चूत मारने की पहली रात

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Antarvasna, desi kahani: कॉलेज की पढ़ाई होने के दौरान मेरा कैंपस प्लेसमेंट में सिलेक्शन हो चुका था मैं जॉब करने के लिए बेंगलुरु चला गया बेंगलुरु में काफी समय तक जॉब करने के बाद मैं दिल्ली की कंपनी में जॉब करने लगा क्योंकि दिल्ली में ही मेरा घर है इसलिए अपने परिवार के साथ मैं रहने लगा था। मैं काफी वर्षों से अपने परिवार से दूर था इसलिए मुझे अब पापा और मम्मी के साथ काफी अच्छा लग रहा था। एक दिन मैं सुबह ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था मेरी घड़ी मुझे मिल नहीं रही थी तो मैंने अपनी मां को आवाज़ लगाते हुए कहा कि मम्मी मुझे मेरी घड़ी नहीं मिल रही है मम्मी रसोई से आई और कहने लगी कि आकाश बेटा कल तुमने अपने मेज पर ही तो घड़ी को रखा था। मैंने जब अलमारी में देखा तो मुझे मेरी घड़ी मिल गई मैं जल्दी से अपनी घड़ी पहन कर अपने ऑफिस के लिए निकलने की तैयारी में था तो मां मुझे कहने लगी की बेटा पहले तुम नाश्ता कर लो।

मैंने मां से कहा मां मेरा नाश्ता करने का मन नहीं है मैं बाहर ही कुछ खा लूंगा मां कहने लगी कि बेटा तुम्हें नाश्ता तो करना ही पड़ेगा उसके बाद तुम चले जाना। मां की बात भला मैं कैसे टाल सकता था इसलिए मुझे नाश्ता करना पड़ा और मैं जल्दी से अपने ऑफिस के लिए निकल गया लेकिन रास्ते में काफी ज्यादा ट्रैफिक था इसलिए मुझे ऑफिस पहुंचने में भी देर हो गई। मैं जब ऑफिस पहुंचा तो उस दिन हमारे ऑफिस में एक जरूरी मीटिंग थी जब हमारे बॉस के साथ हमारी मीटिंग खत्म हुई तो सब लोग अपना काम करने लगे समय का पता ही नहीं चला कब शाम हो गई और मैं घर जाने की तैयारी करने लगा। मेरे साथ ही ऑफिस में काम करने वाले सुनील ने मुझे कहा कि आकाश क्या तुम मुझे मेरे घर तक ड्रॉप कर दोगे तो मैंने सुनील को कहा ठीक है सुनील मैं तुम्हें तुम्हारे घर तक ड्रॉप कर दूंगा। उस दिन मैंने सुनील को उसके घर तक ड्रॉप कर दिया उसके बाद मैं अपने घर चला आया जब मैं अपने घर आया तो पापा भी अपने ऑफिस से लौट चुके थे पापा और मैं हम सब साथ में बैठे हुए थे तो पापा ने मुझसे कहा कि आकाश बेटा तुम्हारी बहन सुहानी के लिए कई रिश्ते आ रहे हैं।

