थ्योरी से प्रक्टिकल तक

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मैं धीरे – धीरे उनको मसल रहा था तो रीतू धीरे से बोली – मेरे मम्मों को ज़ोर – ज़ोर से खींचो और मसलो. उसकी सिसकियाँ बढ़ने लगी और उसके आहों की रफ़्तार भी बढ़ने लगी और उसके शरीर की प्रतिक्रियाएं भी बढ़ने लगी. अब वो ज़ोर – ज़ोर से मेरे होंठों को चूसने लगी और मेरा सर पकड़ के जितना अंदर तक मेरी जीभ जा सकती थी उतना अंदर तक डालने कर चूसने लगी…

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम है सिद्धार्थ है और मैं पुणे से हूँ. मेरी यह कहानी मेरी और मेरी गर्ल फ्रेंड रीतू के पहले सेक्स संबंध की है. रीतू के बारे में कहूँ तो वो एक सेक्स बॉम्ब की तरह है. उसे देखते ही लोगों के लंड में से पानी छूटने लगे. उसकी नज़रों का तो क्या कहना! जब भी वो सड़कों पर गाँड मटकाते हुए चलती है तो लोग खड़े- खड़े लंड खुजाते रह जाते हैं.

अब मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ. उस दिन से पहले मैंने कभी नहीं किया था तो सेक्स के बारे में मेरे अंदर काफ़ी उत्सुकता थी. एक दिन मैं रीतू के घर गया तो पता चला कि उस दिन वो घर पर अकेली है. उसने मुझे बताया कि घर के बाकी सब लोग बाहर गये हुए हैं.

अब तो मेरे मन में बैठा शैतान हिचकोले लेने लगा. फिर मैंने उससे पूछा – रीतू, क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूँ?

तो वो शरमाते हुए बोली – क्यों पूछ रहे हो? मेरे मना करने पर नहीं करोगे क्या?

तो मैने जवाब दिया – नहीं, अगर तुमने मना किया तो मैं बिल्कुल नहीं करूँगा. तुम मेरी गर्ल फ्रेंड हो तो इसका ये मतलब नहीं है कि मैं तुम्हारे साथ कुछ भी कर लूँ.

तो उसने कहा – अच्छा ठीक है, किस कर लो लेकिन उसके आगे कुछ नहीं.

फिर मैने हाँ में अपना सर हिला दिया. खैर, उसको क्या पता था कि मेरे मन में तो कुछ और ही है. हम पहली बार ये सब कर रहे थे तो न ही उसे कुछ समझ में आ रहा था न ही मुझे. लेकिन भला हो इंटरनेट का जहां पर मैंने सारी की सारी थ्योरी देखी हुई थी.

फिर मैंने उसे उसकी आखें बंद करने को कहा और हल्के से उसके सिर को पकड़ कर उसके होंठों को अपने होंठों से छुआ. अहा! ऐसे लग रहा था कि मैंने चासनी में अपना मुँह डुबो दिया है. अब उसकी साँसें तेज – तेज चलने लगी थीं तो मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसके मुँह में अपनी जीभ घुसाने की कोशिश करने लगा पर उसने अपना मुँह बंद ही रखा हुआ था.

थोड़ी देर कोशिश करने के बाद जब उसने अपना मुँह नहीं खोला तो मैने ज़ोर से उसके एक दूध को खींच लिया, तो जैसे ही उसने चीखने के लिए मुँह खोला मैने लपक कर अपनी जीभ अंदर उसके मुंह में घुसा दी. अब वो अपना मुँह हटाने की कोशिश करने लगी लेकिन अब हमारी वासना का पारा चढ़ता जा रहा था.

अब तो हमें आगे ही आगे बढ़ना था, पीछे हटने का तो कोई सवाल ही नहीं था. खैर, मैंने उसका सिर ज़ोर से पकड़ा हुआ था इसलिए उसकी कोशिशें बेकार थी. मुझे ठीक से याद तो नहीं है लेकिन 5-10 मिनट तक मैंने उसके मुँह का रसास्वादन करने के बाद, मैंने उसको स्तनों की तरफ हाथ बढ़ाया और जैसे ही मैंने उसके एक स्तन को मसला उसने फटाक से वहां से मेरा हाथ हटा दिया.

