटी आंख मूद कर अपने अंदर गये लंड को महसूस करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन दोनों ही कुछ महसूस नहीं कर पा रहे थे। मैने अपनी शोभा डार्लिंग की बाल वाली फुद्दी को हल्के से खोल कर अपना सुपाड़ा अन्दर डालने की कोशिश की तो गया ही नहीं। अंदर चूत की झिल्ली मौजूद थी।

चेहरा भले ही खूबसूरत न था मेरी डार्लिंग का लेकिन माल एक दम चौकस था। मैने हल्की हल्की थपथपाने के बाद उसमें एक उंगली करी और फिर जब वो गीली हो गयी तो मैने अपना लौड़ा अंदर डाला और एक धक्का लगाया। दो इंच अंदर जाकर फिर लंड रुक गया। मैने एक और जोरदार झटका दिया और लंड आधा से ज्यादा अंदर वो चिल्लाई और अरुन और स्वीटी देख कर दंग रह गये। मेरे लौड़े ने रास्ता पकड़ लिया था। अब धक्के मारने की क्रिया रह गयी थी जो मैने धीरे धीरे तेज करने शुरु कर दिये। स्वीटी अरुन के उपर चढी हुई थी और घचाघच बिना मेहनत के उसके लंड को अपनी भोसड़े में ले रही थी। मैने अरुन को इशारा किया साले पलट के चढ जा मार दे इसकी देसी गांड कुतिया बना के। सच तो है कि उसे स्वीटी को चोदने में मजा नहीं आ रहा था, न स्वीटी को उससे चुदाने में। अरुन ने उसे कुतिया बनाया, स्वीटी के भोसड़े से निकला हुआ पानी तब तक उसकी गांड को गीली कर चुका था। अरुन ने अपना लौड़ा उसकी गांड पर रखा और मेरे कहे अनुसार भयंकर धक्का दिया। अब लंड खचाक से स्वीटी के गांड के अंदर था, उसकी गांड ज्यादह नहीं चुदी थी सो उसे मजा आ रहा था, हम दोनो ही चोदने लगे और इशारा करके मैने अरुन को अपनी माल पर आने को कहा। वो अपना लंड उसकी गांड से खींच कर शोभा के पास आ गया और उसे चोदने लगा और मैने स्वीटी की स्वीट गांड मारनी शुरु कर दी। पूरा कमरा कामुक कराह और चीखों से भर गया था। इस तरह एक घंटे तक बदल बदल कर चूत चोदने के बाद हमने अपना वीर्य उन हसीनाओं के गांड के अंदर डाल दिया जिससे हम पापा न बन जाएं। दोस्तों उस दिन मैने और मेरे दोस्त ने समझ लिया कि चेहरा सुंदर होने से चूत भी सुन्दर नहीं होती इस लिये चूत को देखो चेहरा न देखो चेहरे ने लाखों को लूटा।
 
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