मैंने पापा से कहा पापा हां पहले सुहानी से इस बारे में पूछ तो लीजिए तो वह मुझे कहने लगे कि बेटा मैंने सुहानी से इस बारे में तो पूछ लिया था लेकिन सुहानी ने कहा कि अभी वह अपनी जॉब करना चाहती है। उसी दिन मैंने सुहानी से जब इस बारे में पूछा तो सुहानी ने मुझे अजय के बारे में बताया अजय उसके कॉलेज में ही पढ़ता था और अजय बैंक में जॉब करता है। जब सुहानी ने मुझे अजय के बारे में बताया तो मैंने सुहानी को कहा सुहानी तुम्हें यह बात मुझे पहले बता देनी चाहिए थी और पापा और मम्मी को भी इस बारे में बता देना चाहिए था। सुहानी मुझे कहने लगी कि भैया मुझे पापा और मम्मी को यह बात कहना ठीक नहीं लगा लेकिन मुझे लगा कि मुझे आपको यह बात बता देनी चाहिए क्योंकि पापा और मम्मी मेरे लिए लड़का तलाशने लगे हैं। मैंने सुहानी को कहा चलो कोई बात नहीं मैं पापा से इस बारे में बात कर लूंगा एक दिन मैं अपने ऑफिस से लौटा उस दिन पापा काफी खुश नजर आ रहे थे तो मुझे लगा कि आज पापा से बात करना ठीक रहेगा। उस दिन मैंने पापा से अजय के बारे में बात की पापा ने भी मुझे कहा कि बेटा मैं अजय से मिलना चाहता हूं उन्होंने सुहानी से अजय के बारे में पूछा। जब कुछ दिनों के बाद अजय घर पर आया तो पापा ने उससे बारे में पूछा और उसके परिवार वालों से पापा मिलना चाहते थे अजय ने कहा कि उसके पापा मम्मी चंडीगढ़ में रहते हैं। अजय के परिवार वालों से जब पापा और मम्मी मिले तो उन्हें उनका परिवार भी अच्छा लगा और अजय से पापा ने सुहानी की शादी करवाने का फैसला कर लिया था सुहानी इस फैसले से बहुत ज्यादा खुश थी और उसने मुझे कहा कि भैया यह सब आपकी वजह से ही हुआ है। मैंने सुहानी को कहा देखो सुहानी इसमें मैंने तुम्हारी कोई मदद नहीं की तुमने मुझे सही समय पर अजय के बारे में बता दिया तो मैंने भी पापा को इस बारे में बता दिया था। पापा चाहते थे कि सुहानी की शादी धूमधाम से हो और हमारे सारे रिश्तेदार शादी में आए इसलिए पापा ने जब हमारे रिश्तेदारों को कार्ड भिजवाने शुरू किए तो पापा ने उसके बाद उन्हें फोन भी किया कि आप लोगों को शादी में जरूर आना है।

अब सुहानी की शादी का दिन तय हो चुका था और जिस दिन सुहानी की शादी थी उस दिन सुहानी काफी सुंदर लग रही थी सुहानी की सहेलियां भी शादी में आई हुई थी लेकिन सुहानी की सहेली काव्या मुझे बहुत अच्छी लगी। काव्या से मैं पहली बार ही मिला था लेकिन उससे मिलकर मुझे अच्छा लगा और उसके बाद भी काव्या और मेरी मुलाकात होती रही। हालांकि अब सुहानी की शादी हो चुकी थी और सुहानी अपने ससुराल में ही थी लेकिन काव्या और मैं एक दूसरे को डेट करने लगे थे मुझे काव्या का साथ काफी अच्छा लगता और उसे भी मेरे साथ बहुत अच्छा लगता था। मैं चाहता था कि काव्या के साथ मैं अपना जीवन बिताऊँ इसलिए मैंने काव्या से कहा कि मैं तुम्हें अपने पापा मम्मी से मिलवाना चाहता हूं तो काव्या ने मुझे कहा कि आकाश क्या यह सही समय है कि हम लोग तुम्हारे परिवार वालों से मिले और क्या वह मुझे स्वीकार करेंगे मैंने काव्या को कहा काव्या तुम उसकी चिंता मत करो पापा और मम्मी तुम्हें जरूर स्वीकार कर लेंगे मैंने कुछ समय बाद काव्या को अपने पापा और मम्मी से मिलवाया तो वह लोग काव्या से मिलकर बहुत खुश थे और उन्होंने काव्या के पापा मम्मी से मिलने की बात कही।

