चोदना हैं तो चौधरी की बेटी को बुलालो

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चोदना सिखा और अपना लिया

उसका नाम माधुरी हैं और उसकी चूत का छेद अब किसी गुफा के जैसा हो गया हैं. उसने चोदना मेरे से चालू किया और फिर तो उसका चोदना चुदवाना रुका ही नहीं जैसे. चौधरी साहब की यह बेटी आजकल तो घर के हर नौकर से चुदवा चुकी हैं. और अब तो घर के नौकर एक दुसरे को मजाक में कहते भी हैं की चोदना हैं तो माधुरी को बुलालो. वैसे पहली चुदाई के वक्त उसकी चूत इतनी टाईट नहीं थी और उस वक्त माधुरी की चूत में चुदने चुदाने की इतनी आग भी नहीं लगी थी. तब मैं चौधरी साहब की गाडी साफ़ करने का और बाग़ में पानी देने का काम करता था. मेरी उम्र माधुरी से 1 साल छोटी हैं और क्यूंकि मैं अनपढ़ था वो मुझे कभी कभी अपने कमरे में लिखना सिखाती थी.

उस दिन मुझे पता नहीं की माधुरी और सविता अंदर कमरे में हैं. मैं तो अपनी मस्ती में पोछे की बाल्दी ले के अंदर घुस गया. अंदर देखा तो मेरा दिमाग काम करना बंध हो गया. माधुरी निचे बैठी हैं और सविता भाभी सोफे में अपनी टाँगे फैला के बैठी थी. दोनों नंगी थी और सविता भाभी की चूत को माधुरी अपनी जबान से चाट रही थी. शायद माधुरी भाभी अपने छोटी ननंद से मजदूरी करवा रही थी. मुझे देख के दोनों चौंक गई और माधुरी भागने वाली थी की सविता ने उसका हाथ पकड़ के उसे रोक लिया. सविता मेरे पास आई और बोली, "क्यों रे गवांर दरवाजा ठोकने का पता नहीं चलता क्या?"

मैं वैसे तो डरा हुआ था लेकिन मैंने हिम्मत से कहा, "बीबीजी अगर हमें पता होता की यहाँ चोदना चुदाना जारी हैं तो हम आते ही नहीं ना."

सविता हंस पड़ी और बोली, "अरे यह चोदना चुदाना नहीं हैं यह तो चुसना चुसाना ही था. मालिक को बोला तो टाँगे तुडवा दूंगी."

मैंने कहा, "और मैंने मालिक को बोला तो आप का सबकुछ टूट जाएगा."

सविता ने थोडागुस्सा दिखा के कहा, "अच्छा, तो तू जितना दीखता हैं उतना गवांर नहीं हैं."

वो आगे बोली, "ले पढ़ा ले माधुरी गवांरो को पढ़ा के पंडित बनाने चली थी. अब बाबूजी को हमारे बारे में पता चला तो गांड में चारपाई डाल देंगे गद्दे के साथ. तू एक काम कर अपनी चूत से इस गवांर को थोड़े मजे दे दे. इसे भी चोदना और चुसना की फर्क बता दें."

माधुरी ने खिन्न नजर से मेरी तरफ देखा और वो मेरे पास आई. मैं अभी भी अपनी खुली हुई किस्मत के ऊपर यकीन नहीं कर रहा था. चौधरी की यह बेटी मुझ से अपने पाँव ना धुलवाएँ और आज चूत देने तक राजी हो गई थी. सच कहूँ तो मेरा कोई इरादा ही नहीं था चौधरी से शिकायत लगाने का लेकिन यह ऐसा समझ बैठी और माधुरी मुझ से चुदाई करने तक को तैयार हो गई थी.

