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नमस्कार दोस्तों मै रजनी आज आपके सामने अपने जीवन की एक सच्ची घटना रखने जा रही हूं। आशा करती हूं कि, आप सबको मेरी यह कहानी पसंद आ जायेगी। अगर मुझसे कोई गलती हो जाए, तो मुझे माफ़ कर देना। इस कहानी में पढिए, मेरी और मेरे जीजू के चुदाई के बारे में। कैसे उन्होंने मुझे अकेले में पाकर मेरे शरीर के साथ छेडछाड करते हुए मेरे साथ सेक्स संबंध स्थापित कर दिए। यह कहानी आज से दो साल पुरानी है, जब मेरी दीदी पहली बार पेट से थी। उस वक्त मेरी गर्मियों की छुट्टियां चल रही थी, और अगले साल से मुझे पढने के लिए शहर जाना था।
मेरा नाम रजनी है, और मै एक गांव में पली हुई लडकी हूं। मेरी बडी बहन की शादी पिछले साल ही हुई है, और अब वो गर्भ से थी। मेरी अभी गर्मियों की छुट्टियां चल रही थी, तो मेरे घरवालों ने मुझे दीदी की सहायता करने के लिए उनके घर भेज दिया। दीदी और जीजू शहर में रहते थे, उनके घर पे सिर्फ वो दोनों ही थे। जीजू की नौकरी की वजह से वो दोनों वहां घर किराए पर लेकर रहते थे। जीजू और मै पहले से ही हंसी-मजाक कर लेते थे। जीजू मुझे छूने का कोई भी मौका कभी नही छोडते थे। और जैसे हर जीजा-साली के बीच हंसी मजाक चलता है, वैसे ही हम दोनों के बीच भी चलता। जीजू कभी कभी दीदी के सामने भी मेरे बदन को छूते थे, और हमेशा मुझे आधी घरवाली ही बुलाते थे।
जैसे ही मै अपने दीदी के घर गई, मुझे लेने के लिए जीजू स्टेशन आ गए। जीजू मुझे देखकर काफी खुश नजर आ रहे थे, उन्होंने आते ही मुझे गले से लगा लिया, और मेरे चूचियों को अपनी छाती पर महसूस करने लगे। वहां खडे सारे लोग हमारी तरफ ही देखे जा रहे थे, उन्हें लग रहा होगा हम दोनों पती-पत्नी है। मुझे तो शरम आ रही थी, तो जैसे तैसे मैने जीजू को अपने से दूर किया। फिर जीजू ने मेरा सामान उठाकर अपनी कार में पिछली सीट पर रखा, और मुझे आगे की सीट पर बैठने को कहा। हम दोनों इधर उधर की बातें करते हुए, घर पहुंच गए। घर जाकर सबसे पहले मै दीदी से मिली, और उनके लिए मां ने जो सामान भेजा था, वो उनको निकालकर दे दिया।
दीदी के घर जाकर दो दिन में ही मैने सब जान लिया, जैसे कौनसी चीज कहां रखी हुई है, खाने में किस वक्त क्या बनाना है। तो अब दीदी निश्चिंत होकर आराम कर सकती थी। अब मै रोज सुबह जल्दी उठकर सबके लिए ब्रेकफास्ट बना देती थी, और जीजू के लिए लंच भी बनाना पडता, जो वो टिफीन में ले जाते थे। जीजू के ऑफिस जाने के बाद, फिर घर का बाकी काम कर लेती थी। मुझे घर से रोज फोन आता था, और सब यही कहते थे कि, दीदी को कुछ काम मत करने देना। उन्हें आराम की जरूरत है। तो मैने भी दीदी को किचन में आने से सीधा मना कर दिया था। अब दीदी बस अपने कमरे में आराम करती रहती थी। और शाम को घर मे ही थोडा घूम लेती थी।
बीच बीच मे जीजू भी मेरा फायदा उठा लेते थे। जैसे अगर वो सुबह जल्दी उठ गए, तो किचन में आकर मुझे सहायता करने के बहाने मेरे बदन को इधर उधर छू लेते। अब धीरे धीरे जीजू की हरकतें बढने लगी थी, और जीजू अब निडर होकर कभी मेरे चुतडों पर चपेट लगा देते, तो कभी मेरे चूचियों को दबा देते थे। इस सबमे मुझे भी मजा आने लगता तो मै भी उनका विरोध नही कर पाती थी। शायद जीजू ने इसी बात का फायदा उठाते हुए वो रोज ही मेरे शरीर को कोई न कोई बहाने से छू लेते। उनके छूने से मेरे शरीर मे भी कुछ कुछ होने लगता था, मुझे भी लगता कि कोई आकर मेरे शरीर को मसलते हुए रौंद दे।
अब जीजू रोज ही सुबह जल्दी उठकर किचन में आ जाते और मेरे बदन को इधर उधर छूने लगते थे। कभी कभी तो वो आकर सीधे मेरी चूचियों को अपनी हथेली में भी भर लेते थे। एक दिन जब मै सो रही थी, जीजू मुझसे पहले उठ गए थे। वो मेरे कमरे में आकर मुझे उठाने के बहाने, उन्होंने मेरे टॉप को पूरा ऊपर तक उठा दिया था और मेरी नंगी चूचियों को अपने हाथों से मसल रहे थे। मै जैसे ही जाग गई, उन्होंने मेरे नाजुक से होठों पर अपने होंठ रख दिए और जोर जोर से मेरे होठों का रसपान करने लगे। उनको धक्का देकर अलग करके मैने उनसे पूछा, तो कहने लगे, "साली तो आधी घरवाली होती है, तो इस रिश्ते से मेरा तुम पर आधा हक तो है ही।"
उनकी इस बात पर मैने कुछ न बोलते हुए सीधे उठकर बाथरूम चली गई, और फ्रेश होकर अपने अपने काम मे लग गई। अब तो मुझे भी लगने लगा था कि, जीजू मुझे चोद दे, लेकिन दीदी का डर था। उनको पता चल गया तो क्या होगा? यही बार बार सोचकर मै सहम जाती थी। लेकिन जीजू की हरकतें अब मुझमे भी एक अजीब सी खुशी लेकर आती थी। उनकी इस हरकतों की वजह से मै रात में ठीक से सो नही पाती थी, मेरी चुत में खुजली होने लगती थी। जो सिर्फ एक मर्द ही शांत कर सकता था।