कुछ दिनों बाद वह लोग काव्या के मम्मी पापा से मिले और सब कुछ इतनी जल्दी मे हुआ कि मुझे कुछ पता ही नहीं चल पाया कब हम दोनों की सगाई हो गई और उसके बाद हम दोनों की शादी भी हो चुकी थी। अब हम दोनों की शादी हो गई और हम दोनों पति-पत्नी बन चुके थे। हम दोनों की शादी हो जाने के बाद जब हम दोनों की सुहागरात की पहली रात थी तो मैं उसे कुछ खास बनाना चाहता था। काव्या घुंघट मे थी वह मेरा इंतजार कर रही थी मैं और काव्य एक ही बिस्तर में थे। मैंने काव्या से कहां आखिरकार हमारी शादी हो ही गई। यह पहला मौका था जब मैं काव्या के साथ सेक्स करने जा रहा था जब काव्या के होठों को मैंने चूसना शुरू किया तो वह तड़पने लगी और उसकी तडप बढ़ती जा रही थी। मैंने अपने लंड को बाहर निकाल दिया जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो उसने अपने बदन से सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड की तरफ देखा तो उसने मुस्कुराते हुए अपने हाथों मे मेरे लंड को लेने लगी और मुझे कहा तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने उसे कहा तुम मेरे मोटे लंड को अपनी चूत में कैसे लोगी? तो वह खुश हो गई यह सुनते ही उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर ले लिया जब उसने मेरे लंड को मुंह मे लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा। वह भी बहुत ज्यादा खुश हो गई थी मुझे इस बात की खुशी थी कि काव्या की चूत मे मारने वाला हूं वह जिस प्रकार से मेरे लंड का रसपान कर रही थी उससे मेरी गर्मी और भी ज्यादा बढ़ती ही जा रही थी। मैंने काव्या के पैरों को चौड़ा किया और उसकी चूत पर जब मैंने अपनी जीभ को लगाया तो वह मुझे कहने लगी आपने तो मेरी चूत की गर्मी को बढ़ा दिया है। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाना है उसकी चूत से कुछ ज्यादा ही पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा था वह बहुत ही ज्यादा गर्म होने लगी थी। उसने मुझे कहां तुम मेरी चूत मे लंड डाल दो मैंने भी उसके पैरों को खोलो और उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाल दिया जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।

मैंने उसके दोनों पैरों को खोल दिया था जिससे कि मै आसानी से उसकी योनि के अंदर बाहर लंड को कर सकू। बड़ी आसानी से मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था वह बहुत तेज आवाज मै सिसकिया ले रही थी उसकी सिसकिया इस कदर बढ़ने लगी थी कि मैंने काव्य से कहा तुम अपने पैरों को थोड़ा और खोल लो उसने अपने पैरों को खोलने की कोशिश की लेकिन मुझे मजा नहीं आ रहा था तो मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया। जब मैंने उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा तो मैं उसे बड़ी तेजी से चोदने लगा था मैने उसकी चूत की तरफ देखा तो उसकी योनि से खून निकल रहा था। जब उसकी योनि से खून बाहर निकल रहा था तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और उसे भी काफी अच्छा लग रहा था।

उसने मुझे कहा मुझे बहुत ही मजा आ रहा है आप ऐसे ही मेरी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को करते रहिए। मैंने उसकी चूत के अंदर बाहर अपने लंड को किया जिससे कि वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी और मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है लेकिन जब मैंने उसे घोड़ी बनाकर उसकी चूत मे अपने लंड को तेल लगाकर डाला तो वह तड़पने लगी थी। उसकी चूतडे मुझसे टकरा रही थी वह जब मुझसे अपनी चूतड़ों को टकराती तो मेरे अंदर एक अलग ही प्रकार की गर्मी पैदा हो रही थी मेरे अंदर इतनी ज्यादा गर्मी पैदा हो गई थी कि मैंने उसे कहा मैं अब बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं। वह कहने लगी आप अपने माल को मेरी चूत में ही गिरा दो मैंने भी अपने माल को उसकी चूत में गिरा कर अपनी गर्मी को पूरी तरीके से शांत कर लिया था वह भी बड़ी खुश थी।
 
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