देसी प्रेमिका की चूत की लत लगी

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मैं अरुण पाण्डेय आज आपको अपनी ही प्रेमिका की चूत की कहानी सुनाने जा रहा हूँ और बिलकुल तहेदिल से उम्मीद भी करूँगा की आपको पसंद आएगी | मेरी प्रेमिका का नाम ईशा था और मैं सच में उससे सच्चा प्यार करता था पर ना जाने मेरी सेक्स कहानियों को पढ़ने की आदत ने मेरे प्रेम के बंधन को हिलाकर रख दिया | मैं वैसे तो कभी - कभार ईशा को हलके - फुल्के से चूम लिया करता पर धीरे - धीरे मेरे अंदर हवसीपना बढ़ता ही जा रहा था और मैं उससे बा बातें काम करता और उसके साथ शारीरिक संतुष्ठी ज्यादा लेता |

ईशा मुझपर अंधा विश्वाश करती थी जिसकी वजह से उसने कभी मुझे कामुक हरकतों के दौरान नहीं रोका | मैंने बहुत सोचा की इतने ज़ल्दी शादी से पहले अपने सच्चे प्यार की चूत की तरफ ध्यान ना दूँ पर जब दोस्तों मैं हस्थमैथुन करते - करते हार गया तो मैंने निर्णय कर लिया की एक बार तो मैं ईशा की जमकर चूत मारूंगा ही | मैंने एक ईशा को हमारे खंडर के पीछे वाले जंगल में बुलाया और ज्यादा कुछ ना कहते हुए अपने हाथों ने अपने आप उसकी कुर्ती को भी कुछ ही पल में उतार दिया |

मैंने अब तक अपने सभी कपड़ों को उतार नंगा हो चूका था | मैंने उसके कपडे भी खोल उसकी मोटी चुचियों को अपने मुंह के सामने नंगा कर चूका था | मैं उसके चुचों को पीते हुए हुए अब उसकी सलवार के उप्पर से उसकी चूत के उप्पर अपने हाथों को दबाते हुए रौंधा रहा था | जब मुझे मामला सब ठीक दिखाई दिया तो मैंने उसकी सलवार को उतार डाला और उसकी गोरी जाँघों पर चढ़ी पैंटी को उतार दिया | मैं उसकी चूत की अपने जीभ निकालकर चाटने लगा और उसे वहीँ नरम घासों में लिटाकर उसकी चूत के उप्पर ऊँगली रगड़ने लगा | अब मैंने उसकी जांघ को चौडा डाला और उसकी चिकनी चुत के छेद के मुहाने में अपने लंड के सुपाडे को धीरे - धीरे मसलने लगा |

कुछ ही देर में जब मैंने उसके चूत में लंड को घुसाया तो सिस्कारियां मेरे लंड को अपनी रफ़्तार को सातवें आसमान पर चढाने के लिए मजबूर कर दिया और जैसे ही मैंने बीच में जोर का झटका दिया तो उसकी भारी चींख निकल पड़ी और उसकी चूत से खून भी निकलने लगा | मैं जानता था की इशा खों को देखा दर जाएगी तभी मैंने उसके खून को चुपके से साफ़ करते हुए उसे वहीँ कुछ देर लिटाया और सहलाया | कुछ देर बाद मैं फिर से उसकी चूत में उँगलियाँ देने से शुरुआत की और लंड को देने लगा जिससे अब तो ईशा कोई भी कुछ खास दर्द नहीं हो रहा था |

हम अब मस्त वाले वासना के मज़े में डूबे हुए थे और मैं उसे ३० मिनट की चुदाई में अपने असीमित धक्कों के पढाव चढ चूका था और ईशा के बदन पर कुछ ही देर बाद मेरा वीर्य भी निकल पड़ा और मैं हार कर उसकी चूत को मलने लगा | ईशा की चूत को मसलने के दौरान ५ मिनट बाद इशा की चूत भी झड गयी और मज़े की रहत लेते हुए एक दूसरे के होठों को चूसने लगे | उस दिन के बाद से जैसे अब इशा की चूत पर चुदाई का भूत हीसवारर हो गया और उसने मुझसे कई बार छुपकर किन्ही और लड़कों से भी अपनी चूत ठुक्वायी है |
 
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