तो फिर मैंने किस की तरफ ध्यान दिया और उसको बिस्तर पर लिटाते हुए उसके ऊपर आ गया. अब मामला मेरे हाथ में था तो मैंने उसके ऊपर अपना पूरा वजन छोड़ दिया और उसके बड़े – बड़े मम्मों को अपनी छाती से रगड़ने लगा. वो थोड़ा छटपटाते हुए मेरे नीचे से हटने की कोशिश करने लगी पर नाकामयाब रही.

खैर, मैं तो वैसे ही आसमान की बुलंदियों को छू रहा था. उसके रसीले होंठों का स्वाद और कसीले मम्मों का स्पर्श मुझे असीम आनंद दे रहा था. फिर मैंने उसके टी-शर्ट में हाथ घुसाया और मम्मों को सहलाने लगा. अहा परम आनंद! ऐसा लगा की गरम – गरम वड़ा-पाव हो. उसके मम्मों की घुंडी थोड़ी सख़्त सी लग रही थी लेकिन उसको छूते ही रीतू की बेवजह की कशमकश भी बंद हो गयी और वो भी अपने मम्मों को ज़ोर – ज़ोर से मेरी छाती से रगड़ने लगी.

मैं धीरे – धीरे उनको मसल रहा था तो रीतू धीरे से बोली – मेरे मम्मों को ज़ोर – ज़ोर से खींचो और मसलो. उसकी सिसकियाँ बढ़ने लगी और उसके आहों की रफ़्तार भी बढ़ने लगी और उसके शरीर की प्रतिक्रियाएं भी बढ़ने लगी. अब वो ज़ोर – ज़ोर से मेरे होंठों को चूसने लगी और मेरा सर पकड़ के जितना अंदर तक मेरी जीभ जा सकती थी उतना अंदर तक डालने कर चूसने लगी.

अब मुझे लगा कि सही मौका है तो मैंने उसके जींस में हाथ घुसाया और उसकी फुद्दी को हाथ लगाया तो मुझे वहाँ कुछ गीला सा लगा. वो जो भी था उससे उसकी फुदी मसलने में और भी आसानी हो गयी और वो भी अब लगभग तड़पने सी लगी थी. अब उसने भी मेरा लन्ड हाथ में लिया और उसे ज़ोर – ज़ोर से खींचने लगी. इतनी देर में ही हमारे शरीर पसीने से भीग रहे थे और गर्मी अभी भी बढ़ती ही जा रही थी.

अब उसने मेरा जींस और चड्ढी भी निकाल दी और लन्ड को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी. तो मैंने भी उसकी मदद कर दी और घुटनों पर बैठ गया. अब वो मज़े से लंड चूसने लगी. मेरे पूरे शरीर में झुनझुनी सी होने लगी और लन्ड एकदम से बेलन के जैसे सख़्त हो गया. अब मुझसे भी रहा नहीं गया और मैं रीतू को खींच कर बिस्तर के किनारे ले आया और उसकी पोज़िशन को एडजस्ट करने के लिए उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया.

अब जिस तरह से उसकी हरक़तें थी उससे तो लगता ही नहीं था कि उसका पहली बार है. लेकिन फिर भी मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था मुझे लग रहा था कि कहीं पहली बार में लड़की डर कर भाग न जाए, इसलिए मैंने लन्ड की पोज़िशन सही की और पूरा उसके ऊपर झुक गया और उसके मुँह को अपने मुँह में ले लिया और उसके कंधों को भी हाथों से टाइट पकड़ लिया.