बहती चूत में लंड धो लिया

माधुरी मेरे पास आई और सीधे मेरी फटी पुरानी पेंट को खोलने लगी. मेरे लंड के ऊपर तो उस वक्त भेड़ के जितने बाल थे और वैसे ही मुर्रियो वाले. लेकिन माधुरी ने लंड को बहार निकाला और उसे पकड़ के हिलाने लगी. मेरे लंड के अंदर एक अजब सी शक्ति आ गई थी जैसे की चाचा चौधरी का साबू. लंड का सुपाड़ा बिलकुल लाल हो गया था और उसके अंदर से लपकार लग रही थी. माधुरी ने कपडे तो अपनी भाभी सविता से लेस्बियन सेक्स के समय ही निकाल डाले थे इसलिए वो बिलकुल नंगी ही मेरे लंड से खेल रही थी. उसके चुंचे मेरे लंड हिलाते हुए हिल रहे थे और बड़ी मजा आ रही थी.

माधुरी ने दो मिनिट तक मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाया. लौड़ा बड़ा उत्तेजित हो चूका था और बूर का छेद ढूढ़ रहा था. मैंने माधुरी का हाथ पकड़ के उसे हिलाने से रोका. अगर नहीं रोकता तो लौड़ा कब का भी पानी मार देता उसके मुहं के ऊपर. माधुरी खड़ी हुई और उसी सोफे के ऊपर जाके लेट गई जहाँ वो कुछ देर पहले अपनी भाभी की चूत चाट रही थी. उसने अपनी टाँगे फैला दी और बोली, "धीरे से करना मेरी योनी अभी अक्षत हैं." मैं चौंक गया, यह तो वही बात हुई सो चूहें खा के. लेकिन फिर मुझे लगा की शायद यह सच कह रही होगी. शायद वो अब तक केवल लेस्बो सेक्स करती आई थी. मैंने अपने लंड के सुपाड़े के ऊपर थूंक लगाया. लंड को चोदना तो था लेकिन चौधरी की बिटिया हमारें लंड के बुलडोज़र के निचे आएँगी उसका मुझे अंदाजा बिलकुल भी नहीं था. माधुरी ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ के उसे अपनी चूत के छेद के ऊपर रख के दिया. सही सेटिंग होने के बाद मैंने एक हल्का झटका दिया और माधुरी की चूत के अंदर अपना लंड थोडा पेल दिया. माधुरी के मुहं से आह निकल गई लेकिन मैं जरा भी रुका नहीं. दुसरे ही पल मेरा लंड उसकी चूत के अंदर झूल रहा था. माधुरी ने मेरी और देखा और बोली, "देख इसे चोदना कहते हैं और जो मैं भाभी के साथ कर रही थी उसे चूसना कहते हैं. अब चल जल्दी कर मेरी चूत को तड़पा मत. फाड़ दे मेरा बूर अपने पहाड़ी लौड़े से मैं भी देखूं तुझे चोदना आता हैं या नहीं."

इतना कहना था और मैं थोड़ी रुकनेवाला था. मैंने अपनी कमर हिलानी चालू कर दी और लंड के बड़े बड़े झटके माधुरी की चूत में देने लगा. माधुरी ने भी अपनी गांड उठा के सोफे के अंदर जोर जोर से हिल के मुझे जोरदार चुदाई का मजा देना चालू कर दिया. लेकिन कहते हैं na की देसी घी के लड्डू दो से ज्यादा नहीं खा सकते, वैसे ही मैं माधुरी की मुफ्त में मिली चूत को 2 मिनिट से ज्यादा चोद नहीं पाया. उसकी टाईट चूत ने मेरे लंड का और अंड का दम निकाल दिया. मैंने पूरा वीर्य उसकी चूत के अंदर निकाल दिया. माधुरी ने मेरे लौड़े का पानी चूत में भर लिया.

फिर तो मैं उसे जब चांस मिले तब चोदने लगा. माधुरी को भी पता चल चूका था की चोदना ज्यादा अच्छा होता हैं चूसने से. लेकिन आजकल तो वो चुदाई के वर्लरेकोर्ड तोड़ने में लगी है जैसे..!
 
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