एक दिन दीदी को चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाना था, तो उस दिन जीजू ने ऑफिस से छुट्टी ले ली।और सुबह उठकर जल्दी से तैयार हो गए। दीदी को डॉक्टर के पास से चेकअप करवा कर घर लेकर आ गए। डॉक्टर ने दीदी को अब पूरी तरह से आराम करने की हिदायत दे रखी थी, और कुछ दवाइयां भी दे दी थी। तो घर आकर सबने खाना खाया और फिर जीजू ने दीदी को दवाइयां खिला दी, और सब आराम करने अपने अपने कमरे में चले गए। मै सोच ही रही थी कि, अब अगर जीजू आ जाए, तो मजा आ जायेगा। तभी अचानक से मेरे कमरे में किसी के आने की आहट हुई, लेकिन फिर भी मैने पीछे मुडकर नही देखा।

मै अपने बिस्तर पर उल्टी होकर पेट के बल लेती हुई थी,मै जैसे ही पीछे मुडने लगी, जीजू ने कहा, "रजनी पीछे मत मुडना। मै तुम्हारा जीजू हुं, वैसे ही रहो।"
तो मै बिना मुडे वैसे ही लेटी रही, कुछ देर बाद जीजू बिस्तर पर आ गए, और मेरे ऊपर लेट गए। जिस वजह से उनका लंड मेरी गांड की दरार में ठोकरे मारने लगा था।

अब जीजू ने मेरे कान में कहा, "क्यों साली साहिबा आज आधी से पूरी घरवाली बनोगी क्या?"
मुझे तो दीदी का डर था, तो मैने कहा दिया, "हट जाओ जीजू, आप यह क्या कर रहे हो? दीदी ने देख लिया तो अनर्थ हो जाएगा।"
मेरे मुंह से यह बात सुनते ही उन्होंने मुझसे कहा, "डॉक्टर ने तेरी दीदी को नींद की दवाई भी दी है, तो दीदी अब शाम से पहले उठेंगी नही। और यह बात सिर्फ हम दोनों में ही रहेंगी।"

यह सुनकर मेरा मन भी मचल उठा था, लेकिन सीधे हां नही कर सकती थी। तो थोडी ना-नुकुर करने लगी, जिस पर जीजू ने बिना ध्यान दिए मुझे रगडना चालू रखा। जीजू मेरी कोई बात सुने बिना ही मेरे कपडे उतारने लगे थे। मुझे भी जीजू के हाथों का स्पर्श अच्छा लगने लगा था, तो मैने भी उन्हें रोका नही। थोडी ही देर में हम दोनों एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगी अवस्था मे थे।

जैसे ही हम दोनों नंगे हो गए, जीजू ने अपना मुंह मेरी चुत के पास ले जाकर उसे चूसना शुरू कर दिया। अब जीजू अपने जीभ से मेरी चुत को चोदे जा रहे थे। थोडी देर बाद, जीजू उठे और उन्होंने पहले अपनी एक उंगली मेरी चुत में घुसाकर देखी, और फिर सीधे लंड को मेरी चुत पर रगडते हुए एक धक्का मार दिया। उस धक्के की वजह से जीजू का आधा लंड मेरी चुत में चला गया। अब जीजू ने पूरे जोश में आकर मेरी चुदाई शुरू कर दी थी।

जीजू ने उस दिन मुझे बहुत सारी अलग अलग पोजीशन में चोदा। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि, "पेट से होने के कारण तुम्हारी दीदी मुझे संतुष्ट नही कर पाती, इसीलिए मुझे तुम्हारे साथ यह सब करना पड रहा है। और तुम पर तो मेरी नजर पहले से ही थी।"

आखिर में जीजू ने मेरी चुत में ही अपना वीर्य गिरा दिया और फिर शाम को मुझे एक गोली लाकर दे दी, जिससे बच्चा न ठहर जाए।

उस दिन जीजू ने मेरी चुत चुदाई के बाद, मेरी गांड भी मारी। उससे पहले मैंने कभी अपनी गांड नही मरवाई थी। उस दिन के बाद, तो रोज ही हमारी चुदाई चलती। खाना खाने के बाद, जीजू दीदी को दवाई खिलाकर मेरे कमरे में आ जाते, और फिर हम दोनों अपनी जवानी एक-दूसरे पर लुटा देते।

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, हमे कमेंट करके जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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