अब मैं धीरे से उसकी फुद्दी में लन्ड घुसाने लगा. मैंने सुना था कि पहली बार में थोड़ा दर्द होता है तो मैंने धीरे – धीरे डालना ही बेहतर समझा. पर जैसे ही लन्ड थोड़ा सा अंदर घुसा, वो एकदम से अकड़ गयी और उसकी आँखों में आँसू आने लगे. वो छूटने की कोशिश भी करने लगी और फिर उसने अपना मुँह मुझसे छुड़ाया और मुझे मना करने लगी और बोली – मत करो दर्द हो रहा, बहुत दर्द हो रहा.

फिर मैंने उसको समझाया कि मैं धीरे – धीरे करूँगा, पहली बार में सबको दर्द होता है. किसी तरह वो मान गई लेकिन हर बार मैं धीरे से डालता थोड़ा सा लन्ड घुसता और वो न नुकुर करना शुरू कर देती. अब मैंने भी सोचा बहुत हो गयी वफ़ा, मामले को किया जाए रफ़ा-दफ़ा. फिर मैंने एक झटके में लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया और चुपचाप लेट गया.

रीतू का मुँह खुला का खुला रह गया और उसकी आँखों में से आँसू आने लगे. मैं लगातार उसको किस करते जा रहा था, और उसका दर्द थोड़ा कम होने का इंतजार करने लगा और अंदर ही अंदर लन्ड को हिलाने लगा. इंतजार का फल दूसरों को भी मीठा लगे इसके लिए थोड़ी देर के इंतजार के बाद मैने धीरे -धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया.

अब उसका दर्द जा चुका था या नहीं मुझे इसका पता नहीं था. पर वो यौन क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न आनंद के सागर में हिचकोले खाते हुए अपनी कमर हिलाने लगी. अब उसने अपने टाँगों को भी मेरी कमर के इर्द – गिर्द मोड़ लिया. जिस से मुझे धक्के मारने में थोड़ी परेशानी होने लगी तो मैंने उसके पाँवों को उठा कर कंधे पर रख लिया और पूरी रफ़्तार से उसकी चूत की चटनी बनाने लगा.

इतनी देर में तो वो पता नहीं कितनी बार झड़ गयी और चूत में से भी फ़च्छ – फ़च्छ की आवाज़ आने लगी और पसीना मेरी कमर से पैरों तक आ गया था. अब कितना टाइम हुआ, क्या हुआ हमें कुछ याद नहीं. लेकिन दोस्तों, क्या मजा आ रहा था! उसको शब्दों में बताना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. हम दोनों का गोरा – गोरा मुख अब एक दम से लाल हो गया और उस पर पसीने की बूंदें टमाटर पर पानी की बूंदे जैसे चमक रहे थे.

अब मुझे महसूस हुआ कि मेरे शरीर की हलचल कुछ बढ़ गयी है और लन्ड पर भी कुछ ज़ोर बढ़ने लगा और मेरी स्पीड भी बढ़ गयी. अब मैं पूरी ताक़त से धक्के लगाने लगा और उस अलौकिक, अवरणीय आनंद के चरम तक पहुंचने वाला था. तभी अचानक मेरा दिमाग़ एकदम सुन्न हो गया और मैं निढाल होकर रीतू के उपर लेट गया और अपने स्लख़न का आनंद उठाने लगा.

अब रीतू ने भी मुझे कस कर पकड़ लिया और मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. उसके बाद काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा और काफ़ी देर बाद उठा तो इतना हल्का और इतना अच्छा महसूस हो रहा था कि मन कर रहा था, एक बार फिर कर लूँ. उधर वही हाल रीतू का भी था. वो भी इस असीम आनंद के सामने सारे दर्द भूल गयी और खड़ी होते ही लड़खड़ाकर गिर पड़ी.

फिर मैंने उसे सहारा देते हुए बाथरूम ले गया और साफ़ – सफाई के बाद एक बार फिर ज़ोरदार किस किया और शाम को मिलने का वादा कर उसके घर से निकल गया. तो दोस्तों, ये थी मेरा पहला सेक्स अनुभव था. आपको कैसे लगा. मुझे मेल करके जरूर बताएं. मेरी मेल आईडी
 
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